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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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1 कोरिन्थॉस 5:1-8

परिवार में व्यभिचार

गैर-कानूनी व्यक्ति निष्कासित किया जाए

तुम्हारे बीच में हो रहा वेश्यागामी हर जगह चर्चा का विषय बन गया है. वह भी ऐसा यौनाचार, जो अन्यजातियों तक में नहीं पाया जाता—किसी ने तो अपने पिता की स्त्री को ही रख लिया है, इसके अलावा इस पर लज्जित होने के बजाय तुम्हें इसका गर्व है! ऐसे व्यक्ति को तो तुम्हारे बीच से निकाल देना चाहिए था. शारीरिक रूप से अनुपस्थित होने पर भी मैं तुम्हारे बीच आत्मा में उपस्थित हूँ और मैं उस बुरा काम करने वाले के विरुद्ध अपना निर्णय ऐसे दे चुका हूँ मानो मैं स्वयं वहाँ उपस्थित हूँ. जब तुम प्रभु मसीह येशु के नाम में इकट्ठा होते हो—और मसीह येशु के सामर्थ्य के साथ आत्मा में मैं तुम्हारे बीच, तब उस बुरा काम करने वाले को शैतान के हाथों सौंप दिया जाए कि उसका शरीर तो नाश हो जाए किन्तु प्रभु के दिन उसकी आत्मा का उद्धार हो.

तुम्हारा घमण्ड़ करना बिलकुल भी अच्छा नहीं है. क्या तुम नहीं जानते कि थोड़े से ख़मीर से ही पूरा गुंथा हुआ आटा ख़मीर हो जाता है? निकाल फेंको इस ख़मीर को कि तुम एक नया गुंथा हुआ आटा बन जाओ, जैसे कि तुम अख़मीरी हो ही, क्योंकि हमारा फ़सह वास्तव में मसीह की बलि द्वारा पूरा हुआ है. हम बुराई व दुष्टता के पुराने ख़मीर से नहीं परन्तु सीधाई व सच्चाई की अख़मीरी रोटी से उत्सव मनाएँ.

मारक 3:19-35

19 कारियोतवासी यहूदाह, जिसने मसीह येशु के साथ धोखा किया.

मसीह येशु पर शैतान का दूत होने का आरोप

(मत्ति 12:22-37; लूकॉ 11:14-28)

20 जब मसीह येशु किसी के घर में थे तो दोबारा एक बड़ी भीड़ वहाँ इकठ्ठी हो गयी—यहाँ तक कि उनके लिए भोजन करना भी असम्भव हो गया. 21 जब मसीह येशु के परिवार जनों को इसका समाचार मिला तो वे मसीह येशु को अपने संरक्षण में अपने साथ ले जाने के लिए वहाँ आ गए—उनका विचार था कि मसीह येशु अपना मानसिक सन्तुलन खो चुके हैं.

22 येरूशालेम नगर से वहाँ आए हुए शास्त्रियों का मत था कि मसीह येशु में शैतान समाया हुआ है तथा वह दुष्टात्मा के प्रधान की सहायता से दुष्टात्मा निकाला करते हैं.

23 इस पर मसीह येशु ने उन्हें अपने पास बुला कर उनसे दृष्टान्तों में कहना प्रारम्भ किया, “भला शैतान ही शैतान को कैसे निकाल सकता है? 24 यदि किसी राज्य में फूट पड़ चुकी है तो उसका अस्तित्व बना नहीं रह सकता. 25 वैसे ही यदि किसी परिवार में फूट पड़ जाए तो वह स्थायी नहीं रह सकता. 26 यदि शैतान अपने ही विरुद्ध उठ खड़ा हुआ है और वह बंट चुका है तो उसका अस्तित्व बना रहना असम्भव है—वह तो नाश हो चुका है! 27 कोई भी किसी बलवान व्यक्ति के यहाँ जबरदस्ती प्रवेश कर उसकी सम्पत्ति उस समय तक लूट नहीं सकता जब तक वह उस बलवान व्यक्ति को बान्ध न ले. तभी उसके लिए उस बलवान व्यक्ति की सम्पत्ति लूटना सम्भव होगा.

28 “मैं तुम पर एक अटूट सच प्रकट कर रहा हूँ: मनुष्य द्वारा किए गए सभी पाप और परमेश्वर की निन्दाएँ क्षमा योग्य हैं 29 किन्तु पवित्रात्मा के विरुद्ध की गई निन्दा किसी भी प्रकार क्षमा योग्य नहीं है. वह व्यक्ति अनन्त पाप का दोषी है.”

30 मसीह येशु ने यह सब इसलिए कहा था कि शास्त्रियों ने उन पर दोष लगाया था कि मसीह येशु में प्रेत समाया हुआ है.

31 तभी मसीह येशु की माता और उनके भाई वहाँ आ गए. वे बाहर ही खड़े रहे. उन्होंने सन्देश भेज कर उन्हें बाहर बुलवाया. 32 भीड़ उन्हें घेरे हुए बैठी थी. उन्होंने मसीह येशु को बताया, “वह देखिए! आपकी माता तथा आपके भाई बाहर खड़े हैं.”

33 “कौन हैं मेरी माता और कौन हैं मेरे भाई?” मसीह येशु ने पूछा.

34 तब अपनी दृष्टि अपने आस-पास बैठे भीड़ पर डालते हुए उन्होंने कहा, “ये हैं मेरी माता तथा मेरे भाई! 35 जो कोई परमेश्वर की इच्छा को पूरी करता है, वही है मेरा भाई, मेरी बहन तथा मेरी माता.”

Saral Hindi Bible (SHB)

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