Chronological
1 इ सबइ दाऊद क पूत अउर यरूसलेम क राजा, उपदेसक क सब्द अहइँ।
2 उपदेसक क कहब अहइ कि हर चीज बेमतलब क अहइ अउर अकारथ अहइ। मतलब इ कि हर बात बियर्थ अहइ। 3 इ जिन्नगी मँ लोग जउन कड़ी मेहनत करत हीं, ओहसे ओनका फुरइ का कउनो लाभ होत ह नाहीं।
वस्तुअन अपरिवर्तन सील अहइँ
4 एक पीढ़ी आवत ह अउर दूसर चली जात ह मुला संसार हमेसा अइसहिन बना रहत ह। 5 सूरज उगत ह अउर फुन ढल जात ह अउर फुन सूरज हाली ही उहइ ठहर स उदय होइके जल्दी करत ह।
6 हवा दक्खिन दिसा कइँती बहत ह अउर हवा उत्तर कइँती बहइ लागत ह। हवा एक चक्र मँ घूमत रहत ह अउर फुन हवा जहाँ स चली रही वापस हुवँइ बहइ लागत ह।
7 सबहिं नदियन एक हीं जगह कइँती बार बार बहा करत ही। उ सबइ समुद्दर स आइके मिलत हीं, किन्तु फुन भी समुद्दर कबहुँ नाहीं भरत।
8 सबइ सब्दन कस्ट दायक अहइ; लोग ओहका पूरा-पूरा वर्णन नाहीं कइ सकतेन। हमेसा बोलत ही रहत हीं। सब्द हमरे काने मँ बार बार पड़त हीं मुला ओनसे हमार कान कबहुँ भी भरतेन नाहीं ह। हमार आँखिन भी, जउन कछू उ सबइ लखत हीं, ओहसे कबहुँ नाहीं अघातिन।
कछू भी नवा नाहीं बाटइ
9 सुरू स वस्तुअन जइसी रहिन वइसी ही बनी भई अहइँ। सब कछू वइसे ही होत रही, जइसे सदा स होत आवत अहइ। इ संसार मँ कछू भी नवा नाहीं अहइ।
10 कउनो मनई कहि सकत ह, “लखा, इ बात नई अहइ।” मुला उ बात तउ हमेसा स होत रही। उ तउ हमसे भी पहिले स होत रही।
11 उ सबइ बातन जउन पहिले घट चुकी अहइँ, ओनका लोग याद नाहीं करतेन अउर आगे भी लोग ओन बातन क याद नाहीं करिहीं जउन अब घटत अहइँ ओकरे बाद भी दूसर लोग ओन बातन क याद नाहीं रखिहीं जेनका ओनके पहिले क लोगन किहे रहेन।
12 मइँ उपदेसक, यरूलेम मँ इस्राएल क राजा भवा। 13 निहचय किहेउँ कि इ जिन्नगी मँ जउन कछू होत ह ओका बुद्धि क जरिए ढूँढउँ अउर जाँच पड़ताल करेउँ। इ एक दुःखद तरीका परमेस्सर मानव जाति क दिहेस ह ताकि उ नम्र होइ सकीं। 14 इ धरती पइ सबहिं वस्तुअन पइ मइँ निगाह डाएउँ अउर लखेउँ कि इ सब कछू बियर्थ अहइ। इ वइसा ही अहइ जइसे हवा क धरब। 15 तू ओन बातन क बदल नाहीं सकत्या। जदि कउनो बात टेंढ़ अहइ तउ तू ओका सोझ नाहीं कइ सकत्या अउर अगर कउनो वस्तु क लेइ चाहत तउ तू ओका नाहीं गिन सकत।
16 मइँ अपने आप स कहेउँ, “मइँ बहोत बुद्धिमान अहउँ। मोहसे पहिले यरूसलेम मँ जउन राजा लोग राज्ज किहेन ह, मइँ ओन सब स जियादा बुद्धिमान अहउँ। मइँ जानत हउँ कि असल मँ बुद्धि अउ गियान का अहइ।”
17 मइँ इ जानइ क निहचय किहेउँ कि मूर्खता स भरे चिन्तन स विवेक अउर गियान कउने तरह स स्रेस्ठ बाटइ। मुला मोका मालूम भवा कि विवेकी बनइ क प्रयास वइसा ही अहइ जइसे हवा क धरइ क जतन। 18 काहेकि जियादा गियान क संग हतासा भी उपजत ह। उ मनई जउन जियादा गियान पाइ जात ह उ जियादा दुःख भी पाइ जात ह।
का “मनोविनोद” स सच्चा आनंद मिलत ह?
2 मइँ अपने मने मँ कहेउँ, “मोका मनोविनोद करइ चाही। मोका हर वस्तु क जेतना रस मइँ लइ सकउँ। ओतना लेइ चाहीं।” मुला मइँ जानेउँ कि इ भी बियर्थ अहइ। 2 हर समइ हँसत रहब भी मूर्खता अहइ। आनन्द स का प्राप्त होत ह?
3 तउ मइँ निहचय किहेउँ कि मइँ आपन देह क दाखरस स भरि लेउँ जदपि मोर दिमाग मोका अबहिं गियान क राह देखावत रहा। मइँ इ मूर्खता स भरा आचरण किहेउँ, मइँ चाहत रहेउँ कि लोगन क बरे आपन जिन्नगी क थोड़ा स दिनन मँ का करब उत्तिम अहइ, एका हेर लेउँ।
का कड़ी मेहनत स फुरइ आनन्द मिलत ह?
4 फुन, मइँ बड़के बड़के काम करब सुरू किहेउँ। मइँ अपने बरे घर बनवाए। अउर अंगूरे क बाग लगवाएउँ। 5 मइ बगियन लगवाएउँ अउर बाग बनवाएउँ। मइँ सबहिं तरह क फलन क बृच्छ लगवाएउँ। 6 मइँ आपन बरे पानी क तालाब बनवाएउँ अउर फुन एन तालाबन क पानी क मइँ आपन बाढ़त बृच्छन क सींचइ क काम मँ लिआवइ लागेउँ। 7 मइँ दास अउर दासियन खरीदेउँ अउर फुन मोरे घरे मँ पइदा भए दास भी रहेन। मइँ बड़की बड़की वस्तुअन क सुआमी बन गएउँ। मोरे लगे झुंड क झुंड पसु अउर भेड़न क ढेर रहेन। यरूसलेम मँ कउनो भी मनई क लगे जेतनी वस्तुअन रहिन, मोरे लगे ओसे भी जियादा रहिन।
8 मइँ आपन बरे चाँदी सोना भी जमा किहेउँ। मइँ राजा लोगन अउर ओनके देसन स भी खजानन क बटोरेउँ। मोरे लगे बहोत सी रंडियन रहिन।
9 मइँ बहोत धनवान अउर प्रसिद्ध होइ गएउँ। मोहसे पहिले यरूसलेम मँ जउन भी कउनो रहत रहा, मइँ ओहसे जिआदा महान रहा तउ मोर बुद्धि मोर संग रही। 10 मइँ हर उ चीज जेका मइँ चाहत रहा प्राप्त किहेउँ। मउँ जउन कछू करत, मोर मन सदा ओसे खुस रहा करत अउर इ खुसी मोरे कठिन मेहनत क प्रतिफल रही।
11 मुला मइँ जउन कछू किहे रहेउँ जब ओह पइ निगाह डालेउँ अउर आपन कीन्ह गवा कठिन मेहनत क बारे मँ बिचार किहेउँ तउ मोका लाग इ सब अरथहीन अहइ। इ अइसा ही रहा जइसे हवा क धरब। सच-मुच मँ इ जिन्नगी मँ हम लोगन क सारे काम बरे संतोसजनक लाभ नाहीं अहइ।
होइ सकत ह एकर जवाब बुद्धि होइ
12 जेतना एक राजा कइ सकत ह, ओहसे जियादा कउनो भी मनई नाहीं कइ सकत। तू जउन भी कछू करइ चाह सकत ह, उ सब कछू कउनो राजा अब तलक कइ भी चुका होइ। मोरी समझ मँ आइ गवा कि एक राजा तलक जउन कामन क करत ह, उ सबइ सब भी बेकार अहइँ। तउ मइँ फुन बुद्धिमान बनइ, बेवकुफ बनइ अउर सनकीपन क कामन क करइ क बारे मँ सोचेब सुरू किहेउँ। 13 मइँ लखेउँ कि बुद्धि मूर्खता स उहइ प्रकार उत्तिम अहइ जउने तरह अँधियारा स प्रकास उत्तिम होत ह। 14 इ वइसे ही अहइ जइसे: एक बुद्धिमान मनई, उ कहाँ जात अहइ, ओका लखइ क आपन बुद्धि क प्रयोग, आपन आँखिन क तरह करत ह। किन्तु एक मूर्ख मनई उ मनई क समान अहइ जउन अँधियारा मँ चलत अहइ।
किन्तु मइँ इ लखेउँ कि मूरख अउर बुद्धिमान दुइनउँ क अंत एक ही तरह स होत ह। दुइनउँ ही आखिर मँ मउत क पावत हीं। 15 अपने मने मँ मइँ सोचेउँ, “कउनो मूरख मनई क संग जउन घटत ह उ मोर संग भी घटी तउ ऍतना बुद्धिमान बनइ बरे एतना कठिन मेहनत मइँ काहे किहेउँ?” आपन खुद स मइँ कहेउँ, “बुद्धिमान बनब भी बेकार अहइ।” 16 बुद्धिमान मनई अउर मूर्ख मनई दुइनउँ ही मरि जइहीं अउर लोग सदा बरे न तउ बुद्धिमान मनई का याद रखिहीं अउर नही कउनो मूरख मनई क। उ पचे जउन कछू किहे रहेन, लोग ओका जल्दी बिसराइ देइहीं। इ सही नाहीं अहइ कि बुद्धिमान मनई मूरख मनई क जइसा मरइ चाहीं।
का फुरइ आनन्द जिन्नगी मँ अहइ?
17 एकरे कारण मोका जिन्नगी स घिना हो गइ। इ विचार स मइँ बहोत दुःखी भएउँ कि इ जिन्नगी मँ जउन कछू बाटइ सब बेकार अहइ। बिल्कुल वइसे ही जइसे हवा क धरइ क कोसिस करब।
18 मइँ जउन कठिन मेहनत किहे रहेउँ, ओहसे घिना करब सुरू कइ दिहेउँ। मइँ लखेउँ कि उ सबइ लोग जउन मोरे पाछे जिअत रइहीं ओन चिजियन क लइ लेइहीं जेनके बरे मइँ कठिन मेहनत किहे रहेउँ। मइँ आपन ओन चिजियन क आपन संग नाहीं लइ जाइ सकब। 19 कउनो दूसर मनई इ संसार म जउन चिजियन बरे मइँ मन लगाइके कठिन मेहनत किहे रहउँ पइ नियंत्रण होइ। मइँ तउ इ भी नाहीं जानत कि उ मनई बुद्धिमान होइ या मूरख। पर इ सब भी तउ अर्थहीन ही अहइ।
20 एह बरे मइँ जउन भी कठिन परिस्रम किहे रहेउँ, उ सबइ क बारे मँ मइँ बहोत दुःखी भएउँ। 21 एक मनई आपन बुद्धि, आपन गियान अउर आपन चतुराई क प्रयोग करत भए कठिन मेहनत कइ सकत ह। मुला उ मनई तउ मरि जाइ अउर जिन चिजियन बरे उ मनई कठिन मेहनत किहे रहा, उ सबइ कउनो दूसर मनई क गिल जइहीं। ओन मनइयन ओन चिजियन बरे कउनो काम तउ नाहीं किहे रहा, मुला ओनका सबहिं कछू हाल होइ जाइ। एहसे मोका बहोत दुःख होत ह। इ निआव स पूर्ण तउ नाहीं अहइ।
22 आपन जिन्नगी मँ सारी मेहनत अउर सघंर्स क पाछे आखिर एक मनई क असल मँ का मिलत ह? 23 आपन सारी जिन्नगी उ कठिन मेहनत करत रहा मुला पीरा अउर निरासा क अलावा ओकरे हाथे कछू भी नाहीं लगा। राति क समइ भी मनई क मन आराम नाहीं पावत। इ सब भी अर्थहीन अहइ।
24-25 जिन्नगी क जेतना आनन्द मइँ लिहेउँ ह का कउनो भी अइसा मनई अउर अहइ जउन मोका जियादा जिन्नगी क आनन्द लेइ क जतन किहे होइ? नाहीं। मोका जउन गियान भवा ह उ इ अहइ: कउनो मनई जउन नीक स नीक कइ सकत ह उ अहइ खाब, पिअब अउर उ करम का आनन्द लेब जउन ओका करइ चाही। मइँ इ भी समझेउँ ह कि सब कछू परमेस्सर स मिलन ह। 26 जउन मनई क उ चाहत ओका उ बुद्धि अउर गियान अउर आनन्द देही। मुला जेका उ कस्ट देइ चाही ओका दुःख देब, उ आस्चर्यजनक वस्तुअन क जमा करब, उ सिरफ ओहका देब जेका परमेस्सर चाहत अहा। उ भी अरथहीन अहइँ। इ वइसा ही अहइ जइसे हवा क धरइ क जतन करब।
एक ठु समय बाटइ…
3 हर बात एक उचित समय होत ह। अउर इ धरती पइ हर बात एक उचित समय पइ ही घटित होइ।
2 जन्म लेइ क एक उचित समय निहचित अहइ,
अउर मउत क भी।
एक समय होत ह पेड़न क रोपइ क,
अउर ओनका काटइ क।
3 मारइ क होत ह एक समय,
अउर एक समय होत ह ओकरे उपचार का।
एक समय होत ह जब ढहाइ दीन्ह जात,
अउर एक समय होत ह करइ क निर्माण।
4 एक समय होत ह रोवइ-विलपइ क,
अउर एक समय होत ह करइ क अट्ठहास।
एक समय होत ह होइ क दुखे मँ मगन,
अउर एक समय होत ह उल्लास भरे नाच क।
5 एक समय होत ह जब पाथर फेंका जात हीं,
अउर एक समय होत ह ओनके एकत्र करइ क।
केहउँ क गले लागन क एक समय होत ह।
अउर गले लगावइ स रुकइ क भी एक समय होत ह।
6 एक समय होत ह खोज क,
अउर एक समय होत ह रूकए क।
एक समय होत ह वस्तुअन क धरइ क,
अउर एक समय होत ह चिजियन क फेंकइ क।
7 होत ह एक समय ओढ़नन क फारइ क,
फुन एक समय होत ह जब ओनका सिया जात ह।
एक समय होत ह साधइ क चुप्पी,
अउर होत ह एक समय फुन बोल उठइ क।
8 एक समय होत ह पिआर क,
अउर एक समय होत जब घिना कीन्ह जात ह।
एक समय होत ह करइ क लड़ाई,
अउर होत ह एक समय सान्ति क।
परमेस्सर अपने संसार क नियन्त्रण करत ह
9 का कउनो मनई क आपन कठिन मेहनत स असल मँ कछू मिल पावत ह? 10 मइँ उ कठिन मेहनत लखेउँ ह जेका परमेस्सर हमका करइ क बरे दिहेस ह। 11 अपने संसार क बारे मँ सोचइ बरे परमेस्सर हमका छमता प्रदान किहेस ह। मुला परमेस्सर जउन करत ह, ओन बातन क पूरी तरह हम कबहुँ नाहीं समुझ सकित। फुन भी परमेस्सर हर एक चीज ठीक समय पइ करत ह।
12 मइ लखेउँ ह कि लोगन बरे सबसे उत्तिम बात इ अहइ कि उ पचे कोसिस करत रहइँ अउर जब तलक जिअत रहइँ आनन्द करत रहइँ। 13 अउर अगर एक मनई खाइ, पिअइ अउर इ सबइ करम क आनन्द लेत रहइ, तउ इ बातन परमेस्सर कइँती स मिला भवा उपहार अहइ।
14 मइँ जानत हउँ कि परमेस्सर जउन कछू भी घटित करत ह उ सदा घटी ही। लोग परमेस्सर क काम मँ कछू भी बृद्धि नाहीं कइ सकतेन अउर इहइ तरह लोग परमेस्सर क कामे मँ कछू घटत भी नाहीं कइ सकत हीं। परमेस्सर अइसा एह बरे किहस कि लोग ओकर आदर करइँ। 15 जउन अब होत अहइ पहिले भी होइ चुका अहइ। जउन कछू भविस्स मँ होइ उ पहिले भी भवा रहा। परमेस्सर घटनन क बार बार घटित करत रहत ह।
16 इ जिन्नगी मँ मइँ इ सबइ बातन लखेउँ ह। मइँ लखेउँ ह कि कचहरी जहाँ निआव अउर अच्छाइ होइ चाही, हुवाँ आजु बुराई भरि गइ अहइ। 17 एह बरे मइँ आपन मन स कहेउँ, “हर बात बरे परमेस्सर एक समय निहचित किहे अहइ। मनइयन जउन कछू करत हीं ओकर निआव करइ बरे भी परमेस्सर एक समय निहचित किहे अहइ। परमेस्सर नीक लोगन अउ बुरे लोगन क निआव करी।”
का मनई पसुअन जइसे अहइँ?
18 लोग एक दूसर बरे जउन कछू करत हीं ओनके बारे मँ मइँ सोचेउँ अउर आप स कहेउँ, “परमेस्सर चाहत ह कि लोग आपन खुद क उ रूपे मँ लखइँ जउने रूपे मँ उ पचे पसुअन क लखत हीं। 19 का एक मनई एक पसु स उत्तिम अहइ? नाहीं। काहे? काहेकि हर वस्तु नाकारा अहइ। मउत जइसे पसुअन क आवत ह उहइ तरह मनइयन क भी। मनई अउर पसु एक ही ‘साँस’ लेत हीं। का एक मरा भवा पसु एक मरे भए मनई स भिन्न होत ह? 20 मनइयन अउर पसुअन क तने क अंत एक ही तरह स होत ह। उ सबइ माटी स पइदा होत हीं अउर माटी मँ ही समाइ जात हीं। 21 कउन जानत ह कि मनई क आतिमा क का होत ह? का कउनो जानत ह कि एक मनई क आतिमा परमेस्सर क लगे जात ह? जबकि एक पसु क आतिमा खाले उतरिके धरती मँ जाइके समात ह।”
22 तउ मइँ इ लखेउँ कि मनई जउन सब स नीक बात कइ सकत ह उ इ अहइ कि उ आपन करम मँ आनन्द लेत रहइ। बस ओकरे लगे इहइ अहइ कि। कउनो मनई क भविस्स क चिन्ता भी नाहीं करइ चाही। काहेकि भविस्स मँ का होइ ओका लखइ मँ कउनो भी ओकर मदद नाहीं कइ सकत।
का मर जाब स्रेस्ठ अहइँ?
4 मइँ फुन इ भी लखेउँ ह कि कछू लोगन क संग बुरा बेउहार कीन्ह जात ह। मइँ ओनकर आँसू लखेउँ ह अउर फुन इ भी लखेउँ ह कि ओन दुःखी लोगन क ढाढ़स बँधावइवाला भी कउनो नाहीं अहइ। मइँ लखेउँ ह कि कठोर लोगन क लगे समूची सक्ति अहइ अउर ओका ढाढ़स देइवाला कउनो नाहीं अहइ। 2 मइँ इ निर्णय पइ पहोंचा अहउँ कि इ सबइ बातन ओन मनइयन बरे जियादा नीक अहइँ जउन मरि चुके अहइँ बजाय ओनके बरे जउन अबहिं तलक जिअत अहइँ। 3 ओन लोगन बरे तउ इ सबइ बातन अउर भी नीक अहइँ जउन जन्म लेत ही मरि जाइँ। काहे काहेकि, उ पचे इ संसार मँ जउन बुराइयन होत अहइँ, ओनका लखेन ही नाहीं।
ऍतनी कठिन मेहनत काहे?
4 फुन मइँ सोचेउँ, “लोग ऍतनी कड़ी मेहनत काहे करत हीं?” मइँ लखेउँ ह कि लोग सफल होइ अउर दूसर लोगन स अउर जियादा ऊँच होइ क कोसिस मँ लगा रहत हीं। अइसा एह बरे होत ह कि लोग ईर्स्यालु अहइँ। उ पचे नाहीं चाहतेन कि जेतना ओनके लगे अहइ, दूसर क लगे ओहसे जियादा होइ। इ सब अर्थहीन अहइ। इ वइसा ही अहइ जइसे हवा क धरब।
5 कछू लोग कहा करत हीं, “हाथे पइ हाथ धइके बइठ रहब अउर कछू नाहीं करब बेववूफी अहइ। अगर तू काम नाहीं करब्या तउ भूखन मरि जाब्या।” 6 जउन कछू मूठी भइ तोहरे लगे अहइ ओहमाँ संतुट्ठ रहब नीक अहइ बजाय कि जियादा स जियादा पावइ क तलब मँ जूझत भए हवा क पाछे दौड़त जात रहब।
7 फुन मइँ एक अउर बात लखेउँ, जेकर कउनो अरथ नाहीं अहइ। 8 एक मनई बे परिवारे क होइ सकत ह। होइ सकत ह ओकर कउनो पूत अउर हिआँ तलक कि कउनो भाई भी न होइ किन्तु उ मनई कठिन स कठिन मेहनत करइ मँ लगा रहत ह अउर जउन कछू ओकरे पास होत ह, ओहसे कबहुँ संतुट्ठ नाहीं होत, “तउ मइँ भी ऍतनी कड़ी मेहनत काहे करत हउँ? मइँ खुद आपन जिन्नगी क आनन्द काहे नाहीं लेत हउँ?” अब लखा इ भी एक दुःखभरी अउर बियर्थ क बात अहइ।
मीतन अउ परिवारे स सक्ति मिलत ह
9 एक मनई स दुइ मनई भला होत हीं। जब दुइ मनई मिलिके साथ साथ काम करत हीं तउ जउने कामे क उ पचे करत हीं, उ काम स ओनका जियादा लाभ मिलत ह।
10 यदि एक मनई गिरि जाइ तउ दूसर मनई ओकर मदद कइ सकत ह। मुला कउनो मनई बरे अकेल्ला रहब नीक नाहीं अहइ काहेकि जब उ गिरत ह तउ ओकर सहायता बरे हुवाँ अउर कउनो नाहीं होत।
11 अगर दुइ मनई एक संग सोवत हीं तउ ओनमाँ गरमाहट रहत ह मुला अकेल्ला सोवत भवा मनई कबहुँ गरम नाहीं होइ सकत।
12 अकेले मनई क दुस्मन हराइ सकत ह मुला उहइ दुस्मन दुइ मनइयन क नाहीं हराइ सकत ह अउर तीन मनइयन क सक्ति तउ अउर भी जियादा होत ह। उ पचे एक ठु अइसे रस्सा क नाई होत हीं, जेकर तीन लटन आपुस मँ गुंथी भई होत हीं, जेका तोड़ पाउब बहुत कठिन अहइ।
लोग राजनीति अउर प्रसिद्धि
13 एक ठु गरीब मुला बुद्धिमान नउजवान नेता, एक बुढ़वा मुला मूरख राजा स नीक अहइ। उ बुढ़वा राजा चिताउनियन पइ कान नाहीं देत। 14 होइ सकत ह उ नउजवान सासक उ राज्ज मँ गरीबी मँ पइदा भवा होइ अउर होइ सकत ह उ जेल स छूटिके देस पइ हुकूमत करइ आवा होइ। 15 मुला इ जिन्नगी मँ मइँ लोगन क लखेउँ ह अउर मइँ इ जानत हउँ कि लोग उ दूसर नउजवान नेता क ही अनुसरण करत हीं अउर उहइ नवा राजा बन जात ह। 16 बहोत स लोग इ नउजवान क पाछे होइ लेत हीं। मुला अगवा चलिके उ सबइ लोग भी ओका पसन्द नाहीं करतेन एह बरे उ सब भी बियर्थ अहइँ। इ वइसा ही अहइ जइसे कि हवा क धरइ क जतन करब।
वाचा मानइ मँ सावधानी
5 जब परमेस्सर क उपासना बरे जा तउ बहोत जियादा होसियार रहा। अग्यानियन क नाई बलियन चढ़ावइ क अपेच्छा परमेस्सर क आग्या मानब जियादा उत्तिम अहइ। अज्ञानी लोग अक्सर बुरे करम किया करत हीं अउर ओका जानत तलक नाहीं ही। 2 परमेस्सर क वाचा मानत समय होसियार रहा। परमेस्सर स जउन कछू कहा ओन बातन बरे होसियार रहा। भावना क आवेस मँ, जल्दी मँ कछू जिन कहा। परमेस्सर सरग मँ अहइ, अउर तू धरती पइ अहा। एह बरे तोहका परमेस्सर स बहोत तनिक बोलइ क जरूरत अहइ। इ कहतूत फुरइ अहइ
3 अति चिंता स बुरे सपना आवा करत हीं।
अउर जियादा बोलइ स मूरखता उपजत ही।
4 अगर तू परमेस्सर स कउनो वाचा माँगत ह तउ ओका पूरा करा। जउने बाते क तू वाचा मान्या ह ओका पूरा करइ मँ देर जिन करा। परमेस्सर मूरख मनइयन स खुस नाहीं रहत। तू परमेस्सर क जउन कछू अर्पित करइ क बचन दिहा ह ओका अर्पित करा। 5 इ नीक बा कि तू कउनो वाचा माना ही नाहीं बजाय एकरे कि कउनो मनौती माना अउर ओका पूरा न कइ पावा। 6 एका नाहीं होइ देइ कि तोहार सब्द तोहार पापे क कारण बनी। याजक स अइसा जिन बोला कि, “जउन कछू मइँ कहे रहेउँ ओकर इ अरथ नाहीं बाटइ।” जदि तू अइसा करब्या तउ परमेस्सर तोहरे सब्दन स रिसियाइके जउन वस्तुअन बरे तू करम किहा ह, ओन सबन्क उ बर्बाद कइ देइ। 7 आपन बेकार क सपनन अउर डींग मारइ स मुसीबतन मँ जिन पड़ा। तोहका परमेस्सर क सम्मान करइ चाही।
हर एक अधिकारी क ऊपर एक अधिकारी अहइ
8 कछू देसन मँ तू अइसे दीन-हीन लोगन क लखब्या जेनका कड़ी मेहनत करइ क मजबूर कीन्ह जात ह। तू लखि सकत ह कि निर्धन लोगन क संग इ बेउहार उचित नाहीं अहइ। इ गरीब लोगन क अधिकारन क खिलाफ अहइ। मुला अचरज जिन करा। जउन अधिकारी ओन मनइयन क कारज करइ बरे मजबूर करत ह, अउर उ पचे दुइनउँ अधिकारी कउनो दूसर अधिकारी क जरिये मजबूर कीन्ह जात हीं। 9 ऍतना होइ पइ भी कउनो खेती क जोग्ग भुइँया पइ एक राजा क होब देस बरे फायदेमंद अहइ।
धने स खुसी नाहीं बेसही जाइ सकत
10 उ मनई जउन धने स पिरेम करत ह उ उ धने स जउन ओकरे लगे अहइ कबहुँ संतुट्ठ नाहीं होइ। उ मनई जउन धन स पिरेम करत ह, जब जियादा स जियादा धन पाइ जात ह तब भी ओकर मन नाहीं भरत। तउ उ भी बियर्थ अहइ।
11 कउनो मनई क लगे जेतना जियादा धन होइ ओका खरच करइ बरे ओकरे लगे ओतना ही जियादा “मीत” होइहीं। तउ उ धनी मनई क असल मँ प्राप्त कछू नाहीं होत ह। उ आपन धन क बस लखत भर रहि सकत ह।
12 एक ठु अइसा मनई जउन सारे दिन कड़ी मेहनत करत ह, आपन घर लउटइ पइ चइन क संग सोवत ह। इ महत्व नाहीं रखत ह कि ओकरे लगे खाइ क कमती अहइ या जियादा अहइ। एक धनी मनई आपन धने क चिंता म बूड़ रहत ह अउर सोइ तलक नाहीं पावत।
13 बहोत बड़के दुःखे क बात अहइ कि एक ठु जेका मइँ इ जिन्नगी मँ घटत लखेउँ ह। लखा एक मनई भविस्स बरे आपन धन बचाइके रखत ह। 14 अउर फुन कउनो बुरी बात घटि जात ह अउर ओकर सब कछू जात रहत ह अउर मनई क लगे आपन पूत क देइ बरे कछू भी नाहीं रहत। हम खाली हाथ आइत ह अउर खाली हाथ चला जाइत ह
15 एक मनई संसार मँ अपनी महतारी क गरभ स आवत ह अउर जब उ मनई क मउत होत ह तउ उ बगैर कछू अपने संग लिए सब हिअँइ छोड़िके चला जात ह। वस्तुअन क पावइ बरे उ कठिन मेहनत करत ह। किन्तु जब उ मरत ह तउ आपन संग कछू नाहीं लइ जात पावत। 16 इ बड़े दुःखे क बात अहइ। इ संसार ओका उहइ तरह तजइ क होत ह जउने तरह उ आवा रहा। एह बरे “हवा क धरइ क कोसिस” स कउनो मनई क हाथे क लगत ह 17 ओका अगर कछू मिलत ह तउ उ अहइ दुःख अउर सोक स भरे हुआ दिन। तउ आखिरकार उ हतास, रोगी अउ चिड़चिड़ा होइ जात ह।
आपन जिन्नगी क करम क रस ल्या
18 मइँ तउ इ लखेउँ ह कि मनई जउन कइ सकत ह ओहमाँ सब स उत्तिम इ अहइ-एक मनई क चाही कि उ खाइ-पिअइ अउर जउने कामे क उ इ धरती पइ आपन छोटी स जिन्नगी क दौरान करत ह ओकर आनन्द लेइ। परमेस्सर इ सबइ तनिक क दिन स दिहेस ह अउर बस इहइ तउ ओकरे लगे अहइ।
19 अगर परमेस्सर कउनो क धन, सम्पत्ति अउर ओन वस्तुअन का आनन्द लेइ क सक्ति देत ह तउ उ मनई क ओनकर आनन्द लेइ चाही। उ मनई क जउन कछू ओकरे लगे अहइ ओका कबूल करइ चाही अउर आपन कामे क जउन परमेस्सर कइँती स एक उपहार अहइ ओकर रस लेइ चाही। 20 तउ अइसा मनई कबहुँ इ सोचत ही नाहीं कि जिन्नगी केतॅनी छोट स बाटइ। काहेकि परमेस्सर ओहका दिमाग क आनन्द स भरी ही राखी हीं।
धने स खुसी नाहीं मिलत
6 मइँ जिन्नगी मँ एक अउर बुरी बात लखेउँ ह अउर इ बहोत समान्य अहइ। 2 परमेस्सर कउनो मनई क बहोत स धन देत ह, सम्पत्तियन देत ह अउर आदर देत ह। उ मनई क लगे ओकर जरूरत की चीज होत ह अउर जउन कछू भी उ चाह सकत ह उ भी होत ह। किन्तु परमेस्सर उ मनई क ओन वस्तुअन क भोग नाहीं करइ देत। तबहिं कउनो अजनबी आवत ह अउर ओन सबहिं वस्तुअन क छोरि लेत ह। इ एक बहोत बुरी अउर बियर्थ बात अहइ।
3 कउनो मनई बहोत दिनन तलक जिअत ह अउर होइ सकत ह ओकर सौ बच्चन होइ जाइँ। किन्तु अगर उ मनई ओन अच्छी वस्तुअन स सन्तुट्ठ नाहीं होत अउर अगर ओकर मउत क बाद कउनो ओका सुमिरत नाहीं तउ मइँ कहत हउँ कि 4 उ मनई स तउ उ बच्चा ही अच्छा अहइ जउन जन्मत ही मरि जात ह। उ बच्चा क कउनो नाउँ नाहीं दीन जात अउर फउरन ही ओका एक अँधेरी कब्र मँ दफनाइ दीन्ह जात ह। 5 उ बच्चा तउ कबहुँ सूरज तउ लखेस ही नाहीं। उ बच्चा कबहुँ कछू नाहीं जानेस किन्तु उ मनई क भाग्ग जउन परमेस्सर क दीन्ह गइ वस्तुअन क कबहुँ आनन्द नाहीं लिहेस, उ बच्चा क जियादा चइन मिलत ह। 6 अगर कउनो मनई दुइ हजार बरिस जिअत ह किन्तु जिन्नगी क आनन्द नाहीं उठावत, तउ का दुइनउँ क अन्त एक समान नाहीं अहइ।
7 एक मनई लगातार काहे काम करत रहत ह? काहेकि ओका आपन सबइ इच्छा पूरी करइ क अहइँ। मुला उ संतुट्ठ तउ कबहुँ नाहीं होत। 8 इ तरह स एक बुद्धिमान मनई भी एक मूरख मनई स कउनो तरह उत्तिम नाहीं अहइ। एक दीनहीन मनई क बेहतर व्यवहार करइ जान लेइ मँ ओकर का भलाइ अहइ। 9 उ सबइ वस्तुअन जउन तोहरे पास अहइँ, ओनमाँ संतोस करब नीक अहइ बजाय एकरे कि अउर लगन लगी रहइ। सदा जियादा क कामना करत रहब बेकार अहइ। इ वइसे ही अहइ जइसे हवा क धरइ क जतन करब।
10 जउन कछू घटत अहइ ओकर योजना बहोत पहिले बन चुकी होत ह। एक मनई वइसा ही होत ह जइसा होइ बरे ओका बनावा गवा अहइ। हर कउनो जानत ह कि लोग कइसे होत हीं। 11 तउ इ बारे मँ परमेस्सर स तर्क करब बेकार अहइ जउन कि कउनो भी मनई स जियादा सक्तीसाली अहइ। बहोत सी अइसी बातन अहइ जेकर बरे हम कउनो अन्त क तर्क कइ सकत हीं, किन्तु इ कउनो लाभ नाहीं देत ह।
12 कउन जानत ह कि इ धरती पइ मनई क छोटी स जिन्नगी मँ ओकरे बरे सबस अच्छा का अहइ? ओकर जिन्नगी तउ छाया क नाई ढलि जात ह। बाद मँ का होइ कउनो नाहीं बताइ सकत।
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