Book of Common Prayer
घर-परिवार सम्बन्धित नैतिक शिक्षा
18 जैसा उनके लिए उचित है, जो प्रभु में हैं, पत्नी अपने पति के अधीन रहे.
19 पति अपनी पत्नी से प्रेम करे—उसके प्रति कठोर न हो.
20 बालक हमेशा अपने माता-पिता की आज्ञा पालन करें क्योंकि प्रभु के लिए यही प्रसन्नता है.
21 पिता अपनी सन्तान को असंतुष्ट न करे कि उनका साहस टूट जाए.
22 दास, पृथ्वी पर ठहराए गए अपने स्वामियों की हमेशा आज्ञापालन करें—मात्र दिखावे के लिए नहीं—उनके जैसे नहीं, जो मनुष्यों को प्रसन्न करने के लिए ऐसा करते हैं, परन्तु प्रभु के भय में मन की सच्चाई में. 23 तुम जो कुछ करते हो, पूरे मन से करो, मानो प्रभु के लिए, न कि मनुष्यों के लिए 24 यह जानते हुए कि प्रभु से तुम्हें इसके फल के रूप में मीरास प्राप्त होगी. तुम प्रभु मसीह की सेवा कर रहे हो. 25 वह जो बुरा काम करता है, उसे परिणाम भी बुरा ही प्राप्त होगा—बिना किसी भेद-भाव के.
4 स्वामी अपने दासों से बिना पक्षपात के और उचित व्यवहार करें, यह ध्यान रखते हुए कि स्वर्ग में उनका भी एक स्वामी है.
मसीहियों के लिये सलाह
2 सावधानी और धन्यवाद के भाव में लगातार प्रार्थना करते रहो; 3 साथ ही हमारे लिए भी प्रार्थना करो कि परमेश्वर हमारे लिए वचन के सुनाने के लिए द्वार खोलें कि हम मसीह के भेद को स्पष्ट करें. इसी कारण मैं बेड़ियों में हूँ, 4 जिससे कि मैं उसे उसी प्रकार स्पष्ट कर सकूँ जैसा कि आवश्यक है. 5 समय का सदुपयोग करते हुए उनके प्रति, जिनका मसीह में अब तक विश्वास नहीं है, तुम्हारा व्यवहार विवेकपूर्ण हो. 6 तुम्हारी बातचीत हमेशा ही गरिमामय और सलोनी हो—इस अहसास के साथ कि तुम्हें किस व्यक्ति को कैसा उत्तर देना है.
व्यक्तिगत समाचार
7 तुख़िकस तुम्हें मेरे विषय में सारी जानकारी देगा. वह हमारा प्रिय भाई, प्रभु में विश्वासयोग्य सेवक तथा सहदास है, 8 जिसे मैंने तुम्हारे पास इसी उद्धेश्य से भेजा है कि तुम हमारी सभी परिस्थितियों के विषय में जान सको तथा वह तुम्हारे हृदयों में प्रोत्साहन का संचार करे 9 और उसके साथ मैंने ओनेसिमॉस—हमारे प्रिय और विश्वासयोग्य भाई को भी भेजा है, जो तुम में से एक है. ये हमारी सारी परिस्थिति से तुम्हें अवगत कराएँगे.
10 मेरे साथ कैदी अरिस्तारखस की ओर से नमस्कार और मारकास की ओर से भी, जो बारनबास का सम्बन्धी है, जिसके विषय में तुम्हें यह निर्देश दिया गया था कि यदि वह आए तो उसकी पहुनाई करना 11 और येशु का भी, जिसका उपनाम युस्तस है. ख़तनितों में से मात्र ये ही परमेश्वर के राज्य के काम में मेरे सहकर्मी हैं, जो मेरे लिए प्रोत्साहन का कारण बने हैं. 12 एपाफ़्रास की ओर से भी तुम्हें नमस्कार, जो तुम में से एक तथा मसीह येशु का दास है. वह तुम्हारे लिए हमेशा मन की एकाग्रता से प्रार्थनारत रहता है कि तुम परमेश्वर की सारी इच्छा में सिद्ध तथा पूरी तरह आश्वस्त होकर स्थिर रहो. 13 उसके मन में, लाओदीकेइया तथा हिरापोलिस के विश्वासियों और तुम्हारी भलाई की गहरी चिन्ता है. मैं इसका गवाह हूँ. 14 हमारे प्रिय चिकित्सक लूकॉस तथा देमास का तुम्हें नमस्कार. 15 लाओदीकेइया नगर के विश्वासियों तथा नुम्फ़े तथा उस कलीसिया को, जो उसके घर पर इकट्ठा होती है, नमस्कार.
16 इस पत्र के तुम्हारे मध्य पढ़े जाने के बाद यह ध्यान रहे कि यह लाओदीकेइया नगर की कलीसिया के सामने भी पढ़ा जाए. तुम मेरे उस पत्र को पढ़ लेना, जो लाओदीकेइया नगर से आएगा.
17 आरखिप्पॉस से कहना कि वह ध्यान रखे कि जो सेवकाई उसे प्रभु में सौंपी गई है, वह उसे पूरा करे.
18 मैं, पौलॉस, अपने ही हाथ से यह शुभकामना लिख रहा हूँ. मैं बेड़ियों में हूँ, मुझे प्रार्थना में याद रखना. तुम पर अनुग्रह निरन्तर बना रहे.
पर्वत से प्रवचन
5 इकट्ठा हो रही भीड़ को देख येशु पर्वत पर चले गए और जब वह बैठ गए तो उनके शिष्य उनके पास आए. 2 येशु ने उन्हें शिक्षा देना प्रारम्भ किया.
धन्य वचन
(लूकॉ 6:17-26)
3 “धन्य हैं वे, जो दीन आत्मा के हैं
क्योंकि स्वर्ग-राज्य उन्हीं का है.
4 धन्य हैं वे, जो शोक करते हैं.
क्योंकि उन्हें शान्ति दी जाएगी.
5 धन्य हैं वे, जो नम्र हैं
क्योंकि पृथ्वी उन्हीं की होगी.
6 धन्य हैं वे, जो धर्म के भूखे और प्यासे हैं
क्योंकि उन्हें तृप्त किया जाएगा.
7 धन्य हैं वे, जो कृपालु हैं
क्योंकि उन पर कृपा की जाएगी.
8 धन्य हैं वे, जिनके हृदय शुद्ध हैं
क्योंकि वे परमेश्वर को देखेंगे.
9 धन्य हैं वे, जो शान्ति कराने वाले हैं
क्योंकि वे परमेश्वर की सन्तान कहलाएँगे.
10 धन्य हैं वे, जो धर्म के कारण सताए गए हैं
क्योंकि स्वर्ग-राज्य उन्हीं का है.
New Testament, Saral Hindi Bible (नए करार, सरल हिन्दी बाइबल) Copyright © 1978, 2009, 2016 by Biblica, Inc.® All rights reserved worldwide.