Book of Common Prayer
2 प्रियजन, मैं तुम्हारे यहाँ न तो बातों की चतुराई का उपयोग करने आया और न ही उत्तम ज्ञान का प्रदर्शन करने, परन्तु मैं तुम्हारे यहाँ परमेश्वर के भेद का प्रकाशन करने आया था, 2 क्योंकि तुम्हारे बीच मैं इस निश्चय के साथ आया था कि मैं मसीह येशु और उनकी क्रूस की मृत्यु के अलावा किसी भी अन्य विषय को न जानूँ. 3 जब मैं तुम्हारे बीच था, मैं निर्बल था—भयभीत और थरथराता हुआ. 4 मेरा वचन तथा मेरा प्रचार मनुष्य के ज्ञान भरे शब्दों की लुभावनी शैली में नहीं परन्तु पवित्रात्मा तथा सामर्थ्य के प्रमाण में था 5 कि तुम्हारे विश्वास का आधार परमेश्वर का सामर्थ्य हो, न कि मनुष्य का ज्ञान.
पवित्रात्मा द्वारा दिया गया ज्ञान
6 फिर भी मैं उन्हें, जो मजबूत हैं, ज्ञान भरा सन्देश देता हूँ परन्तु यह ज्ञान न इस युग का है और न इस युग के शासकों का, जिनका नाश होना तय है. 7 हम परमेश्वर के ज्ञान का—उस रहस्यमय भेद का—जो गुप्त रखा गया है, प्रकट करते हैं, जिसे परमेश्वर ने युगों से पहले हमारी महिमा के लिए तय किया था. 8 इस ज्ञान को इस युग के किसी भी राजा ने न पहचाना. यदि वे इसे पहचान लेते, वे ज्योतिर्मय प्रभु को क्रूसित न करते. 9 किन्तु ठीक जैसा पवित्रशास्त्र का लेख है:
जो कभी आँखों से दिखाई नहीं दिया,
जो कभी कानों से सुना नहीं गया और जो मनुष्य के हृदय में नहीं उतरा,
वह सब परमेश्वर ने उनके लिए,
जो उनसे प्रेम करते हैं, तैयार किया है.
10 यह सब परमेश्वर ने हम पर आत्मा के माध्यम से प्रकट किया. आत्मा सबकी, यहाँ तक कि परमेश्वर की गूढ़ बातों की भी खोज करते हैं. 11 मनुष्यों में मनुष्य की अन्तरात्मा के अतिरिक्त अन्य कोई भी उनके मन की बातों को नहीं जानता. 12 हमें संसार की आत्मा नहीं परन्तु वह आत्मा प्राप्त हुई है, जो परमेश्वर की ओर से हैं कि हम वह सब जान सकें, जो परमेश्वर ने हमें उदारतापूर्वक प्रदान किया है.
13 हम उनके लिए, जो आत्मिक हैं, आत्मिक बातों का वर्णन मनुष्य के ज्ञान के शब्दों के द्वारा नहीं परन्तु आत्मिक शब्दों में करते हैं.
पेतरॉस की सास को स्वास्थ्यदान
(मत्ति 8:14-17; लूकॉ 4:38-41)
29 यहूदी सभागृह से निकल कर वे सीधे याक़ोब और योहन के साथ शिमोन तथा आन्द्रेयास के घर पर गए. 30 वहाँ शिमोन की सास बुखार में पड़ी हुई थीं. उन्होंने बिना देर किए मसीह येशु को इसके विषय में बताया. 31 मसीह येशु उनके पास आए, उनका हाथ पकड़ उन्हें उठाया और उनका बुखार जाता रहा तथा वह उनकी सेवा टहल में जुट गईं.
32 सन्ध्या समय सूर्यास्त के बाद लोग अस्वस्थ तथा जिनमें दुष्टात्माऐं थी उन लोगों को येशु के पास लाने लगे. 33 सारा नगर ही द्वार पर इकट्ठा हो गया 34 मसीह येशु ने विभिन्न रोगों से पीड़ित अनेकों को स्वस्थ किया और अनेक दुष्टात्माओं को भी निकाला. वह दुष्टात्माओं को बोलने नहीं देते थे क्योंकि वे उन्हें पहचानती थी.
समग्र गलील प्रदेश में मसीह येशु द्वारा प्रचार तथा स्वास्थ्यदान सेवा
(मत्ति 4:23-25; लूकॉ 4:42-44)
35 भोर होने पर, जब अन्धकार ही था, मसीह येशु उठे और एक सुनसान जगह को गए. वहाँ वह प्रार्थना करने लगे. 36 शिमोन तथा उनके अन्य साथी उन्हें खोज रहे थे. 37 उन्हें पाकर वे कहने लगे, “सभी आपको खोज रहे हैं.”
38 किन्तु मसीह येशु ने उनसे कहा, “चलो, कहीं और चलें—यहाँ पास के नगरों में—जिससे कि मैं वहाँ भी प्रचार कर सकूँ क्योंकि मेरे यहाँ आने का उद्धेश्य यही है.” 39 वह सारे गलील प्रदेश में घूमते हुए यहूदी सभागृहों में जा-जा कर प्रचार करते रहे तथा लोगों में से दुष्टात्माओं को निकालते गए.
कोढ़ रोगी की शुद्धि
(मत्ति 8:1-4; लूकॉ 5:12-16)
40 एक कोढ़ रोगी उनके पास आया. उसने मसीह येशु के सामने घुटने टेक उनसे विनती की, “आप चाहें तो मुझे शुद्ध कर सकते हैं.”
41 तरस खाकर मसीह येशु ने हाथ बढ़ाकर उसे स्पर्श किया और कहा, “मैं चाहता हूँ. तुम शुद्ध हो जाओ!” 42 उसी समय उसका कोढ़ रोग जाता रहा और वह शुद्ध हो गया.
43 मसीह येशु ने उसे उसी समय इस चेतावनी के साथ विदा किया, 44 “सुनो! इस विषय में किसी से कुछ न कहना. हाँ, जाकर स्वयं को याजक के सामने प्रस्तुत करो तथा अपनी शुद्धि के प्रमाण के लिए मोशेह द्वारा निर्धारित विधि के अनुसार शुद्धि सम्बन्धी भेंट चढ़ाओ.” 45 किन्तु उस व्यक्ति ने जा कर खुलेआम इसकी घोषणा की तथा यह समाचार इतना फैला दिया कि मसीह येशु इसके बाद खुल्लम खुल्ला किसी नगर में न जा सके और उन्हें नगर के बाहर सुनसान स्थानों में रहना पड़ा. फिर भी सब स्थानों से लोग उनके पास आते रहे.
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