Book of Common Prayer
10 विवाहितों के लिए मेरा निर्देश है—मेरा नहीं परन्तु प्रभु का: पत्नी अपने पति से सम्बन्ध न तोड़े. 11 यदि पत्नी का सम्बन्ध टूट ही जाता है तो वह दोबारा विवाह न करे या पति से मेल-मिलाप कर ले. पति अपनी पत्नी का त्याग न करे. 12 मगर बाकियों से मेरा कहना है कि यदि किसी साथी विश्वासी की पत्नी विश्वासी न हो और वह उसके साथ रहने के लिए सहमत हो तो पति उसका त्याग न करे. 13 यदि किसी स्त्री का पति विश्वासी न हो और वह उसके साथ रहने के लिए राज़ी हो तो पत्नी उसका त्याग न करे; 14 क्योंकि अविश्वासी पति अपनी विश्वासी पत्नी के कारण पवित्र ठहराया जाता है. इसी प्रकार अविश्वासी पत्नी अपने विश्वासी पति के कारण पवित्र ठहराई जाती है. यदि ऐसा न होता तो तुम्हारी सन्तान अशुद्ध रह जाती; किन्तु इस स्थिति में वह परमेश्वर के लिए अलग की गई है.
15 फिर भी यदि अविश्वासी दम्पति अलग होना चाहे तो उसे जाने दिया जाए. कोई भी विश्वासी भाई या विश्वासी बहन इस बन्धन में बँधे रहने के लिए बाध्य नहीं. परमेश्वर ने हमें शान्ति से भरे जीवन के लिए बुलाया है. 16 पत्नी यह सम्भावना कभी भुला न दे: पत्नी अपने पति के उद्धार का साधन हो सकती है, वैसे ही पति अपनी पत्नी के उद्धार का.
17 परमेश्वर ने जिसे जैसी स्थिति में रखा है तथा जिस रूप में उसे बुलाया है, वह उसी में बना रहे. सभी कलीसियाओं के लिए मेरा यही निर्देश है. 18 क्या किसी ऐसे व्यक्ति को बुलाया गया है, जिसका पहले से ही ख़तना हुआ था? वह अब खतनारहित न बने. क्या किसी ऐसे व्यक्ति को बुलाया गया है, जो ख़तनारहित है? वह अपना ख़तना न कराए. 19 न तो ख़तना कराने का कोई महत्व है और न ख़तनारहित होने का. महत्व है तो मात्र परमेश्वर की आज्ञा-पालन का. 20 हर एक उसी अवस्था में बना रहे, जिसमें उसको बुलाया गया था. 21 क्या तुम्हें उस समय बुलाया गया था, जब तुम दास थे? यह तुम्हारे लिए चिन्ता का विषय न हो किन्तु यदि दासत्व से स्वतन्त्र होने का सुअवसर आए तो इस सुअवसर का लाभ अवश्य उठाओ. 22 वह, जिसको उस समय बुलाया गया, जब वह दास था, अब प्रभु में स्वतन्त्र किया हुआ व्यक्ति है; इसी प्रकार, जिसको उस समय बुलाया गया, जब वह स्वतन्त्र था, अब वह मसीह का दास है. 23 तुम दाम देकर मोल लिए गए हो इसलिए मनुष्य के दास न बन जाओ. 24 प्रियजन, तुममें से हर एक उसी अवस्था में, जिसमें उसे बुलाया गया था, परमेश्वर के साथ जुड़ा रहे.
गिरासेनॉस का प्रेतात्मा से पीड़ित व्यक्ति
5 तब वे झील के दूसरे तट पर गिरासेनॉस क्षेत्र में आए. 2 मसीह येशु के नाव से नीचे उतरते ही एक मनुष्य जिसमें अशुद्ध आत्मा थी क़ब्र से निकल कर उनके पास आया. 3 वह क़ब्रों के मध्य ही रहा करता था. अब कोई भी उसे साँकलों तथा बेड़ियों से भी बान्ध पाने में समर्थ न था. 4 बहुधा उसे बेड़ियों तथा साँकलों में बांधे जाने के प्रयास किए गए किन्तु वह साँकलों को तोड़ देता तथा बेड़ियों के टुकड़े-टुकड़े कर डालता था. अब किसी में इतनी क्षमता न थी कि उसे वश में कर सके. 5 रात-दिन क़ब्रों के मध्य तथा पहाड़ियों में वह चिल्लाता रहता था तथा स्वयं को पत्थर मार-मार कर घायल कर लेता था.
6 दूर से ही जब उसने मसीह येशु को देखा, वह दौड़ कर उनके पास आया, अपना सिर झुकाया 7 और उसमें से उँची आवाज़ में ये शब्द सुनाई दिए, “परमप्रधान परमेश्वर के पुत्र येशु! मेरा आपका कोई लेन-देन नहीं. आपको परमेश्वर की शपथ, मुझे कोई कष्ट न दें,” 8 क्योंकि मसीह येशु उसे आज्ञा दे चुके थे, “ओ दुष्टात्मा, इस मनुष्य में से निकल आ!”
9 तब मसीह येशु ने उससे प्रश्न किया, “क्या नाम है तेरा?”
प्रेत ने उत्तर दिया, “सेना—क्योंकि हम बहुत हैं.” 10 प्रेत मसीह येशु से विनती करने लगा कि वह उसे उस प्रदेश से बाहर न भेजें.
11 वहीं पहाड़ी पर सूअरों का एक विशाल झुण्ड चर रहा था. 12 प्रेत-समूह ने मसीह येशु से विनती की, “हमें इन सूअरों में भेज दीजिए कि हम उनमें जा बसें.” 13 मसीह येशु ने उन्हें यह आज्ञा दे दी. वे प्रेत बाहर निकल कर उन सूअरों में प्रवेश कर गए. लगभग दो हज़ार सूअरों का वह झुण्ड पहाड़ की तीव्र ढलान पर तेज़ गति से दौड़ता हुआ झील में जा डूबा.
14 भयभीत रखवाले भाग गए तथा नगर और पास के क्षेत्रों में जा कर इस घटना के विषय में बताने लगे. नगरवासी, जो कुछ हुआ था, उसे देखने वहाँ आने लगे. 15 जब वे मसीह येशु के पास पहुँचे, उन्होंने देखा कि वह प्रेतात्मा से पीड़ित व्यक्ति वस्त्र धारण किए हुए सचेत स्थिति में वहाँ बैठा था. यह वही व्यक्ति था जिसमें प्रेतों की सेना पैठी थी. यह देख वे डर गए. 16 सारे घटनाक्रम को देखने वाले लोगों ने उनके सामने इसका बयान किया कि प्रेतात्मा से पीड़ित व्यक्ति तथा सूअरों के साथ क्या-क्या हुआ है. 17 इस पर वे मसीह येशु से विनती करने लगे कि वह उनके क्षेत्र से बाहर चले जाएँ.
18 जब मसीह येशु नाव पर सवार हो रहे थे, प्रेतों से विमुक्त हुआ व्यक्ति मसीह येशु से विनती करने लगा कि उसे उनके साथ ले लिया जाए. 19 मसीह येशु ने उसे इसकी अनुमति नहीं दी परन्तु उसे आदेश दिया, “अपने परिजनों के पास लौट जाओ और उन्हें बताओ कि तुम्हारे लिए प्रभु ने कैसे-कैसे आश्चर्यकाम किए हैं तथा तुम पर उनकी कैसी कृपादृष्टि हुई है.” 20 वह देकापोलीस नगर में गया और उन कामों का वर्णन करने लगा, जो मसीह येशु ने उसके लिए किए थे. यह सुन सभी चकित रह गए.
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