Revised Common Lectionary (Complementary)
12 धन्य हैं वे मनुष्य जिनका परमेश्वर यहोवा है।
परमेश्वर ने उन्हें अपने ही मनुष्य होने को चुना है।
13 यहोवा स्वर्ग से नीचे देखता रहता है।
वह सभी लोगों को देखता रहता है।
14 वह ऊपर ऊँचे पर संस्थापित आसन से
धरती पर रहने वाले सब मनुष्यों को देखता रहता है।
15 परमेश्वर ने हर किसी का मन रचा है।
सो कोई क्या सोच रहा है वह समझता है।
16 राजा की रक्षा उसके महाबल से नहीं होती है,
और कोई सैनिक अपने निज शक्ति से सुरक्षित नहीं रहता।
17 युद्ध में सचमुच अश्वबल विजय नहीं देता।
सचमुच तुम उनकी शक्ति से बच नहीं सकते।
18 जो जन यहोवा का अनुसरण करते हैं, उन्हें यहोवा देखता है और रखवाली करता है।
जो मनुष्य उसकी आराधना करते हैं, उनको उसका महान प्रेम बचाता है।
19 उन लोगों को मृत्यु से बचाता है।
वे जब भूखे होते तब वह उन्हें शक्ति देता है।
20 इसलिए हम यहोवा की बाट जोहेंगे।
वह हमारी सहायता और हमारी ढाल है।
21 परमेश्वर मुझको आनन्दित करता है।
मुझे सचमुच उसके पवित्र नाम पर भरोसा है।
22 हे यहोवा, हम सचमुच तेरी आराधना करते हैं!
सो तू हम पर अपना महान प्रेम दिखा।
37 “हे अय्यूब, जब इन बातों के विषय में मैं सोचता हूँ,
मेरा हृदय बहुत जोर से धड़कता है।
2 हर कोई सुनों, परमेश्वर की वाणी बादल की गर्जन जैसी सुनाई देती है।
सुनों गरजती हुई ध्वनि को जो परमेश्वर के मुख से आ रही है।
3 परमेश्वर अपनी बिजली को सारे आकाश से होकर चमकने को भेजता है।
वह सारी धरती के ऊपर चमका करती है।
4 बिजली के कौंधने के बाद परमेश्वर की गर्जन भरी वाणी सुनी जा सकती है।
परमेश्वर अपनी अद्भुत वाणी के साथ गरजता है।
जब बिजली कौंधती है तब परमेश्वर की वाणी गरजती है।
5 परमेश्वर की गरजती हुई वाणी अद्भुत है।
वह ऐसे बड़े कर्म करता है, जिन्हें हम समझ नहीं पाते हैं।
6 परमेश्वर हिम से कहता है,
‘तुम धरती पर गिरो’
और परमेश्वर वर्षा से कहता है,
‘तुम धरती पर जोर से बरसो।’
7 परमेश्वर ऐसा इसलिये करता है कि सभी व्यक्ति जिनको उसने बनाया है
जान जाये कि वह क्या कर सकता है। वह उसका प्रमाण है।
8 पशु अपने खोहों में भाग जाते हैं, और वहाँ ठहरे रहते हैं।
9 दक्षिण से तूफान आते हैं,
और उत्तर से सर्दी आया करती है।
10 परमेश्वर का श्वास बर्फ को रचता है,
और सागरों को जमा देता है।
11 परमेश्वर बादलों को जल से भरा करता है,
और बिजली को बादल के द्वारा बिखेरता है।
12 परमेश्वर बादलों को आने देता है कि वह उड़ कर सब कहीं धरती के ऊपर छा जाये और फिर बादल वहीं करते हैं जिसे करने का आदेश परमेश्वर ने उन्हें दिया है।
13 परमेश्वर बाढ़ लाकर लोगों को दण्ड देने अथवा धरती को जल देकर अपना प्रेम दर्शाने के लिये बादलों को भेजता है।
50 हे भाइयो, मैं तुम्हें यह बता रहा हूँ: मांस और लहू (हमारे ये पार्थिव शरीर) परमेश्वर के राज्य के उत्तराधिकार नहीं पा सकते। और न ही जो विनाशमान है, वह अविनाशी का उत्तराधिकारी हो सकता है। 51 सुनो, मैं तुम्हें एक रहस्यपूर्ण सत्य बताता हूँ: हम सभी मरेंगे नहीं, बल्कि हम सब बदल दिये जायेंगे। 52 जब अंतिम तुरही बजेगी तब पलक झपकते एक क्षण में ही ऐसा हो जायेगा क्योंकि तुरही बजेगी और मरे हुए अमर हो कर जी उठेंगे और हम जो अभी जीवित हैं, बदल दिये जायेंगे। 53 क्योंकि इस नाशवान देह का अविनाशी चोले को धारण करना आवश्यक है और इस मरणशील काया का अमर चोला धारण कर लेना अनिवार्य है। 54 सो जब यह नाशमान देह अविनाशी चोले को धारण कर लेगी और वह मरणशील काया अमर चोले को ग्रहण कर लेगी तो शास्त्र का लिखा यह पूरा हो जायेगा:
“विजय ने मृत्यु को निगल लिया है।”(A)
55 “हे मृत्यु तेरी विजय कहाँ है?
ओ मृत्यु, तेरा दंश कहाँ है?”(B)
56 पाप मृत्यु का दंश है और पाप को शक्ति मिलती है व्यवस्था से। 57 किन्तु परमेश्वर का धन्यवाद है जो प्रभु यीशु मसीह के द्वारा हमें विजय दिलाता है।
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