Book of Common Prayer
झूठे शिक्षक
2 झूठे भविष्यद्वक्ता इस्राएल राष्ट्र में भी उठे थे, ठीक इसी प्रकार तुम्हारे बीच भी झूठे शिक्षक उठेंगे. वे उन स्वामी को, जिन्होंने उन्हें मोल लिया है, अस्वीकार करते हुए गुप्त रूप से विनाशकारी पाखण्ड़ों का उद्घाटन करेंगे. इनके द्वारा वे स्वयं अपने ऊपर शीघ्र, अचानक विनाश ले आएंगे. 2 अनेक लोग उनके अनुसार लुचपन के स्वभाव का अनुसरण करेंगे. उनके कारण सच का मार्ग निन्दित हो जाएगा. 3 वे लालच के कारण तुम्हें अपनी झूठी गढ़ी हुई बातों में फँसा कर तुमसे अनुचित लाभ उठाएंगे. उनके लिए पहले से तय किया न्याय-दण्ड न तो निष्क्रिय हुआ है और न ही उनका विनाश सोया हुआ है.
4 जब परमेश्वर ने उन स्वर्गदूतों को भी क्षमा नहीं किया, जिन्होंने पाप किया था परन्तु उन्हें न्याय के लिए पाताल के अन्धेरे गड्ढों में धकेल रखा है; 5 जब उन्होंने प्राचीन संसार को भी नहीं छोड़ा परन्तु पानी की बाढ़ द्वारा अधर्मियों के संसार का नाश किया—धार्मिकता के प्रचारक नोहा तथा सात अन्य के अतिरिक्त; 6 यदि उन्होंने सोदोम और अमोराह नगरों को भस्म कर विनाशकारी दण्ड दिया कि वे आनेवाले कुकर्मियों के लिए उदाहरण बन जाएँ; 7 यदि परमेश्वर ने अधर्मियों के अशुद्ध चाल-चलन से बहुत दुःखी धर्मी लोत का उद्धार किया, 8 जो उन लोगों के बीच निवास करते हुए, उनका अधर्म का स्वभाव देख व सुन दिन-प्रतिदिन अपनी धर्मी अन्तरात्मा में तीव्र यातना सहते थे, 9 तो यह स्पष्ट है कि परमेश्वर यह जानते हैं कि धर्मियों को किस प्रकार परीक्षा से निकाला जाए तथा यह भी कि किस प्रकार अधर्मियों को न्याय के दिन पर दण्डित किए जाने के लिए संभाल कर रखा जाए, 10 विशेष रूप से उन्हें, जो कामुकता की अशुद्ध अभिलाषाओं में लीन रहते तथा प्रभुता को तुच्छ समझते हैं.
ये ढ़ीठ तथा घमण्ड़ी व्यक्ति तेजोमय स्वर्गीय प्राणियों तक की निन्दा करने का दुस्साहस कर बैठते हैं,
बपतिस्मा देने वाले योहन का उपदेश
(मत्ति 3:1-12; लूकॉ 3:1-18)
1 परमेश्वर-पुत्र[a] येशु मसीह के सुसमाचार का आरम्भ:
2 भविष्यद्वक्ता यशायाह के अभिलेख के अनुसार,
“तुम्हारे पूर्व मैं अपना एक दूत भेज रहा हूँ,
जो तुम्हारा मार्ग तैयार करेगा”;
3 “जंगल में पुकारनेवाले की आवाज़ है,
‘प्रभु का मार्ग तैयार करो,
उनके रास्ते सीधे और समतल करो.’”
4 बपतिस्मा देने वाले योहन जंगल में पाप-क्षमा के लिए पश्चाताप के बपतिस्मा का प्रचार करते हुए आए. 5 यहूदिया प्रदेश के क्षेत्रों से सारी भीड़ तथा येरूशालेम नगर के सभी लोग उनसे भेंट करने जाने लगे. ये सब पाप स्वीकार करते हुए यरदन नदी में योहन से बपतिस्मा ले रहे थे. 6 योहन का परिधान, ऊँट के रोम से निर्मित वस्त्र और उसके ऊपर चमड़े का कमरबन्द था और उनका भोजन था टिड्डियाँ तथा जंगलीमधु. 7 वह प्रचार कर कहते थे, “मेरे बाद एक ऐसा व्यक्ति आएगा, जो मुझसे अधिक शक्तिमान हैं—मैं तो इस योग्य भी नहीं हूँ कि उनके सामने झुक कर उनकी जूतियों के बन्ध खोलूँ. 8 मैं बपतिस्मा जल में देता हूँ; वह तुम्हें पवित्रात्मा में बपतिस्मा देंगे.”
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