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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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1 कोरिन्थॉस 3:16-23

16 क्या तुम्हें यह अहसास नहीं कि तुम परमेश्वर का मन्दिर हो तथा तुममें परमेश्वर का आत्मा वास करता है? 17 यदि कोई परमेश्वर के मन्दिर को नाश करे तो वह भी परमेश्वर द्वारा नाश कर दिया जाएगा क्योंकि परमेश्वर का मन्दिर पवित्र है और स्वयं तुम वह मन्दिर हो.

निष्कर्ष

18 धोखे में न रहो. यदि तुममें से कोई यह सोच बैठा है कि वह सांसारिक बातों के अनुसार बुद्धिमान है, तो सही यह होगा कि वह स्वयं को मूर्ख बना ले कि वह बुद्धिमान बन जाए 19 क्योंकि सच यह है कि सांसारिक ज्ञान परमेश्वर की दृष्टि में मूर्खता है; जैसा कि पवित्रशास्त्र का लेख है: वही हैं, जो बुद्धिमानों को उनकी चतुराई में फँसा देते हैं. 20 और यह भी: परमेश्वर जानते हैं कि बुद्धिमानों के विचार व्यर्थ हैं. 21 इसलिए कोई भी मनुष्य की उपलब्धियों का गर्व न करे. सब कुछ तुम्हारा ही है: 22 चाहे पौलॉस हो या अपोल्लॉस या कैफ़स, चाहे वह संसार हो या जीवन-मृत्यु, चाहे वह वर्तमान हो या भविष्य—सब कुछ तुम्हारा ही है 23 और तुम मसीह के हो और मसीह परमेश्वर के.

मारक 2:13-22

अपराधियों के साथ मसीह येशु की संगति

(मत्ति 9:9-13; लूकॉ 5:29-32)

13 तब मसीह येशु दोबारा सागर तट पर चले गए. एक विशाल भीड़ उनके पास आ गयी और वह उन्हें शिक्षा देने लगे.

14 मार्ग में मसीह येशु ने हलफ़ेयॉस के पुत्र लेवी को कर-चौकी पर बैठा देखा. उन्होंने उन्हें आज्ञा दी, “मेरा अनुगमन करो.” वह उठे और उनके साथ हो लिए.

15 जब मसीह येशु लेवी के घर पर भोजन के लिए बैठे थे, अनेक चुँगी लेने वाले तथा अपराधी व्यक्ति मसीह येशु तथा उनके शिष्यों के साथ भोजन कर रहे थे. एक बड़ी संख्या में लोग उनके पीछे हो लिए थे. 16 मसीह येशु को अपराधी व्यक्तियों के साथ भोजन करते देख व्यवस्था के शिक्षकों ने, जो वास्तव में फ़रीसी थे, उनके शिष्यों से प्रश्न किया, “यह चुँगी लेने वाले तथा अपराधी व्यक्तियों के साथ क्यों खाता-पीता है?”

17 यह सुन मसीह येशु ने उन्हें ही सम्बोधित कर कहा, “वैद्य की ज़रूरत रोगी को होती है, स्वस्थ व्यक्ति को नहीं. मैं धर्मियों का नहीं परन्तु पापियों का उद्धार करने आया हूँ.”

उपवास के प्रश्न का हल

(मत्ति 9:14-17; लूकॉ 5:33-39)

18 योहन के शिष्य तथा फ़रीसी उपवास कर रहे थे. कुछ ने आ कर मसीह येशु से प्रश्न किया, “ऐसा क्यों है कि योहन तथा फ़रीसियों के शिष्य तो उपवास करते हैं किन्तु आपके शिष्य नहीं?”

19 मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “क्या कभी वर के रहते हुए उसके साथी उपवास करते हैं? जब तक वर उनके साथ है, वे उपवास कर ही नहीं सकते. 20 किन्तु वह समय आएगा, जब वर उनके मध्य से हटा लिया जाएगा, वे उस समय उपवास करेंगे.

21 “किसी पुराने वस्त्र पर नये वस्त्र का जोड़ नहीं लगाया जाता क्योंकि ऐसा करने पर नये वस्त्र का जोड़ सिकुड़ कर उस पुराने वस्त्र की पहले से अधिक दुर्दशा कर देता है. 22 कोई भी नये दाख़रस को पुरानी मश्कों में नहीं रखता अन्यथा ख़मीर हो कर दाख़रस मश्कों को फाड़ देती है. इससे दाख़रस भी नाश हो जाता है और मश्कें भी—नया दाख़रस नए मटके में ही डाला जाता है.”

Saral Hindi Bible (SHB)

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