Print Page Options
Previous Prev Day Next DayNext

Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
Error: 'भजन संहिता 50 ' not found for the version: Saral Hindi Bible
Error: 'भजन संहिता 59-60' not found for the version: Saral Hindi Bible
Error: 'भजन संहिता 114-115' not found for the version: Saral Hindi Bible
Error: 'निर्गमन 34:1-17' not found for the version: Saral Hindi Bible
1 थेस्सलोनि 2:13-20

थेस्सलोनिकेयुस-वासियों का विश्वास

13 यही कारण है कि हम भी परमेश्वर के प्रति निरन्तर धन्यवाद प्रकट करते हैं कि जिस समय तुमने हमसे परमेश्वर के वचन के सन्देश को स्वीकार किया, तुमने इसे किसी मनुष्य के सन्देश के रूप में नहीं परन्तु उसकी सच्चाई में अर्थात् परमेश्वर ही के वचन के रूप में ग्रहण किया, जो तुम में, जिन्होंने विश्वास किया है, कार्य भी कर रहा है 14 क्योंकि प्रियजन, तुम मसीह येशु में परमेश्वर की उन कलीसियाओं के शिष्य बन गए हो, जो यहूदिया प्रदेश में हैं—तुमने भी स्वदेशवासियों द्वारा दिए गये उसी प्रकार के दुःखों को सहा है, जैसे यहूदिया प्रदेशवासियों ने यहूदियों द्वारा दिए गए दुःखों को, 15 जिन्होंने प्रभु मसीह येशु तथा भविष्यद्वक्ताओं दोनों ही की हत्या की. इसके अलावा उन्होंने हमें भी वहाँ से निकाल दिया. वे परमेश्वर को क्रोधित कर रहे हैं तथा वे सभी के विरोधी हैं. 16 जब हम अन्यजातियों को उनके उद्धार के विषय में सन्देश देने का काम करते हैं, वे हमारी उद्धार की बातें बताने में बाधा खड़ी करते हैं. इसके फलस्वरूप वे स्वयं अपने ही पापों का घड़ा भर रहे हैं. अन्ततः: उन पर परमेश्वर का क्रोध आ ही पड़ा है.

पौलॉस की लालसा

17 किन्तु, प्रियजन, जब हम तुमसे थोड़े समय के लिए अलग हुए थे—शारीरिक रूप से, न कि आत्मिक रूप से—तुम्हें सामने देखने की हमारी लालसा और भी अधिक प्रबल हो गई थी. 18 हम चाहते थे कि आकर तुमसे भेंट करें—विशेषकर मैं, पौलॉस, तो एक नहीं, अनेक बार चाह रहा था किन्तु शैतान ने हमारे प्रयास निष्फल कर दिए. 19 कौन हैं हमारी आशा, आनन्द तथा उल्लास का मुकुट? क्या हमारे प्रभु मसीह येशु के दोबारा आगमन के अवसर पर उनकी उपस्थिति में तुम ही नहीं? 20 हाँ, तुम्हीं तो हमारा गौरव तथा आनन्द हो!

मत्तियाह 5:21-26

क्रोध पर शिक्षा

21 “यह तो तुम सुन ही चुके हो कि पूर्वजों को यह आज्ञा दी गई थी हत्या मत करो और जो कोई हत्या करता है, वह न्यायालय के प्रति उत्तरदायी होगा, 22 किन्तु मेरा तुमसे कहना है कि हर एक, जो अपने भाई से रुष्ट है,[a] वह न्यायालय के सामने दोषी होगा और जो कोई अपने भाई से कहे ‘अरे निकम्मे!’ वह सर्वोच्च न्यायालय के प्रति अपराध का दोषी होगा तथा वह, जो कहे, ‘अरे मूर्ख!’ वह तो नर्क की आग के योग्य दोषी होगा.

23 “इसलिए, यदि तुम वेदी पर अपनी भेंट चढ़ाने जा रहे हो और वहाँ तुम्हें यह याद आए कि तुम्हारे भाई के मन में तुम्हारे प्रति वैमनस्य है, 24 अपनी भेंट वेदी के पास ही छोड़ दो और जा कर सबसे पहिले अपने भाई से मेल मिलाप करो और तब लौट कर अपनी भेंट चढ़ाओ.

25 “न्यायालय जाते हुए मार्ग में ही अपने दुश्मन से मित्रता का सम्बन्ध फिर से बना लो कि तुम्हारा दुश्मन तुम्हें न्यायाधीश के हाथ में न सौंपे और न्यायाधीश अधिकारी के और तुम्हें बन्दीगृह में डाला जाए. 26 मैं तुम्हें इस सच से परिचित कराना चाहता हूँ कि जब तक तुम एक-एक पैसा लौटा न दो बन्दीगृह से छूट न पाओगे.

Saral Hindi Bible (SHB)

New Testament, Saral Hindi Bible (नए करार, सरल हिन्दी बाइबल) Copyright © 1978, 2009, 2016 by Biblica, Inc.® All rights reserved worldwide.