Bible in 90 Days
मोआब के बारे में सन्देश
48 यह सन्देश मोआब देश के बारे में है। इस्राएल के लोगों के परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा ने जो कहा, वह यह है:
“नबो पर्वत का बुरा होगा, नबो पर्वत नष्ट होगा।
किर्यातैम नगर लज्जित होगा।
इस पर अधिकार होगा।
शक्तिशाली स्थान लज्जित होगा।
यह बिखर जायेगा।
2 मोआब की पुन: प्रशंसा नहीं होगी।
हेशबोन नगर के लोग मोआब के पराजय की योजना बनाएंगे।
वे कहेंगे, ‘आओ, हम उस राष्ट्र का अन्त कर दें।’
मदमेन तुम भी चुप किये जाओगे,
तलवार तुम्हारा पीछा करेगी।
3 होरोनैम नगर से रूदन सुनो,
वे बहुत घबराहट और विनाश की चीखे हैं।
4 मोआब नष्ट किया जाएगा।
उसके छोटे बच्चे सहायता की पुकार करेंगे।
5 मोआब के लोगों लूहीत के मार्ग तक जाओ।
वे जाते हुए फूट फूट कर रो रहे हैं।
होरोनैम के नगर तक जाने वाली सड़क से पीड़ा
और कष्ट का रूदन सुना जा सकता है!
6 भाग चलो, जीवन के लिए भागो!
झाड़ी सी उड़ो जो मरुभूमि में उड़ती है।
7 “तुम अपनी बनाई चीज़ों और अपने धन पर विश्वास करते हो।
अत: तुम बन्दी बना लिये जाओगे।
कमोश देवता बन्दी बनाया जायेगा और उसके याजक
और पदाधिकारी उसके साथ जाएंगे।
8 विध्वंसक हर एक नगर के विरुद्ध आएगा,
कोई नगर नहीं बचेगा।
घाटी बरबाद होगी।
उच्च मैदान नष्ट होगा।
यहोवा कहता है:
यह होगा अत: ऐसा ही होगा।
9 मोआब के खेतों में नमक फैलाओ।
देश सूनी मरुभूमि बनेगा।
मोआब के नगर खाली होंगे।
उनमें कोई व्यक्ति भी न रहेगा।
10 यदि व्यक्ति वह नहीं करता जिसे यहोवा कहता है
यदि वह अपनी तलवार का उपयोग उन लोगों को मारने के लिये नहीं करता, तो उस व्यक्ति का बुरा होगा।
11 “मोआब का कभी विपत्ति से पाला नहीं पड़ा।
मोआब शान्त होने के लिये छोड़ी गई दाखमधु सा है।
मोआब एक घड़े से कभी दूसरे घड़े में ढाला नहीं गया।
वह कभी बन्दी नहीं बनाया गया।
अत: उसका स्वाद पहले की तरह है
और उसकी गन्ध बदली नहीं है।”
12 यहोवा यह सब कहता है,
“किन्तु मैं लोगों को शीघ्र ही
तुम्हें तुम्हारे घड़े से ढालने भेजूँगा।
वे लोग मोआब के घड़े को खाली कर देंगे
और तब वे उन घड़ों को चकनाचूर कर देंगे।”
13 तब मोआब के लोग अपने असत्य देवता कमोश के लिए लज्जित होंगे। इस्राएल के लोगों ने बेतेल में झूठे देवता पर विश्वास किया था और इस्राएल के लोगों को उस समय ग्लानि हुई थी जब उस असत्य देवता ने उनकी सहायता नहीं की थी।
14 “तुम यह नहीं कह सकते ‘हम अच्छे सैनिक हैं।
हम युद्ध में वीर पुरुष हैं।’
15 शत्रु मोआब पर आक्रमण करेगा।
शत्रु उन नगरों में आएगा और उन्हें नष्ट करेगा।
नरसंहार में उसके श्रेष्ठ युवक मारे जाएँगे।”
यह सन्देश राजा का है।
उस राजा का नाम सर्वशक्तिमान यहोवा है।
16 “मोआब का अन्त निकट है।
मोआब शीघ्र ही नष्ट कर दिया जाएगा।
17 मोआब के चारों ओर रहने वाले लोगों, तुम सभी उस देश के लिये रोओगे।
तुम लोग जानते हो कि मोआब कितना प्रसिद्ध है।
अत: इसके लिए रोओ।
कहो, ‘शासक की शक्ति भंग हो गई।
मोआब की शक्ति और प्रतिष्ठा चली गई।’
18 “दीबोन में रहने वाले लोगों अपने प्रतिष्ठा के स्थान से बाहर निकलो।
धूलि में जमीन पर बैठो क्यों क्योंकि मोआब का विध्वंसक आ रहा है और वह तुम्हारे दृढ़ नगरों को नष्ट कर देगा।
19 “अरोएर में रहने वाले लोगों, सड़क के सहारे खड़े होओ और सावधानी से देखो।
पुरुष को भागते देखो, स्त्री को भागते देखो, उनसे पूछो, क्या हुआ है?
20 “मोआब बरबाद होगा और लज्जा से गड़ जाएगा।
मोआब रोएगा और रोएगा।
अर्नोन नदी पर घोषित करो कि मोआब नष्ट हो गया।
21 उच्च मैदान के लोग दण्ड पा चुके होलोन, यहसा
और मेपात नगरों का न्याय हो चुका।
22 दीबोन, नबो
और बेतदिबलातैम,
23 किर्य्यातैम, बेतगामूल
और बेतमोन।
24 करिय्योत बोस्रा तथा मोआब के निकट
और दूर के सभी नगरों के साथ न्याय हो चुका।
25 मोआब की शक्ति काट दी गई,
मोआब की भुजायें टूट गई।”
यहोवा ने यह सब कहा।
26 “मोआब ने समझा था वह यहोवा से भी अधिक महत्वपूर्ण है।
अत: मोआब को दण्डित करो कि वह पागल सा हो जाये।
मोआब गिरेगा और अपनी उलटी में चारों ओर लौटेगा।
लोग मोआब का मजाक उड़ाएंगे।
27 “मोआब तुमने इस्राएल का मजाक उड़ाया था।
इस्राएल चोरों के गिरोह द्वारा पकड़ा गया था।
हर बार तुम इस्राएल के बारे में कहते थे।
तुम अपना सिर हिलाते थे ऐसा अभिनय करते थे मानो तुम इस्राएल से श्रेष्ठ हो
28 मोआब के लोगों, अपने नगरों को छोड़ो।
जाओ और पहाड़ियों पर रहो,
उस कबूतर की तरह रहो
जो अपने घोंसले गुफा के मुख पर बनाता है।”
29 “हम मोआब के गर्व को सुन चुके हैं,
वह बहुत घमण्डी था।
उसने समझा था कि वह बहुत बड़ा है।
वह सदा अपने मुँह मियाँ मिटठू बनता रहा।
वह अत्याधिक घमण्डी था।”
30 यहोवा कहता है, “मैं जानता हूँ कि मोआब शीघ्र ही क्रोधित हो जाता है और अपनी प्रशंसा के गीत गाता है।
किन्तु उसकी शेखियाँ झूठ है।
वह जो करने को कहता है, कर नहीं सकता।
31 अत: मैं मोआब के लिये रोता हूँ।
मैं मोआब में हर एक के लिये रोता हूँ।
मैं कीर्हेरेस के लोगों के लिये रोता हूँ।
32 मैं याजेर के लोग के साथ याजेर के लिये रोता हूँ।
सिबमा अतीत में तुम्हारी अंगूर की बेले सागर तक फैली थीं।
वे याजेर नगर तक पहुँच गई थीं।
किन्तु विध्वंसक ने तुम्हारे फल और अंगूर ले लिये।
33 मोआब के विशाल अंगूर के बागों से सुख और आनन्द विदा हो गये।
मैंने दाखमधु निष्कासकों से दाखमधु का बहना रोक दिया है।
अब दाखमधु बनाने के लिये अंगूरों पर चलने वालों के नृत्य गीत नहीं रह गए हैं।
खुशी का शोर गुल सभी समाप्त हो गया है।
34 “हेशबोन और एलाले नगरों के लोग रो रहे हैं। उनका रूदन दूर यहस के नगर में भी सुनाई पड़ रहा है। उनका रूदन सोआर नगर से सुनाई पड़ रहा है और होरोनैम एवं एग्लथ शेलिशिया के दूर नगरों तक पहुँच रहा है। यहाँ तक कि निम्रीम का भी पानी सुखे गया है। 35 मैं मोआब को उच्च स्थानों पर होमबलि चढ़ाने से रोक दूँगा। मैं उन्हें अपने देवताओं को बलि चढ़ाने से रोकूँगा। यहोवा ने यह सब कहा।
36 “मुझे मोआब के लिये बहुत दु:ख है। शोक गीत छेड़ने वाली बाँसुरी की धुन की तरह मेरा हृदय रूदन कर रहा है। मैं कीर्हेरेस के लोगों के लिये दु:खी हूँ। उनके धन और सम्पत्ति सभी ले लिये गए हैं। 37 हर एक अपना सिर मुड़ाये है। हर एक की दाढ़ी साफ हो गई हे। हर एक के हाथ कटे हैं और उनसे खून निकल रहा है। हर एक अपनी कमर में शोक के वस्त्र लपेटे हैं। 38 मोआब में लोग घरों की छतों और हर एक सार्वजनिक चौराहों में सर्वत्र मरे हुओं के लिये रो रहे हैं। वहाँ शोक है क्योंकि मैंने मोआब को खाली घड़े की तरह फोड़ डाला है।” यहोवा ने यह सब कहा।
39 “मोआब बिखर गया है। लोग रो रहे हैं। मोआब ने आत्म समर्पण किया है। अब मोआब लज्जित है। लोग मोआब का मजाक उड़ाते हैं, किन्तु जो कुछ हुआ है वह उन्हें भयभीत कर देता है।”
40 यहोवा कहता है, “देखो, एक उकाब आकाश से नीचे को टूट पड़ रहा है।
यह अपने परों को मोआब पर फैला रहा है।
41 मोआब के नगरों पर अधिकार होगा।
छिपने के सुरक्षित स्थान पराजित होंगे।
उस समय मोआब के सैनिक वैसे ही आतंकित होंगे
जैसे प्रसव करती स्त्री।
42 मोआब का राष्ट्र नष्ट कर दिया जायेगा।
क्यों क्योंकि वे समझते थे कि वे यहोवा से भी अधिक महत्वपूर्ण हैं।”
43 यहोवा यह सब कहता है:
“मोआब के लोगों, भय गहरे गके और जाल तुम्हारी प्रतीक्षा में हैं।
44 लोग डरेंगे और भाग खड़े होंगे,
और वे गहने गकों में गिरेंगे।
यदि कोई गहरे गके से निकलेगा तो
वह जाल में फँसेगा।
मैं मोआब पर दण्ड का वर्ष लाऊँगा।”
यहोवा ने यह सब कहा।
45 “शक्तिशाली शत्रु से लोग भाग चले हैं।
वे सुरक्षा के लिये हेशबोन नगर में भागे।
किन्तु वहाँ सुरक्षा नहीं थी।
हेशबोन में आग लगी।
वह आग सीहोन के नगर से शुद्ध हुई और यह मोआब के प्रमुखों को नष्ट करने लगी।
यह उन घमण्डी लोगों को नष्ट करने लगी।
46 मोआब यह तुम्हारे लिये, बहुत बुरा होगा।
कमोश के लोग नष्ट किये जा रहे हैं।
तुम्हारे पुत्र और पुत्रियाँ बन्दी
और कैदी के रुप में ले जाए जा रहे हैं।
47 मोआब के लोग बन्दी के रूप में दूर पहुँचाए जाएंगे।
किन्तु आने वाले दिनों में मैं मोआब के लोगों को वापस लाऊँगा।”
यह सन्देश यहोवा का है।
यहाँ मोआब के साथ न्याय समाप्त होता है।
अम्मोन के बारे में सन्देश
49 यह सन्देश अम्मोनी लोगों के बारे में है। यहोवा कहता है,
“अम्मोनी लोगों, क्या तुम सोचते हो कि
इस्राएली लोगों के बच्चे नहीं है?
क्या तुम समझते हो कि वहाँ माता—पिता के मरने के बाद
उनकी भूमि लेने वाले कोई नहीं?
शायद ऐसा ही है और इसलिए मल्काम ने गाद की भूमि ले ली है।”
2 यहोवा कहता है, “वह समय आएगा जब रब्बा अम्मोन के लोग युद्ध का घोष सुनेंगे।
रब्बा अम्मोन नष्ट किया जाएगा।
यह नष्ट इमारतों से ढकी पहाड़ी बनेगा और इसको चारों ओर के नगर जला दिये जाएंगे।
उन लोगों ने इस्राएल के लोगों को वह भूमि छोड़ने को विवश किया।
किन्तु इस्राएल के लोग उन्हें हटने के लिये विवश करेंगे।”
यहोवा ने यह सब कहा।
3 “हेशबोन के लोगों, रोओ।
क्योंकि ऐ नगर नष्ट कर दिया गया है।
रब्बा अम्मोन की स्त्रियों, रोओ।
अपने शोक वस्त्र पहनो और रोओ।
सुरक्षा के लिये नगर को भागो। क्यो क्योंकि शत्रु आ रहा है।
वे मल्कान देवता को ले जाएंगे और वे मल्कान के याजकों और अधिकारियों को ले जाएंगे।
4 तुम अपनी शक्ति की डींग मारते हो।
किन्तु अपना बल खो रहे हो।
तुम्हें विश्वास है कि तुम्हारा धन तुम्हें बचाएगा।
तुम समझते हो कि तुम पर कोई आक्रमण करने की सोच भी नहीं सकता।”
5 किन्तु सर्वशक्तिमान यहोवा यह कहता है,
“मैं हर ओर से तुम पर विपत्ति ढाऊँगा।
तुम सब भाग खड़े होगे,
फिर कोई भी तुम्हें एक साथ लाने में समर्थ न होगा।”
6 “अम्मोनी लोग बन्दी बनाकर दूर पहुँचाए जायेंगे। किन्तु समय आएगा जब मैं अम्मोनी लोगों को वापस लाऊँगा।” यह सन्देश यहोवा का है।
एदोम के बारे में सन्देश
7 यह सन्देश एदोम के बारे में है: सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है,
“क्या तेमान नगर में बुद्धि बची नहीं रह गई है?
क्या एदोम के बुद्धिमान लोग अच्छी सलाह देने योग्य नहीं रहे?
क्या वे अपनी बुद्धिमत्ता खो चुके हैं?
8 ददान के निवासियों भागो, छिपो।
क्यों क्योंकि मैं एसाव को उसके कामों के लिये दण्ड दूँगा।
9 “यदि अंगूर तोड़ने वाले आते हैं
और अपने अंगूर के बागों से अंगूर तोड़ते हैं
और बेलों पर कुछ अंगूर छोड़ ही देते हैं।
यदि चोर रात को आते हैं तो वे उतना ही ले जाते हैं जितना उन्हें चाहिये सब नहीं।
10 किन्तु मैं एसाव से हर चीज़ ले लूँगा।
मैं उसके सभी छिपने के स्थान ढूँढ डालूँगा।
वह मुझसे छिपा नहीं रह सकेगा।
उसके बच्चे, सम्बन्धी और पड़ोसी मरेंगे।
11 कोई भी व्यक्ति उनके बच्चों की देख—रेख के लिये नहीं बचेगा।
उसकी पत्नियाँ किसी भी विश्वासपात्र को नहीं पाएंगी।”
12 यह वह है, जो यहोवा कहता है, “कुछ व्यक्ति दण्ड के पात्र नहीं होते, किन्तु उन्हें कष्ट होता है। किन्तु एदोम तुम दण्ड पाने योग्य हो, अत: सचमुच तुमको दण्ड मिलेगा। जो दण्ड तुम्हें मिलना चाहिये, उससे तुम बचकर नहीं निकल सकते। तुम्हें दण्ड मिलेगा।” 13 यहोवा कहता है, “मैं अपनी शक्ति से यह प्रतिज्ञा करता हूँ, मैं प्रतिज्ञा करता हूँ कि बोस्रा नगर नष्ट कर दिया जाएगा। वह नगर बरबाद चट्टानों का ढेर बनेगा। जब लोग अन्य नगरों का बुरा होना चाहेंगे तो वे इस नगर को उदाहरण के रूप में याद करेंगे। लोग उस नगर का अपमान करेंगे और बोस्रा के चारों ओर के नगर सदैव के लिये बरबाद हो जाएंगे।”
14 मैंने एक सन्देश यहोवा से सुना।
यहोवा ने राष्ट्रों को सन्देश भेजा।
सन्देश यह है:
“अपनी सेनाओं को एक साथ एकत्रित करो!
युद्ध के लिये तैयार हो जाओ।
एदोम राष्ट्र के विरुद्ध कुच करो।
15 एदोम, मैं तुम्हें महत्वहीन बनाऊँगा।
हर एक व्यक्ति तुमसे घृणा करेगा।
16 एदोम, तुमने अन्य राष्ट्रों को आतंकित किया है।
अत: तुमने समझा कि तुम महत्वपूर्ण हो।
किन्तु तुम मूर्ख बनाए गए थे।
तुम्हारे घमण्ड ने तुझे धोखा दिया है।
एदोम, तुम ऊँचे पहाड़ियों पर बसे हो, तुम बड़ी चट्टानों और पहाड़ियों के स्थानों पर सुरक्षित हो।
किन्तु यदि तुम अपना निवास उकाब के घोंसले की ऊँचाई पर ही क्यों न बनाओ, तो भी मैं तुझे पा लूँगा
और मैं वहाँ से नीचे ले आऊँगा।”
यहोवा ने यह सब कहा।
17 “एदोम नष्ट किया जाएगा।
लोगों को नष्ट नगरों को देखकर दु:ख होगा।
लोग नष्ट नगरों पर आश्चर्य से सीटी बजाएंगे।
18 एदोम, सदोम, अमोरा और उनके चारों ओर के नगरों जैसा नष्ट किया जाएगा।
कोई व्यक्ति वहाँ नहीं रहेगा।”
यह सब यहोवा ने कहा।
19 “कभी यरदन नदी के समीप की घनी झाड़ियों से एक सिंह निकलेगा और वह सिंह उन खेतों में जाएगा जहाँ लोग अपनी भेड़ें और अपने पशु रखते हैं। मैं उस सिंह के समान हूँ। मैं एदोम जाऊँगा और मैं उन लोगों को आतंकित करूँगा। मैं उन्हें भगाऊँगा। उनका कोई युवक मुझको नहीं रोकेगा। कोई भी मेरे समान नहीं है। कोई भी मुझको चुनौती नहीं देगा। उनके गडेरियों (प्रमुखों) में से कोई भी हमारे विरुद्ध खड़ा नहीं होगा।”
20 अत: यहोवा ने एदोम के विरुद्ध जो योजना बनाई है उसे सुनो।
तेमान में लोगों के साथ जो करने का निश्चय यहोवा ने किया है उसे सुनो।
शत्रु एदोम की रेवड़ (लोग) के बच्चों को घसीट ले जाएगा।
उन्होंने जो कुछ किया उससे एदोम के चरागाह खाली हो जायेगें।
21 एदोम के पतन के धमाके से पृथ्वी काँप उठेगी।
उनका रूदन लगातार लाल सागर तक सुनाई पड़ेगा।
22 यहोवा उस उकाब की तरह मंडरायेगा जो अपने शिकार पर टूटता है।
यहोवा बोस्रा नगर पर अपने पंख उकाब के समान फैलाया है।
उस समय एदोम के सैनिक बहुत आतंकित होंगे।
वे प्रसव करती स्त्री की तरह भय से रोएंगे।
दमिश्क के बारे में सन्देश
23 यह सन्देश दमिश्क नगर के लिये है:
“हमात और अर्पद नगर भयभीत हैं।
वे डरे हैं क्योंकि उन्होंने बुरी खबर सुनी है।
वे साहसहीन हो गए हैं।
वे परेशान और आतंकित हैं।
24 दमिश्क नगर दुर्बल हो गया है।
लोग भाग जाना चाहते हैं।
लोग भय से घबराने को तैयार बैठे हैं।
प्रसव करती स्त्री की तरह लोग पीड़ा और कष्ट का अनुभव कर रहे हैं।
25 “दमिश्क प्रसन्न नगर है।
लोगों ने अभी उस तमाशे के नगर को नहीं छोड़ा है।
26 अत: युवक इस नगर के सार्वजनिक चौराहे में मरेंगे।
उस समय उसके सभी सैनिक मार डाले जाएंगे।”
सर्वशक्तिमान यहोवा ने यह सब कुछ कहा है।
27 “मैं दमिश्क की दीवारों में आग लगा दूँगा।
वह आग बेन्नहदद के दृढ़ दुर्गो को पूरी तरह जलाकर राख कर देगी।”
केदार और हासोर के बारे में सन्देश
28 यह सन्देश केदार के परिवार समूह और हासोर के शासकों के बारे में है। बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर ने उन्हें पराजित किया था। यहोवा कहता है,
“जाओ और केदार के परिवार समूह पर आक्रमण करो।
पूर्व के लोगों को नष्ट कर दो।
29 उनके डेरे और रेवड़ ले लिये जाएंगे।
उनके डेरे और सभी चीज़ें ले जायी जायेंगी।
उनका शत्रु ऊँटों को ले लेगा।
लोग उनके सामने चिल्लाएंगे:
‘हमारे चारों ओर भयंकर घटनायें घट रही है।’
30 शीघ्र ही भाग निकलो!
हासोर के लोगों, छिपने का ठीक स्थान ढूँढो।”
यह सन्देश यहोवा का है।
“नबूकदनेस्सर ने तुम्हारे विरुद्ध योजना बनाई है।
उसने तुम्हें पराजित करने की चुस्त योजना बनाई है।
31 “एक राष्ट्र है, जो खुशहाल है।
उस राष्ट्र को विश्वास है कि उसे कोई नहीं हरायेगा।
उस राष्ट्र के पास सुरक्षा के लिये द्वार और रक्षा प्राचीर नहीं है।
वे लोग अकेले रहते हैं।”
यहोवा कहता है, “उस राष्ट्र पर आक्रमण करो।”
32 “शत्रु उनके ऊँटों और पशुओं के बड़े झुण्डों को चुरा लेगा।
शत्रु उनके विशाल जानवरों के समूह को चुरा लेगा।
मैं उन लोगों को पृथ्वी के हर भाग में भाग जाने पर विवश करूँगा जिन्होंने अपने बालों के कोनों को कटा रखा है।
और मैं उनके लिये चारों ओर से भयंकर विपत्तियाँ लाऊँगा।”
यह सन्देश यहोवा का है।
33 “हासोर का प्रदेश जंगली कुत्तों के रहने का स्थान बनेगा।
यह सदैव के लिये सूनी मरुभूमि बनेगा।
कोई व्यक्ति वहाँ नहीं रहेगा कोई व्यक्ति उस स्थान पर नहीं रहेगा।”
एलाम के बारे में सन्देश
34 जब सिदकिय्याह यहूदा का राजा था तब उसके राज्यकाल के आरम्भ में यिर्मयाह नबी ने यहोवा का एक सन्देश प्राप्त किया। यह सन्देश एलाम राष्ट्र के बारे में है।
35 सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है,
“मैं एलाम का धनुष बहुत शीघ्र तोड़ दूँगा।
धनुष एलाम का सबसे शक्तिशाली अस्त्र है।
36 मैं एलाम पर चतुर्दिक तूफान लाऊँगा।
मैं उन्हें आकाश के चारों दिशाओं से लाऊँगा।
मैं एलाम के लोगों को पृथ्वी पर सर्वत्र भेजूँगा जहाँ चतुर्दिक आँधिया चलती हैं
और एलाम के बन्दी हर राष्ट्र में जाएंगे।
37 मैं एलाम को, उनके शत्रुओं के देखते, टुकड़ों में बाँट दूँगा।
मैं एलाम को उनके सामने तोड़ूँगा जो उसे मार डालना चाहते हैं।
मैं उन पर भयंकर विपत्तियाँ लाऊँगा।
मैं उन्हें दिखाऊँगा कि मैं उन पर कितना क्रोधित हूँ।”
यह सन्देश यहोवा का है।
“मैं एलाम का पीछा करने को तलवार भेजूँगा।
तलवार उनका पीछा तब तक करेगी जब तक मैं उन सबको मार नहीं डालूँगा।
38 मैं एलाम को दिखाऊँगा कि मैं व्यवस्थापक हूँ
और मैं उसके राजाओं तथा पदाधिकारियों को नष्ट कर दूँगा।”
यह सन्देश यहोवा का है।
39 “किन्तु भविष्य में मैं एलाम के लिये सब अच्छा घटित होने दूँगा।”
यह सन्देश यहोवा का है।
बाबुल के बारे में सन्देश
50 यह सन्देश यहोवा का है जिसे उसने बाबुल राष्ट्र और बाबुल के लोगों के लिये दिया। यहोवा ने यह सन्देश यिर्मयाह द्वारा दिया।
2 “हर एक राष्ट्र को यह घोषित कर दो!
झण्डा उठाओ और सन्देश सुनाओ।
पूरा सन्देश सुनाओ और कहो,
‘बाबुल राष्ट्र पर अधिकार किया जाएगा।
बेल देवता लज्जा का पात्र बनेगा।
मरोदक देवता बहुत डर जाएगा।
बाबुल की देवमूर्तियाँ लज्जा का पात्र बनेंगी
उसके मूर्ति देवता भयभीत हो जाएंगे।’
3 उत्तर से एक राष्ट्र बाबुल पर आक्रमण करेगा।
वह राष्ट्र बाबुल को सूनी मरुभूमि सा बना देगा।
कोई व्यक्ति वहाँ नहीं रहेगा
मनुष्य और पशु दोनों वहाँ से भाग जाएंगे।”
4 यहोवा कहता है, “उस समय, इस्राएल के
और यहूदा के लोग एक साथ होंगे।
वे एक साथ बराबर रोते रहेंगे
और एक साथ ही वे अपने यहोवा परमेश्वर को खोजने जाएंगे।
5 वे लोग पूछेंगे सिय्योन कैसे जाएँ
वे उस दिशा में चलना आरम्भ करेंगे।
लोग कहेंगे, ‘आओ, हम यहोवा से जा मिलें,
हम एक ऐसी वाचा करें जो सदैव रहे।
हम लोग एक ऐसी वाचा करे जिसे हम कभी न भूलें।’
6 “मेरे लोग खोई भेड़ की तरह हो गए हैं।
उनके गडेरिए (प्रमुख) उन्हें गलत रास्ते पर ले गए हैं।
उनके मार्गदर्शकों ने उन्हें पर्वतों और पहाड़ियों में चारों ओर भटकाया है।
वे भूल गए कि उनके विश्राम का स्थान कहाँ है।
7 जिसने भी मेरे लोगों को पाया, चोट पहुँचाई
और उन शत्रुओं ने कहा,
‘हमने कुछ गलत नहीं किया।’
उन लोगों ने यहोवा के विरुद्ध पाप किये।
यहोवा उनका सच्चा विश्रामस्थल है।
यहोवा परमेश्वर है जिस पर उनके पूर्वजों ने विश्वास किया।
8 “बाबुल से भाग निकलो।
कसदी लोगों के देश को छोड़ दो।
उन बकरों की तरह बनो जो झुण्ड को राह दिखाते हैं।
9 मैं बहुत से राष्ट्रों को उत्तर से एक साथ लाऊँगा।
राष्ट्रों का यह समूह बाबुल के विरुद्ध युद्ध के लिये तैयार होगा।
बाबुल उत्तर के लोगों द्वारा अधिकार में लाया जाएगा।
वे राष्ट्र बाबुल पर अनेक बाण चलायेंगे
और वे बाण उन सैनिकों के समान होंगे
जो युद्ध भूमि से खाली हाथ नहीं लौटते।
10 शत्रु कसदी लोगों से सारा धन लेगा।
वे शत्रु सैनिक जो चाहेंगे, लेंगे।”
यह सब यहोवा कहता है।
11 “बाबुल, तुम उत्तेजित और प्रसन्न हो।
तुमने मेरा देश लिया।
तुम अन्न के चारों ओर नयी गाय की तरह नाचते हो।
तुम्हारी हँसी घोडों की हिनहिनाहट सी है।
12 अब तुम्हारी माँ बहुत लज्जित होगी
तुम्हें जन्म देने वाली माँ को ग्लानि होगी
बाबुल सभी राष्ट्रों की तुलना में सबसे कम महत्व का होगा।
वह एक सूनी मरुभूमि होगी।
13 यहोवा अपना क्रोध प्रकट करेगा।
अत: कोई व्यक्ति वहाँ नहीं रहेगा।
बाबुल नगर पूरी तरह खाली होगा।
बाबुल से गुजरने वाला हर एक व्यक्ति डरेगा।
वे अपना सिर हिलाएंगे।
जब वे देखेंगे कि यह किस बुरी तरह नष्ट हुआ है।
14 “बाबुल के विरुद्ध युद्ध की तैयारी करो।
सभी सैनिकों अपने धनुष से बाबुल पर बाण चलाओ।
अपने बाणों को न बचाओ।
बाबुल ने यहोवा के विरुद्ध पाप किया है।
15 बाबुल के चारों ओर के सैनिकों, युद्ध का उद्घोष करो।
अब बाबुल ने आत्म समर्पण कर दिया है।
उसकी दीवारों और गुम्बदों को गिरा दिया गया है।
यहोवा उन लोगों को वह दण्ड दे रहा है जो उन्हें मिलना चाहिये।
राष्ट्रों तुम बाबुल को वह दण्ड दो जो उसे मिलना चाहिये।
उसके साथ वह करो जो उसने अन्य राष्ट्रों के साथ किया है।
16 बाबुल के लोगों को उनकी फसलें न उगाने दो।
उन्हें फसलें न काटने दो।
बाबुल के सैनिक ने अपने नगर में अनेकों बन्दी लाए थे।
अब शत्रु के सैनिक आ गए हैं, अत: वे बन्दी अपने घर लौट रहे हैं।
वे बन्दी अपने देशों को वापस भाग रहे हैं।
17 “इस्राएल भेड़ की तरह है जिसे सिंहो ने पीछा करके भगा दिया है।
उसे खाने वाला पहला सिंह अश्शूर का राजा था।
उसकी हड्डियों को चूर करने वाला अंतिम सिंह बाबुल का राजा नबूकदनेस्सर था।”
18 अत: सर्वशक्तिमान यहोवा, इस्राएल का परमेश्वर कहता है:
“मैं शीघ्र ही बाबुल के राजा और उसके देश को दण्ड दूँगा।
मैं उसे वैसे ही दण्ड दूँगा जैसे मैंने अश्शूर के राजा को दण्ड दिया।”
19 “किन्तु इस्राएल को मैं उसके खेतों में वापस लाऊँगा।
वह वही भोजन करेगा जो कर्मेल पर्वत और बाशान की भूमि की उपज है।
वह भोजन करेगा और भरा पूरा होगा।
वह एप्रैम और गिलाद भूमि में पहाड़ियों पर खायेगा।”
20 यहोवा कहता है, “उस समय लोग इस्राएल के अपराध को जानना चाहेंगे।
किन्तु कोई अपराध नहीं होगा।
लोग यहूदा के पापों को जानना चाहेंगे किन्तु कोई पाप नहीं मिलेगा।
क्यों क्योंकि मैं इस्राएल और यहूदा के कुछ बचे हुओं को बचा रहा हूँ और मैं उनके सभी पापों के लिये उन्हें क्षमा कर रहा हूँ।”
21 यहोवा कहता है, मरातैम देश पर आक्रमण करो।
पकोद के प्रदेश के निवासियों पर आक्रमण करो।
उन पर आक्रमण करो, उन्हें मार डालो और उन्हें पूरी तरह नष्ट कर दो।
वह सब करो जिसके लिये मैं आदेश दे रहा हूँ!
22 “युद्ध का घोष पूरे देश में सुना जा सकता है।
यह बहुत अधिक विध्वंस का शोर है।
23 बाबुल पूरी पृथ्वी का हथौड़ा था।
किन्तु अब ‘हथौड़ा’ टूट गया और बिखर गया है।
बाबुल सच में सबसे अधिक बरबाद राष्ट्रों में से एक है।
24 बाबुल, मैंने तुम्हारे लिए एक जाल बिछाया,
और जानने के पहले ही तुम इसमें आ फँसे।
तुम यहोवा के विरुद्ध लड़े,
इसलिये तुम मिल गए और पकड़े गए।
25 यहोवा ने अपना भण्डार गृह खोल दिया है।
यहोवा ने भण्डार गृह से अपने क्रोध के अस्त्र शस्त्र निकाले हैं।
सर्वशक्तिमान परमेश्वर यहोवा ने उन अस्त्र शस्त्रों को निकाला हैं क्योंकि उसे काम करना है।
उसे कसदी लोगों के देश में काम करना है।
26 “अति दूर से बाबुल के विरुद्ध आओ, उसके अन्न भरे भण्डार गृहों को तोड़कर खोलो।
बाबुल को पूरी तरह नष्ट करो और किसी को जीवित न छोड़ो।
उसके शवों को अन्न के बड़े ढेर की तरह एक ढेर में लगाओ।
27 बाबुल के सभी युवकों को मार डालो।
उनका नहसंहार होने दो।
उनकी पराजय का समय आ गया है।
अत: उनके लिये बहुत बुरा होगा।
यह उनके दण्डित होने का समय है।
28 लोग बाबुल देश से भाग रहे है, वे उस देश से बच निकल रहे हैं।
वे लोग सिय्योन को आ रहे हैं और वे सभी से वह कह रहे हैं जो यहोवा कर रहा है।
वे कह रहे हैं कि बाबुल को, जो दण्ड मिलना चाहिये।
यहोवा उसे दे रहा है।
बाबुल ने यहोवा के मन्दिर को नष्ट किया, अत:
अब यहोवा बाबुल को नष्ट कर रहा है।
29 “धनुर्धारियों को बाबुल के विरुद्ध बुलाओ।
उन लोगों से नगर को घेरने को कहो।
किसी को बच निकलते मत दो। जो उसने बुरा किया है उसका उल्टा भुगतान करो।
उसके साथ वही करो जो उसने अन्य राष्ट्रों के साथ किया है।
बाबुल ने यहोवा का सम्मान नहीं किया।
बाबुल इस्राएल के पवित्रतम के प्रति बड़ा क्रूर रहा।
अत: बाबुल को दण्ड दो।
30 बाबुल के युवक सड़कों पर मारे जाएंगे, उस दिन उसके सभी सैनिक मर जाएंगे।
यह सब यहोवा कहता है।
31 “बाबुल, तुम बहुत गर्वीले हो,
और मैं तुम्हारे विरुद्ध हूँ।”
हमारा स्वामी सर्वशक्तिमान यहोवा यह सब कहता है।
“मैं तुम्हारे विरुद्ध हूँ,
और तुम्हारे दण्डित होने का समय आ गया है।
32 गर्वीला बाबुल ठोकर खाएगा और गिरेगा
और कोई व्यक्ति उसे उठाने में सहायता नहीं करेगा।
मैं उसके नगरों में आग लगाऊँगा,
वह आग उसके चारों ओर के सभी को पूरी तरह जला देगी।”
33 सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है,
“इस्राएल और यहूदा के लोग दास हैं।
शत्रु उन्हें ले गया, और शत्रु इस्राएल को निकल जाने नहीं देगा।
34 किन्तु परमेश्वर उन लोगों को वापस लाएगा।
उसका नाम सर्वशक्तिमान परमेश्वर यहोवा है।
वह दृढ़ शक्ति से उन लोगों की रक्षा करेगा।
वह उनकी रक्षा करेगा जिससे वह पृथ्वी को विश्राम दे सके।
किन्तु वह बाबुल के निवासियों को विश्राम नहीं देगा।”
35 यहोवा कहता है,
“बाबुल के निवासियों को तलवार के घाट उतर जाने दो।
बाबुल के राजकीय अधिकारियों
और ज्ञानियों को भी तलवार से कट जाने दो।
36 बाबुल के याजकों को तलवार के घाट उतरने दो।
वे याजक मूर्ख लोगों की तरह होंगे।
बाबुल के सैनिकों को तलवार से कटने दो, वे सैनिक त्रास से भर जाएंगे।
37 बाबुल के घोड़ों और रथों को तलवार के घाट उतरने दो।
अन्य देशों के भाड़े के सैनिकों को तलवार से कट जाने दो।
वे सैनिक भयभीत अबलाओं की तरह होंगे।
बाबुल के खजाने के विरुद्ध तलवार उठने दो, वे खजाने ले लिये जाएंगे।
38 बाबुल की नदियों के विरुद्ध तलवार उठने दो।
वे नदियाँ सूख जाएंगी।
बाबुल देश में असंख्य देवमूर्तियाँ हैं।
वे मूर्तियाँ प्रकट करती हैं कि बाबुल के लोग मूर्ख हैं।
अत: उन लोगों के साथ बुरी घटनायें घटेंगी।
39 बाबुल फिर लोगों से नहीं भरेगा, जंगली कुत्ते, शुतुरमुर्ग और अन्य मरुभूमि के जानवर वहाँ रहेंगे।
किन्तु वहाँ कभी कोई मनुष्य फिर नहीं रहेगा।
40 परमेश्वर ने सदोम, अमोरा और उनके चारों ओर के नगरों को पूरी तरह से नष्ट किया था
और अब उन नगरों में कोई नहीं रहता।
इसी प्रकार बाबुल में कोई नहीं रहेगा
और कोई मनुष्य वहाँ रहने कभी नहीं जायेगा।
41 “देखो, उत्तर से लोग आ रहे हैं,
वे एक शक्तिशाली राष्ट्र से आ रहे हैं।
पूरे संसार के चारों ओर से एक साथ बहुत से राजा आ रहे हैं।
42 उनकी सेना के पास धनुष और भाले हैं, सैनिक क्रूर हैं, उनमें दया नहीं है।
सैनिक अपने घोड़ों पर सवार आ रहे हैं, और प्रचण्ड घोष सागर की तरह गरज रहे हैं।
वे अपने स्थानों पर युद्ध के लिये तैयार खड़े हैं।
बाबुल नगर वे तुम पर आक्रमण करने को तत्पर हैं।
43 बाबुल के राजा ने उन सेनाओं के बारे में सुना, और वह आतंकित हो गया।
वह इतना डर गया है कि उसके हाथ हिल नहीं सकते।
उसके डर से उसके पेट में ऐसे पीड़ा हो रही है, जैसे वह प्रसव करने वाली स्त्री हो।”
44 यहोवा कहता है, “कभी यरदन नदी के पास की घनी झाड़ियों से एक सिंह निकलेगा।
वह सिंह उन खेतों में आएगा जहाँ लोग अपने जानवर रखते हैं और सब जानवर भाग जाएंगे।
मैं उस सिंह की तरह होऊँगा।
मैं बाबुल को, उसके देश से पीछा करके भगाऊँगा।
यह करने के लिये मैं किसे चुनूँगा कोई व्यक्ति मेरे समान नहीं है।
ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जो मुझे चुनौती दे सके।
अत: इसे मैं करूँगा।
कोई गडेरिया मुझे भगाने नहीं आएगा।
मैं बाबुल के लोगों को पीछा करके भगाऊँगा।”
45 बाबुल के साथ यहोवा ने जो करने की योजना बनाई है, उसे सुनो।
बाबुल लोगों के लिये यहोवा ने जो करने का निर्णय लिया है उसे सुनो।
दुश्मन दुध मुँहे को, बाबुल के समूह (लोगों) से खींच लेगा।
बाबुल के चरागाह, उनके कृत्यों के कारण खाली हो जायेंगे।
46 बाबुल का पतन होगा,
और वह पतन पृथ्वी को कंपकंपा देगा।
सभी राष्ट्रों के लोग
बाबुल के विध्वस्त होने के बारे में सुनेंगे।
51 यहोवा कहता है,
“मैं एक प्रचण्ड आँधी उठाऊँगा।
मैं इसे बाबुल और बाबुल के लोगों के विरुद्ध बहाऊँगा।
2 मैं बाबुल को ओसाने के लिये लोगों को भेंजूँगा।
वे बाबुल को ओसा देंगे।
वे लोग बाबुल को सूना बना देंगे।
सेनायें नगर का घेरा डालेंगी और भयंकर विध्वंस होगा।
3 बाबुल के सैनिक अपने धनुष—बाण का उपयोग नहीं कर पाएंगे।
वे सैनिक अपना कवच भी नहीं पहन सकेंगे।
बाबुल के युवकों के लिये दु:ख अनुभव न करो।
उसकी सेना को पूरी तरह नष्ट करो।
4 बाबुल के सैनिक कसदियों की भूमि में मारे जाएंगे।
वे बाबुल की सड़कों पर बुरी तरह घायल होंगे।”
5 सर्वशक्तिमान यहोवा ने इस्राएल व यहूदा के लोगों को विधवा सा अनाथ नहीं छोड़ा है।
परमेश्वर ने उन लोगों को नहीं छोड़ा।
नहीं वे लोग इस्राएल के पवित्रतम को छोड़ने के अपराधी हैं।
उन्होंने उसको छोड़ा किन्तु उसने इनको नहीं छोड़ा।
6 बाबुल से भाग चलो।
अपना जीवन बचाने के लिये भागो।
बाबुल के पापों के कारण वहाँ मत ठहरो और मारे न जाओ।
यह समय है जब यहोवा बाबुल के लोगों को उन बुरे कामों का दण्ड देगा जो उन्होंने किये।
बाबुल को दण्ड मिलेगा जो उसे मिलना चाहिए।
7 बाबुल यहोवा के हाथ का सुनहले प्याले जैसा था।
बाबुल ने पूरी पृथ्वी को मतवाला बना डाला।
राष्ट्रों ने बाबुल की दाखमधु पी।
अत: वे पागल हो उठे।
8 बाबुल का पतन होगा और वह अचानक टूट जाएगा।
उसके लिये रोओ!
उसकी पीड़ा की औषधि लाओ!
कदाचित् वह स्वस्थ हो जाये!
9 हमने बाबुल को स्वस्थ करने को प्रयत्न किया,
किन्तु वह स्वस्थ न हुआ।
अत: हम उसे छोड़ दे और अपने अपने देशों को लौट चले।
बाबुल का दण्ड आकाश का परमेश्वर निश्चित करेगा,
वह निर्णय करेगा कि बाबुल का क्या होगा।
वह बादलों के समान ऊँचा हो गया है।
10 यहोवा ने हम लोगों के लिये बदला लिया।
आओ इस बारे में सिय्योन में बतायें।
हम यहोवा हमारे परमेश्वर ने जो कुछ किया है उसके बारे में बतायें।
11 बाणों को तेज करो! ढाल ओढ़ो।
यहोवा ने मादी के राजाओं को जगा दिया है।
उसने उन्हें जगाया है क्योंकि वह बाबुल को नष्ट करना चाहता है।
यहोवा बाबुल के लोगों को वह दण्ड देगा जिसके वे पात्र हैं।
बाबुल की सेना ने यरूशलेम में यहोवा के मन्दिर को ध्वस्त किया था।
अत: यहोवा उन्हें वह दण्ड देगा जो उन्हें मिलना चाहिये।
12 बाबुल की दीवारों के विरुद्ध झण्डे उठा लो।
अधिक रक्षक लाओ।
चौकीदारों को उनके स्थान पर रखो।
एक गुप्त आक्रमण के लिये तैयार हो जाओ।
यहोवा वह करेगा जो उसने योजना बनाई है।
यहोवा वह करेगा जो उसने बाबुल के लोगों के विरुद्ध करने को कहा।
13 बाबुल तुम प्रभूत जल के पास हो।
तुम खजाने से पूर्ण हो।
किन्तु राष्ट्र के रूप में तुम्हारा अन्त आ गया है।
यह तुम्हें नष्ट कर देने का समय है।
14 सर्वशक्तिमान यहोवा ने यह प्रतिज्ञा अपना नाम लेकर की है:
“बाबुल मैं तुम्हें निश्चय ही असंख्य शत्रु सेना से भर दूँगा।
वे टिड्डी दल के समान होंगे।
वे सैनिक तुम्हारे विरुद्ध जीतेंगे और वे तुम्हारे ऊपर खड़े होंगे एवं अपना विजय घोष करेंगे।”
15 यहोवा ने अपनी महान शक्ति का उपयोग किया और पृथ्वी को बनाया।
उसने विश्व को बनाने के लिये अपनी बुद्धि का उपयोग किया।
उसने अपनी समझ का उपयोग आकाश को फैलाने में किया।
16 जब वह गरजता है तब आकाश का जल गरज उठता है।
वह सारी पृथ्वी से मेघों को ऊपर भेजता है।
वह वर्षा के साथ बिजली को भेजता है।
वह अपने भण्डार गृह से हवाओं को लाता है।
17 किन्तु लोग इतने बेवकूफ हैं।
वे नहीं समझते कि परमेश्वर ने क्या कर दिया है।
कुशल मूर्तिकार असत्य देवताओं की मूर्तियाँ बनाते हैं।
वे देवमूर्तियाँ केवल असत्य देवता हैं।
अत: वे प्रकट करती हैं कि वह मूर्तिकार कितना मूर्ख है।
वे देवमूर्तियाँ सजीव नहीं हैं।
18 वे देवमूर्तियाँ व्यर्थ हैं।
लोगों ने उन मूर्तियों को बनाया है और वे मजाक के अलावा कुछ नहीं हैं।
उनके न्याय का समय आएगा
और वे देवमूर्तियाँ नष्ट कर दी जाएंगी।
19 किन्तु याकूब का अँश (परमेश्वर) उन व्यर्थ देवमूर्तियों सा नहीं है।
लोगों ने परमेश्वर को नहीं बनाया, परमेश्वर ने लोगों को बनाया।
परमेश्वर ने ही सब कुछ बनाया।
उसका नाम सर्वशक्तिमान यहोवा है।
20 यहोवा कहता है, “बाबुल तुम मेरा युद्ध का हथियार हो,
मैं तुम्हारा उपयोग राष्ट्रों को कुचलने के लिये करता हूँ।
मैं तुम्हारा उपयोग राज्यों को नष्ट करने के लिये करता हूँ।
21 मैं तुम्हारा उपयोग घोड़े और घुड़सवार को कुचलने के लिये करता हूँ।
मैं तुम्हारा उपयोग रथ और सारथी को कुचलने के लिये करता हूँ।
22 मैं तुम्हारा उपयोग स्त्रियों और पुरुषों को कुचलने के लिये करता हूँ।
मैं तुम्हारा उपयोग वृद्ध और युवक को कुचलने के लिये करता हूँ।
मैं तुम्हारा उपयोग युवकों और युवतियों को कुचलने के लिये करता हूँ
23 मैं तुम्हारा उपयोग गडेरिये और रेवड़ों को कुचलने के लिये करता हूँ।
मैं तुम्हारा उपयोग किसान और बैलों को कुचलने के लिये करता हूँ।
मैं तुम्हारा उपयोग प्रशासकों और बड़े अधिकारियों को कुचलने के लिये करता हूँ।
24 किन्तु मैं बाबुल को उल्टा भुगतान करुँगा, मैं उन्हें सिय्योन के लिये उन्होंने जो बुरा किया, उन सबका भुगतान करुँगा।
यहूदा मैं उनको उल्टा भुगतान करुँगा जिससे तुम उसे देख सको।”
यहोवा ने यह सब कहा।
25 यहोवा कहता है,
“बाबुल, तुम पर्वत को गिरा रहे हो और मैं तुम्हारे विरुद्ध हूँ।
बाबुल, तुमने पूरा देश नष्ट किया है, और मैं तुम्हारे विरुद्ध हूँ।
मैं तुम्हारे विरुद्ध अपना हाथ बढ़ाऊँगा। मैं तुम्हें चट्टानों से लुढ़काऊँगा।
मैं तुम्हें जला हुआ पर्वत कर दूँगा।
26 लोगों को चक्की बनाने योग्य बड़ा पत्थर नहीं मिलेगा
बाबुल से लोग इमारतों की नींव के लिये कोई भी चट्टान नहीं ला सकेंगे।
क्यों क्योंकि तुम्हारा नगर सदैव के लिये चट्टानों के टुकड़ों का ढेर बन जाएगा।”
यह सब यहोवा ने कहा।
27 “देश में युद्ध का झण्डा उठाओ!
सभी राष्ट्रों में तुरही बजा दो!
राष्ट्रों को बाबुल के विरुद्ध युद्ध के लिये तैयार करो!
अरारात मिन्नी और अश्कनज राज्यों को बाबुल के विरुद्ध युद्ध के लिये बुलाओ।
उसके विरुद्ध सेना संचालन के लिये सेनापति चुनो।
सेना को उसके विरुद्ध भेजो।
इतने अधिक घोड़ों को भेजो कि वे टिड्डी दल जैसे हो जायें।
28 उसके विरुद्ध राष्ट्रों को युद्ध के लिये तैयार करो।
मादी के राजाओं को तैयार करो।
उनके प्रशासकों और उनके बड़े अधिकारियों को तैयार करो।
उनसे शासित सभी देशों को बाबुल के विरुद्ध युद्ध के लिये लाओ।
29 देश इस प्रकार काँपता है मानों पीड़ा भोग रहा हो।
यह काँपेगा जब यहोवा बाबुल के लिये बनाई योजना को पूरा करेगा।
यहोवा की योजना बाबुल को सूनी मरुभूमि बनाने की है।
कोई व्यक्ति वहाँ नहीं रहेगा।
30 कसदी सैनिकों ने लड़ना बन्द कर दिया है।
वे अपने दुर्गों में ठहरे हैं।
उनकी शक्ति क्षीण हो गई है।
वे भयभीत अबला से हो गये हैं।
बाबुल के घर जल रहे हैं।
उसके फाटकों के अवरोध टूट गए हैं।
31 एक के बाद दूसरा राजदूत आ रहा है।
राजदूत के पीछे राजदूत आ रहे हैं।
वे बाबुल के राजा को खबर सुना रहे हैं
कि उसके पूरे नगर पर अधिकार हो गया।
32 वे स्थान जहाँ से नदियों को पार किया जाता है अधिकार में कर लिये गये हैं।
दलदली भूमि जल रही है
बाबुल के सभी सैनिक भयभीत हैं।”
33 इस्राएल के लोगों का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है:
“बाबुल नगर एक खलिहान सा है।
फसल कटने के समय भूसे से अच्छा अन्न अलग करने के लिये लोग उंठल को पीटते हैं
और बाबुल को पीटने का समय शीघ्र आ रहा है।
34 “बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर ने अतीत में हमें नष्ट किया।
अतीत में नबूकदनेस्सर ने हमें चोट पहुँचाई।
अतीत में वह हमारे लोगों को ले गया और हम खाली घड़े से हो गए।
उसने हमारी सर्वोत्तम चीज़ें लीं।
वह विशाल दानव की तरह था जो तब तक सब कुछ खाता गया जब तक उसका पेट न भरा।
वह सर्वोत्तम चीज़ें ले गया, और हम लोगों को दूर फेंक दिया।
35 बाबुल ने हमें चोट पहुँचाने के लिये भयंकर काम किये और
अब मैं चाहता हूँ बाबुल के साथ वैसा ही घटित हो।”
सिय्योन में रहने वाले लोगों ने यह कहा,
“बाबुल हमारे लोगों को मारने के अपराधी हैं
और अब वे उन बुरे कामों के लिये दण्ड पा रहे हैं जो उन्होंने किये थे।”
यरूशलेम नगर ने यह सब कहा।
36 अत: यहोवा कहता है,
“यहूदा मैं तुम्हारी रक्षा करूँगा।
मैं यह निश्चय देखूँगा कि बाबुल को दण्ड मिले।
मैं बाबुल के समुद्र को सुखा दूँगा और मैं उसके पानी के सोतों को सुखा दूँगा।
37 बाबुल बरबाद इमारतों का ढेर बन जाएगा।
बाबुल जंगली कुत्तों के रहने का स्थान बनेगा।
लोग चट्टानों के ढेर को देखेंगे और चकित होंगे।
लोग बाबुल के बारे में अपना सिर हिलायेंगे।
बाबुल ऐसी जगह हो जायेगा जहाँ कोई भी नहीं रहेगा।
38 “बाबुल के लोग गरजते हुए जवान सिंह की तरह हैं।
वे सिंह के बच्चे की तरह गुरर्ाते हैं।
39 वे लोग उत्तेजित सिंहों का सा काम कर रहे हैं।
मैं उन्हें दावत दूँगा।
मैं उन्हें मत्त बनाऊँगा।
वे हँसेंगे और आनन्द का समय बितायेंगे
और तब वे सदैव के लिये सो जायेंगे।
वे कभी नहीं जागेंगे।”
यहोवा ने यह सब कहा।
40 “मैं बाबुल के लोगों को मार डाले जाने के लिये ले जाऊँगा।
बाबुल मारे जाने की प्रतीक्षा करने वाले भेड़, मेंमने और बकरियों जैसा होगा।
41 “शेशक पराजित होगा।
सारी पृथ्वी का उत्तम और सर्वाधिक गर्वीला देश बन्दी होगा।
अन्य राष्ट्रों के लोग बाबुल पर निगाह डालेंगे
और जो कुछ वे देखेंगे उससे वे भयभीत हो उठेंगे।
42 बाबुल पर सागर उमड़ पड़ेगा।
उसकी गरजती तरंगे उसे ढक लेंगी।
43 तब बाबुल के नगर बरबाद और सूने हो जायेंगे।
बाबुल एक सूखी मरुभूमि बन जाएगा।
यह ऐसा देश बनेगा जहाँ कोई मनुष्य नहीं रहेगा,
लोग बाबुल से यात्रा भी नहीं करेंगे।
44 मैं बेल देवता को बाबुल में दण्ड दूँगा।
मैं उसके द्वारा निगले व्यक्तियों को उगलवाऊँगा।
अन्य राष्ट्र बाबुल में नहीं आएंगे
और बाबुल नगर की चहारदीवारी गिर जायेगी।
45 मेरे लोगों, बाबुल नगर से बाहर निकलो।
अपना जीवन बचाने को भाग चलो।
यहोवा के तेज क्रोध से बच भागो।
46 “मेरे लोगों, दु:खी मत होओ।
अफवाहें उड़ेंगी किन्तु डरो नहीं।
इस वर्ष एक अफवाह उड़ती है।
अगले वर्ष दूसरी अफवाह उड़ेगी।
देश में भयंकर युद्ध के बारे में अफवाहें उड़ेंगी।
शासकों के दूसरे शासकों के विरुद्ध युद्ध के बारे में अफवाहें उड़ेंगी।
47 निश्चय ही वह समय आयेगा,
जब मैं बाबुल के असत्य देवताओं को दण्ड दूँगा
और पूरा बाबुल देश लज्जा का पात्र बनेगा।
उस नगर की सड़कों पर असंख्य मरे व्यक्ति पड़े रहेंगे।
48 तब पृथ्वी और आकाश और उसके भीतर की सभी चीज़ें
बाबुल पर प्रसन्न होकर गाने लगेंगे,
वे जय जयकार करेंगे, क्योंकि सेना उत्तर से आएगी
और बाबुल के विरुद्ध लड़ेगी।”
यह सब यहोवा ने कहा है।
49 “बाबुल ने इस्राएल के लोगों को मारा।
बाबुल ने पृथ्वी पर सर्वत्र लोगों को मारा।
अत: बाबुल का पतन अवश्य होगा।
50 लोगों, तुम तलवार के घाट उतरने से बच निकले,
तुम्हें शीघ्रता करनी चाहिये और बाबुल को छोड़ना चाहिये। प्रतीक्षा न करो।
तुम दूर देश में हो।
किन्तु जहाँ कहीं रहो यहोवा को याद करो
और यरूशलेम को याद करो।
51 “यहूदा के हम लोग लज्जित हैं।
हम लज्जित हैं क्योंकि हमारा अपमान हुआ।
क्यों? क्योंकि विदेशी यहोवा के मन्दिर के
पवित्र स्थानों में प्रवेश कर चुके हैं।”
52 यहोवा कहता है, “समय आ रहा है
जब मैं बाबुल की देवमूर्तियों को दण्ड दूँगा।
उस समय उस देश में
सर्वत्र घायल लोग पीड़ा से रोएंगे।
53 बाबुल उठता चला जाएगा जब तक वह आकाश न छू ले।
बाबुल अपने दुर्गों को दृढ़ बनायेगा।
किन्तु मैं उस नगर के विरुद्ध लड़ने के लिये लोगों को भेजूँगा
और वे लोग उसे नष्ट कर देंगे।”
यहोवा ने यह सब कहा।
54 “हम बाबुल में लोगों का रोना सुन सकते हैं।
हम कसदी लोगों के देश में चीज़ों को नष्ट करने वाले लोगों का शोर सुन सकते हैं।
55 यहोवा बहुत शीघ्र बाबुल को नष्ट करेगा।
वह नगर के उद्घोष को चुप कर देगा।
शत्रु सागर की गरजती तरंगों की तरह टूट पड़ेंगे।
चारों ओर के लोग उस गरज को सुनेंगे।
56 सेना आएगी और बाबुल को नष्ट करेगी।
बाबुल के सैनिक पकड़े जाएंगे।
उनके धनुष टूटेंगे। क्यों क्योंकि यहोवा उन लोगों को दण्ड देता है जो बुरा करते हैं।
यहोवा उन्हें पूरा दण्ड देता जिसके वे पात्र हैं।
57 मैं बाबुल के बड़े पदाधिकारियों
और बुद्धिमान लोगों को मत्त कर दूँगा।
मैं उसके प्रशासकों, अधिकारियों
और सैनिकों को भी मत्त करूँगा।
तब वे सदैव के लिये सो जायेंगे,
वे कभी नहीं जागेंगे।”
राजा ने यह कहा,
उसका नाम सर्वशक्तिमान यहोवा है।
58 सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है,
“बाबुल की मोटी और दृढ़ दीवार गिरा दी जाएगी।
इसके ऊँचे द्वार जला दिये जायेंगे।
बाबुल के लोग कठिन परिश्रम करेंगे
पर उसका कोई लाभ न होगा।
वे नगर को बचाने के प्रयत्न में बहुत थक जायेंगे,
किन्तु वे लपटों के केवल ईंधन होंगे।”
यिर्मयाह बाबुल को एक सन्देश भेजता है
59 यह वह सन्देश है जिसे यिर्मयाह ने सरायाह नामक अधिकारी को दिया। सरायाह नेरिय्याह का पुत्र था। नेरिय्याह महसेयाह का पुत्र था। सरायाह यहूदा के राजा सिदकिय्याह के साथ बाबुल गया था। यहूदा के राजा सिदकिय्याह के राज्यकाल के चौथे वर्ष में यह हुआ। उस समय यिर्मयाह ने सरायाह नामक अधिकारी को यह सन्देश दिया। 60 यिर्मयाह ने पत्रक पर उन सब भयंकर घटनाओं को लिख रखा था जो बाबुल में घटित होने वाली थीं। उसने यह सब बाबुल के बारे में लिख रखा था।
61 यिर्मयाह ने सरायाह से कहा, “सरायाह, बाबुल जाओ। निश्चय करो कि यह सन्देश तुम इस प्रकार पढ़ो कि सभी लोग सुन लें। 62 इसके बाद कहो, ‘हे यहोवा तूने कहा है कि तू इस बाबुल नामक स्थान को नष्ट करेगा। तू इसे ऐसे नष्ट करेगा कि कोई मनुष्य या जानवर यहाँ नहीं रहेगा। यह सदैव के लिये सूना और बरबाद स्थान हो जाएगा।’ 63 जब तुम पत्रक को पढ़ चुको तो इससे एक पत्थर बांधो। तब इस पत्रक को परात नदी में डाल दो। 64 तब कहो, ‘बाबुल इसी प्रकार डूबेगा। बाबुल फिर कभी नहीं उठेगा। बाबुल डूबेगा क्योंकि मैं वहाँ भयंकर विपत्तियाँ ढाऊँगा।’”
यिर्मयाह के शब्द यहाँ समाप्त हुए।
यरूशलेम का पतन
52 सिदकिय्याह जब यहूदा का राजा हुआ, वह इक्कीस वर्ष का था। सिदकिय्याह ने यरूशलेम में ग्यारह वर्ष तक राज्य किया उसकी माँ का नाम हमूतल था जो यिर्मयाह की पुत्री थी। हमूतल का परिवार लिब्ना नगर का था। 2 सिदकिय्याह ने बुरे काम किये, ठीक वैसे ही जैसे यहोयाकीम ने किये थे। यहोवा सिदकिय्याह द्वारा उन बुरे कामों का करना पसन्द नहीं करता था। 3 यरूशलेम और यहूदा के साथ भयंकर घटनायें घटी, क्योंकि यहोवा उन पर क्रोधित था। अन्त में यहोवा ने अपने सामने से यहूदा और यरूशलेम के लोगों को दूर फेंक दिया।
सिदकिय्याह बाबुल के राजा के विरुद्ध हो गया। 4 अत: सिदकिय्याह के शासनकाल के नौवें वर्ष के दसवें महीने के दसवें दिन बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर ने सेना के साथ यरूशलेम को कुच किया। नबूकदनेस्सर अपने साथ अपनी पूरी सेना लिए था। बाबुल की सेना ने यरूशलेम के बाहर डेरा डाला। इसके बाद उन्होंने नगर—प्राचीर के चारों ओर मिट्टी के टीले बनाये जिससे वे उन दीवारों पर चढ़ सकें। 5 सिदकिय्याह के राज्यकाल के ग्यारहवें वर्ष तक यरूशलेम नगर पर घेरा पड़ा रहा। 6 उस वर्ष के चौथे महीने के नौवें दिन भुखमरी की हालत बहुत खराब थी। नगर में खाने के लिये कुछ भी भोजन नहीं रह गया था। 7 उस दिन बाबुल की सेना यरूशलेम में प्रवेश कर गई। यरूशलेम के सैनिक भाग गए। वे रात को नगर छोड़ भागे। वे दो दीवारों के बीच के द्वार से गए। द्वार राजा के उद्यान के पास था। यद्यपि बाबुल की सेना ने यरूशलेम नगर को घेर रखा था तो भी यरूशलेम के सैनिक भाग निकले। वे मरुभूमि की ओर भागे।
8 किन्तु बाबुल की सेना ने सिदकिय्याह का पीछा किया। उन्होंने उसे यरीहो के मैदान में पकड़ा। सिदकिय्याह के सभी सैनिक भाग गए। 9 बाबुल की सेना ने राजा सिदकिय्याह को पकड़ लिया। वे रिबला नगर में उसे बाबुल के राजा के पास ले गए। रिबला हमात देश में है। रिबला में बाबुल के राजा ने सिदकिय्याह के बारे में अपना निर्णय सुनाया। 10 वहाँ रिबला नगर में बाबुल के राजा ने सिदकिय्याह के पुत्रों को मार डाला। सिदकिय्याह को अपने पुत्रों का मारा जाना देखने को विवश किया गया। बाबुल के राजा ने यहूदा के राजकीय पदाधिकारियों को भी मार डाला। 11 तब बाबुल के राजा ने सिदकिय्याह की आँखे निकाल लीं। उसने उसे काँसे की जंजीर पहनाई। तब वह सिदकिय्याह को बाबुल ले गया। बाबुल में उसने सिदकिय्याह को बन्दीगृह में डाल दिया। सिदकिय्याह अपने मरने के दिन तक बन्दीगृह में रहा।
12 बाबुल के राजा के विशेष रक्षकों का अधिनायक नबूजरदान यरूशलेम आया। नबूकदनेस्सर के राज्यकाल के उन्नीसवें वर्ष के पाँचवें महीने के दसवें दिन यह हुआ। नबूजरदान बाबुल का महत्वपूर्ण अधिनायक था। 13 नबूजरदान ने यहोवा के मन्दिर को जला डाला। उसने राजमहल तथा यरूशलेम के अन्य घरों को भी जला दिया। 14 पूरी कसदी सेना ने यरूशलेम की चाहरदीवारी को तोड़ गिराया। यह सेना उस समय राजा के विशेष रक्षकों के अधिनायक के अधीन थी। 15 अधिनायक नबूजरदान ने अब तक यरूशलेम में बचे लोगों को भी बन्दी बना लिया। वह उन्हें भी ले गया जिन्होंने पहले ही बाबुल के राजा को आत्मसमर्पण कर दिया था। वह उन कुशल कारीगरों को भी ले गया जो यरूशलेम में बचे रह गए थे। 16 किन्तु नबूजरदान ने कुछ अति गरीब लोगों को देश में पीछे छोड़ दिया था। उसने उन लोगों को अंगूर के बागों और खेतों में काम करने के लिए छोड़ा था।
17 कसदी सेना ने मन्दिर के काँसे के स्तम्भों को तोड़ दिया। उन्होंने यहोवा के मन्दिर के काँसे के तालाब और उसके आधार को भी तोड़ा। वे उस सारे काँसे को बाबुल ले गए। 18 बाबुल की सेना इन चीज़ों को भी मन्दिर से ले गई: बर्तन, बेलचे, दीपक जलाने के यन्त्र, बड़े कटोरे, कड़ाहियाँ और काँसे की वे सभी चीज़ें जिनका उपयोग मन्दिर की सेवा में होता था। 19 राजा के विशेष रक्षकों का अधिनायक इन चीजों को ले गया: चिलमची, अंगीठियाँ, बड़े कटोरे, बर्तन, दीपाधार, कड़ाहियाँ और दाखमधु के लिये काम में आने वाले पड़े प्याले। वह उन सभी चीज़ों को जो सोने और चाँदी की बनी थीं, ले गया। 20 दो स्तम्भ सागर तथा उसके नीचे के बारह काँसे के बैल तथा सरकने वाले आधार बहुत भारी थे। राजा सुलैमान ने यहोवा के मन्दिर के लिये ये चीज़ें बनायी थी। वह काँसा जिससे वे चीज़ें बनी थीं, इतना भारी था कि तौला नहीं जा सकता था।
21 काँसे का हर एक स्तम्भ अट्ठारह हाथ ऊँचा था। हर एक स्तम्भ बारह हाथपरिधि वाला था। हर एक स्तम्भ खोखला था। हर एक स्तम्भ की दीवार चार ईंच मोटी थी। 22 पहले स्तम्भ के ऊपर जो काँसे का शीर्ष था वह पाँच हाथ ऊँचा था। यह चारों ओर जाल के अलंकरण और काँसे के अनार से सजा था। अन्य स्तम्भों पर भी अनार थे। यह पहले स्तम्भ की तरह था। 23 स्तम्भों की बगल में छियानवे अनार थे। स्तम्भों के चारों ओर बने जाल के अलंकार पर सब मिला कर सौ अनार थे।
24 राजा के विशेष रक्षकों का अधिनायक सरायाह और सपन्याह को बन्दी के रूप में ले गया। सरायाह महायाजक था और सपन्याह उससे दूसरा। तीन चौकीदार भी बन्दी बनाए गए। 25 राजा के विशेष रक्षकों का अधिनायक लड़ने वाले व्यक्तियों के अधीक्षक को भी ले गया। उसने राजा के सात सलाहकारों को भी बन्दी बनाया। वे लोग उस समय तक यरूशलेम में थे। उसने उस शास्त्री को भी लिया जो व्यक्तियों को सेना में रखने का अधिकारी था और उसने साठ साधारण व्यक्तियों को लिया जो तब तक नगर में थे। 26-27 अधिनायक नबूजरदान ने उन सभी अधिकारियों को लिया। वह उन्हें बाबुल के राजा के सामने लाया। बाबुल का राजा रिबला नगर में था। रिबला हमात देश में है। वहाँ उस रिबला नगर में राजा ने उन अधिकारियों को मार डालने का आदेश दिया।
इस प्रकार यहूदा के लोग अपने देश से ले जाए गए। 28 इस प्रकार नबूकदनेस्सर बहुत से लोगों को बन्दी बनाकर ले गया।
राजा नबूकदनेस्सर के शासन के सातवें वर्ष में:
यहूदा के तीन हज़ार तेईस पुरुष।
29 नबूकदनेस्सर के शासन के अट्ठारहवें वर्ष में: यरूशलेम से आठ सौ बत्तीस लोग।
30 नबूकदनेस्सर के शासन के तेईसवें वर्ष में: नबूजरदान ने यहूदा के सात सौ पैंतालीस व्यक्ति बन्दी बनाए। नबूजरदान राजा के विशेष रक्षकों का अधिनायक था।
सब मिलाकर चार हज़ार छ: सौ लोग बन्दी बनाए गए थे।
यहोयाकीम स्वतन्त्र किया जाता है
31 यहूदा का राजा यहोयाकीम सैंतीस वर्ष, तक बाबुल के बन्दीगृह में बन्दी रहा। उसके बन्दी रहने के सैंतीसवें वर्ष, बाबुल का राजा एबीलमरोदक यहोयाकीम पर बहुत दयालु रहा। उसने यहोयाकीम को उस वर्ष बन्दीगृह से बाहर निकाला। यह वही वर्ष था जब एबीलमरोदक बाबुल का राजा हुआ। एबीलमरोदक ने यहोयाकीम को बारहवें महीने के पच्चीसवें दिन बन्दीगृह से छोड़ दिया। 32 एबीलमरोदक ने यहोयाकीम से दयालुता से बातें कीं। उसने यहोयाकीम को उन अन्य राजाओं से उच्च सम्मान का स्थान दिया जो बाबुल में उसके साथ थे। 33 अत: यहोयाकीम ने अपने बन्दी के वस्त्र उतारे। शेष जीवन में वह नियम से राजा की मेज पर भोजन करता रहा। 34 बाबुल का राजा प्रतिदिन उसे स्वीकृत धन देता था। यह तब तक चला जब तक यहोयाकीम मरा नहीं।
अपने विनाश पर यरूशलेम का विलाप
1 एक समय वह था जब यरूशलेम में लोगों की भीड़ थी।
किन्तु आज वही नगरी उजाड़ पड़ी हुई हैं!
एक समय वह था जब देशों के मध्य यरूशलेम महान नगरी थी!
किन्तु आज वही ऐसी हो गयी है जैसी कोई विधवा होती है!
वह समय था जब नगरियों के बीच वह एक राजकुमारी सी दिखती थी।
किन्तु आज वही नगरी दासी बना दी गयी है।
2 रात में वह बुरी तरह रोती है
और उसके अश्रु गालों पर टिके हुए है!
उसके पास कोई नहीं है जो उसको ढांढस दे।
उसके मित्र देशों में कोई ऐसा नहीं है जो उसको चैन दे।
उसके सभी मित्रों ने उससे मुख फेर लिया।
उसके मित्र उसके शत्रु बन गये।
3 बहुत कष्ट सहने के बाद यहूदा बंधुआ बन गयी।
बहुत मेहनत के बाद भी यहूदा दूसरे देशों के बीच रहती है,
किन्तु उसने विश्राम नहीं पाया है।
जो लोग उसके पीछे पड़े थे,
उन्होंने उसको पकड़ लिया।
उन्होंने उसको संकरी घाटियों के बीच में पकड़ लिया।
4 सिय्योन की राहें बहुत दु:ख से भरी हैं।
वे बहुत दु:खी हैं क्योंकि अब उत्सव के दिनों के हेतु
कोई भी व्यक्ति सिय्योन पर नहीं जाता है।
सिय्योन के सारे द्वार नष्ट कर दिये गये है।
सिय्योन के सब याजक दहाड़ें मारते हैं।
सिय्योन की सभी युवा स्त्रियाँ उससे छीन ली गयी हैं
और यह सब कुछ सिय्योन का गहरा दु:ख है।
5 यरूशलेम के शत्रु विजयी हैं।
उसके शत्रु सफल हो गये हैं,
ये सब इसलिये हो गया क्योंकि यहोवा ने उसको दण्ड दिया।
उसने यरूशलेम के अनगिनत पापों के लिये उसे दण्ड दिया।
उसकी संताने उसे छोड़ गयी।
वे उनके शत्रुओं के बन्धन में पड़ गये।
6 सिय्योन की पुत्री की सुंदरता जाती रही है।
उसकी राजकन्याएं दीन हरिणी सी हुई।
वे वैसी हरिणी थीं जिनके पास चरने को चरागाह नहीं होती।
बिना किसी शक्ति के वे इधर—उधर भागती हैं।
वे ऐसे उन व्यक्तियों से बचती इधर—उधर फिरती हैं जो उनके पीछे पड़े हैं।
7 यरूशलेम बीती बात सोचा करती है,
उन दिनों की बातें जब उस पर प्रहार हुआ था और वह बेघर—बार हुई थी।
उसे बीते दिनों के सुख याद आते थे।
वे पुराने दिनों में जो अच्छी वस्तुएं उसके पास थीं, उसे याद आती थीं।
वह ऐसे उस समय को याद करती है
जब उसके लोग शत्रुओं के द्वारा बंदी किये गये।
वह ऐसे उस समय को याद करती है
जब उसे सहारा देने को कोई भी व्यक्ति नहीं था।
जब शत्रु उसे देखते थे, वे उसकी हंसी उड़ाते थे।
वे उसकी हंसी उड़ाते थे क्योंकि वह उजड़ चुकी थी।
8 यरूशलेम ने गहन पाप किये थे।
उसने पाप किये थे कि जिससे वह ऐसी वस्तु हो गई
कि जिस पर लोग अपना सिर नचाते थे।
वे सभी लोग उसको जो मान देते थे,
अब उससे घृणा करने लगे।
वे उससे घृणा करने लगे क्योंकि उन्होंने उसे नंगा देख लिया है।
यरूशलेम दहाड़े मारती है
और वह मुख फेर लेती है।
9 यरूशलेम के वस्त्र गंदे थे।
उसने नहीं सोचा था कि उसके साथ क्या कुछ घटेगा।
उसका पतन विचित्र था, उसके पास कोई नहीं था जो उसको शांति देता।
वह कहा करती है, “हे यहोवा, देख मैं कितनी दु:खी हूँ!
देख मेरा शत्रु कैसा सोच रहा है कि वह कितना महान है!”
10 शत्रु ने हाथ बढ़ाया और उसकी सब उत्तर वस्तु लूट लीं।
दर असल उसने वे पराये देश उसके पवित्र स्थान में भीतर प्रवेश करते हुये देखे।
हे यहोवा, यह आज्ञा तूने ही दी थी कि वे लोग तेरी सभा में प्रवेश नहीं करेंगे!
11 यरूशलेम के सभी लोग कराह रहे हैं, उसके सभी लोग खाने की खोज में है।
वे खाना जुटाने को अपने मूल्यवान वस्तुयें बेच रहे हैं।
वे ऐसा करते हैं ताकि उनका जीवन बना रहे।
यरूशलेम कहता है, “देख यहोवा, तू मुझको देख!
देख, लोग मुझको कैसे घृणा करते है।
12 मार्ग से होते हुए जब तुम सभी लोग मेरे पास से गुजरते हो तो ऐसा लगता है जैसे ध्यान नहीं देते हो।
किन्तु मुझ पर दृष्टि डालो और जरा देखो,
क्या कोई ऐसी पीड़ा है जैसी पीड़ा मुझको है
क्या ऐसा कोई दु:ख है जैसा दु:ख मुझ पर पड़ा है
क्या ऐसा कोई कष्ट है जैसे कष्ट का दण्ड यहोवा ने मुझे दिया है
उसने अपने कठिन क्रोध के दिन पर मुझको दण्डित किया है।
13 यहोवा ने ऊपर से आग को भेज दिया और वह आग मेरी हड्डियों के भीतर उतरी।
उसने मेरे पैरों के लिये एक फंदा फेंका।
उसने मुझे दूसरी दिशा में मोड़ दिया है।
उसने मुझे वीरान कर डाला है।
सारे दिन मैं रोती रहती हूँ।
14 “मेरे पाप मुझ पर जुए के समान कसे गये।
यहोवा के हाथों द्वारा मेरे पाप मुझ पर कसे गये।
यहोवा का जुआ मेरे कन्धों पर है।
यहोवा ने मुझे दुर्बल बना दिया है।
यहोवा ने मुझे उन लोगों को सौंपा जिनके सामने मैं खड़ी नहीं हो सकती।
15 “यहोवा ने मेरे सभी वीर योद्धा नकार दिये।
वे वीर योद्धा नगर के भीतर थे।
यहोवा ने मेरे विरुद्ध में फिर एक भीड़ भेजी,
वह मेरे युवा सैनिक को मरवाने उन लोगों को लाया था।
यहोवा ने मेरे अंगूर गरठ में कुचल दिये।
वह गरठ यरूशलेम की कुमारियों का होता था।
16 “इन सभी बातों को लेकर मैं चिल्लाई।
मेरे नयन जल में डूब गये।
मेरे पास कोई नहीं मुझे चैन देने।
मेरे पास कोई नहीं जो मुझे थोड़ी सी शांति दे।
मेरे संताने ऐसी बनी जैसे उजाड़ होता है।
वे ऐसे इसलिये हुआ कि शत्रु जीत गया था।”
17 सिय्योन अपने हाथ फैलाये हैं।
कोई ऐसा व्यक्ति नहीं था जो उसको चैन देता।
यहोवा ने याकूब के शत्रुओं को आज्ञा दी थी।
यहोवा ने उसे घेर लेने की आज्ञा दी थी।
यरूशलेम ऐसी हो गई जैसी कोई अपवित्र वस्तु थी।
18 यरूशलेम कहा करती है,
“यहोवा तो न्यायशील है
क्योंकि मैंने ही उस पर कान देना नकारा था।
सो, हे सभी व्यक्तियों, सुनो!
तुम मेरा कष्ट देखो!
मेरे युवा स्त्री और पुरुष बंधुआ बना कर पकड़े गये हैं।
19 मैंने अपने प्रेमियों को पुकारा।
किन्तु वे आँखें बचा कर चले गये।
मेरे याजक और बुजुर्ग मेरे नगर में मर गये।
वे अपने लिये भोजन को तरसते थे।
वे चाहते थे कि वे जीवित रहें।
20 “हे यहोवा, मुझे देख! मैं दु:ख में पड़ी हूँ!
मेरा अंतरंग बेचैन है!
मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मेरा हृदय उलट—पलट गया हो!
मुझे मेरे मन में ऐसा लगता है क्योंकि मैं हठी रही थी!
गलियों में मेरे बच्चों को तलवार ने काट डाला है।
घरों के भीतर मौत का वास था।
21 “मेरी सुन, क्योंकि मैं कराह रही हूँ!
मेरे पास कोई नहीं है जो मुझको चैन दे,
मेरे सब शत्रुओं ने मेरी दु:खों की बात सुन ली है।
वे बहुत प्रसन्न हैं।
वे बहुत ही प्रसन्न हैं क्योंकि तूने मेरे साथ ऐसा किया।
अब उस दिन को ले आ
जिसकी तूने घोषणा की थी।
उस दिन तू मेरे शत्रुओं को वैसी ही बना दे जैसी मैं अब हूँ।
22 “मेरे शत्रुओं का बंदी तू अपने सामने आने दे।
फिर उनके साथ तू वैसा ही करेगा
जैसा मेरे पापों के बदले में तूने मेरे साथ किया।
ऐसा कर क्योंकि मैं बार बार कराह रहा।
ऐसा कर क्योंकि मेरा हृदय दुर्बल है।”
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