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Chronological

Read the Bible in the chronological order in which its stories and events occurred.
Duration: 365 days
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-AWA)
Version
यसायाह 28-30

उत्तर इस्राएल क चितउनी

28 सोमरोन क लखा।
    एप्रैम क मदमस्त लोग उ नगर पइ गर्व करत हीं।
उ नगर पहाड़ी पइ बसा ह जेकरे चारिहुँ कइँती एक संपन्न घाटी अहइ।
    सोमरोन क वासी इ सोचा करत हीं कि ओनकर सहर फूलन मुकुट जइसा अहइ।
किन्तु उ पचे दाखरस स धुत्त अहइँ
    अउर इ “सुन्नर मुकुट” मुरझाए पौधा स अहइ।

लखा, मोर सुआमी एक मनई क चुनेस ह जउन मज़बूत अउर वीर अहइ।
    उ व्यक्ति इ देस मँ इ तरह आइ जइसे ओलन अउ बर्खा क तूफ़ान आवत ह।
उ देस मँ इ तरह आइ जइसे बाढ़ आवा करत ह।
    उ समारिया क धरती पइ फेंकी।
नसे मँ धुत्त एप्रैम क लोग आपन “सुन्नर मुकुट” पइ गर्व करत हीं
    किन्तु उ नगरी गोड़े तले रौंदी जाइ।
उ नगर पहाड़ी पइ बसा अहइ जेकरे चारिहुँ कइँती एक सम्पन्न घाटी अहइ।
    किन्तु उ “फूलन क सुन्नर मकुट” बस एक मुरझात भवा पौंधा अहइ।
उ नगर गर्मी मँ अंजीर क पहिले फले क समान होई।
    जब कउनो उ पहली अंजीर क लखत ह तउ हाली स तोड़के ओका चट कइ जात ह।

उ समय, सर्वसक्तीमान यहोवा, “सुन्नर मकुट” बनी। उ ओन बचे भए आपन लोगन बरे “फूलन क सानदार मकुट” होइ। फुन यहोवा ओन निआव क अर्धासन क बुद्धि प्रदान करी जउन ओकर आपन लोगन क सासन करत हीं। नगर दुआरन पइ जुद्धन मँ लोगन यहोवा सक्ति देइ। किन्तु अबहिं उ सबइ मुखिया लोग मदमस्त अहइँ। याजक अउ नबी सबहिं दाखरस अउर सुरा स धुत्त अहइँ। उ सबइ लड़खड़ात अहइँ अउर खाले भहराइ पड़त अहइँ। नबी जब आपन सपनन लखत हीं। निआव क अधीस जब निआव करत हीं तउ उ पचे नसे मँ बूड़े भए होत हीं। हर खाइ क मेज उल्टी स भरी भइ अहइ। कहूँ भी कउनो स्वच्छ ठउर नाहीं रहा अहइ।

परमेस्सर आपन लोगन क सहायता करइ चाहत ह

उ पचे कहा करत हीं, इ मनई कउन अहइ? इ केका सिच्छा देइ क कोसिस करत अहइ? उ आपन सँदेसा केका समुझावत अहा? का ओन बच्चन क जेनकर अबहिं-अबहिं दूध छोड़ॅवा गवा अहइ? का ओन बच्चन क जेनका अबहिं अबहिं आपन महतारियन क छाती स दूर कीन्ह गवा ह 10 एह बरे यहोवा ओनसे इ तरह बोलत ह जइसे उ पचे दुधमुहाँ बच्चन होइँ।

“सौ लासौ सौ लासौ
काव लाकाव काव लाकाव
ज़ेइर साम ज़ेइर साम।”[a]

11 फिन यहोवा ओन लोगन स बात करी ओकर होंठ कॉपत भए होइहीं अउर उ ओन लोगन स बातन करइ मँ दूसर विचित्र भाखा प्रयोग करी।

12 यहोवा पहिले ओन लोगन स कहे रहा, “हिआँ विस्राम क एक ठउर अहइ। थके माँदे लोगन क हिआँ आवइ द्या अउर विस्राम पावइ द्या। इ सान्ति क ठउर अहइ।”

किन्तु लोग परमेस्सर क सुनइ नाहीं चाहेन। 13 तउ परमेस्सर क बचन कउनो विचित्र भासा क जइसे होइ जइहीं।

“सौ लासौ सौ लासौ
काव लाकाव काव लाकाव
ज़ेइर साम ज़ेइर साम।”

तउ लोग जब चलिहीं तउ पाछे कइँती लुढ़क जइहीं अउर जख्मी होइहीं। लोगन क फँसाइ लीन्ह जाइ अउर उ पचे धरा जइहीं।

परमेस्सर क निआव स कउनो नाहीं बच सकत

14 हे, यरूसलेम क आग्या क नाहीं मानइवाले अभिमानी मुखिया लोगो, तू यहोवा क सँदेसा सुना। 15 तू लोग कहत अहा, “हम मउत क संग एक वाचा कीन्ह ह। सेओल (मौत क पहँटा) क संग हमार एक अनुबंध अहइ। एह बरे हम दण्डित नाहीं होब। दण्ड हम पचन्क नोस्कान पहोंचाए बगैर हमरे पास स निकरि जाइ। आपन चालाकियन अउर आपन झूठन क पाछे हम पचे लुकाइ जाबइ।”

16 एन बातन क कारण मोर सुआमी यहोवा कहत ह: “मइँ एक पाथर एक ठु कोने क पाथर सिय्योन मँ धरती पइ गड़ब। इ एक अत्यन्त मूल्यवान पत्थर होइ। इ बहोत महत्वपूर्ण पाथर पई ही हर कउनो वस्तु क निर्माण होइ। जेहमाँ बिस्सास होइ, उ कबहुँ घबराई नाहीं।

17 “लोग देवारे क सोझ लखइ बरे जइसे सूत डाइके लखत हीं, वइसे ही मइँ जउन उचित अहइ ओकरे बरे निआव अउर खरेपन क प्रयोग करब। तू दुट्ठ लोग आपन झूठ अउर चालाकियन बरे आपन क छुपावइ क जतन करत अहा, किन्तु तोहका दण्ड दीन्ह जाइ। उ दण्ड अइसा ही होइ जइसे तोहरे सबन्क छुपावइ क ठउरन क नस्ट करइ बरे कउनो तूफान या कउनो बाढ़ आवत होइ। 18 मउत क साथे तोहरे वाचा क मेट दीन्ह जाइ। अधोलोक क संग भई तोहार संधि भी तोहार मदद नाहीं करी।

“जब खउफनाक सजा तोहे सबन पइ पड़ी तू पचे कुचरा जाब्या। 19 उ हर दाई जब आई तू पचन्क हुवाँ लइ जाइ। तोहार पचन्क सजा भयानक होइ। तू पचन्क भिन्सारे दर भिन्सारे अउर दिन रात सजा मिली।

“जब तू पचे इ कहानी क समुझब्या: 20 कउनो मनसेधू एक अइसे बिछउना पइ सोवइ क जतन करत रहा जउन ओकरे बरे नान्ह रहा। ओकरे लगे एक कंबल रहा जउन एतना चौड़ा नाहीं रहा कि ओका ढाक लेइ। त उ बिछउना अउर उ कम्बल ओकरे बरे बियर्थ रहेन अउर लखा तोहार वाचा भी तोहरे सबन्क बरे अइसा रही।”

21 यहोवा वइसे ही जुद्ध करी जइसे उ पराजीम नाउँ क पहाड़ पइ किहे रहा। यहोवा वइसे ही कोहाइ जाइ जइसे उ गिबोन क घाटी मँ भवा रहा। तब यहोवा ओन कामन क करी जउन ओका निहचय ही करइ क अहइँ। यहोवा कछू बिचित्र काम करी। किन्तु उ आपन काम क कर देइ। ओकर काम कउनो एक अजनबी क काम अहइ। 22 अब तू पचन्क इ सबइ बातन क मजाक नाहीं उड़ाइ चाही। जदि तू पचे अइसा करब्या तउ तोहार पचन्क बन्धन क रस्सियन अउर जियादा कस जइहीं।

सर्वसक्तीमान यहोवा इ समूचे प्रदेस क नस्ट करइ क ठान लिहस ह। जउन सब्द मइँ सुने रहेउँ, अटल अहइँ। तउ उ सबइ बातन जरूर घटिहीं।

यहोवा खरा दण्ड देत ह

23 जउन सँदेसा मइँ तू पचन्क सुनावत हउँ, ओका धियान स सुना। 24 का कउनो किसान आपने खेते क हर समय जोतत रहत ह नाहीं। का उ माटी क हर समय सँवारत रहत ह नाहीं। 25 किसान आपन धरती क तइयार करत ह, अउर फुन ओहमाँ बिआ अलग-अलग डावत ह। किसान अलग-अलग बीजन क रोपाई, ढंग स करत ह। किसान सौंफ क बिआ बिखेरत ह अउर एक किसान कठिए गोहूँ क बोवत ह। एक किसान खास जगह पइ अउ लगावत ह। एक किसान कठिए गोहूँ क बिअन क खेत क मेंड पइ लगावत ह।

26 ओकर परमेस्सर ओका सिच्छा देत ह अउर अच्छे तरह स ओका निर्देस देत ह। 27 का कउनो किसान तेज दाँतदार तखन क प्रयोग सौंफ क दानन क गहावइ बरे करत ह नाहीं। का कउनो किसान जीरा क गहावइ बरे कउनो छकड़े क प्रयोग करत ह नाहीं। एक किसान इ मसालन क बीअन क छिलका उतारइ बरे एक नान्ह स कुबरी क प्रयोग ही करत ह। 28 लोगन क रोटी बनावइ बरे अनाज क पीसइ परी, किन्तु उ पचे लगातार अनाज जिन पीसत रहतेन। एक किसान अनाज क दलइ क बरे अनाज दलइ क पहिया अनाजे पइ फिराइ क परी, किन्तु ओका अनाजे क रौंदइ बरे घोड़न क समूह क जरूरत नाहीं परी! ठीक इहइ तरह, परमेस्सर आपन लोगन क लगातार सज़ा नाहीं देत ह! 29 सर्वसक्तिमान यहोवा स इ पाठ मिलत ह। यहोवा अद्भुत सलाह देत ह। यहोवा फुरइ बहोत बुद्धिमान अहइ।

परमेस्सर क यरूसलेम स पिरेम

29 परमेस्सर कहत ह, “हे अरीएल, अरीएल! तू उ सहर अहइ जहाँ दाऊद छावनी डाए रहा। लोग इ सहर क बरिस दर बरिस पवित्तर भोज बरे जात्र किहेस। किन्तु जब मइँ अरीएल क अन्त करब्या, तउ हुवाँ सोक अउ विलाप होइ। किन्तु उ तब भी मोर अरीएल होइ!

“तब मइँ तोहका फउजन क सिबिर स घेरउब। मइँ तोहार विरोध मँ जुद्ध क बुर्ज अउर ढलवान बनाउब। तू पचे धरती पइ गिरि जाब। धूल स तोहार कमज़ोर धीमा फुसफुसाहत क आवाज़ अइसा होइ जइसे धरती प कउनो भूत होइ।”

तोहार दुस्मन धूर क कण क भाँति अनगिनत होइहीं। तोहार क्रूर अत्याचार अनगिनत होइहीं जइसे भूसे आँधी मँ उड़त भए अहा। सर्वसक्तिमान यहोवा बादरन क गर्जन स, धरती क काँपे स, अउर जहा ध्वनियन स तोहरे लगे आइ। यहोवा दण्डित करी। यहोवा तूफान, तेज आँधी अउर आगी क प्रयोग करी जउन बारिके सबहिं क नस्ट कइ देइ। तउ रात क सपना क नाईं जउन कि जागते ही गाइब होइ जात ह अइसा ही अरीएल क चारिहुँ कइँती स घेरा भवा फउज अउर ओनके जुद्ध यंत्र जउन कि ओकर खिलाफ घूमत रहत ह, गाइब होइ जात हीं। मुला ओन फउजन क एक सपना जइसा होइ। उ सबइ फउजन उ सब चिजियन न पइहीं जेनका उ पचे चाहत हीं। इ वइसा ही होइ जइसा भूखा मनई भोजन क सपन लखइ अउर जागइ पइ उ आपन क वइसा ही भूखा पावइ। इ वइसा ही होइ जइसे कउनो पिआसा पानी क सपन लखइ अउर जब जागइ तब आपन क पियासा पावइ। सिय्योन क विरोध मँ लड़त भए सबहिं देस फुरइ अइसे ही होइहीं। इ बात ओन पइ खरी उतरी। देसन क उ सबइ चिजियन नाहीं मिलिहीं जेनका ओनका चाह अहइ।

आस्चर्य चकित होइ जा अउर अचरज स भरि जा।
    तू पचे सबहिं धुत्त होब्या किन्तु दाखरस स नाहीं।
लखा अउर अचरज करा।
    तू लड़खड़ाब्या अउर भहराइ जाब्या किन्तु सराबे स नाहीं।
10 यहोवा तोहका सबन्क सोवाएस ह।
    यहोवा तोहार आँखिन मूँदि दिहस ह। (तोहार आँखिन नाहीं अहइँ)

11 मइँ तू पचन्क बतावत हउँ कि इ सबइ बातन घटिहीं। किन्तु तू पचे मोका नाहीं समुझ रह्या। मोर सब्द उ किताबे क समान अहइँ, जउन बन्द अहइँ अउर जेह पइ एक मोहर लगी बाटइ। 12 तू पचे उ किताबे क एक अइसे मनई क दइ सकत ह जउन पढ़ सकत ह अउर उ मनई स कहि सकत ह कि उ उ किताबे क पढ़इ। मुला उ मनई कही, “मइँ किताबे क बाँच नाहीं सकत काहेकि इ बन्द अहइ अउर मइँ एका खोल नाहीं सकत।” या तू उ किताबे क कउनो भी अइसे मनई क दइ सकत ह जउन बाँच नाहीं सकत, अउर उ मनई स कहि सकत ह कि उ उ किताबे क पढ़इ। तब उ मनई कही, “मइँ इ किताबे क नाहीं बाँचि सकत काहेकि मइँ पढ़ब नाहीं जानत।”

13 मोर सुआमी कहत ह, “इ सबइ लोग कहत हीं कि उ पचे मोहसे पिरेम करत हीं। आपन मुँहे क सब्दन स उ पचे मोरे बरे आदर परगट करत हीं। मुला ओनकर मन मोहसे दूर अहइँ। उ आदर जेका उ पचे मोरे बरे देखॉवत हीं, बस कोरे मानव नेम अहइँ जउन उ पचे रट डाए अहइँ। 14 तउ मइँ एन लोगन क सक्ति स पूर अउर अचरज भरी बातन करत भए आस्चर्य चकित करत रहब। ओनकर बुद्धिमान मनई समझइ मँ असमर्थ होइ जइहीं।”

15 धिक्कार अहइ ओन लोगन क जउन यहोवा स बातन छिपावइ क जतन करिहीं। उ पचे सोचत हीं कि यहोवा तउ समझी ही नाहीं। उ सबइ लोग आँधियारा मँ काम करत हीं। उ सबइ लोग आपन मन मँ कहा करत हीं, “हम पचन्क कउनो लख सकत नाहीं। हम पचे कौन अही, एका कउनो मनई नाहीं जानी।”

16 तू पचे भ्रम मँ पड़ा अहा। तू पचे सोचा करत अहा, कि माटी कोहार क बराबर अहइ। तू पचे सोचा करत अहा कि कृति आपन कर्त्ता स कह सकत ह, “तू मोर रचना नाहीं किहा ह।” इ वइसा ही अहइ, जइसे गगरी क आपन बनावइवाले कोहार स इ कहब, “तू समझत्या नाहीं तू का करत अहा।”

एक उत्तिम समय आवत अहइ

17 इ फुरइ अहइ: कि लबानोन थोड़े समय पाछे, आपन बिसाल ऊँच बृच्छन बरे सपाट जोते खेतन मँ बदल जाइ अउर सपाट खेत ऊँच-ऊँच बृच्छन वाले सघन जंगलन क रूप लइ लेई। 18 किताबे क सब्दन क बहिरे सुनिहीं, आँधर आँधियारे अउ कोहरे मँ स लखि सकिहीं। 19 यहोवा दीन जनन क खुस करी। दीन जन इस्राएल क उ पवित्तरतम मँ आनन्द मनइहीं।

20 अइसा तब होइ जब नीच अउ क्रूर मनई खत्म होइ जइहीं। अइसा तब होइ जब बुरा काम करइ मँ आनन्द लेइवाले लोग चले जइहीं। 21 (उ सबइ लोग दूसर लोगन क बारे मँ झूठ बोला करत हीं। उ पचे कचहरी मँ लोगन क फँसावइ क जतन करत हीं। उ पचे भोले भाले लोगन क नस्ट करइ मँ जुटे रहत हीं।)

22 तउ यहोवा याकूब क परिवार स कहेस। (इ उहइ यहोवा अहइ जउन इब्राहींम क अजाद किहे रहा।) यहोवा कहत ह, “अब याकूब (इस्राएल क लोग) क लज्जित नाहीं होब होइ। अब ओकर मुँह कबहुँ पिअर नाहीं होइ चाही। 23 उ आपन सबहिं संतानन क लखी अउर कही कि मोर नाउँ पवित्तर अहइ। एन संतानन क मइँ आपन हाथन स बनाएउँ ह अउर इ सबइ संतानन मनिहीं कि याकूब क पवित्तर परमेस्सर वास्तव मँ पवित्तर अहइ अउर इ सबइ संतानन इस्राएल क परमेस्सर क आदर देइहीं। 24 उ सबइ लोग जउन गलतियन करत हीं, अब समुझ जइहीं। उ सबइ लोग जउन सिकाइत करत रहत हीं अब निर्देसन क अंगीकार करिहीं।”

इस्राएल क परमेस्सर पइ बिस्सास रखइ चाही

30 यहोवा कहेस, “मोरे एन बच्चन क लखा, इ सबइ मोर बात नाहीं मानतेन। इ सबइ जोजनन बनावत हीं मुला मोर मदद नाहीं लेइ चाहतेन। इ सबइ दूसर जातियन क साथ समझौता करत हीं जबकि मोर आतिमा ओन समझौतन क नाहीं चाहत। इ सबइ लोग आपन मूँड़े पइ पाप क बोझ बढ़ावत चला जात बाटेन। इ सबइ बच्चन मोहसे कछू नाहीं पूछतेन कि का अइसा करब उचित अहइ। ओनका उम्मीद अहइ कि फिरौन ओनका बचाइ लेइ। उ पचे चाहत हीं कि मिस्र ओनका बचाइ लेइ।

“मुला मइँ तू पचन्क बतावत हउँ कि मिस्र मँ सरण लेइ स तोहार पचन्क बचाव नाहीं होइ। मिस्र तोहार सबन्क रच्छा करइ मँ सफल नाहीं होइ। तोहार पचन्क अगुअन सोअन मँ गवा अहइँ अउर तोहार पचन्क राजदूत हानेस क चला गवा अहइँ। किन्तु ओनका निरासा ही हाथे लागी। उ पचे एक अइसे रास्ट्र पइ बिस्सास करत अहइँ जउन ओनका नाहीं बचाइ पाइ। मिस्र बेकार अहइ, मिस्र कउनो मदद नाहीं देइ। मिस्र क कारण ओनका अपमानित अउ लज्जित होइ पड़ी।”

यहूदा क परमेस्सर क सँदेसा

दक्खिन क गोरूअन बरे दुःखद सँदेसा:

नेगव बिपत्तियन अउर खतरन स भरा एक ठु देस अहइ। इ पहँटा सेरन, नागन अउर उड़इवाले साँपन स भरा पड़ा अहइ। किन्तु कछू लोग नेगव स होत भए जात्रा करत अहइँ उ पचे मिस्र कइँती जात अहइँ। ओन लोग गदहन क पीठन पइ आपन धन-दौलत लादे भए अहइँ। ओन लोग आपन खजाना ऊँटन क पीठन पइ लाद रखे अहइँ अर्थात् इ सबइ लोग एक अइसे देस पइ भरोसा रखे अहइँ जउन ओनका नाहीं बचाइ सकत। मिस्र ही उ बेकार क देस अहइ। मिस्र क मदद बेकार अहइ। एह बरे मइँ मिस्र क एक ठु अइसा रहाब कहत हउँ जउन निठल्ला पड़ा रहत ह।

अब एका एक चिह्न पइ लिख द्या ताकि सबहिं लोग एका लखि सकइँ। एका एक ठु किताबे मँ लिख द्या। एनका अन्तिम दिनन बरे लिख द्या। इ सबइ बातन सुदूर भविस्स क साच्छी होइही।

इ सबइ लोग ओन बच्चन क जइसे अहइँ जउन आपन महतारी-बाप क बात नाहीं मानतेन। उ सबइ लबार अहइँ अउर यहोवा क सिच्छन क सुनइ तलक नाहीं चाहतेन। 10 उ पचे नबियन स कहा करत हीं, “हम क जउन कछू ठीक बातन करइ चाही ओनके बारे मँ दर्सन जिन किया करा। हम क सच्चाई जिन बतावा। हम स अइसी अच्छी बातन कहा, जउन हम क नीक लाग सकत। हमरे बरे केवल अच्छी बातन ही लखा। 11 जउन बातन फुरइ घटइ क अहइँ, ओनका लखब बन्द करा। हमरे राहे स हटि जा। इस्राएल क उ पवित्तर परमेस्सर क बारे मँ हम का बताउब बन्द करा।”

यहूदा क मदद केवल परमेस्सर स आवत ह

12 इस्राएल क पवित्तर परमेस्सर कहत ह, “तू लोग यहोवा स इ सँदेसा क मानइ स मना कइ दिहा ह। तू लोग सहायता बरे लड़ाई-झगड़न अउर झूठ पइ निर्भर रहइ चाहत अहा। 13 तू पचे काहेकि एन बातन बरे अपराधी अहा, एह बरे तू पचे एक ठु अइसी ऊँच देवार क समान अहा जेहमाँ दरारन आइ चुकी अहइँ। उ देवार ढह जाइ अउर नान्ह नान्ह टूकन मँ टूटिके ढेर होइ जाइ। 14 तू पचे माटी क उ बड़के बर्तन क समान होइ जाब्या जउन टूटि टूटिके नान्ह नान्ह टूकन मँ बिखरि जात ह। इ सबइ टूकन बेकार होत हँ। एन टूकन मँ स तू पचे न तउ आगी स बरत कोयला ही उठाइ सकत ह अउर न ही क उनो जोहड़ स पानी।”

15 इस्राएल क उ पवित्तर, मोर सुआमी यहोवा कहत ह, “जदि तू पचे मोरी कइँती लउट आवा तउ तू पचे बचि जाब्या। जदि तू पचे मोहे पइ भरोसा रखब्या तबहिं तू पचन्क तोहार सबन्क बल मिली मुला तू पचन्क सान्त रहब होइ।”

मुला तू पचे तउ वइसा करइ ही नाहीं चाहत्या। 16 तू पचे कहत अहा, “नाहीं, हम पचन्क घोड़न क जरूरत अहइ जेन पइ चढ़िके हम पचे दूर पलाइ जाइ।” इ फुरइ अहइ तू पचे घोड़न पइ चढ़िके दूर पलाइ जाब्या मुला दुस्मन तोहार सबन्क पाछा करी अउर उ तोहारे सबन्क घोड़न स जियादा तेज होइ। 17 एक दुस्मन ललकारी अउर तोहार पचन्क सबहिं लोग ओकरे समन्ना स भाग खड़ा होइ जइहीं। हुवाँ तू पचे अइसे अकेल्ले बचा रहि जाब्या, जइसे पहाड़ी पइ लगा तोहार पचन्क झण्डे क डण्डा।

परमेस्सर आपन लोगन क मदद करी

18 यहोवा तू पचन्पइ आपन करूणा दर्सावत ह। यहोवा बाट जोहत ह। यहोवा तू पचन्क सुख चैन देइ बरे तइयार खड़ा अहइ। यहोवा खरा परमेस्सर अहइ अउर हर उ मनई जउन यहोवा क मदद क इंतजार मँ अहइ, धन्न (आनन्दित) होइ।

19 हाँ, हे सिय्योन पर्वत पइ रहइ वालो, हे यरूसलेम क बसइयो, तू लोग रोवत बिलखत नाहीं रहब्या। यहोवा तोहरे पचन्क रोवइ क सुनी अउर उ तू पचन्पइ दाया करी। यहोवा तोहार पचन्क सुनी अउर उ तोहार पचन्क मदद करी।

20 जदपि मोर यहोवा परमेस्सर तू पचन्क दुःख अउ कस्ट दइ सकत ह अइसे ही जइसे माना उ अइसा रोटी-पानी होइ, जेका तू पचे हर दिन खात-पिअत ह्वा। किन्तु असल मँ परमेस्सर तउ तोहार पचन्क सिच्छक अहइ, अउर उ तू पचन्स छिपा नाहीं रही। तू पचे खुद आपन आँखिन स आपन उ सिच्छक क लखब्या। 21 तब अगर तू पचे बुरे काम करब्या अउर बुरी जिन्नगी जीब्या (दाहिन कइँती या बाई कइँती) तउ तू पचे आपन पाछे एक आवाज क कहत सुनब्या, “खरी राह इ अहइ। तू पचन्क इहइ राहे मँ चलब अहइ।”

22 तोहरे पचन्क लगे चाँदी सोने स मढ़ी मूरतियन अहइँ। ओन झूठे देवतन तू पचन्क (पाप पूर्ण) बनाइ दिहेन ह। लेकिन तू पचे ओन झूठे देवतन क सेवा करब तजि देब्या। तू पचे ओन देवतन क कूड़े कचरे अउर मइले चिथड़न क समान दूर लोकउब्या।

23 उ समय, यहोवा तोहरे पचन्बरे बर्खा पठइ। तू पचे खेतन मँ बिआ बोउब्या, अउर धरती तोहरे पचन्बरे भोजन उपजाइ। तू सबन्क भरपूर उपज मिली। तोहार पचन्क पसुअन बरे खेतन मँ भरपूर चारा होइ। तोहरे पचन्क पसुअन बरे हुवाँ बड़ी-बड़ी चरागाहन होइहीं। 24 तोहरे पचन्क मवेसियन अउ तोहरे सबन्क गदहन क जइसे चारा क जरूरत होइ, उ सब ओनका मिली। खइया क ऍतना इफरात होइ कि तू पचन्क आपन पसुअन क खाइ बरे भी फावड़न अउर पंजन स चारा क फइलाउव होइ। 25 हर पर्वत अउर पहाड़ियन पइ पानी स भरी जल धारन होइहीं। इ सबइ बातन तब घटिहीं जब बहोत स लोग मरि चुकिहीं अउर मीनारन ढहि चुकिहीं।

26 उ समय चाँद क चाँदनी सूरज क धूप जइसी उज्जर होइ जाइ। सूरज क रोसनी आज स सात गुना जियादा उज्जर होइ जाइ। सूरज एक दिन मँ ऍतनी रोसनी देइ लागी जितनी उ पूरे सप्ताह मँ देत ह। इ सबइ बातन उ समय घटिहीं जब यहोवा आपन टूटे लोगन क मरहम पट्टी करी अउर सजा क कारण जउन चोटन ओनका आई अहइँ, ओनका चंगा करी।

27 लखा! बहोत दूर स यहोवा क नाउँ आवत अहइ। उ बहोत किरोधित अहइ। उ सँदेसा जउन उ लावत ह भाड़ी वजन क नाईं अहइ। ओकर होंठ क सब्द रूखा अहइ, ओकर जीभ एक बरत भए आग जइसी अहइ। 28 यहोवा क साँस (आतिमा) एक अइसी बिसाल नदी क तरह अहइ जउन तब तलक चढ़त रहत ह, जब तलक उ गटइ तलक नाहीं पहुँच जात। यहोवा सबहिं रास्ट्रन क निआव करी। इ वइसा ही होइ जइसे उ ओनका बिनासे क छलनी स छान डावइ। इ नियंत्रन वइसा होइ जइसे घोड़सवार लगाम क जरिया स घोड़ा क नियंत्रन करत ह, यहोवा रास्ट्रन क नियंत्रन करब अउर ओनकर अगुवाइ उ जगह तलक करब जहाँ उ ओनका लेइ जाइ चाहत ह।

29 उ समय, तू पचे खुसी क गीत गउब्या। उ समय ओन रातिन क जइसा होइ जब तू पचे आपन उत्सव मनाउब सुरू करत अहा। तू पचे ओन मनइयन क समान खुस होब्या जउन इस्राएल क चट्टान यहोवा क पर्वत पइ जात समय बाँसुरी क सुनत भए प्रसन्न होत हीं।

30 यहोवा सबहिं लोगन क आपन महान वाणी सुनइ क मजबूर करी। यहोवा लोगन क किरोध क संग खाले आवत भइ आपन सक्तिसाली भुजा लखइ क मजबूर करी। इ भुजा उ महा आगी क नाई होइ जउन सब कछू भसम कइ डावत ह। यहोवा क सक्ति उ आँधी क जइसी होइ जउन तेज बर्खा अउ ओलन क संग आवत ह। 31 अस्सूर जब यहोवा क अवाज सुनी तउ उ डेराइ जाइ। यहोवा लाठी स अस्सूर पइ वार करी। 32 यहोवा अस्सूर क पीटी अउर इ पिटाई अइसी होइ जइसे कउनो नगाड़न अउ वीणन पइ संगीत बजावत हउँ। यहोवा आपन सक्तीसाली भुजा (सक्ति) स अस्सूर क हराई।

33 तोपेत क बहोत पहिले स ही तइयार कइ लीन्ह गवा अहइ। राजा बरे इ तइयार अहइ। इ भट्टी बहोत गहिर अउर बहोत चौड़ी बनाई गइ अहइ। हुवाँ काठे क एक बहोत बड़का ढेर अउ आगी मौजूद अहइ। यहोवा क आतिमा बरत भइ गंधक क नदी क रूप मँ आइ अउर एका भसम कइके नस्ट कइ देइ।

Awadhi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-AWA)

Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.