Revised Common Lectionary (Complementary)
संगीत निर्देशक के लिये दाऊद का एक पद।
1 तेरी पुकार का यहोवा उत्तर दे, और जब तू विपति में हो
तो याकूब का परमेश्वर तेरे नाम को बढ़ायें।
2 परमेश्वर अपने पवित्रस्थान से तेरी सहायता करे।
वह तुझको सिय्योन से सहारा देवे।
3 परमेश्वर तेरी सब भेंटों को याद रखे,
और तेरे सब बलिदानों को स्वीकार करें।
4 परमेश्वर तुझे उन सभी वस्तुओं को देवे जिन्हें तू सचमुच चाहे।
वह तेरी सभी योजनाएँ पूरी करें।
5 परमेश्वर जब तेरी सहायता करे हम अति प्रसन्न हों
और हम परमेश्वर की बढ़ाई के गीत गायें।
जो कुछ भी तुम माँगों यहोवा तुम्हें उसे दे।
6 मैं अब जानता हूँ कि यहोवा सहायता करता है अपने उस राजा की जिसको उसने चुना।
परमेश्वर तो अपने पवित्र स्वर्ग में विराजा है और उसने अपने चुने हुए राजा को, उत्तर दिया
उस राजा की रक्षा करने के लिये परमेश्वर अपनी महाशक्ति को प्रयोग में लाता है।
7 कुछ को भरोसा अपने रथों पर है, और कुछ को निज सैनिकों पर भरोसा है
किन्तु हम तो अपने यहोवा परमेश्वर को स्मरण करते हैं।
8 किन्तु वे लोग तो पराजित और युद्ध में मारे गये
किन्तु हम जीते और हम विजयी रहे।
9 ऐसा कैसा हुआ? क्योंकि यहोवा ने अपने चुने हुए राजा की रक्षा की
उसने परमेश्वर को पुकारा था और परमेश्वर ने उसकी सुनी।
पवित्र वस्तुओं के लिए भेंट
25 यहोवा ने मूसा से कहा, 2 “इस्राएल के लोगों से मेरे लिए भेंट लाने को कहो। हर एक व्यक्ति अपने मन में निश्चय करे कि वह मुझे इन वस्तुओं में से क्या अर्पित करना चाहता है। इन उपहारों को मेरे लिए अर्पित करो। 3 इन वस्तुओं की सूची यह है जिन्हें तुम लोगों से स्वीकार करोगे, सोना, चाँदी, काँसा; 4 नीला, बैंगनी और लाल सूत, सुन्दर रेशमी कपड़ा; बकरियों के बाल, 5 लाल रंग से रंगा भेड़ का चमड़ा, सुइसों के चमड़ें, बबूल की लकड़ी, 6 दीपक में जलाने का तेल, धूप के लिए सुगन्धित द्रव्य, अभिषेक के तेल के लिए भीनी सुगन्ध देने वाले मसाले। 7 गोमेदक रत्न तथा अन्य मूल्यवान रत्न भी जो याजकों के पहनने की एपोद और न्याय की थैली पर जड़े जाएं, अर्पित करो।”
पवित्र तम्बू
8 परमेश्वर ने यह भी कहा, “लोग मेरे लिए एक पवित्र तम्बू बनाएंगे। तब मैं उनके साथ रह सकूँगा। 9 मैं तुम्हें दिखाऊँगा कि पवित्र तम्बू कैसा दिखाई पड़ना चाहिए। मैं तुम्हें दिखाऊँगा कि इसमें सभी चीज़ें कैसी दिखाई देनी चाहिए। जैसा मैंने दिखाया है हर एक चीज़ ठीक वैसे ही बनाओ।
साक्षीपत्र का सन्दूक
10 “बबूल की लकड़ी का उपयोग करके एक विशेष सन्दूक बनाओ। वह सन्दूक निश्चय ही पैतालिस इंच[a] लम्बा, सत्ताईस इंच[b] चौड़ा और सत्ताईस इंच ऊँचा होना चाहिए। 11 सन्दूक को भीतर और बाहर से ढकने के लिए शुद्ध सोने का उपयोग करो। सन्दूक के कोनों को सोने से मढ़ो। 12 सन्दूक को उठाने के लिए सोने के चार कड़ें बनाओ। सोने के कड़ों को चारों कोनों पर लगाओ। दोनों तरफ दो—दो कड़े हों। 13 तब सन्दूक ले चलने के लिए बल्लियाँ बनाओ। ये बल्लियाँ बबूल की लकड़ी की बनी हों और सोने से मढ़ी होनी चाहिए। 14 सन्दूक के बगलों के कोनों पर लगे कड़ों में इन बल्लियों को डाल देना। इन बल्लियों का उपयोग सन्दूक को ले जाने के लिए करो। 15 ये बल्लियाँ सन्दूक के कड़ों में सदा पड़ी रहनी चाहिए। बल्लियों को बाहर न निकालो।”
16 परमेश्वर ने कहा, “मैं तुम्हें साक्षीपत्र दूँगा। इस साक्षीपत्र को इस सन्दूक में रखो। 17 तब एक ढक्कन बनाओ। इसे शुद्ध सोने का बनाओ। इसे पैंतालिस इंच लम्बा और सत्ताईस इंच चौड़ा बनाओ। 18 तब दो करूब बनाओ और उन्हें ढक्कन के दोनों सिरों पर लगाओ। इन करूबों को बनाने के लिए स्वर्ण पत्रों का उपयोग करो। 19 एक करूब को ढक्कन के एक सिरे पर लगाओ तथा दूसरे को दूसरे सिरे पर। करूब और ढक्कन को परस्पर जोड़ कर के एक इकाई के रूप में बनाया जाए। 20 करूब एक दूसरे के आमने—सामने होने चाहिए। करूबों के मुख ढक्कन की ओर देखते हुए होने चाहिए। करूबों के पंख ढक्कन पर फैले हों।
21 “मैंने तुमको साक्षीपत्र का जो प्रमाण दिया है उसे साक्षीपत्र के सन्दूक में रखो और विशेष ढक्कन से सन्दूक को बन्द करो। 22 जब मैं तुमसे मिलूँगा तब मैं करूबों के बीच से, जो साक्षीपत्र के सन्दूक के विशेष ढक्कन पर है, बात करूँगा। मैं अपने सभी आदेश इस्राएल के लोगों को उसी स्थान से दूँगा।”
क्रूस पर चढ़े मसीह के विषय में संदेश
2 हे भाइयों, जब मैं तुम्हारे पास आया था तो परमेश्वर के रहस्यपूर्ण सत्य का, वाणी की चतुरता अथवा मानव बुद्धि के साथ उपदेश देते हुए नहीं आया था 2 क्योंकि मैंने यह निश्चय कर लिया था कि तुम्हारे बीच रहते, मैं यीशु मसीह और क्रूस पर हुई उसकी मृत्यु को छोड़ कर किसी और बात को जानूँगा तक नहीं। 3 सो मैं दीनता के साथ भय से पूरी तरह काँपता हुआ तुम्हारे पास आया। 4 और मेरी वाणी तथा मेरा संदेश मानव बुद्धि के लुभावने शब्दों से युक्त नहीं थे बल्कि उनमें था आत्मा की शक्ति का प्रमाण 5 ताकि तुम्हारा विश्वास मानव बुद्धि के बजाय परमेश्वर की शक्ति पर टिके।
परमेश्वर का ज्ञान
6 जो समझदार हैं, उन्हें हम बुद्धि देते हैं किन्तु यह बुद्धि इस युग की बुद्धि नहीं है, न ही इस युग के उन शासकों की बुद्धि है जिन्हें विनाश के कगार पर लाया जा रहा है। 7 इसके स्थान पर हम तो परमेश्वर के उस रहस्यपूर्ण विवेक को देते हैं जो छिपा हुआ था और जिसे अनादि काल से परमेश्वर ने हमारी महिमा के लिये निश्चित किया था। 8 और जिसे इस युग के किसी भी शासक ने नहीं समझा क्योंकि यदि वे उसे समझ पाये होते तो वे उस महिमावान प्रभु को क्रूस पर न चढ़ाते। 9 किन्तु शास्त्र में लिखा है:
“जिन्हें आँखों ने देखा नहीं
और कानों ने सुना नहीं;
जहाँ मनुष्य की बुद्धि तक कभी नहीं पहुँची ऐसी बातें
उनके हेतु प्रभु ने बनायी जो जन उसके प्रेमी होते।”(A)
10 किन्तु परमेश्वर ने उन ही बातों को आत्मा के द्वारा हमारे लिये प्रकट किया है।
आत्मा हर किसी बात को ढूँढ निकालती है यहाँ तक कि परमेश्वर की छिपी गहराइयों तक को।
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