Chronological
सूक्ति संग्रह
7 सुजस, अच्छी सुगन्धि स उत्तिम अहइ।
अउर उ दिन जब मनई मरी, इ दिन उ दिन स उत्तिम होइ जब उ पइदा होइ।
2 उत्सव मँ जाइ स जाब, सदा उत्तिम हुआ करत ह।
काहेकि सबहिं लोगन क मउत तउ निहचित अहइ। हर जिअत मनई क सोचइ चाही एका।
3 हँसी क ठहाके स सोक उत्तिम अहइ।
काहेकि जब हमारे मुखे पइ उदासी क वास होत ह, तउ हमार हिरदय सुद्ध होत हीं।
4 विवेकी मनई तउ सोचत ह मउत क
किन्तु मूरख जन तउ बस सोचत रहत हीं कि गुजरइ समय नीक।
5 विवेकी स निन्दित होब उत्तिम होत ह,
बनिस्बत एकरे कि मूरख स तारीफ कीन्ह जाइ।
6 मूरख क ठहाका तउ बेकार होत ह।
इ वइसे ही होत ह जइसे बर्तन क नीचे काँटे दरदराई।
7 अत्याचार विवेकी क भी मूरख बनाइ देत ह,
अउर घूस मँ मिला धन ओकर मति क हर लेत ह।
8 बात क सुरू करइ स अच्छा ओकर अन्त करब अहइ।
नम्रता अउर धीरज, गुस्सा दिखावइ अउर अहंकार स उत्तिम अहइ।
9 किरोध मँ हाली स जिन आवा।
काहेकि किरोध मँ आउब मूर्खता अहइ।
10 जिन कहा, “अच्छे दिनन क का भएन, तब सबकछू ‘ठीक-ठाक रहेन।’
इ सवाल बुद्धि स नाहीं आवत हीं।”
11 जइसे वसीयतनामा मँ सम्पत्ति क पाउब अच्छा अहइ वइसे ही बुद्धि क पाउब भी उत्तिम अहइ। जिन्नगी बरे इ लाभदायक अहइ। 12 धने क समान बुद्धि भी रच्छा करत ह। बुद्धि क गियान मनई क जिन्नगी क रच्छा करत ही।
13 परमेस्सर क रचना क लखा। जेका परमेस्सर टेढ़ा कइ देइहीं ओका तू सीधा कर सकत्या। 14 जब जिन्नगी उत्तिम अहइ तउ ओकर रस ल्या मुला जब जिन्नगी कठिन अहइ तउ याद राखा कि परमेस्सर हमका कठिन समय देत अहइ अउर अच्छा समय भी देत अहइ इसलिए भियान का होइ इ तउ कउनो नाहीं जानत।
लोग फुरइ नीक नाहीं होइ सकतेन
15 आपन छोटी स जिन्नगी मँ मइँ सब कछू लखेउँ ह। मइँ लखेउँ ह अच्छे लोग जवानी मँ ही मरि जात हीं। मइँ लखेउँ ह कि बुरे लोग लम्बी आयु तलक जिअत रहत हीं। 16-17 तउ अपने क हलाकान काहे करत अहा? न तउ बहोत जियादा धर्मी बना अउर न ही बुद्धिमान इ तोहका नास करब। न तउ बहोत जियादा दुट्ठ बना अउर न ही मूरख अन्यथा समय स पहिले तू मरि जाब्या।
18 तनिक इ बना अउर तनिक उ। हिआँ तलक कि परमेस्सर क मनवइयन भी कछू अच्छा करिहीं तउ पाप भी। 19-20 निहचय ही इ धरती पइ कउनो अइसा नीक मनई नाहीं अहइ जउन सदा अच्छा ही अच्छा करत ह अउर बुरा कबहुँ नाहीं करत। बुद्धि मनई क सक्ति देत ह। कउनो सहर क दस मूरख सासकन स एक साधारण बुद्धिमान मनई जियादा सक्तीसाली होत ह।
21 लोग जउन बातन कहत रहत हीं ओन सब पइ कान जिन द्या। होइ सकत ह तू आपन सेवक क ही तोहरे बारे मँ बुरी बातन कहत सुना। 22 अउर तू जानत अहा कि तू भी अनेक अवसरन पइ दूसर लोगन क बारे मँ बुरी बातन कहया ह।
23 एन सब बातन क बारे मँ मइँ आपन बुद्धि अउर विचारन क प्रयोग किहा ह। मइँ फुरइ बुद्धिमान बनइ चाहेउँ ह मुला इ तउ असंभव रहा। 24 मइँ समुझ नाहीं पावत कि बातन वइसी काहे अहइँ जइसी उ सबइ अहइँ। कउनो क बरे इ समुझब बड़ा मुस्किल अहइ। 25 मइँ अध्ययन किहेउँ अउर सच्ची बुद्धि क पावइ बरे बहुत कठिन मेहनत किहेउँ। मइँ हर चीज क कउनो कारण हेरइ क प्रयास किहेउँ किन्तु मइँ जानेउँ का?
मइँ जानेउँ कि बुरा होब बेवकूफी बाटइ मूरखपन पागलपन अहइ। 26 मइँ इ भी पाएउँ कि कछू मेहररूअन एक फन्दा क नाई खतरनाक होत हीं। ओनकर हिरदय जाल जइसे होत हीं अउर ओनकर बाहन जंजीरन क तरह होत हीं। जउन लोग परमेस्सर क खुस करत हीं, अइसी मेहररूअन स बच निकरत हीं मुला उ सबइ लोग जउन परमेस्सर क नाखुस करत हीं ओनके जरिये फाँस लीन्ह जात हीं।
27 उपदेसक कहत ह, “इ सब कछू एकत्र कइके इहइ अहइ जउन मइँ पाएस। 28 मोर पूरा खोज बिचार क पाछा इहइ मइँ पाएउँ। हजारन मँ एक ठु मनई रहा जेका एकर छूट रही, कउनो मेहरारु क नाहीं।
29 “इहइ अहइ जउन मइँ पाएन, परमेस्सर लोगन क इमान्दार अउर सीधा बनावत ह, किन्तु लोग जल्द ही आपन राह पावइ बरे जोजना बनावत ह।”
बुद्धि अउर सक्ति
8 वस्तुअन क जउने तरह एक बुद्धिमान मनई समुझ सकत ह अउर ओनकर बियाख्या कइ सकत ह, वइसे कउनो भी नाहीं कइ सकत ह। बुद्धि एक दुःखी मुँह क खुस मुँहे मँ बदल देत ह।
2 मइँ तू पचन्स कहत हउँ कि तू पचन्क सदा ही राजा क आग्या मानइ चाही। अइसा एह बरे करा काहेकि तू पचे परमेस्सर क बचन दिहे रह्या। 3 राजा क उपस्थिति स हटि मँ हाली जिन करा अउर बुरा जोजनन मँ सामिल जिन हो। जदि हालात प्रतिकुल होइँ तउ ओकरे इर्द-गिर्द जिन रहा काहेकि उ तउ उहइ करी जउन ओका नीक लागी। 4 आग्यन देइ क राजा क अधिकार अहइ, कउनो नाहीं पूछ सकत कि उ का करत अहइ। 5 जदि हुकुम क पालन करत ह तउ उ सुरच्छित रही। एक बुद्धिमान मनई जानत अहइ कि का उचित ह अउर कब अहइ।
6 काहेकि सबइ कार्य के लिए उचित समइ अउर रास्ता अहइ, मुला लोग उ प बदकिस्मती स काफी झूठ बोलइही। 7 अगर अगवा अनिहचित होइ। काहेकि भविस्स मँ का होइ इ तउ ओका कउनो भी बताइ नाहीं सकत।
8 कउनो मँ इ सक्ती नाहीं कि उ हवा क रोक सकत। इहइ तहर स कउनो मनई मँ अइसी सक्ती नाहीं अहइ कि उ आपन मउत क रोकि देइ। जब जुद्ध चलत रहत होइ तउ कउनो भी फउजी क इ अजादी नाहीं अहइ कि उ जहाँ चाहइ चला जाइ। इहइ तरह जदि कउनो मनई बुरा करत ह तउ उ बुराई उ मनई क अजाद नाहीं रहइ देत।
9 मइँ इ सबइ बातन लखेउँ ह। इ जगत मँ जउन कछू घटत ह ओन बातन क बारे मँ मइँ बड़ी हलबुली मँ सोचेउँ ह उ समइ जब दूसर सासन करइ हीं ओका नोक्सान पहोंचात अहइ। 10 मइँ ओन बुरे मनइयन क बहोत बिसाल सुन्दर ल्हास-जात्रन लखेउँ ह। अउर ल्हास जात्रन क पाछे लोग जब घरे लउटत हीं तउ उ पचे जउन बुरा मनई मरि चुका अहइ ओकरे बारे मँ नीक नीक बातन करत हीं। अइसा उहइ नगर मँ हुआ करत ह जहाँ उ बुरा मनई बहोत स बुरा काम किहेस ह। इ बगैर अरथ क अहइ।
निआव प्रतिदान अउर दण्ड
11 कबहुँ कबहुँ लोग जउन बुरे काम किहेन ह, ओनके बरे ओनका तुरंत दण्ड नाहीं मिलत। एकरे कारण दूसर लोग भी बुरे करम करइ चाहइ लागत हीं।
12 कउनो पापी चाहे सैकड़न पाप करइ ओकर उमिर केतनी ही लम्बी होइ। मुला मइँ इ जानत हउँ कि जे परमेस्सर क सम्मान करब ओकर साथ उत्तिम होब। 13 बुरे लोग परमेस्सर क सम्मान नाहीं करतेन। तउ अइसे लोग अच्छा नाहीं करतेन। उ सबइ बुरे लोग अधिक समइ तलक जिअत नाहीं रइहीं। ओनकर जिन्नगी बूड़त सूरज मँ लम्बी स लम्बी होत जात छाया क नाई बड़ी नाहीं होइहीं।
14 इ धरती पइ एक बात अउर होत ह जउन मोका निआव क लायक नाहीं लागत। बुरे लोगन क संग बुरी बातन घटइ चाही अउर नीक लोगन क संग नीक बातन। मुला कबहुँ कबहुँ नीक लोगन क संग बुरा बातन घटत हीं अउर बुरे लोगन क संग नीक बातन। इ तउ निआव नाहीं अहइ। 15 तउ मइँ निहचय किहेउँ कि जिन्नगी क आनन्द लेब सबसे अच्छा अहइ। काहेकि इ जिन्नगी मँ एक मनई जउन सबसे नीक बात कइ सकत ह उ बाटइ खाब, पिअब अउर जिन्नगी क रस लेब। एहसे कम स कम मनई क इ धरती पइ ओकरे जिन्नगी क दौरान परमेस्सर करइ बरे जउन कठिन काम दिहेस ह ओकर आनन्द लेइ मँ मदद मिली।
16 इ जिन्नगी मँ लोग जउन कठिन काम करत हीं ओकर मइँ बड़े धियान क साथ अध्ययन किहेउँ ह। मइँ लखेउँ ह कि लोग केतना व्यस्त अहइँ। उ पचे अक्सर बगैर सोए राति दिन कामे मँ लगा रहत हीं। 17 परमेस्सर जउन करत ह ओन बहोत स बातन क भी मइँ लखेउँ ह कि धरती पइ परमेस्सर जउन कछू करत ह, लोग ओका समुझ नाहीं सकतेन। ओका समुझइ बरे मनई बार बार जतन करत ह। मुला फुन भी समुझ नाहीं पावत। अगर कउनो बुद्धिमान मनई इ भी कहइ कि उ परमेस्सर क कामन क समुझत ह तउ इ भी फुरइ नाहीं बाटइ। ओन सब बातन क तउ कउनो भी समुझ हीं सकत।
का मउत उचित अहइ?
9 मइँ इन सबहिं बातन क बारे मँ बड़े धियान स सोचेउँ ह अउर लखेउँ ह कि नीक अउर बुद्धिमान लोगन क संग जउन घटित होत ह अउर उ पचे जउन काम करत हीं ओन पर नियंत्रण परमेस्सर करत ह। लोग नाहीं जानतेन कि ओनका पिरेम मिली या घिना अउर लोग नाहीं जानतेन कि भियान का होइवाला अहइ।
2 किन्तु एक ठु बात अइसी अहइ जउन हम सबन क संग घटत ह-हम सबहिं मरित ह। मउत नीक लोगन क भी आवत ह अउर बुरे लोगन क भी। अपित्तर लोगन क जइसा पवित्तर लोगन क भी मउत आवत ह। धर्मी लोग जउन बलिदान चढ़ावत ह उ भी वइसे ही मरत ह जइसे उ लोग जउन बलिदान नाहीं चढ़ावत ह। अच्छे लोग भी बुरे लोग जइसा मरत हीं। उ मनई जउन परमेस्सर क बिसेस बचन देत ह, उ भी वइसे ही मरत ह जइसे उ मनई जउन परमेस्सर क बचन देइ स घबरात ह।
3 इ जिन्नगी मँ जउन भी कछू घटित होत ह ओहमाँ सबसे बुरी बात इ अहइ कि सबहि लोगन क अंत एक ही तरह स होत ह। साथ ही इ भी बहोत बुरी बात अहइ कि लोग जिन्नगी भर सदा ही बुरे अउर बेवकूफी स भरे विचारन मँ पड़ा रहत हीं अउर आखिर मँ मरि जात हीं। 4 हर उ मनई क बरे जउन अबहिं जिअत अहइ, एक आसा बची अहइ। एहसे कउनो अंतर नाहीं पड़त कि उ कउन अहइ? इ कहावत फुरइ अहइ:
कउनो मरे भए सेर स एक जिअत कूकूर नीक अहइ।
5 जिअत लोग जानत हीं कि ओनका मरब अहइ। किन्तु मरे भए तउ कछू भी नाहीं जानतेन। मरे भएन क कउनो अउर प्रतिदान नाहीं मिलत। लोग ओनका हाली ही बिसरि जात हीं। 6 कउनो मनई क मरि जाए क पाछे ओकर पिरेम घिना अउर ईर्स्या सब समाप्त होइ जात हीं। मरा भवा मनई संसार मँ जउन कछू होत अहइ, ओहमाँ कबहुँ हींसा नाहीं बटावत।
जिन्नगी क आनन्द ल्या जबकि तू लइ सकत ह
7 तउ तू अब जा अउर आपन खइया क खा अउर ओकर आनन्द ल्या। आपन दाखमधु पिआ अउर खुस रहा। अगर तू इ सबइ बातन करत अहा तउ इ सबइ बातन परमेस्सर स समर्थित अहइँ। 8 उत्तिम ओढ़ना पहिरा अउर सुन्नर दिखा। 9 जउन पत्नी क तू पिरेम करत अहा ओकरे संग जिन्नगी क भोग करा। आपन अरथहीन जिन्नगी क जेका परमेस्सर तोहका इ धरती मँ दिहस, उ सबइ क बरे जेका तू अपने जिन्नगी मँ पाइ, इ संसार मँ कठिन करम करइ क पाइ, स हर एक दिन क आनन्द ल्या। 10 जेका तू कइ सकत ह, एका तू जेतॅनी उत्तिमता स कइ सकत ह करा। कब्र मँ तउ कउनो काम होइ ही नाहीं। हुआँ न तउ चिन्तन होइ, न गियान अउर न विवेक अउर मउत क उ ठहर क हम सबहिं तउ जात अही।
सौभाग्य? दुर्भाग्य? हम कर का सकित ह?
11 मइँ इ जिन्नगी मँ कछू अउर बातन लखेउँ ह। सबसे जियादा दउड़इवाला सदा ही दउड़ मँ नाहीं जीतत, सक्तीसाली सेना ही जुद्ध मँ सदा नाहीं जीतत। सबसे जियादा बुद्धिमान मनई ही सदा कमाई क नाहीं खात। सबसे जियादा चुस्त मनई ही सदा धन दौलत हासिल नाहीं करत ह अउर एक पढ़ा लिखा मनई ही सदा वइसी तारीफ नाहीं पावत जइसी तारीफ क उ जोग्ग अहइ। जब समय आवत ह तउ हर कउनो क संग बुरी बातन घट जात हीं।
12 कउनो भी मनई इ नाहीं जानत ह कि एकरे पाछे ओकरे संग का होइवाला अहइ। उ जाल मँ फँसी उ मछरी क नाई होत ह जउन इ नाहीं जानत कि आगे का होइ। उ उ जाल मँ फँसी चिरइया क समान होत ह जउन इ नाहीं जानत कि का होइवाला अहइ? इहइ प्रकार मनई ओन विपत्ति मँ फाँस जात अहइ, जे ओन प हाली अहइ।
विवेक क सक्ति
13 इ जिन्नगी मँ मइँ एक मनई क एक विवेकपूर्ण कार्य करत लखेउँ ह अउर मोका इ बहोत महत्वपूर्ण लाग ह। 14 एक ठु नान्ह स नगर भवा करत रहा। ओहमाँ थोड़ा स लोग रहत रहेन। एक बहोत बड़ा राजा ओकरे खिलाफ जुद्ध किहेस अउर नगर क चारिहुँ कइँती आपन फउज लगाइ दिहस। 15 [a] उहइ नगर मँ एक बुद्धिमान मनसेधू रहत रहा। उ बहोत निर्धन रहा। किन्तु उ उ नगर क बचावइ बरे आपन बुद्धि क उपयोग किहस। जब नगर क बिपद टरि गइ अउर सब कछू खतम होइ गवा तउ लोग उ गरीब क बिसारि दिहन। 16 किन्तु मइँ लखइ अहइ कि बल स बुद्धि स्रेस्ठ बाटइ। जदपि लोग गरीब मनई क बुद्धि क नज़र-अन्दाज़ कइ देत अहइ ओका नाहीं सुनत अहइ।
17 धीमे स बोलि गएन, विवेकी क तनिक स सब्द जियादा उत्तिम होत हीं,
बजाय ओन अइसे सब्दन क जेनका मूरख सासक ऊँची आवाज मँ बोलत ह।
18 बुद्धि, ओन भोलन स अउर अइसी तरवारन स उत्तिम अहइ, जउन जुद्ध मँ काम आवत हीं।
बुद्धिहीन मुला एउटा मनई, बहोत स उत्तिम बातन नस्ट कइ सकत ह।
10 कछू मरी भइ माखियन सर्वोत्तम सुगंध तलक क दुर्गधिंत कइ सकत हीं। इहइ तरह छोटी सी बेवकूफी स समूनइ बुद्धि अउर प्रतिस्ठा नस्ट होइ सकत ह।
2 बुद्धिमान क विचार ओका उचित मारग पइ लइ चलावत हीं। किन्तु मूरख क विचार ओका बुरे रस्ते पइ लइ जात हीं। 3 मूरख की मूरखता स्पस्ट हो जात ह जउन उ राह पइ चलत मात्र सुरू करत ह। हर मनई लखि सकत ह कि उ मूरख अहइ।
4 तोहार अधिकारी तोहसे रिसियान अहइ, बस इहइ कारण स आपन काम कबहुँ जिन तजा। अगर तू सांत अउर सहायक बना रहा तउ बड़की स बड़की गलतियन क सुधार सकत अहा।
5 अउर लखा इ बात कछू अलग अहइ जेका मइँ इ जिन्नगी मँ लखेउँ ह। इ बात निआवोचित भी नाहीं अहइ। इ वइसी भूल अहइ जइसी सासक जिया करत हीं। 6 मूरख मनइयन क महत्वपूर्ण पद दइ दीन्ह जात हीं अउर धनी मनई अइसे कामन क पावत हीं जेनकर कउनो महत्व नाहीं होत। 7 मइँ अइसे मनई लखेउँ ह जेनका नोकर होइ चाही रहा। किन्तु उ पचे घोड़न पइ चढ़ा रहत हीं। जबकि उ पचे मनई जेनका सासक होइ चाही रहा, नोकर क नाई ओनके आगे पाछे घूमत रहत हीं।
हर कामे क आपन खतरा अहइँ
8 उ मनई जउन कउनो गड़हा खनत ह ओहमाँ गिर भी सकत ह। उ मनई जउन कउनो देवारे क गिरावत ह, ओका साँप काट भी सकत ह। 9 एक मनई जउन बड़के बड़के पाथरन क ढकेलत ह, ओनसे चोट भी खाइ सकत ह अउर उ मनई जउन बृच्छन क काटत ह, ओकरे बरे उ खतरा भी बना रहत ह कि बृच्छ ओकरे ऊपर न भहराइ जाइ।
10 किन्तु बुद्धि क कारण हर काम आसान होइ जात ह। भोंटे, बेधार चाकू स काटब बहोत कठिन होत ह किन्तु अगर उ आपन चाकू पइना कइ ले तउ काम आसान होइ जात ह। बुद्धि इहइ प्रकार क अहइ।
11 कउनो मनई इ जानत ह कि कीरा क बस मँ कइसे कीन्ह जात ह किन्तु जब उ मनई आस पास नाहीं अहइ अउर कीरा कउनो क डस लेत ह तउ उ बुद्धि बेकार होइ जात ह। बुद्धि इहइ प्रकार क अहइ।
12 बुद्धिमान क सब्द तारीफ दियावत हीं।
किन्तु मूरख क सब्दन स बिनास होत ह।
13 एक ठु मूरख मनई बेवकूफी स भरी बातन कहिके सुरूआत करत ह। अउर आखिर मँ उ पागलपन स भरी भइ खुद क ही नोस्कान पहोंचावइ वाली बातन कहत ह। 14 एक मूरख मनई मूरख बातन बोलइ से कबहुँ नाहीं रूकत ह। किन्तु भविस्स मँ का होइ इ तउ कउनो नाहीं जानत। भविस्स मँ का होइ जात अहइ, इ तउ कउनो बताइ ही नाहीं सकत।
15 मूरख ऍतना चतुर नाहीं कि आपन घरे क मारग पाइ जाइ।
एह बरे ओका तउ जिन्नगी भइ कठोर काम करब अहइ।
करम क मूल्य
16 कउनो देस क बरे इ बहोत बुरा अहइ कि ओकर राजा कउनो बच्चे जइसा होइ अउर कउनो देस क बरे इ बहोत बुरा अहइ कि ओकर अधिकारी आपन सारा समय खाइ मँ ही गुजारत होइँ। 17 मुला कउनो देस क बरे इ बहोत अच्छा अहइ कि ओकर राजा कउनो उत्तिम बंस क होइ। कउनो देस बरे इ बहोत उत्तिम अहइ कि ओकर अधिकारी आपन खाइ अउर पिअइ पर काबू रखत हीं। उ सबइ अधिकारी बलसाली होइ बरे खात पिअत हीं ब कि मतवाले होइ जाइ बरे।
18 अगर कउनो मनई काम करइ मँ सुस्त अहइ,
तउ ओकर घर टपकब सुरू कइ देइ अउर ओकरे घर क छत ध्वंस्त होइ जाब।
19 लोग भोजन क आनन्द लेत हीं अउर दाखरस जिन्नगी क अउर जियादा खुसियन स भरि देत हीं। किन्तु धन बहोत समस्या क हल करइ देत ह।
निन्दा स भरी बातन
20 राजा क बारे मँ बुरी बातन जिन करा। ओकरे बारे मँ बुरी बातन सोचा तलक जिन। संपन्न मनइयन क बारे मँ भी बुरी बातन जिन करा। चाहे तू आपन घरे मँ अकेल्ले ही काहे न ह्वा। काहेकि होइ सकत ह कउनो एक छोटी सी चिरइया उड़िके तू जउन कछू कहया ह, उ हर बात ओनका कहइ देइ।
निर्भीक होइके भविस्स क सामना करा
11 तू जहाँ भी जा, हुवाँ उत्तिम काम करा। थोड़े समय पाछे तोहरे उत्तिम कार्य वापिस लउटिके तोहरे लगे अइहीं।
2 जउन कछू तोहरे लगे अहइ ओकर कछू भाग सात, आठ अलग-अलग चिजियन पइ खरच कइ द्या। तू जान ही नाहीं सकत्या कि इ धरती पइ कब का बुरा घटि जाइ?
3 कछू बातन अइसी अहइँ जेनके बारे मँ तू निहचित होइ सकत ह। जइसे बादल बर्खा स भरा अहइँ तउ उ सबइ धरती पइ जल बरसइहीं ही। जदि कउनो बृच्छ गिरत ह चाहे दाहिनी कइँती गिरइ, चाहे बाई तरफ गिरत ह। उ हुवँइ पड़ा रही जहाँ उ गिरा अहइ।
4 किन्तु कछू बातन अइसी होत हीं जेनके बारे मँ तू निहचित नाहीं होइ सकत्य। फुन भी तोहका एक मौका तउ लेइ ही चाही। जइसे अगर कउनो मनई पूरी तरह स उत्तिम मौसम क इंतजार करत रहत ह तउ उ आपन बीज बोइ ही नाहीं सकत ह अउर इहइ तरह कउनो मनई इ बात क डेरात रहत ह कि हर बादल बरसी ही तउ उ आपन फसल कबहुँ नाहीं काटि सकी।
5 हवा कहाँ स आवत अहइ तू नाहीं जान सकत्या। तू नाही जानत्या कि महतारी क गरभ मँ बच्चा प्राण कइसे पावत ह इहइ तरह तू इ नाहीं जान सकत्या कि परमेस्सर का करी? सब कछू क घटित करइवाला तउ उहइ अहइ।
6 एह बरे भिंसार होत ही रोपाई सुरू कइ द्या अउर दिन ढले तलक काम जिन रोका। काहेकि तू नाहीं जानत्या कि कउन स बीज सफलता स उगब-होइ सकत ह इहइ या उहइ या सबइ क सब।
7 जिअत रहब उत्तिम अहइ। सूरज क प्रकास लखब नीक अहइ। 8 तोहका आपन जिन्नगी क हर दिन क आनन्द उठावइ चाही। तू चाहे केतनी ही लम्बी उमिर पावा। पर याद राखा कि तोहका मरब अहइ अउर तू जेतने समय तलक जिए अहा ओहसे कहूँ जियादा समय तलक तोहका मरा रहब अहइ अउर मरि जाए क पाछे तउ तू कछू कर नाहीं सकत्या।
जवानी मँ ही परमेस्सर क सेवा करा
9 तउ हे जवानो! जब तलक तू जवान अहा, आनन्द मनावा। खुस रहा। अउर जउन तोहार मन चाहइ, उहइ करा। जउन तोहार रच्छा होइ उ करा। किन्तु याद राखा कि तोहरे हर कामे बरे परमेस्सर तोहार निआव करी। 10 किरोध क खुद पइ काबू जिन पावइ द्या अउर आपन सरीर क भी कस्ट जिन द्या। तू जियादा समय तलक जवान नाहीं बना रहब्या।
बुढ़ाई क सबइ समस्या
12 लरकपन स ही आपन बनावइ वाला क सुमिरन करा। एहसे पहिले कि बुढ़ाई क बुरे दिन तोहका आइके घेरइँ। पहिले एकरे कि तोहका इ कहइ क पड़इ कि, “हाय, मइँ जिन्नगी क रस नाहीं लइ सकत्या।” लरकपन स ही आपन बनावइ वाला क सुमिरन करा।
2 जब तू बुढ़वा होब्या तउ सूरज चन्द्रमा अउर सितारन क रोसनी तोहका अँधियारी लगिहीं। अउर तोहार समस्या लगातार वापस आत रहब्या अउर इ सबइ समस्या ओन बादलन क तरह ही होइहीं जउन बर्खा करत हीं अउर सीघ्र वापस नाहीं छटँत हीं।
3 उहइ समइया तोहार बलवान भुजन निर्बल होइ जइहीं। तोहार सुदृढ़ गोड़ कमजोर होइ जइहीं। तू आपन कछू बचे भए दाँतन क संग खाना तलक भी चबाइ नाहीं सकत्या। अँखियन स साफ देखाई तलक नाहीं देइ। 4 तू बहिर होइ जाब्या। बाजार क सोर भी तू सुनि नाहीं पउब्या। चलत चक्की भी तोहका सांत देखाइ देइ। तू बड़ी मुस्किल स लोगन क गावत सुन पउब्या। मूला चिरइयन क चहचहाट तोहका जगाई देब तू बढ़िया नींद स नाहीं सोइ सकब।
5 चढ़ाइवाले जगहियन स तू डेराइ लगब्या। राहन क हर नान्ह स नान्ह चीज स तू डेराइ लगब्या कि तू कइँ ओह पइ ठोकर खाइके गिर परब। तोहार बाल बादाम क फूलन क नाई उज्जवर होइ जइहीं। तू जब चलब्या तउ उ प्रकार घेरीत चलब्या जइसे कउनो टिड्डा होइ। तू अपन जीअइ क इच्छा खो देब्या। फुन तोहका आपन क भीतरी नवा घर यानी तोहार कब्र मँ नित निवास बरे जाइ क होइ अउर तोहार मुर्दनी मँ सामिल लोगन क भीड़ स गलियन भरि जइहीं।
मउत
6 अबहिं जब तू जवान अहा, आपन बनावइवाला क याद राखा।
एकरे पहिले कि चाँदी क डोर टूटि जाइ। अउर सोना क पात्र टूटिके बिखर जाइ।
एकरे पहिले कि तोहार जिन्नगी बेकार होइ जाइ जइसे कउनो कुएँ लगे पात्र टूट पड़ा होइ।
एकरे पहिले कि तोहार जिन्नगी उ पाथर जइसे होइ जाइ जेका उपयोग दीवार क ढाकन मँ किया जात अहइ, मुला उ टूट कइ इ मँ गिर परत ह।
7 तोहार देह माटी स उपजी अहइ
अउर जब मउत होइ तउ तोहार उ देह वापिस माटी होइ जाइ।
किन्तु इ प्राण तोहार परमेस्सर स आवा अहइ
अउर जब तू मरब्या, तोहार इ प्राण वापिस परमेस्सर क लगे जाइ।
8 सब कछू बेकार अहइ, उपदेसक कहत ह कि सब कछू बियर्थ अहइ।
निस्कर्स
9 उपदेसक बहोत बुद्धिमान रहा। उ लोगन क सिच्छा देइ मँ आपन बुद्धि क प्रयोग करत रहा। उपदेसक बड़ी होसियारी स अध्ययन किहस अउर अनेक सूवितयन क व्यवस्थित किहस। 10 उपदेसक उचित सब्दन क बचन बरे कठिन मेहनत किहस अउर उ एन सीखन क लिखेस जउन फुरइ अहइँ अउर जेन पइ भरोसा कीन्ह जाइ सकत ह।
11 विवेकी मनइयन क बचन ओन नोकीली छड़ियन क समान होत हीं जेनकर उपयोग पसुअन क उचित मारग पइ चलावइ बरे कीन्ह जात ह। इ सबइ उपदेसक ओन मजबूत खूँटन क समान होत हीं जउन कबहुँ टूटतेन नाहीं। जिन्नगी क उचित मारग देखावइ बरे तू एन उपदेसकन पइ बिस्सास कइ सकत ह। उ सबइ सबहिं विवेक स पूरी सीखन उहइ गड़रिया (परमेस्सर) स आवत हीं। 12 तउ पूत! एक चिताउनी अउर लोग तउ सदा पुस्तकन लिखत ही रहत हीं। बहोत जियादा अध्ययन तोहका बहोत थकाइ देइ।
13-14 इ सब कछू क सुन लेइ क पाछे अब एक अन्तिम बात इ बतावइ क बाटइ कि परमेस्सर क आदर करा अउर ओकरे आदेसन पइ चला काहेकि इ नियम हर मनई पर लागू होत ह। काहेकि लोग जउन करत हीं, ओका हिआँ तलक कि ओनकी छिपी स छिपी बातन क भी परमेस्सर जानत ह। उ ओनकर सबहिं नीक बातन अउर बुरी बातन क बारे मँ जानत ह। मनई जउन कछू भी करत हीं उ हर एक करम क उ निआव करी।
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.