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Bible in 90 Days

An intensive Bible reading plan that walks through the entire Bible in 90 days.
Duration: 88 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
1 इतिहास 10-23

राजा शाऊल की मुत्यु

10 पलिश्ती लोग इस्राएल के लोगों के विरुद्ध लड़े। इस्राए के लोग पलिश्तियों के सामने भाग खड़े हुए। बहुत से इस्राएली लोग गिलबो पर्वत पर मारे गए। पलिश्ती लोग शाऊल और उसके पुत्रों का पीछा लगातार करते रहे। उन्होंने उनको पकड़ लिया और उन्हें मार डाला। पलिश्तियों ने शाऊल के पुत्रों योनातान, अबीनादाब और मल्कीशू को मार डाला। शाऊल के चारों ओर युद्ध घमासान हो गया। धनुर्धारियों ने शाऊल पर अपने बाण छोड़े और उसे घायल कर दिया।

तब शाऊल ने अपने कवच वाहक से कहा, “अपनी तलवार बाहर खींचो और इसका उपयोग मुझे मारने में करो। तब वे खतनारहित जब आएंगे तो न मुझे चोट पहुँचायेंगे न ही मेरी हँसी उड़ायेंगे।”

किन्तु शाऊल का कवच वाहक भयभीत था। उसने शाऊल को मारना अस्वीकार किया। तब शाऊल ने आपनी तलवार का उपयोग स्वयं को मारने के लिये किया। वह अपनी तलवार की नोक पर गिरा। कवच वाहक ने देखा कि शाऊल मर गया। तब उसने स्वयं को भी मार डाला। वह अपनी तलवार की नोक पर गिरा और मर गया। इस प्रकार शाऊल और उसके तीन पुत्र मर गए। शाऊल का सारा परिवार एक साथ मर गया।

घाटी में रहने वाले इस्राएल के सभी लोगों ने देखा कि उनकी अपनी सेना भाग गई। उन्होंने देखा कि शाऊल और उसके पुत्र मर गए। इसलिए उन्होंने अपने नगर छोड़े और भाग गए। तब पलिश्ती उन नगरों में आए जिन्हें इस्राएलियों ने छोड़ दिया था और पलिश्ती उन नगरों में रहने लगे।

अगले दिन, पलिश्ती लोग शवों की बहुमूल्य वस्तुएँ लेने आए। उन्होंने शाऊल के शव और उसके पुत्रों के शवों को गिबोन पर्वत पर पाया। पलिश्तियों ने शाऊल के शव से चीजें उतारीं। उन्होंने शाऊल का सिर और कवच लिया। उन्होंने अपने पूरे देश में अपने असत्य देवताओं और लोगों को सूचना देने के लिये दूत भेजे। 10 पलिश्तियों ने शाऊल के कवच को अपने असत्य देवता के मन्दिर में रखा। उन्होंने शाऊल के सिर को दोगोन के मन्दिर में लटकाया।

11 याबेश गिलाद नगर में रहने वाले सब लोगों ने वह हर एक बात सुनी जो पलिश्ती लोगों ने शाऊल के साथ की थी। 12 याबेश के सभी वीर पुरुष शाऊल और उसके पुत्रों का शव लेने गए। वे उन्हें याबेश में शाउल और उसके पुत्रों का शव लेने गए। वे उन्हे याबेश में वापस ले आए। उन वीर पूरुषों ने शाउल और उसके पुत्रों की अस्थियों को, याबेश में एक विशाल पेड़ के नीचे दफनाया। तब उन्होंने अपना दुःख प्रकट किया और सात दिन तक उपवास रखा।

13 शाऊल इसलिये मरा कि वह यहोवा के प्रति विश्वासपात्र नहीं था। शाउल ने यहोवा के आदेशों का पालन नाहीं किया। शाऊल एक माध्यम के पास गया और 14 यहोवा को छोड़कर उससे सलाह माँगी। यही कारण है कि यहोवा ने उसे मार डाला और यिशै के पुत्र दाऊद को राज्य दिया।

दाऊद इस्राएल का राजा होता है

11 इस्राएल के सभी लोग हेब्रोन नगर में दाऊद के पास आए। उन्होंने दाऊद से कहा, “हम तुम्हारे ही रक्त माँस हैं। अतीत में, तुमने युद्ध में हमारा संचालन किया। तुमने हमारा तब भी संचालन किया जब शाऊल राजा था। हे दाऊद, यहोवा ने तुझ से कहा, तुम मेरे लोगों अर्थात् इस्राएल के लोगों के गड़रिया हो। तूम मेरे लोगों के ऊपर शासक होगे।”

इस्राएल के सभी प्रमुख दाऊद के पास हेब्रोन नगर में आए। दाऊद ने हेब्रोन में उन प्रमुखों के साथ यहोवा के सामने एक वाचा की। प्रमुखों ने दाऊद का अभिषेक किया। इस प्रकार उसे इस्राएल का राजा बनाया गया। यहोवा ने वचन दिया था कि यह होगा। यहोवा ने शमूएल का उपयोग यह वचन देने के लिये किया था।

दाऊद यरूशलेम पर अधिकार करता है

दाऊद और इस्राएल के सभी लोग यरूशलेम नगर को गए। यरूशलेम उन दिनों यबूस कहा जाता था। उस नगर में रहने वाले लोग यबूसी कहे जाते थे। उस नगर के निवासियों ने दाऊद से कहा, “तुम हमारे नगर के भीतर प्रवेश नहीं कर सकते।” किन्तु दाऊद ने उन लोगों को पराजित कर दिया। दाऊद ने सिय्योन के किले पर अधिकार कर लिया। यह स्थान “दाऊद नगर” बना।

दाऊद ने कहा, “वह व्यक्ति जो यबूसी लोगों पर आक्रमण का संचालन करेगा, मेरी पूरी सेना का सेनापति होगा।” अतः योआब ने आक्रमण का संचालन किया। योआब सरूयाह का पुत्र था। योआब सेना का सेनापति हो गया।

तब दाऊद ने किले में अपना महल बनाया। यही कारण है उसका नाम दाऊद नगर पड़ा। दाऊद ने किले के चारों ओर नगर बसाया। उसने इसे मिल्लो से नगर के चारों ओर की दीवार तक बसाया। योआब ने नगर के अन्य भागों की मरम्मत की। दाऊद महान बनता गया। सर्वशक्तिमान यहोवा उसके साथ था।

दाऊद के विशिष्ठ वीर

10 दाऊद के विशिष्ठ वीरों के ऊपर के प्रमुखों की यह सूची हैः ये वीर दाऊद के साथ उसके राज्य में बहुत शक्तिशाली बन गये। उन्होंने और इस्राएल के सभी लोगों ने दाऊद की सहायाता की और उसे राजा बनाया। यह ठीक वैसा ही हुआ जैसा परमेश्वर ने वचन दिया था।

11 यह दाऊद के विशिष्ठ वीरों की सूची हैः

यशोबाम हक्मोनी लोगों में से था। यशोबाम रथ अधिकारियों[a] का प्रमुख था। यशोबाम ने अपने भाले का उपयोग तीन सौ व्यक्तियों से युद्ध करने के लिये किया। उसने एक ही बार में उन तीन सौ व्यक्तियों को मार डाला।

12 एलीआजार दाऊद के विशिष्ठ वीरों में दूसरा था। एलीआजार दोदो का पुत्र था। दोदो अहोही से था। एलीआजार तीन वीरों में से एक था। 13 एलीआजर पसदम्मीम में दाऊद के साथ था। पलिश्ती लोग उस स्थान पर युद्ध करने आये। उस स्थान पर एक जौ से भरा खेत था। वही स्थान, जहाँ इस्राएली लोग पलिश्ती लोगों से भागे थे। 14 किन्तु वे तीन वीर उस खेत के बीच रुक गए थे और पलिश्तियों से लड़े तथा उन्हें हरा डाला था और इस प्रकार यहोवा ने इस्राएलियों को बड़ी विजय दी थी।

15 एक बार, दाऊद अदुल्लाम गुफा के पास था और पलिश्ती सेना नीचे रपाईम की घाटी में थी। तीस वीरों में से तीन वीर उस गुफा तक, लगातार रेंगते हुए दाऊद के पास पहुँचे।

16 अन्य अवसर पर, दाऊद किले में था, और पलिश्ती सेना का एक समूह बेतलेहेम में था। 17 दाऊद प्यासा था। अतः उसने कहा, “मैं चाहता हूँ कि मुझे कोई थोड़ा पानी बेतलेहेम में नगर द्वार के पास के कुएँ से दे।”[b] दाऊद सचमुच यह नहीं चाहता था। वह केवल बात कर रहा था। 18 तब तीन वीरों ने पलिश्ती सेना के बीच से युद्ध करते हुए अपना रास्ता बनाया और नगर—द्वार के निकट बेतलेहेम के कुएँ से पानी लिया। तीनों वीर दाऊद के पास पानी ले गए। किन्तु दाऊद ने पानी पीने से इन्कार कर दिया। उसने पानी को यहोवा के नाम पर अर्पण कर, उण्डेल दिया। 19 दाऊद ने कहा, “परमेश्वर, मैं इस पानी को नहीं पी सकता। इन व्यक्तियों ने मेरे लिये इस पानी को लाने में अपने जीवन को खतरे में डाला। अतः यदि मैं इस पानी को पीता हूँ तो यह उनका खून पीने के समान होगा।” इसलिये दाऊद ने उस जल को पीने से इन्कार किया। तीनों वीरों ने उस तरह के बहुत से वीरता के काम किये।

अन्य वीर योद्धा

20 योआब का भाई, अबीशै, तीन वीरों का प्रमुख था। वह अपने भाले से तीन सौ व्यक्तियों से लड़ा और उन्हें मार डाला। अबीशै तीन वीरों की तरह प्रसिद्ध हो गाया। 21 अबीशै तीस विरों से अधिक प्रसिद्ध था। वह उनका प्रमुख हो गया, यद्यपि वह तीन प्रमुख वीरों में से नहीं था।

22 यहोयादा का पुत्र बनायाह, कबजेल का एक वीर योद्धा था। बनायाह ने बड़े पराक्रम किये। उसने मोआब देश के दो सर्वोत्तम व्यक्तियों को मार डाला। वह जमीन के अन्दर एक माँद में घुसा और वहाँ एक शेर को भी मार डाला। वह उस दिन हुआ जब बर्फ गिर रही थी। 23 बनायाह ने मिस्र के एक व्यक्ति को मार डाला। वह व्यक्ति लगभग पाँच हाथ ऊँचा था। उस मिस्र के पुरुष के पास एक बहुत बड़ा और भारी भाला था। यह बुनकर के करघे के विशाल डण्डे के समान था और बनायाह के पास केवल एक लाठी थी। किन्तु बनायाह ने मिस्री से भाला छीन लिया। बनायाह ने मिस्री के अपने भाले का उपयोग किया और उसे मार डाला। 24 ये कार्य थे जिन्हें योहयादा के पुत्र बनायह ने किये। बनायाह तीन वीरों की तरह प्रसिद्ध हुआ। 25 बनायाह तीस वीरों में सबसे अधिक प्रसिद्ध था, किन्तु वह तीन प्रमुख वीरों में सम्मिलित नहीं किया गया। दाऊद ने बनायाह को अपने अंगरक्षकों का प्रमुख चुना।

तीस वीर

26 बलिष्ठ वीर (तीस वीर) ये थेः

असाहेल, योआब का भाई,

एल्हानान, दोदो का पुत्र एल्हानान बेतलेहेम नगर का थाः

27 हरोरी लोगों में से शम्मोत,

पलोनी लोगों में से हेलेस;

28 इक्केश का पुत्र, ईरा, ईरा तकोई नगर का था,

अनातोत नगर का अबीएजेर;

29 होसाती लोगों में से सिब्बके,

अहोही से ईलै,

30 नतोपाई लोगों में से महरै;

बाना का पुत्र हेलेद नतोपाई लोगों में से था;

31 रीबै का पुत्र इतै, इतै बिन्यामीन के गिबा नगर से था,

पिरातोनी लोगों में से बनायाह;

32 गाश घाटीयों से हूरै;

अराबा लोगों में से अबीएल,

33 बहूरीमी लोगों में से अजमावेत;

शल्बोनी लोगों में से एल्याबा;

34 हाशेम के पुत्र गीजोई हाशेम लोगों में से था;

शागे का पुत्र योनातान, योनातान हरारी लोगों मे से था;

35 सकार का पुत्र अहीआम, अहीआम हरारी लोगों में से था;

ऊर का पुत्र एलीपाल;

36 मेकराई लोगों में से हेपेर;

पलोनी लोगों में से अहिय्याह;

37 कर्मेली लोगों में से हेस्रो,

एज्बै का पुत्र नारै;

38 नातान का भाई योएल;

हग्री का पुत्र मिभार;

39 अम्मोनी लोगों में से सेलेक,

बेरोती नहरै (नहरै योआब का कवचवाहक था। योआब सरूयाह का पुत्र था)

40 येतेरी लोगों में से ईरा;

इथ्री लोगों में से गारेब;

41 हित्ती लोगों में से ऊरिय्याह;

अहलै का पुत्र जाबाद;

42 शीजा का पुत्र अदीना, शीजा रूबेन के परिवार समूह से था (अदीना रूबेन के परिवार समूह का प्रमुख था। परन्तु वह भी अपने साथ के तीस वीरों में से एक था।)

43 माका का पुत्र हानान;

मेतेनी लोगों में से योशापात;

44 अशतारोती लोगों में से उज्जिय्याह;

होताम के पुत्र शामा और यीएल, होताम अरोएरी लोगों में से था;

45 शिम्री का पुत्र यदीएल;

तीसी लोगों से योहा, योहा यदीएल का भाई था;

46 महवीमी लोगों में से एलीएल;

एलनाम के पुत्र यरीबै और योशव्याह;

मोआबी लोगों में से यित्मा;

47 मसोबाई लोगों में से एलीएल; ओबेद; और यासीएल।

वे वीर पुरुष जो दाऊद के साथ हुए

12 यह उन पुरुषों की सूची है जो दाऊद के पास आए। जब दाऊद सिकलग नगर में था। दाऊद तब भी कीश के पुत्र शाऊल से अपने को छिपा रहा था। इन पुरुषों ने दाऊद को युद्ध में सहायता दी थी। ये व्यक्ति अपने दायें या बायें हाथ से धनुष से बाण द्वारा बेध सकते थे। अपनी गुलेल से दायें या बांये हाथ से पत्थर फेंक सकते थे। वे बिन्यामीन परिवार समूह के शाऊल के सम्बन्धी थे। उनके नाम ये थेः

उनका प्रमुख अहीएजेर और योआज (अहीएजेर और योआज शमाआ के पुत्र थे।) शमाआ गिबावासी लोगों में से था। यजीएल और पेलेत (यजीएल और पेलेत अजमावेत के पुत्र थे।), अनातोती नगर के बराका और येहू। गिबोनी नगर का यिशमायाह; (यिशमायाह तीनों वीरों के साथ एक वीर था और वह तीन वीरों का प्रमुख भी था।); गदेरा लोगों में से यिर्मयाह, यहजीएल, योहानान और योजाबाद; एलूजै, यरीमोत बाल्याह, और शमर्याह; हारुपी से शपत्याह; कोरह परिवार समूह से एल्काना, यिशिय्याह; अजरेल, योएजेर और याशोबाम सभी; गदोर नगर से यरोहाम के पुत्र योएला और जबद्याह।

गादी लोग

गाद के परिवार समूह का एक भाग मरुभूमि में दाऊद से उसके किले में आ मिला। वे युद्ध के लिये प्रशिक्षित सैनिक थे। वे भाले और ढाल के उपयोग में कुशल थे। वे सिंह की तरह भयानक दिखते थे और वे हिरन की तरह पहाड़ों में दौड़ सकते थे।

गाद के परिवार समूह की सेना का प्रमुख एजेर था। ओबद्याह अधिकार में दूसरा था। एलीआब अधिकार में तीसरा था। 10 मिश्मन्ना अधिकार में चौथा था। यिर्मयाह अधिकार में पाँचवाँ था। 11 अत्तै अधिकार में छठा था। एलीएल अधिकार में सातवाँ था। 12 योहानान अधिकार में आठवाँ था। एलजाबाद अधिकार में नवाँ था। 13 यिर्मयाह अधिकार में दसवाँ था। मकबन्नै अधिकार में ग्यारहवाँ था।

14 वे लोग गादी सेना के प्रमुख थे। उस समूह का सबसे कमजोर सैनिक भी शत्रु के सौ सेनिकों से युद्ध कर सकता था। उस समूह का सर्वाधिक बलिष्ठ सैनिक शत्रु के एक हजार सैनिकों से युद्ध कर सकता था। 15 गाद के परिवार समूह के वे सैनिक थे जो वर्ष पहले महीने में यरदन के उस पार गए। यह वर्ष का वह समय था, जब यरदान नदी में बाढ़ आयी थी। उन्होंने घाटियों में रहने वाले सभी लोगों का पीछा करके भगाया। उन्होंने उन लोगों को पूर्व और पश्चिम में पीछा करके भगाया।

अन्य योद्धा दाऊद के साथ आते हैं

16 बिन्यामीन और यहूदा के परिवार समूह के अन्य लोग भी दाऊद के पास किले में आए। 17 दाऊद उनसे मिलने बाहर निकला। दाऊद ने उनसे कहा, “यदि तुम् लोग शान्ति के साथ मेरी सहायता करने आए हो तो, मैं तुम लोगों का स्वागत करता हूँ। मेरे साथ रहो। किन्तु यदि तुम मेरे विरुद्ध जासूसी करने आए हो, जबकि मैंने तुम्हारा कुछ भी बुरा नहीं किया, तो हमारे पूर्वजों का परमेश्वर देखेगा कि तुमने क्या किया और दण्ड देगा।”

18 अमासै तीस वीरों का प्रमुख था। अमासै पर आत्मा उतरी। अमासै ने कहा,

“दाऊद हम तुम्हारे हैं।
    यिशै—पुत्र, हम तुम्हारे साथ हैं!
शान्ति, शान्ति हो तम्हारे साथ!
    शान्ति उन लोगों को जो तुम्हारी सहायता करें।
    क्यों? क्योंकि तुम्हारी परमेश्वर, तुम्हारा सहायता करता है!”

तब दाऊद ने इन लोगों का स्वागत किया। उसने अपनी सेना में उन्हें प्रमुख बनाया।

19 मनश्शे के परिवार समूह के कुछ लोग भी दाऊद के साथ हो गये। वे दाऊद के साथ तब हुए जब वह पलिश्तियों के साथ शाऊल से युद्ध करने गया। किन्तु दाऊद और उसके लोगों ने वास्तव में पलिश्तियों की सहायता नहीं की। पलिश्तियों के प्रमुख दाऊद के विषय में सहायक के रूप में बातें करते रहे, किन्तु तब उन्होंने उसे भेज देने का निर्णय लिया। उन शासकों ने कहा, “यदि दाऊद अपने स्वामी शाऊल के पास जाएगा, तो हमारे सिर काट डाले जाएंगे!” 20 ये मनश्शे के लोग थे जो दाऊद के साथ उस समय मिले जब वह सिकलगः अदना, योजाबाद, यदीएल, मीकाएल, योजाबाद, एलीहू और सिल्लतै नगरों को गया। वे सभी मनेश्शे के परिवार समूह के सेनाध्यक्ष थे। 21 वे दाऊद की सहायता बुरे लोगों से युद्ध करने में करते थे। वे बुरे लोग पूरे देश में घूमते थे और लोगों की चीजें चुराते थे। मनश्शे के ये सभी वीर योद्धा थे। वे दाऊद की सेना में प्रमुख हुए।

22 दाऊद की सहायता के लिये प्रतिदिन अधिकाधिक व्यक्ति आते रहे। इस प्रकार दाऊद के पास विशाल और शक्तिशाली सेना हो गई।

हेब्रोन में अन्य लोग दाऊद के साथ आते हैं

23 हेब्रोन नगर में जो लोग दाऊद के पास आए, उनकी संख्या यह है। ये व्यक्ति युद्ध के लिये तैयार थे। वे शाऊल के राज्य को, दाऊद को देने आए। यही वह बात थी जिसे यहोवा ने कहा था कि होगा। यह उसकी संख्या हैः

24 यहूदा के परिवार समूह से छः हजार आठ सौ व्यक्ति युद्ध के लिये तैयार थे। वे भाले और ढाल रखते थे।

25 शिमोन के परिवार समूह से सात हजार एक सौ व्यक्ति थे। वे युद्ध के लिये तैयार वीर सैनिक थे।

26 लेवी के परिवार समूह से चार हजार छः सौ पुरुष थे। 27 यहोयादा उस समूह में था। वह हारून के परिवार से प्रमुख था। यहोयादा के साथ तीन हजार सात सौ पुरुष थे। 28 सादोक भी उस समूह में था। वह वीर युवा सैनिक था। वह अपने परिवार से बाईस अधिकारियों के साथ आया।

29 बिन्यामीन के परिवार समूह से तीन हजार पुरुष थे। वे शाऊल के सम्बन्धी थे। उस समय तक उनके अधिकांश व्यक्ति शाऊल परिवार के भक्त रहे।

30 एप्रैम के परिवार समूह से बीस हजार आठ सौ पुरुष थे। वे वीर योद्धा थे। वे अपने परिवार के प्रसिद्ध पुरुष थे।

31 मनश्शे के आधे परिवार समूह से अट्ठारह हजार पुरुष थे। उनको नाम लेकर आने को बुलाया गया और दाऊद को राजा बनाने को कहा गया।

32 इस्साकार के परिवार से दो सौ बुद्धिमान प्रमुख थे। वे इस्राएल के लिये उचित समय पर ठीक काम करना जानते थे। उनके सम्बन्धी उनके साथ थे और उनके आदेश के पालक थे।

33 जबूलून के परिवार समूह से पचास हजार पुरुष थे। वे प्रशिक्षित सैनिक थे। वे हर प्रकार के अस्त्र शस्त्र से युद्ध के लिये तैयार थे। वे दाऊद के बहुत भक्त थे।

34 नप्ताली के परिवार समूह से एक हजार अधिकारी थे। उनके साथ सैंतीस हजार व्यक्ति थे। वे व्यक्ति भाले और ढाल लेकर चलते थे।

35 दान के परिवार समूह से युद्ध के लिये तैयार अट्ठाइस हजार छः सौ पुरुष थे।

36 आशेर के परिवार समूह से युद्ध के लिये तैयार चालीस हजार प्रशिक्षित सैनिक थे।

37 यरदन नदी के पूर्व से रूबेन, गादी और मनश्शे के आधे परिवारों से एक लाख बीस हजार पुरुष थे। उन लोगों के पास हर एक प्रकार के अस्त्र शस्त्र थे।

38 वे सभी पुरुष वीर योद्धा थे। वे हेब्रोन नगर से दाऊद को सारे इस्राएल का राजा बनाने की पूरी सलाह करके आए थे। इस्राएल के अन्य लोगो ने भी सल्लाह की कि दाऊद राजा होगा। 39 उन लोगों ने दाऊद के साथ हेब्रोन में तीन दिन बिताए। उन्होंने खाया और पिया, क्योंकि उनके सम्बन्धियों ने उनके लिये भोजन बनाया था। 40 जहाँ इस्सकार, जबूलून, और नप्ताली के समूह रहते थे, उस क्षेत्र से भी उनके पड़ोसी गधे, ऊँट, खच्चर, और गायों पर भोजन लेकर आये। वे बहुत सा आटा, अंजीर—पूड़े, रेशिन, दाखमधु, तेल, गाय बैल और भेड़ें लाए। इस्राएल में लोग बहुत खुश थे।

साक्षीपत्र के सन्दूक को वापास लाना

13 दाऊद ने अपनी सेना के सभी अधिकारियों से बात की। तब दाऊद ने इस्राएल के सभी लोगों को एक साथ बुलाया। उसने उनसे कहाः “यदि तुम लोग इसे अच्छा विचार समझते हो और यदि यह वही है जिसे यहोवा चाहता है, तो हम लोग अपने भाईयों को इस्राएल के सभी क्षेत्रों में सन्देश भेजें। हम लोग उन याजकों और लेवीवंशियों को भी सनेदश भेंजें। जो हम लोगों के भाईयों के साथ नगरों और उनके निकट के खेतों में रहते हैं। सन्देश में उनसे आने और हमारा साथ देने को कहा जाये। हम लोग साक्षीपत्र के सन्दूक को यरूशलेम में अपने पास वापस लायें। हम लोगों ने साक्षीपत्र के सन्दूक की देखभाल शाऊल के शासनकाल में नहीं की।” अतः इस्राएल के सभी लोगों ने दाऊद की सलाह स्वीकार की। उन सभी ने यही विचार किया कि यही करना ठीक है।

अतः दाऊद ने मिस्र की शीहोर नदी से हमात के प्रवेश द्वार तक के सभी इस्राएल के लोगों को इकट्ठा किया। वे किर्यत्यारीम नगर से साक्षीपत्र के सन्दूक को वापस ले जाने के लिये एक साथ आये। दाऊद और इस्राएल के सभी लोग उसके साथ यहूदा के बाला को गये। (बाल किर्यत्यारीम का दूसरा नाम है।) वे वहाँ साक्षीपत्र के सन्दूक को लाने के लिये गए। वह साक्षीपत्र का सन्दूक यहोवा परमेश्वर का सन्दूक है। वह करूब (स्वर्गदूत) के ऊपर बैठता है। यही सन्दूक है जो यहोवा के नाम से पुकारी जाती है।

लोगों ने साक्षीपत्र के सन्दूक को अबीनादाब के घर से हटाया। उन्होंने उसे एक नयी गाड़ी में रखा। उज्जा और अह्यो गाड़ी को चला रहे थे।

दाऊद और इस्राएल के सभी लोग परमेश्वर के सम्मुख उत्सव मना रहे थे। वे परमेश्वर की स्तुति कर रहे थे तथा गीत गा रहे थे। वे वीणा तम्बूरा, ढोल, मंजीरा और तुरही बजा रहे थे।

वे कीदोन की खलिहान में आए। गाड़ी खींचने वाले बैलों को ठोकर लगी और साक्षीपत्र का सन्दूक लगभग गिर गया। उज्जा ने सन्दूक को पकड़ने के लिये अपने हाथ आगे बढ़ाये। 10 यहोवा उज्जा पर बहुत अधिक क्रोधित हुआ। यहोवा ने उज्जा को मार डाला क्योंकि उसने सन्दुक को छू लिया। इस तरह उज्जा परमेश्वर के सामने वहाँ मरा। 11 परमेश्वर ने अपना क्रोध उज्जा पर दिखाया और इससे दाऊद क्रोधित हुआ। उस समय से अब तक वह स्थान “पेरेसुज्जा” कहा जाता है।

12 उस दिन दाऊद परमेश्वर से डर गया। दाऊद ने कहा, “मैं साक्षीपत्र के सन्दूक को यहाँ अपने पास नहीं ला सकता।” 13 इसलिए दाउद साक्षीपत्र के सन्दूक को आपने साथ दाऊद नगर में नहीं ले गया। उसने साक्षीपत्र के सन्दूक को ओबेदेदोम के घर पर छोड़ा। ओबेदेदोम गत नगर से था। 14 साक्षीपत्र का सन्दूक ओबेदेदोम के परिवार में उसके घर में तीन महीने रहा। यहोवा ने ओबेदेदोम के परिवार और उसके यहाँ जो कुछ था, को आशीर्वाद दिया।

दाऊद का राज्य—विस्तार

14 हीराम सोर नगर का राजा था। हीराम ने दाऊद को सन्देश वाहक भेजा। हीराम ने देवदारु के लट्ठे, संगतराश और बढ़ई भी दाऊद के पास भेजे। हीराम ने उन्हें दाऊद के लिये एक महल बनाने के लिये भेजा। तब दाऊद समझ सका कि यहोवा ने उसे सच ही इस्राएल का राजा बनाया है। यहोवा ने दाऊद के राज्य को बहुत विस्तृत और शक्तिशाली बनाया। परमेश्वर ने यह इसलिये किया कि वह दाऊद और इस्राएल के लोगों से प्रेम करता था।

दाऊद ने यरूशलेम में बहुत सी स्त्रियों के साथ विवाह किया और उसके बहुत से पुत्र और पुत्रियाँ हुईं। यरूशलेम में उत्पन्न हुईं दाऊद की संतानों के नाम ये हैं: शम्मू, शोबाब, नातान, सुलैमान, यिभार, एलीशू, एलपेलेत, नोगह, नेपेग, यापी, एलीशामा, बेल्यादा, और एलीपेलेद।

दाऊद पलिश्तियों को पराजित करता है

पलिश्ती लोगों ने सुना कि दाऊद का अभिषेक इस्राएल के राजा के रूप में हुआ है। अतः सभी पलिश्ती लोग दाऊद की खोज में गए। दाऊद ने इसके बारे में सुना। तब वह पलिश्ती लोगों से लड़ने गया। पलिश्तियों ने रपाईम की घाटी में रहने वाले लोगों पर आक्रमण किया और उनकी चीजें चुराईं। 10 दाऊद ने परमेश्वर से पूछा, “क्या मुझे जाना चाहिये और पलिश्ती लोगों से युद्ध करना चाहिये क्या तू मुझे उनको परास्त करने देगा?”

यहोवा ने दाऊद को उत्तर दिया, “जाओ। मैं तुम्हें पलिश्ती लोगों को हराने दूँगा।”

11 तब दाऊद और उसके लोग बालपरासीम नगर तक गए। वहाँ दाऊद और उसके लोगों ने पलिश्ती लोगों को हराया। दाऊद ने कहा, “टूटे बाँध से पानी फूट पड़ता है। उसी प्रकार, परमेश्वर मेरे शत्रुओं पर फूट पड़ा है! परमेश्वर ने यह मेरे माध्यम से किया है।” यही कारण है कि उस स्थान का नाम “बालपरासीम है।” 12 पलिश्ती लोगों ने अपनी मूर्तियों को बालपरासीम में छोड़ दिया। दाऊद ने उन मूर्तियों को जला देने का आदेश दिया।

पलिश्ती लोगों पर अन्य विज्य

13 पलिश्तियों ने रपाईम घाटी में रहने वाले लोगों पर फिर आक्रमण किया। 14 दाऊद ने फिर परमेश्वर से प्रार्थना की। परमेश्वर ने दाऊद की प्रार्थना का उत्तर दिया। परमेश्वर ने कहा, “दाऊद, जब तुम आक्रमण करो तो पलिश्ती लोगों के पीछे पहाड़ी पर मत जाओ। इसके बदले, उनके चारों ओर जाओ। वहाँ छिपो, जहाँ मोखा के पेड़ हैं। 15 एक प्रहरी को पेड़ की चोटी पर चढ़ने को कहो। जैसे ही वह पेड़ों की चोटी से उनकी चढ़ाई करने की आवाज को सुनेगा, उसी समय पलिश्तियों पर आक्रमण करो। मैं (परमेश्वर) तुम्हारे सामने आऊँगा और पलिश्ती सेना को हराऊँगा!” 16 दाऊद ने वही किया जो परमेश्वर ने करने को कहा। इसलिये दाऊद और उसकी सेना ने पलिश्ती सेना को हराया। उन्होंने पलिश्ती सैनिकों को लगातार गिबोन नगर से गेजर नगर तक मारा। 17 इस प्रकार दाऊद सभी देशों में प्रसिद्ध हो गया। यहोवा ने सभी राष्ट्रों के हृदय में उसका डर बैठा दिया।

साक्षीपत्र का सन्दूक यरूशलेम में

15 दाऊद ने दाऊद नगर में अपने लिये महल बनवाया। तब उसने साक्षीपत्र के सन्दूक के लिये एक स्थान बनाया। उसने इसके लिये एक तम्बू डाला। तब दाऊद ने कहा, “केवल लेवीवंशियों को साक्षीपत्र का सन्दूक ले चलने की स्वीकृति है। यहोवा ने उन्हें साक्षीपत्र का सन्दूक ले चलने और उसकी सदैव सेवा के लिये चुना है।”

दाऊद ने इस्राएल के सभी लोगों को यरूशलेम में एक साथ मिलने के लिये बुलाया जब तक लेवीवंशी साक्षीपत्र के सन्दूक को उस स्थान पर लेकर आये जो उसने उसके लिये बनाया था। दाऊद ने हारून के वंशजों और लेवीवंशियों को एक साथ बुलाया।

कहात परिवार समूह से एक सौ बीस व्यक्ति थे। ऊरीएल उनका प्रमुख था।

मरारी के परिवार समूह से दो सौ बीस लोग थे। असायाह उनका प्रमुख था।

गेर्शोमियों के परिवार समूह के एक सौ तीस लोग थे। योएल उनका प्रमुख था।

एलीसापान के परिवार समूह के दो सौ लोग थे। शमायाह उनका प्रमुख था।

हेब्रोन के परिवार समूह के अस्सी लोग थे। एलीएल उनका प्रमुख था।

10 उज्जीएल के परिवार समूह के एक सौ बारह लोग थे। अम्मीनादाब उनका प्रमुख था।

याजकों और लेवीवंशियों से दाऊद बातें करता है

11 तब दाऊद ने सादोक और एब्यातार याजकों से कहा कि वे उसके पास आएं। दाऊद ने ऊरीएल, असायाह, योएल, शमायाह और अम्मीनादाब लेवीवंशियों को भी अपने पास बुलाया। 12 दाऊद ने उनसे से कहा, “तुम लोग लेवी परिवार समूह के प्रमुख हो। तुम्हें अपने और अन्य लेवीवंशियो को पवित्र बनाना चाहिये। तब साक्षीपत्र के सन्दूक को उस स्थान पर लाओ, जिसे मैंने उसके लिये बनाया है। 13 पिछली बार हम लोगों ने यहोवा परमेश्वर से नहीं पूछा कि साक्षीपत्र के सन्दूक को हम कैसे ले चलें। लेवीवंशियों, तुम इसे नहीं ले चले, यही कारण था कि यहोवा ने हमें दण्ड दिया।”

14 तब याजक और लेवीवंशियों ने अपने को पवित्र किया जिससे वे इस्राएल के यहोवा परमेश्वर के सन्दूक को लेकर चल सकें। 15 लेवीवंशियों ने विशेष डंडों का उपयोग, अपने कन्धों पर साक्षीपत्र के सन्दूक को ले चलने के लिये किया जैसा मूसा का आदेश था। वे सन्दूक को उस प्रकार ले चले जैसा यहोवा ने कहा था।

गायक

16 दाऊद ने लेनीवंशियों को उनके गायक भाईयों को लाने के लिये कहा। गायकों को अपनी वीणा, तम्बूरा और मंजीरा लाना था तथा प्रसन्नता के गीत गाना था।

17 तब लेवीवंशियों ने हेमान और उसके भाईयों आसाप और एतान को बुलाया। हेमान योएल का पुत्र था। आसाप बेरेक्याह का पुत्र था। एतान कूशायाह का पुत्र था। ये व्यक्ति मरारी परिवार समूह के थे। 18 वहाँ लेवीवंशियों का दूसार समूह भी था वे जर्कयाह, याजीएल, शमीरामोत, यहीएल, उन्नी, एलीआब, बनायाह, मासेयाह, मत्तित्याह, एलीपलेह, मिकनेयाह, ओबेदेदोम और पीएल थे। ये लोग लेवीवंश के रक्षक थे।

19 गायक हेमान, आसाप और एतान काँसे का मँजीरा बजा रहे थे। 20 जकर्याह, अजीएल, शमीरामोत, यहीएल, उन्नी, एलीआब, मासेयाह और बनायाह अलामोत वीणा बजा रहे थे। 21 मत्तित्याह, एलीपलेह, मिकनेयाह, ओबेदेदोम, यीएल और अजज्याह शेमिनिथ तम्बूरा बजा रहे थे। यह उनका सदैव का काम था। 22 लेवीवंशी प्रमुख कनन्याह गायन का प्रबन्धक था। कनन्याह को यह काम मिला था क्योंकि वह गाने में बहुत अधिक कुशल था।

23 वेरेक्याह और एल्काना साक्षीपत्र के सन्दूक के रक्षकों में से दो थे। 24 याजक शबन्याह, योशापत, नतनेल, अमासै, जकर्याह, बनायाह और एलीएजेर का काम साक्षीपत्र के सन्दूक के सामने चलते समय तुरही बजाना था। ओबेदेदोम और यहिय्याह साक्षीपत्र के सन्दूक के लिये अन्य रक्षक थे।

25 दाऊद, इस्राएल के अग्रज (प्रमुख) और सेनापति साक्षीपत्र के सन्दूक को लेने गए। वे उसे ओबेदेदोम के घर से बाहर लाए। हर एक बहुत प्रसन्न था। 26 परमेश्वर ने उन लेवीवंशियों की सहायता की जो यहोवा के साक्षीपत्र के सन्दूक को लेकर चल रहे थे। उन्होंने सात बैलों और सात मेढ़ों की बलि दी। 27 सभी लेवीवंशी जो साक्षीपत्र के सन्दूक को लेकर चल रहे थे, उत्तम सन के चोगे पहने थे। गायन का प्रबन्धक कनन्याह और सभी गायक उत्तन सन के चोगे पहने थे और दाऊद भी उत्तम सन का बना एपोद पहने था।

28 इस प्रकार इस्राएल के सारे लोग यहोवा के साक्षीपत्र के सन्दूक को ले आए। उन्होंने उद्घोष किया, उन्होंने मेढ़े की सिंगी और तुरही बजाई और उन्होंने मँजीरे, वीणा और तम्बूरे बजाए।

29 जब साक्षीपत्र का सन्दूक दाऊद नगर में पहुँचा, मीकल ने खिड़की से देखा। मीकल शाऊल की पुत्री थी। उसने राजा दाऊद को चारों ओर नाचते और बजाते देखा। उसने अपने हृदय में दाऊद के प्रति सम्मान को खो दिया उसने सोचा कि वह मूर्ख बन रहा है।

16 लेवीवंशी साक्षीपत्र का सन्दूक ले आए और उसे उस तम्बू में रखा जिसे दाऊद ने इसके लिये खड़ी कर रखी थी। तब उन्होंने परमेश्वर को होमबलि मेलबलि चढ़ाई। जब दाऊद होमबलि और मेलबलि देना पूरा कर चुका तब उसने लोगों को आशीर्वाद देने के लिये यहोवा का नाम लिया। तब उसने हर एक इस्राएली स्त्री—पुरुष को एक—एक रोटी, खजूर और किशमिश दिया।

तब दाऊद ने साक्षीपत्र के सन्दूक के सामने सेवा के लिये कुछ लेवीवंशियों को चुना। उन लेवीवंशियों को इस्राएलियों के यहोवा परमेश्वर के लिये उत्सवों को मनाने, आभार व्यक्त करने और स्तुति करने का काम सौंपा गया। आसाप, प्रथम समूह का प्रमुख था। आसाप का समूह सारंगी बजाता था। जकर्याह दूसरे समूह का प्रमुख था। अन्य लेवीवंशी ये थेः यीएल, शमीरामोत, यहीएल, मत्तित्याह, एलीआब बनायाह, ओबेदेदोम और यीएल। ये व्यक्ति वीणा और तम्बूरा बजाते थे। बनायाह और यहजीएल ऐसे याजक थे जो साक्षीपत्र के सन्दूक के सामने सदैव तुरही बजाते थे। यह वही समय था जब दाऊद ने पहली बार आसाप और उसके भाईयों को यहोवा की स्तुति करने का काम दिया।

दाऊद का आभार गीत

यहोवा की स्तुति करो उसका नाम लो
    लोगों में उन महान कार्यों का वर्णन करो—जिन्हें यहोवा ने किया है।
यहोवा के गीत गाओ, यहोवा की स्तुतियाँ गाओ।
    उसके सभी अद्भूत कामों का गुणगान करो।
10     यहोवा के पवित्र नाम पर गर्व करो।
सभी लोग जो यहोवा की सहायता पर भरोसा करते हैं, प्रसन्न हो!
11 यहोवा पर और उसकी शक्ति पर भरोसा करो।
    सदैव सहायता के लिए उसके पास जाओ।
12 उन अद्भूत कार्यों को याद करो जो यहोवा ने किये हैं।
    उसके निर्णयों को याद रखो और शक्तिपूर्ण कार्यों को जो उसने किये।
13 इस्राएल की सन्तानें यहोवा के सेवक हैं।
    याकूब के वंशज, यहोवा द्वारा चुने लोग हैं।
14 यहोवा हमारा परमेश्वर है,
    उसकी शक्ति चारों तरफ है।
15 उसकी वाचा को सदैव याद रखो,
    उसने अपने आदेश—सहस्र पीढ़ियों के लिये दिये हैं।
16 यह वाचा है जिसे यहोवा ने इब्राहीम के साथ किया था।
    यह प्रतिज्ञा है जो यहोवा ने इसहाक के साथ की।
17 यहोवा ने इसे याकूब के लोगों के लिये नियम बनाया।
    यह वाचा इस्राएल के साथ है—जो सदैव बनी रहेगी।
18 यहोवा ने इस्राएल से कहा, थाः “मैं कनान देश तुझे दूँगा।
    यह प्रतिज्ञा का प्रदेश तुम्हारा होगा।”

19 परमेश्वर के लोग संख्या में थोड़े थे।
    वे उस देश में अजनबी थे।
20 वे एक राष्ट्र से दूसरे राष्ट्र को गए।
    वे एक राज्य से दुसरे राज्य को गए।
21 किन्तु यहोवा ने किसी को उन्हें चोट पहुँचाने न दी।
    यहोवा ने राजाओं को चेतावनी दी के वे उन्हें चोट न पहुँचायें।
22 यहोवा ने उन राजाओं से कहा, “मेरे चुने लोगों को चोट न पहुँचाओ।
    मेरे नबियों को चोट न पहुँचाओ।”
23 यहोवा के लिये पूरी धरती पर गुणगान करो, प्रतिदिन तुम्हें,
    यहोवा द्वारा हमारी रक्षा के शुभ समाचार बताना चाहिए।
24 यहोवा के प्रताप को सभी राष्ट्रों से कहो।
    यहोवा के अद्भुत कार्यों को सभी लोगों से कहो।
25 यहोवा महान है, यहोवा की स्तुति होनी चाहिये।
    यहोवा अन्य देवताओं से अधिक भय योग्य है।
26 क्यों क्योंकि उन लोगों के सभी देवता मात्र मूर्तियाँ हैं।
    किन्तु यहोवा ने आकाश को बनाया।
27 यहोवा प्रतापी और सम्मानित है।
    यहोवा एक तेज चमकती ज्योति की तरह है।
28 परिवार और लोग,
    यहोवा के प्रताप और शक्ति की स्तुति करते हैं।
29 यहोवा के प्रताप की स्तुति करो। उसके नाम को सम्मान दो।
    यहोवा को अपनी भेंटें चढ़ाओ,
    यहोवा और उसके पवित्र सौन्दर्य की उपासना करो।
30 यहोवा के सामने भय से सारी धरती काँपनी चाहिये।
    किन्तु उसने धरती को दृढ़ किया, अतः संसार हिलेगा नहीं।
31 धरती आकाश को आनन्द में झूमने दो।
    चारों ओर लोगों को कहने दो, “यहोवा शासन करता है।”
32 सागर और इसमें की सभी चीजों को चिल्लाने दो!
    खेतों और उनमें की हर एक चीज को अपना आनन्द व्यक्त करने दो।
33 यहोवा के सामने वन के वृक्ष आनन्द से गायेंगे।
    क्यों क्योंकि यहोवा आ रहा है। वह संसार का न्याय करने आ रहा है।
34 अहा! यहोवा को धन्यवाद दो, वह अच्छा है।
    यहोवा का प्रेम सदा बना रहता है।
35 यहोवा से कहो,
    “हे परमेश्वर, हमारे रक्षक, हमारी रक्षा कर।
हम लोगों को एक साथ इकट्ठा करो,
    और हमें अन्य राष्ट्रों से बचाओ।
और तब हम तुम्हारे पवित्र नाम की स्तुति कर सकते हैं।
    तब हम तेरी स्तुति अपने गीतों से कर सकते हैं।”
36 इस्राएल के यहोवा परमेश्वर की सदा स्तुति होती रहे
    जैसे कि सदैव उसकी प्रशंसा होती रही है।

सभी लोगों ने कहा, “आमीन” उनहोंने यहोवा की स्तुति की।

37 तब दाऊद ने आसाप और उसके भाईयों को वहाँ यहोवा के साक्षीपत्र के सन्दूक के सामने छोड़ा। दाऊद ने उन्हें उसके सामने प्रतिदिन सेवा करने के लिये छोड़ा। 38 दाऊद ने आसाप और उसके भाईयों के साथ सेवा करने के लिये ओबेदेदोन और अन्य अड़सठ लेवीवंशियों को छोड़ा। ओबेदेदोम और यदूतून रक्षक थे। ओबेदेदोम यदूतून का पुत्र था।

39 दाऊद ने याजक सादोक और अन्य याजकों को जो गिबोन में उच्च स्थान पर यहोवा के तम्बू के सामने उसके साथ सेवा करते थे, छोड़ा। 40 हर सुबह शाम सादोक तथा अन्य याजक होमबिल की वेदी पर होमबलि चढ़ाते थे। वे यह यहोवा के व्यवस्था में लिखे गए उन नियमों का पालन करने के लिये करते थे जिन्हें यहोवा ने इस्राएल को दिया था। 41 हेमान और यदूतून तथा सभी अन्य लेवीवंशी यहोवा का स्तुतिगान करने के लिये नाम लेकर चुने गये थे क्योंकि यहोवा का प्रेम सदैव बना रहता है! 42 हेमान और यदूतून उनके साथ थे। उनका काम तुरही और मँजीरा बजाना था। वे अन्य संगीत वाद्य बजाने का काम भी करते थे, जब परमेश्वर की स्तुति के गीत गाये जाते थे। यदूतून का पुत्र द्वार की रखवाली करता था।

43 उत्सव मनाने के बाद, सभी लोग चले गए। हर एक व्यक्ति अपने अपने घर चला गया और दाऊद भी अपने परिवार को आशीर्वाद देकर अपने घर गया।

परमेश्वर ने दाऊद को वचन दिया

17 दाऊद ने अपने घर चले जाने के बाद नातान नबी से कहा, “देखो, मैं देवदारू से बने घर में रह रहा हूँ, किन्तु यहोवा का साक्षीपत्र का सन्दूक तम्बू में रखा है। मैं परमेश्वर के लिये एक मन्दिर बनाना चाहता हूँ।”

नातान ने दाऊद को उत्तर दिया, “तुम जो कुछ करना चाहते हो, कर सकते हो। परमेश्वर तुम्हारे साथ है।”

किन्तु परमेश्वर का सन्देश उस रात नातान को मिला। परमेश्वर ने कहा,

“जाओ और मेरे सेवक दाऊद से यह कहोः यहोवा यह कहता है, ‘दाऊद, तुम मेरे रहने के लिये गृह नहीं बनाओगे। 5-6 जब से मैं इस्राएल को मिस्र से बाहर लाया तब से अब तक, मैं गृह में नहीं रहा हूँ। मैं एक तम्बू में चारों ओर घूमता रहा हूँ। मैंने इस्राएल के लोगों का विशेष प्रमुख बनने के लिये लोगों को चुना। वे प्रमुख मेरे लोगों के लिये गड़रिये के समान थे। जिस समय मैं इस्राएल में विभिन्न स्थानों पर चारों ओर घूम रहा था, उस समय मैंने किसी प्रमुख से यह नहीं कहाः तुमने मेरे लिये देवदारू वृक्ष का गृह क्यों नहीं बनाया है?’

“अब, तुम मेरे सेवक दाऊद से कहोः सर्वशक्तिमान यहोवा तुमसे कहता है, ‘मैंने तुमको मैदानों से और भेड़ों की देखभाल करने से हटाया। मैंने तुमको अपने इस्राएली लोगों का शासक बनाया। तुम जहाँ गए, मैं तुम्हारे साथ रहा। मैं तुम्हारे आगे—आगे चला और मैंने तुम्हारे शत्रुओं को मारा। अब मैं तुम्हें पृथ्वी पर सर्वाधिक प्रसिद्ध व्यक्तियों में से एक बना रहा हूँ। मैं यह स्थान अपने इस्राएल के लोगों को दे रहा हूँ। वे वहाँ अपने वृक्ष लगायेंगे और वे उन वृक्षों के नीचे शान्ति के साथ बैठेंगे। वे अब आगे और परेशान नहीं किये जाएंगे। बुरे लोग उन्हें वैसे चोट नहीं पहुँचाऐंगे जैसा उन्होंने पहले पुहँचाया था। 10 वे बुरी बातें हुईं, किन्तु मैंने अपने इस्राएली लोगों की रक्षा के लिये प्रमुख चुने और मैं तुम्हारे सभी शत्रओं को भी हराऊँगा।

“‘मैं तुमसे कहता हूँ कि यहोवा तुम्हारे लिये एक घराना बनाएग।[c] 11 जब तुम मरोगे और अपने पूर्वजों से जा मिलोगे, तब तुम्हारे निज पुत्र को नया राजा होने दूँगा। नया राजा तुम्हारे पुत्रों में से एक होगा और मैं राज्य को शक्तिशाली बनाऊँगा। 12 तुम्हारा पुत्र मेरे लिये एक गृह बनाएगा। मैं तुम्हारे पुत्र के परिवार को सदा के लिये शासक बनाऊँगा। 13 मैं उसका पिता बनूँगा और वह मेरा पुत्र होगा। शाऊल तुम्हारे पहले राजा था और मैंने शाऊल से अपनी सहायता हटा ली किन्तु मैं तुम्हारे पुत्र से प्रेम करना कभी कम नहीं करूँगा। 14 मैं उसे सदा के लिये अपने घर और राज्य का संरक्षक बनाऊँगा। उसका शासन सदैव चलता रहेगा!’”

15 नातान ने अपने इस दर्शन और परमेश्वर ने जो सभी बातें कही थीं उनके विषय में दाऊद से कहा।

दाऊद की प्रार्थना

16 तब दाऊद पवित्र तम्बू में गया और यहोवा के सामने बैठा। दाऊद ने कहा,

“यहोवा परमेश्वर, तूने मेरे लिये और मेरे परिवार के लिये इतना अधिक किया है और मैं नहीं समझता कि क्यों 17 उन बातों के अतिरिक्त, तू मुझे बता कि भविष्य में मेरे परिवार पर क्या घटित होगा। तूने मरे प्रति एक अत्यन्त महत्वपूर्ण व्यक्ति जैसा व्यवहार किया है। 18 मैं और अधिक क्या कह सकता हूँ? तूने मेरे लिये इतना अधिक किया है और मैं केवल तेरा सेवक हूँ। यह तू जानता है। 19 यहोवा, तूने यह अद्भुत कार्य मेरे लिए किया है और यह तूने किया क्योंकि तू करना चाहता था। 20 यहोवा, तेरे समान और कोई नहीं है। तेरे अतिरिक्त कोई परमेश्वर नहीं है। हम लोगों ने कभी किसी देवता को ऐसे अद्भूत कार्य करते नहीं सुना है! 21 क्या इस्राएल के समान अन्य कोई राष्ट्र है? नहीं! इस्राएल ही पृथ्वी पर एकमात्र राष्ट्र है जिसके लिये तूने यह अद्भूत कार्य किया। तूने हमे मिस्र से बाहर निकाला और हमें स्वतन्त्र किया। तूने अपने को प्रसिद्ध किया। तू अपने लोगों के सामने आया और अन्य लोगों को हमारे लिये भूमि छोड़ने को विवश किया। 22 तूने इस्राएली को सदा के लिये अपना बनाया और यहोवा तू उसका परमेश्वर हुआ!

23 “यहोवा, तूने यह प्रतिज्ञा मुझसे और मेरे परिवार से की है। अब से तू सदा के लिये इस प्रतिज्ञा को बनाये रख। वह कर जो तूने करने को कहा! 24 अपनी प्रतिज्ञा को पूरा कर। जिससे लोग तेरे नाम का सम्मान सदा के लिये कर सकें। लोग कहेंगे, ‘सर्वशक्तिशाली यहोवा इस्राएल का परमेश्वर है!’ मैं तेरा सेवक हूँ! कृपया मेरे परिवार को शक्तिशाली होने दे और वह तेरी सेवा सदा करता रहे।

25 “मेरे परमेश्वर, तूने मुझसे (अपने सेवक) कहा, कि तू मेरे परिवार को एक राजपरिवार बनायेगा। इसलिये मैं तेरे सामने इतना निडर हो रहा हूँ, इसीलिए मैं तुझसे ये सब चीजें करने के लिये कह रहा हूँ। 26 यहोवा, तू परमेश्वर है और परमेश्वर तूने इन अच्छी चीजों की प्रतिज्ञा मेरे लिये की है। 27 यहोवा, तू मेरे परिवार को आशीष देने में इतना अदिक दयालू रहा है। तूने प्रतिज्ञा की, कि मेरा परिवार तेरी सेवा सदैव करता रहेगा। यहोवा तूने मेरे परिवार को आशीष दी है, अतः मेरा परिवार सदा आशीष पाएगा!”

दाऊद विभिन्न राष्ट्रों को जीत लेता है

18 बाद में दाऊद ने पलिश्ती लोगों पर आक्रमण किया। उसने उन्हें हराया। उसने गत नगर और उसके चारों ओर के नगरों को पलिश्ती लोगों से जीत लिया।

तब दाऊद ने मोआब देश को हराया। मोआबी लोग दाऊद के सेवक बन गए। वे दाऊद के पास भेटें लाए।

दाऊद हदरेजेर की सेना के विरुद्ध भी लड़ा। हदरेजेर सोबा का राजा था। दाऊद उस सेना के विरुद्ध लड़ा। दाऊद लगातार हमात नगर तक उस सेना से लड़ा। दाऊद ने यह इसलिये किया कि हदरेजेर ने आपने राज्य को लगातार परात नदी तक फैलाना चाहा। दाऊद ने हदरेजेर के एक हजार रथ, सात हजार सारथी और बीस हजार सैनिक लिये। दाऊद ने हदरेजेर के अधिकांश घोड़ों को अंग—भंग कर दिया जो रथ खींचते थे। किन्तु दाऊद ने सौ रथों को खींचने के लिये पर्याप्त घोड़े बचा लिये।

दमिश्क नगर से अरामी लोग हदरेजेर की सहायता करने के लिये आए। हदरेजेर सोबा का राजा था। किन्तु दाऊद ने बाईस हजार अरामी सैनिकों को पराजित किया और मार डाला। तब दाऊद ने दमिश्क नगर में किले बनवाए। अरामी लोग दाउद के सेवक बन गए और उसके पास भेंटे लेकर आये। अतः यहोवा ने दाऊद को, जहाँ कहीं वह गया, विजय दी।

दाऊद ने हदरेजेर के सेनापतियों से सोने की ढालें लीं और उन्हें यरूशलेम ले आया। दाऊद ने तिभत औ कून नगरों से अत्याधिक काँसा प्राप्त किया। वे नगर हदरेजेर के थे। बाद में, सुलैमान ने इस काँसे का उपयोग काँसे की होदे, काँसे के स्तम्भ और वे अन्य चीजें बनाने में किया जो मन्दिर के लिये काँसे से बनी थीं।

तोऊ हमात नगर का राजा था। हदरेजेर सोबा का राजा था। तोऊ ने सुना कि दाऊद ने हदरेजेर की सारी सेना को पराजित कर दिया। 10 अतः तोऊ ने अपने पुत्र हदोराम को राजा दाऊद के पास शान्ति की याचना करने और आशीर्वाद पाने के लिये भेजा। उसने यह किया क्योंकि दाऊद ने हदरेजेर के विरुद्ध युद्ध किया था और उसे हराया था। पहले हदरेजेर ने तोऊ से युद्ध किया था। हदोराम ने दाऊद को हर एक प्रकार की सोने, चाँदी और काँसे से बनी चीजें दीं। 11 राजा दाऊद ने उन चीजों को पवित्र बनाया और यहोवा को दिया। दाऊद ने ऐसा उस सारे चाँदी, सोने के साथ किया जिसे उसने एदोमी, मोआबी, अम्मोनी पलिश्ती और अमालेकी लोगों से प्राप्त किया था।

12 सरुयाह के पुत्र अबीशै ने नमक घाटी में अट्ठारह हजार एदोमी लोगों को मारा। 13 अबीशै ने एदोम में किले बनाए और सभी एदोमी लोग दाऊद के सेवक हो गए। दाऊद जहाँ कही भी गया, यहोवा ने उसे विजय दी।

दाऊद के महत्वपूर्ण अधिकारी

14 दाऊद पूरे इस्राएल का राजा था। उसने वही किया जो सबके लिये उचित और न्यायपूर्ण था। 15 सरुयाह का पुत्र योआब, दाऊद की सेना का सेनापति था। अहीलूद के पुत्र यहोशापात ने उन कामों के विषय में लिखा जो दाऊद ने किये। 16 सादोक और अबीमेलेक याजक थे। सादोक अहीतूब का पुत्र था और अबीमेलेक एब्यातार का पुत्र था। शबशा शास्त्री था। 17 बनायाह करेतियों और पलेती[d] लोगों के मार्गदर्शन का उत्तरदायी था बनायाह यहोयादा का पुत्र था और दाऊद के पुत्र विशेष अधिकारी थे। वे राजा दाऊद के साथ सेवारत थे।

अम्मोनी दाऊद के लोगों को लज्जित करते हैं

19 नाहाश अम्मोनी लोगों का राजा था। नाहाश मरा, और उसका पुत्र नया राजा बना। तब दाऊद ने कहा, “नाहाश मेरे प्रति दयालु था, इसलिए मैं नाहाश के पुत्र हानून के प्रति दायालु रहूँगा।” अतः दाऊद ने अपने दूतों को उसके पिता की मृत्यु पर सांत्वना देने भेजे। दाऊद के दूत हानून को सांन्तवा देने अम्मोन देश को गए।

किन्तु अम्मोनी प्रमुखों ने हानून से कहा, “मूर्ख मत बनो। दाऊद ने सच्चे भाव से तुम्हें सांत्वना देने के लिये या तुम्हारे मृत पिता को सम्मान देने के लिये नहीं भेजा है! नहीं, दाऊद ने अपने सेवकों को तुम्हारी और तुम्हारे देश की जासूसी करने को भेजा है। दाऊद वस्तुतः तुम्हारे देश को नष्ट करना चाहता है!” इसलिये हानून ने दाऊद के सेवकों को बन्दी बनाया और उनकी दाढ़ी मुड़ावा दी[e] हानून ने कमर तक उनके वस्त्रों की छोर को कटवा दिया। तब उसने उन्हें विदा कर दिया।

दाऊद के व्यक्ति इतने लज्जित हुए कि वे घर को नहीं जा सकते थे। कुछ लोग दाऊद के पास गए और बताया कि उसके व्यक्तियों के साथ कैसा बर्ताव हुआ। इसलिये राजा दाऊद ने अपने लोगों के पास यह सूचना भेजा: “तुम लोग यरीहो नगर में तब तक रहो जब तक फिर दाढ़ी न उग आए। तब तुम घर वापस आ सकते हो।”

अम्मोनी लोगों ने देखा कि उन्होंने अपने आपको दाऊद का घृणित शत्रु बना दिया है। तब हानून और अम्मोनी लोगों ने पचहत्तर हजार पौंड चाँदी, रथ और सारथियों को मेसोपोटामियाँ से खरीदने में लगाया। उन्होंने अराम में अरम्माका और सोबा नगरों से भी रथ और सारथी प्राप्त किये। अम्मोनी लोगों ने बत्तीस हजार रथ खरीदे। उन्होंने माका के राजा को और उसकी सेना को भी आने और सहायता करने के लिये भुगतान किया। माका का राजा और उसके लोग आए और उन्होंने मेदबा नगर के पास अपना डेरा डाला। अम्मोनी लोग स्वयं अपने नगरों से बाहर आए और युद्ध के लिये तैयार हो गये।

दाऊद ने सुना कि अम्मोनी लोग युद्ध के लिये तैयार हो रहे हैं। इसलिये उसने योआब और इस्राएल की पूरी सेना को अम्मोनी लोगों से युद्ध करने के लिये भेजा। अम्मोनी लोग बाहर निकले तथा युद्ध के लिये तैयार हो गए। वे नगर द्वार के पास थे। जो राजा सहायता के लिये आए थे, वे स्वयं खुले मैदान में खड़े थे।

10 योआब ने देखा कि उसके विरुद्ध लड़ने वाली सेना के दो मोर्चे थे। एक मोर्चा उसके सामने था और दूसरा उसके पीछे था। इसलिये योआब ने इस्राएल के कुछ सर्वोत्तम योद्धाओं को चुना। उसने उन्हें अराम की सेना से लड़ने के लिये भेजा। 11 योआब ने इस्राएल की शेष सेना को अबीशै के सेनापतित्व में रखा। अबीशै योआब का भाई था। वे सैनिक अम्मोनी सेना के विरुद्ध लड़ने गये। 12 योआब ने अबिशै से कहा, “यदि अरामी सेना मेरे लिये अत्याधिक शक्तिशाली पड़े तो तुम्हें मेरी सहायता करनी होगी। किन्तु यदि अम्मोनी सेना तुम्हारे लिये अत्याधिक शक्तिशाली प्रामाणित होगी तो मैं तुम्हारी सहायता करूँगा। 13 हम अपने लोगों तथा अपने परमेश्वर के नगरों के लिये युद्ध करते समय वीर और दृढ़ बनें। यहोवा वह करे जिसे वह उचित मानता है।”

14 योआब और उसके साथ की सेना ने अराम की सेना पर आक्रमण किया। अराम की सेना योआब और उसकी सेना के सामने से भाग खड़ी हुई। 15 अम्मोनी सेना ने देखा कि अराम की सेना भाग रही है अतः वे भी भाग खड़े हुए। वे अबीशै और उसकी सेना के सामने से भाग खड़े हुए। अम्मोनी अपने नगरों को चले गये और योआब यरूशलेम को लौट गया।

16 अराम के प्रमुखों ने देखा कि इस्राएल ने उन्हें पराजित कर दिया। इसलिये उन्होंने परात नदी के पूर्व रहने वाले अरामी लोगों से सहायता के लिये दूत भेजे। शोपक हदरेजेर की अराम की सेना का सेनापति था। शोपक ने उन अन्य अरामी सैनिकों का भी संचालन किया।

17 दाऊद ने सुना कि अराम के लोग युद्ध के लिये इकट्ठा हो रहे हैं। इसलिये दाऊद ने इस्राएल के सभी सैनिकों को इकट्ठा किया। दाऊद उन्हें यरदन नदी के पार ले गया। वे अरामी लोगों के ठीक आमने सामने आ गए। दाऊद ने अपनी सेना को आक्रमण के लिये तैयार किया और अरामियों पर आक्रमण कर दिया। 18 अरामी इस्राएलियों के सामने से भाग खड़े हुए। दाऊद और उसकी सेना ने सात हजार सारथी और चालीस हजार अरामी सैनिकों को मार डाला। दाऊद और उसकी सेना ने अरामी सेना के सेनापति शोपक को भी मार डाला।

19 जब हदरेजेर के अधिकारियों ने देखा कि इस्राएल ने उनको हरा दिया तो उन्होंने दाऊद से सन्धि कर ली। वे दाऊद के सेवक बन गए। इस प्रकार अरामियों ने अम्मोनी लोगों को फिर सहायता करने से इन्कार कर दिया।

योआब अम्मोनियों को नष्ट करता है

20 बसन्त में, योआब इस्राएल की सेना को युद्ध के लिये ले गया। यह वही समय था जब राजा युद्ध के लिये यात्रा करते थे, किन्तु दाऊद यरूशलेम में रहा। इस्राएल की सेना अम्मोन देश को गई थी। उसने उसे नष्ट कर दिया। तब वे रब्बा नगर को गये। सेना ने लोगों को अन्दर आने और बाहर जाने से रोकने के लिये नगर के चारों ओर डेरा डाला। योआब और उसकी सेना ने रब्बा नगर के विरुद्ध तब तक युद्ध किया जब तक उसे नष्ट नहीं कर डाला।

दाऊद ने उनके राजा[f] का मुकुट उतार लिया। वह सोने का मुकुट तोल में लगभग पचहत्तर पौंड था। मुकुट में बहुमूल्य रत्न जड़े थे। मुकुट दाऊद के सिर पर रखा गया। तब दाऊद ने रब्बा नगर से बहुत सी मूल्यवान वस्तुएँ प्राप्त कीं। दाऊद रब्बा के लोगों को साथ लाया और उन्हें आरों, लोहे की गैंती और कुल्हाड़ियों से काम करने को विवश किया। दाऊद ने अम्मोनी लोगों के सभी नगरों के साथ यही बर्ताव किया। तब दाऊद और सारी सेना यरूशलेम को वापस लौट गई।

पलिश्ती के दैत्य मारे जाते हैं

बाद में इस्राएल के लोगों का युद्ध गेजेर नगर में पलिश्तियों के साथ हुआ। उस समय हूशा के सिब्बकै ने सिप्पै को मार डाला। सिप्पै दैत्यों के पुत्रों में से एक था। इस प्रकार पलिश्ती के लोग इस्राएलियों के दास के समान हो गए।

अन्य अवसर पर, इस्राएल के लोगों का युद्ध फिर पलिश्तियों के विरुद्ध हुआ। याईर के पुत्र एल्हानान ने लहमी को मार डाला। लहमी गोल्यत का भाई था। गोल्यत गत नगर का था। लहमी का भाला बहुत लम्बा और भारी था। यह करघे के लम्बे हत्थे की तरह था।

बाद में, इस्रालियों ने गत नगर के पास पलिश्तियों के साथ दूसरा युद्ध किया। इस नगर में एक बहुत लम्बा व्यक्ति था। उसके हाथ और पैर की चौबीस उँगलियाँ थीं। उस व्यक्ति के हर हाथ में छः उँगलियाँ और हर पैर की भी छः ऊँगलियाँ थीं। वह दैत्य का पुत्र भी था। इसलिये जब उसने इस्राएल का मज़ाक उड़ाया तो योनातान ने उसे मार डाला। योनातान शिमा का पुत्र था। शिमा दाऊद का भाई था।

वे पलिश्ती लोग गत नगर के दैत्यों के पुत्र थे। दाऊद और उसके सेवकों ने उन दैत्यों को मार डाला।

इस्राएलियों को गिनकर दाऊद पाप करता है

21 शैतान इस्राएल के लोगों के विरुद्ध था। उसने दाऊद को इस्राएल के लोगों को गिनने का प्रोत्साहन दिया। इलिये दाऊद ने योआब और लोगों के प्रमुखों से कहा, “जाओ और इस्राएल के सभी लोगों की गणना करो। बर्शेबा नगर से लेकर लगातार दान नगर तक देश के हर व्यक्ति को गिनो। तब मुझे बताओ, इससे मैं जान सकूँगा कि यहाँ कितने लोग हैं।”

किन्तु योआब ने उत्तर दिया, “यहोवा अपने राष्ट्र को सौ गुना विशाल बनाए। महामहिम इस्राएल के सभी लोग तेरे सेवक हैं। मेरे स्वामी यहोवा और राजा, आप यह कार्य क्यों करना चाहते हैं आप इस्राएल के सभी लोगों को पाप करने का अपराधी बनाएंगे!”

किन्तु राजा दाउद हठ पकड़े था। योआब को वह करना पड़ा जो राजा ने कहा। इसलिये योआब गया और पूरे इस्राएल देश में गणना करता हुआ घूमता रहा। तब योआब यरूशलेम लौटा और दाऊद को बताया कि कितने आदमी थे। इस्राएल में ग्यारह लाख पुरुष थे और तलवार का उपयोग कर सकते थे और तलवार का उपयोग करने वाले चार लाख सत्तर हजार पुरुष यहूदा में थे। योआब ने लेवी और बिन्यामीन के परिवार समूह की गणना नहीं की। योआब ने उन परिवार समूहों की गणना नहीं कि क्योंकि वह राजा दाऊद के आदेशों को पसन्द नहीं करता था। परमेश्वर की दृष्टि में दाऊद ने यह बुरा काम किया था इसलिये परमेश्वर ने इस्राएल को दण्ड दिया।

परमेश्वर इस्राएल को दण्ड देता है

तब दाऊद ने परमेश्वर से कहा, “मैंने एक बहुत मूर्खतापूर्ण काम किया है। मैंने इस्राएल के लोगों की गणना करके बुरा पाप किया है। अब, मैं प्रार्थना करता हूँ कि तू इस सेवक के पापों को क्षमा कर दे।”

9-10 गाद दाऊद का दृष्टा था। यहोवा ने गाद से कहा, “जाओ और दाऊद से कहोः यहोवा जो कहता है वह यह हैः मैं तुमको तीन विकल्प दे रहा हूँ। तुम्हें उसमें से एक चुनना है और तब मैं तुम्हें उस प्रकार दण्डित करूँगा जिसे तुम चुन लोगो।”

11-12 तब गाद दाऊद के पास गया। गाद ने दाऊद से कहा, “यहोवा कहता है, ‘दाऊद, जो दण्ड चाहते हो उसे चुनोः पर्याप्त अन्न के बिना तीन वर्ष या तुम्हारा पीछा करने वाले तलवार का उपयोग करते हुए शत्रुओं से तीन महीने तक भागना या यहोवा से तीन दिन का दण्ड। पूरे देश में भयंकर महामारी फैलेगी और यहोवा का दूत लोगों को नष्ट करता हुआ पूरे देश में जाएगा।’ परमेश्वर ने मुझे भेजा है। अब, तुम्हें निर्णय करना है कि उसको कौन सा उत्तर दूँ।”

13 दाऊद ने गाद से कहा, “मैं विपत्ति में हूँ! मैं नहीं चाहता कि कोई व्यक्ति मेरे दण्ड का निश्चय करे। यहोवा बहुत दयालू है, अतः यहोवा को ही निर्णय करने दो कि मुझे कैसे दण्ड दे।”

14 अतः यहोवा ने इस्राएल में भयंकर महामारी भेजी, और सत्तर हजार लोग मर गए। 15 परमेश्वर ने एक स्वर्गदूत को यरूशलेम को नष्ट करने के लिए भेजा। किन्तु जब स्वर्गदूत ने यरूशलेम को नष्ट करना आरम्भ किया तो यहोवा ने देखा और उसे दुख हुआ। इसलिये यहोवा ने इस्राएल को नष्ट न करने का निर्णय किया। यहोवा ने उस दूत से, जो नष्ट कर रहा था कहा, “रुक जाओ! यही पर्याप्त है!” यहोवा का दूत उस समय यबूसी ओर्नान की खलिहान के पास खड़ा था।

16 दाऊद ने नजर उठाई और यहोवा के दूत को आकाश में देखा। स्वर्गदूत ने यरूशलेम पर अपनी तलवार खींच रखी थी। तब दाऊद और अग्रजों (प्रमुखों) ने अपने सिर को धरती पर टेक कर प्रणाम किया। दाऊद और अग्रज (प्रमुख) अपने दुःख को प्रकट करने के लिये विशेष वस्त्र पहने थे। 17 दाऊद ने परमेश्वर से कहा, “वह मैं हूँ जिसने पाप किया है! मैंने लोगों की गणना के लिये आदेश दिया था! मैं गलती पर था! इस्राएल के लोगों ने कुछ भी गलत नहीं किया। यहोवा मेरे परमेश्वर, मुझे और मेरे परिवार को दण्ड दे किन्तु उस भयंकर महामारी को रोक दे जो तेरे लोगों को मार रही है!”

18 तब यहोवा के दूत ने गाद से बात की। उस ने कहा, “दाऊद से कहो कि वह यहोवा की उपासना के लिये एक वेदी बनाए। दाऊद को इसे यबूसी ओर्नान की खलिहान के पास बनाना चाहिये।” 19 गाद ने ये बातें दाऊद को बताईं और दाऊद ओर्नान के खलिहान के पास गया।

20 ओर्नान गेहूँ दायं रहा था।[g] ओर्नान मुड़ा और उसने स्वर्गदूत को देखा। ओर्नान के चारों पुत्र छिपने के लिये भाग गये। 21 दाऊद ओर्नान के पास गया। ओर्नान ने खलिहान छोड़ी। वह दाऊद तक पहुँचा और उसके सामने अपना माथा ज़मीन पर टेक कर प्रणाम किया।

22 दाऊद ने ओर्नान से कहा, “तुम अपना खलिहान मुझे बेच दो। मैं तुमको पूरी कीमत दूँगा। तब मैं यहोवा की उपासना के लिये एक वेदी बनाने के लिये इसका उपयोग कर सकता हूँ। तब भंयकर महामारी रुक जायेगी।”

23 ओर्नोन ने दाऊद से कहा, “इस खलिहान को ले लें! आप मेरे प्रभु और राजा हैं। आप जो चाहें, करें। ध्यान रखें, मैं भी होमबलि के लिये पशु दूँगा। मैं आपको लकड़ी के पर्दे वाले तख्ते दूँगा जिसे आप वेदी पर आग के लिये जला सकते हैं और मैं अन्नबलि के लिये गेहूँ दूँगा। मैं यह सब आपको दूँगा!”

24 किन्तु राजा दाऊद ने ओर्नान को उत्तर दिया, “नहीं, मैं तुम्हें पूरी कीमत दूँगा। मैं कोई तुम्हारी वह चीज नहीं लूँगा जिसे मैं यहोवा को दूँगा। मैं वह कोई भेंट नहीं चढ़ाऊँगा जिसका मुझे कोई मूल्य न देना पड़े।”

25 इसलिये दाऊद ने उस स्थान के लिये ओर्नोन को पन्द्र पौंड सोना दिया। 26 दाऊद ने वहाँ यहोवा की उपासाना के लिए एक वेदी बनाई। दाऊद ने होमबलि और मेलबलि चढ़ाई। दाऊद ने यहोवा से प्रार्थना की। यहोवा ने स्वर्ग से आग भेजकर दाऊद को उत्तर दिया। आग होमबलि की वेदी पर उतरी। 27 तब यहोवा ने स्वर्गदूत को आदेश दिया कि वह अपनी तलवार को वापस म्यान में रख ले।

28 दाऊद ने देखा कि यहोवा ने उसे ओर्नोन की खलिहान पर उत्तर दे दिया है, अतः दाऊद ने यहोवा को बलि भेंट की। 29 (पवित्र तम्बू और होमबलि की वेदी उच्च स्थान पर गिबोन नगर में थी। मूसा ने पवित्र तम्बू को तब बनाया था जब इस्राएल के लोग मरुभूमि में थे। 30 दाऊद पवित्र तम्बू में परमेश्वर से बातें करने नहीं जा सकता था, क्योंकि वह भयभीत था। दाऊद यहोवा के दूत और उसकी तलवार से भयभीत था।)

22 दाऊद ने कहा, “यहोवा परमेश्वर का मन्दिर और इस्राएल के लोगों के लिये भेंटों को जलाने की वेदी यहाँ बनेगी।”

दाऊद मन्दिर के लिये योजना बनाता है

दाऊद ने आदेश दिया कि इस्राएल में रहने वले सभी विदेशी एक साथ इकट्ठे हों। विदेशियों के उस समूह में से दाऊद ने संगतराशों को चुना। उनका काम परमेश्वर के मन्दिर के लिये पत्थरों को काट कर तैयार करना था। दाऊद ने द्वार के पल्लों के लिये कीलें तथा चूलें बनाने के लिए लोहा प्राप्त किया। दाऊद ने उतना काँसा भी प्राप्त किया जो तौला न जा सके और दाऊद ने इतने अधिक देवदारु के लट्ठे इकट्ठे किये जो गिने न जा सकें। सीदोन और सोर के लोग बहुत से देवदारु के लट्ठे लाए।

दाऊद ने कहा, “हमें यहोवा के लिये एक विशाल मन्दिर बनाना चाहिए। किन्तु मेरा पुत्र सुलैमान बालक है और वह उन सब चीजों को नहीं सीख सका है जो उसे जानना चाहिये। यहोवा का मन्दिर बहुत विशाल होना चाहिये। इस अपनी विशालता और सुन्दरता के लिये सभी राष्ट्रों में प्रसिद्ध होना चाहिये। यही कारण है कि मैं यहोवा का मन्दिर बनाने की योजना बनाऊँगा।” इसलिये दाऊद ने मरने से पहले मन्दिर बनाने के लिये बहुत सी योजनायें बनाई।

तब दाऊद ने अपने पुत्र सुलैमान को बुलाया। दाऊद ने सुलैमान से इस्राएल के यहोवा परमेश्वर के लिये मन्दिर बनाने को कहा। दाऊद ने सुलैमान से कहा, “मेरे पुत्र, मैं अपने परमेश्वर यहोवा के नाम के लिये एक मन्दिर बनाना चाहता था। किन्तु यहोवा ने मुझसे कहा, दाऊद तुमने बहुत से युद्ध किये हैं और बहुत से लोगों को मारा है इसलिये तुम मेरे नाम के लिये मन्दिर नहीं बना सकते किन्तु तुम्हारा एक पुत्र है जो शान्ति प्रिय है। मैं तुम्हारे पुत्र को शान्ति प्रदान करूँगा। उसके चारों ओर के शत्रु उसे परेशान नहीं करेंगे। उसका नाम सुलैमान है और मैं इस्राएल को उस समय सुख शान्ति दूँगा जिस समय सुलैमान राजा रहेगा। 10 सुलैमान मेरे नाम का एक मन्दिर बनायेगा। सुलैमान मेरा पुत्र और मैं उसका पिता रहूँगा और मैं सुलैमान के राज्य को शक्तिशाली बनाऊँगा और उसके परिवार का कोई सदस्य सदा इस्राएल पर राज्य करेगा।”

11 दाऊद ने यह भी कहा, “पुत्र, अब यहोवा तुम्हारे साथ रहे। तुम सफल बनो और जैसा यहोवा ने कहा है, अपने यहोवा परमेश्वर का मन्दिर बनाओ। 12 यहोवा तुम्हें इस्राएल का राजा बनाएगा। यहोवा तुम्हें बुद्धि और समझ दे जिससे तुम लोगों का मार्गदर्शन कर सको और अपने यहोवा परमेश्वर की व्यवस्था का पालन कर सको 13 और तुम्हें सफलता तब मिलेगी जब तुम उन नियमों और व्यवस्था के पालन में सावधान रहोगे जो यहोवा ने मूसा को इस्राएल के लिये दी थी। तुम शक्तिशाली और वीर बनो। डरो नहीं।

14 “सुलैमान, मैंने यहोवा के मन्दिर की योजना बनाने में बड़ा परिश्रम किया है। मैंने तीन हजार सात सौ पचास टन सोना दिया है और मैंने लगभग सैंतीस हजार पाँच सौ टन चाँदी दी है। मैंने काँसा और लोहा इतना अधिक दिया है कि वह तौला नहीं जा सकता और मैंने लकड़ी एवं पत्थर दिये हैं। सुलैमान, तुम उसे और अधिक कर सकते हो। 15 तुम्हारे पास बहुत से संगतराश और बढ़ई हैं। तुम्हारे पास हर एक प्रकार के काम करने वाले कुशल व्यक्ति हैं। 16 वे सोना, चाँदी काँसा, और लोहे का काम करने में कुशल हैं। तुम्हारे पास इतने अधिक कुशल व्यक्ति हैं कि वे गिने नहीं जा सकते। अब काम आरम्भ करो और यहोवा तुम्हारे साथ है।”

17 तब दाऊद ने इस्राएल के सभी प्रमुखों को अपने पुत्र सुलैमान की सहायता करने का आदेश दिया। 18 दाऊद ने उन प्रमुखों से कहा, “यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हारे साथ है। उसने तुम्हें शान्ति का समय दिया है। यहोवा ने हम लोगों के चारों ओर रहने वाले लोगों को पराजित करने में सहायता की है। अब यहोवा और उसके लोगों ने इस भूमि पर पूरा अधिकार किया है। 19 अब तुम अपने हृदय और आत्मा को अपने यहोवा परमेश्वर को समर्पित कर दो और वह जो कहे, करो। यहोवा परमेश्वर का पवित्र स्थान बनाओ। यहोवा के नाम के लिये मन्दिर बनाओ। तब साक्षिपत्र का सन्दूक तथा अन्य सभी पवित्र चीजें मन्दिर में लाओ।”

मन्दिर में लेवीवंशियों द्वारा सेवा की योजना

23 दाऊद बुढ़ा हो गया, इसलिये उसने अपने पुत्र सुलैमान को इस्राएल का नया राजा बनाया। दाऊद ने इस्राएल के सभी प्रमुखों को इकट्ठा किया। उसने याजकों और लेवीवंशियों को भी इकट्ठा किया। दाऊद ने तीस वर्ष और उससे ऊपर की उम्र के लेवीवेंशियों को गिना। सब मिलाकर अड़तीस हजार लेवीवंशी थे। दाऊद ने कहा, “चौबीस हजार लेवीवंशी यहोवा के मन्दिर के निर्माण कार्य की देखभाल करेंगें। छःहजार लेवीवंशी सिपाही और न्यायाधीश होंगे। चार हजार लेवीवंसी द्वारपाल होंगे और चार हाजार लेवीवंशी संगीतज्ञ होंगे। मैंने उनके लिये विशेष वाद्य बनाए हैं। वे उन वाद्यों का उपयोग यहोवा की स्तुति के लिये करेंगे।”

दाऊद ने लेवीवंशियों को तीन वर्गों में बाँट दिया। वे लेवी के तीन पुत्रों गेर्शोन, कहात और मरारी के परिवार समूह थे।

गेर्शोन के परिवार समूह

गेर्शोन के परिवार समूह से लादान और शिमी थे। लादान के तीन पुत्र थे। उसका सबसे बड़ा पुत्र यहीएल था। उसके अन्य पुत्र जेताम और योएल थे। शिमी के पुत्र शलोमीत, हजीएल और हारान थे। ये तीनों पुत्र लादान के परिवारों के प्रमुख थे।

10 शिमी के चार पुत्र थे। वे यहत, जीना, यूश और बरीआ थे। 11 यहत सबसे बड़ा और जीजा दूसरा पुत्र था। किन्तु यूश और बरीआ के बहुत से पुत्र नहीं थे। इसलिए यूश और बरीआ एक परिवार के रूप में गिने जाते थे।

कहात का परिवार समूह

12 कहात के चार पुत्र थे। वे अम्राम, यिसहार हेब्रोन और उज्जीएल थे। 13 अम्राम के पुत्र हारून और मूसा थे। हारून अति विशेष होने के लिये चुना गया था। हारून और उसके वंशज सदा सदा के लिये विशेष होने को चुने गए थे। वे यहोवा की सेवा के लिये पवित्र चीजें बनाने के लिये चुने गए थे। हारून और उसके वंशज यहोवा के सामने सुगन्धि जलाने के लिये चुने गए थे। वे यहोवा की सेवा याजक के रूप में करने के लिये चुने गए थे। वे यहोवा के नाम का उपयोग करने और लोगों को आशीर्वाद देने के लिये सदा के लिये चुने गए थे।

14 मूसा परमेश्वर का व्यक्ति था। मूसा के पुत्र, लेवी के परिवार समूह के भाग थे। 15 मूसा के पुत्र गेर्शोम और एलीएजेर थे। 16 गेर्शोन का बड़ा पुत्र शबूएल था। 17 एलीएजेर का बड़ा पुत्र रहब्याह था। एलीएजेर के और कोई पुत्र नहीं थे। किन्तु रहब्याह के बहुत से पुत्र थे।

18 यिसहार का सबसे बड़ा पुत्र शलोमीत था।

19 हेब्रोन का सबसे बड़ा पुत्र यरीय्याह था। हेब्रोन का दूसरा पुत्र अर्मायह था। यहजीएल तीसरा पुत्र था और यकमाम चौथा पुत्र था।

20 उज्जीएल का सबसे बड़ा पुत्र मीका था और यिश्शिय्याह उसका दूसरा पुत्र था।

मरारी का परिवार समूह

21 मरारी के पुत्र महली और मूशी थे। महली के पुत्र एलीआजार और कीश थे। 22 एलीआजर बिना पुत्रों के मरा। उसकी केवल पुत्रियाँ थीं। एलीआजर की पुत्रियों ने अपने सम्बन्धियों से विवाह किया उनके सम्बन्धी कीश के पुत्र थे। 23 मूशी के पुत्र महली, एदेर और यरेमोत थे सब मिला कर तीन पुत्र थे।

लेवीवंशियों के काम

24 लेवी के वंशज ये थे। वे अपने परिवार के अनुसार सूची में अंकित थे। वे परिवारों के प्रमुख थे। हर एक व्यक्ति का नाम सूची में अंकित था। जो सूची में अंकित थे, वे बीस वर्ष के या उससे ऊपर के थे। वे यहोवा के मन्दिर में सेवा करते थे।

25 दाऊद ने कहा था, “इस्राएल के यहोवा परमेश्वर ने अपने लोगों को शान्ति दी है। यहोवा यरूशलेम में सदैव रहने के लिये आ गया है। 26 इसलिये लेवीवंशियों को पवित्र तम्बू या इसकी सेवा में काम आने वाली किसी चीज़ को भविष्य में ढोने की आवश्यकता नहीं है।”

27 दाऊद के अन्तिम निर्देश इस्राएल के लोगों के लिये, लेवी के परिवार समूह के वंशजों को गिनना था। उन्होंने लेवीवंशियों के बीस वर्ष और उससे ऊपर के व्यक्तियों को गिना।

28 लेवीवंशियों का काम हारून के वंशजों को यहोवा के मन्दिर में सेवा कार्य करने में सहायता करना था। लेवीवंशी मन्दिर के आँगन और बगल के कमरों की भी देखभाल करते थे। उनका काम सभी पवित्र चीजों को शुद्ध करने का था। उनका काम यह भी था कि परमेश्वर के मन्दिर में सेवा करें। 29 मन्दिर में विशेष रोटी को मेज पर रखने का उत्तरदायित्व उनका ही था। वे आटा, अन्नबलि और अखमीरी रोटी के लिये भी उत्तरदायी थे। वे पकाने की कढ़ाईयों और मिश्रित भेंटों के लिये भी उत्तरदायी थे। वे सारा नाप तौल का काम करते थे। 30 लेवीवंशी हर एक प्रातः खड़े होते थे और यहोवा का धन्यवाद और स्तुति करते थे। वे इसे हर सन्ध्या को भी करते थे। 31 लेवीवंशी यहोवा को सभी होमबलियाँ विश्राम के विशेष दिनों, नवचन्द्र उत्सवों और सभी अन्य विशेष पर्व के दिनों, पर तैयार करते थे। वे यहोवा के सामने प्रतिदिन सेवा करते थे। कितने लेवीवंशी हर बार सेवा करेंगे उसके लिये विशेष नियम थे। 32 अतः लेवीवंशी वे सब काम करते थे। जिनकी आशा उनसे की जाती थी। वे पवित्र तम्बू की देखभाल करते थे वे पवित्र स्थान की देखभाल करते थे और वे अपने सम्बन्धियों हारून के वंशज याजकों को सहायता देते थे। लेवीवंशी यहोवा के मन्दिर में सेवा करके याजकों की सेवा करते थे।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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