Book of Common Prayer
थेस्सलोनिकेयुस नगर में तिमोथियॉस का सेवालक्ष्य
3 इसलिए जब यह हमारे लिए असहनीय हो गया, हमने अथेनॉन नगर में ही रुके रहना सही समझा. 2 हमने मसीह के ईश्वरीय सुसमाचार के प्रचार में परमेश्वर के सहकर्मी तथा हमारे भाई तिमोथियॉस को तुम्हारे पास इस उद्धेश्य से भेजा कि वह तुम्हें तुम्हारे विश्वास में मजबूत करे 3 कि तुममें से कोई भी इन क्लेशों के द्वारा डगमगा न जाए. तुम्हें तो यह अच्छी तरह से मालूम है कि हम पर इन क्लेशों का आना अवश्य है. 4 वस्तुत: जब हम तुम्हारे यहाँ थे, हम पहले ही तुम्हें यह बताते रहे कि हम पर क्लेशों का आना निश्चित है और तुम्हें तो मालूम ही है कि हुआ भी ऐसा ही. 5 यही कारण है कि जब यह मेरे लिए असहनीय हो गया, मैंने भी इस आशंका से कि कहीं शैतान ने तुम्हें परीक्षा में फँसा न लिया हो और हमारा परिश्रम व्यर्थ न चला जाए, तुम्हारे विश्वास की स्थिति मालूम करने का प्रयास किया.
विश्वासियों का सराहनीय विश्वास
6 किन्तु अब, जब तिमोथियॉस तुमसे भेंट कर हमारे पास लौट आया है, उसने तुम्हारे विश्वास और प्रेम के सम्बन्ध में बहुत ही उत्साह बढ़ानेवाले समाचार दिए हैं तथा यह भी कि तुम हमें मीठी यादों के रूप में याद करते हुए हमसे भेंट करने के लिए उतने ही लालायित हो जितने स्वयं हम तुम्हें देखने के लिए लालायित हैं. 7 प्रियजन, यही कारण है कि हम संकट और क्लेश की स्थिति में भी तुम्हारे विश्वास द्वारा प्रोत्साहित हुए. 8 प्रभु में तुम्हारे स्थिर होने का सन्देश हमारे लिए नवजीवन का संचार है. 9 परमेश्वर के सामने तुम्हारे विषय में उस बड़े आनन्द के लिए हम भला परमेश्वर के प्रति और किस प्रकार का धन्यवाद प्रकट कर सकते हैं, 10 जब हम रात-दिन एकचित्त हो कर प्रार्थना करते रहते हैं कि हम तुम्हें सामने देख सकें तथा तुम्हारे विश्वास में जो कमी है, उसे पूरा कर सकें?
11 स्वयं हमारे परमेश्वर और पिता तथा मसीह येशु हमारे प्रभु तुम तक पहुँचने में हमारा मार्गदर्शन करें 12 तथा प्रभु ही तुम्हें एक दूसरे के प्रति ही नहीं परन्तु सबके प्रति प्रेम में बढ़ाए तथा उन्नत करें—ठीक वैसे ही जैसे हम तुमसे प्रेम करते हैं 13 कि वह सभी पवित्र लोगों के साथ हमारे प्रभु मसीह येशु के दोबारा आगमन के अवसर पर परमेश्वर हमारे पिता के सामने तुम्हारे हृदय को पवित्रता में निर्दोष ठहरा सकें.
मरे हुओं के जी उठने का प्रश्न
(मत्ति 22:23-33; मारक 12:18-27)
27 तब सदूकी समुदाय के कुछ लोग, जो पुनरुत्थान में विश्वास नहीं करते, मसीह येशु के पास आए. 28 उन्होंने उनसे प्रश्न किया, “गुरुवर,” हमारे लिए “मोशेह के निर्देश हैं यदि किसी निःसन्तान पुरुष का पत्नी के रहते हुए निधन हो जाए तो उसका भाई उस स्त्री से विवाह कर अपने भाई के लिए सन्तान उत्पन्न करे. 29 सात भाई थे. पहिले ने विवाह किया और निःसन्तान ही उसकी मृत्यु हो गई. 30 तब दूसरे ने 31 और फिर तीसरे ने उससे विवाह किया और इस प्रकार सातों ही निःसन्तान चल बसे. 32 अन्ततः: उस स्त्री की भी मृत्यु हो गई. 33 इसलिए मरे हुओं के जी उठने पर वह स्त्री किसकी पत्नी कहलाएगी—क्योंकि वह सातों ही की पत्नी रह चुकी थी?”
34 मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “विवाह केवल इसी लोक में होते हैं. 35 वे, जो आनेवाले लोक में प्रवेश तथा मरे हुओं में से जी उठने के योग्य गिने जाते हैं, वैवाहिक अवस्था में प्रवेश नहीं करते. 36 जी उठने पर लोग न तो वैवाहिक अवस्था में होंगे और न ही कभी उनकी मृत्यु होगी क्योंकि वहाँ वे स्वर्गदूतों जैसे होते हैं. जी उठने के परिणामस्वरूप वे परमेश्वर की सन्तान होंगे. 37 मरे हुओं का जी उठना एक सच्चाई है, इसकी पुष्टि स्वयं मोशेह ने जलती हुई झाड़ी के विवरण में की है, जहाँ वह प्रभु को अब्राहाम का परमेश्वर, इसहाक का परमेश्वर तथा याक़ोब का परमेश्वर कहते हैं. 38 इसलिए वह मरे हुओं के नहीं, जीवितों के परमेश्वर हैं क्योंकि उनके सामने ये सभी जीवित हैं.”
39 कुछ शास्त्रियों ने इसके उत्तर में कहा, “गुरुवर, अति उत्तम उत्तर दिया आपने!” 40 उनमें से किसी को भी अब उनसे किसी भी विषय में प्रश्न करने का साहस न रहा.
New Testament, Saral Hindi Bible (नए करार, सरल हिन्दी बाइबल) Copyright © 1978, 2009, 2016 by Biblica, Inc.® All rights reserved worldwide.