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Bible in 90 Days

An intensive Bible reading plan that walks through the entire Bible in 90 days.
Duration: 88 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
लैव्यव्यवस्था 14:33-26:26

घर में लगी फफूँदी के लिए नियम

33 यहोवा ने मूसा और हारून से यह भी कहा, 34 “मैं तुम्हारे लोगों को कनान देश दे रहा हूँ। तुम्हारे लोग इस भूमि पर जाएंगे। उस समय मैं हो सकता है, कुछ लोगों के घरों में फफूँदी लगा दूँ। 35 तो उस घर के मालिक को याजक के पास आकर कहना चाहिए, ‘मैंने अपने घर में फफूँदी जैसी कोई चीज देखी है।’

36 “तब याजक को आदेश देना चाहिए कि घर को खाली कर दिया जाय। लोगों को याजक के फफूँदी देखने जाने से पहले ही यह करना चाहिए। इस तरह घर की सभी चीज़ों को याजक को असुद्ध नहीं कहना पड़ेगा। लोगों द्वारा घर खाली कर दिए जाने पर याजक घर में देखने जाएगा। 37 याजक फफूँदी को देखेगा। यदि फफूँदी ने घर की दीवारों पर हरे या लाल रंग के चकत्ते बना दिए हैं और फफूँदी दीवार की सतह पर बढ़ रही है, 38 तो याजक को घर से बाहर निकल आना चाहिए और सात दिन तक घर बन्द कर देना चाहिए।

39 “सातवें दिन, याजक को वहाँ लौटना चाहिए और घर की जाँच करनी चाहिए। यदि घर की दीवारों पर फफूँदी फैल गई हो 40 तो याजक को लोगों को आदेश देना चाहिए कि वे फफूँदी सहित पत्थरों को उखाड़ें और उन्हें दूर फेंग दें। उन्हें उन पत्थरों को नगर से बाहर विशेष अशुद्ध स्थान पर फेंकना चाहिए। 41 तब याजक को पूरे घर को अन्दर से खुरचवा डालना चाहिए। लोगों को उस लेप को जिसे उन्होंने खुरचा है, फेंक देना चाहिए। उन्हें उस लेप को नगर के बाहर विशेष अशुद्ध स्थान पर डालना चाहिए। 42 तब उस व्यक्ति को नए पत्थर दीवारों में लगाने चाहिए और उसे उन दीवारों को नए लेप से ढक देना चाहिए।

43 “सम्भव है कोई व्यक्ति पुराने पत्थरों और लेप को निकाल कर नेये पत्थरों और लेप को लगाए और सम्भव है वह फफूँदी उस घर में फिर प्रकट हो। 44 तब याजक को आकर उस घर की जाँच करनी चाहिए। यदि फफूँदी घर में फैल गई हो तो यह रोग है जो दूसरी जगहों में जल्दी से फैलता है। अत: घर अशुद्ध है। 45 उस व्यक्ति को वह घर गिरा देना चाहिए। उन्हें सारे पत्थर, लेप तथा अन्य लकड़ी के टुकड़ों को नगर से बाहर अशुद्ध स्थान पर ले जाना चाहिए 46 और कोई व्यक्ति जो उसमें जाता है, सन्ध्या तक अशुद्ध रहेगा। 47 यदि कोई व्यक्ति उसमें भोजन करता है या उसमें सोता है तो उस व्यक्ति को अपने वस्त्र धोने चाहिए।

48 “घर में नये पत्थर और लेप लगाने के बाद याजक को घर की जाँच करनी चाहिए। यदि फफूँदी घर में नहीं फैली है तो याजक घोषणा करेगा कि घर शुद्ध है। क्यों? क्योंकि फफूँदी समाप्त हो गई है!

49 “तब, घर को शुद्ध करने के लिए याजक को दो पक्षी, एक देवदारू की लकड़ी, एक लाल कपड़े का टुकड़ा और जूफा का पैधा लेना चाहिए। 50 याजक बहते पानी के ऊपर मिट्टी के कटोरे में एक पक्षी को मारेगा। 51 तब याजक देवदारू की लकड़ी, जूफा का पौधा, लाल कपड़े का टुकड़ा और जीवित पक्षी को लेगा। याजक बहते जल के ऊपर मारे गए पक्षी के खून में उन चीज़ों को डुबाएगा। तब याजक उस खून को उस घर पर सात बार छिड़केगा। 52 इस प्रकार याजक उन चीज़ों का उपयोग घर को शुद्ध करने के लिए करेगा। 53 याजक खुले मैदान में नगर के बाहर जाएगा और पक्षी को उड़ा देगा। इस प्रकार याजक घर को शुद्ध करेगा। घर शुद्ध हो जाएगा।”

54 वे नियम भयानक चर्मरोग के, 55 घर या कपड़े के टुकड़ों पर की फफूँदी के बारे में हैं। 56 वे नियम सूजन, फुंसियों या चर्मरोग पर सफेद दाग से सम्बन्धित हैं। 57 वे नियम सिखाते हैं कि चीजें कब अशुद्ध हैं तथा कब शुद्ध हैं। वे नियम उस प्रकार की बिमारियों से सम्बन्धित हैं।

शरीर से बहने वाले स्रावों के नियम

15 यहोवा ने मूसा और हारून से कहा, “इस्राएल के लोगों से कहोः जब किसी व्यक्ति के शरीर से धात का स्राव होता है तब वह व्यक्ति अशुद्ध होता है। वह धात शरीर से खुला बहता है या शरीर उसे बहने से रोक देता है इसका कोई महत्व नहीं।

“यदि धात त्याग करने वाला बिस्तर पर सोया रहत है तो वह बिस्तर अशुद्ध हो जाता है। जिस चीज़ पर भी वह बैठता है वह अशुद्ध हो जाता है। यदि कोई व्यक्ति उसके बिस्तर को छूता भी है तो उसे अपने वस्त्रों को धोना और पानी से नहाना चाहिए। वह सन्ध्या तक अशुद्ध रहेगा। यदि कोई व्यक्ति उस चीज़ पर बैठता है जिस पर धात त्याग करने वाला व्यक्ति बैठा हो तो उसे अपने वस्त्र धोना और बहते पानी में नहाना चाहिये वह सन्ध्या तक अशुद्ध रहेगा। यदि कोई व्यक्ति उस व्यक्ति को छूता है जिसने धात त्याग किया है तो उसे अपने वस्त्रों को धोना चाहिए तथा बहते पानी में नहाना चाहिए। वह सन्ध्या तक अशुद्ध रहेगा। यदि धात त्याग करने वाला व्यक्ति किसी शुद्ध व्यक्ति पर थूकता है तो शुद्ध व्यक्ति को अपने वस्त्र धोने चाहिए तथा नहाना चाहिए। यह व्यक्ति सन्ध्या तक अशुद्ध रहेगा। पशु पर बैठने की कोई काठी जिस पर धात त्याग करने वाला व्यक्ति बैठा हो तो वह अशुद्ध हो जाएगी। 10 इसलिए कोई व्यक्ति जो धात त्याग करने वाले व्यक्ति के नीचे रहने वाली किसी चीज़ को छूता है, सन्ध्या तक अशुद्ध रहेगा। जो व्यक्ति धात त्याग करने वाले व्यक्ति के नीचे की चीज़ें ले जाता है उसे अपने पस्त्रों को धोना चाहिए तथा बहते पानी में नहाना चाहिए। वह सन्ध्या तक अशुद्ध रहेगा। 11 यह सम्भव है कि धात त्याग करने वाल व्यक्ति पानी में हाथ धोए बिना किसी अनय् व्यक्ति को छूए। तब दूसरा व्यक्ति अपने वस्त्रों को धोए और बहते पानी में नहाए। वह सन्ध्या तक अशुद्ध रहेगा।

12 “धात त्याग करने वाला व्यक्ति यदि मिट्टी का कटोरा छूए तो वह कटोरा फोड़ देना चाहिए। यदि धात त्याग करने वाला व्यक्ति कोई लकड़ी का कटोरा छूए तो उस कटोरे को बहते पानी में अच्छी तरह धोना चाहिए।

13 “जब धात त्याग करने वाला कोई व्यक्ति अपने धात त्याग से शुद्ध किया जाता है तो उसे अपनी शुद्धि के लिए उस दिन से सात दिन गिनने चाहिए। तब उसे अपने वस्त्र दोने चाहिए और बहते पानी में नहाना चाहिए। वह शुद्ध हो जाएगा। 14 आठवें दिन उस व्यक्ति को दो फ़ाख्ते या दो कबूतर के बच्चे लेने चाहिए। उसे मिलापवाले तम्बू के द्वार पर यहोवा के सामने आना चाहिए। वह व्यक्ति दो पक्षी याजक को देगा। 15 याजक पक्षियों की बलि चढ़ाएगा। एक को पापबलि के लिए तथा दूसरे को होमबलि के लिये। इस प्रकार याजक इस व्यक्ति को यहोवा के सामने उस के धात त्याग से हुई अशुद्धता से शुद्ध करेगा।

16 “यदि व्यक्ति का वीर्य निकल जाता है तो उसे सम्पूर्ण शरीर से बहते पानी में नहाना चाहिए। वह सन्ध्या तक अशुद्ध रहेगा। 17 यदि वीर्य किसी वस्त्र या चमड़े पर गिरे तो वह वस्त्र या चमड़ा पानी में धोना चाहिए। यह सन्ध्या तक अशुद्ध रहेगा। 18 यदि कोई व्यक्ति किसी स्त्री के साथ सोता है और वीर्य निकलता है तो स्त्री पुरुष दोनों को बहते पानी में नहाना चाहिए। वे सन्ध्या तक अशुद्ध रहेंगे।

19 “यदि कोई स्त्री मासिक रक्त स्राव के समय मासिक धर्म से है तो वह सात दिन तक अशुद्ध रहेगी। यदि कोई व्यक्ति उसे छूता है तो वह व्यक्ति सन्ध्या तक अशुद्ध रहेगा। 20 अपने मासिकधर्म के समय स्त्री जिस किसी चीज़ पर लेटेगी, वह भी अशुद्ध होगी और उस समय में जिस चीज़ पर वह बैठेगी, वह भी अशुद्ध होगी। 21 यदि कोई व्यक्ति उस स्त्री के बिस्तर को छूता है तो उसे अपने वस्त्रों को बहते पानी में धोना और नहाना चाहिए। वह सन्धया तक अशुद्ध रहागा। 22 यदि कोई व्यक्ति उस चीज़ को छूता है जिस पर वह स्त्री बैठी हो तो उस व्यक्ति को अपने वस्त्र बहते पानी में धोने चाहिए और नहाना चाहिए। वह सन्ध्या तक अशुद्ध रहाग। 23 वह व्यक्ति स्त्रिी के बिस्तर को छूता है या उस चीज़ को छूता है जिस पर वह बैठी हो, तो वह व्यक्ति सन्ध्या तक अशुद्ध रहेगा।

24 “यदि कोई व्यक्ति किसी स्त्री के साथ मासिक धर्म के समय यौन सम्बन्ध करता है तो वह व्यक्ति सात दिन तक अशुद्ध रहेगा। हर एक बिस्तर जिस पर वह सोता है, अशुद्ध होगा।

25 “यदि किसी स्त्री को कई दिन तक रक्त स्राव रहता है जो उसके मासिकधर्म के समय नहीं होता, या निश्चित समय के बाद मासिकधर्म होता है तो वह उसी प्रकार अशुद्ध होगी जिस प्रकार मासिकधर्म के समय और तब तक अशुद्ध रहेगी जब तक रहेगा।

26 “पूरे रक्त स्राव के समय वह स्त्री जिस बिस्तर पर लेटेगी, वह वैसा ही होगा जैसा मासिकधर्म के समय। जिस किसी चीज़ पर वह स्त्री बैठेगी, वह वैसे ही अशुद्ध होगी जैसे वह मासिकधर्म से अशुद्ध होती है। 27 यदि कोई व्यक्ति उन चीज़ों को छूता है तो वह अशुद्ध होगा। इस व्यक्ति को बहते पानी से अपने कपड़े धोने चाहिए तथा नाहाना चाहिए। वह सन्ध्या तक अशुद्ध रहेगा। 28 उसके बाद जब स्त्री अपने मासिकधर्म से अशुद्ध हो जाती है तब से उसे सात दिन गिनने चाहिए। इसके बाद वह शुद्ध होगी। 29 फिर आठवें दिन उसे दो फ़ाख्ते और दो कबूतर के बच्चे लेने चाहिए। उसे उन्हें मिलापवाले तम्बू के द्वार पर याजक के पास लाना चाहिए। 30 तब याजक को एक पक्षी पापबलि के रूप में तथा दूसरे को होमबलि के रूप में चढ़ाना चाहिए। इस प्रकार वह याजक उसे यहोवा के सामने उसके स्राव से उत्पन्न अशुद्धि से शुद्ध करेगा।

31 “इसलिए तुम इस्राएल के लोगों को अशुद्ध होने और उनको अशुद्धि से दूर रहने के बारे में सावधान करना। यदि तुम लोगों को सावधान नहीं करते तो वे मेरे पवित्र तम्बू को अशुद्ध कर सकते हैं और तब उन्हें मरना होगा!”

32 ये नियम धात त्याग करने वाले लोगों के लिए हैं। ये नियम उन व्यक्तियों के लिए हैं जो वीर्य के शरीर से बाहर निकलने से अशुद्ध होते हैं 33 और ये नियम उन स्त्रियों के लिए हैं जो अपने मासिकधर्म के रक्त स्राव के समय अशुद्ध होती है और वे नियम उन पुरुषों के लिए हैं जो अशुद्ध स्त्रियों के साथ सोने से अशुद्ध होते हैं।

पाप से निस्तार का दिन

16 हारून के दो पुत्र यहोवा को सुगन्ध भेंट चढ़ाते समय मर गए थे। फिर यहोवा ने मूसा से कहा, “अपने भाई हारून से बात करो कि वह जब चाहे तब पर्दे के पीछे महापवित्र स्थान में नहीं जा सकता है। उस पर्दे के पीछे जो कमरा है उसमें पवित्र सन्दूक रखा है। उस पवित्र सन्दूक के ऊपर उसका विशेष ढक्कन लगा है। उस विशेष ढक्कन के ऊपर एक बादल में मैं प्रकट होता हूँ। यदि हारून उस कमरे में जाता है तो वह मर जायेगा!

“पाप से निस्तार के दिन पवित्र स्थान में जाने के पहले हारून को पापबलि के रूप में एक बछड़ा और होमबलि के लिए एक मेढ़ा भेंट करना चाहिए। हारून अपने पूरे शरीर को पानी डालकर धोएगा। तब हारून इन वस्त्रों को पहनेगा: हारून पवित्र सन के वस्त्र पहनेगा। सन के निचले वस्त्र शरीर से सटे होगें। उसकी पेटी सन का पटुका होगी। हारून सन की पगड़ी बाँधेगा। ये पवित्र वस्त्र हैं।

“हारून को इस्राएल के लोगों से दो बकरे पापबलि के रूप में और एक मेढ़ा होमबलि के लिए लेना चाहिए। तब हारून बैल की पापबलि चढ़ाएगा। यह पापबलि उसके अपने लिए और उसेक परिवार के लिए है। तब हारून वह उपासना करेगा जिसमें वह और उसका परिवार शुद्ध होंगे।

“इसके बाद हारून दो बकरे लेगा और मिलापवाले तमबू के द्वार पर यहोवा के सामने लाएगा। हारून दोनों बकरों के लिए चिट्ठी डालेगा। एक चिट्ठी यहोवा के लिए होगी। दूसरी चिट्ठी अजाजेल के लिए होगी।

“तब हारून चिट्ठी डालकर यहोवा के लिए चुने गए बकरे की भेंट चढ़ाएगा। हारून को इस बकरे को पापबलि के लिये चढ़ाना चाहिए। 10 किन्तु चिट्ठी डालकर अजाजेल के लिए चुना गया बकरा यहोवा के सामने जीवित लाया जाना चाहिए। याजक उसे शुद्ध बनाने के लिये उपासना करेगा। तब यह बकरा मरुभूमि में अजाजेल के पास भेजा जाएगा।

11 “तब हारून अपने लिये बैल को पापबलि के रूप में चढ़ाएगा। हारून अपने आप को और अपने परिवार को शुद्ध करेगा। हारुन बैल को अपने लिए पापबलि के रूप में मारेगा। 12 तब उसे आग के लिए एक तसला वेदी के अंगारों से भरा हुआ यहोवा के सामने लाना चाहिए। हारून दो मुट्ठी वह मधुर सुगन्धि धूप लेगा जो बारीक पीसी गिई है। हारून को पर्दे के पीछे कमरे में उस सुगन्धित को लाना चाहिये। हारून को यहोवा के सामने सुगन्ध को आग में डालना चाहिए। 13 तब सुगन्धित धूप के धुएका बादल साक्षीपत्र के ऊपर के विशेष ढक्कन को ढक लेगा। इस प्रकार हारून नहीं मरेगा। 14 साथ ही साथ हारून को बैल का कुछ खून लेना चाहिए और उसे अपनी उँगली से उस विशेष ढक्कन के पूर्व की ओर छिड़कना चाहिए। इस के सामने वह अपनी ऊँगली से सात बार खून छिड़केगा।

15 “तब हारून को लोगों के लिए पापबलि स्वरूप बकरे को मारना चाहिए। हारून को बकरे का खून पर्दे के पीछे कमरे में लाना चाहिए। हारून को बकरे के खून से वैसा ही करना चाहिए जैसा बैल के खून से उसने किया। हारून को उस ढक्कन पर और ढक्कन के साने बकरे का खून छिड़कना चाहिए। 16 ऐसा अनेक बार हुआ जब इस्राएल के लोग अशुद्ध हुए। इसलिए हारून इस्राएल के लोगों के अपराध और पाप से महापवित्र स्थान को शुद्ध करने के लिए उपासना करेगा। हारून को ये काम क्यों करना चाहिए क्योंकि मिलापवाला तम्बू अशुद्ध लोगों के बीच में स्थित है।

17 “जिस समय हारून महापवित्र स्थान को शुद्ध करे, उस समय कोई व्यक्ति मिलापवाले तम्बू में नहीं होना चाहिए। किसी व्यक्ति को उसके भीतर तब तक नहीं जाना चाहिए जब तक हारून बाहर न आ जाय। इस प्रकार हारून अपने को और अपने परिवार को शुद्ध करेगा और तब इस्राएल के सभी लोगों को शुद्ध करेगा। 18 तब हारून उस वेदी पर जाएगा जो यहोवा के सामने है हारून वेदी को शुद्ध करेगा। हारून बैल का कुछ खून और कुछ बकरे का खून लेकर वेदी के कोनों पर चारों ओर लगाएगा। 19 तब हारून कुछ खून अपनी ऊँगली से वेदी पर सात बार छिकेगा। इस प्रकार हारून इस्राएल के लोगों के सभी पापों से वेदी को शुद्ध और पवित्र करेगा।

20 “हारून महापवित्र स्थान, मिलापवाले तम्बू तथा वेदी को पवित्र बनाएगा। इन कामों के बाद हारून यहोवा के पास बकरे को जीवित लाएगा। 21 हारून अपने दोनों हाथों को जीवित बकरे के सिर पर रखेगा। तब हारून बकरे के ऊपर इस्राएल के लोगों के अपराध और पाप को कबूल करेगा। इस प्रकार हारून लोगों के पापों को बकरे के सिर पर डालेगा। तब वह बकरे को दूर मरुभूमि में भेजेगा। एक व्यक्ति बगल में बकरे को ले जाने के लिए खड़ा रहेगा। 22 इस प्रकार बकरा सभी लोगों के पाप अपने ऊपर सूनी मरुभूमि में ले जाएगा। जो व्यक्ति बकरे को ले जाएगा वह मरुभूमि में उसे खुला छोड़ देगा।

23 “तब हारून मिलापवाले तम्बू में जाएगा। वह सन के उन वस्त्रों को उतारेगा जिन्हें उसने महपवित्र स्थान में जाते समय पहना था। उसे उन वस्त्रों को वहीं छोड़ना चाहिए। 24 वहअपने पूरे शरीर को पवित्र स्थान में पानी डालकर धोएगा। तब वह अपने अन्य विशेष वस्त्रों को पहनेगा। वह बाहर आएगा और अपने लिये होमबलि और लोगों के लिये होमबलि चढ़ाएगा। वह अपने को तथा लोगों को पापों से मुक्त करेगा। 25 तब वह वेदी पर पापबलि की चर्बी को जलाएगा।

26 “जो व्यक्ति बकरे को अजाजेल के पास ले जाए, उसे अपने वस्त्र तथा अपने पूरे शरीर को पानी डालकर धोना चाहिए। उसके बाद वह व्यक्ति डेरे में आ सकता है।

27 “पापबलि के बैल और बकरे को डेरे के बाहर ले जाना चाहिए। (उन जानवरों का खून पवित्र स्थान में पवित्र चीज़ों को शुद्ध करने के लिए लाया गया था।) याजक उन जानवरों का चमड़ा, शरीर और शरीर मल आग में जलाएगा। 28 तब उन चीज़ों को जलाने वाले व्यक्ति को अपने वस्त्र और पूरे शरीर को पानी डालकर धोना चाहिए। उसके बाद वह व्यक्ति डेरे में आ सकात है।

29 “यह नियम तुम्हारे लिए सदैव रहेगा: सातवें महीने के दसवें दिन तुम्हें उपवास करना चाहिए। तुम्हें कोई काम नहीं करना चाहिए। तुम्हारे साथ रहने वाले यात्री या विदेशी भी कोई काम नहीं कर सगेंगे। 30 क्यों क्योंकि इस दिन याजक तुमहें शुद्ध करता है और तुम्हारे पापों को धोता है। तब तुम यहोवा के लिए शुद्ध होगे। 31 यह दिन तुम्हारे लिए आराम करने का विशेष दिन है। तुम्हें इस दिन उपवास करना चाहिए। यह नियम सदैव के लिए होगा।

32 “सो वह पुरुष जो महायाजक बनने के लिए अभिषिक्त है, वस्तुओं को शुद्ध करने की उपासना को सम्पन्न करेगा। यह वही पुरुष है जिसे उसके पिता की मृत्यु के बाद महायाजक के रूप में सेवा के लिए नियुक्त किया गया है। उस याजक को सन के पवित्र वस्त्र धारण करने चाहिए। 33 उसे पवित्र स्थान, मिलापवाले तम्बू और वेदी को शुद्ध करना चाहिए और उसे याजक और इस्राएल के सभी लोगों को शुद्ध करना चाहिए। 34 इस्राएल के लोगों को शुद्ध करने का यह नियम सदैव रहेगा। इस्राएल के लोगों के पाप के निस्तार के लिए तुम उन क्रियाओं को वर्ष में एक बार करोगे।”

इसलिए उन्होंने वही किया जो यहोवा ने मूसा को आदेश दिया था।

जानवरों को मारने और खाने के नियम

17 यहोवा ने मूसा से कहा, “हारून, उसके पुत्रों और इस्राएल के सभी लोगों से कहो। उनको कहो कि यहोवा ने यह आदेश दिया है: कोई इस्राएली व्यक्ति किसी बैल या मेमने या बकरे को डेरे में या डेरे के बाहर मार सकता है। वह व्यक्ति उस जानवर को मिलापवाले तम्बू के द्वारा पर लाएगा उसे उस जानवर का एक भाग यहोवा को भेंट के रूप में देना चाहिए। उस व्यक्ति ने खून बहाया है, मारा है इसलिए उसे यहोवा के पवित्र तम्बू में भेंट ले जानी चाहिए। यदि वह जानवर के भाग को भेंट के रूप में यहोवा को नहीं ले जाता तो उसे अपने लोगों से अलग कर देना चाहिए। यह नियम इसलिए है कि लोग मेलबलि यहोवा को अर्पित करें। इस्राएल के लोगों को उन जानवरों को लाना चाहिए जिन्हें वे मैदानों में मारते हैं। उन्हें उन जानवरों को मिलापवाले तम्बू के द्वार पर लाना चाहिए। उन्हें उन जानवरों को याजक के पास लाना चाहिए। तब याजक उन जानवरों का खून मिलापवाले तम्बू के द्वार के समीप यहोवा की वेदी तक फेंकेगा और याजक उन जानवरों की चर्बी को वेदी पर जलाएगा। यह यहोवा के लिए मधुर सुगन्ध होगी। उन्हें आगे अब कोई भी भेंट ‘बकरे की मूर्तियों’ को नहीं चढ़ानी चाहिए। ये लोग उन अन्य देवताओं के पीछे लग चुके हैं। इस प्रकार उन्होंने वेश्याओं जैसा काम किया है। ये नियम सदैव ही रहेंगे!

“लोगों से कहो: इस्राएल का कोई नागरिक, या कोई यात्री, या कोई विदेशी जो तुम लोगों के बीच रहता है, होमबलि या बलि चढ़ा सकता है। उस व्यक्ति को वह बलि मिलापवाले तम्बू के द्वार पर ले जानी चाहिए और उसे यहोवा को चढ़ानी चाहिए। यदि वह व्यक्ति ऐसा नहीं करता तो उसे अपने लोगों से अलग कर देना चाहिए।

10 “मैं (परमेश्वर) हर ऐसे व्यक्ति के विरुद्ध होऊँगा जो खून खाता है। चाहे वह इस्राएल का नागरिक हो या वह तुम्हारे बीच रहने वाला कोई विदेशी हो। मैं उसे उसके लोगों से अलग करूँगा। 11 क्यों? क्योंकि प्राणी का जीवन खून में है। मैंने तुम्हें उस खून को वेदी पर डालने का नियम दिया है। तुम्हें अपने को शुद्ध करने के लिए यह करना चाहिए। तुम्हें वह खून उस जीवन के बदले में मुझे देना होगा जो तुम लेते हो। 12 इसलिए मैं इस्राएल के लोगों से कहता हूँ: तुममें से कोई खून नहीं खा सकता और न ही तुम्हारे बीच रहने वाला कोई विदेशी खून खा सकता है।

13 “यदि कोई व्यक्ति किसी जंगली जानवर या पक्षी को पकड़ता है जिसे खाया जा सेक तो उस व्यक्ति को खून जमीन पर बहा देना चाहिए और मिट्टी से उसे ढक देना चाहिए। चाहे वह व्यक्ति इस्राएल का नागरिक हो या तुम्हारे बीच रहने वाले विदेशी। 14 तुम्हें यह क्यों करना चाहिए? क्योंकि यदि खून तब भी माँस में है तो उस जानवर का प्राण भी माँस में है। इसलिए मैं इस्राएल के लोगों को आदेश देता हूँ उस माँस को मत खाओ जिसमे खून हो! कोई भी व्यक्ति जो खून खाता है अपने लोगों से अलग कर दिया जाए।

15 “यदि कोई व्यक्ति अपने आप मरे जानवर या किसी दूसरे जानवर द्वारा मारे गए जानवर को खाता है तो वह व्यक्ति सन्ध्या तक अशुद्ध रहेगा। उस व्यक्ति को अपने वस्त्र और अपना पूरा शरीर पानी से धोना चाहिए। चाहे वह व्यक्ति इस्राएल का नागरिक हो या तुम्हारे बीच रहने वाला कोई विदेशी। 16 यदि वह व्यक्ति अपने वस्त्रों को नहीं धोता और न ही नहाता है तो वह पाप करने का अपराधी होगा।”

यौन सम्बन्धों के बारे में नियम

18 यहोवा ने मूसा से कहा, “इस्राएल के लोगों से कहोः मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ। यहाँ आने के पहले तुम लोग मिस्र में थे। तुम्हें वह नहीं करना चाहिए जो वहाँ हुआ करता था! मैं तुम लोगों को कनान ले जा रहा हूँ। तुम लोगों को वह नहीं करना है जो उस देश में किया जाता है! तम्हें मेरे नियमों का पालन करना चाहिए। और मेरे नियमों के अनुसार चलना चाहिए। उन नियमों के अनुसार चलना चाहिए। उन नियमों के पालन में सावधान रहो! क्यों? क्योंकि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ। इसलिए तुम्हें मेरे नियमों और निर्णयों का पालन करना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति मेरे विधियों और नियमों का पालन करता है तो वह जीवित रहेगा! मैं यहोवा हूँ!

“तुम्हें अपने निकट सम्बन्धियों से कभी यौन सम्बन्ध नहीं करना चाहिए। मैं यहोवा हूँ!

“तुम्हें अपने पिता का अपमान नहीं करना चाहिए अर्थात् तुम्हें अपनी माता के साथ यौन सम्बन्ध नहीं करना चाहिए। तुम्हें अपनी विमाता से भी यौन सम्बन्ध नहीं करना चाहिए। पिता की पत्नी से यौन सम्बन्ध केवल तुम्हारे पिता के लिए है।

“तम्हें अपने पिता या माँ की पुत्री अर्थात् अपनी बहन से यौन सम्बन्ध नहीं करना चाहिए। इससे अन्तर नहीं पड़ता कि तुम्हारी उस बहन का पालन पोषण तुम्हारे घर हुआ या किसी अन्य जगह।

10 “तुम्हें अपने नाती पोतियों से यौन सम्बन्ध नहीं करना चाहिए। वे बच्चे तुम्हारे अंग हैं![a]

11 “यदि तुम्हारे पिता और उनकी पत्नी की कोई पुत्री है[b] तो वह तुम्हारी बहन है। तुम्हें उसके साथ यौन सम्बन्ध नहीं करना चाहिए।

12 “अपने पिता की बहन के साथ तुम्हारा यौन सम्बन्ध नहीं होना चाहिए। वह तुम्हारे पिता के गोत्र की है। 13 तुम्हें अपनी माँ की बहन के साथ यौन सम्बन्ध नहीं करना चाहिए। वह तुम्हारी माँ के गोत्र की है। 14 तुम्हें अपने पिता के भाई का अपमान नहीं करना चाहिए अर्थात् उसकी पत्नी के साथ यौन सम्बन्ध के लिए नहीं जाना चाहिए।

15 “तुम्हें अपनी पुत्रवधू के साथ यौन सम्बन्ध नहीं करना चाहिए। वह तुम्हारे पुत्र की पत्नी है। तुम्हें उसके साथ यौन सम्बन्ध नहीं करना चाहिए।

16 “तुम्हें अपने भाई की वधू के साथ यौन सम्बन्ध नहीं करना चाहिए। यह अपने भाई के साथ यौन सम्बन्ध रखने जैसा होगा। केवल तुम्हारा भाई अपनी पत्नी के साथ यौन सम्बन्ध रख सकता है।[c]

17 “तुम्हें किसी स्त्री और उसकी पुत्री के साथ यौन सम्बन्ध नहीं करना चाहिए और तुम्हें इस स्त्री की पोती से यौन सम्बनध नहीं रखना चाहिए। इससे अन्तर नहीं पड़ता कि वह पोती उस स्त्री के पुत्र की या पुत्री की बेटी है। उसकी पोतियाँ उसके गोत्र की हैं। उनके साथ यौन सम्बन्ध करना अनुचित है।

18 “जब तक तुम्हारी पत्नी जीवित है, तुम्हें उसकी बहन को दूसरी पत्नी नहीं बनाना चाहीए। यह बहनों को परस्पर शत्रु बना देगा। तुम्हें अपनी पत्नी की बहन से यौन सम्बन्ध नहीं करना चाहिए।

19 “तुम्हें किसी स्त्री के पास उसके मासिकधर्म के समय यौन सम्बन्ध के लिए नहीं जाना चाहिए। वह इस समय अशुद्ध है।

20 “तुम्हें अपने पड़ोसी की पत्नी से यौन सम्बन्ध नहीं करना चाहिए। यह तुम्हें केवल अशुद्ध बनाएगा!

21 “तुम्हें अपने किसी बच्चे को आग द्वारा मोलेक को भेंट नहीं चढाना चाहिए। यदि तुम ऐसा करते हो तो तुम यही दिखाते हो कि तुम अपने यहोवा के नाम का सम्मान नहीं करते! मैं यहोवा हूँ।

22 “तुम्हें किसी पुरुष के साथ वैसा ही यौन सम्बन्ध नहीं करना चाहिए जैसा किसी स्त्री के साथ किया जाता है। यह भयंकर पाप है!

23 “किसी जानवर के साथ तुम्हारा यौन सम्बन्द नहीं होना चाहिए। यह केवल तुम्हें घिनौना बना देगा! स्त्री को भी किसी जानवर के साथ यौन सम्बन्ध नहीं करना चाहिए। यह प्राकृति के विरुद्ध है!

24 “इन अनुचित कामों में से किसी से अपनेको अशुद्ध न करो! मैं उन जातियों को उनके देश से बाहर कर रहा हूँ और मैं उनकी धरती तुम को दे रहा हूँ। क्यों? क्योंकि वे लोग वैसे भयंकर पाप करते हैं! 25 इसलिए वह देश अशुद्ध हो गया है! वह देश अब उन कामों से ऊब गया है और वह देश उसमें रहने वालों को बाहर निकाल फेंक रहा है![d]

26 “इसलिए तुम मेरे नियमों और निर्णयों का पालन करोगे। तुम्हें उन में से कोई भयंकर पाप नहीं करना चाहिए। ये नियम इस्राएल के नागरिकों और जो तम्हारे बीच रहते हैं, उनके लिए है। 27 जो लोग तुम से पहले वहाँ रहे उन्होंने वे सभी भयंकर काम किए। जिससे वह धरती गन्दी हो गयी। 28 यदि तुम भी वही काम करोगे तो तुम धरती को गंदा बनाओगे। यह तुम लोगों को वैसे ही निकाल बाहर करेगी, जैसे तुमसे पहले रहने वाली जातियों को किया गया। 29 यदि कोई व्यक्ति वैसे भयंकर पाप करता है तो उस व्यक्ति को अपने लोगों से अलग कर देना चाहिए। 30 अन्य लोगों ने उन भयंकर पापों को किया है। किन्तु मेरे नियमों का पालन करना चाहिए। तुम्हें उन भयंकर पापों में से कोई भी नहीं करना चाहिए। उन भयंकर पापों से अपने को असुद्ध मत बनाओ। मैं तम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।”

इस्राएल परमेश्वर का है

19 यहोवा ने मूसा से कहा, “इस्राएल के सभी लोगों से कहोः कि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ मैं पवित्र हूँ! इसलिए तुम्हें पवित्र होना चाहिए!

“तुम में से हर एक व्यक्ति को अपने माता पिता का सम्मान करना चाहिए और मेरे विश्राम के विशेष दिनों को मानना चाहिए। मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।

“मूर्तियों की उपासना मत करो। अपने लिए देवताओं की मूर्तियाँ धातु गला कर मत बाओ। मैं तुम लोगों का परमेश्वर यहोवा हूँ!

“जब तुम यहोवा को मेलबलि चढ़ाओ तो तुम उसे ऐसे चढ़ाओ कि तुम यहोवा द्वारा स्वीकार किए जा सको। तुम इसे चढ़ाने के दिन खा सकोगे और अगले दिन भी। किन्तु यदि बलि का कुछ भाग तीसरे दिन भी बच जाए तो उसे तुम्हें आग में जला देना चाहिए। किसी भी बलि को तीसरे दिन नहीं खाना चाहिए। यह अशुद्ध है। यह स्वीकार नहीं होगी। यदि कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो वह अपारधी होगा। क्यों? क्योंकि उसने यहोवा की पवित्र चीजों का सम्मान नहीं किया। उस व्यक्ति को अपने लोगों से अलग कर दिया जाना चाहिए।

“जब तुम कटनी के समय अपनी फ़सल काटो तो तुम सब ओर से खेत के कोनों तक मत काटो और यदि अन्न जमीन पर गिर जाता है तो तुम्हें उसे इकट्ठा नहीं करना चाहिए। 10 अपने अँगूर के बाग के सारे अंगूर न तोड़ो और जो जमीन पर गिर जाएँ उन्हें न उठाओ। क्यों? क्योंकि तुम्हें वे चीज़ें गरीब लोगों और जो तुम्हारे देश से यात्रा करेंगे, उनके लिए छोड़नी चाहिए। मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ!

11 “तुम्हें चोरी नहीं करनी चाहिए। तुम्हें लोगों को ठगना नहीं चाहिए। तुम्हें आपस में झूठ नहीं बोलना चाहिए। 12 तुम्हें मेरे नाम पर झूठा वचन नहीं देना चाहिए। यदि तुन ऐसा करते हो तो तुम यह दिखाते हो कि तुम अपने परमेश्वर के नाम का सम्मान नहीं करते हो। मैं यहोवा हूँ!

13 “तुम्हें अपने पड़ोसी को धोखा नहीं देना चाहिए। तुम्हें उसकी चोरी नहीं करनी चाहिए। तुम्हें मजदूर की मजदूरी पूरी रात, सवेरे तक नही रोकनी चाहिए।[e]

14 “तुम्हें किसी बहरे आदमी को अपशब्द नहीं कहना चाहिए। तुम्हें किसी अन्धे को गिराने के लिए उसके सामने कोई चीज नहीं रखनी चाहिए। किन्तु तुम्हें अपने परमेश्वर यहोवा का सम्मान करना चाहिए। मैं यहोवा हूँ!

15 “तुम्हें न्याय करने मै ईमानदार होना चाहिए। न तो तुम्हें ग़रीब के साथ विशेष पक्षपात करना चाहिए और न ही बड़े एवं धनी लोगों के प्रति कोई आदर दिखाना चाहिए। तुम्हें अपने पड़ोसी के साथ न्याय करते समय ईमानदार होना चाहिए। 16 तुम्हें अन्य लोगों के विरुद्ध चारों ओर अफवाहें फैलाते हुए नहीं चलना चाहिए। ऐसा कुछ न करो जो तुम्हारे पड़ोसी के जीवन को खतरे में डाले। मैं यहोव हूँ!

17 “तुम्हें अपने हृदय में अपने भाईयों से घृणा नहीं करनी चाहिए। यदि तुम्हारा पड़ोसी कुछ बुरा करता है तो इसके बारे में उसे समझाओ। किन्तु उसे क्षमा करो! 18 लोग, जो तुम्हारा बुरा करें, उसे भूल जाओ। उससे बदला लेने का प्रयत्न न करो। अपने पड़ोसी से वैसे ही प्रेम करो जैसे अपने आप से करते हो। मैं यहोव हूँ!

19 “तुम्हें मेरे नियमों का पालन करना चाहिए। दो जातियों के पशुओं को प्रजनन के लिए आपस में मत मिलाओ। तुम्हें खेत में दो प्रकार के बीज नहीं बोने चाहिये। तुम्हें दो प्रकार सी चीज़ो को मिलावट से बने वस्त्रों को नहीं पहनना चाहिए।

20 “यह हो सकता है कि किसी दूसरे व्यक्ति की दासी से किसी व्यक्ति का यौन सम्बन्ध हो। यदि यह दासी न तो खरीदी गई है न ही स्वतन्त्र कराई गई है तो उन्हें दण्ड दिया जाना चाहिए। किन्तु वे मारे नहीं जाएंगे। क्यों? क्योंकि स्त्री स्वतन्त्र नहीं थी। 21 उस व्यक्ति को अपने अपराध के लिए मिलापवाले तम्बू के द्वार पर यहोवा को बलि चढ़ानी चाहिए। व्यक्ति को एक मेढ़ा दोषबलि के रूप में लाना चाहिए। 22 याजक उस व्यक्ति के पापों के भुगतान करने के लिए उपासना करेगा। याजक यहोवा को दोषबलि के रूप में मेढ़े को चढ़ाएगा। यह व्यक्ति के किए हुए पापों के लिए होगा। तब व्यक्ति अपने किए पाप के लिए क्षमा किया जाएगा।

23 “भविष्य में तुम अपने प्रदेश में प्रवेश करोगे। उस समय भोजन के लिए तुम अनेकों प्रकार के पेड़ लगाओगे। पेड़ लगाने के बाद पेड़ के किसी फल का उपयोग करने के लिए तुम्हें तीन वर्ष तक प्रतीक्षा करनी चाहिए। तुम्हें उससे पहले के फल का उपयोग नहीं करना चाहिए। 24 चौथे वर्ष उस पेड़ के फल यहोवा के होंगे। यह यहोवा की स्तुति के लिए पवित्र भेंट होगी। 25 तब, पाँचवें वर्ष तुम उस पेड़ का फल खासकते हो और पेड़ तुम्हारे लिए अधिक से अधिक फल पैदा करेगा। मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ!

26 “तुम्हें कोई चीज़, उसमें खून रहते तक नहीं खानी चाहिए।

“तुम्हें भविष्यवाणी करने के लिये जादू या शगुन आदि का उपयोग नहीं करना चाहिए।

27 “तुम्हें अपने सिर के बगल के बढ़े बालों को कटवाना नहीं चाहिए। तुम्हें अपनी दाढ़ी के किनारे नहीं कटवाने चाहिए। 28 किसी मरे व्यक्ति की याद को बनाए रखने के लिए तुम्हें अपने शरीर को काटना नहीं चाहिए। तुम्हें अपने ऊपर कोई चिन्ह गुदवाना नहीं चाहिए में यहोवा हूँ!

29 “तुम अपनी पुत्री को वेश्या मत बनने दो। इससे केवल यह पता चलता है कि तुम उसका आदर नहीं करते। तुम अपने देश में स्त्रियों को वेश्याएँ मत बनने दो। तुम अपने देश को इस प्रकार के पापों से मत भर जानेदो।

30 “तुम्हें मेरे विश्राम के विशेष दिनों में काम नहीं करना चाहिए। तुम्हें मेरे पवित्र स्थान का सम्मान करना चाहिए। मैं यहोवा हूँ!

31 “ओझाओं तथा भूतसिद्धियों के पास सलाह के लिए मत जाओ। उनके पास तुम मत जाओ, वे केवल तुम्हें अशुद्ध बनाएँगें। में तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ!”

32 “बूढ़े लोगों का सम्मान करो। जब वे कमरे में आएँ तो खड़े हो जाओ। अपने परमेश्वर का सम्मान करो। मैं यहोवा हूँ!”

33 “अपने देश में रहने वाले विदेशियों के साथ बुरा व्यवहार मत करो! 34 तुम्हें विदेशियों के साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिए जैसा तुम अपने नागरिकों के साथ करते हो। तुम विदेशियों से वैसा प्यार करो जैसा अपने से करते हो। क्यों? क्योंकि तुम भी एक समय मिस्र में विदेशी थे। मैं तुम्हारा परमेशवर यहोवा हूँ!

35 “तम्हें न्याय करते समय लोगों के प्रति ईमानदार होना चाहिए। तुम्हें चीज़ों के नापने और तौलने में ईमानदार होना चाहिए। 36 तुम्हारी टोकरियाँ ठीक माप की होनी चाहिए। तुम्हारे नापने के पात्रों में द्रव की उचित मात्रा आनी चाहिए। तुम्हारे तराजू और तुम्हारे बाट चीज़ों को ठीक तौलने वाले होने चाहिए। मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ! मैं तुम्हें मिस्र देश से बाहर लाया!

37 “तुम्हें मेरे सभी नियमों और निर्णयों को याद रखना चाहिए और तुम्हें उनका पालन करना चाहिए। मैं यहोवा हूँ!”

मूर्ति पूजा के विरूद्ध चेतावनी

20 यहोवा ने मूसा से कहा, “तुम्हें इस्राएल के लोगों से यह भी कहना चाहिए: तुम्हारे देश में कोई व्यक्ति अपने बच्चों में से किसी को झूठे देवता मोलेक को दे सकता है। उस व्यक्ति को मार डालना चाहिए। इससे अन्तर नहीं पड़ता कि वह इस्राएल का नागरिक है या इस्राएल में रहने वाला कोई विदेशी है, तुम्हें उसे पत्थर फेंक फेंक कर मार डालना चाहिए। मैं उस व्यक्ति के विरुद्ध होऊँगा। मैं उसे उसके लोगों से अलग करूँगा। क्यों? क्योंकि उसने अपने बच्चों को मोलेक को दिया। उसने यह प्रकट किया कि वह मेरे पवित्र नाम का सम्मान नहीं करता। उसने मरे पवित्र स्थान को अशुद्ध किया। सम्भव है साधारण लोग उस व्यक्ति की उपेक्षा करें। सम्भव है वे उस व्यक्ति को न मांरे जिसने बच्चों को मोलेक को दिया है। किन्तु मैं उस व्यक्ति और उसके परिवार के विरुद्ध होऊँगा। मैं उसे उसके लोगों से अलग करुँगा मैं किसी भी ऐसे व्यक्ति को उसके लोगों से अलग करुँगा जो मेरे प्रति विश्वास नहीं रखता और मोलेक का अनुसरण करता है।

“मैं उस व्यक्ति के विरुद्ध होऊँगा जो किसी ओझा और भूतसिद्धि के पास सलाह के लिए जाता है। वह व्यक्ति मुझसे विश्वासघात करता है। इसलिए मैं उस व्यक्ति को उसके लोगों से अलग करूँगा।

“विशेष बनो। अपने को पवित्र बनाओ। क्यों? क्योंकि मैं पवित्र हूँ! मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ! मेरे आज्ञाओं का पालन करो और उन्हें याद रखो। मैं योहवा हूँ और मैंने तुम्हें अपना विशेष लोग बनाया है।

“यदि कोई व्यक्ति अपने माता पिता के अनिष्ट की कामना करता है तो उस व्यक्ति को मार डालना चाहिए। उसने अपने पिता या माँ का अनिष्ट चाहा है, इसलिए उसे दण्ड देना चाहिए।[f]

यौन पापों के दण्ड

10 “यदि कोई व्यक्ति अपने पड़ोसी की पत्नी के साथ यौन सम्बन्ध करता है तो स्त्री और पुरुष दोनों अनैतिक सम्बन्ध के अपराधी हैं। इसलिए स्त्री और पुरुष दोनों को मार डालना चाहिए। 11 यदि कोई व्याक्ति अपनी विमाता से यौन सम्बन्ध करता है तो उस व्यक्ति को मार डालना चाहिए। उस व्यक्ति को और उसकी विमाता दोनों को मार डालना चाहिए। उस व्यक्ति ने अपने पिता के विरुद्ध पाप किया है।[g]

12 “यदि कोई व्यक्ति अपनी पुत्रवधू के साथ यौनसम्बन्ध करता है तो दोनों को मार डालना चाहिए। उन्होंने बहुत बुरा यौन पाप किया है। उन्हें दण्ड अवश्य मिलना चाहिए।

13 “यदि कोई व्यक्ति किसी पुरुष के साथ स्त्री जैसा यौन सम्बन्ध करता है तो दोनों को मार डालना चाहिए। उन्होंने बहुत बुरा यौन पाप किया है। उन्हें दण्ड अवश्य मिलना चाहिए।

14 “यदि कोई व्यक्ति किसी स्त्री और उसकी माँ के साथ यौन सम्बन्ध करता है तो यह यौन पाप है। लोगों को उस व्यक्ति तथा दोनों स्त्रियों को आग में जला देना चाहिए। इस यौन पाप को अपने लोगों में मत होने दो।

15 “यदि कोई व्यक्ति किसी जानवर से यौन सम्बन्ध करे तो उस व्यक्ति को मार डालना चाहिए और तुम्हें उस जानवर को भी मार देना चाहिए। 16 यदि कोई स्त्री किसी जानवर से यौन सम्बन्ध करती है तो तुम्हें अवश्य मार देना चाहिए। उन्हें दण्ड अवश्य मिलना चाहिए।

17 “यह एक भाई और उसकी बहन के लिए लज्जाजनक है कि आपस में वे यौन सम्बन्ध करे।[h] उन्हें सामाजिक रूप में दण्ड मिलना चाहिए। वे अपने लोगों से अलग कर दिए जाने चाहिए। वह व्यक्ति जिसने अपनी बहन के साथ यौन सम्बन्ध किया है, अपने पाप के लिए दण्ड पाएगा।

18 “यदि कोई व्यक्ति किसी स्त्री के साथ मासिकधर्म के रक्त स्राव के समय यौन सम्बन्ध करेगा तो स्त्री पुरुष दोनों को अपने लोगों से अलग कर देना चाहिए। उन्होंने पाप किया है क्योंकि उसने खून के स्रोत को उघाड़ा।

19 “तुम्हें योन स्म्बन्ध अपनी माँ की बहन या पिता की बहन के साथ नहीं करना चाहिए। यह गोत्रीय अनैतिकता का पाप है।[i] उन्हें उनके पाप के लिए दण्ड मिलागा।

20 “किसी पुरुष को अपने चाचा मामा की पत्नी के सात नहीं सोना चाहिए। यह व्यक्ति तथा उसकी चाची व मामी को उनके पापों के लिए दण्ड मिलेगा। व बिना किसी सन्तान के मरेंगे।

21 “किसी व्यक्ति के लिए यह बुरा है कि वह अपने भाई की पत्नी के साथ यौन सम्बन्ध करे। उस व्यक्ति ने अपने भाई के विरुद्ध पाप किया है।[j] उनकी कोई सन्तान नहीं होगी।

22 “तुम्हें मेरे सारे नियमों और निर्णयों को याद रखना चाहिए और तुम्हें उनका पालन अवश्य करना चाहिए। मैं तुम्हें तुम्हारे प्रदेश को ले जा रहा हूँ। तुम लोग उस प्रदेश में रहोगे। यदि तुम लोग मेरे नियमों और निर्णयों को मानते रहे तो वह प्रदेश तुम लोगों को निकाल बाहर नहीं करेगा। 23 मैं अन्य लोगों को उस प्रदेश को छोड़ने के लिए विवश कर रहा हूँ। क्यों? क्योंकि उन लोगों ने वे सभी पाप किए। मैं उन पापों से घृणा करता हूँ। इसलिए जिस प्रकार वे लोग रहे, उस तरह तुम नहीं रहोगे। 24 मैंने कहा है कि तुम उनका प्रदेश प्राप्त करोगे। मैं उनका प्रदेश तुमको दूँगा। यह तुम्हारा प्रदेश होगा। वह प्रदेश बहुत सुन्दर है। उसमें दूध व मधु की नदियाँ बहती हैं। मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ!

“मैंने तुम्हें विशेष बनाया है। मैंने तुम्हारे साथ अन्य लोगों से भिन्न व्यवहार किया है। 25 इसलिए तुम्हें शुद्ध जानवरों के साथ अशुद्ध जानवरों से भिन्न व्यवहार करना चाहिए। तुम्हें शुद्ध पक्षियों के साथ अशुद्ध पक्षियों से भिन्न व्यवहार करना चाहिए। उन में से किसी भी अशुद्ध पक्षी, जानवर और कीट पतंग को मत खाओ जो भूमि पर रेंगते हैं। मैंने उन चीज़ों को अशुद्ध बनाया है। 26 मैंने तुम्हें अपना विशेष जन बनाया है। इसलिए तुम्हें मेरे लिए पवित्र होना चाहिए। क्यों? क्योंकि मैं यहोवा हूँ और मैं पवित्र हूँ!

27 “कोई पुरुष या कोई स्त्री जो ओझा हो या कोई भूतसिद्धि हो, तो उन्हें निश्चय ही मार दिया जाना चाहिए। लोगों को चाहिए कि वे उन्हें पत्थर मार मार कर मार दें। उन्हें मार ही दिया जाना चाहिए।”

याजकों के लिए नियम

21 यहोवा ने मूसा से कहा, “ये बातें हारून के याजक पुत्रों से कहो: किसी मरे व्यक्ति को छूकर याजक अपने को अशुद्ध न करें। किन्तु यदि मरा हुआ व्यक्ति उसके नजदीकी सम्बन्धियों मेंसे कोई है तो वह मृतक के शरीर को छू सकता है। याजक अपने को अशुद्ध कर सकता है यदि मृत व्यक्ति उसकी माँ, पिता, उसका पुत्र, या पुत्री, उसका भाई, उसकी अविवाहित बहन है। (यह बहन उसकी नजदीकी है क्योंकि उसका पति नहीं है। इसलिए याजक अपने को अशुद्ध कर सकता है, यदि वह मरती है।) किन्तु याजक अपने को अशुद्ध नहीं कर सकता, यदि मरा व्यक्ति उसके दासों में से एक हो।[k]

“याजक को शोक प्रकट करने के लिए अपने सिर का मुण्डन नहीं कराना चाहिए। याजक को अपनी दाढ़ी के सिरे नहीं कटवाने चाहिए। याजक को अपने शरीर को कहीं भी काटना नहीं चाहिए। याजक को अपने परमेश्वर के लिए पवित्र होना चाहिए। उन्हें परमेश्वर के नाम के लिए सम्मान दिखाना चाहिए। क्यों क्योंकि वे रोटी और आग द्वारा भेंट यहोवा को पहुँचाते हैं। इसलिए उन्हें पवित्र होना चाहिए।

“याजक परमेश्वर की सेवा विशेष ढंग से करता है। इसलिए याजक को ऐसी स्त्री से विवाह नहीं करना चाहिए जिसने किसी के साथ यौन सम्बन्ध किया हो। याजक को किसी वेश्या, या किसी तलाक दी गई स्त्री से विवाह नहीं करना चाहिए। याजक परमेश्वर की सेवा विशेष ढंग से करता है। इसलिए तुम्हें उसके साथ विशेष व्यवहार करना चाहिए। क्यों? क्योंकि वह पवित्र चीज़ें ले चलता है। वह पवित्र रोटी यहोवा को पहुँचता है। और मैं पवित्र हूँ, मैं यहोवा हूँ, और में तुम्हें पवित्र बनाता हूँ।

“यदि याजक की पुत्री वेश्या बन जाती है तो वह अपनी प्रतिष्ठा नष्ट करती है तथा अपने पिता को कलंक लगाती है। इसलिए उसे जला देना चाहिए।

10 “महायाज अपने भाईयों में से चुना जाता था। अभिषेक का तेल उसके सिर पर डाला जाता था। इस प्रकार वह माहायाजक के विशेष कर्त्तव्य के लिए नियुक्त किया जाता था। वह महायाजक के विशेष वस्त्र को पहनने के लिए चुना जाता था। इसलिए उसे अपने दुःख को प्रकट करने वाला कोई काम समाज में नहीं करना चाहिए। उसे अपने बाल जंगली ढंग से नहीं बिखेरने चाहिए। उसे अपने वस्त्र नहीं फाड़ने चाहिए। 11 उसे मुर्दे को छूकर अपने को अशुद्ध नहीं बनाना चाहिए। उसे किसी मुर्दे के पास नहीं जाना चाहिए। चाहे वह उसके अपने माता—पिता का ही क्यों न हो। 12 महायाजक को परमेश्वर के पवित्र स्थान के बाहर नहीं जाना चाहिए। यदि उसने ऐसा किया तो वह अशुद्ध हो जायेगा और तब वह परमेश्वर के पवित्र स्थान को अशुद्ध कर देगा। अभिषेक का तेल महायाजक के सिर पर डाला जाता था। यह उसे शेष लोगों से भिन्न करता था। मैं यहोवा हूँ!

13 “महायाजक को विवाह करके उसे पत्नी बनाना चाहिए जो कुवाँरी हो। 14 महायाजक को ऐसी सत्री से विवाह नहीं करना चाहिए जो किसी अन्य पुरुष के साथ यौन सम्बन्ध रख चुकी हो। महायजक को किसी वेश्या, या तलाक दी गई स्त्री, या विधवा स्त्री से विवाह नहीं करना चाहिए। महायाजक को अपने लोगों में से एक कुवाँरी से विवाह करना चाहिए। 15 इस प्रकार लोग उसके बच्चों को सम्मान देंगे। मैं, यहोवा ने, याजक को विशेष काम के लिए भिन्न बनाया है।”

16 यहोवा ने मूसा से कहा, 17 “हारून से कहो: यदि तुम्हारे वंशजों की सन्तानों में से कोई अपने में कोई दोष पाए तो उन्हें विशेष रोटी परमेश्वर तक नहीं ले जानी चाहिए। 18 कोई व्यक्ति जिसमें कोई दोष हो, याजक का काम न करे और न ही मेरे पास भेंट लाए, ये लोग याजक के रूप में सेवा नहीं कर सकते: अन्धे व्यक्ति, लगंड़े व्यक्ति, विकृत चेहरे वाले व्यक्ति, अत्याधिक लम्बी भुजा और टाँग वाले व्यक्ति। 19 टूटे पैर या हाथ वाले व्यक्ति, 20 कुबड़े व्यक्ति, बौने, आँख में दोष वाले व्यक्ति,। खुजली और चर्म रोग वाले व्यक्ति बधिया किए गे नपुंसक व्यक्ति।

21 “यदि हारून के वंशजों मे से कोई कुछ दोष वाला है तो वह यहोवा को आग से बलि नहीं चढ़ा सकता और वह व्यक्ति विशेष रोटी अपने परमेश्वर को नहीं पहुँचा सकता। 22 वह व्यक्ति याजकों के पिरवार से है अतः वह पवित्र रोटी खा सकता है। वह अती पवित्र रोटी बी खा सकता है। 23 किन्तु वह सबसे अधिक पवित्र स्थान में पर्दे से होकर नहीं जा सकता और न ही वह वेदी के पास जा सकता है। क्यों? क्योंकि उस में कुछ दोष है। उसे मेरे पवित्र स्थान को अपवित्र नहीं बनाना चाहिए। मैं यहोवा उन स्थानों को पवित्र बनाता हूँ।”

24 इसलिए मूसा ने ये बातें हारून से, हारून के पुत्रों और इस्राएल के सभी लोगों से कहीं।

22 परमेश्वर यहोवा ने मूसा से कहा, “हारून और उसके पुत्रों से कहोः इस्राएल के लोग जो चीज़ें मुझे देंगे, वे पवित्र हो जाएंगी। वे मेरी हैं। इसलिए तुम याजकों को वे चीज़ें नहीं लेनी चाहिए। यदि तुम उन पवित्र चीज़ों का उपयोग करते हो तो तुम यह प्रकट करोगे कि तुम मेरे पवित्र नाम का सम्मान नहीं करते। मैं यहोवा हूँ। यदि तुम्हारे सभी वंशजो में से कोई व्यक्ति उन चीज़ों को छूएगा तो वह अशुद्ध हो जाएगा। वह व्यक्ति मुझसे अलग हो जाएगा। इस्राएल के लोगों ने वे चीजें मुझे दीं। मैं यहोवा हूँ!

“यदि हारून के किसी वंशज को बुरे चर्म रोगों में से कोई रोग हो या उससे कुछ रिस रहा हो तो वह तब तक पवित्र भोजन नहीं कर सकता जब तक वह शुद्ध न हो जाए। यह नियम किसी भी याजक के लिए है जो अशुद्ध हो। वह याजक किसी शव को छू कर या अपने वीर्य पात से अशुद्ध हो सकता है। वह तब अशुद्ध हो सकता है जब वह किसी रेंगने वाले जानवर को छूए। वह तब अशुद्ध हो सकात है जब वह किसी अशुद्ध व्यक्ति को छूए। इसका कोई महत्व नहीं कि उस व्यक्ति को किस चीज़ ने अशुद्ध किया है। यदि कोई व्यक्ति उन चीज़ों को छूएगा तो वह सन्ध्या तक अशुद्ध रहेगा। उस व्यक्ति को पवित्र भोजन में से कुछ भी नहीं खाना चाहिए। पानी डालकर नहाये बिना वह पवित्र भोजन नहीं कर सकता है। वह सूरज के डूबने पर ही शुद्ध होगा। तभी वह पवित्र भोजन कर सकता है। क्यों? क्योंकि वह भोजन उसका है।

“यदि याजक को कोई ऐसा जानवर मिलता है जो स्वयं मर गया हो या किसी अन्य जानवर द्वारा मार दिया गया हो तो उसे मरे जानवर को नहीं खाना चाहिए। यदि वह व्यक्ति उस जानवर को खाता है तो वह अशुद्ध होगा। मैं यहोवा हूँ!

“याजक को मेरी सेवा के विशेष समय रखने होंगे। उन्हें उन दिनों सावधान रहना होगा। उन्हें इस बात के लिए सावधान रहना होगा कि वे पवित्र चीज़ों को अपवित्र न बनाएँ। यदि वे सावधान रहेंगे तो मरेंगे नहीं। मैं यहोवा ने उन्हें इस विशेष काम के लिए दूसरों से भिन्न किया है। 10 केवल याजकों के परिवार के व्यक्ति ही पवित्र भोजन खा सकते हैं। याजक के साथ ठहरने वाला अतिथि या मजदूर पवित्र भोजन में से कुछ भी नहीं खाएगा। 11 किन्तु यदि याजक अपने धन से किसी दास को खरीदता है तो वह पवित्र चीज़ों में से कुछ को खा सकता है और याजक के घर में उत्पन्न दास भी उस पवित्र भोजन में से कुछ खा सकता है। 12 किसी याजक की पुत्री ऐसे व्यक्ति से विवाह कर सकती है जो याजक न हो। यदि वह ऐसा करती है तो पवित्र भेंट में से कुछ नहीं खा सकती। 13 किसी याजक की पुत्री विधवा हो सकती है, या उसे तलाक दिया जा सकता है। यदि उके भरन पोषण के लिए उसके बच्चे नहीं हैं और वह अपने पिता के यहाँ लौटती है, जहाँ वह बचपन में रही है तो वह पिता के भोजन मेंसे कुछ खा सकती है। किन्तु केवल याजक के परिवार के व्यक्ति ही इस भोजन को खा सकते हैं।

14 “कोई व्यक्ति भूल से कुछ पवित्र भोजन खा सकता है। उस व्यक्ति को वह पवित्र भोजन याजक को देना चाहिए और उसके अतिरिक्त उस भोजन के मूल्य का पाँचवाँ भाग उसे और देना होगा।

15 “इस्राएल के लोग यहोवा को भेंट चढ़ाएँगे। वे भेटें पवित्र हो जाती हैं। इसलिए याजक को उन पवित्र चीज़ों को अपवित्र नहीं बनाना चाहिए। 16 यदि याजक उन चीज़ों को अपवित्र समझते हैं तो वे तब अपने पाप को बढ़ाएँगे जब पवित्र भोजन को खाएँगे। मैं, यहोवा उन्हें पवित्र बनाता हूँ!”

17 यहोवा ने मूसा से कहा, 18 “हारून और उसके पुत्रों, और इस्राएल के सभी लोगों से कहो: सम्भव है कि इस्राएल का कोई नागरिक या कोई विदेशी कोई भेंट लाना चाहे। सम्भव है उसने कोई विशेष वचन दिया हो, और यह उसके लिए हो। या सम्भव है यह वह विशेष भेंट हो जिसे वह व्यक्ति अर्पित करना चाहता हो। 19-20 ये ऐसी भेटें हैं जिन्हें लोग इसलिए लाते हैं कि वे यहोवा को भेंट चढ़ाना चहते हैं। तुम्हें कोई ऐसी भेंट नहीं स्वीकार करनी चाहिए जिसमें कोई दोष हो। मैं उस भेंट से प्रसन्न नहीं होऊँगा! यदि भेंट एक साँड़ है, या एक भेड़ है, या एक बकरा है तो वह नर होना चाहिए और इसमें कोई दोष नहीं होना चाहिए।

21 “कोई वयक्ति यहोवा को मेलबलि चढ़ा सकता है। वह मेलबलि उस व्यक्ति द्वारा दिए गए किसी वचन के लिए भेंट के रूप में हो सकती है या यह कोई स्वत: प्रेरित भेंट हो सकती है जिसे वह व्यक्ति यहोवा को चढ़ाना चाहता है। यह बैल या मेढ़ा हो सकता है। किन्तु वह स्वस्थ तथा दोष रहित होना चाहिए। 22 तुम्हें यहोवा को ऐसा कोई जानवर नहीं भेंट करना चाहिए जो अन्धा हो या जिसकी हड्डियाँ टूटी हों, या जो लंगड़ा हो, या जिसका कोई घाव रिस रहा हो या बुरे चर्म रोग वाला हो। तुम्हें यहोवा की वेदी की आग पर उस बीमार जानवर की भेंट नहीं चढ़ानी चाहिए।

23 “कभी कभी किसी मवेशी या मेमने के पैर अत्याधिक लम्बे हो सकते हैं या ऐसे पैर हो सकते हैं जिनका विकास ठीक से न हुआ हो। यदि कोई व्यक्ति ऐसे जानवर को यहोवा को विशेष भेंट के रुप में चढ़ाना चाहता है तो वह स्वीकार किया जाएगा। किन्तु इसे किसी व्यक्ति द्वारा दिए गए वचन के लिए किये जाने वाले भुगतान के रुप में स्वीकार नहीं किया जाएगा।

24 “यदि जानवर के अण्ड कोष जख्मी, कुचले हुए या फाड़े हूए हों तो तुम्हें उस जानवर की भेंट यहोवा को नहीं चढ़ानी चाहिए।

25 “तुम्हें विदेशियों से बलि के लिए ऐसे जनावरों को नहीं लेना चाहिए। क्यों? क्योंकि ये जानवर किसी प्रकार चोट खाए हुए हैं। उनमें कुछ दोष है। ये स्वीकार नहीं किए जाएंगे।”

26 यहोवा ने मूसा से कहा, 27 “जब को ई बछड़ा या भेड़ या बकरी पैदा हो तो अपनी माँ के साथ उसे सात दिन रहने देना चाहिए। तब आठवें दिन और उसके बाद यह जानवर यहोवा को आग द्वारा दी जाने वाली बलि के रूप में स्वीकार किया जाएगा। 28 किन्तु तुम्हें उसी दिन उस जानवर और उसकी माँ को नहीं मारना चाहिए। यही नियम गाय और भेड़ों के लिए है।

29 “यदि तुम्हें यहोवा को कोई विशेष कृतज्ञता बलि चढ़ानी हो तो तुम उस भेंट को चढ़ाने में स्वतन्त्र हो। किन्तु यह इस प्रकार करो कि वह परमेश्वर को प्रसन्न करे। 30 तुम्हें पूरा जानवर उसी दिन खा लेना चाहिए। तुम्हें अगली सुबह के लिए कुच भी माँस नहीं छोड़ना चाहिए। मैं यहोवा हूँ!

31 “मेरे आदेशों को याद रखो और उनका पालन करो। मैं यहोवा हूँ! 32 मेरे पवित्र नाम का सम्मान करो! मुझे इस्राएल के लोगों के लिए बहुत विशिष्ट होना चाहिए। मैं, यहोवा ने तुम्हें अपना विशेष लोग बनाया है। 33 मैं तुम्हें मिस्र से लाया। मैं तुम्हारा परमेश्वर बना। मैं यहोवा हूँ!”

विशेष पवित्र दिन

23 यहोवा ने मूसा के कहा, “इस्राएल के लोगों से कहोः तुम यहोवा के निश्चित पर्वों को पवित्र घोषित करो। ये मेरे विशेष पवित्र दिन हैं:

सब्त

“छ: दिन काम करो। किन्तु सातवाँ दिन, आराम का एक विशेष दिन या पवित्र मिलन का दिन होगा। उस दिन तुम्हें कोई काम नहीं करना चाहिए। यह तुम्हारे सभी घरों में यहोवा का सब्त है।

फ़सह पर्व

“ये यहोवा के चुने हुए पवित्र दिन हैं। उनके लिए निश्चित समय पर तुम पवित्र सभाओं की घोषणा करोगे। यहोवा का फसह पर्व पहले महीने की चौदह तारीख को सन्धया काल में है:

अख़मीरी मैदे के फुलकों का पर्व

“उसी महीने की पन्द्रह तारीख को अख़मीरी मैदे के फुलकों का पर्व होगा। तुम सात दिन तक अखमीरी मैदे के फुलके खाओगे। इस पर्व के पहले दिन तुम एक पवित्र सभा करोगे। उस दिन तुम्हें कोई काम नहीं करना चाहिए। सात दिन तक तुम यहोवा को आग द्वारा बलि चढ़ाओगे। सातवें दिन एक पवित्र सभा होगी। उस दिन तुम्हें कोई काम नहीं करना चाहिए।”

पहली फ़सल का पर्व

यहोवा ने मूसा से कहा, 10 “इस्राएल के लोगों से कहो: तुम उस धरती पर जाओगे जिसे मैं तुम्हें दूँगा। तुम उसकी फ़सल काटोगे। उस समय तुम्हें अपनी फ़सल की पहली पूली याजक के पास लानी चाहिए। 11 याजक पूली को यहोवा के सामने उत्तोलित करेगा। तब वह तुम्हारे लिए स्वीकार कर ली जाएगी। याजक पूली को रविवार के प्रात: काल उत्तोलित करेगा।

12 “जिस दिन तुम पूली को उत्तोलित करो, उस दिन तुम एक वर्ष का एक नर मेमना बलि चढ़ाओगे। उस मेमने में कोई दोष नहीं होना चाहिए। वह मेमना यहोवा की होमबलि होगी। 13 तुम्हें चार क्वार्ट अच्छे जैतून के तेल मिले आटे की अन्नबलि देनी चाहिए। तुम्हें एक क्वार्ट दाखमधु भी देनी चाहिए। यह भेंट यहोवा को प्रसन्न करने वाली सुगन्ध होगी। 14 जब तक तुम अपने परमेश्वर को भेंट नहीं चढ़ाते, तब तक तुम्हें कोई नया अन्न, या फल या नये अन्न से बनी रोटी नहीं खानी चाहिए। यह नियम तुम चाहे जहाँ भी रहो, तुम्हारी पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहेगा।

सप्ताहों का पर्व

15 “उस रविवार के प्रातःकाल से (वह दिन जब तुम पूली उत्तोलन भेंट के लिए लाते हो), सात सप्ताह गिनो। 16 सातवें सप्ताह के अगले रविवार को (अर्थात् पचास दिन) बाद तुम यहोवा के लिए नये अन्नबलि लाओगे। 17 उस दिन तुम अपने घरों से दो—दो रोटियाँ लाओ। ये रोटियाँ उत्तोलन भेंट होगी। खमीर का उपयोग करो और चार क्वार्ट आटे की रोटियाँ बनाओ। वह तुम्हारी पहली फसल से यहोवा की भेंट होगी।

18 “लोगों से अन्नबलि के साथ में एक बछड़ा, दो मेढ़े और एक एक वर्ष के सात नर मेमने भेंट किए जाएंगे। इन जानवरों में कोई दोष नहीं होना चाहिए। ये यहोवा की होमबलि होंगे। वे आग द्वारा यहोवा को दी गई भेंट होगी। इस की सुगन्ध से यहोवा प्रसन्न होगा। 19 तुम भी पापबलि के रूप में एक बकरा तथा एक वर्ष के दो मेमने मेलबलि के रूप में चढ़ाओगे।

20 “याजक यहोवा के सामने उत्तोलन बलि के लिए दो मेमने और पहली फ़सल की रोटी उन्हें उत्तोलित करेगा। वे यहोवा के लिए पवित्र हैं। वे याजक के होंगे। 21 उसी दिन, तुम एक पवित्र सभा बुलाओगे। तुम कोई काम नहीं करोगे। यह नियम तुम्हारे सभी घरों में सदैव चलेगा।

22 “जब तुम अपने खेतों की फ़सल काटो तो खेतों के कोनों की सारी फ़सल मत काटो। जो अन्न जमीन पर गिरे, उसे मत उठाओ। उसे तुम गरीब लोगों तथा तुम्हारे देश में यात्रा करने वाले विदेशियों के लिए छोड़ दो। मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ!”

तुरही का पर्व

23 यहोवा ने मूसा से फिर कहा, 24 “इस्राएल के लोगों से कहो: सातवें महीने के प्रथम दिन तुम्हें आराम का विशेष दिन मानना चाहिए। उस दिन एक धर्म सभा होगी। तुम्हें इसे मनाने के लिए तुरही बजानी चाहिए। 25 तुम्हें कोई काम नहीं करना चाहिए। तुम यहोवा को आग द्वारा बलि चढ़ाने के लिए बलि लाओगे।”

प्रायश्चित का दिन

26 यहोवा ने मूसा से कहा, 27 “सातवें महीने के दसवें दिन प्रायश्चित का दिन होगा। उस दिन एक धर्म सभा होगी। तुम भोजन नहीं करोगे[l] और तुम यहोवा को आग द्वारा बलि चढ़ाओगे। 28 तुम उस दिन कोई काम नहीं करोगे। क्यों? क्यों की यह प्रायश्चित का दिन है। उस दिन याजक यहोवा के सामने जाएगा और वह उपासना करेगा जो तुम्हें सुद्ध बनाती है।

29 “यदि कोई व्यक्ति उस दिन उपवास करने से मना करता है तो उसे अपने लोगों से अलग कर देना चाहिए। 30 यदि कोई व्यक्ति उस दिन काम करेगा तो उसे मैं (परमेश्वर) उसके लोगों में से काट दूँगा। 31 तुम्हें कोई भी काम नहीं करना चाहिए। यह नियम तुम जहाँ कहीं भी रहो, सदैव रहेगा। 32 यह तुम्हारे लिए आराम का विशेष, दिन होगा। तुम्हें भोजन नहीं करना चाहिए। तुम आराम के इस विशेष दिन को महीने के नवें दिन की सन्ध्या[m] से आरम्भ करोगे। यह आराम का विशेष दिन उस सन्ध्या से आरम्भ करके अगली सन्धया तक रहता है।”

आश्रय का पर्व

33 यहोवा ने मूसा से फिर कहा, 34 “इस्राएल के लोगों से कहो: सातवें महीने के पन्द्रहवें दिन आश्रय का पर्व होगा। यहोवा के लिए यह पवित्र पर्व सात दिन तक चलेगा। 35 पहले दिन एक धर्म सभा होगी। तुम्हें तब कोई काम नहीं करना चाहिए। 36 तुम सात दिनों तक यहोवा के लिए आग द्वारा बलि चढ़ाओगे। आठवें दिन तुम दूसरी धर्म सभा करोगे। तुम यहोवा को आग द्वारा बलि चढ़ाओगे। यह एक धर्म सभा होगी। तुम्हें तब कोई काम नहीं करना चाहिए।

37 “ये यहोवा का विशेष पवित्र दिन है। उन दिनों धर्म सभाएँ होंगी। तुम यहोवा को होमबलि, अन्नबलि, बलियाँ, पेयबलि अग्नि द्वारा चढ़ाओगे। तुम वे बलियाँ ठीक समय पर लाओगे। 38 तुम यहोवा के सबत दिवसों को याद करने के अतिरिक्त उन पवित्र दिनों का पर्व मनाओगे। तुम उन बलियों को यहोवा को अपनी अन्नबलि के अतिरिक्त दोगे। तुम विशेष दिए गये अपने वचन को पूरा करने के रूप में दी गई किसी भेंट के अतिरिक्त उन चीज़ों को दोगे। वे उन विशेष भेंटों के अतिरिक्ति होंगी जिन्हें तुम यहोवा को देना चाहते हो।

39 “सातवें महीने के पन्द्रहवें दिन, जब तुम अपने खेतों से फसल ला चकोगे, सात दिन तक यहोवा का पर्व मनाओगे। तुम पहले और आठवें दिन आराम करोगे। 40 पहले दिन तुम फलदार पेड़ों से अच्छे फल लोगे और तुम नाले के किनारे के खजूर के पेड़, चीड़ और बेंत के पेड़ों से शाखाएँ लोगे। तुम अपने परमेश्वर यहोवा के सामने सात दिन तक पर्व मनाओगे। 41 तुम इस पवित्र दिन को हर वर्ष यहोवा के लिए सात दिनों तक मनाओगे। यह नियम सदैव रहेगा। तुम इस पवित्र दिन को सातवें महीने में मनाओगे। 42 तुम सात दिन तक अस्थायी आश्रयों में रहोगे। इस्राएल में उत्पन्न हुए सबी लोग उन आश्रयों में रहोगे। इस्राएल में उत्पन्न हुए सभी लोग उन आश्रयों में रहेंगे। 43 क्यों? इससे तुम्हारे सभी वंशज यह जानेंगे कि मैंने इस्राएल के लोगों को अस्थायी आश्रयों में रहने वाला उस समय बनाया जिस समय मैं उन्हें मिस्र से लाया। मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ!”

44 इस प्रकार मूसा ने इस्राएल के लोगों को यहोवा के विशेष पवित्र दिनों के बारे में बताया।

दीपाधार और पवित्र रोटी

24 यहोवा ने मूसा से कहा, “इस्राएल के लोगों को कोल्हू से निकाला हुआ जैतून का शुद्ध तेल अपने पास लाने का आदेश दो। वह तेल दीपकों के लिए है। ये दीपक बिना बुझे जलते रहने चाहिए। हारून यहोवा के मिलापवाले तम्बू में साक्षीपत्र के पर्दे के आगे सन्ध्या समय से प्रातःकाल तक दीपकों को जलाये रखेगा। यह नियम सदा सदा के लिए है। हारून को सोने की दीपाधार पर यहोवा के सामने दीपकों को सदैव जलता हुआ रखना चाहिए।

“अच्छा महीन आटा लो और उसकी बारह रोटियाँ बनाओ। हर एक रोटी के लिए चार क्वार्ट आटे का उपयोग करो। उन्हें दो पँक्तियों में सुनहरी मेज़ पर यहोवा के सामने रखो। हर एक पँक्ति में छ: रोटियाँ होंगी। हर एक पँक्ति पर शुद्ध लोबान रखो। यह यहोवा को आग द्वारा दी गई भेंट के सम्बन्ध में यहोवा को याद दिलाने में सहायता करेगा। हर एक सब्त दिवस को हारून रोटियों को यहोवा के सामने क्रम में रखेगा। इसे सदैव करना चाहिए। इस्राऐल के लोगों के साथ यह वाचा सदैव बनी रहेगी। वह रोटी हारून और उसके पुत्रों की होगी। वे रोटियों को पवित्र स्थान में खायेंगे। क्यों? क्योंकि वह रोटी यहोवा को आग द्वारा चढ़ाई गई भेंटों में से है। वह रोटी सदैव हारून का हिस्सा है।”

वह व्यक्ति जिसने यहोवा को शाप दिया

10 एक इस्राएली स्त्री का पुत्र था। उसका पिता मिस्री था। इस्राएली स्त्री का यह पुत्र इस्राएली था। वह इस्राएली लोगों के बीच में घूम रहा था और उसने डेरे में लड़ना आरम्भ किया। 11 इस्राएली स्त्री के लड़के ने यहोवा के नाम के बारे मे बुरी बातें कहनी शुरू कीं। इसलिए लोग उस पुत्र को मूसा के सामने लाए। (लड़के की माँ का नाम शलोमीत था जो दान के परिवार समूह से दिब्री की पुत्री थी।) 12 लोगों ने लड़के को कैदी की तरह पकड़े रखा और तब तक प्रतीक्षा की, जब तक यहोवा का आदेश उन्हें स्पष्ट रूप से ज्ञात नहीं हो गया।

13 तब यहोवा ने मूसा से कहा, 14 “उस व्यक्ति को डेरे के बाहर एक स्थान पर लाओ, जिसने शाप दिया है। तब उन सभी लोगों को एक साथ बुलाओ जिन्होंने उसे शाप देते सुना है। वे लोग अपने हाथ उसके सिर पर रखेंगे।[n] और तब सभी लोग उस पर पत्थर मारेंगे और उसे मार डालेंगे। 15 तुम्हें इस्राएल के लोगों से कहना चाहिए: यदि कोई व्यक्ति अपने परमेश्वर को शाप देता है तो उस व्यक्ति को दण्ड मिलना चाहिए। 16 कोई व्यक्ति, जो यहोवा के नाम के विरुद्ध बोलता है, अवश्य मार दिया जाना चाहिए। सभी लोगों को उसे पत्थर मारने चाहए। विदेशी को वैसे ही दण्ड मिलना चाहिए जैसे इस्राएल में जन्म लेने वाले व्यक्ति को मिलता है। यदि कोई व्यक्ति योहवा के नाम को अपश्ब्द कहता है तो उसे अवश्य मार देना चाहिए।

17 “और यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को मार डालता है तो उसे अवश्य मार डालना चाहिए। 18 यदि कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति के जानवर को मार डालता है तो उसके बदले में उसे दसूरा जानवर देना चाहिए।[o]

19 “यदि कोई व्यक्ति अपने पड़ोस में किसी को चोट पहुँचाता है तो उस व्यक्ति को उसी प्रकार की चोट उस व्यक्ति को पहुँचानी चाहिए।[p] 20 एक टूटी हड्डी के लिए एक टूटी हड्डी, एक आँख के लिए एक आँख, और एक दाँत के लिए दाँत। उसी प्रकार की चोट उस व्यक्ति को पहुँचानी चाहिए, जैसी उसने दूसरे को पहुँचाई है। 21 इसलिए जो व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति के जानवर को मारे तो इसके बदनले में उसे दूसरा जानवर देना चाहिए। किन्तु जो व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को मार डालता है वह अवश्य मार डाला जाना चाहिए।

22 “तुम्हारे लिए एक ही प्रकार का न्याया होगा। यह विदेशी और तुम्हारे अपने देशवासी के लिए समान होगा। क्योंकि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।”

23 तब मूसा ने इस्राएल के लोगों से बात की और वे उस व्यक्ति को डेरे के बाहर एक स्थान पर लाए, जिसने शाप दिया था। तब उन्होंने उस् पत्थरों से मार डाला। इस प्रकार इस्राएल के लोगों ने वह किया जो यहोवा ने मूसा को आदेश दिया था।

भूमि के लिए आराम का समय

25 यहोवा ने मूसा से सीनै पर्वत पर कहा। यहोवा ने कहा, “इस्राएल के लोगों से कहो, तुम लोग उस भूमि पर जाओगे जिसे मैं तुमको दे रहा हूँ। उस समय तुम्हें भूमि को आराम का विशेश समय देना चाहिए। यह यहोवा को सम्मान देने के लिए धरती के आराम का विशेष समय होगा। तुम छ: वर्ष तक अपने खेतों में बीज बोओगे। तुम अपने अंगूर के बागों में छः वर्ष तक कटाई करोगे और उसके फल लाओगे। किन्तु सातवें वर्ष तुम उस भूमि को आराम करने दोगे। यह यहोवा को सम्मान देने के लिए आराम का विशेष समय होगा। तुम्हें अपने खेतों में बीज नहीं बोना चाहिए और अँगूर के बागों में बेलों की कटाई नहीं करनी चाहिए। तुम्हें उन फ़सलों की कटाई नहीं करनी चाहिए जो फ़सल काटने के बाद अपने आप उगती है। तुम्हें अपनी उन अँगूर की बेलों से अँगूर नहीं उतारने चाहिए जिनकी तुमने कटाई नहीं की है। यह भूमि के विश्राम का वर्ष होगा।

“यह भूमि के विश्राम का वर्ष होगा, किन्तु तुम्हारे पास फिर भी पर्याप्त भोजन रहेगा। तुम्हारे पुरुष व स्त्री दासों के लिए पर्याप्त भोजन रहेगा। मज़दूरी पर रखे गए तुम्हारे मजदूर और तुम्हारे देश में रहने वाले विदेशियों के लिए भोजन रहेगा। तुम्हारे मवेशियों और अन्य जानवरों के खाने के लिए पर्याप्त चारा होगा।

जुबली मुक्ति वर्ष

“तुम सात वर्षों के सात समूहों को गिनोगे। ये उन्नचास वर्ष होंगें। इस समय के भीतर भूमि के लिए सात वर्ष आराम के होंगे। प्रायश्चित के दिन तुम्हें मेढ़े का सींग बजाना चाहिए। वह सातवें महीने के दसवें दिन होगा। तुम्हें पूरे देश मे मेढ़े का सींगा बजाना चाहिए। 10 तुम पचासवें वर्ष को विशेष वर्ष मनाओगे। तुम अपने देश में रहने वाले सभी लोगों की स्वतन्त्रता घोषित करोगे। इस समय को “जुबली मुक्तिवर्ष” कहा जाएगा। तुममें से हर एक को उसकी धरती लौटा दी जाएगी।[q] और तुममें से हर एक अपने परिवार में लौट जाएगा। 11 पचासवाँ वर्ष तुम्हारे लिए विशेष उत्सव का वर्ष होगा। उस वर्ष तुम बीज मत बोओ। अपने आप उगी फसल न काटो। अँगूर की उन बेलों से अँगूर मत लो। 12 वह जुबली वर्ष है। यह तुम्हारे लिए पवित्र समय होगा। तुम उस पैदावार को खाओगे जो तुम्हारे खेतों से आती है। 13 जुबली वर्ष में हर एक व्यक्ति को उसकी धरती वापस हो जाएगी।

14 “किसी व्यक्ति को अपनी भूमि बेचने में मत ठगो और जब तुम उससे भूमि खरीदो तब उसे अपने को मत ठगने दो। 15 यदि तुम किसी की भूमि खरीदना चाहते हो तो पिछले जुबली से काल गणना करो और उस गणना का उपयोग धरती का ठीक मूल्य तय करने के लिए करो। यदि तुम भूमि को बेचो, तो फसलों के काटने के वर्षों को गिनो और वर्षों की उस गणना का का उयोग ठीक मूल्य तय करने के लिए करो। 16 यदि अधिक वर्ष हैं तो मूल्य ऊँचा होगा। यदि वर्ष थोड़े हैं तो मूल्य कम करो। क्यों? क्योंकि वह व्यक्ति तुमको सचमुच कुछ वर्षों की कुछ फसलें ही बेच रहा है। अगली जुबली पर भूमि उसके परिवारों की हो जाएगी। 17 तुम्हें एक दूसरे को ठगना नहीं चाहिए। तुम्हें अपने परमेश्वर का सम्मान करना चाहिए। मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ!

18 “मेरे नियमों और निर्णयों को याद रखो। उनका पालन करो। तब तुम अपने देश में सुरक्षित रहोगा। 19 भूमि तुम्हारे लिए उत्तम फ़सल पैदा करेगी। तब तुम्हारे पास बहुत अधिक भोजन होगा और तुम अपने प्रदेश में सुरक्षित रहोगे।

20 “किन्तु कदाचित तुम यह कहो, ‘यदि हम बीज न बोएं या अपनी फ़सलें न इकट्ठी करें तो सातवें वर्ष हम लोगों के लिए खाने को कुछ भी नहीं रहेगा।’ 21 चिन्ता मत करो। मैं छठे वर्ष में अपनी आशीष को तुम्हारे पास आने का आदेश दूँगा। भूमि तीन वर्ष तक फ़सल पैदा करती रहेगी। 22 जब आठवें वर्ष तुम बोओगे तब तक फसल पैदा करती रहेगी। तुम पुरानी पैदावार को नवें वर्ष तक खाते रहोगे जब आठवें वर्ष बोयी हुई फ़सल घरों में आ जाएगी।

आवासीय भूमि के नियम

23 “भूमि वस्तुत: मेरी है। इसलइए तुम इसे स्थायी रूप में नहीं बेच सकते। तुम मेरे साथ मेरी भूमि पर केवल विदेशी और यात्री के रूप में रह रहे हो। 24 कोई व्यक्ति अपनी भूमि बेच सकता है, किन्तु उसका परिवार सदैव अपनी भूमि वापस पाएगा। 25 कोई व्यक्ति तुम्हारे देश में बहुत गरीब हो सक्ता है। वह इतना गरीब हो सकता कि उसे अपनी सम्पत्ति बेचनी पड़े। ऐसी हालत में उसके नजदीकी रिश्तेदारों को आगे आना चाहिए और अपने रिश्तेदार के लिए वह सम्पत्ति वापस खरीदनी चाहिए। 26 किसी व्यक्ति का कोई ऐसा नजदीकी रिश्तेदार नहीं भी हो सकता है जो उसके लिए सम्पत्ति वापस खरीदे। किन्तु हो सक्ता है वह स्वयं भूमि को वापस खरीदने के लिए पर्याप्त धन पा ले। 27 तो उसे जब से भूमि बिकी थी तब से वर्षों को गिनना चाहिए। उसे उस गणना का उपयोग, भूमि का मूल्य निश्चित करने के लिए करना चाहिए। तब उसे भूमि को वापस खरीदना चाहिए। तब भूमि फिर उसकी हो जाएगी। 28 किन्तु यदि वह व्यक्ति अपने लिए भूमि को वापस खरीदने के लिए पर्याप्त धन नहीं जुटा पाता तो जो कुछ उसने बेचा है वह स व्यक्ति के हाथ में जिसने उसे खरीदा है, जुबली पर्व के आने के हाथ में जिसने उसे खरीदा है, जुबली पर्व के आने तक रहेगा। तब उस विशेष उत्सव के समय भूमि प्रथम भूस्वामी के परिवार की हो जाएगी। इस प्रकार सम्पत्ति पुन: मूल अधिकारी परिवार की हो जाएगी।

29 “यदि कोई व्यक्ति नगर परकोटे के भीतर अपना घर बेचता है तो घर के बेचे जाने के बाद एक वर्ष तक उसे वापस लेने का अधिकार होगा। घर को वापस लेने का उसका अधिकार एक वर्ष तक रहेगा। 30 किन्तु यदि घर का स्वामी एक पूरा वर्ष बीतने के पहले अपना घर वापस नहीं खरीदता तो नगर परकोटे भीतरका घर जो व्याक्ति खीदता है उसका और इसके वंशजों का हो जाता है। जुबली के समय प्रधम गृह स्वामी को वापस नहीं होगा। 31 बिना परकोटे वाले नगर खुले मैदान माने जाएंगे। अत: उन छोटे नगरों में बने हुए घर जुबली पर्व के समय प्रथम गृहस्वामि को वापस होंगे।

32 “किन्तु लेवियों के नगर के बारे में: जो नगर लेवियों के अपने हैं, उनमें वे अपने घरों को किसी भी समय वापस खरीद सकते हैं। 33 यदि कोई व्यक्ति लेवी से कोई घर खरीदे तो लेवीयों के नगर का वह घर फिर जुबली पर्व के समय लेवियों का हो जाएगा। क्यों? क्योंकि लेवी नगर के घर लेवी के परिवार समूह के लोगों के हैं। इस्राएल के लोगों ने उन नगरों को लेवी लोगों को दिया। 34 लेवी नगरों के चारों ओर के खेत और चरागाह बेचे नहीं जा सकते। वे खेत सदा के लिए लेवियों के हैं।

दासों के स्वमियों के लिए नियम

35 “सम्भवत: तुम्हारे देश का कोई व्यक्ति इतना अधिक गरीब हो जाए कि अपना भरण पोषण न कर सके। तुम उसे एक अतिथि की तरह जीवित रखोगे। 36 उसे दिए गए अपने कर्ज पर कोई सूद मत लो। अपने परमेश्वर का सम्मान करो और अपने भाई को अपने साथ रहने दो। 37 उसे सूद पर पैसा उधार मत दो। जो भोजन वह करे, उस पर कोई लाभ लेने का प्रयत्न मत करो। 38 मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ। मैं तुम्हें मिस्र देश से कनान प्रदेश देने और तुम्हारा परमेश्वर बनने के लिए बाहर लाया।

39 “सम्भवत: तुम्हारा कोई बन्धु इतना गरीब हो जाय कि वह दास के रूप में तुम्हें अपने को बेचे। तुम्हें उससे दास की तरह काम नहीं लेना चाहिए। 40 वह जुबली वर्ष तक मजदूर और एक अतिथि की तरह तुम्हारे सात रहेगा। 41 तब वह तुम्हें छोड़ सकता है। वह अपने बच्चों को अपने साथ ले जा सकता है और अपने पिरवार में लौट सकता है। वह अपने पूर्वजों की सम्पत्ति को लौट सकता है। 42 क्यों? क्योंकि वे मेरे सेवक हैं। मैंने उन्हें मिस्र की दासता से मुक्त किया। वे फिर दास नहीं होने चाहिए। 43 तुम्हें ऐसे व्यक्ति पर क्रूरता से शासन नहीं करना चाहिए। तुम्हें अपने परमेश्वर का सम्मान करना चाहिए।

44 “तुम्हारे दास दासियों के बारे में: तुम अपने चारों ओर के अन्य राष्ट्रों से दास दासियाँ ले सकते हो। 45 यदि तुम्हारे देश में रहने वले विदेशियों के परिवारों के बच्चे तुम्हारे पास आते हैं तो तुम उन्हें भी दास रख सकते हो। वे बच्चे तुम्हारे दास होंगे। 46 तुम इन विदेशी दासों को अपने बच्चों को भी दे सकते हो जो तुम्हारे मरने के बाद तुम्हारे बच्चों के होंगे। वे सदा के लिए तुम्हारे दास रहेंगे। तुम इन विदेशियों को दास बना सकते हो। किन्तु तुम्हें अपने भाईयों, इस्राएल के लोगों पर क्रूरता से शासन नहीं करना चाहिए।

47 “सम्भव है कि कोई विदेशी यात्री या अतिथि तुम्हारे बीच धनी हो जाय। सम्भव है कि तुम्हारे देश का कोई व्यक्ति इतना गरीब हो जाय कि वह अपने को तुम्हारे बीच रहने वाले किसी विदेशी या विदेशी परिवार के सदस्य को दास के रूप में बेचे। 48 वह व्यक्ति वापस खरीदे जाने और स्वतन्त्र होने का अधिकारी होगा। उसके भाईयों में से कोई भी उसे वास खरीद सकता है 49 अथवा उसके चाचा, मामा व चचेरे, ममेरे भाई उसे वापस खरीद सकते हैं या उसके नजदीकी रिश्तेदारों में से उसे कोई खरीद सकता है अथवा यदि व्यक्ति पर्याप्त धन पाता है तो स्वयं धन देकर वह फिर मुक्त हो सकता है।

50 “तुम उसका मूल्य कैसे निश्चित करोगे? विदेशी के पास जब से उसने अपने को बेचा है तब से अगली जुबली तक के वर्षों को तुम गिनोगे। उस गणना का उपयोग मूल्य निश्चित करने में करो। क्यों? क्योंकि वस्तुत: उस व्यक्ति ने कुछ वर्षों के लिए उसे ‘मजदूरी’ पर रखा। 51 यदि जुबली के वर्ष के पूर्व कई वर्ष हों तो व्यक्ति को मूल्य का बड़ा हिस्सा लौटाना चाहिए। यह उन वर्षों की संख्या पर आधारित है। 52 यदि जुबली के वर्ष तक कुछ ही वर्ष शेष हों तो व्यक्ति को मूल कीमत का थोड़ा सा भाग ही लौटाना चाहिए। 53 किन्तु वह व्यक्ति प्रति वर्ष विदेशी के यहाँ मजदूर की तरह रहेगा, विदेशी को उस व्यक्ति पर क्रूरता से शासन न करने दो।

54 “वह व्यक्ति किसी के द्वारा वापस न खरीदे जाने पर भी मुक्त होगा। जुबली के वर्ष वह तथा उसके बच्चे मुक्त हो जाएंगे। 55 क्यों? क्योंकि इस्राएल के लोग मेरे दास हैं। वे मेरे सेवक हैं। मैंने मिस्र की दासता से उन्हें मुक्त किया। मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ!

परमेश्वर की आज्ञा पालन का पुरस्कार

26 “अपने लिए मूर्तियाँ मत बनाओ। मूर्तियाँ या यादगार के पत्थर स्थापित मत करो। अपने देश में उपासना करने के लिए पत्थर की मूर्तियाँ स्थापित न करो। क्यों कियोंकि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ!

“मेरे आराम के विशेष दिनों को याद रखो और मेरे पवित्र स्थान का सम्मान करो। मैं यहोवा हूँ!

“मेरे नियमों और आदेशों को याद रखो और उनका पालन कोरो। यदि तुम ऐसा करोगे तो मैं जिस समय वर्षा आनी चाहिए, उसी समय वर्षा कराऊँगा। भूमि फ़सलें पैदा करेगी और पेड़ अपने फल देंगे। तुम्हारा अनाज निकालने का काम तब तक चलेगा जब तक अँगूर इकट्ठा करने का समय आएगा और अँगूर का इकट्ठा करना तब तक चलेगा जब तक बोने का समय आएगा। तब तुम्हारे पास खाने के लिए बहुत होगा, और तुम अपने प्रदेश में सुरक्षित रहोगे। मै तुम्हारे देश को शान्ति दूँगा। तुम शान्ति से सो सकोगे। कोई वयक्ति भयभीत करने नहीं आएगा। मैं विनाशकारी जानवरों को तुम्हारे देश से बाहर रखूँगा। और सेनाएँ तुम्हारे देश से नहीं गुजरेंगी।

“तुम अपने शत्रुओं को पीछा करके भाओगे और उन्हें हराओगे। तुम उन्हें अपनी तलवार से मार डालोगे। तुम्हारे पाँच व्यक्ति सौ व्यक्तियों को पीछा कर के भगाएंगे और तुम्हारे सौ व्यक्ति हजार व्यक्तियों का पीछा करेंगे। तुम अपने शुत्रओं को हराओगे और उन्हें तलवार से मार डालोगे।

“तब मेंम तुम्हारी ओर मुड़ूँगा मैं तुम्हें बहुत से बच्चों वाला बनाऊँगा। मैं तुम्हारे साथ अपनी वाचा का पालन करूँगा। 10 तुम्हारे पास एक वर्ष से अधिक चलने वाली पर्याप्त पैदावार रहेगी। तुम नयी फसल काटोगे। किन्तु तब तुम्हें पुरानी पैदावार नयी पैदावार के लिए जगह बनाने हेतु फेंकनी पड़ेगी। 11 तुम लोगों के बीच मैं अपना पवित्र तम्बू रखूँगा। मैं तुम लोगों से अलग नहीं होऊँगा। 12 मै तुम्हारे साथ चलूँगा 13 और तुम्हारा परमेश्वर रहूँगा। तुम मेरे लोग रहोगे। मै तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ तुम मिस्र में दास थे। किन्तु में तुम्हें मिस्र से बाहर लाया। तुम लोग दास के रूप में भारी बोझ ढोने से झुके हुए थे किन्तु मैंने तुम्हारे कंधों के जुंए को तोड़ फेंका। मैंने तुम्हें पुन: गर्व से चलने वाला बनाया।

योहवा की आज्ञा पालन न करने के लिए दण्ड

14 “किन्तु यदि तुम मेरी आज्ञा का पालन नहीं करोगे और मेरे ये सब आदेश नहीं मानोगे तो ये बुरी बातें होंगी। 15 यदि तुम मेरे नियमों और आदेशों को मानना अस्वीकार करते हो तो तुमने मेरी वाचा को तोड़ दिया है। 16 यदि तुम ऐसा करते हो तो मैं ऐसा करूँगा कि तुम्हारा भयंकर अनिष्ट होगा। मैं तुमको असाध्य रोग और तीव्र ज्वर लगाऊँगा वे तुम्हारी आँखे कठर करेंगे और तुम्हारा जीवन ले लेंगे। जब तुम अपने बीज बोओगे तो तुम्हें सफलता नहीं मिलेगी। तुम्हारी पैदावार तुम्हारे शुत्र खाएंगे। 17 मैं तुम्हारे विरुद्ध होऊँगा, अत: तुम्हारे शत्रु तुमको हराएँगे। वे शत्रु तुमसे घृणा करेंगे और तुम्हारे ऊपर शासन करेंगे। तुम तब भी भागोगे जब तुम्हारा पीछा कोई न कर रहा होगा।

18 “यदि इस के बाद भी तुम मेरी आज्ञा पालन नहीं करते हो तो मैं तुम्हारे पापों के लिए सात गुना अधिक दण्ड दूँगा। 19 मैं उन बड़े नगरों को भी नष्ट करूँगा जो तुम्हें गर्वीला बनाते हैं। आकाश वर्षा नहीं देगा और धरती पैदावार नहीं उत्पन्न करेगी।[r] 20 तुम कठोर परिश्रम करोगे, किन्तु इससे कुछ भी नहीं होगा। तुम्हारी भूमि में कोई पैदावार नहीं होगी और तुम्हारे पेड़ों पर फल नहीं आएंगे।

21 “यदि तब भी तुम मेरे विरुद्ध जाते हो और मेरी आज्ञा का पालन करना अस्वीकार करते हो तो मैं सात गुना कठोरता से मारूँगा। जितना अधिक पाप करोगे उतना अधिक दण्ड पाओगे। 22 मैं तुम्हारे विरुद्ध जंगली जानवरों को भेजूँगा। वे तुम्हारे बच्चों को तुमसे छीन ले जाएगें। वे तुम्हारे मवेशियों को नष्ट करेंगे। वे तुम्हारी संख्या बहुत कम कर देंगे। लोग यात्रा करने से भय खाएंगे, सड़कें खाली हो जाएंगी!

23 “यदि उन चीज़ों के होने पर भी तुम्हें सबक नहीं मिलता और तुम मेरे विरुद्ध जाते हो, 24 तो मैं तुम्हारे विरुद्ध होऊँगा। मैं, हाँ, मैं (यहोवा), तुम्हारे पापों के लिए तुम्हें सात गुना दण्ड दूँगा। 25 तुमने मेरी वाचा तोड़ी है, अतः मैं तुम्हें दण्ड दूँगा। मैं तुम्हारे विरुद्ध सेनाएँ भेजूँगा। तुम सुरक्षा के लिए अपने नगरों में जाओगे। किन्तु मैं ऐसा करूँगा कि तुम लोगों में बीमारियाँ फैलें। तब तुम्हारे शत्रु तुमहे हराएंगे। 26 मैं उस नगर में छोड़े गए अन्न का एक भाग तुम्हें दूँगा। किन्तु खाने के लिए बहुत कम अन्न रहेगा। दस स्त्रियाँ अपनी सभी रोटी एक चूल्हे में पका सकेंगी। वे रोटी के हर एक टुकड़े को नापेंगी। तुम खओगे, किन्तु फिर भी भूखे रहोगे!

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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