Chronological
आपन बिसेस सेवक क परमेस्सर क बोलावा
49 हे दूर देसन क लोगो, मोर बात सुना।
हे धरती क निवासियो, तू सबहिं मोर बात सुना।
मोरे जनम स पहिले ही यहोवा मोका आपन सेवा बरे बोलाएस।
जब मइँ आपन महतारी क गरभ मँ ही रहेउँ, यहोवा मोर नाउँ रख दिहे रहा।
2 यहोवा मोर जरिया स लोगन स बात किहेस।
उ मोर जीव क तेज तरवार क नाईं बनाएस ह,
किन्तु उ मोका आपन हाथ क छाया मँ छुपाएस ह।
उ मोका तेज तीर क समान बनाएस ह,
किन्तु उ आपन तीरन क तरकास मँ राखिके मोर रच्छा किहेस ह।
3 यहोवा मोका बताएस ह, “इस्राएल, तू मोर सेवक अहा।
मइँ तोहरे संग मँ अजूबा काम करब।”
4 मइँ कहेस, “महँ कड़ी मेहनत किहे रहे हउँ,
किन्तु मइँ कछू भी पूरा नाहीं किहस।
मइँ आपन सब सक्ति लगाइ दिहेस,
किन्तु मइँ कउनो काम पूरा नाहीं कइ सकेउँ!
एह बरे यहोवा क मोर बरे जरूर निआव करइ चाही।
मोर परमेस्सर क मोरे प्रतिफल क निर्णय जरूर करइ चाही।
5 यहोवा ही एक अहइ जउन मोका अपना सेवक उ टेम मँ बनाएस ह जे टेम मइँ आपन महतारी क गर्भ मँ रहा।
उ मोका बनाएस ताकि मइँ याकूब क लोगन क ओकरे लगे लउटाइके लइ आउँ बरे,
अउर इस्राएलियन क धर्म-संध मँ जमा कइ बरे लउटाइके लइ आउँ।
यहोवा मोका मान देइ।
मइँ परमेस्सर क स्तुति गीत गाएस।”[a]
6 अब, यहोवा कहत ह: 6 “याकूब क पुन:स्थापित करइ
अउर इस्राएल क बचा भवा क जेका परमेस्सर बचाएस रहा
वापिस लइ आवइ महत्वपूर्ण अहा।
किन्तु मोर सेवक मोरे लगे तोहरे बरे एह स जियादा महत्वपूर्ण कार्य अहइ।
मइँ तोहका पूरे धरती क उद्धार करइ बरे
‘रास्ट्र बरे एक प्रकास’ बनाएउँ ह।”
7 इहइ इस्राएल यहोवा ह, इस्राएल क पवित्तर ह,
इस्राएल क रच्छा करत ह अउर यहोवा कहत ह,
“मोर दास विनम्र अहइ
जउन सासकन क सेवा करत ह,
अउर लोग ओहसे घिना करत हीं।
राजा ओकर दर्सन करिहीं अउर ओकरे सम्मान मँ खड़ा होइहीं।
महान नेता भी ओकरे समन्ना निहुरिहीं,”
काहेकि यहोवा बिस्सवासी अहइ। इस्राएल ही एक पवित्तर अहइ जेका यहोवा चुनेस ह।
मुक्ती क समय
8 यहोवा कहत ह,
“उचित समय आवइ पइ मइँ तोहार पराथनन क जबाव देब।
मइँ तोहका सहारा देब।
मुक्ति क दिनन मँ मइँ तोहार रच्छा करब
अउर तू एकर प्रमाण होब्या
कि लोगन क संग मँ मोर वाचा अहइ।
अब देस उजड़ चुका अहइ,
किन्तु तू इ धरती एकरे सुआमियन क लउटवउब्या।
9 तू बन्दियन स कहब्य,
‘तू पचे आपन जेलि स बाहेर निकरि आवा।’
तू ओन लोगन स जउन अँधियारा मँ अहइँ, कहब्या,
‘अँधियारा स बाहेर आइ जा।’
उ पचे चलत भए राहे मँ भोजन कइ पइहीं।
उ पचे वीरन पहाड़न मँ भी भोजन पइहीं।
10 लोग भूखा नाहीं रहिहीं, लोग पियासा नाहीं रहिहीं।
गर्म सूरज, गर्म हवा ओनका दुःख नाहीं देइहीं।
काहेकि उहइ जउन ओनका चैन देत ह, (परमेस्सर) ओनका राह देखॉइ।
उहइ लोगन क पानी क झरनन क पास-पास लइ जाइ।
11 मइँ आपन लोगन बरे एक राह बनाउब।
पर्वत समथर होइ जइहीं
अउर दबी राहन ऊपर उठि अइहीं।
12 “लखा, दूर दूर देसन स लोग हिआँ आवत अहइँ।
उत्तर स लोग आवत अहइँ अउर लोग पच्छिम स आवत अहइँ।
लोग मिस्र मँ स्थित असवान स आवत अहइँ।”
13 हे आकासो, हे धरती, तू खुस होइ जा।
हे पर्वतो, आनन्द स जयकारा बोला!
काहेकि यहोवा आपन लोगन क सुख देत ह।
यहोवा आपन दीन हीन लोगन बरे बहुत दयालु अहइ। सिय्योन: तजी गइ मेहरारु
14 किन्तु अब सिय्योन कहेस, “यहोवा मोका तजि दिहस।
मोर सुआमी मोका बिसरि गवा।”
15 किन्तु यहोवा कहत ह,
“का कउनो मेहरारू आपन ही बच्चन क भूल सकत ह? नाहीं।
का कउनो मेहरारू उ बच्चा क जउन ओकर ही कोख स जन्मा ह, भूल सकत ह? नाहीं।
सम्भव अहइ कउनो मेहरारू आपन सन्तान क बिसरि जाइ।
परन्तु मइँ (यहोवा) तोहका नाहीं बिसरि सकत हउँ।
16 लखा जरा, मइँ आपन हथेली पइ तोहार नाउँ खोद लिहे हउँ।
मइँ सदा तोहरे विसय मँ ही सोचा करत हउँ।
17 तोहार सन्तानन तोहरे लगे लउटि अइहीं।
जउन लोग तोहका पराजित किहे रहेन, उ पचे ही मनइयन तोहका अकेल्ले तजि जइहीं। इस्राएलियन क वापसी
18 आपन आखँनि क ऊपर उठावा अउ चारिहुँ कइँती लखा।
तोहार सबहिं गदेलन आपुस मँ एकट्ठी होइके तोहरे लगे आवति अहइँ।”
यहोवा क इ कहब अहइ, “आपन जिन्नगी क कसम खाइके मइँ तू पचन्क इ सबइ बचन देत हउँ,
तोहार गदेलन ओन रत्नन जइसी होइहीं जेनका तू अपने गले मँ पहिरत अहा।
तोहार गदेलन वइसी ही होइहीं जइसा उ वंठहार होत ह जेका दुलहिन पहिरत ह।
19 “आजु तू नस्ट अहा अउर आजु तू पराजित अहा।
तोहार भुइँया तबाही मँ अहइ।
किन्तु कछू ही दिनन पाछे तोहरी धरती पइ बहोत सारे लोग होइही
अउर उ सबइ लोग जउन तोहका उजारे रहेन, दूर बहोत दूर चला जइहीं।
20 जउन गदेलन तू खोइ दिहा, ओनके बरे तोहका बहोत दुःख भवा किन्तु उहइ पचे गदेलन तोहसे कहिहीं।
‘इ जगहिया रहइ क बहोत छोटी अहइ।
हमका तउ कउनो फइली जगहिया द्या।’
21 फुन तू खुद अपने आप स कहब्या,
‘एन सबहिं गदेलन क मोरे बरे कउन जन्माएस?
इ तउ बहोत अच्छा अहइ।
मइँ दुःखी रहा अउर अकेल्ला रहा।
मइँ हारा भवा रहा।
मइँ आपन लोगन स दूर रहा।
तउ इ सबइ गदेलन मोरे बरे कउन पालेस ह
लखा तनिक, मइँ अकेल्ला छोड़ा गवा हउँ।
इ सबइ ऍतने सबइ गदेलन कहाँ स आइ गएन?’”
22 मोर सुआमी यहोवा कहत ह,
“लखा, आपन हाथ उठाइके इसारे स मइँ सारे ही देसन क बुलावे क संकेत देत हउँ।
मइँ आपन झण्डा उठाउब कि सब लोग ओका लखइँ।
फुन उ पचे तोहार गदेलन क तोहरे लगे लिअइहीं।
उ सबइ लोग तोहरे गदेलन क आपन काँधे पइ उठइहीं
अउर उ पचे ओनका आपन बाँहे मँ उठाइ लेइहीं।
23 राजा तोहरे गदेलन क सिच्छक होइहीं अउर सबइ राजकन्या ओनकर धियान रखिहीं।
उ सबइ राजा अउर ओनकर सबइ राजकन्या दुइनउँ तोहरे समन्वा माथा नवइहीं।
उ पचे तोहरे पाँवन भी धूरि क चुम्बन करिहीं।
तबहिं तू जनब्या कि मइँ यहोवा हउँ।
तबहिं तोहका समुझ मँ आई
कि हर अइसा मनई जउन मोहमाँ भरोसा राखत ह, निरास नाहीं होइ।”
24 जब कउनो सक्तिसाली जोधा जुद्ध मँ जीतत ह
तउ का कउनो ओकर जीती भइ वस्तुअन क ओहसे लइ सकत ह?
जब कउनो विजेता फउजी कउनो बन्दी पइ पहरा देत ह,
तउ का कउनो पराजित बन्दी बचिके भरा सकत ह?
25 किन्तु यहोवा कहत ह,
“उ बलवान सैनिक स बन्दीयन क छोड़ाइ लीन्ह जाइ
अउर जीत क चिजियन ओहसे छोरि लीन्ह जाइ।
इ भला काहे क होइ? मइँ तोहरे जुद्धन क लड़ब
अउर तोहरी सन्तानन बचाउब।
26 अइसे ओन लोगन क जउन तू पचन्क कस्ट देत हीं
मइँ अइसा ही कइ देब कि उ पचे आपुस मँ एक दूसर क बदन क खाइँ।
ओनकर खून दाखरस बन जाइ जेहसे उ पचे धुत्त होइहीं।
तब हर कउनो जानी कि मइँ उहइ यहोवा हउँ जउन तोहका बचावत ह।
सारे लोग जान जइहीं कि तोहका बचावइवाला याकूब क समर्थ अहइ।”
इस्राएल क ओकरे पापन्क दण्ड
50 यहोवा कहत ह,
“हे इस्राएल क लोगो, तू पचे कहा करत रह्या कि मइँ तोहार महतारी यरूसलेम क तलाक दिहेउँ।
किन्तु उ तलाकपत्र कहाँ अहइ जउन साबित कइ देइ कि मइँ ओका तलाक दिहेउँ ह।
हे मोरे गदेलो, का मइँ कउनो क कर्जदार अहउँ?
का आपन कउनो कर्ज चुकावइ बरे मइँ तोहका बेचेउँ ह?
नाहीं, तू बिका रह्या एह बरे कि तू बुरे करम किहे रह्या।
एह बरे तोहार महतारी दूर पठइ गइ रही काहेकि तू बुरा करम किहे रह्या।
2 जब मइँ घरे आवा रहेउँ, मइँ हुआँ कउनो क नाहीं पाएउँ।
मइँ बार-बार गोहराएउँ किन्तु कउनो जबाव नाहीं दिहस।
का तू पचे सोचत अहा कि तोहका मइँ नाहीं बचाइ सकत हउँ?
मइँ तोहार बिपत्तियन स तोहका पचन्क बचावइ क सक्ति धरत हउँ।
लखा, जदि मइँ समुद्दर क झुराइ क आदेस देउँ
तउ उ झुराइ जाइ।
मछरियन परान तजि देइहीं काहेकि हुवाँ जल न होइ
अउर ओनकर देह सड़ि जाइ।
3 मइँ अकासन क करिआ कइ सकत हउँ।
अकास वइसे ही करिआ होइ जइहीं जइसे सोक वस्त्र होत हीं।”
परमेस्सर क सेवक परमेस्सर क भरोसे
4 मोर सुआमी यहोवा मोका सीख देइ क जोग्यता दिहस ह। ऍह बरे मइँ थका भवा लोगन क प्रोत्साहित करत हउँ अउर ससकत बनावत हउँ। हर भिंसारे उ मोका जगावत ह अउर एक छात्र क नाईं सिच्छा देत ह। 5 मोर सुआमी यहोवा सीखइ मँ मोर सहायक अहइ अउर मइँ ओकर विरोधी नाहीं बना अहउँ। मइँ ओकरे पाछे चलब नाहीं तजब। 6 ओन लोगन क मइँ आपन पिटाइ करइ देब। मइँ ओनका आपन दाढ़ी क बार नोचइ देबउँ। उ सबइ लोग जब मोरे बरे अपसब्द कइहीं अउर मोह पइ थूकिहीं तउ मइँ आपन मुँह नाहीं मोड़ब। 7 मोर सुआमी, यहोवा मोर मदद करी। एह बरे ओनकर अपसब्द मोका दुःख नाहीं पहोंचइहीं। मइँ सुदृढ़ रहब। मइँ जानत हउँ कि मोका निरास नाहीं होइ पड़ी।
8 एक उ जउन कउनो मोका दोख रहित बनाएस ह उ मोर संग अहइ, एह बरे कउन मनई मोका अपराधी साबित कइ सकत ह। जदि कउनो मनई सोचत ह कि उ मोर खिलाफ कउनो सिकायत रखत ह, तउ उ मनई क मोरे लगे आवइ द्या अउर अपना तर्क रखइ द्या। 9 किन्तु लखा, मोर सुआमी यहोवा मोर मदद करत ह। ऍह बरे कउन मनई अहइ जउन इ सिद्ध कइ सकी कि मइँ दोखी हउँ? उ सबइ सबहिं लोग वइसे ही बाहर फैंकइ जाइ जइसे पुरान कपड़न क जेका किरवन चट कइ जातहीं।
10 अगर कउनो मनई जउन यहोवा क आराधना करत ह अउर ओकर सेवक क संदेस भी सुनत ह, मगर अबहुँ तलक अंधेरे मँ बिना प्रकास क चलत ह, एका अपने यहोवा क नाउँ मँ बिस्सास रखइ चाही अउर ओका आपन परमेस्सर पइ जरूर भरोसा रखइ चाही।
11 “लखा, तू लोग आपन ही ढंग स जिअइ चाहत अहा। आपन आगी अउर आपन मसालन क तू पचे खुद बारत अहा। तू पचे आपन ही ढंग स रहइ चाहत अहा। किन्तु तू पचन्क सजा दीन्ह जाइ। तू पचे आपन ही आगी मँ भहराब्या अउर तोहार पचन्क आपन ही मसालन तू पचन्क बारि डइहीं। अइसी घटना मइँ घटवाउब।”
इस्राएल क इब्राहीम क जइसा होइ चाही
51 “मोर सुन्या, तोहमाँ स जउन लोग उत्तिम जिन्नगी जिअइ क कठिन प्रयत्न करत अहा अउर यहोवा क मदद खोजत अहा। अगर तू सही तरीके से जिअइ क उदाहरण चहात ह, लखा चट्टा (इब्राहीम) क जेहसे तू पचन्क काटि गवा अहइ, लखा खोखला चट्टान (सारा) क जेहसे तू पचन्क तरासत भवा अहइ। 2 हाँ, लखा आपन पिता इब्राहीम अउर आपन माँ सारा क जउन तू पचन्क जन्म दिहेस ह। उ इब्राहीम ही अकेला रहा जेका मइँ बोलाए रहा। किन्तु मइँ ओका वरदान दिहा अउर ओका एक बड़के रास्ट्र बनाइ दिहस।”
3 सिय्योन पर्वत क यहोवा वइसे ही आसीर्वाद देइ। यहोवा क यरूसलेम अउर ओकरे खंडहरन क बरे खेद होइ अउर उ नगर बरे कउनो बहोत बड़ा काम करी। यहोवा रेगिस्तान क बदल देइ। उ रेगिस्तान अदन क उपवन क जइसे एक उपवन मँ बदल जाइ। उ उजाड़ स्थान यहोवा क बगीचे जइसा होइ जाइ। लोग बहोत जियादा खुस होइहीं। लोग हुवाँ आनन्द परगट करिहीं। उ सबइ लोग धन्नबाद अउर विजय क गीत गइहीं।
4 “हे मेरे लोगो, मोर सुना! मइँ तू पचन क आपन उपदेसन क देब।
मइँ आपन नेमन क प्रकास क तरह बनाउब जउन लोगन क देखइहीं कि कइसे ठीक तरह स जिया जात ह।
5 मइँ हाली ही परगट करब कि मइँ निआव स पूर्ण हउँ।
मइँ हाली ही तोहार पचन्क रच्छा करब।
मइँ आपन सक्ति क काम मँ लिआउब अउर मइँ सबहिं रास्ट्रन क निआव करब।
सबहिं दूर-दूर क देस मोर बाट जोहत अहइँ।
ओनकर मोर सक्ति क प्रतीच्छा अहइ जउन ओनका बचाई।
6 ऊपर अकासन क लखा,
अकास अइसे लोप होइ जाइ जइसे धुआँ क एक बादर खोइ जात ह।
अउर धरती अइसे ही बेकार होइ जाइ
जइसे पुरान ओढ़ना बगैर कीमत क होत हीं।
धरती क वासी आपन प्राण तजिहीं
किन्तु मोर मुक्ति सदा ही बनी रही।
मोर उत्तिमता कबहुँ नाहीं मिटी।
7 अरे ओ उत्तिमता क समुझइवाले लोगो, तू पचे मोर बात सुना।
अरे ओ मोर सिच्छन पइ चलइवालो, तू पचे उ सबइ बातन सुना जेनका मइँ बतावत हउँ।
दुट्ठ लोगन स तू पचे जिन डेराअ।
ओन बुरी बातन स जेनका उ पचे तू पचन्स कहत हीं, तू पचे भयभीत जिन ह्वा।
8 काहेकि उ पचे पुराना कपड़न क नाईं होइहीं।
ओनका किरवन खाइ जइहीं, उ पचे ऊन क जइसे होइहीं जेका किरवन चाट जइहीं।
संसार क लोग मरिहीं, किन्तु मोर मुक्ति सदा ही बना रही।
मोर अच्छाइ निरन्तर बनी रही।”
परमेस्सर क सामर्थ्य ओकरे लोगन क रच्छा करत ह
9 यहोवा क भुजा जाग-जाग।
आपन सक्ति क सज्जित करा।
तू आपन सक्ति क प्रयोग करा।
तू वइसे जाग जा जइसे तू बहोत बहोत पहिले जागा रह्या।
तू उहइ सक्ति अहा जउन रहाब क छक्कन छुड़ाए रहा।
तू भयानक मगरमच्छ क ध्वाये रह्या।
10 तू सागरे क सुखाया।
तू गहिर समुद्दर क जलहीन बनाइ दिहा।
तू सागर क गहिर सतह क एक राहे मँ बदल दिहा अउर तोहार लोग उ राह स पार भएन अउर बच गए रहेन।
11 यहोवा आपन लोगन क रच्छा करी।
उ पचे सिय्योन पर्वत कइँती आनन्द मनावत भए लउटि अइहीं।
इ सबइ सबहिं आनन्द मँ मगन होइहीं।
सारे ही दुःख ओनसे दूर कहूँ भाग जइहीं।
12 यहोवा कहत ह, “मइँ उहइ हउँ जउन तू पचन्क चइन दिया करत ह।
एह बरे तू पचन्क दूसर लोगन्स काहे डेराइ चाही?
उ पचे तउ बस मनइयन अहइँ जउन जिया करत हीं अउर मरि जात हीं।
उ पचे वइसे मरि जात हीं जइसे घास मरि जात ह।”
13 यहोवा तू पचन्क रचेस ह।
उ निज सक्ति स इ धरती क बनाएस ह।
उ निज सक्ति स धरती पइ अकास तान दिहस।
किन्तु तू पचे ओका अउर ओकर सक्ति क बिसरि गवा।
एह बरे तू पचे सदा ही उ मनइयन स भयभीत रहत ह जउन तू पचन्क हानि पहोंचावत हीं।
तोहार नास करइ क ओन लोग जोजना बनाएन,
किन्तु आजु उ पचे कहाँ अहइँ? उ पचे सबहिं चलि गए रहेन!
14 लोग जउन बन्दी अहइँ, हाली ही मुक्त होइ जइहीं।
ओन लोगन क मउत काल कोठरी मँ नाहीं होइ अउर न ही उ पचे कारागार मँ सड़त रइहीं।
ओन लोगन्क लगे खाइके पर्याप्त होइ।
15 “मइँ ही यहोवा तोहार पचन्क परमेस्सर हउँ।
मइँ ही सागर क झकोरत हउँ अउर मइँ ही लहरन उठावन हउ।”
ओकर नाउँ सर्वसक्तीमान यहोवा अहइ।
16 “मोर सेवक, मइँ तोहका उ सबइ सब्द देब जेनका मइँ तोहसे कहलवावइ चाहत हउँ। मइँ तोहका आपन हाथन स ढकिके तोर रच्छा करब। मइँ तोहसे नवा अकास अउ नई धरती बनवाउब। मइँ तू पचन क जरिये सिय्योन क इ कहलवा वइ बरे कि तू पचे मोर लोग अहा, ‘तोहार उपयोग करब।’”
परमेस्सर इस्राएल क दण्ड दिहस
17 जागा। जागा।
यरूसलेम जाग उठा।
यहोवा तोहसे बहोत ही कोहान रहा।
एह बरे तोहका दण्ड दीन्ह गवा।
उ दण्ड अइसा रहा जइसा जहर क कउनो पियाला होइ अउर उ तोहका पिअइ पड़इ
अउर ओका तू पी लिहा।
18 यरूसलेम मँ बहोत स लोग हुआ करत रहेन किन्तु ओनमाँ स कउनो भी मनई ओकर अगुवाई नाहीं कइ सका। उ पाल-पोसके जउन गदेलन क बड़ा किहे रहा, ओनमाँ स कउनो भी ओका राह नाहीं देखाइ सका। 19 दुइ जोड़ा बिपत्ति यरूसलेम पइ टूट पड़ी अहइँ, लूटपाट अउर अनाज क परेसानी अउर भयानक भूख अउ सबइ हत्तिया।
जब तू विपत्ति मँ पड़ी रही, कउनो भी तोहका सहास नाहीं दिहस, कउनो भी तोह पइ तरस नाहीं खाएस। 20 तोहार लोग दुर्बल होइ गएन। उ पचे हुवाँ धरती पइ भहराइ पड़ा अहइँ अउर हुँवइ पड़ा रइहीं। उ सबइ लोग हर गली का नुक्कड़ पर पड़ा अहइँ। उ सबइ लोग अइसे अहइँ जइसे कउनो जाल मँ फँसा हरिन होइ। ओन लोगन पइ यहोवा क कोप क मार तब तलक पड़त रही, जब तलक उ पचे अइस न होइ गएन कि दण्ड झेल ही न सकइ। परमेस्सर जब कहेस कि ओनका अउर दण्ड दीन्ह जाइ तउ उ पचे बहोत कमजोर होइ गएन।
21 बेचारे यरूसलेम, तू मोर सुन। तू कउनो धूत्त मनई क समान दुर्बल अहा किन्तु तू दाखरस पीके धुत्त नाहीं भवा अहा, बल्कि तू तउ “जहर क उ पियाला का पीके” अइसा दुर्बल होइ गवा अहा।
22 तोहार पचन्क परमेस्सर अउर सुआमी उ यहोवा आपन लोगन बरे जुद्ध करी। उ तू पचन्क कहत ह, “लखा! मइँ ‘जहर क इ पियाला’ (दण्ड) क तू पचन्स दूर हटावत हउँ। मइँ आपन किरोध क तू पचन्पइ स हटावत अहउँ। अब मोरे किरोध स तू पचन्क अउर दण्ड नाहीं भोगइ क होइ। 23 अब मइँ आपन किरोध क मार ओन लोगन पइ डाउब जउन तू पचन्क दुःख पहोंचावत हीं। उ सबइ लोग तू पचन्क मार डावइ चाहत रहेन। ओ लोग तू पचन्स कहे रहेन, ‘हमरे अगवा निहुरि जा। हम तू पचन्क कुचरि डाउब।’ आपन समन्वा निहुरावइ बरे उ पचे तू पचन्क मजबूर किहन। फुन ओ लोग तू पचन्क पीठ क अइसा बनाइ डाएन जइसे धूर-माटी होइ ताकि उ पचे तू पचन्क रौंद सकइँ। ओनके बरे चलइ क वास्ते तू पचे कउनो राहे क जइसा होइ गए रह्या।”
इस्राएल क उद्धार होइ
52 जाग उठा! जाग उठा हे सिय्योन!
आपन वस्त्र क धारण करा, तू आपन सक्ति स भरा।
हे पवित्तर यरूसलेम, तू खड़ा होइ जा।
अइसे उ सबइ लोग जेनका परमेस्सर क अनुसरण करब कबूल नाहीं अहइ
अउर जउन स्वच्छ नाहीं अहइँ, तोहमाँ फुन प्रवेस नाहीं कइ पइहीं।
2 तू धूरि झाड़ द्या, तू आपन सुन्नर ओढ़ना धारण करा।
हे यरूसलेम, हे सिय्योन क बिटिया, तू एक बन्दिनी रहिउ
किन्तु अब तू खुद क आपन गटई मँ बँधी जंजीरन स मुक्त करा।
3 यहोवा क कहत ह,
“तोहका धन क बदले मँ नाहीं बेचा गवा रहा,
एह बरे जब मइँ तोहका आजाद करब तउ कउनो धन नाहीं देइ पड़ी।”
4 मोर सुआमी यहोवा कहत ह, “मोर लोग बस जाइ बरे पहिले मिस्र मँ गवा रहेन, अउर फुन उ पचे दास बन गएन। पाछे अस्सूर ओनका बेकार मँ ही दास बनाइ लिहे रहा। 5 अब लखा, इ का होइ गवा अहइ। अब कउनो दूसर रास्ट्र मोरे लोगन क लइ लिहे अहइ। मोरे लोगन क लइ जाइ बरे इ देस कउनो भुगतान नाहीं किहे रहा। इ देस मोरे लोगन पइ हुकुमत करत ह अउर ओनकर हँसी उड़ावत ह। हुवाँ क लोग सदा ही मोरे बरे बुरी बातन कहा करत हीं।”
6 यहोवा कहत ह, “अइसा एह बरे भवा कि मोरे लोग मोरे बारे मँ जानइँ। मोरे लोगन क पता चलि जाइ कि मइँ कउन हउँ? मोरे लोग मोर नाउँ जान जइहीं अउर ओनका इ भी पता चल जाइ कि उ मइँ ही हउँ जउन ओनसे बोलन हउँ।”
7 सुसमाचार क संग पहाड़न क उपर स आवत भए संदेसवाहक क लखब निहचय ही एक अद्भुत बात अहइ। कउनो संदेसवाहक क इ घोसणा करत भए सुनब केतना अद्भुत अहइ: “हुवाँ सान्ति क निवास अहइ, हम बचाइ लीन्ह गए अही। तोहार परमेस्सर राजा अहइ।”
8 नगर क रखवारे जयजयकार करइ लागेन ह।
उ पचे आपुस मँ मिलिके आनन्द मनावत अहइँ।
काहेकि ओनमाँ स हर एक यहोवा क सिय्योन क लउटिके आवत भए लखत अहइ।
9 यरूसलेम तोहार उ सबइ भवन जउन बर्बाद होइ चुके अहइँ फुन स खुस होइ जइहीं।
तू पचे सबहिं आपुस मँ मिलिके आनन्द मनउब्या।
काहेकि यहोवा यरूसलेम पइ दयालु होइ जाइ, यहोवा आपन लोगन क उद्धार करी।
10 यहोवा सबहिं रास्ट्रन क ऊपर आपन पवित्तर सक्ति दर्साइ अउर सबहिं उ सबइ देस जउन दूर-दूर बसा अहइँ,
लखिहीं कि परमेस्सर आपन लोगन क रच्छा कइसे करत ह।
11 तू लोगन क चाही कि बाबुल छोड़ जा।
उ जगह छोड़ द्या।
हे लोगो, ओन वस्तुअन क लइ चलइवाले जउन उपासना क काम आवति हीं,
अपने आप क पवित्तर करा।
अइसी कउनो भी वस्तु जउन पवित्तर नाहीं ओका जिन छुआ।
12 तू पचे बाबुल तजब्या
किन्तु हाली मँ तजइ क तू पचन्पइ कउनो दबाव नाहीं होइ।
तू पचे चलिके बाहेर जाब्या अउर यहोवा तू पचन्क संग संग चली।
तू पचन्क क अगुवाई यहोवा ही करी
अउर तोहार पचन्क रच्छा बरे इस्राएल क परमेस्सर पाछे-पाछे भी होइ।
परमेस्सर क सेवक कस्ट सहत
13 “मोरे सेवक कइँती लखा। इ बहोत सफल होइ। इ बहोत महत्वपूर्ण होइ। अगवा चलिके लोग ओका आदर देइहीं अउर ओकर सम्मान करिहीं। 14 किन्तु बहोत स लोग जब मोरे सेवक क लखेन तउ उ पचे भौचक्के रहि गएन। मोर सेवक एतना बुरी तरह स सतावा ग रहा कि उ पचे ओका एक मनई क रूप मँ बड़ी दिक्कत स पहचान पाएन। 15 किन्तु बहोत सारे रास्ट्रन भी चकित होइहीं। राजा ओका लखिके अचरजे मँ पड़ि जइहीं अउर एक सब्द भी नाहीं बोल पइहीं। उ मोर सेवक क बारे मँ नाहीं सुनी ही किन्तु जउन कछू भवा रहा उ पचे ओका लखे रहेन। उ लोग ओकर बारे मँ सुने भर नाहीं रहेन किन्तु ओका समझे रहेन।”
53 हम जउन बातन बताए रहे, ओनकर फुरइ कउन बिस्सास किहस? यहोवा क दण्ड क फुरइ कउन कबूलेस?
2 यहोवा क समन्वा एक नान्ह पउधन क तरह ओकर बढ़वार भइ। उ एक अइसी जड़ क समान रहा जउन झुरान धरती मँ फूटति रही। उ कउनो खास, नाहीं देखाइ देत रहा। न ही कउनो ओकर कउनो विसेस महिमा रही। जदि हम ओका देखिन तउ हमका ओहमा कउनो अइसी विसेस बात नाहीं देखाइ देत, जेहसे हम ओका चाह सकित। 3 ओहसे घिना कीन्ह गइ रही अउर ओकर मीतन ओका तजि दिहे रहेन। उ एक अइसा मनई रहा जउन पीरा क जानत रहा। उ बीमारी क बहोत अच्छी तरह पहिचानत रहा। लोग ओका एतना भी आदर नाहीं देत रहेन कि ओका देख तउ लेइँ। हम तउ ओह पइ धियान तलक नाहीं देत रहे।
4 किन्तु उ हमार पाप अपने उपर लइ लिहस। उ हमार पीरा क हमसे लइ लिहस अउर हम इहइ सोचत रहे कि परमेस्सर ओका दण्ड देत अहइ। हम सोचा परमेस्सर ओह पइ ओकरे करमन बरे मार लगावत अहइ। 5 किन्तु उ तउ ओन बुरे कामन बरे बेधा जात अहइ, जउन हम किहे रहे। उ हमार अपराधन बरे कुचरा जात रहा। जउन कर्जा हमका चुकावइ क रहा, यानी हमार दण्ड रहा, ओका उ चुकावत रहा। ओकरी सबइ यातना क बदले मँ हम चंगे (छिमा) कीन्ह ग रहे। 6 किन्तु ओकरे एतना करइ क पाछे भी हम सब भेड़िन क तरह एहर-ओहर भटक गए। हम मँ स हर एक आपन-आपन राह चला गवा। यहोवा क जरिये हमक हमार अपराधन स मुक्त कइ दीन्ह जाइ क पाछे अउर हमरे अपराध क आपन सेवक स जोड़ देइ पर भी हम अइसा कीन्ह।
7 ओका सतावा गवा अउर दण्डित कीन्ह गवा। किन्तु उ ओकरे विरोध मँ आपन मुँह नाहीं खोलेस। उ बध बरे लइ जाइ जात भइ मेमना क समान चुप रहा। उ उ मेमना क समान चुप रहा जेकर ऊन उतारा जात रहा होइ। उ कबहुँ आपन मुँह नाहीं खोलेस। 8 लोग ओह पइ बल प्रयोग किहन अउर ओका लइ गएन। ओकरे साथ खरेपन स निआव नाहीं कीन्ह गवा। ओकर भावी परिवार बरे कउनो वुछ नाहीं कहि सकत काहेकि सजीव लोगन क धरती स ओका उठाइ लीन्ह गवा। मोर लोगन क पापन्क भुगतान करइ बरे ओका दण्ड दीन्ह गवा रहा। 9 ओकर मउत होइ गइ अउर दुट्ठ लोगन क संग ओका गाड़ा गवा। धनवान लोगन क बीच ओका दफनावा गवा। उ कबहुँ कउनो हिंसा नाहीं किहेस। उ कबहुँ झूठ नाहीं बोलेस किन्तु फुन भी ओकरे साथ अइसी बातन घटिन।
10 यहोवा ओका कुचर डावइ क निहचय किहेस। यहोवा निहचय किहस कि उ सबइ यातना झेलइ। तउ सेवक आपन प्रान तजइ क खुद क सौंपेस। किन्तु उ एक नवा जीवन अनन्त-अनन्त काल तलक बरे पाई। उ आपन लोगन क लखी। यहोवा ओका जउन करइ चाहत ह, उ ओन बातन क पूरा करी। 11 उ आपन आतिमा मँ बहोत सी पीरन झेली किन्तु उ घटइवाली अच्छी बातन क लखी। उ जउने बातन क गियान प्राप्त करत ह, ओनसे संतुट्ठ होइ।
मोर उ उत्तिम सेवक बहोत स लोगन क ओनके अपराधन स छुटकारा दिलवाई। उ ओनके पापन्क अपने सिरन पइ लइ लेइ। 12 एह बरे मइँ ओका बहोतन क संग पुरस्कार क सहभागी बनाउब। उ सबइ चिजियन क उ लोगन क बीच मँ बाँटब जउन मज़बूत अहइ। काहेकि उ आपन जिन्नगी दूसरन बरे दइ दिहस। उ अपने आप क अपराधियन क बीच गना जाइ दिहस। जबकि उ वास्तव मँ बहुतेरन क पापन्क दूर किहस अउर अब उ पाप बरे ओनकर रच्छक क रूप मँ बोलत ह।
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.