Chronological
4 यहोवा कहत ह,
“इस्राएल, जदि तू लउटि आवा चाहत ह
तउ तू मोरे लगे जरूर लउटि आवा।
जदि तू आपन देवमूरतियन क लोकावा
अउर भटकना बन्द करा,
2 जदि तू मोरे नाउ पइ सच्चाइ स,
निआब स अउर ईमानदारी स इ कहत भए प्रतिग्या करब्या,
‘यहोवा क जिन्नगी क किरया,’
तउ रास्ट्र यहोवा क जरिये बरदान पाइहीं
अउर उ पचे यहोवा क गर्व स बखान करिहीं।”
3 यहोवा यहूदा अउर यरुसलेम क निवसियन स कहत ह,
“उहइ खेत मँ हर चलावा जेका
जोतइ स तू नकार दिहे रहा
काँटा क बीच मँ बिया छिरकान बन्द करा!
4 इ दिखावइ बरे कि तू यहोवा क अहइ खतना करइ लिहा।
मोर अर्थ इ अहइ कि आपन आप क पूरी तरह स मोर बरे अर्पित कइ द्या!
अउर आपन दिल स खिलरी हटा द्या।
जदि तू इ नाहीं करा तउ मइँ बहोतइ कोहान होबउँ।
मोर किरोध आगी क नाई फइली
अउर मोर किरोध तू पचन्क बारि देइ
अउर कउनो मनई उ आगी क बुझाइ नाहीं पाइ।
इ काहे होइ? काहेकि तू पचे बुरे करम किहे अहा।”
उत्तर दिसा स बिध्वंस
5 “यहूदा क लोगन मँ इ सँदेसा क घोसणा करा:
यरूसलेम सहर क हर मनई स कहा,
‘सारे देस मँ तुरही बजावा।’
जोर स नरियाअ अउर कहा,
‘एक संग आवा,
हम सबहिं रच्छा बरे मजबूत सहरन क भाग निकरी।’
6 सिय्योन का सूचक झंडा क उठावा,
कउनो जगह एक ठू सुरच्छा क जगह खोजा, प्रतीच्छा जिन करा।
इ एह बरे करा कि मइँ उत्तर स बिध्वंस लिआवत हउँ।
मइँ भयंकर बिनास लिआवत हउँ।”
7 एक ठु सेर अपनी गुफा स निकरा ह,
रास्ट्रन क बिध्वंसक तेज कदम बढ़ाउब सुरू कइ चुका अहइ।
उ तोहरे पचन्क देसन क बरबाद करइ आपन घर तजि चुका अहइ।
तोहरे पचन्क सहर तहस नहस होइहीं।
ओनमाँ रहइवाला कउनो मनई नाहीं बची।
8 एह बरे टाट क ओढ़ना पहिरा, रोवा,
काहेकि यहोवा हम पइ बहोत कोहान अहइ।
9 इ सँदेसा यहोवा क अहइ,
“अइसे समइ इ होत ह।
राजा अउर प्रमुख हिम्मत हार जइहीं,
याजक डेरइहीं, नबियन क दिल दहली।”
10 तब मइँ यानी यिर्मयाह कहेउँ, “मोर सुआमी यहोवा, तू फुरइ यहूदा अउ यरूसलेम क लोगन क धोखा मँ राख्या ह। तू ओनसे कहया, ‘तू पचे सान्तिपूर्वक रहब्या।’ किन्तु अब ओनके गटइयन पइ तरवार हइँची भइ अहइ।”
11 उ समइ एक सँदेसा यहूदा
अउ यरूसलेम क लोगन क दीन्ह जाइ:
“नंगी पहाड़ियन क चोटी स गरम आँधी चलाति अहइ।
इ रेगिस्ताने स मोर लोगन कइँती आवति अहइ।
इ उ मन्द हवा नाहीं जेकर उपयोग
किसान भूसा स अनाज निकारइ बरे करत हीं।
12 इ ओहसे जियादा तेज हवा अहइ
अउर मोहसे आवति अहइ।
अब मइँ यहूदा क लोगन क खिलाफ
आपन निआउ क घोसणा करब।”
13 लखा। दुस्मन बादर क नाई उठत अहइ,
ओकर रथ चववात क तरह अहइ।
ओकर घोड़ा उकाब स तेज अहइँ।
इ हम सब बरे बुरा होइ,
हम बरबाद होइ जाब।
14 यरूसलेम क लोगो,
आपन हिरदय स बुराइयन क धोइ डाबा।
आपन हिरदय क पवित्तर करा, जेहसे तू बच निकरा।
बुरी जोजनन जिन बनावत चला।
15 दान देस क दूत क वाणी क
धियान स सुना।
कउनो एप्रैम क पहाड़ी प्रदेस स
बुरा खबर क घोसणा करत ह।
16 “इ रास्ट्र क एकर विवरण द्या।
यरूसलेम क लोगन मँ इ खबर क फइलावा।
दुस्मन दूर देस स आवत अहइँ।
उ सबइ दुस्मन यहूदा क नगरन क विरूद्ध जुद्ध उद्घोस करत अहइँ।
17 दुस्मन यरूसलेम क अइसे घेरेन ह
जइसे खेत क रच्छा करइवाले लोग होइँ।
यहूदा, तू मोरे खिलाफ गया,
एह बरे तोहरे खिलाफ दुस्मन आवत अहइँ।”
इ सँदेसा यहोवा क अहइ।
18 “जउने तरह तू रह्या अउर तू पाप किहा
उहइ स तोह पइ इ बिपत्ति आइ।
इ तोहार पाप ही अहइँ जउन जिन्नगी क एतना कठिन बनाएन ह।
इ तोहार पाप ही अहइ जउन उ पीरा क लिआएस जउन तोहरे हिरदय क बेधत ह।”
यिर्मयाह क रुदन
19 आह, मोर दुःख अउ मोर परेसानी मोरे पेट मँ दर्द करत अहइँ।
मोर हिरदय धड़कत अहइ।
हाय, मइँ एतना डेरान अहउँ।
मोर हिरदय मोरे भीतर तड़पत अहइ।
मइँ चुप नाहीं बइठ सकत।
काहेकि मइँ तुरही क बजाउब सुनेउँ ह।
तुरही सेना क जुद्ध करइ बोलावति अहइ।
20 ध्वंस क पाछे बिध्वंस आवत ह।
पूरा देस नस्ट होइ ग अहइ।
अचानक मोर डेरन बरबाद कइ दीन्ह ग अहइँ,
मोर परदन फाड़ दीन्ह ग अहइँ।
21 हे यहोवा मइँ कब तलक जुद्ध पताकन क लखब?
जुद्ध क तुरही क केतने समइ सुनब?
22 परमेस्सर कहेस, “मोर लोग मूरख अहइँ।
उ पचे मोका नाहीं जानतेन।
बेवकूफ बच्चन अहइँ।
उ पचे समुझतेन नाहीं।
उ पचे पाप करइ मँ दच्छ अहइँ,
किन्तु उ पचे नीक करइ नाहीं जानतेन।”
बिनास आवत अहइ
23 मइँ धरती क लखेउँ।
धरती खाली रही, एह पइ कछू नाहीं रहा।
मइँ गगन क लखेउँ,
अउर एकर प्रकास चला गवा रहा।
24 मइँ पर्वतन पइ नजर डाएउँ,
अउर उ पचे काँपत रहेन।
सबहिं पहाड़ियन लड़खड़ात रहिन।
25 मइँ धियान स लखेउँ किन्तु कउनो मनई नाहीं रहा,
अकासे क सबहिं पंछी उड़ गवा रहेन।
26 मइँ लखेउँ कि सुहावना प्रदेस रेगिस्तान बन गवा रहा।
उ देस क सबहिं नगर नस्ट कइ दीन्ह ग रहेन।
यहोवा इ कराएस।
यहोवा अउर ओकर प्रचण्ड किरोध इ कराएस।
27 यहोवा इ सबइ बातन कहत ह।
“पूरा देस बरबाद होइ जाइ।
मुला मइँ देस क पूरी तरह नस्ट नाहीं करब।
28 एह बरे इ देस क लोग मरे लोगन बरे रोइहीं।
अकास अँधियारा स भरा होइ।
मइँ कहि दिहेउँ ह, अउर बदलब नाहीं।
मइँ एक निर्णय किहेउँ ह, अउर मइँ आपन बिचार नाहीं बदलब।”
29 यहूदा क लोग घुड़सवारन
अउर धनुर्धारियन क उद्घोष सुनिहीं,
अउर लोग पराइ जइहीं।
कछू लोग गुफन मँ छिपिहीं;
कछू झाड़ियन मँ
अउ कछू चट्टानन पइ चढ़ि जइहीं।
यहूदा क सबहिं नगर खाली अहइँ।
ओनमाँ कउनो नाहीं रहत।
30 हे यहूदा, तू बरबाद कइ दीन्ह गवा अहा,
तू का करत अहा?
तू आपन सुन्नरतम लाल ओढ़ना काहे पहिरत अहा?
तू आपन सोने का गहना काहे पहिरे अहा?
तू आपन आँखिन मँ आँजन काहे लगावत अहा?
तू आपन क सुन्नर बनावत अहा,
किन्तु इ सब बियर्थ अहइ।
तोहार पिरेमी तोहसे घिना करत हीं,
उ पचे मार डावइ क जतन करत अहइँ।
31 मइँ एक चीख सुनत हउँ जउन उ मेहरारू क चीख क तरह अहइ
जउन लरिका पइदा करत होइ।
इ चीख उ मेहरारू क तरह अहइ जउन पहिलउटी क लरिका क पइदा करत होइ।
इ सिय्योन क बिटिया क चीख अहइ।
उ आपन हाथ पराथना मँ इ कहत भए उठावति बाटइ,
“आह! मइँ मूर्छित होइवाली अहउँ, हत्तियारे मोरे चारिहुँ कइँती अहइँ।”
यहूदा क लोगन क पाप
5 यहूदा कहत ह: “यरूसलेम क सड़कियन पइ ऊपर नीचे जा। चारिहुँ कइँती लखा अउर एन चीजन क बारे मँ सोचा। सहर क सार्वजनिक चौराहन क खोजा, पता करा कि का तू कउनो एक नीक मनई क पाइ सकत ह? अइसे मनई क जउन ईमानदारी स काम करत होइ, अइसा जउन सच क खोज करत होइ। जदि तू एक नीक मनई क हेरिके निकरब्या तउ मइँ यरूसलेम क छिमा कइ देब। 2 जब लोग प्रतिग्या करत हीं अउर कहत हीं, ‘जइसा कि यहोवा सास्वत अहइ।’ तउ तू निहचय कइ सकत ह कि उ पचे झूठ बोलत रहइ।”
3 हे यहोवा, मइँ जानत हउँ
कि तू लोगन मँ सच्चाई लखइ चाहत अहा।
तू यहूदा क लोगन क चोट पहोंचाया,
मुला उ पचे कउनो पीरा क अनुभव नाहीं किहन।
तू ओनका बर्बाद किहा,
मुला उ पचे आपन पाठ सीखइ स इन्कार कइ दिहन।
उ पचे बहोत हठी होइ गएन।
उ पचे आपन पापन बरे पछताइ स इन्कार कइ दिहन।
4 मुला मइँ (यिर्मयाह) आपन स कहेउँ,
“उ पचे सिरिफ गरीब लोग ही अहइँ जउन मूरख अहइँ।
इ सबइ उहइ लोग अहइँ जउन यहोवा क मारग क नाहीं सीख सकेन।
गरीब लोग आपन परमेस्सर क सिच्छा क नाहीं जानतेन।
5 एह बरे मइँ अमीर लोगन क लगे जाब।
मइँ ओनसे बातन करब।
निहचय ही प्रमुख यहोवा क मारग क समुझत हीं।
मोका बिस्सास अहइ
कि उ पचे आपन परमेस्सर क सिच्छा क जानत हीं।”
किन्तु सबहिं अमीर लोगन यहोवा क सेवा करइ स इन्कार करइ देइन।
6 उ पचे परमेस्सर क खिलाफ भएन,
एह बरे जंगल स एक सेर ओन पइ हमला करी।
रेगिस्तान मँ एक ठु बिगवा ओनका मारि डाई।
एक ठु तेदुंआ ओनका सहरन क लगे घात लगाए अहइ।
सहरन क बाहर जाइवाले कउनो क भी तेदुंआ टूकन मँ चीर डाइ।
काहेकि यहूदा क लोग बहोत अपराध किहेन ह।
उ पचे यहोवा स दूर भटक गवा अहइँ।
7 परमेस्सर कहेस, “यहूदा, मोका कारण बतावा कि मोका तोहका काहे छिमा देइ चाही?
तोहार सन्तानन मोका तजि दिहेन ह।
उ पचे ओन मूरतियन स प्रतिग्या किहन ह जउन परमेस्सर अहइँ ही नाहीं।
मइँ तोहरी सन्तानन क हर एक चीज दिहेउँ जेकर जरूरत ओनका रही।
किन्तु फुन भी उ पचे बिस्सासघाती रहेन।
उ पचे रण्डी क कोठन मँ बहोत समइ बिताएन।
8 उ पचे ओन घोड़न जइसे रहेन जेनका बहोत खाइ क अहइ, अउर जउन जोड़ा बनावइ क होइ।
उ पचे ओन घोड़न जइसे रहेन जउन पड़ोसी क मेहररूअन पइ हिनहिनात रहेन ह।
9 का मोका यहूदा क लोगन क इ सबइ काम करइ क कारण, सजा देइ चाही?”
यहोवा कहत ह,
“का मोका ओनका उ दण्ड देइ नाहीं चाही
जउन ओका मिलइ चाही?
10 “आवा, अउर यहूदा क अंगूर क बेलन क कतारन नस्ट करी
दिहा बेलन क काट डावा। (किन्तु ओनका पूरी तरह नस्ट जिन करा।)
ओनकी सारी डारन क छाँट द्या काहेकि इ सबइ डारन यहोवा क नाहीं अहइँ।
11 इस्राएल अउर यहूदा क रास्ट्र
हर तरह स मोरे बिस्सासघाती रहेन।”
यहोवा कहत ह।
12 “ओ लोग यहोवा क बारे मँ झूठ कहेन ह।
उ पचे कहेन ह, ‘यहोवा हमार कछू नाहीं करी।
हम लोगन क कछू भी बुरा न होइ।
हम कउनो फउज क हमला अपने ऊपर नाहीं लखब।
हम कबहुँ भूखा नाहीं मरब।’
13 झूठे नबी मरे प्राण अहइँ।
परमेस्सर क सँदेसा ओनमाँ नाहीं उतरा अहइ।
विपत्तियन ओन पइ अइहीं।”
14 सर्वसवितमान परमेस्सर यहोवा इ सब कहेस,
“ओ लोग कहेन कि मइँ ओनका दण्ड नाहीं देब।
एह बरे यिर्मयाह, जउन सँदेसा मइँ तोहका देत रहत हउँ,
उ आगी जइसा होइ अउर उ सबइ लोग काठे जइसे होइहीं
अउ आगी सारी काठी क बार देइ।”
15 इस्राएल क रास्ट्र, यहोवा कहत ह,
“तोह पइ आक्रमण बरे मइँ एक रास्ट्र क बहोत दूर स हाली ही लिआउब।
इ एक ताकतवर रास्ट्र अहइ।
इ एक पुरानी रास्ट्र अहइ।
उ रास्ट्र क लोगन उ भासा बोलत हीं जेका तू नाहीं जानत्या।
तू नाहीं समुझ सकत्या कि उ पचे का कहत हीं?
16 ओनकर तरकस खुली कब्र अहइँ,
ओनकर सबहिं लोग वीर सैनिक अहइँ।
17 उ सबइ सैनिक तोहरे घरे लिआई फसल क खाइ जइहीं।
उ पचे तोहार सारा भोजन खाइ जइहीं।
उ पचे तोहार पूत-बिटियन क खाइ जइहीं (नस्ट कइ देइहीं)।
उ पचे तोहार रेवड़ अउर गोरू क खरका क चट कइ जइहीं।
उ पचे तोहार अंगूर अउर अंजीर क चार जइहीं।
उ पचे तोहार मजबूत सहरन क आपन तरवारन स नस्ट कइ डइही।
जउने सहरन पइ तोहार बिस्सास अहइ ओनका उ पचे नस्ट कइ देइही।”
18 इ सँदेसा यहोवा क अहइ। “किन्तु कब उ सबइ भयानक दिन आवत हीं, यहूदा मइँ तोहका पूरी तरह नस्ट नाहीं करब। 19 यहूदा क लोग तोहसे पूछिहीं, ‘यिर्मयाह, हमार परमेस्सर यहोवा हमार अइसा बुरा काहे किहस?’ ओनका इ जवाब द्या, ‘यहूदा क लोगो तू पचे यहोवा क, अउर तू पचे ही आपन देस मँ बिदेसी देव मूरतियन क पूजा किहा ह। तू पचे उ सबइ काम किहा, एह बरे तू पचे अब उ देस मँ जउन तोहार नाहीं अहइ, बिदेसियन क सेवा करब्या।’”
20 यहोवा कहेस, “याकूब क परिवार मँ, इ सँदेसा क घोसणा करा।
इ सँदेसा क यहूदा रास्ट्र मँ सुनावा।
21 इ सँदेसा क सुना,
तू सबइ मूरख लोगो, तू पचन्क समुझ नाहीं अहइ:
तू पचे लोगन का आँखिन अहा, किन्तु तू पचे लखल्या नाहीं।
तू पचे लोगन क कान अहा, किन्तु तू पचे सुनत्या नाहीं।
22 का तू मोसे नाहीं डरत ह?”
यहोवा कहत ह, “मोरे समन्वा तू पचन्क डर स काँपइ चाही।
मइँ ही उ हउँ, जउन समुद्दर क तटन क मर्यादा बनाएउँ।
मइँ बालू क अइसी सीमा बनाएउँ जेका पानी तोड़ सकत ह।
लहरन तटे क कुचरि सकत ह,
मुला उ एका बर्बाद नाहीं करी।
चढ़त भइ लहरन गरज सकत हीं, मुला उ सबइ तटे क मर्यादा तोड़ नाहीं सकत।
23 मुला यहूदा क लोग हठी अहइँ।
उ सबइ हमेसा मोरे खिलाफ जाइ क जोजना बनावत हीं।
उ पचे मोहसे मुड़ा अहइँ अउर मोहसे दूर चला गवा अहइँ।
24 यहूदा क लोग कबहुँ आपन स नाहीं कहतेन,
‘हमका आपन परमेस्सर यहोवा स डेराइ अउ ओकर सम्मान करइ चाही।
उ हमका ठीक समइ पइ पतझड़ अउ बसन्त क बर्खा देत ह।
उ इ निहचित करत ह कि हम ठीक समइ पइ फसिल काटि सकी।’
25 यहूदा क लोगो, तू पचे अपराध किहा ह।
एह बरे इहाँ बर्खा अउर पकी भइ फसिल नाहीं अही।
तोहार पचन्क पापन तू पचन्क यहोवा क ओन नीक चीजन क भोग नाहीं करइ दिहस ह।
26 मोरे लोगन क बीच पापी लोग अहइँ।
उ सबइ पापी लोग पंछियन क फँसावइ बरे जाल बनावइवालन क तरह अहइँ।
उ पचे लोग आपन जाल बिछावत हीं,
मुला उ पचे पंछी क बदले मनइयन क फँसावत हीं।
27 एन मनइयन क घर झूठ स वइसेन भरा होत हीं,
जइसे चिरइयन स भरे पिंजरा होइँ।
ओनकर झूठ ओनका धनी अउ सक्तीसाली बनाएस ह।
28 जउने पापन क उ पचे किहन ह ओनही स उ पचे बड़के अउर मोट भएन ह।
जउने बुरे करमन क उ पचे करत हीं ओनकर कउनो अन्त नाहीं।
उ पचे अनाथ बच्चन क मामले क पच्छ मँ बहस नाहीं करिहीं,
उ पचे अनाथ क सहायता नाहीं करिहीं।
उ पचे गरीब लोगन क उचित निआव नाहीं पावइ देइहीं।
29 का मोका एन करमन क कारण यहूदा क दण्ड देइ चाहीं?”
यहोवा कहत ह,
“का मोका ओनका उ दण्ड देइ नाहीं चाही
जउन ओनका मिलइ चाही?”
30 यहोवा कहत ह, “यहूदा देस मँ एक खउफनाक अउर हिरदय दहलावइ वाला घटना घटति अहइ।
जउन भवा ह उ इ अहइ कि:
31 नबी झूठ बोलत हीं,
याजक अपने हाथे मँ सक्ति लेत हीं।
मोर लोग इहइ तरह खुस अहइँ।
किन्तु लोगो, तू पचे का करब्या जब सजा दीन्ह जाइ?”
दुस्मन क जरिये यरूसलेम क घेराव
6 बिन्यामीन क लोगो, आपन जान बचाई बरे पराअ,
यरूसलेम सहर स भाग चला।
जुद्ध क तुरही तकोआ सहर मँ बजावा।
बेथेक्केरेम मँ संकेत चिन्ह लगावा।
करा काहेकि, उत्तर कइँती स बिपत्ति
अउर भयानक विनास आवति अहइ।
2 सिय्योन क बिटिया,
तू एक ठु सुन्नर हरा चरागाह क समान अहा।
3 मुला गड़रियन आपन खरका क साथ आवत हीं।
उ पचे तोहार चारिहुँ कइँती आपन डेरा डावत हीं।
हर एक गड़रिया आपन खरका क अगुवाइ
आपन हींसा तोहार चरागाह स खाइ बरे करत ह।
4 “यरूसलेम नगर क खिलाफ लड़इ बरे तइयार होइ जा।
उठा, हम लोग दुपहर क सहर पइ हमला करब,
किन्तु पहिले ही देर होइ चुकी अहइ।
साँझ क छाया लम्बी होत अहइ,
5 एह बरे उठा! हम सहर पइ राति मँ हमला करब।
हम यरूसलेम क मजबूत रच्छा-साधनन क बर्बाद करब।”
6 सर्वसक्तीमान यहोवा जउन कहत ह, उ अहइ:
“यरूसलेम क चारिहुँ कइँती क बृच्छ काट डावा
अउर यरूसलेम क खिलाफ घेरा डावइ क टीला बनावा।
इ सहर क सजा मिलइ चाही।
इ सहर क भीतर दमन करइ क अलावा कछू नाहीं अहइ।
7 जइसे कुआँ आपन पानी स्वच्छ राखत ह
उहइ तरह यरूसलेम आपन दुट्ठता क नवा बनावइ राखत ह।
इ सहर मँ हिंसा अउर बिध्वंस सुना जात ह।
मइँ सिरफ यरूसलेम क बीमारी अउर दर्द क लख सकत हउँ।
8 यरूसलेम, इ चितउनी क अनका।
जदि तू नाहीं सुनबिउ तउ मइँ आपन पिठिया तोहरी कइँती कइ लेबउँ।
मइँ तोहरे प्रदेस क सूना रेगिस्तान कइ देब।
कउनो भी मनई हुआँ नाहीं रहि पाई।”
9 सर्वसक्तिमान यहोवा जउन कहत ह,
“उ इ अहइ, ओन इस्राएल क लोगन क बटोरा जउन आपन देस मँ बच गवा रहेन।
ओनका इ तरह एकट्ठा करा,
जइसे तू अंगूरे क बेल स आखिरी अंगूर बटोरत अहा।
अंगूर एकट्ठा करइवाले क तरह हर एक बेल क जाँच करा।”
10 मइँ केहसे बात करउँ?
मइँ केका चितउनी दइ सकत हउँ?
मोर कउनो सुनी?
इस्राएल क लोग आपन कान क बंद किहेन ह।
एह बरे उ पचे मोर चितउनी सुन नाहीं सकतेन।
लोग यहोवा क सिच्छा पसन्द नाहीं करतेन।
उ पचे यहोवा क सँदेस सुनइ नाहीं चाहतेन।
11 किन्तु मइँ (यिर्मयाह) यहोवा किरोध स भरा हउँ।
मइँ एका रोकत-रोकत थक गवा हउँ।
“सड़किया पइ खेलत बच्चन पइ यहोवा क किरोध उड़ेरा।
एक संग बटुरे नउजवानन पइ एका उड़ेरा।
मनसेधू अउ ओकर मेहरारू दुइनउँ धरा जइहीं।
बुढ़वा अउ बहोत बुढ़वा लोग धरा जइहीं।
12 ओनकर घर दूसर लोगन क दइ दीन्ह जइहीं।
ओनकर खेत अउर ओनकर मेहररूअन दूसर क दइ दीन्ह जइहीं।
मइँ आपन हाथ उठाउब अउर यहूदा देस क लोगन क सजा देब।”
इ सँदेसा यहोवा क रहा।
13 “इस्राएल क सबहिं लोग धन अउर जियादा धन चाहत हीं।
कम महत्त्वपूर्ण स लइके ज्यादा महत्त्वपूर्ण तलक सबहिं निआवहीन धन बरे लालची अहइँ।
हिआँ तलक कि याजक अउ नबी झूठ पइ जिअत हीं।
14 मोर लोग बहोत बुरी तरह चोट खाए भए अहइँ।
नबी अउर याजक मोरे लोगन क घाव भरइ क अइसा जतन करत हीं,
माना उ पचे नान्ह स घाव होइँ।
उ पचे कहत हीं, ‘सान्ति! सान्ति! किन्तु हुआँ सान्ति नाहीं बाटइ।’
15 नबियन अउ याजकन पइ ओह पइ लजाइ चाही,
जउन बुरा उ पचे करत हीं।
मुला उ पचे तनिक भी लजानेन नाहीं।
एह बरे उ पचे दूसर क संग गिर जाइहीं।
जब मइँ ओन लोगन क सजा देब,
उ पचे ठोकर खाइहीं।” यहोवा कहत ह।
16 यहोवा इ सब कहत ह:
“चउराहन पइ खड़ा ह्वा अउर लखा।
पता करा कि पुरान सड़किया कहाँ रही।
पता करा कि अच्छी सड़किया कहाँ बा,
अउ उ सड़क पइ चला।
जदि तू पचे अइसा करब्या, तू पचन्क आराम मिली।
मुला तू लोग कह्या ह, ‘हम, पचे सड़किया पइ नाहीं चलब।’
17 मइँ तोहार पचन्क चौकसी बरे चौकीदारी चुनेउँ।
मइँ ओनसे कहेउँ, ‘जुद्ध-तुरही क अवाजे पइ कान राखा।’
मुला उ पचे कहेन, ‘हम नाहीं सुनब।’
18 एह बरे तू पचे सबहिं रास्ट्रन, ओन देसन क तू सब लोगो, अनका धियान द्या।
उ सबइ सुना जउन मइँ यहूदा क लोगन क संग करब।
19 पृथ्वी क लोगो इ सुना:
मइँ यहूदा क लोगन पइ उ विपत्ति ढावइ जात अहउँ।
जउन ओनका दुस्ट जोजनन स पइदा भएस ह।
इ होइ काहेकि उ पचे मोरे सँदेसन कइँती धियान नाहीं दिहन।
ओ लोग मोरे नेमन क पालन करइ स इन्कार किहेन ह।”
20 यहोवा कहत ह, “तू पचे सबा देस स मोका सुगन्धि क भेंट काहे लिआवत अहा?
तू पचे भेंट क रूप मँ दूर देसन स सुगन्धि काहे लिआवत अहा?
तोहार पचन्क होमबलि मोका खुस नाहीं करत।
तोहार पचन्क बलि मोका खुस नाहीं करत।”
21 एह बरे यहोवा जउन कहत ह,
“उ इ अहइ: मइँ यहूदा क लोगन क समन्वा सबइ समस्या रखब।
उ पचे लोगन क गिरावइवाले पाथर स होइहीं।
बाप अउर पूत ओन पइ ठेह खाइके भहरइहीं।
मीत अउ पड़ोसी मरिहीं।”
22 यहोवा जउन कहत ह,
“उ इ अहइ: उत्तर क देस स एक ठु फउज आवति अहइ,
धरती क दूर ठउरन स एक ठु सक्तीसाली रास्ट्र आवत अहइ।
23 फउजियन क हाथे मँ धनुस अउ भालन अहइँ, उ पचे क्रूर अहइ।
उ पचे कृपा करइ नाहीं जानतेन।
उ पचे बहोत सक्तीसाली अहइँ।
उ पचे सागर क तरह गरजत हीं, जब उ पचे अपने घोड़न पइ सवार होत हीं।
उ फउज जुद्ध बरे तइयार होइके आवति अहइ।
हे सिय्योन क बिटिया, फउज तोह पइ हमला करइ आवति अहइ।”
24 हम पचे उ फउज क बारे मँ खबर पाएउँ ह।
हम पचे डर स असहाय अही।
हम खुद क बिपत्तियन क जाली मँ पड़ा अनुभव करित ह।
हम पचे वइसे ही कस्ट अही, जइसे एक मेहरारू क प्रसव-बेदना होत ह।
25 खेतन मँ जिन जा,
सड़कन पइ जिन निकरा।
काहेकि दुस्मन क हाथन मँ तरवार अहइ,
काहेकि खतरा चारिहुँ कइँती अहइ।
26 हे मोर लोगो, टाटे क ओढ़ना पहिर ल्या।
राखी मँ लोट-पोटा।
फूटि-फूटि रोआ
जइसे कि तू एकलउता पूत क खोवइ देइ रह्या।
इ सबइ करा
काहेकि बिनासक बहोतइ हाली स हमरे खिलाफ अइहीं।
27 “यिर्मयाह, मइँ (यहोवा) तोहका प्रजा क कच्ची धातु क पारखी बनाएउँ ह।
तू हमरे लोगन क जाँच करब्या अउर ओनके बेउहार क चौकसी रखब्या।
28 मोर लोग मोरे खिलाफ होइ ग अहइँ,
अउर उ पचे बहोत हठी अहइँ।
उ पचे लोगन क बारे मँ बुरी बातन कहत घूमत हीं।
उ पचे काँसा क तरह हठी अउर बेचमक लोहा क तरह अहइँ।
29 उ पचे उ चाँदी बनावइया क तरह अहइँ जउन धातू क सुद्ध करइ क कोसिस किहेस।
ओकर धौकनी तेज चली, आगी भी तेज जरी,
मुला आगी स निकरा अउर राँगा रहा।
जउन कछू चाँदी बनाइवया किहेस उ सिरिफ समइ क बरबादी रही।
ठीक इहइ तरह मोरे लोगन स बुराई दूर करइ क जतन सिरिफ समई क बर्बादी रही।
30 मोर लोग ‘खोटी चाँदी’ कहा जइहीं।
ओनका इ नाउँ मिली काहेकि यहोवा ओनका अंगीकार नाहीं किहस।”
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.