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Chronological

Read the Bible in the chronological order in which its stories and events occurred.
Duration: 365 days
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-AWA)
Version
नीतिवचन 1-3

प्रस्तावना

दाऊद क पूत अउ इस्राएल क राजा सुलैमान क नीतिवचन (कहावतन)। इ सबइ बातन क मनइ क बुद्धि क पावइ, अनुसासन क ग्रहण करइ, जेनसे समुझ स भरी बातन क गियान होइ, मनई धरम स पूर्ण, निआव स पूर्ण सत्त्य स पूर्ण क करम करइ क विवेकसील अउर अनुसासन मँ रहइ क जिन्नगी पावइ, सहल सोझवाले लोगन क इ सिखावाइ बरे कि विवेकसील जिन्नगी कइसे बिताइ जाइ, अउर जवान लोगन क गियान अउर बुद्धीमत्ता सिखावइ बरे, लिखा गवा अहइँ। बुद्धिमान लोगन क ओनका सुनिके आपन बुद्धि अउर समुझदारी बढ़ावइ द्या। एह बरे लिखा गवा, ताकि मनई नीतिवचन, गियानी क दृष्टान्तन क अउर पहेली भरी बातन क समुझ सकइँ।

यहोवा क डर मानब गियान क प्रारम्भ अहइ। मुला मूरख जन तउ बुद्धि अउ सिच्छा क निरर्थक मानत हीं।

विवेकपूर्ण बना चिताउनी: प्रलोभन स बचा

हे मोर पूत, आपन बाप क सिच्छा पइ धियान द्या अउर आपन महतारी क नसीहत क जिन बिसरा। उ पचे तोहार मूँड़ सजावइ क मुकुट अउ सोभा स जोरइ तोहरे गले क हार बनिहीं। चिताउनी: बुरी संगत स बचा

10 हे मोर पूत, अगर पापी लोग तोहका बहलावइ फुसलावइ आवइँ ओनकर कबहुँ जिन मान्या। 11 अउर अगर उ पचे कहइँ, “आवा हमरे संग। आ, हम पचे कउनो क घाते मँ बइठी। आ, निर्दोख पइ छुपिके वार करी। 12 आ, हम पचे ओनका जिअत ही सारा क सारा लील जाइ वइसे ही जइसे कब्र लील लेत हीं। जइसे खाले पाताल मँ कहूँ फिसरत चला जात ह। 13 हम सबहिं बहोत कीमती चिजियन पाइ जाब अउर आपन इ लूट स घरवा भरि लेब। 14 आपन भाग्य क पाँसा हम लोग आपन बीच लोकावा, हम पचे सामुहिक बटुआ क सहभागी होब।”

15 हे मोर पूत, तू ओनकर राहन पइ जिन चला, तू आपन गोड़ ओन लोगन क राहे पइ जिन रखा।

16 काहेकि ओनकर गोड़ बुराई क ओर बढ़त हीं। उ पचे रकत बहावइ क बहोत सन्नध रहत हीं।

17 उ समइ जाल क फइलाना केतना बेकार अहइ जबकि पंछी पूरी तरह स लखत हीं। 18 जउन कउनो क रकत बहावइ क इंतजार मँ बइठा अहइँ उ पचे अपने आप जालि मँ फँसि जइहीं। 19 उ सबइ जउन बेइमानी क धन हासिल करइ क जतन करत ह उ पचे आपन जिन्नगी उहइ मँ खो देत हीं।

चिताउनी: बुद्धि हीन जिन बना

20 बुद्धि, गलियन मँ गोहरावत ह, उ सर्वजनिक जगहन मँ आपन आवाज उठावत ह। 21 सोर स भरी गलियन क नोक्कड़ पइ गोहरावत ह, सहर क फाटक पइ आपन भासण देत ह:

22 “अरे नादान लोगन! तू कब तलक आपन नादानी स पिरेम करत रहब्या? हँसी ठ्टाकरइवालन, तू कब तलक ठटा करइ मँ आनन्द लेब्या? अरे मूर्खो, तू कब तलक गियान स घिना करब्या? 23 अगर मोर फटकार तोह पइ असर डावत तउ मइँ तोह पइ आपन हिरदय उड़ेर देत अउर तोहका अपने सबहिं विचार देखाइ देतेउँ।

24 “मुला काहेकि तू तउ मोका नकार दिहा जब मइँ तोहका गोहराएउँ, अउर कउनो धियान नाहीं दिहस, जब मइँ आपन हथवा बढ़ाए रहेउँ। 25 तू मोर सबहि उपदेस क उपेच्छा किहा अउर मोर फटकार कबहुँ नाहीं स्वीकार किहा। 26 एह बरे, बदले मँ, मइँ तोहरे नासे पइ हँसब। मइँ हँसी ठट्टा करब जब तोहार बिनास तोहका घेरी। 27 जब बिनास तोहका वइसे ही घेरी जइसे खउफनाक बबूला क चक्रवाद घेरत ह, जब बिनास जकड़ी, अउर जब बिनास अउ संकट तोहका बोर देइहीं।

28 “तब, उ पचे मोका गोहरइहीं किंतु मइँ कउनो भी जवाब नाहीं देबउँ। उ पचे मोका हेरत फिरिहीं मुला नाहीं पइहीं। 29 काहेकि उ पचे हमेसा गियान स घिना करत रहेन, अउर उ पचे कबहुँ नाहीं चाहेन कि उ पचे यहोवा स डेराइँ। 30 काहेकि उ पचे, मोर उपदेस कबहुँ धारन नाहीं किहन, अउर मोर डाट-फटकार क रद्द करिहीं। 31 उ पचे अपन जीवन क करमन क फल जरूर भोगिहीं, उ पचे आपन बुरे जोजना स खुद आपन पेट भरिहीं।

32 “नादान लोगन क हटी ओनका ही बिनास करिहीं मूरखन लोगन क लापरवाही वाला रवैया ओनका नस्ट कइ देइ। 33 मुला जउन मोर सुनी उ सुरच्छित रही, उ बगैर कउनो नोस्कान अउर कउनो डर क हमेसा चैन स रही।”

बुद्धि क नैतिक लाभ

हे मारे पूत, अगर तू मोरे बोध बचनन क सुना अउर मोर हुकुम मन मँ बटोरा, अउर तू बुद्धि क बातन पइ कान लगावा, मन आपन समुझदारी मँ लगावत भए, अउर अगर तू अन्तदृस्टि बरे गोहरावा, अउर तू समुझबूझ क बरे पुकारा, अगर तू एका अइसे हेरा जइसे कउनो कीमती चाँदी क हेरत ह, अउर तू एका हेरा, जइसे कउनो छुपे भए खजाना क हेरत ह, तब तू यहोवा क डर क समुझब्या अउर परमेस्सर क गियान पउब्या।

काहेकि यहोवा बुद्धि देत ह अउर ओकरे मुँह स ही गियान अउ समुझदारी क बातन फूटत हीं। ओकरे भंडारे मँ खरी बुद्धि ओनके बरे रहत ह जउन खरा अहइँ। अउर ओनके बरे जउन कि इमानदारी स रहत ह एक ढाल जइसे अहइ। उ निआव क मारग क रखवारी करत ह अउर आपन वफादार लोगन क राह क रच्छा करत ह।

तबहिं तू समुझब्या कि नेक निआब अउर इमानदारी का अहइ। इ सबइ नीक चिजियन अहइ। 10 तउ बुद्धि तोहरे मने मँ प्रवेस करी अउर गियान तोहरी आतिमा क आनन्दित करी।

11 तोहका नीक बुरा क बोध बचाइ, समुझबूझ भरी बुद्धि तोहार रखवारी करी। 12 बुद्धि तोहका बुरे लोगन क राहे स बचाइ। बुद्धि तोहका ओन लोगन स बचाइ जउन बुरी बात बोलत हीं। 13 अँधियारी गलियन मँ भटकइ बरे उ पचे सहल-सोझ राहन क तजि देत रहत हीं। 14 उ पचे बुरे करम करइ मँ हमेसा आनन्द मनावत हीं। उ पचे बुरे कार्य मँ हमेसा मगन रहत हीं। 15 ओन लोगन पइ बिस्सास नाहीं कइ सकित। उ पचे लबार अहइँ अउर छल करइवाला अहइँ। मुला तोहार बुद्धि अउर समुझ तोहका इन बातन स बचइहिं।

16 इ बुद्धि तोहका बदकार मेहरारु अउ ओकर चापलूसी स भरी बातन स बचाइ। 17 जउन आपन जवानी क साथी तजि दिहन वाचा क उपेच्छा परमेस्सर क समच्छ किहे रहा। 18 काहेकि ओकर घर मउत क गड्ढा मँ अहइ अउर ओकर राहन नरक मँ लइ जात हीं। 19 जउन भी ओकरे घर जात ह उ कबहुँ नाहीं लउटि पावत अउर ओका जिन्नगी क राहन कबहुँ नाहीं मिलतिन।

20 एह बरे तू नीक लोगन क मार्ग पइ चलइ चाही अउर तोहका हमेसा सत्यता क मार्गे पइ बना रहे चाही। 21 इमानदार जन अउर बे कसूर लोग आपन धरती पइ बसा रइहीं। 22 मुला जउन दुट्ठ धोका स बाज न अहइँ ओनका धरती स हटा दीन्ह जइहीं।

उत्तिम जिन्नगी स संपन्नता

हे मोर पूत, मोरी सिच्छा क जिन बिसरा, बल्कि तू मोर आदेसन क आपन हिरदय मँ बसाइ ल्या। काहेकि उ सबइ तोहार जिन्नगी क लम्बी अउर सान्तिमइ बनाहीं।

वफादारी अउर सच्चाई क कबहुँ भी आपन स अलग न होइ द्या। तू एनका हार क नाई अपने गले मँ डावा। एनका आपन हिरदय क पटल पइ लिख ल्या। इ तरह स तू सफल होब्या अउर परमेस्सर अउ मनई दुइनउँ तोहसे आन्नदित होब्या। यहोवा मँ बिस्सास राखा

आपन पूरे हिरदय स यहोवा मँ बिस्सास राखा। तू अपनी समुझ पइ निर्भर जिन करा। तू आपन सबइ करमन मँ जेका तू करत ह परमेस्सर क इच्छा क याद राखा। उहइ तोहार सब राहन क सोझ करी। आपन ही आँखिन मँ तू बुद्धिमान जिन बना, यहोवा स डरेत रहा अउर बुराई स दूर रहा। एहसे तोहार बदन पूरा तन्दुरूस्त रही अउर तोहार हाड्डियन पुट्ठ होइहीं। यहोवा क अर्पण कइ द्या

आपन सम्पत्ति स, अउर आपन उपज स पहिले फलन स यहोवा क आदर करा। 10 तोहार भण्डार बहुतायत स भरि जइहीं, अउर तोहार मधु क बर्तन दाखरस स उमण्डत रइहीं। यहोवा क दण्ड अंगीकार करा

11 हे मोर पूत, यहोवा क अनुसासन क रद्द जिन करा। तोहका सुधार करइ क ओकर प्रयास बरे बुरा जिन बोला।

12 काहेकि यहोवा सिरिफ ओनहीं क डाँटत ह जेनसे उ पिआर करत ह। वइसे ही जइसे बाप उ पूत क डाँटइ जउन ओका बहोतइ पिआरा अहइ। विवेक क महत्व

13 धन्य अहइ उ मनई, जउन बुद्धि पावत ह। उ मनई धन्य अहइ जउन समुझ प्राप्त करइ। 14 बुद्धि, कीमती चाँदी स जियादा लाभ देइवाली अहइ, अउर सोना स जियादा उत्तिम प्रतिदान देत ह। 15 बुद्धि मणि माणिक स जियादा कीमती अहइ। जेका तू चाह सक्या। सबइ चिजियन मँ स कउनो भी चीज जेका तू सायद कि चाह रखत ह ओकर बराबरी क नाहीं हो सकत ह।

16 बुद्धि क दाहिन हाथे मँ सुदीर्घ जिन्नगी अहइ अउर ओकरे बाएँ हाथे मँ सम्पत्ति अउ सम्मान अहइ। 17 ओकर मारग मनोहर अहइँ अउर ओकर सबहिं राह सान्ति क रहत हीं। 18 बुद्धि ओनके बरे जिन्नगी क दरखत अहइ जउन एका गले लगावत ह। उ पचे हमेसा धन्य रइहीं जउन मजबूती स बुद्धि क थामे रहत हीं।

19 यहोवा धरती क नेेंव बुद्धि स धरेस, उ समुझ अकासे क स्थिर किहस। 20 ओकरे ही गियान स गहिर सोतन फूटि पड़ेन अउ बादर ओसे क कण बरसावत हीं।

21 हे मोर पूत, तू अपनी निगाह स बुद्धि क लुप्त जिन होइ द्या। किन्तु बजाए एका आपन जोग्यता क सही फैसला लइ बरे अउर विवेक बरे रच्छा करा। 22 उ पचे तउ तोहरे बरे जिन्नगी बन जइहीं, अउर तोहरे कंठे क सजावइ क एक ठु आभूसण। 23 तब तू सुरच्छित बना अपना मार्गे पर चलेहीं अउर तोहार गोड़ कबहुँ ठोकर नाहीं खइहीं। 24 तोहका सोवइ पइ कबहुँ डर नाहीं खाहीं अउर सोइ जाए पइ तोहार नींद मधुर होइ। 25 तू आकस्मिक बिनासे स या उ तबाही स जउन दुट्ठ लोगन पइ आवत ह जिन डेराअ। 26 काहेकि यहोवा तोहार संग होइ, अउर उ तोहरे गोड़े क फँदा मँ फँसइ स बचाइ।

27 जउन लोग नीक चीज क हकदार अहइ ओनका उहइ दइ स इन्कार जिन करा। जब तू नीक करइ क जोग्य ह तउ एका करा। 28 जब आपन पड़ोसी क देब तोहरे लगे धरा होइ तउ ओहसे अइसा जिन कहा कि “बाद मँ आया काल्हि तोहका देब।”

29 तोहार पड़ोसी बिस्सास स तोहरे लगे रहत होइ तउ ओकरे खिलाफ ओका नोस्कान पहोंचावइ बरे कउनो सडयंत्र जिन रचा।

30 बिना कउनो कारण क कउनो मनइ क संग जउन कि तोहका कउनो छति नाहीं पहोंचाएस ह बहस जिन करा।

31 कउनो उपद्रवी मनई स तू जलन जिन करा, अउर ओकर कउनो भी राहे क अनुसरन जिन करा। 32 काहेकि यहोवा कुटिल लोगन स घिना करत ह अउ इमानदार लोगन क अपनावत ह।

33 दुट्ठ मनई क घरे यहोवा क सराप रहत ह, उ नेक क घरे क आसीर्वाद देत ह।

34 उ स्वार्थी अउर घमंडी लोगन क हँसी उड़ावत ह, मुला विनम्र लोगन पइ उ मेहरबानी करत ह।

35 विवेकी जन तउ आदर पइहीं, मुला उ मूर्खन क, लज्जित ही करी।

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Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.