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Chronological

Read the Bible in the chronological order in which its stories and events occurred.
Duration: 365 days
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-AWA)
Version
नीतिवचन 25-26

सुलैमान क कछू अउर सूक्तियन

25 इ सबइ भी सुलैमान क कहावतन अहइ: एन सबइ क यहूदा क राजा हिजकिय्याह क सेवक लोग जमा किहे रहेन।

कउनो विसय-वस्तु क रहस्य स पूर्ण राखइ मँ परमेस्सर क अधिकार अहइ। अउर राजा क कउनो बात पइ निर्णय करइ स पहिले खोज विचार करइ क अधिकार अहइ।

जइसे ऊपर अन्तहीन अकास अहइ अउर खाले अटल धरती अहइ, वइसे ही राजा लोगन क मन होत हीं जेनकर ओर-छोर क अता पता नाहीं। ओकर थाह लेब कठिन अहइ।

जदि तू चाँदी स ओकर मैल हटाउब्या तउ सुनार ओहसे पात्र बनाइ सकत ह। वइसे ही, जदि तू राजा क समन्वा स दुट्ठ क दूर करब तउ भलाइ ओकरे सिंहासने क मजबूत कइ देब।

राजा क समन्वा आपन बड़ाई जिन बखाना अउर महापुरूखन क बीच ठउर जिन चाहा। काहेकि उत्तिम इ होइ जदि राजा तोहसे कहइ, “आवा हिआँ, आइ जा” अपेच्छा एकरे कि महापुरुखन क समच्छ तोहार अपमान कीन्ह जाइ।

तू कउनो व्यक्ति क जल्दी मँ कचहरी जिन घसीटा। काहेकि होइ सकत ह कि उ तोहार गलती क पोल खोल दइ। तउ तू क कहब्या।

जब तू आपन विरोधी क खिलाफ मँ मुकद्दमा प वाद-विवाद करत ह तउ दूसर व्यक्ति क राज फास जिन करा। 10 अइसा न होइ जाइ कि कउनो जउन ऍका सुनत ह तोहका लज्जित करइ, तउ तू बदनाम होइ जाइही जेका कबहुँ मिटाइ नाहीं जाइ।

11 उचित अवसर पइ बोला बात अइसा ही अहइ जइसे चाँदी क तस्त म सुनहरा सेब। 12 बुद्धिमान मनई क कान बरे झिड़की सोना क बाली क नाईं अहइ।

13 एक बिस्सास क जोग्ग दूत, जउन ओका पठवत हीं ओनके बरे फसल कटनी क समइ क ठंडी बयार क जइसे होत ह। उ आपन स्वामी क आतिम क ताजा कर देत ह।

14 उ मनई बर्खा रहित बादरन अउर पवन क जइसा होत ह, जउन कछू देइ क वचन देत ह किन्तु एका देइ नाहीं चाहत ह।

15 धीरा स पूर्ण बातन स राजा तलक मनावा जात हीं अउर नम्र वाणी हाड़ तलक तोरि सकत ह।

16 जदपि सहद बहोत उत्तिम अहइ, पर तउ भी तू बहोत जियादा जिन खा। अउर जदि तू जियादा खाब्या, तउ उल्टी आइ जाइ अउर तू रोगी होइ जाब्या। 17 वइसे ही तू पड़ोसी क घरे मँ बार-बार गोड़ जिन रखा। वरना उ तोहसे उब जाइ अउर तोहसे घिना करइ लागी।

18 उ मनई, जउन झूटी गवाही आनप साथी क खिलाफ देत ह उ तउ अहइ हथौड़ा सा या तरवार सा या तीखे बाण सा। 19 बिपत्ति क काल मँ भरोसा बिस्सासघाती पइ होत ह अइसा जइसे दुःख देत दाँत या लँगड़ात गोड़।

20 जउन कउनो ओकरे समन्वा खुसी क गीत गावत ह जेकर मन भारी अहइ, तउ उ अइसा ही अहइ जइसा जाड़े मँ ओकर ओढ़ना उतार लइ या ओकरे फोड़े पइ सिरका उड़ेलना।

21 अगर तोहार दुस्मन कबहुँ भुखान होइ, ओकरे खाइ क बरे, तू खइया क दइ द्या, अउर जदि उ पिआसा होइ, तउ ओकरे करे पानी पिअइ क दइ द्या। 22 अगर तू अइसा करब्या उ लज्जित होइ। इ ओकर सिर पइ जलत भवा कोयला क अंगार रखइ क जइसा होइ। यहोवा तोहका ओकर प्रतिफल देइ।

23 उत्तर क हवा जइसे बर्खा लिआवत ह वइसे ही बेकार क बातन किरोध क बढ़ावत ह।

24 झगड़ालू मेहरारू क संग घरे मँ रहइ स छते क कउनो कोने पइ रहब उत्तिम अहइ।

25 कउनो दूर देस आई कउनो अच्छी खबर अइसी लागत ह जइसे थके माँदे पिआसे क सीतल जल।

26 गाद भरा झरना या कउनो दूसित कुआँ सा होत उ धर्मी पुरूस जउन कउनो दुट्ठ आगे निहुर जात ह।

27 जइसे बहोत जियादा सहद खाब अच्छा नाहीं वइसे आपन मान बढ़ावइ क जतन करब नीक नाहीं अहइ।

28 अइसा जन जेका खुद पइ निंयत्रण नाहीं, तउ उ उ नगर जइसा अहइ, जेकर देवारन नाही अहइ।

मूरखन क सम्बन्ध मँ विवेक स भरी सूक्तियन

26 जइसे बरफ क गर्मी मँ पड़ब अउर जइसे कटनी क समइ पइ बर्खा का आउब उपयुक्त नाहीं अहइ वइसे ही मूरख क मान देब उपयुक्त नाहीं अहइ।

अगर तू कउनो क कछू बिगाड़्या नाहीं अउर तोहका उ सराप देइ, तउ उ सराप बियर्थ होइ। ओकर सरापपूर्ण बचन तोहरे ऊपरि स यूँ उड़िके निकरि जाइ जइसे चंचल चिरइया जउन टिकिके नाहीं बइठत।

जइसे घोड़े क चाबुक अहइ अउर खच्चर लगाम स काबू होत ह अइसे ही मूरख बरे डंडा अहइ।

4-5 मूरख क ओकर मूरखता क अनुसार जवाब जिन द्या नाहीं तउ तू भी खुद मूरख सा देखब्या। तउ मूरख क मूरख वाला जवाब द्या नाहीं तउ उ आपन ही आँखिन मँ बुद्धिमान बन बइठी।

मूरख क हाथन सँदेसा पठउब वइसा ही होत ह जइसे आपन ही गोड़न पइ कुल्हाड़ी मारब। इ बिपत्ति क बोलाउब क नाईं अहइ।

कउनो मूरख क कहावत कहइ क जतन करइ वइसा ही अहइ जइसे कउनो लँगड़े क आपन लँगाड़ा गोड़ पइ चलइ क जतन करब।

मूरख क सम्मान देब वइसा ही होत ह जइसे कउनो गुलेल मँ पाथर राखब।

मूरख क मुँहे मँ सूक्ति अइसी होत ह जइसे सराबी क होथे मँ काँटेदार झाड़ी होइ।

10 कउनो मूरख क या कउनो अनजाने मनई क काम पइ लगाउब खतरनाक होइ सकत ह। तू नाहीं जानत्या कि केका दुःख पहोंची।

11 जइसे कउनो कुकुर खाइके बेराम होइ जात ह अउर उल्टी कइके फुन ओका खात ह वइसे ही मूरख आपन मूरखता बार-बार दोहरावत ह।

12 उ मनई जउन आपन क बुद्धिमान मानत ह, मुला होत नाहीं ह तउ उ कउनो मूरख स भी बुरा होत ह। ओकर बरे कउनो आसा नाहीं अहइ। आलसी लोगन बरे कहावतन

13 आलसी चिचियात रहत ह, काम नाहीं करइ क बहाने कबहुँ उ कहत ह सड़क पइ सेर बाटइ।

14 जइसे आपन चूड़ी पइ चलत रहत ह किवाड़। वइसे ही आलसी बिस्तर पइ आपन ही करवटन बदलत ह।

15 आलसी आपन हाथ थारी मँ डावत ह मुला ओकर आलस, ओकरे आपन ही मुँहे तलक ओका खइयाके नाहीं लिआवइ देत।

16 आलसी मनई, निज क मानत ह महाबुद्धिमान। सातउँ गियानी पुरुखन स भी बुद्धिमान।

17 अइसे राही जउन दूसरन क झगड़न मँ टाँग अड़ावत ह जइसे कुकुर पइ काबू पावइ बरे कउनो ओकर कान धरइ।

18-19 कउनो मनई जउन आपन पड़ोसी क छलत ह अउर तउ कहत ह: मइँ तउ बस यूँ ही मजाक करत रहेउँ। वइसा ही अहइ जइसे कउनो पागल घातक तीर फेंकत ह अउर कउनो क मार देत ह।

20 जइसे ईंधन बगैर आग बुझि जात ह वइसे ही कानाफूसी क बिना झगड़े मिटि जात हीं।

21 कोयला अंगारन क अउर आगी क लपट क काठ जइसे भड़कावत ह, वइसे ही झगड़ालू झगड़न क भड़कावत ह।

22 कानाफूसी करइ वाला क सब्दन वइसा ही सुआदिस्ट अहइ जइसा कि उ भोजन जउन आसानी स लोगन क पेट मँ उतरत चला जात ह।

23 दुट्ठ मनवाले क चिकनी चुपड़ी बातन होत हीं अइसी, जइसे माटी क बर्तन पइ चिपके चाँदी क बर्क। 24 घिना स पूर्ण मनई आपन मीठ वाणी स घिना क ढाँपत ह। किंतु आपन हिरदय मँ उ छले क पालत ह। 25 ओकर मोहक वाणी स ओकर भरोसा जिन करा, काहेकि ओकरे मने मँ घिना स भरी बातन समाई अहइँ। 26 छले स कउनो क घिना चाहे छुप जाइ मुला ओकर दुट्ठता सभा क बीच परगट हो जाइ।

27 अगर कउनो गड़हा खोदत ह कउनो क बरे तउ उ खुद ही ओहमाँ गिरी सकत ह; अगर कउनो मनई कउनो पाथर क कउनो पइ लुढ़कावत जतन करत ह तउ उ उहइ पाथर स कुचला जाइ सकत ह।

28 अइसा मनई जउन झूठ बोलत ह, ओनसे घिना करत ह जेनका नोस्कान पहोंचावत अउर चापलूस खुद क नास करत ह।

Awadhi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-AWA)

Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.