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Revised Common Lectionary (Complementary)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with thematically matched Old and New Testament readings.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 92:1-4

सब्त के दिन के लिये एक स्तुति गीत।

यहोवा का गुण गाना उत्तम है।
    हे परम परमेश्वर, तेरे नाम का गुणगान उत्तम है।
भोर में तेरे प्रेम के गीत गाना
    और रात में तेरे भक्ति के गीत गाना उत्तम है।
हे परमेश्वर, तेरे लिये वीणा, दस तार वाद्य
    और सांरगी पर संगीत बजाना उत्तम है।
हे यहोवा, तू सचमुच हमको अपने किये कर्मो से आनन्दित करता है।
    हम आनन्द से भर कर उन गीतों को गाते हैं, जो कार्य तूने किये हैं।

भजन संहिता 92:12-15

12 सज्जन लोग तो लबानोन के विशाल देवदार वृक्ष की तरह है
    जो यहोवा के मन्दिर में रोपे गए हैं।
13 सज्जन लोग बढ़ते हुए ताड़ के पेड़ की तरह हैं,
    जो यहोवा के मन्दिर के आँगन में फलवन्त हो रहे हैं।
14 वे जब तक बूढ़े होंगे तब तक वे फल देते रहेंगे।
    वे हरे भरे स्वस्थ वृक्षों जैसे होंगे।
15 वे हर किसी को यह दिखाने के लिये वहाँ है
    कि यहोवा उत्तम है।
वह मेरी चट्टान है!
    वह कभी बुरा नहीं करता।

2 राजा 14:1-14

अमस्याह यहूदा में अपना शासन आरम्भ करता है

14 यहूदा के राजा योआश का पुत्र अमस्याह इस्राएल के राजा यहोआहाज के पुत्र योआश के शासन काल के दूसरे वर्ष में राजा हुआ। अमस्याह ने जब शासन करना आरम्भ किया, वह पच्चीस वर्ष का था। अमस्याह ने उनतीस वर्ष तक यरूशलेम में राज्य किया। अमस्याह की माँ यरूशलेम की निवासी यहोअद्दीन थी। अमस्याह ने वे कार्य किये जिन्हें यहोवा ने अच्छा बताया था। किन्तु उसने अपने पूर्वज दाऊद की तरह परमेश्वर का अनुसरण पूरी तरह से नहीं किया। अमस्याह ने वे सारे काम किये जो उसके पिता योआश ने किये थे। उसने उच्च स्थानों को नष्ट नहीं किया। लोग उन पूजा के स्थानों पर तब तक बलि देते और सुगन्धि जलाते थे।

जिस समय अमस्याह का राज्य पर दृढ़ नियन्त्रण था, उसने उन अधिकारियों को मार डाला जिन्होंने उसके पिता को मारा था। किन्तु उसने हत्यारों के बच्चों को, मूसा के व्यवस्था किताब में लिखे नियमों के कारण नहीं मारा। यहोवा ने अपना यह आदेश मूसा के व्यवस्था में दिया थाः “माता—पिता बच्चों द्वारा कुछ किये जाने के कारण मारे नहीं जा सकते और बच्चे अपने माता—पिता द्वारा कुछ किये जाने के कारण मारे नहीं जा सकते। कोई व्यक्ति केवल अपने अपने ही किये बुरे कार्य के लिये मारा जा सकता है।”

अमस्याह ने नमक घाटी में दस हज़ार एदोमियों को मार डाला। युद्ध में अमस्याह ने सेला को जीता और उसका नाम योक्तेल रखा। वह स्थान आज भी योक्तेल कहा जाता है।

अमस्याह योआश के विरुद्ध युद्ध छेड़ना चाहता है

अमस्याह ने इस्राएल के राजा येहू के पुत्र यहोआहाज के पुत्र योआश के पास सन्देशवाहक भेजा। अमस्याह के सन्देश में कहा गया, “आओ, हम परस्पर युद्ध करें। आमने सामने होकर एक दूसरे का मुकाबला करें।”

इस्राएल के राजा योआश ने यहूदा के राजा अमस्याह को उत्तर भेजा। योआश ने कहा, “लबानोन की एक कटीली झाड़ी ने लबानोन के देवदारु पेड़ के पास एक सन्देश भेजा। सन्देश यह था, ‘अपनी पुत्री, मेरे पुत्र के साथ विवाह के लिये दो।’ किन्तु लबानोन का एक जंगली जानवर उधर से निकला और कटीली झाड़ी को कुचल गया। 10 यह सत्य है कि तुमने एदोम को हराया है। किन्तु तुम एदोम पर विजय के कारण घमण्डी हो गए हो। अपनी प्रसिद्धि का आनन्द उठाओ तथा घर पर रहो। अपने लिये परेशानियाँ मत मोल लो। यदि तुम ऐसा करोगे तुम गिर जाओगे और तुम्हारे साथ यहूदा भी गिरेगा!”

11 किन्तु अमस्याह ने योआश की चेतावनी अनसुनी कर दी। अतः इस्राएल का राजा योआश यहूदा के राजा अमस्याह के विरुद्ध उसके ही नगर बेतशेमेश में लड़ने गया। 12 इस्राएल ने यहूदा को पराजित किया। यहूदा का हर एक आदमी घर भाग गया। 13 बेतशेमेश में इस्राएल के राजा योआश ने अहज्याह के पौत्र व योआश के पुत्र यहूदा के राजा अमस्याह को बन्दी बना लिया। योआश अमस्याह को यरूशलेम ले गया। योआश ने एप्रैम द्वार से कोने के फाटक तक लगभग छः सौ फुट यरूशलेम की दीवार को गिरवाया। 14 तब योआश ने सारा सोना—चाँदी और जो भी बर्तन यहोवा के मन्दिर और राजमहल के खजाने में थे, उन सब को लूट लिया। योआश ने कुछ लोगों को बन्दी बना लिया। तब वह शोमरोन को वापस लौट गया।

मरकुस 4:1-20

बीज बोने का दृष्टान्त

(मत्ती 13:1-9; लूका 8:4-8)

उसने झील के किनारे उपदेश देना फिर शुरू कर दिया। वहाँ उसके चारों ओर बड़ी भीड़ इकट्ठी हो गयी। इसलिये वह झील में खड़ी एक नाव पर जा बैठा। और सभी लोग झील के किनारे धरती पर खड़े थे। उसने दृष्टान्त देकर उन्हें बहुत सी बातें सिखाईं। अपने उपदेश में उसने कहा,

“सुनो! एक बार एक किसान बीज वो ने के लिए निकला। तब ऐसा हुआ कि जब उसने बीज बोये तो कुछ मार्ग के किनारे गिरे। पक्षी आये और उन्हें चुग गये। दूसरे कुछ बीज पथरीली धरती पर गिरे जहाँ बहुत मिट्टी नहीं थी। वे गहरी मिट्टी न होने के कारण जल्दी ही उग आये। और जब सूरज उगा तो वे झुलस गये और जड़ न पकड़ पाने के कारण मुरझा गये। कुछ और बीज काँटों में जा गिरे। काँटे बड़े हुए और उन्होंने उन्हें दबा लिया जिससे उनमें दाने नहीं पड़े। कुछ बीज अच्छी धरती पर गिरे। वे उगे, उनकी बढ़वार हुई और उन्होंने अनाज पैदा किया। तीस गुणी, साठ गुणी और यहाँ तक कि सौ गुणी अधिक फसल उतरी।”

फिर उसने कहा, “जिसके पास सुनने को कान है, वह सुने!”

यीशु का कथन: वह दृष्टान्तों का प्रयोग क्यों करता है

(मत्ती 13:10-17; लूका 8:9-10)

10 फिर जब वह अकेला था तो उसके बारह शिष्यों समेत जो लोग उसके आसपास थे, उन्होंने उससे दृष्टान्तों के बारे में पूछा।

11 यीशु ने उन्हें बताया, “तुम्हें तो परमेश्वर के राज्य का भेद दे दिया गया है किन्तु उनके लिये जो बाहर के हैं, सब बातें दृष्टान्तों में होती हैं:

12 ‘ताकि वे देखें और देखते ही रहें, पर उन्हें कुछ सूझे नहीं,
    सुनें और सुनते ही रहें पर कुछ समझें नहीं।
ऐसा न हो जाए कि वे फिरें और क्षमा किए जाएँ।’”(A)

बीज बोने के दृष्टान्त की व्याख्या

(मत्ती 13:18-23; लूका 8:11-15)

13 उसने उनसे कहा, “यदि तुम इस दृष्टान्त को नहीं समझते तो किसी भी और दृष्टान्त को कैसे समझोगे? 14 किसान जो बोता है, वह वचन है। 15 कुछ लोग किनारे का वह मार्ग हैं जहाँ वचन बोया जाता है। जब वे वचन को सुनते हैं तो तत्काल शैतान आता है और जो वचन रूपी बीज उनमें बोया गया है, उसे उठा ले जाता है।

16 “और कुछ लोग ऐसे हैं जैसे पथरीली धरती में बोया बीज। जब वे वचन को सुनते हैं तो उसे तुरन्त आनन्द के साथ अपना लेते हैं। 17 किन्तु उसके भीतर कोई जड़ नहीं होती, इसलिए वे कुछ ही समय ठहर पाते हैं और बाद में जब वचन के कारण उन पर विपत्ति आती है और उन्हें यातनाएँ दी जाती हैं, तो वे तत्काल अपना विश्वास खो बैठते हैं।

18 “और दूसरे लोग ऐसे हैं जैसे काँटों में बोये गये बीज। ये वे हैं जो वचन को सुनते हैं। 19 किन्तु इस जीवन की चिंताएँ, धन दौलत का लालच और दूसरी वस्तुओं को पाने की इच्छा उनमें आती है और वचन को दबा लेती है। जिससे उस पर फल नहीं लग पाता।

20 “और कुछ लोग उस बीज के समान हैं जो अच्छी धरती पर बोया गया है। ये वे हैं जो वचन को सुनते हैं और ग्रहण करते हैं। इन पर फल लगता है कहीं तीस गुणा, कहीं साठ गुणा तो कहीं सौ गुणे से भी अधिक।”

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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