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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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फ़िलिप्पॉय 4:10-20

सहायता के लिए आभार व्यक्ति

10 अब मैं प्रभु में अत्यधिक आनन्दित हूँ कि अब अन्ततः: तुम में मेरे प्रति सद्भाव दोबारा जागृत हो गया हैं. निस्संदेह तुम्हें मेरी हितचिन्ता पहले भी थी किन्तु उसे प्रकट करने का सुअवसर तुम्हें नहीं मिला. 11 यह मैं अभाव के कारण नहीं कह रहा हूँ क्योंकि मैंने हर एक परिस्थिति में सन्तुष्ट रहना सीख लिया है. 12 मैंने कंगाली और भरपूरी दोनों में रहना सीख लिया है. हर एक परिस्थिति और हर एक विषय में मैंने तृप्त होने और भूखा रहने का भेद और घटना व बढ़ना दोनों सीख लिया है. 13 जो मुझे सामर्थ प्रदान करते हैं, उनमें मैं सब कुछ करने में सक्षम हूँ.

14 तुमने मेरी विषम परिस्थितियों में मेरा साथ देकर सराहनीय काम किया है. 15 फ़िलिप्पॉयवासियो, ईश्वरीय सुसमाचार प्रचार के प्रारम्भ में मकेदोनिया से यात्रा प्रारम्भ करते समय तुम्हारे अतिरिक्त किसी भी कलीसिया से मुझे आर्थिक सहायता प्राप्त नहीं हुई. 16 इसी प्रकार थेस्सलोनिकेयुस में भी तुमने मेरी ज़रूरत में अनेक बार सहायता की. 17 यह नहीं कि मैं आर्थिक सहायता पाने की इच्छा रखता हूँ, परन्तु मैं ऐसे प्रतिफल की कामना करता हूँ, जिससे तुम्हारा लाभ बढ़ता जाए. 18 इपाफ़्रोदितॉस के द्वारा जो सहायता तुमने भेजी है, उससे मैंने सब कुछ प्राप्त किया है और अधिकाई में प्राप्त कर लिया है. यह मेरे लिए काफ़ी है. वह परमेश्वर के लिए मनमोहक सुगन्ध, ग्रहण योग्य बलि व आनन्दजनक है. 19 हमारे पिता परमेश्वर, अपने अपार धन के अनुरूप मसीह येशु में तुम्हारी हर एक ज़रूरत पूरा करेंगे.

20 परमेश्वर हमारे पिता की महिमा युगानुयुग बनी रहे, आमेन.

योहन 17:20-26

मसीह येशु की भविष्य में बनने वाले शिष्यों के लिए प्रार्थना

20 “मैं मात्र इनके लिए ही नहीं परन्तु उन सब के लिए भी विनती करता हूँ, जो इनके सन्देश के द्वारा मुझ में विश्वास करेंगे. 21 पिता! वे सब एक हों; जैसे आप मुझ में और मैं आप में, वैसे ही वे हम में एक हों जिससे संसार विश्वास करे कि आप ही मेरे भेजनेवाले हैं. 22 वह महिमा, जो आपने मुझे प्रदान की है, मैंने उन्हें दे दी है कि वे भी एक हों, जिस प्रकार हम एक हैं, 23 आप मुझमें और मैं उनमें कि वे पूरी तरह से एक हो जाएं जिससे संसार पर यह साफ़ हो जाए कि आपने ही मुझे भेजा और आपने उनसे वैसा ही प्रेम किया है जैसा मुझसे.

24 “पिता, मेरी इच्छा यह है कि वे भी, जिन्हें आपने मुझे सौंपा है, मेरे साथ वहीं रहें, जहाँ मैं हूँ कि वे मेरी उस महिमा को देख सकें, जो आपने मुझे दी है क्योंकि संसार की सृष्टि के पहले से ही आपने मुझसे प्रेम किया है.

25 “न्याय करने वाले पिता, संसार ने तो आपको नहीं जाना किन्तु मैं आपको जानता हूँ, उनको यह मालूम हो गया है कि आपने ही मुझे भेजा है. 26 मैंने आपको उन पर प्रकट किया है, और प्रकट करता रहूँगा कि जिस प्रेम से आपने मुझसे प्रेम किया है वही प्रेम उनमें बस जाए और मैं उनमें.”

Saral Hindi Bible (SHB)

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