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Revised Common Lectionary (Complementary)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with thematically matched Old and New Testament readings.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
प्रेरितों के काम 2:1-21

पवित्र आत्मा का आगमन

जब पिन्तेकुस्त का दिन आया तो वे सब एक ही स्थान पर इकट्ठे थे। तभी अचानक वहाँ आकाश से भयंकर आँधी का शब्द आया और जिस घर में वे बैठे थे, उसमें भर गया। और आग की फैलती लपटों जैसी जीभें वहाँ सामने दिखायी देने लगीं। वे आग की विभाजित जीभें उनमें से हर एक के ऊपर आ टिकीं। वे सभी पवित्र आत्मा से भावित हो उठे। और आत्मा के द्वारा दिये गये सामर्थ्य के अनुसार वे दूसरी भाषाओं में बोलने लगे।

वहाँ यरूशलेम में आकाश के नीचे के सभी देशों से आये यहूदी भक्त रहा करते थे। जब यह शब्द गरजा तो एक भीड़ एकत्र हो गयी। वे लोग अचरज में पड़े थे क्योंकि हर किसी ने उन्हें उसकी अपनी भाषा में बोलते सुना।

वे आश्चर्य में भर कर विस्मय के साथ बोले, “ये बोलने वाले सभी लोग क्या गलीली नहीं हैं? फिर हममें से हर एक उन्हें हमारी अपनी मातृभाषा में बोलते हुए कैसे सुन रहा है? वहाँ पारथी, मेदी और एलामी, मिसुपुतामिया के निवासी, यहूदिया और कप्पूदूकिया, पुन्तुस और एशिया। 10 फ्रूगिया और पम्फूलिया, मिसर और साइरीन नगर के निकट लीबिया के कुछ प्रदेशों के लोग, रोम से आये यात्री जिनमें जन्मजात यहूदी और यहूदी धर्म ग्रहण करने वाले लोग, क्रेती तथा अरब के रहने वाले 11 हम सब परमेश्वर के आश्चर्यपूर्ण कामों को अपनी अपनी भाषाओं में सुन रहे हैं।”

12 वे सब विस्मय में पड़ कर भौंचक्के हो आपस में पूछ रहे थे, “यह सब क्या हो रहा है?” 13 किन्तु दूसरे लोगों ने प्रेरितों का उपहास करते हुए कहा, “ये सब कुछ ज्यादा ही, नयी दाखरस चढ़ा गये हैं।”

पतरस का संबोधन

14 फिर उन ग्यारहों के साथ पतरस खड़ा हुआ और ऊँचे स्वर में लोगों को सम्बोधित करने लगा, “यहूदी साथियो और यरूशलेम के सभी निवासियो! इसका अर्थ मुझे बताने दो। मेरे शब्दों को ध्यान से सुनो। 15 ये लोग पिये हुए नहीं हैं, जैसा कि तुम समझ रहे हो। क्योंकि अभी तो सुबह के नौ बजे हैं। 16 बल्कि यह वह बात है जिसके बारे में योएल नबी ने कहा था:

17 ‘परमेश्वर कहता है:
अंतिम दिनों में ऐसा होगा कि मैं सभी मनुष्यों पर अपनी आत्मा उँड़ेल दूँगा
    फिर तुम्हारे पुत्र और पुत्रियाँ भविष्यवाणी करने लगेंगे।
    तथा तुम्हारे युवा लोग दर्शन पायेंगे
    और तुम्हारे बूढ़े लोग स्वप्न देखेंगे।
18 हाँ, उन दिनों मैं अपने सेवकों और सेविकाओं पर अपनी आत्मा उँड़ेल दूँगा
    और वे भविष्यवाणी करेंगे।
19 मैं ऊपर आकाश में अद्भुत कर्म
    और नीचे धरती पर चिन्ह दिखाऊँगा
    लहू, आग और धुएँ के बादल।
20 सूर्य अन्धेरे में और
    चाँद रक्त में बदल जायेगा।
तब प्रभु का महान और महिमामय दिन आएगा।
21 और तब हर उस किसी का बचाव होगा जो प्रभु का नाम पुकारेगा।’(A)

यहेजकेल 37:1-14

सूखी हड्डियों का दर्शन

37 यहोवा की शक्ति मुझ पर उतरी। यहोवा की आत्मा मुझे नगर के बाहर ले गई और नीचे एक घाटी के बीच में रखा। घाटी मरे लोगों की हड्डियों से भरी थी। घाटी में असंख्य हड्डियाँ भूमि पर पड़ी थी। यहोवा ने मुझे हड्डियों के चारों ओर घुमाया। मैंने देखा कि हड्डियाँ बहुत सूखी हैं।

तब मेरे स्वामी यहोवा ने मुझसे कहा, “मनुष्य के पुत्र, क्या यह हड्डियाँ जीवित हो सकती हैं”

मैंने उत्तर दिया, “मेरे स्वामी यहोवा, उस प्रश्न का उत्तर केवल तू जानता है।”

मेरे स्वामी यहोवा ने मुझसे कहा, “उन हड्डियों से मेरे लिये बातें करो। उन हड्डियों से कहो, ‘सूखी हड्डियों, यहोवा का वचन सुनों! मेरा स्वामी यहोवा तुम से यह कहता है: मैं तुममें आत्मा को आने दूँगा और तुम जीवित हो जाओगे! मैं तुम्हारे ऊपर नसें और माँस पेशियाँ चढ़ाऊँगा और मैं तुम्हें चमड़ी से ढक दूँगा। तब मैं तुम में प्राण का संचार करुँगा और तुम फिर जीवित हो उठोगे। तब तुम समझोगे कि मैं स्वामी यहोवा हूँ।’”

अत: मैंने यहोवा के लिये उन हड्डियों से वैसे ही बातें कीं जैसा उसने कहा। मैं जब कुछ कह ही रहा था तभी मैंने प्रचण्ड ध्वनि सुनी। हड्डियाँ खड़खड़ाने लगीं और हड्डियाँ हड्डियों से एक साथ जुड़ीं! वहाँ मेरी आँखों के सामने नसों, माँस पेशियों और त्वचा ने हड्डियों को ढकना आरम्भ किया। किन्तु शरीर हिले नहीं, उनमें प्राण नहीं था।

तब तेरे स्वामी यहोवा ने मुझसे कहा, “सांस से मेरे लिये कहो। मनुष्य के पुत्र, मेरे लिये सांस से बातों करो। सांस से कहो कि स्वामी यहोवा यह कह रहा है: ‘सांस, हर दिशा से आओ और इन शवों में प्राण संचार करो। उनमें प्राण संचार करो और वे फिर जीवित हो जाएंगे!’”

10 इस प्रकार मैंने यहोवा के लिये सांस से बातें कीं जैसा उसने कहा और शवों में सांस आई। वे जीवित हुए और खड़े हो गये। वहाँ बहुत से पुरुष थे, वे एक बड़ी विशाल सेना थे!

11 तब मेरे स्वामी यहोवा ने मुझसे कहा, “मनुष्य के पुत्र, ये हड्डियाँ इस्राएल के पूरे परिवार की तरह हैं! इस्राएल के लोग कहते है, हमारी हड्‌डियाँ सूख गई है, ‘हमारी आशा समाप्त है। हम पूरी तरह नष्ट किये जा चुके हैं।’ 12 इसलिये उनसे मेरे लिये बातें करो। उनसे कहो, ‘स्वामी यहोवा यह कहता है: मेरे लोगों, मैं तुम्हारी कब्रें खोलूँगा और तुम्हें कब्रों के बाहर लाऊँगा! तब मैं तुम्हें इस्राएल की भूमि पर लाऊँगा। 13 मेरे लोगों, मैं तुम्हारी कब्रें खोलूँगा और तुम्हारी कब्रों से तुम्हें बाहर लाऊँगा। तब तुम समझोगे कि मैं यहोवा हूँ। 14 मैं अपनी आत्मा तुममे डालूँगा और तुम फिर से जीवित हो जाओगे। तब तुमको मैं तुम्हारे देश में वापस लाऊँगा। तब तुम जानोगे कि मैं यहोवा हूँ। तुम जानोगे कि मैंने ये बातें कहीं और उन्हें घटित कराया।’” यहोवा ने यह कहा था।

भजन संहिता 104:24-34

24 हे यहोवा, तूने अचरज भरे बहुतेरे काम किये।
    धरती तेरी वस्तुओं से भरी पड़ी है।
    तू जो कुछ करता है, उसमें निज विवेक दर्शाता है।
25 यह सागर देखे! यह कितना विशाल है!
    बहुतेरे वस्तुएँ सागर में रहती हैं! उनमें कुछ विशाल है और कुछ छोटी हैं!
    सागर में जो जीवजन्तु रहते हैं, वे अगणित असंख्य हैं।
26 सागर के ऊपर जलयान तैरते हैं,
    और सागर के भीतर महामत्स्य
    जो सागर के जीव को तूने रचा था, क्रीड़ा करता है।
27 यहोवा, यह सब कुछ तुझ पर निर्भर है।
    हे परमेश्वर, उन सभी जीवों को खाना तू उचित समय पर देता है।
28 हे परमेश्वर, खाना जिसे वे खाते है, वह तू सभी जीवों को देता है।
    तू अच्छे खाने से भरे अपने हाथ खोलता है, और वे तृप्त हो जाने तक खाते हैं।
29 फिर जब तू उनसे मुख मोड़ लेता तब वे भयभीत हो जाते हैं।
    उनकी आत्मा उनको छोड़ चली जाती है।
वे दुर्बल हो जाते और मर जाते हैं
    और उनकी देह फिर धूल हो जाती है।
30 हे यहोवा, निज आत्मा का अंश तू उन्हें दे।
    और वह फिर से स्वस्थ हो जोयेंगे। तू फिर धरती को नयी सी बना दे।

31 यहोवा की महिमा सदा सदा बनी रहे!
    यहोवा अपनी सृष्टि से सदा आनन्दित रहे!
32 यहोवा की दृष्टि से यह धरती काँप उठेगी।
    पर्वतों से धुआँ उठने लग जायेगा।

33 मैं जीवन भर यहोवा के लिये गाऊँगा।
    मैं जब तक जीता हूँ यहोवा के गुण गाता रहूँगा।
34 मुझको यह आज्ञा है कि जो कुछ मैंने कहा है वह उसे प्रसन्न करेगा।
    मैं तो यहोवा के संग में प्रसन्न हूँ!

भजन संहिता 104:35

35 धरती से पाप का लोप हो जाये और दुष्ट लोग सदा के लिये मिट जाये।
ओ मेरे मन यहोवा कि प्रशंसा कर।

    यहोवा के गुणगान कर!

रोमियों 8:22-27

22 क्योंकि हम जानते हैं कि आज तक समूची सृष्टि पीड़ा में कराहती और तड़पती रही है। 23 न केवल यह सृष्टि बल्कि हम भी जिन्हें आत्मा का पहला फल मिला है, अपने भीतर कराहते रहे है। क्योंकि हमें उसके द्वारा पूरी तरह अपनाये जाने का इंतजार है कि हमारी देह मुक्ति हो जायेगी। 24 हमारा उद्धार हुआ है। इसी से हमारे मन में आशा है किन्तु जब हम जिसकी आशा करते है, उसे देख लेते हैं तो वह आशा नहीं रहती। जो दिख रहा है उसकी आशा कौन कर सकता है। 25 किन्तु यदि जिसे हम देख नहीं रहे उसकी आशा करते हैं तो धीरज और सहनशीलता के साथ उसकी बाट जोहते हैं।

26 ऐसे ही जैसे हम कराहते हैं, आत्मा हमारी दुर्बलता में हमारी सहायता करने आती है क्योंकि हम नहीं जानते कि हम किसके लिये प्रार्थना करें। किन्तु आत्मा स्वयं ऐसी आहें भर कर जिनकी शब्दों में अभिव्यक्ति नहीं की जा सकती, हमारे लिए विनती करती है। 27 किन्तु वह अन्तर्यामी जानता है कि आत्मा की मनसा क्या है। क्योंकि परमेश्वर की इच्छा से ही वह परमेश्वर के पवित्र जनों के लिए मध्यस्थता करती है।

प्रेरितों के काम 2:1-21

पवित्र आत्मा का आगमन

जब पिन्तेकुस्त का दिन आया तो वे सब एक ही स्थान पर इकट्ठे थे। तभी अचानक वहाँ आकाश से भयंकर आँधी का शब्द आया और जिस घर में वे बैठे थे, उसमें भर गया। और आग की फैलती लपटों जैसी जीभें वहाँ सामने दिखायी देने लगीं। वे आग की विभाजित जीभें उनमें से हर एक के ऊपर आ टिकीं। वे सभी पवित्र आत्मा से भावित हो उठे। और आत्मा के द्वारा दिये गये सामर्थ्य के अनुसार वे दूसरी भाषाओं में बोलने लगे।

वहाँ यरूशलेम में आकाश के नीचे के सभी देशों से आये यहूदी भक्त रहा करते थे। जब यह शब्द गरजा तो एक भीड़ एकत्र हो गयी। वे लोग अचरज में पड़े थे क्योंकि हर किसी ने उन्हें उसकी अपनी भाषा में बोलते सुना।

वे आश्चर्य में भर कर विस्मय के साथ बोले, “ये बोलने वाले सभी लोग क्या गलीली नहीं हैं? फिर हममें से हर एक उन्हें हमारी अपनी मातृभाषा में बोलते हुए कैसे सुन रहा है? वहाँ पारथी, मेदी और एलामी, मिसुपुतामिया के निवासी, यहूदिया और कप्पूदूकिया, पुन्तुस और एशिया। 10 फ्रूगिया और पम्फूलिया, मिसर और साइरीन नगर के निकट लीबिया के कुछ प्रदेशों के लोग, रोम से आये यात्री जिनमें जन्मजात यहूदी और यहूदी धर्म ग्रहण करने वाले लोग, क्रेती तथा अरब के रहने वाले 11 हम सब परमेश्वर के आश्चर्यपूर्ण कामों को अपनी अपनी भाषाओं में सुन रहे हैं।”

12 वे सब विस्मय में पड़ कर भौंचक्के हो आपस में पूछ रहे थे, “यह सब क्या हो रहा है?” 13 किन्तु दूसरे लोगों ने प्रेरितों का उपहास करते हुए कहा, “ये सब कुछ ज्यादा ही, नयी दाखरस चढ़ा गये हैं।”

पतरस का संबोधन

14 फिर उन ग्यारहों के साथ पतरस खड़ा हुआ और ऊँचे स्वर में लोगों को सम्बोधित करने लगा, “यहूदी साथियो और यरूशलेम के सभी निवासियो! इसका अर्थ मुझे बताने दो। मेरे शब्दों को ध्यान से सुनो। 15 ये लोग पिये हुए नहीं हैं, जैसा कि तुम समझ रहे हो। क्योंकि अभी तो सुबह के नौ बजे हैं। 16 बल्कि यह वह बात है जिसके बारे में योएल नबी ने कहा था:

17 ‘परमेश्वर कहता है:
अंतिम दिनों में ऐसा होगा कि मैं सभी मनुष्यों पर अपनी आत्मा उँड़ेल दूँगा
    फिर तुम्हारे पुत्र और पुत्रियाँ भविष्यवाणी करने लगेंगे।
    तथा तुम्हारे युवा लोग दर्शन पायेंगे
    और तुम्हारे बूढ़े लोग स्वप्न देखेंगे।
18 हाँ, उन दिनों मैं अपने सेवकों और सेविकाओं पर अपनी आत्मा उँड़ेल दूँगा
    और वे भविष्यवाणी करेंगे।
19 मैं ऊपर आकाश में अद्भुत कर्म
    और नीचे धरती पर चिन्ह दिखाऊँगा
    लहू, आग और धुएँ के बादल।
20 सूर्य अन्धेरे में और
    चाँद रक्त में बदल जायेगा।
तब प्रभु का महान और महिमामय दिन आएगा।
21 और तब हर उस किसी का बचाव होगा जो प्रभु का नाम पुकारेगा।’(A)

यूहन्ना 15:26-27

26 “जब वह सहायक (जो सत्य की आत्मा है और परम पिता की ओर से आता है) तुम्हारे पास आयेगा जिसे मैं परम पिता की ओर से भेजूँगा, वह मेरी ओर से साक्षी देगा। 27 और तुम भी साक्षी दोगे क्योंकि तुम आदि से ही मेरे साथ रहे हो।

यूहन्ना 16:4-15

किन्तु मैंने तुमसे यह इसलिये कहा है ताकि जब उनका समय आये तो तुम्हें याद रहे कि मैंने उनके विषय में तुमको बता दिया था।

पवित्र आत्मा के कार्य

“आरम्भ में ये बातें मैंने तुम्हें नहीं बतायी थीं क्योंकि मैं तुम्हारे साथ था। किन्तु अब मैं उसके पास जा रहा हूँ जिसने मुझे भेजा है और तुममें से मुझ से कोई नहीं पूछेगा, ‘तू कहाँ जा रहा है?’ क्योंकि मैंने तुम्हें ये बातें बता दी हैं, तुम्हारे हृदय शोक से भर गये हैं। किन्तु मैं तुम्हें सत्य कहता हूँ इसमें तुम्हारा भला है कि मैं जा रहा हूँ। क्योंकि यदि मैं न जाऊँ तो सहायक तुम्हारे पास नहीं आयेगा। किन्तु यदि मैं चला जाता हूँ तो मैं उसे तुम्हारे पास भेज दूँगा।

“और जब वह आयेगा तो पाप, धार्मिकता और न्याय के विषय में जगत के संदेह दूर करेगा। पाप के विषय में इसलिये कि वे मुझ में विश्वास नहीं रखते, 10 धार्मिकता के विषय में इसलिये कि अब मैं परम पिता के पास जा रहा हूँ। और तुम मुझे अब और अधिक नहीं देखोगे। 11 न्याय के विषय में इसलिये कि इस जगत के शासक को दोषी ठहराया जा चुका है।

12 “मुझे अभी तुमसे बहुत सी बातें कहनी हैं किन्तु तुम अभी उन्हें सह नहीं सकते। 13 किन्तु जब सत्य का आत्मा आयेगा तो वह तुम्हें पूर्ण सत्य की राह दिखायेगा क्योंकि वह अपनी ओर से कुछ नहीं कहेगा। वह जो कुछ सुनेगा वही बतायेगा। और जो कुछ होने वाला है उसको प्रकट करेगा। 14 वह मेरी महिमा करेगा क्योंकि जो मेरा है उसे लेकर वह तुम्हें बतायेगा। हर वस्तु जो पिता की है, वह मेरी है। 15 इसीलिए मैंने कहा है कि जो कुछ मेरा है वह उसे लेगा और तुम्हें बतायेगा।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

© 1995, 2010 Bible League International