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Bible in 90 Days

An intensive Bible reading plan that walks through the entire Bible in 90 days.
Duration: 88 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
व्यवस्था विवरण 8:1-23:11

यहोवा को याद रखो

“तुम्हें आज जो आदेश दे रहा हूँ उसे ध्यान से सुनना और उनका पालन करना चाहिए। क्योंकि तब तुम जीवित रहोगे। तुम्हारी संख्या अधिक से अधिक होती जाएगी। तुम उस देश में जाओगे और उसमें रहोगे जिसे यहोवा ने तुम्हारे पूर्वजों को देने का वचन दिया है और तुम्हें उस लम्बी यात्रा को याद रखना है जिसे यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने मरुभूमि में चालीस वर्ष तक काराई है। यहोवा तुम्हारी परीक्षा ले रहा था। वह तुम्हें विनम्र बनाना चाहता था। वह चाहता था कि वह तुम्हारे हृदय की बात जाने कि तुम उसके आदेशों का पालन करोगे या नहीं। यहोवा ने तुमको विनम्र बनाया और तुम्हें भूखा रहने दिया। तब उसने तुम्हें मन्ना खिलाया, जिसे तुम पहले से नहीं जानते थे, जिसे तुम्हारे पूर्वजों ने कभी नहीं देखा था। यहोवा ने यह क्यों किया? क्योंकि वह चाहता था कि तुम जानो कि केवल रोटी ही ऐसी नहीं है जो लोगों को जीवित रखती है। लोगों का जीवन यहोवा के वचन पर आधारित है। इन पिछले चालीस वर्षों में तुम्हारे वस्त्र फटे नहीं और यहोवा ने तुम्हारे पैरों की रक्षा सूजन से भी की। इसलिए तुम्हें जानना चाहिए कि यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हें शिक्षित करने और सुधारने के लिए वह सब वैसे ही किया जैसे कोई पिता अपने पुत्र की शिक्षा के लिए करता है।

“तुम्हें यहोवा अपने परमेश्वर के आदेशों का पालन करना चाहिए। उसके बताए मार्ग पर जीवन बिताओ और उसका सम्मान करो। यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें एक अच्छे देश में ले जा रहा है, ऐसे देश में जिसमें नदियाँ और पानी के ऐसे सोते हैं जिनसे जमीन से पानी घाटियों और पहाड़ियों में बहता है। यह ऐसा देश है जिसमें गेहूँ, जौ, अंगूर की बेलें, अंजीर के पेड़ और अनार होते हैं। यह ऐसा देश है जिसमें जैतून का तेल और शहद होता है। वहाँ तुम्हें बहुत अधिक भोजन मिलेगा। तुम्हें वहाँ किसी चीज की कमी नहीं होगी। यह ऐसा देश है जहाँ लोहे की चट्टाने हैं। तुम पहाड़ियों से तांबा खोद सकते हो। 10 तुम्हारे खाने के लिए पर्याप्त होगा और तुम संतुष्ट होगे। तब तुम यहोवा अपने परमेश्वर की प्रशंसा करोगे कि उसने तुम्हें ऐसा अच्छा देश दिया।

यहोवा के कार्यों को मत भूलो

11 “सावधान रहो, यहोवा अपने परमेश्वर को न भूलो। सावधान रहो कि आज मैं जिन आदेशों, विधियों और नियमों को दे रहा हूँ उनका पालन हो। 12 तुम्हारे खाने के लिए बहुत अधिक होगा और तुम अच्छे मकान बनाओगे और उनमें रहोगे। 13 तुम्हारे गाय, मवेशी और भेड़ों के झुण्ड बहुत बड़े होंगे, तुम अधिक से अधिक सोना और चाँदी पाओगे और तुम्हारे पास बहुत सी चीजें होंगी। 14 जब ऐसा होगा तो तुम्हें सावधान रहना चाहिए कि तुम्हें घमण्ड न हो। तुम्हें यहोवा अपने परमेश्वर को नहीं भूलना चाहिए। वह तुमको मिस्र से लाया, जहाँ तुम दास थे। 15 यहोवा तुम्हें विशाल और भयंकर मरुभूमि से लाया। जहरीले साँप और बिच्छु उस मरुभूमि में थे। जमीन शुष्क थी और कहीं पानी नहीं था। किन्तु यहोवा ने चट्टान के नीचे से पानी दिया। 16 मरुभूमि में यहोवा ने तुम्हें मन्ना खिलाया, ऐसी चीज जिसे तुम्हारे पूर्वज कभी नहीं जान सके। यहोवा ने तुम्हारी परिक्षा ली। क्यों? क्योंकि यहोवा तुमको विनम्र बनाना चाहता था। वह चाहता था कि अन्ततः तुम्हारा भला हो। 17 अपने मन में कभी ऐसा न सोचो, ‘मैंने यह सारी सम्पत्ति अपनी शक्ति और योग्यता से पाई है।’ 18 यहोवा अपने परमेश्वर को याद रखो। याद रखो कि वह ही एक है जो तुम्हें ये कार्य करने की शक्ति देता है। यहोवा ऐसा क्यों करता है? क्योंकि इन दिनों वह तुम्हारे पूर्वजों के साथ की गई वाचा को पूरा कर रहा है।

19 “यहोवा अपने परमेश्वर को कभी न भूलो। तुम किसी दूसरे देवता की पूजा या सेवा के लिए उसका अनुसरण न करो! यदि तुम ऐसा करोगे तो मैं तुम्हें आज चेतावनी देता हूँ तुम निश्चय ही नष्ट कर दिये जाओगे! 20 यहोवा तुम्हारे लिए अन्य राष्ट्रों को नष्ट कर रहा है। तुम भी उन्हीं राष्ट्रों की तरह नष्ट हो जाओगे जिन्हें यहोवा तुम्हारे सामने नष्ट कर रहा है। यह होगा क्योंकि तुमने यहोवा अपने परमेश्वर की आज्ञा का पालन नहीं किया।

यहोवा इस्राएल के लोगों का साथ देगा!

“ध्यान दो, इस्राएल के लोगो! आज तुम यरदन नदी को पार करोगे। तुम उस देश में अपने से बड़े और शक्तिशाली राष्ट्रों को बलपूर्वक हटाने के लिए जाओगे। उनके नगर बड़े और उनकी दीवारें आकाश को छूती हैं। वहाँ के लोग लम्बे और बलवान हैं। वे अनाकी लोग हैं। तुम इन लोगों के बारे में जानते हो। तुम लोगों ने अपने गुप्तचरों को यह कहते हुए सुना, ‘कोई व्यक्ति अनाकी लोगों को नहीं हरा सकता।’ किन्तु तुम पूरा विश्वास कर सकते हो कि यहोवा, तुम्हारा परमेश्वर भस्म करने वाली आग की तरह तुम्हारे आगे नदी के पार जा रहा है। यहोवा उन राष्ट्रों को नष्ट करेगा। वह उन्हें तुम्हारे सामने पराजित करायेगा। तुम उन राष्ट्रों को बलपूर्वक निकाल बाहर करोगे। तुम शीघ्र ही उन्हें नष्ट करोगे। यहोवा ने यह प्रतिज्ञा की है कि ऐसा होगा।

“यहोवा तुम्हारा परमेश्वर जब उन राष्ट्रों को बलपूर्वक तुमसे दूर हटा दे तो अपने मन में यह न कहना कि, ‘यहोवा हम लोगों को इस देश में रहने के लिए इसलिए लाया कि हम लोगों के रहने का ढंग उचित है।’ यहोवा ने उन राष्ट्रों को तुम लोगों से दूर बलपूर्वक क्यों हटाया? क्योंकि वे बुरे ढंग से रहते थे। तुम उनका देश लेने के लिए जा रहे हो, किन्तु इसलिए नहीं कि तुम अच्छे हो और उचित ढंग से रहते थे। तुम उस देश में जा रहे हो और यहोवा तुम्हारा परमेश्वर चाहता है कि जो वचन उसने तुम्हारे पूर्वजों—इब्राहीम, इसहाक और याकूब को दिया वह पूरा हो। यहोवा तुम्हारा परमेश्वर उस अच्छे देश को तुम्हें रहने के लिए दे रहा है, किन्तु तुम्हें यह जानना चाहिए कि ऐसा तुम्हारी जिन्दगी के अच्छे ढंग के होने के कारण नहीं हो रहा है। सच्चाई यही है कि तुम अड़ियल लोग हो!

यहोवा का क्रोध याद रखो

“यह मत भूलो कि तुमने यहोवा अपने परमेश्वर को मरुभूमि में क्रोधित किया! तुमने उसी दिन से जिस दिन से मिस्र से बाहर निकले और इस स्थान पर आने के दिन तक यहोवा के आदेश को मानने से इन्कार किया है। तुमने यहोवा को होरेब (सीनै) पर्वत पर भी क्रोधित किया। यहोवा तुम्हें नष्ट कर देने की सीमा तक क्रोधित था! मैं पत्थर की शिलाओं को लेने के लिए पर्वत के ऊपर गया, जो वाचा यहोवा ने तुम्हारे साथ किया, उन शिलाओं में लिखे थे। मैं वहाँ पर्वत पर चालीस दिन और चालीस रात ठहरा। मैंने न रोटी खाई, न ही पानी पिया। 10 तब यहोवा ने मुझे पत्थर की शिलाएँ दीं। यहोवा ने उन शिलाओं पर अपनी उंगलियों से लिखा है। उसने उस हर एक बात को लिखा है जिन्हें उसने आग में से कहा था। जब तुम पर्वत के चारों ओर इकट्ठे थे।

11 “इसलिए, चालीस दिन और चालीस रात के अन्त में यहोवा ने मुझे साक्षीपत्र की दो शिलाएँ दीं। 12 तब यहोवा ने मुझसे कहा, ‘उठो और शीघ्रता से यहाँ से नीचे जाओ। जिन लोगों को तुम मिस्र से बाहर लाए हो उन लोगों ने अपने को बरबाद कर लिया है। वे उन बातों से शीघ्रता से हट गए हैं, जिनके लिए मैंने आदेश दिया था। उन्हो ने सोने को पिघला कर अपने लिए एक मूर्ति बना ली है।’

13 “यहोवा ने मुझसे यह भी कहा, ‘मैंने इन लोगों पर अपनी निगाह रखी है। वे बहुत अड़ियल हैं! 14 मुझे इन लोगों को पूरी तरह नष्ट कर देने दो, कोई व्यक्ति उनका नाम कभी याद नहीं करेगा। तब मैं तुमसे दूसरा राष्ट्र बनाऊँगा जो उन के राष्ट्र से बड़ा और अधिक शक्तिशाली होगा।’

सोने का बछड़ा

15 “तब मैं मुड़ा और पर्वत से नीचे आया। पर्वत आग से जल रहा था। साक्षीपत्र की दोनों शिलाएँ मेरे हाथ में थीं। 16 जब मैंने नजर डाली तो देखा कि तुमने यहोवा अपने परमेश्वर के विरूद्ध पाप किया है, तुमने अपने लिए पिघले सोने से एक बछड़ा बनाया है। यहोवा ने जो आदेश दिया है उससे तुम शीघ्रता से दूर हट गए हो। 17 इसलिए मैंने दोनों शिलाएँ लीं और उन्हें नीचे डाल दिया। वहाँ तुम्हारी आँखों के सामने शिलाओं के टुकड़े कर दिए। 18 तब मैं यहोवा के सामने झुका और अपने चेहरे को जमीन पर करके चालीस दिन और चालीस रात वैसे ही रहा। मैंने न रोटी खाई, न पानी पिया। मैंने यह इसलिए किया कि तुमने इतना बुरा पाप किया था। तुमने वह किया जो यहोवा के लिए बुरा है और तुमने उसे क्रोधित किया। 19 मैं यहोवा के भयंकर क्रोध से डरा हुआ था। वह तुम्हारे विरुद्ध इतना क्रोधित था कि तुम्हें नष्ट कर देता। किन्तु यहोवा ने मेरी बात फिर सुनी। 20 यहोवा हारून पर बहुत क्रोधित था, उसे नष्ट करने के लिए उतना क्रोध काफी था! इसलिए उस समय मैंने हारून के लिए भी प्रार्थना की। 21 मैंने उस पापपूर्ण तुम्हारे बनाए सोने के बछड़े को लिया और उसे आग मे जला दिया। मैंने उसे छोटे—छोटे टुकड़ों में तोड़ा और मैंने बछड़े के टुकड़ों को तब तक कुचला जब तक वे धूलि नहीं बन गए और तब मैंने उस धूलि को पर्वत से नीचे बहने वाली नदी में फेंका।

मूसा यहोवा से इस्राएल के लिये क्षमा माँगता है

22 “मस्सा में तबेरा और किब्रोतहतावा पर तुमने फिर यहोवा को क्रोधित किया 23 और जब यहोवा ने तुमसे कादेशबर्ने छोड़ने को कहा तब तुमने उसकी आज्ञा का पालन नहीं किया। उसने कहा, ‘आगे बढ़ो और उस देश में रहो जिसे मैंने तुम्हें दिया है।’ किन्तु तुमने उस पर विश्वास नहीं किया। तुमने उसके आदेश की अनसुनी की। 24 पूरे समय जब से मैं तुमहें जानता हूँ तुम लोगों ने यहोवा की आज्ञा पालन करने से इन्कार किया है।

25 “इसलिए मैं चालीस दिन और चालीस रात यहोवा के सामने झुका रहा। क्यों? क्योंकि यहोवा ने कहा कि वह तुम्हें नष्ट करेगा। 26 मैंने यहोवा से प्रार्थना की। मैंने कहाः यहोवा मेरे स्वामी, अपने लोगों को नष्ट न कर। वे तेरे अपने हैं। तूने अपनी बडी शक्ति और दृढ़ता से उन्हें स्वतन्त्र किया और मिस्र से लाया। 27 तू अपने सेवक इब्राहीम, इसहाक और याकूब को दी गई अपनी प्रतिज्ञा को याद कर। तू यह भूल जा कि ये लोग कितने हठीले हैं। तू उनके बुरे ढंग और पाप को न देख। 28 यदि तू अपने लोगों को दण्ड देगा तो मिस्री कह सकते हैं, ‘यहोवा अपने लोगों को उस देश में ले जाने में समर्थ नहीं था जिसमें ले जाने का उसने वचन दिया था और वह उनसे घृणा करता था। इसलिए वह उन्हें मारने के लिए मरुभूमि में ले गया।’ 29 किन्तु वे लोग तेरे लोग हैं, यहोवा वे तेरे अपने हैं। तू अपनी बड़ी शक्ति और दृढ़ता से उन्हें मिस्र से बाहर लाया।

नई पत्थर की शिलाएँ

10 “उस समय, यहोवा ने मुझसे कहा, ‘तुम पहली शिलाओं की तरह पत्थर काटकर दो शिलाएँ बनाओ। तब तुम मेरे पास पर्वत पर आना। अपने लिए एक लकड़ी का सनदूक भी बनाओ। मैं पत्थर की शिलाओं पर वे ही शब्द लिखूँगा जो तुम्हारे द्वारा तोड़ी गई पहली शिलाओं पर थे। तब तुम्हें इन नयी शिलाओं को सन्दूक में रखना चाहिए।’

“इसलिए मैंने देवदार का एक सन्दूक बनाया। मैंने पहली शिलाओं की तरह पत्थर काटकर दो शिलाएँ बनाईं। तब मैं पर्वत पर गया। मेरे हाथ में दोनों शिलाएँ थीं और यहोवा ने उन्हीं शब्दों को लिखा जिन्हें उसने तब लिखा था जब दस आदेशों को उसने आग में से तुम्हें दिया था और तुम पर्वत के चारों ओर इकट्ठे थे। तब यहोवा ने पत्थर की शिलाएँ मुझे दीं। मैं मुड़ा और पर्वत के नीचे आया। मैंने अपने बनाएँ सन्दूक में शिलाओं को रखा। यहोवा ने मुझे उसमें रखने को कहा और शिलाएँ अब भी उसी सन्दूक में हैं।”

(इस्राएल के लोगों ने याकान के लोगों के कुँए से मोसेरा की यात्रा की। वहाँ हारून मरा और दफनाया गया। हारून के पुत्र एलीआजर ने हारून के स्थान पर याजक के रूप में सेवा आरम्भ की। तब इस्राएल के लोग मोसेरा से गुदगोदा गए और वे गुदगोदा से नदियों के प्रदेश योतबाता को गए। उस समय यहोवा ने लेवी के परिवार समूह को अपने विशेष काम के लिए अन्य परिवार समूहों से अलग किया। उन्हें यहोवा के साक्षीपत्र के सन्दूक को ले चलने का कार्य करना था। वे याजक की सहायता भी यहोवा के मन्दिर में करते थे और यहोवा के नाम पर, वे लोगों को आशीर्वाद देने का काम भी करते थे। वे अब भी यह विशेष काम करते हैं। यही कारण है कि लेवीवंश के लोगों को भूमि का कोई भाग अन्य परिवार समूहों की भांति नहीं मिला। लेविवंशियों के हिस्से में यहोवा पड़ा। यही योहवा तुम्हारे परमेश्वर ने उन्हें दिया।)

10 “मैं पर्वत पर पहली बार की तरह चालीस दिन और चालीस रात रुका रहा। यहोवा ने उस समय भी मेरी बातें सुनीं। यहोवा ने तुम लोगों को नष्ट न करने का निश्चय किया। 11 योहवा ने मुझसे कहा, ‘जाओ और लोगों को यात्रा पर ले जाओ। वे उस देश में जाएंगे और उसमें रहेंगे जिसे मैंने उनके पूर्वजों को देने का वचन दिया है।’

यहोवा वास्तव में क्या चाहता है

12 “इस्राएल के लोगो, अब सुनो! यहोवा तुम्हारा परमेश्वर चाहता है कि तुम ऐसा करोः यहोवा अपने परमेश्वर का सम्मान करो और वह जो कुछ तुमसे कहे, करो। यहोवा अपने परमेश्वर से प्रेम करो और उसकी सेवा हृदय और आत्मा से करो। 13 आज मैं जिस यहोवा के नियमों और आदेशों को बता रहा हूँ, उसका पालन करो। ये आदेश और नियम तुम्हारी अपनी भलाई के लिए हैं।

14 “हर एक चीज, यहोवा तुम्हारे परमेश्वर की है। स्वर्ग, सबसे ऊँचा भी उसी का है। पृथ्वी और उस पर की सार चीजें यहोवा तुम्हारे परमेश्वर की हैं। 15 यहोवा तुम्हारे पूर्वजों से बहुत प्रेम करता था। वह उनसे इतना प्रेम करता था कि उनके वंशज, तुमको, उसने अपने लोग बनाया। उसने किसी अन्य राष्ट्र के स्थान पर तुम्हें चुना और आज भी तुम उसके चुने हुये लोग हो।

इस्राएलियों को यहोवा को याद रखना चाहिए

16 “तुम्हें अड़ियल होना छोड़ देना चाहिए और अपने हृदय को यहोवा पर लगाना चाहिए। 17 क्यों? क्योंकि यहोवा तुम्हारा परमेश्वर है। वह देवताओं का परमेश्वर, और ईश्वरों का ईश्वर है। वह महान परमेश्वर है। वह आश्यर्जनक और शक्तिशाली योद्धा है। यहोवा की दृष्टि में सभी मनुष्य बराबर हैं। यहोवा अपने इरादे को बदलने के लए धन नहीं लेता। 18 वह अनाथ बच्चों की सहायता करता है। वह विधवाओं की सहायता करता है। वह हमारे देश में अजनबियों से भी प्रेम करता है। वह उन्हें भोजन और वस्त्र देता है। 19 इसलिए तुम्हें भी इन अजनबियों से प्रेम करना चाहिए। क्यों? क्योंकि तुम स्वयं भी मिस्र में अजनबी थे।

20 “तुम्हें यहोवा अपने परमेश्वर का सम्मान करना चाहिए और केवल उसी की उपासना करनी चाहिए। उसे कभी न छोड़ो। जब तुम वचन दो तो केवल उसके नाम का उपयोग करो। 21 तुम्हें एकमात्र यहोवा की प्रशंसा करनी चाहिए। उसने तुम्हारे लिए महान और आश्चर्यजनक काम किया है। इन कामों को तुमने अपनी आँखों से देखा है। 22 जब तुम्हारे पूर्वज मिस्र गए थे तो केवल सत्तर थे। अब यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हें बहुत अधिक लोगों के रूप में इतना बढ़ा दिया है जितने आकाश में तारे हैं।

यहोवा का स्मरण रखो

11 “इसलिए तुम्हें अपने परमेश्वर यहोवा से प्यार करना चाहिए। तुम्हें वही करना चाहिए जो वह करने के लिए तुमसे कहता है। तुम्हें उसके विधियों, नियमों और आदेशों का सदैव पालन करना चाहिए। उन बड़े चमत्कारों को आज तुम याद करो जिन्हें यहोवा ने तुम्हें शिक्षा देने के लिए दिखाया। वे तुम लोग थे तुम्हारे बच्चे नहीं, जिन्होंने उन घटनाओं को होते देखा और उनके बीच जीवन बिताया। तुमने देखा है कि यहोवा कितना महान है। तुमने देखा है कि वह कितना शक्तिशाली है और तुमने उसके पराक्रमपूर्ण किये गए कार्यों को देखा है। तुम्हारे बच्चों ने नहीं, तुमने उसके चमत्कार देखे हैं। तुमने वह सब देखा जो उसने मिस्र के सम्राट फिरौन और उसके पूरे देश के साथ किया। तुम्हारे बच्चों ने नहीं, तुमने मिस्र की सेना, उनके घोड़ों और रथों के साथ यहोवा ने जो किया, देखा। वे तुम्हारा पीछा कर रहे थे, किन्तु तुमने देखा यहोवा ने उन्हें लालसागर के जल में डुबा दिया। तुमने देखा कि यहोवा ने उन्हें पूरी तरह नष्ट कर दिया। वे तुम थे, तुम्हारे बच्चे नहीं, जिन्होंने यहोवा अपने परमेश्वर को अपने लिए मरुभूमि में सब कुछ तब तक करते देखा जब तक तुम इस स्थान पर आ न गए। तुमने देखा कि यहोवा ने रूबेन के परिवार के एलिआब के पुत्रों दातान और अबीराम के साथ क्या किया। इस्राएल के सभी लोगों ने पृथ्वी को मुँह की तरह खुलते और उन आदमियों को निगलते देखा और पृथ्वी ने उनके परिवार, खेमे, सारे सेवकों और उनके सभी जानवरों को निगल लिया। वे तुम थे तुम्हारे बच्चे नहीं, जिन्होंने यहोवा द्वारा किये गए इन बड़े चम्तकारों को देखा।

“इसलिए तुम्हें आज जो आदेश मैं दे रहा हूँ, उन सबका पालन करना चाहिए। तब तुम शक्तिशाली बनोगे और तुम नदी को पार करने योग्य होगे और उस देश को लोगे जिसमें प्रवेश करने के लिए तुम तैयार हो। उस देश में तुम्हारी उम्र लम्बी होगी। यह वही देश है जिसे यहोवा ने तुम्हारे पूर्वजों और उनके वंशजों को देने का वचन दिया था। इस देश में दूध तथा शहद बहता है। 10 जो देश तुम पाओगे वह मिस्र की तरह नहीं है जहाँ से तुम आए। मिस्र में तुम बीज बोते थे और अपने पौधों को सींचने के लिए नहरों से अपने पैरों का उपयोग कर पानी निकालते थे। तुम अपने खेतों को वैसे ही सींचते थे जैसे तुम सब्जियों के बागों की सिंचाई करते थे। 11 लेकिन जो प्रदेश तुम शीघ्र ही पाओगे, वैसा नहीं है। इस्राएल में पर्वत और घाटियाँ हैं। यहाँ की भूमि वर्षा से जल प्राप्त करती है जो आकाश से गिरती है। 12 यहोवा तुम्हारा परमेश्वर उस देश की देख—रेख करता है! यहोवा तुम्हारा परमेश्वर वर्ष के आरम्भ से अन्त तक उसकी गेख—रेख करता है।

13 “तुम्हें जो आदेश मैं आज दे रहा हूँ, उसे तुम्हें सावधानी से सुनना चाहिएः यहोवा से प्रेम और उसकी सेवा पूरे हृदय और आत्मा से करनी चाहिए। यदि तुम वैसा करोगे 14 तो मैं ठीक समय पर तुम्हारी भूमि के लिए वर्षा भेजूँगा। मैं पतझड़ और बसंत के समय की भी वर्षा भेजूँगा। तब तुम अपना अन्न, नया दाखमधु और तेल इकट्ठा करोगे 15 और मैं तुम्हारे खेतों में तुम्हारे मवेशियों के लिए घास उगाऊंगा। तुम्हारे भोजन के लिए बहुत अधिक होगा।”

16 “किन्तु सावधान रहो कि मूर्ख न बनाए जाओ! दूसरे देवताओं की पूजा और सेवा के लिए उनकी ओर न मुड़ो। 17 यदि तुम ऐसा करोगे तो यहोवा तुम पर बहुत क्रोधित होगा। वह आकाश को बन्द कर देगा और वर्षा नहीं होगी। भूमि से फसल नहीं उगेगी और तुम उस अच्छे देश में शीघ्र मर जाओगे जिसे यहोवा तुम्हें दे रहा है।

18 “जिन आदेशों को मैं दे रहा हूँ, याद रखो, उन्हें हृदय और आत्मा में धारण करो। इन आदेशों को लिखो और याद दिलाने वाले चिन्ह के रूप में इन्हें अपने हाथों पर बांधों तथा ललाट पर धारण करो। 19 इन नियमों की शिक्षा अपने बच्चों को दो। इनके बारे में अपने घर में बैठे, सड़क पर टहलते, लेटते और जागते हुए बताया करो। 20 इन आदेशों को अपने घर के द्वार स्तम्भों और फाटकों पर लिखो। 21 तब तुम और तुम्हारे बच्चे उस देश में लम्बे समय तक रहेंगे जिसे यहोवा ने तुम्हारे पूर्वजों को देने का वचन दिया है। तुम तब तक रहोगे जब तक धरती के ऊपर आकाश रहेगा।

22 “सावधान रहो कि तुम उस हर एक आदेश का पालन करते रहो जिसे पालन करने के लिए मैने तुमसे कहा है: अपने परमेश्वर यहोवा से प्रेम करो, उसके बताये सभी मार्गों पर चलो और उसके ऊपर विश्वास रखने वाले बनो। 23 जब, तुम उस देश में जाओगे तब यहोवा उन सभी दूसरे राष्ट्रों को बलपूर्वक बाहर करेगा। तुम उन राष्ट्रों से भूमि लोगे जो तुम से बड़े और शक्तिशाली हैं। 24 वह सारा प्रदेश जिस पर तुम चलोगे, तुम्हारा होगा। तुम्हारा देश दक्षिण में मरुभूमि से लेकर लगातार उत्तर में लबानोन तक होगा। यह पूर्व में फरात नदी से लेकर लगातार भूमध्य सागर तक होगा। 25 कोई व्यक्ति तुम्हारे विरुद्ध खड़ा नहीं होगा। यहोवा तुम्हारा परमेश्वर उन लोगों को तुमसे भयभीत करेगा जहाँ कहीं तुम उस देश में जाओगे। यह वही है जिसके लिए यहोवा ने पहले तुमको वचन दिया था।

इस्राएलियों के लिए चुनावः आशीर्वाद या अभिशाप

26 “आज मैं तुम्हें आशीर्वाद या अभिशाप में से एक को चुनने दे रहा हूँ। 27 तुम आशीर्वाद पाओगे, यदि तुम योहवा अपने परमेश्वर के उन आदेशों पर ध्यान दोगे और उनका पालन करोगे। 28 किन्तु तुम उस समय अभिशाप पाओगे जब तुम यहोवा अपने परमेश्वर के आदेशों के पालन से इन्कार करोगे, अर्थात् जिस मार्ग पर चलने का आदेश मैं आज तुम्हें दे रहा हूँ, उससे मुड़ोगे और उन देवताओं का अनुसरण करोगे जिन्हें तुम जानते नहीं।

29 “जब यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें उस देश में पहुँचा देगा जहाँ तुम रहोगे, तब तुम्हें गरीज्जीम पर्वत की चोटी पर जाना चाहिए और वहाँ से आशीर्वादों को पढ़कर लोगों को सुनाना चाहिए। तुम्हें एबाल पर्वत की चोटी पर भी जाना चाहिए और वहाँ से अभिशापों को लोगों को सुनाना चाहिए। 30 ये पर्वत यरदन नदी की दूसरी ओर कनानी लोगों के प्रदेश में है जो यरदन घाटी में रहते हैं। ये पर्वत गिल्गाल नगर के समीप मोरे के बांज के पेड़ों के निकट पश्चिम की ओर है। 31 तुम यरदन नदी को पार करके जाओगे। तुम उस प्रदेश को लोगे जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुमको दे रहा है, यह देश तुम्हारा होगा। जब तुम इस देश में रहने लगो तो 32 उन सभी विधियों और नियमों का पालन सावधानी से करो जिन्हें आज मैं तुम्हें दे रहा हूँ।

परमेश्वर की उपासना का स्थान

12 “ये विधियाँ और नियम हैं जिनका जीवन भर पालन करने के लिए तुम्हें सावधान रहना चाहिए। तुम्हें इन नियमों का पालन तब तक करना चाहिए जब तक तुम उस देश में रहो जिसे यहोवा तुम्हारे पूर्वजों का परमेश्वर, तुमको दे रहा है। तुम उस प्रदेश को उन राष्ट्रों से लोगे जो अब वहाँ रह रहे हैं। तुम्हें उन सभी जगहों को पूरी तरह नष्ट कर देना चाहिए जहाँ ये राष्ट्र अपने देवताओं की पूजा करते हैं। ये स्थान ऊँचे पहाड़ों, पहाड़ियों और हरे वृक्षों के नीचे हैं। तुम्हें उनकी वेदियों को नष्ट करना चाहिए और उनके विशेष पत्थरों को टुकड़े—टुकड़े कर देना चाहिए। तुन्हें उनके अशेरा स्तम्भों को जलाना चाहिए। उनके देवताओं की मूर्तियों को काट डालना चाहिए और उनके नाम वहाँ से मिटा देना चाहिये।

“किन्तु तुम्हें यहोवा अपने परमेश्वर की उपासना उस प्रकार नहीं करनी चाहिए जिस प्रकार वे लोग अपने देवताओं की पूजा करते हैं। यहोवा तुम्हारा परमेश्वर अपने मन्दिर के लिए तुम्हारे परिवार समूह से विशेष स्थान चुनेगा। वह वहाँ अपना नाम प्रतिष्ठिट करेगा। तुम्हें उसकी उपासना करने के लिए उस स्थान पर जाना चाहिए। वहाँ तुम्हें अपनी होमबलि, अपनी बलियाँ, दशमांश, अपनी विशेष भेंट, यहोवा को वचन दी गई कोई भेंट, अपनी स्वेच्छा भेंट और अपने मवेशियों के झुण्ड एवं रेवड़ के पहलौठे बच्चे लाने चाहिए। तुम और तुम्हारे परिवार वहाँ भोजन करेंगे और यहोवा तुम्हारा परमेश्वर वहाँ तुम्हारे साथ होगा। जिन अच्छी चीजों के लिये तुमने काम किया है उसका भोग तुम करोगे, क्योंकि यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने तुमको आशीर्वाद दिया है।

“उस समय तुम्हें उसी प्रकार उपासना करते नहीं रहना चाहिए जिस प्रकार हम उपासना करते आ रहे हैं। अभी तक हममें से हर एक जैसा चाहे परमेश्वर की उपासना कर रहा था। क्यों? क्योंकि अभी तक हम उस शान्त देश में नहीं पहुँचे थे जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें दे रहा है। 10 लेकिन तुम यरदन नदी को पार करोगे और उस देश में रहोगे जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें दे रहा है। वहाँ यहोवा तुम्हें सभी शत्रुओं से चैन से रहने देगा और तुम सुरक्षित रहोगे। 11 तब यहोवा अपने लिये विशेष स्थान चुनेगा वह वहाँ अपना नाम प्रतिष्ठित करेगा और तुम उन सभी चीजों को वहीं लाओगे जिनके लिए मैं आदेश दे रहा हूँ। वहीं तुम अपनी होमबलि, अपनी बलियाँ, दशमांश, अपनी विशेष भेंट, यहोवा को वचन दी गई भेंट, अपनी स्वेच्छा भेंट और अपने मवेशियों के झुण्ड एवं रेवड़ का पहलौठा बच्चा लाओ। 12 उस स्थान पर तुम अपने सभी लोगों, अपने बच्चों, सभी सेवकों और अपने नगर में रहने वाले सभी लेवीवंशियों के साथ इकट्ठे होओ। (ये लेवीवंशी अपने लिए भूमि का कोई भाग नहीं पाएंगे।) यहोवा अपने परमेश्वर के साथ वहाँ आनन्द मनाओ। 13 सावधानी बरतो कि तुम अपनी होमबलियों को जहाँ देखो वहाँ न चढ़ा दो। 14 तुम्हारे परिवार समूहों में से किसी एक के क्षेत्र में यहोवा अपना विशेष स्थान चुनेगा। वहाँ अपनी होमबलि चढ़ाओ और तुम्हें बताए गए सभी अन्य काम वहीं करो।

15 “जिस किसी जगह तुम रहो तुम नीलगाय या हिरन जैसे अच्छे जानवरों को मारकर खा सकते हो। तुम उतना माँस खा सकते हो जितना तुम चाहो, जितना यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तम्हें दे। कोई भी व्यक्ति इस माँस को खा सकता है, चाहे वह पवित्र हो या अपवित्र। 16 लेकिन तुम्हें खून नहीं खाना चाहिए। तुम्हें खून को पानी की तरह जमीन पर बहा देना चाहिए।

17 “कुछ ऐसी चीजें है जिन्हें तुम्हें उन जगहों पर नहीं खाना चाहिए जहाँ तुम रहते हो। वे चीजें ये हैः परमेश्वर के हिस्से के तुम्हारे अन्न का कोई भाग, उसके हिस्से की नई दाखमधु और तेल का कोई भाग, तुम्हारे मवेशियों के झुण्ड या रेवड़ का पहलौठा बच्चा, परमेश्वर को वचन दी गई कोई भेंट, कोई स्वेच्छा भेंट या कोई भी परमेश्वर की अन्य भेंट। 18 तुम्हें उन भेंटों को केवल उसी स्थान पर खाना चाहिए जहाँ यहोवा तुम्हारा पमेश्वर तुम्हारे साथ हो। अर्थात् यहोवा तुम्हारा परमेश्वर जिस स्थान को चुने। तुम्हें वहीं जाना चाहिए और अपने पुत्रों, पुत्रियों, सभी सेवकों और तुम्हारे नगर में रहने वाले लेवीवंशियों के साथ मिलकर खाना चाहिए। यहोवा अपने परमेश्वर के साथ वहाँ आनन्द मनाओ। जिन चीज़ों के लिए काम किया है उनका आनन्द लो। 19 ध्यान रखो कि इन भोजनों को लेवीवंशियों के साथ बाँटकर खाओ। यह तब तक करो जब तक अपने देश में रहो।

20-21 “यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने यह वचन दिया है कि वह तुम्हारे देश की सीमा को और बढ़ाएगा। जब यहोवा ऐसा करेगा तो तुम उसके चुने हुए विशेष निवास से दूर रह सकते हो। यदि यह अत्यधिक दूर हो और तुम्हें माँस की भूख है तो तुम किसी भी प्रकार के माँस को, जो तुम्हारे पास है खा सकते हो। तुम यहोवा के दिये झुण्ड और रेवड़ में से किसी भी जानवर को मार सकते हो। यह वैसे ही करो जैसा करने का आदेश मैने दिया है। यह माँस, तुम जब चाहो जहाँ भी रहो, खा सकते हौ। 22 तुम इस माँस को वैसे ही खा सकते हो जैसे नीलगाय और हिरन का माँस खाते हो। कोई भी व्यक्ति यह कर सकता है चाहे वे लोग पवित्र हों या अपवित्र हों। 23 किन्तु निश्चय ही खून न खाओ। क्यों? क्योंकि खून में जीवन है और तुम्हें वह माँस नहीं खाना चाहिए जिसमें अभी जीवन हो। 24 खून मत खाओ। तुम्हें खून को पानी की तरह जमीन पर डाल देना चाहिए। 25 तुम्हें वह सब कुछ करना चाहिए जिसे परमेश्वर उचित ठहराता है। इसलिए खून मत खाओ। तब तुम्हारा और तुम्हारे वंशजों का भला होगा।

26 “जिन चीज़ों को तुमने अर्पित किया है और जो तुम्हारी वचन दी गई भेंटें हैं उन्हें उस विशेष स्थान पर ले जाना जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर चुनेगा। 27 तुम्हें अपनी होमबलि वहीं चढ़ानी चाहिए। अपनी होमबलि का मांस और रक्त यहोवा अपने परमेश्वर की वेदी पर चढ़ाओ। तब तुम माँस खा सकते हो। 28 जो आदेश मैं दे रहा हूँ उनके पालन में सावधान रहो। जब तुम वह सब कुछ करते हो जो अच्छा है और ठीक है, जो यहोवा तुम्हारे परमेश्वर को प्रसन्न करता है तब हर चीज तुम्हारे लिए तथा तुम्हारे वंशजों के लिए सदा भली रहेगी।

29 “जब तुम दूसरे राष्ट्रों के पास अपनी धरती को लेने जाओगे तो, यहोवा उन्हें हटने के लिए विवश करेगा तथा उन्हें नष्ट करेगा। तुम वहाँ जाओगे और उनसे भूमि लोगे। तुम उनकी भूमि पर रहोगे। 30 किन्तु ऐसा हो जाने के बाद सावधान रहो! वे राष्ट्र जिन देवताओं की पूजा करते हैं उन देवताओं के पास सहायता के लिए मत जाओ! यह सीखने की कोशिश न करो कि वे अपने देवताओं की पूजा कैसे करते हैं? वे जैसे पूजा करते हैं वैसे पूजा करने के बारे में न सोचो। 31 तुम यहोवा अपने परमेश्वर की वैसे उपासना नहीं करोगे जैसे वे अपने देवताओं की करते हैं। क्यों? क्योंकि वे अपनी पूजा में सब तरह की बुरी चीजें करते हैं जिनसे यहोवा घृणा करता है। वे अपने देवताओं की बलि के लिए अपने बच्चों को भी जला देते हैं।

32 “तुम्हें उन सभी कामों को करने के लिए सावधान रहना चाहिए जिनके लिए मैं आदेश देता हूँ। जो मैं तुमसे कह रहा हूँ उसमें न तो कुछ जोड़ो, न ही उसमें से कुछ कम करो।

झूठे नबियों का क्या किया जाए

13 “कोई नबी या स्वप्न फल ज्ञाता तुम्हारे पास आ सकता है। वह यह कह सकता है कि वह कोई दैवी चिन्ह या आश्चर्यकर्म दिखाएगा। वह दैवी चिन्ह या आश्चर्यकर्म, जिसके बारे में उसने तुम्हें बताया है, वह सही हो सकता है। तब वह तुमसे कह सकता है कि तुम उन देवताओं का अनुसरण करो (जिन्हें तुम नहीं जानते।) वह तुमसे कह सकता है, ‘आओ हम उन देवताओं की सेवा करें!’ उस व्यक्ति की बातों पर ध्यान मत दो। क्यों? क्योंकि यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हारी परीक्षा ले रहा है। वह यह जानना चाहता है कि तुम पूरे हृदय और आत्मा से उस से प्रेम करते हो अथवा नहीं। तुम्हें यहोवा अपने परमेश्वर का अनुसरण करना चाहिए। तुम्हें उसका सम्मान करना चाहिए। यहोवा के आदेशों का पालन करो और वह करो जो वह कहता है। यहोवा की सेवा करो और उसे कभी न छोड़ो! वह नबी या स्वप्न फल ज्ञाता मार दिया जाना चाहिए। क्यों? क्योंकि वह ही है जो तुमसे यहोवा तुम्हारे परमेश्वर की आज्ञा मानने से रोक रहा है। यहोवा एक ही है जो तुमको मिस्र से बाहर लाया। उसने तुमको वहाँ की दासता के जीवन से स्वतन्त्र किया। वह व्यक्ति यह कोशिश कर रहा है कि तुम यहोवा अपने परमेश्वर के आदेश के अनुसार जीवन मत बिताओ। इसलिए अपने लोगों से बुराई को दूर करने के लिए उस व्यक्ति को अवश्य मार डालना चाहिए।

“कोई तुम्हारे निकट का व्यक्ति गुप्त रूप से दूसरे देवताओं की पूजा के लिए तुम्हें सहमत कर सकता है। यह तुम्हारा अपना भाई, पुत्र, पुत्री, तुम्हारी प्रिय पत्नी या तुम्हारा प्रिय दोस्त हो सकता है। वह व्यक्ति कह सकता है, ‘आओ चलें, दूसरे देवताओं की सेवा करें।’ (ये वैसे देवता हैं जिन्हें तुमने और तुम्हारे पूर्वजों ने कभी नहीं जाना। वे उन लोगों के देवता हैं जो तुम्हारे चारों ओर अन्य देशों में रहते हैं, कुछ समीप और कुछ बहुत दूर।) तुम्हें उस व्यक्ति के साथ सहमत नहीं होना चाहिए। उसकी बात मत सुनो। उस पर दया न दिखाओ। उसे छोड़ना नहीं। उसकी रक्षा मत करो। 9-10 तुम्हें उसे मार डालना चाहिए। तुम्हें उसे पत्थरों से मार डालना चाहिए! पत्थर उठाने वालों में तुम्हें पहला होना चाहिए और उसे मारना चाहिए। तब सभी लोगों को उसे मार देने के लिए उस पर पत्थर फेंकना चाहिए। क्यों? क्योंकि उस व्यक्ति ने तुम्हें यहोवा तुम्हारे परमेश्वर से दूर हटाने का प्रयास किया। यहोवा केवल एक है जो तुम्हें मिस्र से लाया, जहाँ तुम दास थे। 11 तब इस्राएल के सभी लोग सुनेंगे और भयभीत होंगे और वे तुम्हारे बीच और अधिक इस प्रकार के बुरे काम नहीं करेंगे।

12 “यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने तुमको रहने के लिए नगर दिये हैं। कभी—कभी तुम नगरों में से किसी के बारे में बुरी खबर सुन सकते हो। तुम सुन सकते हो कि 13 तुम्हारे अपने राष्ट्रों में ही कुछ बुरे लोग अपने नगर के लोगों को बुरी बातों के लिए तैयार कर रहे हैं। वे अपने नगर के लोगों से कह सकते हैं, ‘आओ चलें, दूसरे देवताओं की सेवा करें।’ (ये ऐसे देवता होंगे जिन्हें तुमने पहले नहीं जाना होगा।) 14 यदि तुम ऐसी सूचना सुनो तो तुम्हें जहाँ तक हो सके यह जानने का प्रयत्न करना चाहिए कि यह सत्य है अथवा नहीं। यदि तुम्हें मालूम होता है कि यह सत्य है, यदि प्रमाणित कर सको कि सचमुच ऐसी भयंकर बात हुई, 15 तब तुम्हें उस नगर के लोगों को अवश्य दण्ड देना चाहिए वे सभी जान से मार डाले जाने चाहिए और उनके सभी मवेशियों को भी मार डालो। तुम्हें उस नगर के लोगों को पूरी तरह नष्ट कर देना चाहिए। 16 तब तुम्हें सभी कीमती चिजों को इकट्ठा करना चाहिए और उसे नगर के बीच ले जाना चाहिए और सब चीजों को नगर के साथ जला देना चाहिए। यह तुम्हारे परमेश्वर यहोवा के लिए होमबलि होगी। नगर को सदा के लिए राख का ढेर हो जाना चाहिए यह दुबारा नहीं बनाया जाना चाहिए। 17 उस नगर की हर एक चीज़ परमेश्वर को, नष्ट करने के लिए दी जानी चाहिए। इसलिए तुम्हें कोई चीज अपने लिए नहीं रखनी चाहिए। यदि तुम इस आदेश का पालन करते हो तो यहोवा तुम पर उतना अधिक क्रोधित होने से अपने को रोक लेगा। यहोवा तुम पर दया करेगा और तरस खायेगा। वह तुम्हारे राष्ट्र को वैसा बड़ा बनाएगा जैसा उसने तुम्हारे पूर्वजों को वचन दिया था। 18 यह तब होगा जब तुम यहोवा अपने परमेश्वर की बात सुनोगे अर्थात् यदि तुम उन आदेशों का पालन करोगे जिन्हें मैं तुम्हें आज दे रहा हूँ। तुम्हें वही करना चाहिए जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर उचित बताता है।

इस्राएली, यहोवा के विशेष लोग

14 “तुम यहोवा अपने परमेश्वर के बच्चे हो। यदी कोई मरे तो तुम्हें अपने को शोक में पड़ा दिखाने के लिए स्वयं को काटना नहीं चाहिए। तुम्हें अपने सिर के अगले भाग के बाल नहीं कटवाने चाहिए।[a] क्यों? क्योंकि तुम अन्य लोगों से भिन्न हो। तुम यहोवा अपने परमेश्वर के विशेष लोग हो। उसने संसार के सभी लोगों में से, तुम्हें अपने विशेष लोगों के रूप मे चुना है।

इस्राएलियों का भोजन, जिसे खाने की अनुमति थी

“ऐसी कोई चीज न खाओ, यहोवा जिसे खाना बुरा कहता है। तुम इन जानवरों को खा सकते होः गाय, भेड़, बकरी, हिरन, नीलगाय, मृग, जंगली भेड़, जंगली बकरी, चीतल और पहाड़ी भेड़। तुम ऐसे किसी जानवर को खा सकते हो जिसके खुर दो भागों मे बंटे हों और जो जुगाली करते हों। किन्तु ऊँटों, खरगोशर या चहानी बिज्जू को न खाओ। ये जानवर जुगाली करते हैं किन्तु इनके खुर फटे नहीं होते। इसलिए ये जानवर तुम्हारे लिए शुद्ध भोजन नहीं हैं। तुम्हें सूअर नहीं खाना चाहिए। उनके खुर फटे होते हैं, किन्तु वे जुगाली नहीं करते। इसलिए सूअर तुम्हारे लिए स्वछ भोजन नहीं है। सूअर का कोई माँस न खाओ और न ही मरे हुए सूअर को छुओ।

“तुम ऐसी कोई मछली खा सकते हो जिसके डैने और चोइटें हों। 10 किन्तु जल में रहने वाले किसी ऐसे प्राणी को न खाओ जिसके डैने और चोइटें न हों। ये तुम्हारे लिए शुद्ध भोजन नहीं हैं।

11 “तुम किसी शुद्ध पक्षी को खा सकते हो। 12-18 किन्तु इन पक्षियों में से किसी को न खाओ: चील, किसी भी तरह के गिद्ध, बज्जर्द, किसी प्रकार का बाज, कौवे, तीतर, समुद्री बत्तख, किसी प्रकार का उल्लू, पेलिकन, काँरमारँन्त सारस, किसी प्रकार का बगुला, नौवा या चमगादड़।

19 “पंख वाले कीड़े तुम्हारे लिए शुद्ध भोजन नहीं हैं। तुम्हें उनको नहीं खाना चाहिए। 20 किन्तु तुम किसी शुद्ध पक्षी को खा सकते हो।

21 “अपने आप मरे जानवर को न खाओ। तुम मरे जानवर को अपने नगर के विदेशी को दे सकते हो और वह उसे खा सकता है अथवा तुम मरे जानवर के विदेशी के हाथ बेच सकते हो। किन्तु तुम्हें मरे जानवर को स्वयं नहीं खाना चाहिए। क्यों? क्योंकि तुम यहोवा अपने परमेश्वर के हो। तुम उसके विशेष लोग हो।

“बकरी के बच्चे को उसकी माँ के दूध में न पकाओ।

मन्दिर को दिया जानेवाला दशमांश

22 “तुम्हें हर वर्ष अपने खेतों में उगाई गई फसल का दसवाँ भाग निश्चयपूर्वक बचाना चाहिए। 23 तब तुम्हें उस स्थान पर जाना चाहिए जिसे यहोवा अपना विशेष निवास चुनता है। वहाँ यहोवा अपने परमेश्वर के साथ अपनी फसल का दशमांश, अन्न का दसवाँ भाग, तुम्हारा नया दाखमधु, तुम्हारा तेल, झुण्ड और रेवड़ में उत्पन्न पहला बच्चा, खाना चाहिए। तब तुम यहोवा अपने परमेश्वर का सदा सम्मान करना सीखोगे। 24 किन्तु वह स्थान इतना दूर हो सकता है कि तुम वहाँ तक की यात्रा न कर सको। यह सम्भव है कि यहोवा ने फसल का जो वरदान दिया है उसका दसवाँ भाग तुम वहाँ न पहुँचा सको। यदि ऐसा होता है तो यह करोः 25 अपनी फसल का वह भाग बेच दो। तब उस धन को लेकर यहोवा द्वारा चुने गए विशेष स्थान पर जाओ। 26 उस धन का उपयोग जो कुछ तुम चाहो उसके खरीदने में करो—गाय, भेड़, दाखमधु या अन्य स्वादिष्ट पेय या कोई अन्य चीज़ जो तुम चाहते हो। तब तुम्हें और तुम्हारे परिवार को खाना चाहिए और योहवा अपने परमेश्वर के साथ वहाँ उस स्थान पर आनन्द मनाना चाहिए। 27 किन्तु अपने नगर में रहने वाले लेवीवंशियों की उपेक्षा न करो, क्यों कि उनके पास तुम्हारी तरह भूमि का हिस्सा नहीं है।

28 “हर तीन वर्ष के अन्त में अपनी उस साल की फसल का दशमांश एक जगह इकट्ठा करो। इस भोजन को अपने नगर में उस स्थान पर जमा करो जहाँ दूसरे लोग उसका उपयोग कर सकें। 29 यह भोजन लेवीवंशियों के लिए है, क्योंकि उनके पास अपनी कोई भूमि नहीं है। यह भोजन तुम्हारे नगर में उन लोगों के लिये भी है जिन्हें इसकी आवश्यकता है—विदेशी, अनाथ बच्चे और विधवायें। यदि तुम यह करते हो तो यहोवा तुम्हारा परमेश्वर सभी काम तुम जो कुछ करोगे उसके लिए आशीर्वाद देगा।

कर्ज को समाप्त करने के विशेष वर्ष

15 “हर सात वर्ष के अन्त में, तुम्हें ऋण को खत्म कर देना चाहिए। ऋण को तुम्हें इस प्रकार खत्म करना चाहिएः हर एक व्यक्ति जिसने किसी इस्राएली को ऋण दिया है अपना ऋण खत्म कर दे। उसे अपने भाई (इस्राएली) से ऋण लौटाने को नहीं कहना चाहिए। क्यों? क्योंकि यहोवा ने कहा है कि उस वर्ष ऋण खत्म कर दिये जाते हैं। तुम विदेशी से अपना ऋण वापस ले सकते हो। किन्तु उस ऋण को खत्म कर दोगे जो किसी दूसरे इस्राएली पर है। किन्तु तुम्हारे बीच कोई गरीब व्यक्ति नहीं रहना चाहिए। क्यों? क्योंकि यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुहें सभी चीजों का वरदान उस देश में देगा जिसे वह तुम्हें रहने को दे रहा है। यही होगा, यदि तुम यहोवा अपने परमेश्वर की आज्ञा का पालन पूरी तरह करोगे। तुम्हें उस हर एक आदेश का पालन करने में सावधान रहना चाहिए जिसे आज मैंने तुम्हें दिया है। यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें आशीर्वाद देगा, जैसा कि उसने वचन दिया है और तुम्हारे पास बहुत से राष्ट्रों को ऋण देने के लिए पर्याप्त धन होगा। किन्तु तुम्हें किसी से ऋण लेने की आवश्यकता नहीं होगी। तुम बहुत से राष्ट्रों पर शासन करोगे। किन्तु उन राष्ट्रों में से कोई राष्ट्र तुम पर शासन नहीं करेगा।

“जब तुम उस देश में रहोगे जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें दे रहा है तब तुम्हारे लोगों में कोई भी गरीब हो सकता है। तुम्हें स्वार्थी नहीं होना चाहिए। तुम्हें उस गरीब व्यक्ति को सहायता देने से इन्कार नहीं करना चाहिए। तुम्हें उसका हाथ बँटाने की इच्छा रखनी चाहिए। तुम्हें उस व्यक्ति को जितने ऋण की आवश्यकता हो, देना चाहिए।

“किसी को सहायता देने से इसलिए इन्कार न करो, क्योंकि ऋण को खत्म करने का सातवाँ वर्ष समीप है। इस प्रकार का बुरा विचार अपने मन में न अने दो। तुम्हें उस व्यक्ति के प्रति बुरे विचार नहीं रखने चाहिए जिसे सहायता की आवश्यकता है। तुम्हें उसकी सहायता करने से इन्कार नहीं करना चाहिए। यदि तुम उस गरीब व्यक्ति को कुछ नहीं देते तो वह यहोवा से तुम्हारे विरुद्ध शिकायत करेगा और यहोवा तुम्हें पाप करने का उत्तरदायी पाएगा।

10 “गरीब को तुम जितना दे सको, दो और उसे देने का बुरा न मानो। क्यों? क्योंकि यहोवा तुम्हारा परम्मेश्वर इस अच्छे काम के लिए तुम्हें आशीष देगा। वह तुम्हारे सभी कामों और जो कुछ तुम करोगे उसमें तुम्हारी सहायता करेगा। 11 देश मे सदा गरीब लोग भी होंगे। यही कारण है कि मैं तुम्हें आदेश देता हूँ कि तुम अपने लोगों, जो लोग तुम्हारे देश में गरीब और सहायता चाहते हैं, उन को सहायता देने के लिए दैयार रहो।

सातवें वर्ष में दासों को स्वतन्त्र करने के नियम

12 “यदि तुम्हारे लोगों में से कोई, हिब्रू स्त्री व पुरुष, तुम्हारे हाथ बेचा जाए तो उस व्यक्ति को तुम्हारी सेवा छः वर्ष करनी चाहिए। तब सातवें वर्ष तुम्हें उसे अपने से स्वतन्त्र कर देना चाहीए। 13 किन्तु जब तुम अपने दास को स्वतन्त्र करो तो उसे बिना कुछ लिए मत जाने दो। 14 तुम्हें उस व्यक्ति को अपने रेवड़ों का एक बड़ा भाग, खलिहान से एक बड़ा भाग और दाखमधु से एक बड़ा भाग देना चाहिए। यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हें बहुत अच्छी चीज़ों की प्राप्ति का आशीर्वाद दिया है। उसी तरह तुम्हें भी अपने दास को बहुत सारी अच्छी चीज़ें देनी चाहिए। 15 तुम्हें याद रखना चाहिए कि तुम मिस्र में दास थे। यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हें मुक्त किया है। यही कारण है कि मैं तुमसे आज यह करने को कह रहा हूँ।

16 “किन्तु तुम्हारे दासों में से कोई कह सकता है, ‘मैं आपको नहीं छोडूँगा।’ वह ऐसा इसलिए कह सकता है कि वह तुमसे, तुम्हारे परिवार से प्रेम करता है और उसने तुम्हारे साथ अच्छा जीवन बिताया है। 17 इस सेवक को अपने द्वार से कान लगाने दो और एक सूए[b] का उपयोग उसके कान में छेद करने के लिए करो। तब वह सदा के लिए तुम्हारा दास हो जाएगा। तुम दासियों के लिए भी यही करो जो तुम्हारे यहाँ रहना चाहती हैं।

18 “तुम अपने दास को मुक्त करते समय दुःख का अनुभव मत करो। याद रखो, छः वर्ष तक तुम्हारी सेवा, उससे आधी रकम पर उसने की जितनी मजदूरी पर रखे गए व्यक्ति को देनी पड़ती है। यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम जो करोगे उसके लिए आशीष देगा।

पहलौठे जानवर के सम्बन्ध में नियम

19 “तुम अपने झुण्ड या रेवड़ में सभी पहलौठे बच्चों को यहोवा का विशेष जानवर बना देना। उनमें से किसी जानवर का उपयोग तुम अपने काम के लिए न करो। इन भेड़ों में से किसी का ऊन न काटो। 20 हर वर्ष मवेशियों के झुण्ड या रेवड़ में पहलौठे जानवर को लेकर उस स्थान पर आओ जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर चुने। वहाँ तुम और तुम्हारे परिवार के लोग उन जानवरों को खायेंगे।

21 “किन्तु यदि जानवर में कोई दोष हो, या लंगड़ा, अन्धा हो या इसमें कोई अन्य दोष हो, तो तुम्हें उसे यहोवा अपने परमेश्वर को भेंट नहीं चढ़ानी चाहिए। 22 किन्तु तुम उसका माँस वहाँ खा सकते हो जहाँ तुम रहते हो। इसे कोई व्यक्ति खा सकता है, चाहे वह पवित्र हो चाहे अपवित्र हो। नीलगाय या हिरन का माँस खाने पर वही नियम लागू होगा, जो इस माँस पर लागू होता है। 23 किन्तु तुम्हें जानवर का खून नहीं खाना चाहिए। तुम्हें खून को पानी की तरह जमीन पर बहा देना चाहिए।

फसह पर्व

16 “यहोवा अपने परमेश्वर का फसह पर्व आबीब के महीने में मनाओ। क्यों? क्योंकि आबीब के महीने में तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें रात में मिस्र से बाहर ले आया था। तुम्हें उस स्थान पर जाना चाहिए जिसे यहोवा अपना विशेष निवास बनाएगा। वहाँ तुम्हें एक गाय या बकरी को यहोवा अपने परमेश्वर के सम्मान में, फसह पर्व के लिए भेंट के रूप में चढ़ाना चाहिए। इस भेंट के साथ खमीर वाली रोटी मत खाओ। तुम्हें सात दिन तक अखमीरी रोटी खानी चाहिए। इस रोटी को ‘विपत्ति की रोटी’ कहते हैं। यह तुम्हें मिस्र में जो विपत्तियाँ तुम पर पड़ी उसे याद दिलाने में सहायता करेंगे। याद करो कि कितनी शीघ्रता से तुम्हें वह देश छोड़ना पड़ा। तुम्हें उस दिन को तब तक याद रखना चाहिए जब तक तुम जीवित रहो। सात दिन तक देश में किसी के घर में कहीं खमीर नहीं होनी चाहिए। जो माँस पहले दिन की शाम को भेंट में चढ़ाओ उसे सवेरा होने के पहले खा लेना चाहिए।

“तुम्हें फसह पर्व के जानवरों की बलि उन नगरों में से किसी में नहीं चढ़ानी चाहिए जिन्हें यहोवा तुम्हारा परमेश्वर ने तुमको दिए हैं। तुम्हें फसह पर्व के जानवर की बलि केवल उस स्थान पर चढ़ानी चाहिए जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर अपने लिए विशेष निवास के रूप में चुने। वहाँ तुम फसह पर्व के जानवर को जब सूर्य डूबे तब शाम को बलि चढ़ानी चाहिए। तुम इसे साल के उसी समय करोगे जिस समय तुम मिस्र से बाहर निकले थे। और तुम्हें फसह पर्व का माँस यहोवा तुम्हारा परमेश्वर जिस स्थान को चुनेगा वहीं पकाओगे और खाओगे। तब सवेरे तुम्हें अपने खेमों में चले जाना चाहिए। तुम्हें अखमीरी रोटी छ: दिन तक खानी चाहिए। सातवें दिन तुम्हें कोई भी काम नहीं करना चाहिए। उस दिन यहोवा अपने परमेश्वर के लिए विशेष सभा में सभी एकत्रित होंगे।

सप्ताहों का पर्व (पिन्तेकुस्त)

“जब तुम फसल काटना आरम्भ करो तब से तुम्हें सात हफ्ते गिनने चाहिए। 10 तब यहोवा अपने परमेश्वर के लिए सप्ताहों का पर्व करो। इसे एक स्वेच्छा बलि उसे लाकर करो। तुम्हें कितना देना है, इसका निश्चय यह सोचकर करो कि यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हें कितना आशीर्वाद दिया है। 11 उस स्थान पर जाओ जिसे यहोवा अपने विशेष निवास के रूप में चुनेगा। वहाँ तुम और तुम्हारे लोग, यहोवा अपने परमेश्वर के साथ आनन्द का समय बिताएंगे। अपने सभी लोगों, अपने पुत्रों, अपनी पुत्रियों और अपने सभी सेवकों को वहाँ ले जाओ और अपने नगर में रहने वाले लेवीवंशियों, विदेशियों, अनाथों और विधवाओं को भी साथ में ले जाओ। 12 यह मत भूलो, कि तुम मिस्र में दास थे। तुम्हें निश्चय करना चाहिए कि तुम इन नियमों का पालन करोगे।

खेमों का पर्व

13 “जब तुम अपने खलिहान और दाखमधुशाला से सात दिन तक अपनी फसलें एकत्रित कर लो तब खेमों का पर्व करो। 14 तुम, तुम्हारे पुत्र, तुम्हारी पुत्रियाँ, तुम्हारे सभी सेवक तथा तुम्हारे नगर में रहने वाले लेवीवंशी, विदेशी, अनाथ बालक और विधवाऐं सभी इस दावत में आनन्द मनायें। 15 तुम्हें इस दावत को सात दिन तक उस विशेष स्थान पर मनाना चाहिए जिसे यहोवा चुनेगा। यह तुम यहोवा अपने परमेश्वर के सम्मान में करो। आनन्द मनाओ! क्योंकि यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हें तुम्हारी फसल के लिए तथा तुमने जो कुछ भी किया है उसके लिए आशीष दी है।

16 “तुम्हारे सभी लोग वर्ष में तीन बार यहोवा अपने परमेश्वर से मिलने के लिए उस विशेष स्थान पर आएंगे जिसे वह चुनेगा। यह अखमीरी रोटी के पर्व के समय, सप्ताहों के पर्व के समय तथा खेमों के पर्व के समय होगा। हर एक व्यक्ति जो यहोवा से मिलने जाएगा कोई भेंट लाएगा। 17 हर एक व्यक्ति उतना देगा जितना वह दे सकेगा। कितना देना है, उसका निश्चय वह यह सोचकर करेगा कि उसे यहोवा ने कितना दिया है।

लोगों के लिए न्यायाधीश और अधिकारी

18 “यहोवा तुम्हारा परमेश्वर जिन नगरों को तुम्हें दे रहा है उनमें से हर एक नगर में तुम्हें अपने परिवार समूह के लिए न्यायाधीश और अधिकारी बनाना चाहिए। इन न्यायाधीशों और अधिकारियों को जनता के साथ सही और ठीक न्याय करना चाहिए। 19 तुम्हें ठीक न्याय को बदलना नहीं चाहिए। तुम्हें किसी के सम्बन्ध में अपने इरादे को बदलने के लिए धन नहीं लेना चाहिए। धन बुद्धिमान लोगों को अन्धा करता है और उसे बदलता है जो भला आदमी कहेगा। 20 तुम्हें हर समय निष्पक्ष तथा न्याय संगत होने का पूरा प्रयास करना चाहिए। तब तुम जीवित रहोगे और तुम उस देश को पाओगे जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें दे रहा है और तुम उसमें रहोगे।

परमेश्वर मूर्तियों से घृणा करता है

21 “जब तुम यहोवा अपने परमेश्वर के लिए वेदी बनाओ तो तुम वेदी के सहारे कोई लकड़ी का स्तम्भ न बनाओ जो अशेरा देवी के सम्मान में बनाए जाते हैं। 22 और तुम्हें विशेष पत्थर झूठे देवाताओं की पूजा के लिए नहीं खड़े करने चाहिए। यहोवा तुम्हारा परमेश्वर इनसे घृणा करता है!

बलियों के लिए जानवर निर्दोष होने चाहिए

17 “तुम्हें यहोवा अपने परमेश्वर को कोई ऐसी गाय, भेड़, बलि में नहीं चढ़ानी चाहिए जिसमें कोई दोष या बुराई हो। क्यों? क्योंकि यहोवा तुम्हारा परमेश्वर इससे घृणा करता है!

मूर्ति पूजक को दण्ड

“तुम उन नगरों में कोई बुरी बात होने की सूचना पा सकते हो जिन्हें यहोवा परमेश्वर तुम्हें दे रहा है। तुम यह सुन सकते हो कि तुम में से किसी स्त्री या पुरुष ने यहोवा के विरुद्ध पाप किया है। तुम यह सुन सकते हो कि उन्होंने यहोवा से वाचा तोड़ी है अर्थात् उन्होंने दूसरे देवताओं की पूजा की है। या यह हो सकता है कि उन्होंने सूर्य, चन्द्रमा या तारों की पूजा की हो। यह यहोवा के आदेश के विरुद्ध है जिसे मैंने तुम्हें दिया है। यदि तुम ऐसी बुरी खबर सुनते हो तो तुम्हें उसकी जाँच सावधानी से करनी चाहिए। तुम्हें यह जान लेना चाहिए कि क्या यह सत्य है कि यह भयंकर काम सचमुच इस्राएल में हो चुका है। यदि तुम इसे प्रमाणित कर सको कि यह सत्य है, तब तुम्हें उस व्यक्ति को अवश्य दण्ड देना चाहिए जिसने यह बुरा काम किया है। तुम्हें उस पुरुष या स्त्री को नगर के द्वार के पास सार्वजनिक स्थान पर ले जाना चाहिए और उसे पत्थरों से मार डालना चाहिए। किन्तु यदि एक ही गवाह यह कहता है कि उसने बुरा काम किया है तो उसे मृत्यु दण्ड नहीं दिया जाएगा। किन्तु यदि दो या तीन गवाह यह कहते हैं की यह सत्य है तो उस व्यक्ति को मार डालना चाहिए। गवाह को पहला पत्थर उस व्यक्ति को मारने के लिए फेंकना चाहिए। तब अन्य लोगों को उसकी मृत्यु पूरी करने के लिए पत्थर फेंकना चाहिए। इस प्रकार तुम्हें उस बुराई को अपने मध्य से दूर करना चाहिए।

जटिल मुकदमें

“कभी ऐसी समस्या आ सकती है जो तुम्हारे न्यायालयों के लिए निर्णय देने में इतनी कठिन हो कि वे निर्णय ही न दे सकें। यह हत्या का मुकदमा या दो लोगों के बीच का विवाद हो सकता है अथवा यह झगड़ा हो सकता है जिसमें किसी को चोट आई हो। जब इन मुकदमों पर तुम्हारे नगरों में बहस होती है तो तुम्हारे न्यायाधीश सम्भव है, निर्णय न कर सकें कि ठीक क्या है? तब तुम्हें उस विशेष स्थान पर जाना चाहिए जो यहोवा तुम्हारे परमेश्वर द्वारा चुना गया हो। तुम्हें लेवी परिवार समूह के याजकों और उस समय के न्यायाधीश के पास जाना चाहिए। वे लोग उस मुकदमें का फैसला करेंगे। 10 यहोवा के विशेष स्थान पर वे अपना निर्णय तुम्हें सुनाएंगे। जो भी वे कहें उसे तुम्हें करना चाहिए। 11 तुम्हें उनके फैसले स्वीकार करने चाहिए और उनके निर्देश का ठीक—ठीक पालन करना चाहिए। तुम्हें उससे भिन्न कुछ भी नहीं करना चाहिए जो वे तुम्हें करने को कहते हैं।

12 “तुम्हें यहोवा अपने परमेश्वर की सेवा करने वाले उस समय के याजक और न्यायाधीश की आज्ञा का पालन करने से इन्कार करने वाले किसी व्यक्ति को भी दण्ड देना चाहिए। उस व्यक्ति को मरना चाहिए। तुम्हें इस्राएल से इस बुरे व्यक्ति को हटाना चाहिए। 13 सभी लोग इस दण्ड के विषय में सुनेंगे और डरेंगे और वे इस कुकर्म को नहीं करेंगे।

राजा कैसे चुनें

14 “तुम उस प्रदेश में जाओगे जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें दे रहा है। तुम उस देश पर अधिकार करोगे और उसमें रहोगे। तब तुम कहोगे, ‘हम लोग अपने ऊपर एक राजा वैसा ही प्रतिष्ठित करेंगे जैसा हमारे चारों ओर के राष्ट्रों में है।’ 15 जब ऐसा हो तब तुम्हें यह पक्का निश्चय होना चाहिए कि तुमने उसे ही राजा चुना है जिसे यहोवा चुनता है। तुम्हरा राजा तुम्हीं लोगों में से होना चाहिए। तुम्हें विदेशी को अपना राजा नहीं बनाना चाहिए। 16 राजा को अत्यधिक घोड़े अपने लिए नहीं रखने चाहिए और उसे लोगों को अधिक घोड़े लाने के लिए मिस्र नहीं भेजना चाहिए। क्यों? क्योंकि तुमसे यहोवा ने कहा है, ‘तुम्हें उस रास्ते पर कभी नहीं लौटना है।’ 17 राजा को बहुत पत्नियाँ भी नहीं रखनी चाहिए। क्यों? क्योंकि यह काम उसे यहोवा से दूर हटायेगा और राजा को सोने, चाँदी से अपने को सम्पन्न नहीं बनाना चाहिए।

18 “और जब राजा शासन करने लगे तो उसे एक पुस्तक में अपने लिए नियमों की नकल कर लेनी चाहिए। उसे याजकों और लेवीवंशियों की पुस्तकों से नकल करनी चाहिए। 19 राजा को उस पुस्तक को अपने साथ रखना चाहिए। उस पुस्तक को जीवन भर पढ़ना चाहिए। क्योंकि तब राजा यहोवा अपने परमेश्वर का सम्मान करना सीखेगा और वह नियम के आदेशों का पूरा पालन करना सीखेगा। 20 तब राजा यह नहीं सोचेगा कि वह अपने लोगों में से किसी से भी अधिक अच्छा है। वह नियम के विरुद्ध नहीं जाएगा बल्कि इसका ठीक—ठीक पालन करेगा। तब वह राजा और उसके वंशज इस्राएल के राज्य पर लम्बे समय तक शासन करेंगे।

याजकों तथा लेवीवंशियों की सहायता

18 “लेवी का परिवार समूह इस्राएल में कोई भूमि का भाग नहीं पाएगा। वे लोग याजक के रूप में सेवा करेंगे। वे अपना जीवन यापन उस भेंट को खाकर करेंगे जो आग पर पकेगी और यहोवा को चढ़ाई जाएगी। लेवी के परिवार समूह के हिस्से में वही है। वे लेवीवंशी लोग भूमि का कोई हिस्सा अन्य परिवार समूहों की तरह नहीं पाएंगे। लेवीवंशियों के हिस्से में स्वयं यहोवा है। यहोवा ने इसके लिए उनको वचन दिया है।

“जब तुम कोई बैल, या भेड़ बली के लिए मारो तो तुम्हें याजकों को ये भाग देने चाहिएः कंधा, दोनों गाल और पेट। तुन्हें याजकों को अपना अन्न, अपनी नयी दाखमधु और अपनी पहली फसल का तेल देना चाहिए। तुम्हें लेवीवंशियों को अपनी भेड़ों का पहला कटा ऊन देना चाहिए। क्यो? क्योंकि यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हारे सभी परिवार समूहों की देखभाल करता था और उसने लेवी और उनके वंशजों को सदा के लिए याजक के रूप में सेवा करने के लिये चुना है।

“लेवीवंशी जो इस्राएल में तुम्हारे नगरों में से किसी में रहता है, अपना घर छोड़ सकता है और यहोवा के विशेष स्थान पर जा सकता है। तब यह लेवीवंशी यहोवा अपने परमेश्वर के नाम पर सेवा कर सकता है। उसे परमेश्वर के विशेष स्थान में वैसे ही सेवा करनी चाहिए जैसे उसके भाई अन्य लेवीवंशी करते हैं। वह लेवीवंशी, अपने परिवार को सामान्य रूप से मिलने वाले हिस्से के अतिरिक्त अन्य लेवीवंशियों के साथ बराबर का हिस्सेदार होगा।

इस्राएलियों को अन्य राष्ट्रों की नकल नहीं करनी चाहिए

“जब तुम उस राष्ट्र में पहुँचो, जो यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुमको दे रहा है, तब उस राष्ट्र के लोग जो भयंकर काम वहाँ कर रहें हों उन्हें मत सीखो। 10 अपने पुत्रों और पुत्रियों की बलि अपनी वेदी पर आग में न दो। किसी ज्योतिषी से बात करके या किसी जादूगर, डायन या सयाने के पास जाकर यह न सीखो कि भविष्य में क्या होगा? 11 किसी भी व्यक्ति को किसी पर जादू—टोना चलाने का प्रयत्न न करने दो और तुम में से कोई व्यक्ति ओझा या भूतसिद्धक नहीं बनेगा। और कोई व्यक्ति किसी ऐसे व्यक्ति से बात करने का प्रयत्न न करेगा जो मर चुका है। 12 यहोवा तुम्हारा परमेश्वर उन लोगों से घृणा करता है जो ऐसा करते हैं। यही कारण है कि वह तुम्हारे सामने इन लोगों को देश छोड़ने को विवश करेगा। 13 तुम्हें यहोवा अपने परमेश्वर पर पूर्ण विश्वास करना चाहिए और उसके प्रति निष्ठावान होना चाहिए।

यहोवा का विशेष नबी:

14 “तुम्हें उन राष्ट्रों के लोगों को बलपूर्वक अपने देश से हटा देना चाहिए। उन राष्ट्रों के लोग ज्योतिषियों और जादूगरों की बात मानते हैं। किन्तु यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें वैसा नहीं करने देगा। 15 यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हारे पास अपना नबी भेजेगा। यह नबी तुम्हारे अपने ही लोगों में से आएगा। वह मेरी तरह ही होगा। तुम्हें इस नबी की बात माननी चाहिए। 16 यहोवा तुम्हारे पास इस नबी को भेजेगा क्योंकि तुमने ऐसा करने के लिए उससे कहा है। उस समय जब तुम होरेब (सीनै) पर्वत के चारों ओर इकट्ठे हुए थे, तुम यहोवा की आवाज और पहाड़ पर भीषण आग को देखकर भयभीत थे। इसलिए तुमने कहा था, हम लोग यहोवा अपने परमेश्वर की आवाज फिर न सुनें। ‘हम लोग उस भीषण आग को फिर न देखें। हम मर जाएंगे!’

17 “यहोवा ने मुझसे कहा, ‘वे जो चाहते हैं, वह ठीक है। 18 मैं तुम्हारी तरह का एक नबी उनके लिए भेज दूँगा। यह नबी उन्हीं लोगों में से कोई एक होगा। मैं उसे वह सब बताऊँगा जो उसे कहना होगा और वह लोगों से वही कहेगा जो मेरा आदेश होगा। 19 यह नबी मेरे नाम पर बोलेगा और जब वह कुछ कहेगा तब यदि कोई व्यक्ति मेरे आदेशों को सुनने से इन्कार करेगा तो मैं उस व्यक्ति को दण्ड दूँगा।’

झूठे नबियों को कैसे जाना जाये

20 “किन्तु कोई नबी कुछ ऐसा कह सकता है जिसे करने के लिए मैंने उसे नहीं कहा है और वह लोगों से कह सकता है कि वह मेरे स्थान पर बोल रहा है। यदि ऐसा होता है तो उस नबी को मार डालना चाहिए या कोई ऐसा नबी हो सकता है जो दूसरे देवताओं के नाम पर बोलता है। उस नबी को भी मार डालना चाहिए। 21 तुम सोच सकते हो, ‘हम कैसे जान सकते हैं कि नबी का कथन, यहोवा का नहीं है?’ 22 यदि कोई नबी कहता है कि वह यहोवा की ओर से कुछ कह रहा है, किन्तु उसका कथन सत्य घटित नहीं होता, तो तुम्हें जान लेना चाहिए कि यहोवा ने वैसा नहीं कहा। तुम समझ जाओगे कि यह नबी अपने ही विचार प्रकट कर रहा था। तुम्हें उससे डरने की आवश्यकता नहीं।

सुरक्षा के लिए तीन नगर

19 “यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुमको वह देश दे रहा है जो दूसरे राष्ट्रों का है। यहोवा उन राष्ट्रों को नष्ट करेगा। तुम वहाँ रहोगे जहाँ वे लोग रहते हैं। तुम उनके नगर और घरों को लोगे। जब ऐसा हो, 2-3 तब तुम्हें भूमि को तीन भागों में बाँटना चाहिए। तब तुम्हें हर एक भाग में सभी लोगों के समीप पड़ने वाला नगर उस क्षेत्र में चुनना चाहिए और तुम्हें उन नगरों तक सड़कें बनानी चाहिए तब कोई भी व्यक्ति जो किसी दूसरे व्यक्ति को मारता है वहाँ भागकर जा सकता है।

“जो व्यक्ति किसी को मारता है और सुरक्षा के लिए इन तीन नगरों में से कहीं भागकर पहुँचता है उस व्यक्ति के लिए नियम यह हैः यह व्यक्ति वही हो जो संयोगवश किसी व्यक्ति को मार डाले। यह वही व्यक्ति हो जो मारे गए व्यक्ति से घृणा न करता हो। एक उदाहरण हैः कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति के साथ जंगल में लकड़ी काटने जाता है। उस में से एक व्यक्ति लकड़ी काटने के लिए कुल्हाड़ी को एक पेड़ पर चलाता है, किन्तु कुल्हाड़ी दस्ते से निकल जाती है। कुल्हाड़ी दूसरे व्यक्ति को लग जाती है और उसे मार डालती है। वह व्यक्ति, जिसने कुल्हाड़ी चलाई, उन नगरों में भाग सकता है और अपने को सुरक्षित कर सकता है। किन्तु यदि नगर बहुत दूर होगा तो वह काफी तेज भाग नहीं सकेगा। मारे गए व्यक्ति का कोई सम्बन्धी उसका पीछा कर सकता है और नगर में उसके पहुँचने से पहले ही उसे पकड़ सकता है। सम्बन्धी बहुत क्रोधित हो सकता है और उस व्यक्ति की हत्या कर सकता है। किन्तु उस व्यक्ति को प्राण—दण्ड उचित नहीं है। वह उस व्यक्ति से घृणा नहीं करता था जो उसके हाथों मारा गया। इसलिए मैं आदेश देता हूँ कि तीन विशेष नगरों को चुनो। यह नगर सबके लिए बन्द रहेंगे।

“यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हारे पूर्वजों को यह वचन दिया कि मैं तुम लोगों की सीमा का विस्तार करूँगा। वह तुम लोगों को सारा देश देगा जिसे देने का वचन उसने तुम्हारे पूर्वजों को दिया। वह यह करेगा, यदि तुम उन आदेशों का पालन पूरी तरह करोगे, जिन्हें मैं तुम्हें आज दे रहा हूँ अर्थात् यदि तुम यहोवा अपने परमेश्वर से प्रेम करोगे और उसके मार्ग पर चलते रहोगे। तब यदि यहोवा तुम्हारे देश को बड़ा बनाता है तो तुम्हें तीन अन्य नगर सुरक्षा के लिए चुनने चाहिए। वे प्रथम तीन नगरों के साथ जोड़े जाने चाहिए। 10 तब निर्दोष लोग उस देश में नहीं मारे जाएंगे जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें अपना बनाने के लिये दे रहा है और तुम किसी भी मृत्यु के लिये अपराधी नहीं होगे।

11 “किन्तु एक व्यक्ति किसी व्यक्ति से घृणा कर सकता है। वह व्यक्ति उस व्यक्ति को मारने के लिए प्रतीक्षा में छिपा रह सकता है जिसे वह घृणा करता है। वह उस व्यक्ति को मार सकता है और सुरक्षा के लिए चुने इन नगरों में भागकर पहुँच सकता है। 12 यदि ऐसा होता है तो उस व्यक्ति के नगर के बुजुर्ग किसी को उसे पकड़ने और सुरक्षा के नगर से बाहर लाने के लिए भेज सकते हैं। नगर के मुखिया तथा वरिष्ठ व्यक्ति उसे उस सम्बन्धी को देंगे जिसका कर्तव्य उसको दण्ड देना है। हत्यारा अवश्य मारा जाना चाहिए। 13 उसके लिए तुम्हें दुःखी नहीं होना चाहिए। तुम्हें निर्दोष लोगों को मारने के अपराध से इस्राएल को स्वच्छ रखना चाहिए। तब सब कुछ तुम्हारे लिए अच्छा रहेगा।

सीमा चिन्ह

14 “तुम्हें अपने पड़ोसी के सीमा—चिन्हों को नहीं हटाना चाहिए। बीते समय में लोग यह सीमा—चिन्ह उस भूमि पर बनाते थे जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें रहने के लिए देगा और जो तुम्हारी होगी।

गवाह

15 “यदि किसी व्यक्ति पर नियम के खिलाफ कुछ करने का मुकदमा हो तो एक गवाह इसे प्रमाण करने के लिए काफी नहीं होगा कि वह दोषी है। उसने निश्चय ही बुरा किया है इसे प्रमाणित करने के लिए दो या तीन गवाह होने चाहिए।

16 “कोई गवाह किसी व्यक्ति को झूठ बोलकर और यह कहकर कि उसने अपराध किया है उसे हानि पहुँचाने की कोशिश कर सकता है। 17 यदि ऐसा होता है तो आपस में वाद करने वाले व्यक्तियों को यहोवा के आवास पर जाना चाहिए और उनके मुकदमे का निर्णय याजकों एवं उस समय के मुख्य न्यायाधीशों द्वारा होना चाहिए। 18 न्यायाधीशों को सावधानी के साथ प्रश्न पूछने चाहिए। वे पता लगा सकते हैं कि गवाह ने दूसरे व्यक्ति के खिलाफ झूठ बोला है। यदि गवाह ने झूठ बोला है तो, 19 तुम्हें उसे दण्ड देना चाहिए। तुम्हें उसे वही हानि पहुँचानी चाहिए जो वह दूसरे व्यक्ति को पहुँचाना चाहता था। इस प्रकार तुम अपने बीच से कोई भी बुरी बात निकाल बाहर कर सकते हो। 20 दूसरे सभी लोग इसे सुनेंगे और भयभीत होंगे और कोई भी फिर वैसी बुरी बात नहीं करेगा।

21 “तुम उस पर दया—दृष्टि न करना जिसे बुराई के लिए तुम दण्ड देते हो। जीवन के लिये जीवन, आँख के लिये आँख, दाँत के लिये दाँत, हाथ के लिये हाथ और पैर के लिये पैर लिया जाना चाहिए।

युद्ध के लिये नियम

20 “जब तुम अपने शत्रुओं के विरुद्ध युद्ध में जाओ, और अपनी सेना से अधिक घोड़े, रथ, व्यक्तियों को देखो, तो तुम्हें भयभीत नहीं होना चाहिए। क्यों? क्योंकि यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हारे साथ है और वही एक है जो तुम्हें मिस्र से बाहर निकाल लाया।

“जब तुम युद्ध के निकट पहुँचो, तब याजक को सैनिकों के पास जाना चाहिए और उनसे बात करनी चाहिए। याजक कहेगा, ‘इस्राएल के लोगो, मेरी बात सुनो! आज तुम लोग अपने शत्रुओं के विरुद्ध युद्ध में जा रहे हो। अपना साहस न छोड़ो! परेशान न हो या घबराहट में न पड़ो! शत्रु से डरो नहीं! क्यों? क्योंकि यहोवा तुम्हारा परमेश्वर शत्रुओं के विरुद्ध लड़ने के लिये तुम्हारे साथ जा रहा है। यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हारी रक्षा करेगा!’

“वे लेवीवंशी अधिकारी सैनिकों से यह कहेंगे, ‘क्या यहाँ कोई ऐसा व्यक्ति है जिसने अपना नया घर बना लिया है, किन्तु अब तक उसे अर्पित नहीं किया है? उस व्यक्ति को अपने घर लौट जाना चाहिए। वह युद्ध में मारा जा सकता है और तब दूसरा व्यक्ति उसके घर को अर्पित करेगा। क्या कोई व्यक्ति यहाँ ऐसा है जिसने अंगूर के बाग लगाये हैं, किन्तु अभी तक उससे कोई अंगूर नहीं लिया है? उस व्यक्ति को घर लौट जाना चाहिए। यदि वह व्यक्ति युद्ध में मारा जाता है तो दूसरा व्यक्ति उसके बाग के फल का भोग करेगा। क्या यहाँ कोई ऐसा व्यक्ति है जिसके विवाह की बात पक्की हो चुकी है। उस व्यक्ति को घर लौट जाना चाहिए। यदि वह युद्ध में मारा जाता है तो दूसरा व्यक्ति उस स्त्री से विवाह करेगा जिसके साथ उसके विवाह की बात पक्की हो चुकी है।’

“वे लेवीवंशी अधिकारी, लोगों से यह भी कहेंगे, ‘क्या यहाँ कोई ऐसा व्यक्ति है जो साहस खो चुका है और भयभीत है। उसे घर लौट जाना चाहिए। तब वह दूसरे सैनिकों को भी साहस खोने में सहायक नहीं होगा।’ जब अधिकारी सैनिकों से बात करना समाप्त कर ले तब वे सैनिकों को युद्ध में ले जाने वाले नायकों को चुनें।

10 “जब तुम नगर पर आक्रमण करने जाओ तो वहाँ के लोगों के सामने शान्ति का प्रस्ताव रखो। 11 यदि वे तुम्हारा प्रस्ताव स्वीकार करते हैं और अपने फाटक खोल देते हैं तब उस नगर में रहने वाले सभी लोग तुम्हारे दास हो जाएँगे और तुम्हारा काम करने के लिए विवश किये जाएँगे। 12 किन्तु यदि नगर शान्ति प्रस्ताव स्वीकार करने से इन्कार करता और तुमसे लड़ता है तो तुम्हें नगर को घेर लेना चाहिए 13 और जब यहोवा तुम्हारा परमेश्वर नगर पर तुम्हारा अधिकार कराता है तब तुम्हें सभी पुरुषों को मार डालना चाहिए। 14 तुम अपने लिए स्त्रियाँ, बच्चे, पशु तथा नगर की हर एक चीज ले सकते हो। तुम इन सभी चीजों का उपयोग कर सकते हो। यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने ये चीज़ें तुमको दी हैं। 15 जो नगर तुम्हारे प्रदेश में नहीं हैं और बहुत दूर हैं, उन सभी के साथ तुम ऐसा व्यवहार करोगे।

16 “किन्तु जब तुम वह नगर उस प्रदेश में लेते हो जिसे योहवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें दे रहा है तब तुम्हें हर एक को मार डालना चाहिए। 17 तुम्हें हित्ती, एमोरी, कनानी, परिज्जी, हिब्बी और यबूसी सभी लोगों को पूरी तरह नष्ट कर देना चाहिए। यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने, यह करने का तुम्हें आदेश दिया है। 18 क्यों? क्योंकि तब वे तुम्हें यहोवा तुम्हारे परमेश्वर के विरुद्ध पाप करने की शिक्षा नहीं दे सकते। वे उन भयंकर बातों में से किसी की शिक्षा तुमको नहीं दे सकते जो वे अपने देवाताओं की पूजा के समय करते हैं।

19 “जब तुम किसी नगर के विरुद्ध युद्ध कर रहे होगे तो तुम लम्बे समय तक उसका घेरा डाले रह सकते हो। तुम्हें नगर के चारों ओर के फलदार पेड़ों को नहीं काटना चाहिए। तुम्हें इनसे फल खाना चाहिए किन्तु काटकर गिराना नहीं चाहिए। ये पेड़ शत्रु नहीं हैं अत: उनके विरुद्ध युद्ध मत छेड़ो! 20 किन्तु उन पेड़ों को काट सकते हो जिन्हें तुम जानते हो कि ये फलदार नहीं हैं। तुम इनका उपयोग उस नगर के विरुद्ध घेराबन्दी में कर सकते हो, जब तक कि उसका पतन न हो जाए।

यदि कोई व्यक्ति मारा हुआ पाया जाए

21 “उस देश में जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें रहने के लिए दे रहा है, कोई व्यक्ति मैदान में मरा हुआ पाया जा सकता है। किन्तु किसी को यह पता नहीं चल सकता कि उसे किसने मारा। तब तुम्हारे मुखिया और न्यायाधिशों को मारे गए व्यक्ति के चारों ओर से नगरों की दूरी को नापना चाहिए। जब तुम यह जान जाओ कि मरे व्यक्ति के समीपतम कौन सा नगर है तब उस नगर के मुखिया अपने झुण्डों में से एक गाय लेंगे। यह ऐसी गाय हो जिसने कभी बछड़े को जन्म न दिया हो। जिसका उपयोग कभी भी किसी काम करने में न किया गया हो। उस नगर के मुखिया उस गाय को बहुत जल वाली घाटी में लाएंगे। यह ऐसी घाटी होनी चाहिए जिसे कभी जोता न गया हो और न उसमें पेड़ पौधे रोपे गये हों। तब मुखियाओं को उस घाटी में वहीं उस गाय की गर्दन तोड़ देनी चाहिए। लेवीवंशी याजकों को वहाँ जाना चाहिए। (यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने इन याजकों को अपनी सेवा के लिए और अपने नाम पर आशीर्वाद देने के लिए चुना है। याजक यह निश्चित करेंगे कि झगड़े के विषय में कौन सच्चा है।) मारे गये व्यक्ति के समीपतम नगर के मुखिया अपने हाथों को उस गाय के ऊपर धोएंगे जिसकी गर्दन घाटी में तोड़ दी गई है। ये मुखिया अवश्य कहेंगे, ‘हमने इस व्यक्ति को नहीं मारा और हमने इसका मारा जाना नहीं देखा। यहोवा, इस्राएल के लोगों को क्षमा कर, जिनका तूने उद्धार किया है। अपने लोगों में से किसी निर्दोष व्यक्ति को दोषी न ठहराने दे।’ तब वे हत्या के लिये दोषी नहीं ठहराए जाएंगे। इन मामलों में वह करना ही तुम्हारे लिये ठीक है। ऐसा करके तुम किसी निर्दोष की हत्या करने के दोषी नहीं रहोगे।

युद्ध में प्राप्त स्त्रियाँ

10 “तुम अपने शत्रुओं से युद्ध करोगे और यहोवा तुम्हारा परमेश्वर उन्हें तुमसे पराजित करायेगा। तब तुम शत्रुओं को बन्दी के रूप में लाओगे। 11 और तुम युद्ध में बन्दी किसी सुन्दर स्त्री को देख सकते हो। तुम उसे पाना चाह सकते हो और अपनी पत्नी के रूप में रखने की इच्छा कर सकते हो। 12 तुम्हें उसे अपने परिवार में अपने घर लाना चाहिए। उसे अपने बाल मुड़वाना चाहिए और अपने नाखून काटने चाहिए। 13 उसे अपने पहने हुए कपड़ों को उतारना चाहिए। उसे तुम्हारे घर में रहना चाहिए और एक महीने तक अपने माता—पिता के लिए रोना चाहिए। उसके बाद तुम उसके साथ यौन सम्बन्ध स्थापित कर सकते हो और उसके पति हो सकते हो। और वह तुम्हारी पत्नी बन जाएगी। 14 किन्तु यदि तुम उससे प्रसन्न नहीं हो तो तुम उसे जहाँ वह चाहे जाने दे सकते हो। किन्तु तुम उसे बेच नहीं सकते। तुम उसके प्रति दासी की तरह व्यवहार नहीं कर सकते। क्यों? क्योंकि तुम्हारा उसके साथ यौन सम्बन्धथा।

एक व्यक्ति की दो पत्नियों के बच्चे

15 “एक व्यक्ति की दो पत्नियाँ हो सकती हैं और वह एक पत्नी से दूसरी पत्नी की अपेक्षा अधिक प्रेम कर सकता है। दोनों पत्नियों से उसके बच्चे हो सकते हैं और पहला बच्चा उस पत्नी का हो सकता है जिससे वह प्रेम न करता हो। 16 जब वह अपनी सम्पत्ति अपने बच्चों में बाँटेगा तो अधिक प्रिय पत्नी के बच्चे को वह विशेष वस्तु नहीं दे सकता जो पहलौठे बच्चे की होती है। 17 उस व्यक्ति को तिरस्कृत पत्नी के बच्चे को ही पहलौठा बच्चा स्वीकार करना चाहिए। उस व्यक्ति को अपनी चीजों के दो भाग पहलौठा पुत्र को देना चाहिए। क्यों? क्योंकि वह पहलौठा बच्चा है।

आज्ञा न मानने वाले पुत्र

18 “किसी व्यक्ति का ऐसा पुत्र हो सकता है जो हठी और आज्ञापालन न करने वाला हो। यह पुत्र अपने माता—पिता की आज्ञा नहीं मानेगा। माता—पिता उसे दण्ड देते हैं किन्तु पुत्र फिर भी उनकी कुछ नहीं सुनता। 19 उसके माता—पिता को उसे नगर की बैठक वाली जगह पर नगर के मुखियों के पास ले जाना चाहिए। 20 उन्हें नगर के मुखियों से कहना चाहिए: ‘हमारा पुत्र हठी है और आज्ञा नहीं मानता। वह कोई काम नहीं करता जिसे हम करने के लिये कहते हैं। वह आवश्यकता से अधिक खाता और शराब पीता है।’ 21 तब नगर के लोगों को उस पुत्र को पत्थरों से मार डालना चाहिए। ऐसा करके तुम अपने में से इस बुराई को खत्म करोगे। इस्राएल के सभी लोग इसे सुनेंगे और भयभीत होंगे।

अपराधी मारे और पेड़ पर लटकाये जाते हैं

22 “कोई व्यक्ति ऐसे पाप करने का अपराधी हो सकता है जिसे मृत्यु का दण्ड दिया जाए। जब वह मार डाला जाए तब उसका शरीर पेड़ पर लटकाया जा सकता है। 23 जब ऐसा होता है तो उसका शरीर पूरी रात पेड़ पर नहीं रहना चाहिए। तुम्हें उसे उसी दिन निश्चय ही दफना देना चाहिए। क्यों? क्योंकि जो व्यक्ति पेड़ पर लटकाया जाता है वह परमेश्वर से अभिशाप पाया हुआ होता है। तुम्हें उस देश को अपवित्र नहीं करना चाहिए जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें रहने के लिए दे रहा है।

विभिन्न नियम

22 “यदि तुम देखो कि तुम्हारे पड़ोसी की गाय या भेड़ खुली है, तो तुम्हें इससे लापरवाह नहीं होना चाहिए। तुम्हें निश्चय ही इसे मालिक के पास पहुँचा देना चाहिए। यदि इसका मालिक तुम्हारे पास न रहता हो या तुम उसे नहीं जानते कि वह कौन है तो तुम उस गाय या भेड़ को अपने घर ले जा सकते हो और तुम इसे तब तक रख सकते हो जब तक मालिक इसे ढूँढता हुआ न आए। तब तुम्हें उसे उसको लौटा देना चाहिए। तुम्हें यही तब भी करना चाहिए जब तुम्हें पड़ोसी का गधा मिले, उसके कपड़े मिलें या कोई चीज जो पड़ोसी खो देता है। तुम्हें अपने पड़ोसी की सहायता करनी चाहिए।

“यदि तुम्हारे पड़ोसी का गधा या उसकी गाय सड़क पर पड़ी हो तो उससे आँख नहीं फेरनी चाहिए। तुम्हें उसे फिर उठाने में उसकी सहायता करनी चाहिए।

“किसी स्त्री को किसी पुरुष के वस्त्र नहीं पहनने चाहिए और किसी पुरुष को किसी स्त्री के वस्त्र नहीं पहनने चाहिए। यहोवा तुम्हारा परमेश्वर उससे घृणा करता है जो ऐसा करता है।

“किसी रास्ते से टहलते समय तुम पेड़ पर या जमीन पर चिड़ियों का घोंसला पा सकते हो। यदि मादा पक्षी अपने बच्चों के साथ बैठी हो या अपने अण्डों पर बैठी हो तो तुम्हें मादा पक्षी को बच्चों के साथ नहीं पकड़ना चाहिए। तुम बच्चों को अपने लिए ले सकते हो। किन्तु तुम्हें माँ को छोड़ देना चाहिए। यदि तुम इन नियमों का पालन करते हो तो तुम्हारे लिए सब कुछ अच्छा रहेगा और तुम लम्बे समय तक जीवित रहोगे।

“जब तुम कोई नया घर बनाओ तो तुम्हें अपनी छत के चारों ओर दीवार खड़ी करनी चाहिए। तब तुम किसी व्यक्ति की मृत्यु के आपराधी नहीं होओगे यदि वह उस छत पर से गिरता है।

कुछ चीजें जिन्हें एक साथ नहीं रखा जाना चाहिए

“तुम्हें अपने अंगूर के बाग मे अनाज के बीजों को नहीं बोना चाहिए। क्यों? क्योंकि बोये गए बीज और तुम्हारे बाग के अंगूर दोनों फसलें उपयोग में नहीं आ सकतीं।

10 “तुम्हें बैल और गधे को एक साथ हल चलाने में नहीं जोतना चाहिए।

11 “तुम्हें उस कपड़े को नहीं पहनना चाहिए जिसे ऊन और सूत से एक साथ बुना गया हो।

12 “तुम्हें अपने पहने जाने वाले चोगे के चारों कोनों पर फुंदने[c] लगाने चाहिए।

विवाह के नियम

13 “कोई व्यक्ति किसी लड़की से विवाह करे और उससे शारीरिक सम्बन्ध करे। तब वह निर्णय करता है कि वह उसे पसन्द नहीं है। 14 वह झूठ बोल सकता है और कह सकता है, ‘मैंने उस स्त्री से विवाह किया, किन्तु जब हमने शारीरिक सम्बम्ध किया तो मुझे मालूम हुआ कि वह कुवाँरी नहीं है।’ उसके विरुद्ध ऐसा कहने पर लोग उस स्त्री के सम्बन्ध में बुरा विचार रख सकते हैं। 15 यदि ऐसा होता है तो लड़की के माता—पिता को इस बात का प्रमाण नगर की बैठकवाली जगह पर नगर प्रमुखों के सामने लाना चाहिए कि लड़की कुवाँरी थी। 16 लड़की के पिता को नगर प्रमुखों से कहना चाहिए, ‘मैंने अपनी पुत्री को उस व्यक्ति की पत्नी होने के लिए दिया, किन्तु वह अब उसे नहीं चाहता। 17 इस व्यक्ति ने मेरी पुत्री के विरुद्ध झूठ बोला है। उसने कहा, “मुझे इसका प्रमाण नहीं मिला कि तुम्हारी पुत्री कुवाँरी है।” किन्तु यहाँ यह प्रमाण है कि मेरी पुत्री कुवाँरी थी।’ तब वे उस कपड़े[d] को नगर—प्रमुखो को दिखाएंगे। 18 तब वहाँ के नगर—प्रमुख उस व्यक्ति को पकड़ेंगे और उसे दण्ड देंगे। 19 वे उस पर चालीस चाँदी के सिक्के जुर्माना करेंगे। वे उस रुपये को लड़की के पिता को देंगे क्योंकि उसके पति ने एक इस्राएली लड़की को कलंकित किया है और लड़की उस व्यक्ति की पत्नी बनी रहेगी। वह अपनी पूरी जिन्दगी उसे तलाक नहीं दे सकता।

20 “किन्तु जो बातें पति ने अपनी पत्नी के विषय में कहीं वे सत्य हो सकती हैं। पत्नी के माता—पिता के पास यह प्रमाण नहीं हो सकता कि लड़की कुवाँरी थी। यदि ऐसा होता है तो 21 नगर—प्रमुख उस लड़की को उसके पिता के द्वार पर लाएँगे। तब नगर—प्रमुख उसे पत्थर से मार डालेंगे। क्यों? क्योंकि उसने इस्राएल में लज्जाजनक बात की। उसने अपने पिता के घर में वेश्या जैसा व्यवहार किया है। तुम्हें अपने लोगों में से हर बुराई को दूर करना चाहिए।

व्यभिचार का पाप दण्डित होना चाहिए

22 “यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे की पत्नी के साथ शारीरिक सम्बनध करता हुआ पाया जाता है तो दोनों शारीरिक सम्बन्ध करने वाले स्त्री—पुरुष को मारा जाना चाहिए। तुम्हें इस्राएल से यह बुराई दूर करनी चाहिए।

23 “कोई व्यक्ति किसी उस कुवाँरी लड़की से मिल सकता है जिसका विवाह दूसरे से पक्का हो चुका है। वह उसके साथ शारीरिक सम्बन्ध भी कर सकता है। यदि नगर में ऐसा होता है तो 24 तुम्हें उन दोनों को उस नगर के बाहर फाटक पर लाना चाहिए और तुम्हें उन दोनों को पत्थरों से मार डालना चाहिए। तुम्हें पुरुष को इसलिए मार देना चाहिए कि उसने दूसरे की पत्नी के साथ शारीरिक सम्बन्ध किया और तुम्हें लड़की को इसलिए मार डालना चाहिए कि वह नगर में थी और उसने सहायता के लिये पुकार नहीं की। तुम्हें अपने लोगों में से यह बुराई भी दूर करनी चाहिए।

25 “किन्तु यदि कोई व्यक्ति मैदानों में, विवाह पक्की की हुई लड़की को पकड़ता है और उससे बलपूर्वक शारीरिक सम्बन्ध करता है तो पुरुष को ही मारना चाहिए। 26 तुम्हें लड़की के साथ कुछ भी नहीं करना चाहिए क्योंकि उसने ऐसा कुछ भी नहीं किया जो उसे प्राण—दण्ड का भागी बनाता है। यह मामला वैसा ही है जैसा किसी व्यक्ति का निर्दोष व्यक्ति पर आक्रमण और उसकी हत्या करना। 27 उस व्यक्ति ने विवाह पक्की की हुई लड़की को मैदान में पकड़ा। लड़की ने सहायता के लिए पुकारा, किन्तु उसकी कोई सहायता करने वाला नहीं था।

28 “कोई व्यक्ति किसी कुवाँरी लड़की जिसकी सगाई नहीं हुई है, को पकड़ सकता है और उसे अपने साथ बलपूर्वक शारीरिक सम्बनध करने को विवश कर सकता है। यदि लोग ऐसा होता देखते हैं तो 29 उसे लड़की के पिता को बीस औंस चाँदी देनी चाहिए और लड़की उसकी पत्नी हो जाएगी। क्यों? क्योंकि उसने उसके साथ शारीरिक सम्बन्ध किया वह उसे पूरी जिन्दगी तलाक नहीं दे सकता।

30 “किसी व्यक्ति को अपने पिता की पत्नी के साथ शारीरिक सम्बन्ध करके अपने पिता को कलंक नहीं लगाना चाहिए।

वे लोग जो उपासना में सम्मलित हो सकते हैं

23 “ये लोग इस्राएल के लोगों के साथ यहोवा की उपासना करने के लिये नहीं आ सकतेः वह व्यक्ति जिसने अपने को बधिया कर लिया है, वह व्यक्ति जिसने अपना यौन अंग कटवा लिया है या वह व्यक्ति जो अविवाहित माता—पिता की सन्तान हो। इस व्यक्ति के परिवार का कोई व्यक्ति दसवीं पीढ़ी तक भी यहोवा के लोगों में यहोवा की उपासना करने के लिये नहीं गिना जा सकता।

“कोई अम्मोनी या मोआबी यहोवा के लोगों से सम्बन्धित नहीं हो सकता और दस पीढ़ीयों तक उनका कोई वंशज भी यहोवा के लोगों का भाग यहोवा की उपासना करने के लिए नहीं बन सकता। क्यों? क्योंकि अम्मोनी और मोआबी लोगों ने मिस्र से बाहर आने की यात्रा के समय तुम लोगों को रोटी और पानी देने से इन्कार किया था। वे यहोवा के लोगों के भाग इसलिए भी नहीं हो सकते क्योंकि उन्होंने बिलाम को तुम्हें अभिशाप देने के लिए नियुक्त किया था। (बिलाम अरपम्नहरैम में पतोर नगर के बोर का पुत्र था।) किन्तु यहोवा परमेश्वर ने बिलाम की एक न सुनी। यहोवा ने अभिशाप को तुम्हारे लिये वरदान में बदल दिया। क्यों? क्योंकि यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुमसे प्रेम करता है। तुम्हें अम्मोनी और मोआबी लोगों के साथ शान्ति रखने का प्रयत्न कभी नहीं करना चाहिए। जब तक तुम लोग रहो, उनसे मित्रता न रखो।

ये लोग जिन्हें इस्राएलियों को अपने में मिलाना चाहिए

“तुम्हें एदोमी से घृणा नहीं करनी चाहिए। क्यों? क्योंकि वह तुम्हारा सम्बन्धी है। तुम्हें किसी मिस्री से घृणा नहीं करनी चाहिए। क्यों? क्योंकि उनके देश में तुम अजनबी थे। एदोमी और मिस्री लोगों से उत्पन्न तीसरी पीढ़ी के बच्चे यहोवा के लोगों के भाग बन सकते हैं।

सेना के डेरे को स्वच्छ रखना

“जब तुम्हारी सेना शत्रु के विरुद्ध जाए, तब तुम उन सभी चीज़ों से दूर रहो जो तुम्हें अपवित्र बनाती हैं। 10 यदि कोई ऐसा व्यक्ति है जो इस कारण अपवित्र है कि उसे रात में स्वप्नदोष हो गया हो तो उसे डेरे के बाहर चले जाना चाहिए। उसे डेरे से दूर रहना चाहिए 11 किन्तु जब शाम हो तब उस व्यक्ति को पानी से नहाना चाहिए और जब सूरज डूबे तो उसे डेरे में जाना चाहिए।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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