Chronological
लबानोन क परमेस्सर क सँदेसा
23 सोर क बारे मँ दुःखद सँदेसा:
हे तर्सीस क जहाजो, दुःख मनावा। तोहार बंदरगाह उजाड़ दीन्ह गवा ह।
एन जहाजन पइ जउन लोग रहेन, ओनका इ समाचार उ समय बतावा ग रहा
जब उ पचे कित्तियन क देस मँ आपन राहे जात रहेन।
2 हे सागरे क निचके बसइया लोगो, रूका अउर सोक मनावा!
हे, सीदोन क सौदागरो सोक मनावा, सीदोन तोहरे सँदेसावाहक समुद्दर पर जावा करत रहेन।
ओ लोग तोहका धन दौलत स भरि दिहेन।
3 उ सबइ लोग अनाजे क तलास मँ समुद्दर मँ जात्रा करत रहेन।
सोर क उ सबइ लोग नील नदी क आस पास जउन अनाज पैदा होत रहा, ओका मोल लइ लेत रहा करत रहेन
अउर फुन उ अनाज क दूसर देसन मँ बेचा करत रहेन।
4 हे सीदोन, तोहका सर्म आवइ चाही।
काहेकि अब सागर अउर सागर क किला कहत ह:
मइँ सन्तान रहित हउँ।
मोका जच्चा क बेदना क गियान नाहीं अहइ।
मइँ कउनो बच्चे क जनम नाहीं दिहेउँ।
मइँ युवती व युवक क पालिके बड़ा नाहीं किहेउँ।
5 मिस्र सोर क खबर सुनी
अउर इ खबर मिस्र क दुःख देइ।
6 तोहार जलयान तर्सीस क लउटि जाइ चाही।
हे सागरतट वासियो! दुःखे मँ बूड़ जा।
7 बीते दिनन मँ, तू पचे सोर क महिमा स आनन्द लिहा।
इ नगरी सुरू स ही विकसित होत रही, उ नगर क लोग नगरन स कहूँ दूर बसइ बरे जात्र किहेन।
8 सोर क नगर बहोत सारे नेता पैदा किहेस।
हुवाँ क बइपारी राजपूतन क समान होत हीं
अउर उ सबइ लोग वस्तुअन खरीदत अउ बेचत हीं।
उ पचे हर कहूँ आदर पावत हीं, तउ कउन सोर क खिलाफ जोजनन रचेस ह।
9 हाँ, सर्वसक्तीमान यहोवा उ सबइ जोजना बनाए रहा।
उहइ ही ओनका महत्व स पूर्ण न बनावइ क निहचय किहे रहा।
10 हे तर्सीस क जहाजो तू पचे अपने देस क लउटि जा।
तू पचे सागरे क अइसे पार करा जइसे उ नान्ह स नदी होइ।
कउनो भी मनई अब तू सबन्क नाहीं रोकी।
11 यहोवा आपन हाथ सागर क ऊपर फइलाएस ह
अउर राज्जन क कँपाइ दिहस।
यहोवा कनान देस क बारे मँ आदेस दइ दिहस
कि ओकरे गढ़ियन क नस्ट कइ दीन्ह जाइ।
12 यहोवा कहत ह, “हे! सीदोन क कुँवारी बिटिया, तोहका बर्बाद कीन्ह जाइ।
अब तू अउर जियादा आनन्द न मनाइ पाई।”
किन्तु सोर क निवासी कहत हीं, “हमका कित्तीम बचाई।”
किन्तु अगर तू सागरे क पार कइके कित्तीम जा हुवाँ भी तू चैन क ठउर न पउब्या।
13 एह बरे सोर क निवासी कहा करत हीं,
“बाबुल क लोग हम क बचइहीं।”
किन्तु तू बाबुल क लोगन क धरती पइ लखा।
एक देस क रूप मँ आजु बाबुल क कउनो अस्तित्व नाहीं अहइ।
बाबुल क ऊपर अस्सूर चढ़ाई किहस
अउर ओकरे चारिहुँ ओर बुर्जियन बनाएस।
फउजियन सुन्नर घरन क सब धन लूट लिहन।
अस्सूर बाबुल क जँगली पसुअन क घर बनाइ लिहस।
उ पचे बाबुल क खण्डहरन मँ बदल दिहन।
14 तउ तर्सीस क जलयानो तू पचे बिलाप करा।
तोहार सबन्क सुरच्छा ठउर (सोर) बर्बाद होइ जाइ।
15 सत्तर बरिस तलक लोग सोर क बिसरि जइहीं। (इ समय, कउनो राजा क सासनकाल क बराबर समय माना जात रहा।) सत्तर बरिस क पाछे, सोर एक रण्डी क नाई होइ जाइ। इ गीत मँ:
16 हे रण्डी! जेका मनसेधूअन बिसराइ दिहन।
तू आपन वीणा उठावा अउर इ नगर मँ घूमा।
तू आपन गीत क अच्छी तरह बजावा,
तू अक्सत आपन गीत गावा करा।
तबहिं तोहका लोग फुन स याद करिहीं।
17 सत्तर बरिस क पाछे, परमेस्सर सोर क समस्या पइ विचार करब। सोर फुन आपन मज़दूरी एक रण्डी क नाई धरती क सबहिं रास्ट्रन क संग बइपार कइके प्राप्त करइ लागी। 18 किन्तु सोर जउने धन क कमाई ओका रख नाहीं पाई। सोर उ लाभ क जउन उ बइपार मँ कमाएस ह, यहोवा बरे सुरच्छित रहीं। सोर ओका ओन लोगन क देइ जउन यहोवा क सेवा करत अहा। एह बरे यहोवा क सेवक भर पेट खइया क खइहीं अउर नीक ओढ़ना पहिरहीं।
परमेस्सर इस्राएल क सजा देइ
24 लखा! यहोवा इ धरती क बर्बाद करी। यहोवा भूचालन क जरिये इ धरती क मरोड़ देइ। यहोवा लोगन क कहूँ दूर जाइ क मजबूर करी। 2 उ समय, हर कउनो क संग एक जइसी घटनन घटिहीं, साधारण मनई अउ याजक एक जइसे होइ जइहीं। सुआमी अउर सेवक एक जइसे होइ जइहीं। दासियन अउर ओनकर सुआमियन एक समान होइ जइहीं। मोल लेइवाले अउर बेसइवाले एक जइसे होइ जइहीं। कर्जा लेइवालन अउर कर्जा देइवालन लोग एक जइसे होइ जइहीं। धनवान अउर दीन लोग एक जइसे होइ जइहीं। 3 सबहिं लोगन क हुवाँ स ढकेल बाहेर कीन्ह जाइ। सारी धन दौलत छोरी लीन्ह जइहीं। अइसा एह बरे घटी काहेकि यहोवा अइसा ही आदेस दिहस ह। 4 देस उजड़ जाइ अउर दुःखी होइ। दुनिया खाली होइ जाइ अउर उ दुर्बल होइ जाइ। इ धरती क महान नेता सक्तिहीन होइ जइहीं।
5 इ धरती उ लोगन दुआरा दूसित कइ दीन्ह ग अहइ जउन एह पइ रहत हीं। अइसा कइसा होइ गवा? लोग परमेस्सर क सिच्छा क विरोध मँ गलत काम किहेन। लोग परमेस्सर क नेमन क पालन नाहीं किहन। बहोत पहिले उहइ लोग परमेस्सर क संग एक करार किहे रहेन। किन्तु परमेस्सर क समन्वा कीन्ह गवा उ करार क उ पचे उल्लंघन किहेस। 6 इ धरती क रहइवाले लोग अपराधी अहइँ। एह बरे परमेस्सर इ धरती क नस्ट करइ क निहचय किहस। ओन लोगन क सजा दीन्ह जाइ अउर हुवाँ थोड़े स लोग ही बचि पइहीं।
7 अगूंर क बेलन मुरझात अहइँ। नई दाखरस क कमी पड़ति अहइ। पहिले लोग खुस रहेन। किन्तु अब उ पचे ही लोग दुःखी अहइँ। 8 लोगन आपन खुसी बियक्त करइ तजि दिहे अहइँ। खुसी क सबहिं ध्वनियन रूकि गइ बाटिन। खँजरियन अउ वीणन क आनन्द स भरा संगीत खतम होइ चुका अहइ। 9 अब लोग दाखरस पिअत अहइँ, तउ खुसी क गीत नाहीं गउतेन। अब जब मनई दाखरस पिअत हीं, तब उ ओका कड़ुई लागत ह।
10 इ सहर क एक नीक स नाउँ अहइ, “गड़बड़ स भरा”, इ नगर क बिनास कीन्ह गवा। लोग घरन मँ नाहीं घुस सकतेन। दुआर बंद होइ चुका अहइँ। 11 गलियन मँ दुकानन पइ लोग अबहुँ भी दाखरस क पूँछत हीं, किन्तु समूची खुसी जाइ चुकी अहइ। आनन्द तउ दूर कइ दीन्ह ग अहइ। 12 नगर बरे बस बिनास ही बचत अहइ। दुआर तलक चकनाचूर होइ चुका अहइँ।
13 फसल क समय लोग जइतून क बृच्छ स जइतून क गिरावा करिहीं।
किन्तु केवल कछू ही जइतून बृच्छन पइ बचिहीं!
जइसे अंगूरे क फसल उतारइ क पाछे थोड़ा स अंगूर बचे रहि जात हीं,
अइसा ही इ धरती क रास्ट्रन क संग होइ।
14 बचे भए लोग ऊँची आवाज़ मँ स्तुति करीं।
दूरगामी देस क लोग यहोवा क महानता क स्तुति करिहीं अउर उ पचे, खुस होइहीं।
15 उ सबइ लोग कहा करिहीं, “पूर्व क लोगो, यहोवा क तारीफ करा।
दूर देस क लोगो,
इस्राएल क परमेस्सर यहोवा क नाउँ क गुण गान करा।”
16 इ धरती पइ हर कहूँ हम परमेस्सर क स्तुति क गीत सुनब।
ऍन गीतन मँ परमेस्सर क स्तुति होइ।
किन्तु मइँ कहत हउँ, “मइँ बरबाद होत रहत हउँ।
मइँ जउन कछू भी लखत हउँ सब कछू खउफनाक अहइ।
गद्दार लोग, लोगन क विरोधी होत रहत हीं,
अउर ओनका चोट पहोंचावत हीं।”
17 मइँ धरती क बसइयन पइ खतरा आवत लखत हउँ।
मइँ ओनके बरे भय, गड़हन अउर फँदन लखत हउँ।
18 लोग खतरे क सुनिके
डर स काँपि जइहीं।
कछू लोग, पराइ जइहीं
किन्तु उ सबइ गड़हन अउर फँदन मँ जाइ गिरिहीं
अउर ओन गड़हन स कछू चढ़िके बचि निकरि अइहीं,
किन्तु उ पचे फुन दूसर फंदन मँ फँसिहीं।
ऊपर अकासे क छाती फटि जाइ जाइसे बाढ़ क दुआर खुलि गवा होइँ।
बाढ़न आवइ लगिहीं अउर धरती क नेंव डगमग हिलइ लागी।
19 भूचाल आइ
अउर धरती फट जाइहीं।
20 संसार क पाप बहोत भारी अहइँ।
उ भारे स दबिके इ धरती गहराइ जाइ।
इ धरती कउनो झोपड़ी स काँपी
अउर नसे मँ धुन्त कउनो मनई क तरह धरती गिर जाइ।
इ धरती बनी न रही।
21 उ समय यहोवा सब क निआव करी।
उ समय यहोवा अकासे मँ सरग क फउजन
अउर धरती क राजा उ निआव क विषय होइहीं।
22 एन सबन क एक संग एकट्ठा कइ दीन्ह जाइ।
ओनमाँ स कछू काल कोठरी मँ बन्द होइहीं
अउर कछू कारागार मँ रइहीं।
किन्तु अंत मँ बहोत समय क पाछे एन सबन्क निआव होइ।
23 यरूसलेम मँ सिय्योन क पहाड़े पइ यहोवा राजा क रूप मँ राज्ज करी।
अग्रजन क समन्वा ओकर महिमा होइ।
ओकर महिमा ऍतनी भव्व होइ कि चँदा व्याकुल होइ जाइ,
सूरज लजाइ जाइ।
परमेस्सर क एक स्तुति-गीत
25 हे यहोवा, तू मोर परमेस्सर अहा।
मइँ तोहरे नाउँ क स्तुति करत हउँ अउर मइँ तोहका सम्मान देत हउँ।
तू अनेक अद्भुत कार्य किहा ह।
जउन भी सब्द तू बहोत पहिले कहे रह्या उ सबइ पूरी तरह स फुरइ अहइँ।
हर बात वइसी ही घटी जइसी तू बताए रह्या।
2 तू नगर क नस्ट किहा।
उ नगर सुदृढ़ चहरदीवारी स संरच्छित रहा।
किन्तु अब उ मात्र पाथरन क ढेर रहि गवा।
परदेसियन क महल नस्ट कइ दीन्ह गवा।
अब ओकर फुन स निर्माण नाहीं होइ।
3 सामर्थी लोग तोहार महिमा करिहीं।
क्रूर जातियन क नगर तोहसे डेरइहीं।
4 यहोवा तू निर्धन लोगन बरे जउन जरूरतमंद अहइँ, सुरच्छा क ठउर अहा।
अनेक बिपत्तियन ओनका पराजित करइ क आवत हीं किन्तु तू ओनका बचावत ह।
तू एक अइसा भवन अहा जउन ओनका तूफानी बर्खा स बचावत ह
अउर तू एक अइसी हवा अहा जउन ओनका गर्मी स बचावत ह।
बिपत्तियन खउफनाक आँधी अउर घनघोर बर्खा जइसी आवत ह।
बर्खा देवारन स टकरात ह अउर खाले बहि जात ह
किन्तु मकाने मँ जउन लोग अहइँ, ओनका नोस्कान पहोंचावत ह।
5 नारा लगावत भए दुस्मन ललकारेस।
घोर दुस्मन चुनौती देइ क ललकारेस।
किन्तु तू हे परमेस्सर, ओनका रोक लिहा।
उ सबइ अइसे रहेन जइसे गर्मी कउनो खुस्क जगह पइ।
तू ओन क्रूर लोगन क विजय गीत अइसे रोक दिहे रह्या जइसे सघन मेघन क छाया गर्मी क दूर करत ह।
आपन सेवकन बरे परमेस्सर क भोज
6 उ समय, सर्वसक्तीमान यहोवा इ पर्वते प सबहिं रास्ट्रन बरे एकठु भोज क प्रबंध करी। भोजे मँ स्वादिस्ट खइया क अउ दाखरस परोसा जाइ। भोज मँ नर्म अउ मज़ेदार गोस्त परोसा जाइ।
7 किन्तु अब लखा, एक अइसा पर्दा अहइ जउन सबहिं जातियन अउर सबहिं मनइयन क ढके अहइ। इ पर्दे क नाउँ अहइ, “मउत।” 8 किन्तु मउत क हमेसा बरे अंत कइ दीन्ह जाइ अउर मोर सुआमी यहोवा हर आँखी क आँसू पोंछ देइ। बीते समय मँ ओकर सबहिं लोग सर्मिन्दा रहेन। यहोवा ओनकर लज्जा क इ धरती पइ स हरण कइ लेइ। इ सब कछू घटी काहेकि यहोवा कहे रहा, अइसा होइ।
9 उ समय लोग अइसा कहिहीं,
“लखा इ हमार परमेस्सर अहइ।
इ उहइ अहइ जेकर हम बाट जोहत रहे।
इ हमका बचावइ क आवा अहइ।
हम आपन यहोवा क प्रतीच्छा करत रहे।
एह बरे हम खुसियन मनाउब अउर खुस होब कि यहोवा हमका बचाएस ह।”
10 इ पहाड़े पइ यहोवा क सक्ति अहइ
अउर मोआब पराजित होइ।
यहोवा सत्रु क अइसा कुचिर डाइ
जइसे भूसा कुचरा जात ह जउन खाद क ढेर मँ होत ह।
11 यहोवा आपन हाथ अइसे पसारी जइसे कउनो तैरत भवा मनई फइलावत ह।
तब यहोवा ओन सबहिं वस्तुअन क एकट्ठा करी जेन पइ लोगन क गर्व अहइ।
यहोवा ओन सबहिं सुन्नर वस्तुअन क बटोर लेइ जेनका उ पचे बनाए रहेन
अउर उ एन वस्तुअन क लोकाइ देइ।
12 यहोवा लोगन क ऊँच देवारन क नस्ट कइ देइ।
यहोवा ओनके सुरच्छा ठउरन क नस्ट कइ देइ।
यहोवा ओनका धरती क धूरि मँ पटक देइ।
परमेस्सर क एक स्तुति-गीत
26 उ समय, यहूदा क लोग इ गीत गइहीं:
यहोवा हमका मुक्ति देत ह।
हमार एक सुदृढ़ नगरी अहइ।
हमरे नगर क सुदृढ़ परकोटा अउ सुरच्छा अहइ।
2 ओकरे दुआरन क खोला ताकि भले लोग ओहमाँ प्रवेस करइँ।
उ सबइ लोग परमेस्सर क जिन्नगी क खरी राहे का पालन करत हीं।
3 हे यहोवा, तू हमका सच्चा सान्ति प्रदान करत ह।
तू ओनका सान्ति दिया करत ह, जउन तोहरे भरोसे अहइँ
अउर तोह पइ बिस्सास रखत हीं।
4 एह बरे सदा ही यहोवा पइ बिस्सास करा।
काहेकि “यहोवा याह” ही तोहार हमेसा सर्वदा बरे सरण क ठउर होइ।
5 किन्तु अभिमानी नगर क यहोवा निहुराएस ह
अउर हुवाँ क निवासियन क उ सजा दिहेस ह।
यहोवा उ ऊँच बसी नगरी क धरती पइ गिराएस।
उ एका धूरि मँ मिलावइ गिराएस ह।
6 तब दीन अउ नम्र लोग नगरी क खण्डहरन क आपन गोड़े तले रौंदि देइहीं।
7 खरापन खरे लोगन क जिअइ क ढंग अहइ।
खरे लोग उ राहे पइ चलत हीं जउन सोझ अउ सच्ची होत ह।
परमेस्सर, तू उ राहे क चलइ बरे सुखद
व सहल बनावत ह।
8 किन्तु हे परमेस्सर! हम तोहरे निआव क मारग क बाट जोहत अही।
हमार मन तोहका अउर तोहरे नाउँ क सुमिरन करइ चाहत ह।
9 मोर मत राति भर तोहरे साथ रहइ चाहत ह
अउर मोरे अन्दर क आतिमा हर नए दिन क सबेरे तोहरे साथ रहइ चाहत ह।
जब धरती पइ तोहार निआउ आइ,
लोग खरी जिन्नगी जिअइ सीख जइहीं।
10 जदि तू सिरिफ दुट्ठ पइ दाया देखावत रह्या
तउ उ कबहुँ भी अच्छे करम करब नाहीं सीखी।
दुट्ठ जन चाहे भले लोगन क बीच मँ रहइ मुला तब उ भी बुरे करम करत रही।
उ दुट्ठ कबहुँ भी यहोवा क बड़प्पन नाहीं देख पाइ।
11 हे यहोवा तू ओनका सजा देइ क तत्पर अहा
किन्तु उ पचे एका नाहीं लखतेन।
हे यहोवा तू आपन लोगन पइ आपन असीम पिरेम देखॉवत अहा
जेका लखिके दुट्ठ जन लज्जित होइ जात हीं।
तोहार दुस्मन आपन ही पापे क आगी मँ जरिके भसम होइ जइहीं।
12 हे यहोवा, हमका कामयाबी तोहरे ही कारण मिली ह।
तउ कृपा कइके हमका सान्ति द्या।
यहोवा आपन लोगन क नवा जीवन देइ
13 हे यहोवा, तू हमार परमेस्सर अहा
किन्तु पहिले हम पइ दूसर देवता राज करत रहेन।
हम दूसर सुआमियन स जुड़े भए रहेन
किन्तु अब हम इ चाहित ह कि लोग बस एक ही नाउँ याद करइँ उ अहइ तोहार नाउँ।
14 अब उ पचे सुआमी जिअत नाहीं अहइँ।
उ सबइ भूत आपन कब्रन स कबहुँ भी जिअत नाहीं उठिहीं।
तू ओनका बर्बाद करइ क निहचय किहे रह्या
अउर तू ओनकर याद तलक क मेट दिया।
15 हे यहोवा, तू जाति क बढ़ाया।
जाति क बढ़ाइके तू महिमा पाया।
तू प्रदेस क चउहद्दी क बढ़ाया।
16 हे यहोवा, तोहका लोग
दुःखे मँ याद करत हीं,
अउर जब तू ओनका सजा दिया करत ह
तब लोग तोहार गूँगी पराथनन करत हीं।
17 हे यहोवा, हम तोहरे कारण अइसे होत हँ
जइसे जच्चा पीरा क झेलत मेहरारू होइ
जउन बच्चा क जनम देत समय रोवत बिलखत अउर पीरा भोगत ह।
18 इहइ तरह हम भी गर्भधारण कइके पीरा भोगित ह।
हम जनम देइत ह किन्तु सिरिफ वायु क।
हम संसार क नवा लोग नाहीं दइ पाए।
हम धरती क उद्धार पइ नाहीं लिआए पाए।
19 यहोवा कहत ह,
“मरे भए तोहार लोग फुन स जी जइहीं।
मरे लोगन क देह मउत स जी उठी।
हे मरे भए लोगो,
हे धूरि मँ मिल भवो,
उठा अउ तू पचे खुस होइ जा।
उ ओस जउन तोहका घेरे भए अहइ,
अइसी अहइ जइसे रोसनी मँ चमकत भइ ओस।
धरती ओनका फुन जनम देइ
जउन अबहिं मरे भए अहइँ।”
निआव पुरस्कार या सजा
20 हे मेरे लोगो, तू पचे आपने कोठरियन मँ जा।
आपन क थोड़े समय बरे
आपन कमरन मँ छिपा ल्या।
परमेस्सर क किरोध बहोत जल्द सान्त होइ जाइ।
21 यहोवा धरती क लोगन क पापन क निआव करी बरे
सरग क आपन ठउरे क तजि देइ।
धरती अब मरा भवा लोगन क अउर न ढाँपिहीं।
धरती खुद पइ बहाइ गवा खून क राज क फास करिहीं।
27 उ समय, यहोवा लिब्यातान क निआव करी
जउन एक फ़रार सरप अहइ।
यहोवा आपन बड़की अउ सक्तीसाली तरवार क उपयोग
कुंडली मारे सरप लिब्यातान क मारइ मँ करी।
यहोवा सागरे क भीमकाय प्राणी क मारि डाइ।
2 उ समय, हुवाँ खुसियन स भरा अंगूरे क एक बाग होइ।
तू पचे ओकर गीत गावा।
3 “मइँ यहोवा, उ बाग का धियान रखब।
मइँ बागे क उचित समये पइ सींचब।
मइँ बगीचे क रात दिन रखवारी करब
ताकि कउनो भी ओका नोस्कान न पहोंचाइ पावइ।
4 मइँ कुपित नाहीं होब।
जदि काँटा कँटेरी मोका हुवाँ मिलइ तउ मइँ वइसे रौंदब
जइसे फउजी रौंदत चला जात ह अउर ओनका फूँक डाउब।
5 लेकिन अगर कउनो मनई मोरी सरण मँ आवइ
अउर मोहसे मेल करइ चाहइ
तउ उ चला आवइ अउर मोहसे मेल करि लेइ।
6 आवइ वाले दिनन मँ याकूब क लोग उ पउधे क समान होइहीं जेकर उड़न उत्तिम होत हँ।
याकूब क बिकास उ पनपते पउधे सा होइ जेह पइ बहार आई होइ।
फुन धरती याकूब क बंसजन स भरि जाई जइसे बृच्छन क फलन स उ भर जात ह।”
परमेस्सर इस्राएल क खोज निकारत ह
7 यहोवा आपन लोगन क ओतना दण्ड नाहीं दिहस ह जेतना उ ओनके दुस्मनन क दिहस ह। ओकर लोग ओतने नाहीं मरेन ह जेतने उ सबइ लोग मरेन ह जउन एन लोगन क मारइ बरे प्रयत्नसील रहेन।
8 यहोवा इस्राएल क दूर पठइके ओकरे संग आपन विवाद सुलझाइ लेइ। यहोवा इस्राएल क उ तेज हवा क झोंके स उड़ाइ दिहस जउन रेगिस्ताने क गरम लू क समान होत ह।
9 याकूब क अपराध कइसे छिमा कीन्ह जाइ? ओकरे पापन्क कइसे दूर कीन्ह जाइ? इ सबइ बातन घटिहीं, वेदी क सबइ सिला चकनाचूर होइके धूरि मँ मिल जइहीं, लबार देवतन क स्तम्भ अउर ओनकर पूजा क वेदियन तहस-नहस कइ दीन्ह जाइ।
10 इ नगरी नस्ट होइ जाब्या। सब लोग कहूँ दूर भाग जाब्या। उ नगर एक खुली चरागाह जइसा होइ जाब। मवेसियन क बच्चन हुआँ घाँस खाइहीं मवेसी अंगूरे क बेलन स पातियन खाइहीं होइ। 11 इ सहर उ अंगूर क बेलन क नाईं अहइ जउन फसल काटि स पहिले ही सूख ग अहइ, काहेकि एकर डारन मरि गवा अहइ। एह बरे डारन टूटिके गिर ग अहइँ। मेहररूअन ओन डारन जराइ बरे आइँ। इ सबइ लोग मूरख अहइँ। एह बरे ओकर बनाइवाला ओकर प्रति दया नाहीं देखॉइ। ओनकर रचयिता ओनके बरे दयालु नाहीं होइ।
12 उ समय, यहोवा दूसर लोगन स आपन लोगन क अलग करइ लागी। परात नदी स उ इ कारज क आरम्भ करी। परात नदी स लइके मिस्र क नदी तलक यहोवा तू इस्राएलियन क एक-एक क कइके एकट्ठा करी। 13 अस्सूर मँ अबहिं मोर बहुत स लोग खोए भए अहइँ। मोर कछू लोग मिस्र क पराइ ग अहइँ। किन्तु उ समय तलक एक बिसाल भेरी बजाई जाइ अउर उ सबइ सबहिं लोग वापिस यरूसलेम आइ जइहीं अउ उ पवित्तर पर्वत पइ यहोवा क समन्वा उ सबइ सबहिं लोग निहुरि जइहीं।
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