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Bible in 90 Days

An intensive Bible reading plan that walks through the entire Bible in 90 days.
Duration: 88 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
गिनती 32:20 - व्यवस्था विवरण 7:26

20 मूसा ने उनसे कहा, “यदि तुम लोग यह सब करोगे तो यह भूमि तुम लोगों की होगी। किन्तु तुम्हारे सैनिक यहोवा के सामने युद्ध में जाने चाहिए। 21 तुम्हारे सैनिकों को यरदन नदी पार करनी चाहिए और शत्रु को उस देश को छोड़ने के लिए विवश करना चाहिए। 22 जब हम सभी को भूमि प्राप्त कराने में यहोवा सहायता कर चुके तब तुम घर वापस जा सकते हो। तब यहोवा और इस्राएल तुमको अपराधी नहीं मानेंगे। तब यहोवा तुमको यह प्रदेश लेने देगा। 23 किन्तु यदि तुम ये बातें पूरी नहीं करते हो, तो तुम लोग यहोवा के विरुद्ध पाप करोगे और यह गाँठ बांधो कि तुम अपने पाप के लिए दण्ड पाओगे। 24 अपने बच्चों के लिए नगर और अपने जानवरों के लिए बाड़े बनाओ। किन्तु उसके बाद उसे पूरा करो जिसे करने का तुमने वचन दिया है।”

25 तब गाद और रूबेन परिवार समूह के लोगों ने मूसा से कहा, “हम तेरे सेवक हैं। तू हमारा स्वामी है। इसलिए हम लोग वही करेंगे जो तू कहता है। 26 हमारी पत्नियाँ, बच्चे और हमारे जानवर गिलाद नगर में रहेंगे। 27 किन्तु तेरे सेवक, हम यरदन नदी को पार करेंगे। किन्तु हम लोग यहोवा के सामने अपने स्वामी के कथनानुसार युद्ध में कूद पड़ेंगे।”

28 मूसा ने याजक एलीआज़ार, नून के पुत्र यहोशू और इस्राएल के परिवार समूह के सभी नेताओं को उनके बारे में आज्ञा दी। 29 मूसा ने उनसे कहा, “गाद और रूबेन के पुरुष यरदन नदी को पार करेंगे। वे यहोवा के आगे युद्ध में धावा बोलेंगे। वे देश जीतने में तुम्हारी सहायता करेंगे और तुम लोग गिलाद का प्रदेश उनके हिस्से के रूप में उन्हें दोगे। 30 वे वचन देते हैं कि वे कनान देश को जीतने में तुम्हारी सहायता करेंगे।”

31 गाद और रूबेन के लोगों ने उत्तर दिया, “हम लोग वही करने का वचन देते हैं जो यहोवा का आदेश है। 32 हम लोग यरदन नदी पार करेंगे और कनान देश पर यहोवा के सामने धावा बोलेंगे और हमारे देश का भाग यरदन नदी के पूर्व की भूमि होगी।”

33 इस प्रकार मूसा ने उस प्रदेश को गाद, रूबेन और मनश्शे परिवार समूह के आधे लोगों को दिया। (मनश्शे यूसुफ का पुत्र था।) उस प्रदेश में एमोरियों के राजा सीहोन का राज्य और बाशान के राजा ओग का राज्य शामिल थे। उस प्रदेश में उस क्षेत्र के चारों ओर के नगर भी शामिल थे।

34 गाद के लोगों ने दीबोन, अतारोत, अरोएर, 35 अत्रौत, शोपान, याजेर, योगबहा, 36 बेतनिम्रा और बेथारान नगरों को बनाया। उन्होंने मजबूत चाहारदीवारों के साथ नगरों को बनाया और अपने जानवरों के लिए बाड़े बनाए।

37 रूबेन के लोगों ने हेसबोन, एलाले, किर्यातैम, 38 नबो, बालमोन, मूसा—बॉथ और तित्पा नगर बनाए। उन्होंने जिन नये नगरों को फिर से बनाया उनके पुराने नामों का ही उपयोग किया गया किन्तु नबो और बालमोन को नये नाम दिये गए।

39 मनश्शे परिवार समूह की सन्तान माकीर से उत्पन्न लोग गिलाद को गए। उन्होंने नगर को हराया। उन्होंने उन एमोरी को हराया जो वहाँ रहते थे। 40 इसलिए मनश्शे के परिवार समूह के माकीर को मूसा ने गिलाद दिया। इसलिए उसका परिवार वहाँ बस गया। 41 मनश्शे की सन्तान याईर ने वहाँ के छोटे नगरों को हराया। तब उसने उन्हें याईर के नगर नाम दिया। 42 नोबह ने कनात और उसके पास के छोटे नगरों को हराया। तब उसने उस स्थान का नाम अपने नाम पर नोबह रखा।

मिस्र से इस्राएलियों की यात्रा

33 मूसा और हारून ने इस्राएल के लोगों को मिस्र से समूहों में निकाला ये वे स्थान हैं जिनकी उन्होंने यात्रा की। मूसा ने उन यात्राओं के बारे में लिखा। मूसा ने वे बातें लिखीं जिन्हें यहोवा चाहता था। वे यात्रायें यहाँ हैं।

प्रथम महीने के पन्द्रहवें दिन उन्होंने रामसेस छोड़ा। फसह पर्व के बाद सवेरे, इस्राएल के लोगों ने विजय के साथ अपने अस्त्र—शस्त्रों को उठाए हुए मिस्र से बाहर प्रस्थान किया। मिस्र के सभी लोगों ने उन्हें देखा। मिस्री उन लोगों को जला रहे थे जिन्हें यहोवा ने मार डाला था। वे अपने सभी पहलौठे पुत्रों को जला रहे थे। यहोवा ने मिस्र के देवताओं के विरुद्ध अपना निर्णय दिखाया था।

इस्राएल के लोगों ने रामसेस को छोड़ा और सुक्कोत की यात्रा की। सुक्कोत से उन्होंने एताम की यात्रा की। वहाँ पर लोगों ने मरुभूमि के छोर पर डेरे डाले। उन्होंने एताम को छोड़ा और पीहहीरोत को गए। यह बालसपोन के पास था। लोगों ने मिगदोल के पास डेरे डाले।

लोगों ने पीहहीरोत छोड़ा और समुद्र के बीच से चले। वे मरुभूमि की ओर चले। तब वे तीन दिन तक एताम मरुभूमि से होकर चले। लोगों ने मारा में डेरे डाले।

लोगों ने मारा को छोड़ा और एलीम गए तथा वहाँ डेरे डाले। वहाँ पर बारह पानी के सोते थे और सत्तर खजूर के पेड़ थे।

10 लोगों ने एलीम छोड़ा और लाल सागर के पास डेरे डाले।

11 लोगों ने लालसागर को छोड़ा और सीन मरुभूमि में डेरे डाले।

12 लोगों मे सीन मरुभूमि को छोड़ा और दोपका में डेरे डाले।

13 लोगों ने दोपका छोड़ा और आलूश में डेरे डाले।

14 लोगों ने आलूश छोड़ा और रपीदीम में डेरे डाले। वहाँ लोगों को पीने के लिए पानी नहीं था।

15 लोगों ने रपीदीम छोड़ा और सीनै मरुभूमि में डेरे डाले।

16 लोगों ने सीनै मरुभूमि को छोड़ा और किब्रोथत्तावा में डेरे डाले।

17 लोगों ने किब्रोथत्तावा छोड़ा और हसेरोत में डेरे डाले।

18 लोगों ने हसेरोत को छोड़ा और रित्मा में डेरे डाले।

19 लोगों ने रित्मा को छोड़ा और रिम्मोनपेरेस में डेरे डाले।

20 लोगों ने रिम्मोनपेरेस को छोड़ा और लिब्ना में डेरे डाले।

21 लोगों ने लिब्ना छोड़ा और रिस्सा में डेरे डाले।

22 लोगों ने रिस्सा छोड़ा और कहेलाता में डेरे डाले।

23 लोगों ने कहेलाता छोड़ा और शेपेर पर्वत पर डेरे डाले।

24 लोगों ने शेपेर पर्वत छोड़ा और हरादा में डेरे डाले।

25 लोगों ने हरादा छोड़ा और मखेलोत में डेरे डाले।

26 लोगों ने मखेलोत छोड़ा और तहत में डेरे डाले।

27 लोगों ने तहत छोड़ा और तेरह में डेरे डाले।

28 लोगों ने तेरह को छोड़ा और मित्का में डेरे डाले।

29 लोगों ने मित्का छोड़ा और हशमोना में डेरे डाले।

30 लोगों ने हशमोना को छोड़ा और मोसेरोत में डेरे डाले।

31 लोगों ने मोसेरोत छोड़ा और बने—याकान में डेरे डाले।

32 लोगों ने बने—याकान छोड़ा और होर्हग्गिदगाद में डेरे डाले।

33 लोगों ने होर्हग्गिदगाद छोड़ा और योतबाता में डेरे डाले।

34 लोगों ने योतबाता छोड़ा और अब्रोना में डेरे डाले।

35 लोगों ने अब्रोना छोड़ा और एस्योनगेबेर में डेरे डाले।

36 लोगों ने एस्योनगेबेर छोड़ा और सीन मरुभमूमि में कादेश में डेरे डाले।

37 लोगों ने कादेश छोड़ा और होर में डेरे डाले। यह एदोम देश की सीमा पर एक पर्वत था। 38 याजक हारून ने यहोवा की आज्ञा मानी और वह होर पर्वत पर चढ़ा। हारून पाँचवें महीने के प्रथम दिन मरा। वह मिस्र को इस्राएल के लोगों द्वारा छोड़ने का चालीसवाँ वर्ष था। 39 हारून जब होर पर्वत पर मरा तब वह एक सौ तेईस वर्ष का था।

40 अरात कनान के नेगेव प्रदेश में था। कनानी राजा ने वहाँ सुना कि इस्राएल के लोग आ रहे हैं। 41 लोगों ने होर पर्वत को छोड़ा और सलमोना में डेरे डाले।

42 लोगों ने सलमोना को छोड़ा और पूनोन में डेरे डाले।

43 लोगों ने पूनोन छोड़ा और ओबोस में डेरे डाले।

44 लोगों ने ओबोस छोड़ा और अबारीम में डेरे डाले। यह मोआब देश की सीमा पर था।

45 लोगों ने इयीम (इयीम अबारीम) को छोड़ा और दीबोन—गाद में डेरे डाले।

46 लोगों ने दीबोन—गाद छोड़ा और अल्मोनदिबलातैम में डेरे डाले।

47 लोगों ने अल्मोनदिबलातैम छोड़ा और नबो के पास अबारीम पर्वतों पर डेरे डाले।

48 लोगों ने अबारीम पर्वतों को छोड़ा और यरदन नदी के पास मोआब के प्रदेश में डेरे डाले। यह यरीहो के पास था। 49 उन्होंने यरदन के पास डेरे डाले। उनके डेरे वेत्यशीमोत से अबेलशित्तीम चरागाह तक फैले थे। यह अबारीम मोआब के मैदानों में था।

50 यरीहो के पार यरदन घाटी के मोआब के मैदानों में, यहोवा ने मूसा से बात की। उसने कहा, 51 “इस्राएल के लोगों से बात करो। उनसे यह कहोः तुम लोग यरदन नदी को पार करोगे। तुम लोग कनान देश में जाओगे। 52 तुम लोग उन लोगों से भूमि ले लोगे जिन्हें तुम वहाँ पाओगे। तुम लोगों को उनकी उत्कीर्ण मूर्तियों और प्रतीकों को नष्ट कर देना चाहिए। तुम्हें उनके सभी उच्च स्थानों को नष्ट कर देना चाहिए। 53 तुम वह देश लोगे और वहाँ बसोगे। क्यों? क्योंकि यह देश मैं तुमको दे रहा हूँ। यह तुम्हारे परिवारों का होगा। 54 तुम्हारा हर एक परिवार भूमि का हिस्सा पाएगा। तुम इस बात के लिए गोट डालोगे कि देश का कौन सा हिस्सा किस परिवार को मिलता है। बड़े परिवार भूमि का बड़ा हिस्सा पाएंगे। छोटे परिवार देश का छोटा भाग पाएंगे। भूमि उन लोगों को दी जाएगी जिनके नाम गोट निश्चित करेगी। हर एक परिवार समूह अपनी भूमि पाएगा।

55 “तुम लोगों को उन अन्य लोगों से देश खाली करा लेना चाहिए। यदि तुम उन लोगों को अपने देश में ठहरने दोगे तो वे तुम्हारे लिए बहुत परेशानियाँ उत्पन्न करेंगे। वे तुम्हारी आँखों में काँटे या तुम्हारी बगल के कील की तरह होंगे। वे उस देश पर बहुत विपत्तियाँ लाएंगे जहाँ तुम रहोगे। 56 मैंने तुम लोगों को समझा दिया जो मुझे उनके साथ करना है और मैं तुम्हारे साथ वही करूँगा यदि तुम लोग उन लोगों को अपने देश में रहने दोगे।”

कनान की सीमाएँ

34 यहोवा ने मूसा से बात की। उसने कहा, “इस्राएल के लोगों को यह आदेश दोः तुम लोग कनान देश में आ रहे हो। तुम लोग इस देश को हराओगे। तुम लोग पूरा कनान देश ले लोगे। दक्षिणी ओर तुम लोग एदोम के निकट सीन मरुभूमि का भाग प्राप्त करोगे। तुम्हारी दक्षिणी सीमा मृत सागर की दक्षिणी छोर से आरम्भ होगी। यह बिच्छूदर्रे (स्कार्पियन पास) के दक्षिण से गुजरेगी। यह सीन मरुभूमि से होकर कादेशबर्ने तक जाएगी, और तब हसरद्दार तथा तब यह अस्मोन से होकर जाएगी। अस्मोन से सीमा मिस्र की नदी तक जाएगी और इसका अन्त भूमध्य सागर पर होगा। तुम्हारी पश्चिमी सीमा भूमध्य सागर होगी। तुम्हारी उत्तरी सीमा भूमध्य सागर पर आरम्भ होगी और होर पर्वत तक जाएगी। लबानोन में होर पर्वत से यह लेबोहामात को जाएगी और तब सदाद कहो। तब यह सीमा जिप्रोन को जाएगी और तथा यह हसेरनान पर समाप्त होगी। इस प्रकार यह तुम्हारी उत्तरी सीमा होगी। 10 तुम्हारी पूर्वी सीमा एनान पर आरम्भ होगी और यह शापान तक जाएगी। 11 शापान से सीमा ऐन के पूर्व रिबला तक जाएगी। किन्नरेत सागर गलील के सागर के साथ की पहाड़ियों के साथ सीमा चलती रहेगी। 12 तब सीमा यरदन नदी के साथ—साथ चलेगी। इसका अन्त मृत सागर पर होगा। तुम्हारे देश के चारों ओर की सीमा यही है।”

13 मूसा ने इस्राएल के लोगों को आदेश दियाः “यही वह देश है जिसे तुम प्राप्त करोगे। तुम लोग नौ परिवार समूहों और मनश्शे परिवार समूह के आधे लोगों के लिए भूमि बाँटने के लिए उनके नाम गोटें डालोगे। 14 रूबेन, गाद और मनश्शे के आधे परिवार के लोगों के परिवार समूहों ने पहले ही अपना प्रदेश ले लिया है। 15 उस ढाई परिवार समूह ने यरीहो के निकट यरदन नदी के पूर्व अपना प्रदेश ले लिया है।”

16 तब यहोवा ने मूसा से बात की। उसने कहा, 17 “ये लोग हैं जो भूमि बाँटने में तुम्हारी सहायता करेंगेः याजक एलीआज़ार, नून का पुत्र यहोशू 18 और हर एक परिवार समूह से तुम एक नेता चुनोगे। ये लोग भूमि का बँटवारा करेंगे। 19 नेताओं के नाम ये हैं:

यहूदा के परिवार समूह से, यपुन्ने का पुत्र कालेब;

20 शिमोन के परिवार समूह से, अम्मीहूद का पुत्र शमूएल।

21 बिन्यामीन के परिवार समूह से, किसलोन का पुत्र एलीदाद।

22 दान के परिवार समूह से, योग्ली का पुत्र बुक्की।

23 मनश्शे (यूसुफ का पुत्र) के परिवार समूह से, एपोद का पुत्र हन्नीएल।

24 एप्रैम (यूसुफ का पुत्र) के परिवार समूह से, शिप्तान का पुत्र कमूएल।

25 जबूलून के परिवार समूह से, पर्नाक का पुत्र एलीसापान।

26 इस्साकार के परिवार समूह से, अज्जान का पुत्र पलतीएल।

27 आशेर के परिवार समूह से, शलोमी का पुत्र अहीदूद।

28 नप्ताली के परिवार समूह से, अम्मीहूद का पुत्र पदहेल।”

29 यहोवा ने इन पुरुषों को इस्राएल के लोगों में कनान की भूमि बाँटने के लिये चुना।

लेवीवंश के नगर

35 यहोवा ने मूसा से बात की जो यरीहो के पार यरदन नदीं के किनारे मोआब की यरदन घाटी में हुई। यहोवा ने कहा, “इस्राएल के लोगों से कहो कि उन्हें अपने हिस्से के देश में से कुछ नगर लेवीवंशियों को देना चाहिए। इस्राएल के लोगों को नगर और उसके चारों ओर की चरागाहें लेविवंशियों को देनी चाहिए। लेवीवंशी उन नगरों में रह सकेंगे और सभी मवेशी तथा अन्य जानवर, जो लेवीवंशियों के होंगे, नगर के चारों ओर की चरागाहों में चर सकेंगे। तुम लेवीवंशियों को अपने देश का कितना भाग दोगे? नगरों की दीवारों से डेढ़ हजार फीट[a] बाहर तक नापते जाओ। वह सारी भूमि लेवीवंशियों की होगी। सारी तीन हजार फीट भूमि नगर के पूर्व तीन हजार फीट नगर के दक्षिण, तीन हजार फीट[b] नगर के पश्चिम तथा तीन हजार फीट नगर के उत्तर, भी लेवीवंशियों की होगी उस भूमि के मध्य में नगर होगा। उन नगरों में से छः नगर सुरक्षा नगर होंगे। यदि कोई व्यक्ति किसी को संयोगवश मार डालता है तो वह सुरक्षा के लिए उन नगरों में भाग कर जा सकता है। उन छः नगरों के अतिरिक्त तुम लेवीवंशियों को बयालीस अन्य नगर दोगे। इस प्रकार तुम लेवीवंशियों को कुल अड़तालीस नगर दोगे। तुम उन नगरों के चारों ओर की भूमि भी दोगे। इस्राएल के बड़े परिवार भूमि के बड़े भाग देंगे। इस्राएल के छोटे परिवार भूमि के छोटे भाग देंगे। सभी परिवार समूह लेवीवंशियों को अपने हिस्से के प्रदेश में से कुछ भाग प्रदान करेंगे।”

तब यहोवा ने मूसा से बात की। उसने कहा, 10 “लोगों से यह कहोः तुम लोग यरदन नदी को पार करोगे और कनान देश में जाओगे। 11 तुम्हें सुरक्षा नगर बनाने के लिए नगरों को चुनना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति संयोगवश किसी को मार डालता है, तो यह सुरक्षा के लिए इन नगरों में से किसी में भागकर जा सकता है। 12 वह उस किसी भी व्यक्ति से सुरक्षित रहेगा जो मृतक व्यक्ति के परिवार का हो और उसे पकड़ना चाहता हो। वह तब तक सुरक्षित रहेगा जब तक न्यायालय में उनके बारे में निर्णय नहीं हो जाता। 13 सुरक्षा नगर छः होंगे। 14 उन नगरों में तीन नगर यरदन नदी के पूर्व होंगे और तीन अन्य नगर कनान प्रदेश में यरदन नदी के पश्चिम में होंगे। 15 वे नगर इस्राएल के नागरिकों, विदेशियों और यात्रियों के लिए सुरक्षा नगर होंगे। कोई भी व्यक्ति, जो संयोगवश किसी को मार डालता है, इन किसी एक नगर में भाग कर जा सकेगा।

16 “यदि कोई व्यक्ति किसी को मारने के लिए लोहे का हथियार उपयोग में लाता है, तो उस व्यक्ति को मरना चाहिए 17 और यदि कोई व्यक्ति एक पत्थर उठाता है और किसी को मार डालता है, तो उसे भी मरना चाहिए। पत्थर उस आकार का होना चाहिए जिसे व्यक्तियों को मारने के लिए प्रायः उपयोग में लाया जाता है। 18 यदि कोई व्यक्ति किसी लकड़ी का उपयोग करता है और किसी को मार डालता है, तो उसे मरना चाहिए। लकड़ी एक हथियार के रूप में होनी चाहिए जिसका उपयोग प्रायः लोग मनुष्यों को मारने के लिए करते हैं। 19 मृतक व्यक्ति के परिवार का सदस्य[c] उस हत्यारे का पीछा कर सकता है और उसे मार सकता है।

20-21 “कोई व्यक्ति किसी पर हाथ से प्रहार कर सकता है और उसे मार सकता है या कोई व्यक्ति किसी को धक्का दे सकता है और उसे मार सकता है या कोई व्यक्ति पर कुछ फेंक सकता है और उसे मार सकता है। यदि उस मारने वाले ने घृणा के कारण ऐसा किया तो वह हत्यारा है। उस व्यक्ति को मार डालना चाहिए। मृतक के परिवार का कोई सदस्य उस हत्यारे का पीछा कर सकता है और उसे मार सकता है।

22 “किन्तु कोई व्यक्ति संयोगवश किसी को मार सकता है। वह व्यक्ति उस व्यक्ति से घृणा नहीं करता था, वह घटना संयोगवश हो गई या कोई व्यक्ति कुछ फेंक सकता है और संयोगवश किसी को मार सकता है, उसने मारने का इरादा नहीं किया था। 23 या कोई व्यक्ति कोई बड़ा पत्थर फेंक सकता है और वह पत्थर किसी ऐसे व्यक्ति पर गिर पड़े जो उसे न देख रहा हो और वह उसे मार डाले। उस व्यक्ति ने किसी को मार डालने का इरादा नहीं किया था। उसने मृतक व्यक्ति के प्रति घृणा नहीं रखी थी, यह केवल संयोगवश हुआ। 24 यदि ऐसा हो, तो जाति निर्णय करेगी कि क्या किया जाए। जाति का न्यायालय यह निर्णय देगा कि मृतक व्यक्ति के परिवार का सदस्य उसे मार सकता है। 25 यदि न्यायालय को यह निर्णय देना है कि वह जीवित रहे तो उसे अपने “सुरक्षा नगर” में जाना चाहिए। उसे वहाँ तब तक रहना चाहिए जब तक महायाजक न मरे, यह महायाजक वही होना चाहिए जिसका अभिषेक पवित्र तेल से हुआ हो।

26-27 “उस व्यक्ति को अपने सुरक्षा नगर की सीमाओं के कभी बाहर नहीं जाना चाहिए। यदि वह सीमाओं के पार जाता है और मृतक व्यक्ति परिवार का सदस्य उसे पकड़ता है और उसको मार डालता है तो वह सदस्य हत्या का अपराधी नहीं होता। 28 उस व्यक्ति को, जिसने संयोगवश किसी को मार डाला है सुरक्षा नगर में तब तक रहना पड़ेगा जब तक महायाजक मर नहीं जाता। महायाजक के मरने के बाद वह व्यक्ति अपने देश को लौट सकता है। 29 ये नियम तुम्हारे लोगों के नगरों के लिए सदा के लिए नियम होंगे।

30 “हत्यारे को तभी मृत्यु दण्ड दिया जा सकेगा। जब उसके विरोध में एक से अधिक गवाहियाँ होंगी। यदि एक ही गवाह होगा तो किसी व्यक्ति को प्राणदण्ड नहीं दिया जाएगा।

31 “यदि कोई व्यक्ति हत्यारा है, तो उसे मार डालना चाहिए। धन के बदले उसे छोड़ नहीं दिया जाना चाहिए। उस हत्यारे को मार दिया जाना चाहिए।

32 “यदि किसी व्यक्ति ने किसी को मारा और वह भाग कर किसी ‘सुरक्षा नगर’ में गया, तो घर लौटने के लिये उससे धन न लो। उस व्यक्ति को उस नगर में तब तक रहना पड़ेगा जब तक याजक न मरे।

33 “अपने देश को निरपराधों के खून से भ्रष्ट मत होने दो। यदि कोई व्यक्ति किसी को मारता है, तो उस अपराध का बदला केवल यही है कि उस व्यक्ति को मार दिया जाए। अन्य कोई ऐसा भुगतान नहीं है जो उस अपराध से उस देश को मुक्त कर सके। 34 मैं यहोवा हूँ! मैं इस्राएल के लोगों के साथ तुम्हारे देश में सदा रहता रहूँगा। मैं उस देश में रहता रहूँगा अतः निरपराध लोगों के खून से उस देश को अपवित्र न करो।”

सलोफाद की पुत्रियों का देश

36 मनश्शे यूसुफ का पुत्र था। माकीर मनश्शे का पुत्र था। गिलाद माकीर का पुत्र था। गिलाद परिवार के नेता मूसा और इस्राएल के परिवार समूह के नेताओं से बात करने गए। उन्होंने कहा, “महोदय, यहोवा ने आदेश दिया कि हम लोग अपनी भूमि गोट डालकर प्राप्त करें और महोदय, यहोवा ने आदेश दिया कि सलोफाद की भूमि उसकी पुत्रियों को मिले। सलोफाद हमारा भाई था। यह हो सकता है कि किसी दूसरे परिवार समूह का व्यक्ति सलोफाद की किसी पुत्री से विवाह करे। क्या वह भूमि हमारे परिवार से निकल जाएगी क्या उस दूसरे परिवार समूह के व्यक्ति उस भूमि को प्राप्त करेंगे क्या हम लोग वह भूमि खो देंगे जिसे हम लोगों ने गोट डालकर प्राप्त किया था लोग अपनी भूमि बेच सकते हैं। किन्तु जुबली के वर्ष में सारी भूमि उस परिवार समूह को लौट जाती है जो इसका असली मालिक होता है। उस समय सलोफाद की पुत्रियों की भूमि कौन पाएगा यदि वैसा होता है तो हमारा परिवार उस भूमि से सदा के लिए वंचित हो जाएगा।”

मूसा ने इस्राएल के लोगों को यह आदेश दिया। यह आदेश यहोवा का था, “यूसुफ के परिवार समूह के ये व्यक्ति ठीक कहते हैं! सलोफाद की पुत्रियों के लिए यहोवा का यह आदेश हैः यदि तुम किसी से विवाह करना चाहती हो तो तुम्हें अपने परिवार समूह के किसी पुरुष के साथ ही विवाह करना चाहिए। इस प्रकार, इस्राएल के लोगों में भूमि एक परिवार समूह से दूसरे परिवार समूह में नहीं जाएगी। हर एक इस्राएली अपने पूर्वजों की भूमि को ही अपने पास रखेगा। और यदि कोई पुत्री पिता की भूमि प्राप्त करती है, तो उसे अपने परिवार समूह में से ही किसी के साथ विवाह करना चाहिए। इस प्रकार, हर एक व्यक्ति वही भूमि अपने पास रखेगा जो उसके पूर्वजों की थी। इस प्रकार, इस्राएल के लोगों में एक परिवार समूह से दूसरे परिवार समूह में नहीं जाएगी। हर एक इस्राएली वह भूमि रखेगा जो उसके अपने पूर्वजों की थी।”

10 सलोफाद की पुत्रियों ने, मूसा को दिये गए यहोवा के आदेश को स्वीकार किया। 11 इसलिए सलोफाद की पुत्रियाँ महला, तिर्सा, होग्ला, मिल्का और नोआ ने अपने चचेरे भाइयों के साथ विवाह किया। 12 उनके पति यूसुफ के पुत्र मनश्शे के परिवार समूह के थे, इसलिए उनकी भूमि उनके पिता के परिवार और परिवार समूह की बनी रही।

13 इस प्रकार ये नियम और आदेश यरीहो के पार यरदन नदी के किनारे मोआब क्षेत्र में मूसा को दिये गए यहोवा के आदेश थे और मूसा ने उन नियमों और आदेशों को इस्राएल के लोगों को दिया।

मूसा इस्राएल के लोगों से बातचीत करता है

मूसा द्वारा इस्राएल के लोगों को दिया गया सन्देश यह है। उसने उन्हें यह सन्देश तब दिया जब वे यरदन की घाटी में, यरदन नदी की पूर्व के मरुभूमि में थे। यह सूप के उस पार एक तरफ पारान मरुभूमि और दूसरी तरफ तोपेल, लाबान, हसेरोत और दीजाहाब नगरों के बीच में था।

होरेब (सीनै) पर्वत से सेईर पर्वत से होकर कादेशबर्ने की यात्रा केवल ग्यारह दिन की है। किन्तु जब मूसा ने इस्राएल के लोगों को इस स्थान पर सन्देश दिया तब इस्राएल के लोगों को मिस्र छोड़े चालीस वर्ष हो चुके थे। यह चालीस वर्ष के ग्यारहवें महीने का पहला दिन था, जब मूसा ने लोगों से बातें कीं तब उसने उनसे वही बातें कहीं जो यहोवा ने उसे कहने का आदेश दिया था। यह यहोवा की सहायता से उनके द्वारा एमोरी लोगों के राजा सीहोन और बाशान के राजा ओग को पराजित किए जाने के बाद हुआ। (सीहोन हेशबोन और ओग अशतारोत एवं एद्रेई में रहते थे।) उस समय वे यरदन नदी के पूर्व की ओर मोआब के प्रदेश में थे और मूसा ने परमेश्वर के आदेशों की व्याख्या की। मूसा ने कहाः

“यहोवा, हमारे परमेश्वर ने होरेब (सीनै) पर्वत पर हमसे कहा। उसने कहा, ‘तुम लोग काफी समय तक इस पर्वत पर ठहर चुके हो। यहाँ से चलने के लिए हर एक चीज तैयार कर लो। एमोरी लोगों के यरदन घाटी, पहाड़ी क्षेत्र, पश्चिमी ढाल—अराबा का पहाड़ी प्रदेश, नीची भूमी, नेगेव और समुद्र से लगे क्षेत्रों में जाओ। कनानी लोगों के देश में तथा लबानोन में परात नामक बड़ी नदी तक जाओ। देखो, मैंने यह सारा देश तुम्हें दिया है। अन्दर जाओ, और स्वयं उस पर अधिकार करो। यह वही देश है जिसे देने का वचन मैंने तुम्हारे पूर्वजों इब्राहीम, इसहाक और याकूब को दिया था। मैंने यह प्रदेश उन्हें तथा उनके वंशजों को देने का वजन दिया था।’”

मूसा प्रमुखों की नियुक्ति करता है

मूसा ने कहा, “उस समय जब मैंने तुमसे बात की थी तब कहा था, मैं अकेले तुम लोगों का नेतृत्व करने और देखभाल करने में समर्थ नहीं हूँ। 10 यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने क्रमशः लोगों को इतना बढ़ाया है कि तुम लोग अब उतने हो गए हो जितने आकाश में तारे हैं! 11 तुम्हें यहोवा, तुम्हारे पूर्वजों का परमेश्वर, आज तुम जितने हो, उससे हजार गुना अधिक करे! वह तुम्हें वह आशीर्वाद दे जो उसने तुम्हें देने का वचन दिया है! 12 किन्तु मैं अकेले तुम्हारी देखभाल नहीं कर सकता और न तो तुम्हारी सारी समस्याओं और वाद—विवाद का समाधान कर सकता हूँ। 13 ‘इसलिए हर एक परिवार समूह से कुछ व्यक्तियो को चुनो और मैं उन्हें तुम्हारा नेता बनाऊँगा। उन बुद्धिमान लोगों को चुनो जो समझदार और अनुभवी हों।’

14 “और तुम लोगों ने कहा, ‘हम लोग समझते हैं ऐसा करना अच्छा है।’

15 “इसलिए मैंने, तुम लोगों द्वारा अपने परिवार समूह से चुने गए बुद्धिमान और अनुभवी व्यक्तियों को लिया और उन्हें तुम्हार प्रमुख बनाया। मैंने उनमें से कुछ को हजार का, कुछ को सौ का, कुछ को पचास का और कुछ को दस का प्रमुख बनाया है। उनको मैंने तुम्हारे परिवार समूहों के लिए अधिकारी नियुक्त किया है।

16 “उस समय, मैंने तुम्हारे इन प्रमुखों को तुम्हारा न्यायाधीश बनाया था। मैंने उनसे कहा, ‘अपने लोगों के बीच के वाद—प्रतिवाद को सुनो। हर एक मुकदमे का फैसला सही—सही करो। इसका कोई महत्व नहीं कि मुकदमा दो इस्राएली लोगों के बीच है या इस्राएली और विदेशी के बीच। तुम्हें हर एक मुकदमे का फैसला सही करना चाहिए। 17 जब तुम फैसला करो तब यह न सोचो कि कोई व्यक्ति दूसरे की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण है। तुम्हें हर एक व्यक्ति का फैसला एक समान समझकर करना चाहिए। किसी से डरो नहीं क्योंकि तुम्हारा फैसला परमेश्वर से आया है। किन्तु यदि कोई मुकदमा इतना जटिल हो कि तुम फैसला ही न कर सको तो उसे मेरे पास लाओ और इसका फैसला मैं करूँगा।’ 18 उसी समय, मैंने वे सभी दूसरी बातें बताईं जिन्हें तुम्हें करना है।

जासूस कनान देश में गए

19 “तब हम लोगों ने वह किया जो हमारे परमेश्वर यहोवा ने हमें आदेश दिया। हम लोगों ने होरेब पर्वत को छोड़ा और एमोरी लोगों के पहाड़ी प्रदेश की यात्रा की। हम लोग उन बड़ी और सारी भयंकर मरुभूमि से होकर गुजरे जिन्हें तुमने भी देखा। हम लोग कादेशबर्ने पहुँचे। 20 तब मैंने तुमसे कहा, ‘तुम लोग एमोरी लोगों के पहाड़ी प्रदेश में आ चुके हो। यहोवा हामारा परमेश्वर यह देश हमको देगा। 21 देखो, यह देश वहाँ है! आगे बढ़ो और भूमि को अपना बना लो! तुम्हारे पूर्वजों के यहोवा परमेश्वर ने तुम लोगों को ऐसा करने को कहा है। इसलिए डरो नहीं, किसी प्रकार की चिन्ता न करो!’

22 “तब तुम सभी मेरे पास आए और बोले, ‘हम लोगों के पहले उस देश को देखने के लिए व्यक्तियों को भेजो। वे वहाँ के सभी कमजोर और शक्तिशाली स्थानों को देख सकते हैं। वे तब वापस आ सकते हैं और हम लोगों को उन रास्तों को बता सकते हैं जिनसे हमें जाना है तथा उन नगरों को बता सकते हैं जिन तक हमें पहुँचना है।’

23 “मैंने सोचा कि यह अच्छा विचार है। इसलिए मैंने तुम लोगों में से हर परिवार समूह के लिए एक व्यक्ति के हिसाब से बारह व्यक्तियों को चुना। 24 तब वे व्यक्ति हमें छोड़कर पहाड़ी प्रदेश में गए। वे एशकोल की घाटी में गए और उन्होंने उसकी छान—बीन की। 25 उन्होंने उस प्रदेश के कुछ फल लिए और उन्हें हमारे पास लाए। उन्होंने हम लोगों को विवरण दिया और कहा, ‘यह अच्छा देश है जिसे यहोवा हमारा परमेश्वर हमें दे रहा है!’

26 “किन्तु तुमने उसमें जाने से इन्कार किया। तुम लोगों ने अपने यहोवा परमेश्वर के आदेश को मानने से इन्कार किया। 27 तुम लोगों ने अपने खेमों में शिकायत की। तुम लोगों ने कहा, ‘यहोवा हमसे घृणा करता है! वह हमें मिस्र से बाहर एमोरी लोगों को देने के लिए ले आया। जिससे वे हमें नष्ट कर सकें! 28 अब हम लोग कहाँ जायें? हमारे बारह जासूस भाईयों ने अपने विवरण से हम लोगों को डराया। उन्होंने कहा: वहाँ के लोग हम लोगों से बड़े और लम्बे हैं, नगर बड़े हैं और उनकी दीवारें आकाश को छूती हैं और हम लोगों ने दानव लोगों को वहाँ देखा।’

29 “तब मैंने तुमसे कहा, ‘घबराओ नहीं! उन लोगों से डरो नहीं! 30 यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हारे सामने जायेगा और तुम्हारे लिए लड़ेगा। वह यह वैसे ही करेगा जैसे उसने मिस्र में किया। तुम लोगों ने वहाँ अपने सामने उसको 31 मरुभूमि में जाते देखा। तुमने देखा कि यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें वैसे ले आया जैसे कोई व्यक्ति अपने पुत्र को लाता है। यहोवा न पूरे रास्ते तुम लोगों की रक्षा करते हुए तुम्हें यहाँ पहुँचाया है।’

32 “किन्तु तब भी तुमने यहोवा अपने परमेश्वर पर विश्वास नहीं किया। 33 जब तुम यात्रा कर रहे थे तब वह तुम्हारे आगे तुम्हारे डेरे डालने के लिए जगह खोजने गया। तुम्हें यह बताने के लिए कि तुम्हें किस राह जाना है वह रात को आग में और दिन को बादल में चला।

लोगों के कनान जाने पर प्रतिबन्ध

34 “यहोवा ने तुम्हारा कहना सुना, वह क्रोधित हुआ। उसने प्रतिज्ञा की। उसने कहा, 35 ‘आज तुम जीवित बुरे लोगों में से कोई भी व्यक्ति उस अच्छे देश में नहीं जाएगा जिसे देने का वचन मैंने तुम्हारे पूर्वजों को दिया है। 36 यपुन्ने का पुत्र कालेब ही केवल उस देश को देखेगा। मैं कालेब को वह देश दूँगा जिस पर वह चला और मैं उस देश को कालेब के वंशजों को दूँगा। क्यों? क्यो कि कालेब ने वह सब किया जो मेरा आदेश था।’

37 “यहोवा तुम लोगों के कारण मुझसे भी अप्रसन्न था। उसने मुझसे कहा, ‘तुम भी उस देश में नहीं जा सकते। 38 किन्तु तुम्हारा सहायक, नून का पुत्र यहोशू उस देश में जाएगा। यहोशू को उत्साहित करो, क्योंकि वही इस्राएल के लोगों को भूमि पर अपना अधिकार जामाने के लिए ले जाएगा।’ 39 और यहोवा ने हमसे कहा, ‘तुमने कहा, कि तुम्हारे छोटे बच्चे शत्रु द्वारा ले लिए जायेंगे। किन्तु वे बच्चे उस देश में जायेंगे। मैं तुम्हारी गलतियों के लिए तुम्हारे बच्चों को दोषी नहीं मानता। क्योंकि वे अभी इतने छोटे हैं कि वे यह जान नहीं सकते कि क्या सही है और क्या गलत। इसलिए मैं उन्हें वह देश दूँगा। तुम्हारे बच्चे अपने देश के रूप में उसे प्राप्त करेंगे। 40 लेकिन तुम्हें, पीछे मुड़ना चाहिए और लाल सागर जाने वाले मार्ग से मरुभूमि को जाना चाहिए।’

41 “तब तुमने कहा, ‘मूसा, हम लोगों ने यहोवा के विरुद्ध पाप किया है। किन्तु अब हम आगे बढ़ेंगे और जैसे पहले यहोवा हमारे परमेश्वर ने आदेश दिया था वैसे ही लड़ेंगे।’

“तब तुम में से हर एक ने युद्ध के लिए शस्त्र धारण किये। तुम लोगों ने सोचा कि पहाड़ में जाना सरस होगा। 42 किन्तु यहोवा ने मुझसे कहा, ‘लोगों से कहो कि वे वहाँ न जायें और न लड़ें। क्यों? क्योंकि मैं उनका साथ नहीं दूँगा और उनके शत्रु उनको हरा देंगे।’

43 “इसलिए मैंने तुम लोगों को समझाने की कोशिश की, किन्तु तुम लोगों ने मेरी एक न सुनी। तुम लोगों ने यहोवा का आदेश मानने से इन्कार कर दिया। तुम लोगों ने अपनी शक्ति का उपयोग करने की बात सोची। इसलिए तुम लोग पहाड़ी प्रदेश में गए। 44 तब एमोरी लोग तुम्हारे विरुद्ध आए। वे उस पहाड़ी प्रदेश में रहते हैं। उन्होंने तुम्हारा वैसे पीछा किया जैसे मधुमक्खियाँ लोगों का पीछा करती हैं। उन्होंने तुम्हारा सेईर से लेकर होर्मा तक पूरे रास्ते पीछा किया और तुम्हें वहाँ हराया। 45 तुम सब लौटे और यहोवा के सामने सहायता के लिए रोए चिल्लाए। किन्तु यहोवा ने तुम्हारी बात कुछ न सुनी। उसने तुम्हारी बात सुनने से इन्कार कर दिया। 46 इसलिए तुम लोग कादेश में बहुत समय तक ठहरे।

इस्राएल के लोग मरुभूमि में भटकते हैं

“तब हम लोग मुड़े और लालसागर के सड़क पर मरुभूमि की यात्रा की। यह वह काम है जिसे यहोवा ने कहा कि हमें करना चाहिए। हम लोग सेईर के पहाड़ी प्रदेश से होकर कई दिन चले। तब यहोवा ने मुझसे कहा, ‘तुम इस पहाड़ी प्रदेश से होकर काफी समय चल चुके हो। उत्तर की ओर मुड़ो। और उसने मुझे तुमसे यह कहने को कहाः तुम सेईर प्रदेश से होकर गुजरोगे। यह प्रदेश तुम लोगों के सम्बन्धी एसाव के वंशजों का है। वे तुमसे डरेंगे। बहुत सावधान रहो। उनसे लड़ो मत। मैं उनकी कोई भी भूमि एक फुट भी तुमको नहीं दूँगा। क्यों? क्योंकि मैंने एसाव को सेईर का पहाड़ी प्रदेश उसके अधिकार में दे दिया। तुम्हें एसाव के लोगों को वहाँ पर भोजन करने या पानी पीने का मूल्य चुकाना चाहिए। यह याद रखो कि यहोवा तुम्हारे परमेश्वर, ने तुमको तुमने जो कुछ भी किया उन सभी के लिए आशीर्वाद दिया। वह इस विस्तृत मरुभूमि से तुम्हारा गुजरना जानता है। यहोवा, तुम्हारा परमेश्वर इन चालीस वर्षों में तुम्हारे साथ रहा है। तुम्हें वे सभी चीजें मिली हैं जिनकी तुम्हें आवश्यकता थी।’

“इसलिए हम लोग सेईर में रहने वाले अपने सम्बन्धी एसाव के लोगों के पास से आगे बढ़ गए। यरदन घाटी से एलत और एस्योनगेबेर नगरों को जाने वाली सड़क को पीछे छोड़ दिया। तब हम उस मरुभूमि की तरफ जाने वाली सड़क पर मुड़े जो मोआब में है।

आर—प्रदेश में इस्राएल

“यहोवा ने मुझसे कहा, ‘मोआब के लोगों को परेशान न करो। उनके खिलाफ लड़ाई न छेड़ो। मैं उनकी कोई भूमि तुमको नहीं दुँगा। वे लूत के वंशज हैं, और मैंने उन्हें आर प्रदेश दिया है।’”

10 (पहले, आर में एमी लोग रहते थे। वे शक्तिशाली लोग थे और वहाँ उनमें से बहुत से थे। वे अनाकी लोगों की तरह बहुत लम्बे थे। 11 अनाकी लोगो की तरह, एमी रपाई लोगों के एक भाग समझे जाते थे। किन्तु मोआबी लोग उन्हें एमी कहते थे। 12 पहले होरी लोग भी सेईर में रहते थे, किन्तु एसाव के लोगों ने उनकी भुमि ले ली। एसाव के लोगों ने होरीतों को नष्ट कर दिया। तब एसाव के लोग वहाँ रहने लगे जहाँ पहले होरीत रहते थे। यह वैसा ही काम था जैसा इस्राएल के लोगों द्वारा उन लोगों के प्रति किया गया जो यहोवा द्वारा इस्राएली अधिकार में भूमि को देने के पहले वहाँ रहते थे।)

13 “यहोवा ने मुझसे कहा, ‘अब तैयार हो जाओ और जेरेद घाटी के पार जाओ।’ इसलिए हमने जेरेद घाटी को पार किया। 14 कादेशबर्ने को छोड़ने और जेरेदे घाटी को पार करने में अड़तीस वर्ष का समय बीता था। उस पीढ़ी के सभी योद्धा मर चुके थे। यहोवा ने कहा था कि ऐसा ही होगा। 15 यहोवा उन लोगों के विरुद्ध तब तक रहा जब तक वे सभी नष्ट न हो गए।

16 “जब सभी योद्धा मर गए और लोगों के बीच से सदा के लिए समाप्त हो गए। 17 तब यहोवा ने मुझसे कहा, 18 ‘आज तुम्हें आर नगर की सीमा से होकर जाना चाहिए। 19 जब तुम अम्मोनी लोगों के पास पहुँचो तो उन्हें तंग मत करना। उनसे लड़ना नहीं क्योंकि मैं तुम्हें उनकी भूमि नहीं दूँगा। क्यों? क्योंकि मैंने वह भूमि लूत के वंशजों को अपने पास रखने के लिए दी है।’”

20 (वह प्रदेश रपाई लोगों का देश भी कहा जाता है। वे ही लोग पहले वहाँ रहते थे। अम्मोनी के लोग उन्हें जमजुम्मी लोग कहते थे। 21 जमजुम्मी लोग बहुत शक्तिशाली थे और उनमें से बहुत से वहाँ थे। वे अनाकी लोगों की तरह लम्बे थे। किन्तु यहोवा ने जमजुम्मी लोगों को अम्मोनी लोगों के लिए नष्ट किया। अम्मोनी लोगों ने जमजुम्मी लोगों का प्रदेश ले लिया और अब वे वहाँ रहते थे। 22 परमेश्वर ने यही काम एसावी लोगों के लिए किया जो सेईर में रहते थे। उन्होंने वहाँ रहने वाले होरी लोगों को नष्ट किया। अब एसाव के लोग वहाँ रहते हैं जहाँ पहले होरी लोग रहते थे। 23 और कुछ लोग कप्तोर से आए और अव्वियों को उन्होंने नष्ट किया। अव्वी लोग अज्जा तक, नगरों में रहते थे किन्तु यहोवा ने अव्वियों को कप्तोरी लोगों के लिए नष्ट किया।)

एमोरी लोगों के विरुद्ध युद्ध करने का आदेश

24 “यहोवा ने मुझसे कहा, ‘यात्रा के लिए तैयार हो जाओ। अर्नोन नदी की घाटी से होकर जाओ। मैं तुम्हें हेशबोन के राजा एमोरी सीहोन पर विजय की शक्ति दे रहा हूँ। मैं तुम्हें उसका देश जीतने की शक्ति दे रहा हूँ। इसलिए उसके विरुद्ध लड़ो और उसके देश पर अधिकार करना आरम्भ करो। 25 आज मैं तुम्हें सारे संसार के लोगों को भयभीत करने वाला बनाना आरम्भ कर रहा हूँ। वे तुम्हारे बारे में सूचनाएँ पाएंगे और वे भय से काँप उठेंगे। जब वे तुम्हारे बारे में सोचेंगे तब वे घबरा जाएंगें।’

26 “कदेमोत की मरुभूमि से मैंने हेशबोन के राजा सिहोन के पास एक दूत को भेजा। दूत ने सीहोन के सामने शान्ति सन्धि रखी। उन्होंने कहा, 27 ‘अपने देश से होकर हमें जाने दो। हम लोग सड़क पर ठहरेंगे। हम लोग सड़क से दायें। या बाएं नहीं मुड़ेंगे। 28 हम जो भोजन करेंगे या जो पानी पीएंगे उसका मूल्य चाँदी मे चुकाएंगे। हम केवल तुम्हारे देश से यात्रा करना चाहते हैं। 29 अपने देश से होकर तुम हमें तब तक जाने दो जब तक हम यरदन नदी को पार कर उस देश में न पहुँचें जिसे यहोवा, हमारा परमेशवर, हमें दे रहा है। अन्य लोगों में सेईर में रहने वाले एसाव तथा आर में रहने वाले मोआबी लोगों ने अपने देश से हमें गुजरने दिया है।’

30 “किन्तु हेशबोन के राजा सीहोन ने, अपने देश से हमें गुजरने नहीं दिया। यहोवा, तुम्हारे परमेश्वर ने, उसे बहुत हठी बना दिया था। यहोवा ने यह इसलिए किया कि वह सीहोन को तुम्हारे अधिकार में दे सके और उसने अब यह कर दिया है।

31 “यहोवा ने मुझसे कहा, ‘मैं राजा सीहोन और उसके देश को तुम्हें दे रहा हूँ। भूमि लेना आरम्भ करो। यह तब तुम्हारी होगी।’

32 “तब राजा सीहोन और उसके सब लोग हमसे यहस में युद्ध करने बाहर निकले। 33 किन्तु हमारे परमेश्वर ने उसे हमें दे दिया। हमने उसे, उसके नगरों और उसके सभी लोगों को हराया। 34 हम लोगों ने उन सभी नगरों पर अधिकार कर लिया जो सीहोन के अधिकार में उस समय थे। हम लोगों ने हर एक नगर में लोगों—पुरूष, स्त्री तथा बच्चों को पूरी तरह नष्ट कर दिया। हम लोगों ने किसी को जीवित नहीं छोड़ा। 35 हम लोगों ने जिन नगरों को जीता उनसे केवल पशु और कीमती चीजें लीं। 36 हमने अरोएर नगर को जो अर्नोन की घाटी में है तथा उस घाटी के मध्य के अन्य नगर को भी हराया। यहोवा हमारे परमेश्वर ने हमें अर्नोन की घाटी और गिलाद के बीच के सभी नगरों को पराजित करने दिया। कोई नगर हम लोगों के लिए हमारी शक्ति से बाहर दृढ़ नहीं था। 37 किन्तु उस प्रदेश के निकट नहीं गए जो अम्मोनी लोगों का था। तुम यब्बोक नदी के तटों या पहाड़ी प्रदेश के नगरों के निकट नहीं गए। तुम ऐसी किसी जगह के निकट नहीं गए जिसे यहोवा, हमारा परमेश्वर हमें लेने देना नहीं चाहता था।

बाशान के लोगों के साथ युद्ध

“हम मुड़े और बाशान को जानेवाली सड़क पर चलते रहे। बाशान का राजा ओग और उसके सभी लोग प्रदेश में हम लोगों से लड़ने आए। यहोवा ने मुझसे कहा, ‘ओग से डरो मत, क्योंकि मैंने इसे तुम्हारे हाथ में देने का निश्चय किया है। मैं इसके सभी लोगों और भूमि को तुम्हें दूँगा। तुम इसे वैसे ही हराओगे जैसे तुमने हेशबोन के शासक एमोरी राजा सीहोन को हराया।’

“इस प्रकार यहोवा, हमारे परमेश्वर ने बाशान के राजा ओग और उसके सभी लोगों को हमारे हाथ में दिया। हमने उसे इस तरह हराया कि उसका कोई आदमी नहीं बचा। तब हम लोगों ने उन नगरों पर अधिकार किया जो उस समय ओग के थे। हमने ओग के लोगों से, बाशान में ओग के राज्य अर्गोब क्षेत्र के सारे साठ नगर लिए। ये सभी नगर ऊँची दीवारों, द्वारों और द्वारों में मजबूत छड़ों के साथ बहुत शक्तिशाली थे। कुछ दूसरे नगर बिना दीवारों के थे। हम लोगों ने उन्हें वैसे नष्ट किया जैसे हेशबोन के राजा सीहोन के नगरों को नष्ट किया था। हमने हर एक नगर को उनके लोगों के साथ, स्त्रियों और बच्चों को भी, नष्ट किया। किन्तु हमने नगरों से सभी पशुओं और कीमती चीजों को अपने लिए रखा।

“उस समय, हमने एमोरी लोगों के दो राजाओं से भूमि ली। यह भूमि यरदन नदी की दूसरी ओर है। यह भूमि अर्नोन घाटी से लेकर हेर्मोन पर्वत तक है। (सिदोनी हेर्मोन पर्वत को ‘सिर्योन’ कहते हैं, किन्तु एमोरी इसे ‘सनीर’ कहते हैं।) 10 हमने समतल मैदान के नगर और गिलाद और सारे बाशान में सल्का और एद्रेई तक के नगर पर आधिपत्य स्थापित किया। सल्का और एद्रेई बाशान में ओग के राज्य के नगर थे।”

11 (बाशान का राजा ओग अकेला व्यक्ति था जो रपाई लोगों में जीवित छोड़ा गया था। ओग की चारपाई लोहे की थी। यह लगभग नौ हाथ लम्बी और चार हाथ चौड़ी[d] थी। रब्बा नगर में यह चारपाई अभी तक है, जहाँ एमोरी लोग रहते है।)

यरदन नदी के पूर्व की भूमि

12 “उस समय उस भूमि को हम लोगों ने जीता था। मैंने रूबेन परिवार समूह को और गादी परिवार समूह को अर्नोन घाटी के सहारे अरोएर से लेकर गिलाद के आधे पहाड़ी भाग तक उसके नगरों के साथ का प्रदेश दिया है। 13 मनश्शे के आधे परिवार समूह को मैंने गिलाद का दूसरा आधा भाग और पूरा बाशान दिया अर्थात् अर्गोब का पूरा क्षेत्र बाशान ओग का राज्य था।”

(बाशान का क्षेत्र रपाईयों का प्रदेश कहा जाता था। 14 मनश्शे के एक वंशज याईर ने अर्गोब के पूरे क्षेत्र अर्थात् बाशान, गशूरी और माका लोगों की सीमा तक के पूरे प्रदेश पर आधिपत्य स्थापित किया। याईर ने बाशान के इन शहरों को अपने नाम पर रखा। इसी से आज भी याईर नगर के नाम से पुकारा जाता है।)

15 “मैंने गिलाद माकीर को दिया। 16 और रूबेन परिवार समूह को तथा गाद परिवार समूह को मैंने वह प्रदेश दिया जो अर्नोन घाटी से यब्बोक नदी तक जाता है। घाटी के मध्य एक सीमा है। यब्बोक नदी अम्मोनी लोगों की सीमा है। 17 यरदन घाटी में यरदन नदी पश्चिम सीमा निर्मित करती है। इस क्षेत्र के उत्तर में किन्नेरेत झील और दक्षिण में अराबा सागर है (जिसे लवण सागर कहते हैं।) यह पूर्व में पिसगा की चोटी के तलहटी में स्थित है।

18 “उस समय, मैंने उन परिवार समूहों को यह आदेश दिया था: ‘यहोवा, तुम्हारे परमेश्वर ने तुमको रहने के लिए यरदन नदी के इस तरफ का प्रदेश दिया है। किन्तु अब तुम्हारे योद्धाओं को अपने हथियार उठाने चाहिए और अन्य इस्राएली परिवार समूहों को नदी के पार ले जाने की अगुवाई करना चाहिए। 19 तुम्हारी पत्नियाँ, तुम्हारे छोटे बच्चे और तुम्हारे पशु (मैं जानता हूँ कि तुम्हारे पास बहुत से पशु हैं।) यहाँ उन शहरों में रहेंगे जिन्हें मैंने तुम्हें दिया है। 20 किन्तु तुम्हें अपने इस्राएली सम्बन्धियों की सहायता तब तक करनी चाहिए जब तक वे यरदन नदी के दूसरे किनारे पर उस प्रदेश को पा नहीं लेते जो यहोवा ने दिया है। उनकी तब तक सहायता करो जब तक वे ऐसी शान्ति पा लें जैसी तुमने यहाँ पा ली है। तब तुम यहाँ अपने देश में लौट सकते हो जिसे मैंने तुम्हें दिया है।’

21 “तब मैंने यहोशू से कहा, ‘तुमने वह सब देखा है। जो यहोवा, तुम्हारे परमेश्वर ने इन दो राजाओं के साथ किया है। यहोवा ऐसा ही उन सभी राजाओं के साथ करेगा जिनके राज्य में तुम प्रवेश करोगे। 22 इन देशों के राजाओं से डरो मत, क्योंकि यहोवा तुम्हारा परमेश्वर, तुम्हारे लिए लड़ेगा।’

मूसा को कनान में प्रवेश करने से मना

23 “मैंने उस समय यहोवा से विशेष कृपा की प्रार्थना की। 24 मैंने यहोवा से कहा, ‘मेरे स्वामी, यहोवा, मैं तेरा सेवक हूँ। मैं जानता हूँ कि तूने उन शक्तिशाली और अद्भुत चीजों का एक छोटा भाग ही मुझे दिखाया है जो तू कर सकता है। स्वर्ग या पृथ्वी पर कोई ऐसा दूसरा ईश्वर नहीं है, जो तूने किया है तेरे समान महान और शक्तिशाली कार्य कर सके! 25 मैं तुमसे निवेदन करता हूँ कि तू मुझे पार जाने दे और यरदन नदी के दूसरी ओर के अच्छे प्रदेश, सुन्दर पहड़ी प्रदेश लबानोन को देखने दे।’

26 “किन्तु यहोवा तुम्हारे कारण मुझ पर अप्रसन्न था। उसने मेरी बात सुनने से इन्कार कर दिया। उसने मुझसे कहा, ‘तुम अपनी बात यहीं खत्म करो! इसके बारे में एक शब्द भी न कहो। 27 पिसगा पर्वत की चोटी पर जाओ। पश्चिम की ओर, उत्तर की ओर, दक्षिण की ओर, पूर्व की ओर देखो। सारे प्रदेश को तुम अपनी आँखों से ही देखो क्योंकि तुम यरदन नदी को पार नहीं करोगे। 28 तुम्हें यहोशू को निर्देश देना चाहिए। उसे दृढ़ और साहसी बनाओ! क्यों? क्योंकि यहोशू लोगों को यरदन नदी के पार ले जाएगा। यहोशू उन्हें प्रदेश को लेने और उसमें रहने के लिए ले जाएगा। यही वह प्रदेश है जिसे तुम देखोगे।’

29 “इसलिए हम बेतपोर की दूसरी ओर घाटी में ठहर गये।”

मूसा लोगों को परमेश्वर के नियमों पर ध्यान देने के लिए चेतावनी देता है

“इस्राएल, अब उन नियमों और आदेशों को सुनो जिनका उपदेश मैं दे रहा हूँ। उनका पालन करो। तब तुम जीवित रहोगे और जा सकोगे तथा उस प्रदेश को ले सकोगे जिसे यहोवा तुम्हारे पूर्वजों का परमेश्वर तुम्हें दे रहा है। जो मैं आदेश देता हूँ उसमें और कुछ जोड़ना नहीं। तुम्हें उसमें से कुछ घटाना भी नहीं चाहिए। तुम्हें अपने यहोवा परमेश्वर के उन आदेशों का पालन करना चाहिए जिन्हें मैंने तुम्हें दिये हैं।

“तुमने देखा है कि बालपोर में यहोवा ने क्या किया। तुम्हारे यहोवा परमेश्वर ने तुम्हारे उन सभी लोगों को नष्ट कर दिया जो पोर में बाल के अनुयायी थे। किन्तु तुम लोग सभी जो यहोवा अपने परमेश्वर के साथ रहे आज जीवित हो।

“ध्यान दो, मेरे परमेश्वर यहोवा ने जो मुझे आदेश दिये उन्ही नियमों, विधियों की मैंने तुमको शिक्षा दी है। मैंने यहोवा के इन नियमों की शिक्षा इसलिए दी कि जिस देश में प्रवेश करने और जिसे अपना बनाने के लिए तैयार हो उसमें उनका पालन कर सको। इन नियमों का सावधानी से पालन करो। यह अन्य राष्ट्रों को सूचित करेगा कि तुम बुद्धि और समझ रखते हो। जब उन देशों के लोग इन नियमों के बारे में सुनेंगे तो वे कहेंगे कि, ‘सचमुच इस महान राष्ट्र (इस्राएल) के लोग बुद्धिमान और समझदार हैं।’

“किसी राष्ट्र का कोई देवता उनके साथ उतना निकट नहीं रहता जिस तरह हमारा परमेश्वर यहोवा जो हम लोगों के पास रहता है, जब हम उसे पुकारते हैं और कोई दूसरा राष्ट्र इतना महान नहीं कि उसके पास वे अच्छे विधि और नियम हों जिनका उपदेश मैं आज कर रहा हूँ। किन्तु तुम्हें सावधान रहना है। निश्चय कर लो कि जब तक तुम जीवित रहोगे, तब तक तुम देखी गई चीजों को नहीं भूलोगे। तुम्हें इन उपदेशों को अपने पुत्रों और पौत्रों को देना चाहिए। 10 उस दिन को याद रखो जब तुम होरेव (सीनै) पर्वत पर अपने यहोवा परमेश्वर के सामने खड़े थे। यहोवा ने मुझसे कहा, मैं जो कुछ कहता हूँ, उसे सुनने के लिए लोगों को इकट्ठा करो। तब वे मेरा सम्मान सदा करना सीखेंगे जब तक वे घरती पर रहेंगे। और वे ये उपदेश अपने बच्चों को भी देंगे। 11 तुम समीप आए और पर्वत के तले खड़े हुए। पर्वत में आग लग गई और वह आकाश छूने लगी। घने काले बादल और अंधकार उठे। 12 तब यहोवा ने आग में से तुम लोगों से बातें कीं। तुमने किसी बोलने वाले की आवाज सुनी। किन्तु तुमने कोई रुप नहीं देखा। केवल आवाज सुनाई पड़ रही थी। 13 यहोवा ने तुम्हें यह साक्षी पत्र दिया। उसने दस आदेश दिए और उन्हें पालन करने का आदेश दिया। यहोवा ने साक्षीपत्र के नियमों को दो पत्थर की शिलाओं पर लिखा। 14 उस समय यहोवा ने मुझे भी आदेश दिया कि मैं तुम्हें इन विधियों और नियमों का उपदेश दूँ। ये वे नियम व विधि हैं जिनका पालन तुम्हें उस देश में करना चाहिए जिसे तुम लेने और जिसमें रहने तुम जा रहे हो।

15 “उस दिन यहोवा ने होरेब पर्वत की आग से तुमसे बातें कीं। तुमने उसको किसी शारीरिक रूप में नहीं देखा। 16 इसलिए सावधान रहो! पाप मत करो और किसी जीवित के रूप में किसी का प्रतीक या उसकी मूर्ति बनाकर अपने जीवन को चौपट न करो। ऐसी मूर्ति न बनाओ जो किसी पुरुष या स्त्री के सदृश हो। 17 ऐसी मूर्ति न बनाओ जो धरती के किसी जानवर या आकाश के किसी पक्षी की तरह दिखाई देती हो। 18 और ऐसी मूर्ति न बनाओ जो थरती पर रेंगने वाले या समुद्र की मछली की तरह दिखाई देती है। 19 जब तुम आकाश की ओर दृष्टि डालो और सूरज, चाँद, तारे और बहुत कुछ तुम जो कभी आकाश में देखो, उससे सावधान रहो कि तुम में उनकी पूजा या सेवा के लिए प्रलोभन न उत्पन्न हो। यहोवा तुम्हारे परमेशवर ने इन सभी चीजों को संसार के दूसरे लोगों को दिया है। 20 किन्तु यहोवा तुम्हें मिस्र से बाहर लाया है जो तुम्हारे लिए लोहे की भट्टी[e] थी। वह तुम्हें इसलिए लाया कि तुम उसके निज लोग वैसे ही बन सको जैसे तुम आज हो।

21 “यहोवा तुम्हारे कारण मुझ से क्रोधित था। उसने एक विशेष वचन दिया: उसने कहा कि मैं यरदन नदी के उस पार नहीं जा सकता। उसने कहा कि मैं उस सुन्दर प्रदेश में प्रवेश नहीं पा सकता जिसे तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हें दे रहा है। 22 इसलिए मुझे इस देश में मरना चाहिए। मैं यरदन नदी के पार नहीं जा सकता। किन्तु तुम तुरन्त उसके पार जाओगे और उस देश को रहने के लिए प्राप्त करोगे। 23 उस नये देश में तुम्हें सावधान रहना चाहिए कि तुम उस वाचा को न भूल जाओ जो यहोवा, तुम्हारे परमेश्वर ने तुमसे की है। तुम्हें किसी भी प्रकार की मूर्ति नहीं बनानी चाहिए। यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हें उन्हें न बनाने की आज्ञा दी है। 24 क्यों? क्योंकि यहोवा, तुम्हारा परमेश्वर अपने लोगों द्वारा किसी दूसरे देवता की पूजा से घृणा करता है और यहोवा नष्ट करने वाली आग की तरह प्रलयंकर हो सकता है!

25 “जब तुम उस देश में बहुत समय रह लो और तुम्हारे पुत्र, पौत्र हों तब अपने को नष्ट न करो, बुराई न करो। किसी भी रूप में कोई मूर्ति न बनाओ। यहोवा तुम्हारा परमेश्वर यह कहता है कि यह बुरा है! इससे वह क्रोधित होगा! 26 यदी तुम उस बुराई को करोगे तो मैं धरती और आकाश को तुम्हारे विरुद्ध साक्षी के लिए बुलाता हूँ कि यह होगा। तुम शीघ्र ही नष्ट हो जाओगे। तुम यरदन नदी को उस देश को लेने के लिए पार कर रहे हो, किन्तु तुम वहाँ बहुत समय तक नहीं रहोगे। नहीं, तुम पूरी तरह नष्ट हो जाओगे! 27 यहोवा तुमको राष्ट्रों में तितर—बितर कर देगा और तुम लोगों में से उस देश में कुछ ही जीवित रहेंगे जिसमें यहोवा तुम्हें भेजेगा। 28 तुम लोग वहाँ मनुष्यों के बनाए देवताओं की पूजा करोगे, उन चीजों की जो लकड़ी और पत्थर की होंगी जो देख नहीं सकतीं, सुन नहीं सकतीं, खा नहीं सकतीं, सूँघ नहीं सकतीं। 29 किन्तु इन दूसरे देशों में तुम यहोवा अपने परमेश्वर की खोज करोगे। यदि तुम अपने हृदय और पूरी आत्मा से उसकी खोज करोगे तो उसे पाओगे। 30 जब तुम विपत्ति में पड़ोगे और वे सभी बातें तुम पर घटेंगी तो तुम यहोवा अपने परमेश्वर के पास लौटोगे और उसकी आज्ञा का पालन करोगे। 31 यहोवा तुम्हारा परमेश्वर कृपालु है, वह तुम्हारा परित्याग नहीं करेगा। वह तुम्हें नष्ट नहीं करेगा। वह उस वाचा को नहीं भूलेगा जो उसने तुम्हारे पूर्वजों को वचन के रूप में दी।

उन महान कर्मों को सोचो जो यहोवा ने तुम्हारे लिये किये

32 “क्या इतनी महान घटनाओं में से कोई इसके पहले हुई? कभी नहीं! बीते समय को देखो। तुम्हारे जन्म के पहले जो महान घटनाएँ घटीं उन्हें याद करो। उस समय तक पीछे जाओ जब परमेश्वर ने धरती पर आदमी को बनाया। उन सभी घटनाओं को देखो जो संसार में कभी कहीं भी घटी हैं। क्या इस महान घटना जैसी घटना किसी ने कभी पहले सुनी है? नहीं! 33 तुम लोगों ने परमेश्वर को तुमसे आग में से बोलते सुना और तुम लोग अभी भी जीवित हो। 34 क्या ऐसी घटना किसी के साथ घटित हुई है? नहीं! और क्या किसी दूसरे ईश्वर ने कभी किसी दूसरे राष्ट्रों के भीतर जाकर स्वयं वहाँ से लोगों को बाहर लाने का प्रयत्न किया है? नहीं! किन्तु तुमने स्वयं यहोवा अपने परमेश्वर को, इन अद्भुत कार्यों को करते देखा है। उसने अपनी शक्ति और दृढ़ता को दिखाया। तुमने उन विपत्तियों को देखा जो लोगों के लिए परीक्षा थीं। तुम लोगों ने चमत्कार और आश्चर्य देखे। तुम लोगों ने युद्ध और जो भंयकर घटनाएँ हुईं, उन्हें देखा। 35 उसने तुम्हें ये सब दिखाए जिससे तुम जान सको कि यहोवा ही परमेश्वर है। उसके समान कोई अन्य देवता नहीं है। 36 यहोवा आकाश से अपनी बात इसलिए सुनने देता था जिससे वह तुम्हें शिक्षा दे सके। धरती पर उसने अपनी महान आग दिखायी और वह उसमें से बोला।

37 “यहोवा तुम्हारे पूर्वजों से प्यार करता था। यही कारण था कि उसने उनके वंशजों अर्थात् तुमको चुना और यही कारण है कि यहोवा तुम्हें मिस्र से बाहर लाया। वह तुम्हारे साथ था और अपनी बड़ी शक्ति से तुम्हें बाहर लाया। 38 जब तुम आगे बढ़े तो यहोवा ने तुम्हारे सामने से राष्ट्रों को बाहर जाने के लिए विवश किया। ये राष्ट्र तुमसे बड़े और अधिक शक्तिशाली थे। किन्तु यहोवा तुम्हें उनके देश में ले आया। उसने उनका देश तुमको रहने को दिया और यह देश आज भी तुम्हारा है।

39 “इसलिए आज तुम्हें याद रखना चाहिए और स्वीकार करना चाहिए कि यहोवा परमेश्वर है। वहाँ ऊपर स्वर्ग में तथा यहाँ धरती का परमेश्वर है। यहाँ और कोई दूसरा परमेशवर नहीं है! 40 और तुम्हें उसके उन नियमों और आदेशों का पालन करना चाहिए जिन्हें मैं आज तुम्हें दे रहा हूँ। तब हर एक बात तुम्हारे और तुम्हारे उन बच्चों के लिए ठीक रहेगी जो तुम्हारे बाद होंगे और तुम लम्बे समय तक उस देश में रहोगे जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें सदा के लिए दे रहा है।”

मूसा सुरक्षा के नगरों को चुनता है

41 तब मूसा ने तीन नगरों को यरदन नदी की पूर्व की ओर चुना। 42 यदि कोई व्यक्ति किसी वयक्ति को संयोगवश मार डाले तो वह इन नगरों में से किसी में भागकर जा सकता था और सुरक्षित रह सकता था। यदि वह मारे गए व्यक्ति से घृणा नहीं करता था और उसे मार डालने का इरादा नहीं रखता था तो वह उन नगरों में से किसी एक में जा सकता था और उसे प्राण—दण्ड नहीं दिया जा सकता था। 43 मूसा ने जिन तीन नगरों को चुना, वे ये थे: रुबेनी लोगों के लिए मरुभूमि की मैदानी भूमि में बेसेर; गादी लोगों के लिए गिलाद में रामोत और मनश्शे लोगों के लिए बाशान में गोलान।

मूसा के नियमों का परिचय

44 इस्राएली लोगों के लिए जो नियम मूसा ने दिया वह यह है। 45 ये उपदेश, विधि और नियम मूसा ने लोगों को तब दिये जब वे मिस्र से बाहर आए। 46 मूसा ने इन नियमों को तब दिया जब लोग यरदन नदी के पूर्वी किनारे पर बेतपोर के पार घाटी में थे। वे एमोरी राजा सीहोन के देश में थे, जो हेशबोन में रहता था। (मूसा और इस्राएल के लोगों ने सीहोन को तब हराया था जब वे मिस्र से आए थे। 47 उन्होंने सीहोन के देश को अपने पास रखने के लिए ले लिया था। ये दोनों एमोरी राजा यरदन नदी के पूर्व में रहते थे। 48 यह प्रदेश अर्नोन घाटी के सिरे पर स्थित अरोएर से लेकर सीओन पर्वत तक फैला था, (अर्थात् हेर्मोन पर्वत तक।) 49 इस प्रदेश में यरदन नदी के पूर्व का पूरा अराबा सम्मिलित था। दक्षिण में यह अराबा सागर तक पहुँचता था और पूर्व में पिसगा पर्वत के चरण तक पहुँचता था।)

दस आदेश

मूसा ने इस्राएल के सभी लोगों को एक साथ बुलाया और उनसे कहा, “इस्राएल के लोगो, आज जिन नियम व विधियों को मैं बता रहा हूँ उन्हें सुनो। इन नियमों को सीखो और दृढ़ता से उनका पालन करो। यहोवा, हम लोगों के परमेश्वर ने होरेब (सीनै) पर्वत पर हमारे साथ वाचा की थी। यहोवा ने यह वाचा हम लोगों के पू्र्वजों के साथ नहीं की थी, अपितु हम लोगों के साथ की थी। हाँ, हम लोगों के साथ जो यहाँ आज जीवित हैं। यहोवा ने पर्वत पर तुमसे आमने—सामने बातें कीं। उसने तुम से आग में से बातें कीं। उस समय तुमको यह बताने के लिए कि यहोवा ने क्या कहा, मैं तुम लोगों और यहोवा के बीच खड़ा था। क्यों? क्योंकि तुम आग से डर गए थे और तुमने पर्वत पर जाने से इन्कार कर दिया था। यहोवा ने कहाः

“मैं यहोवा तुम्हारा वह परमेश्वर हूँ जो तुम्हें मिस्र से बाहर लाया जहाँ तुम दास की तरह रहते थे।

“मेरे अतिरिक्त किसी अन्य देवता की पूजा न करो।

“किसी की मूर्तियाँ या किसी के चित्र जो आकाश में ऊपर, पृथ्वी पर या नीचे समुद्र में हों, न बनाओ। किसी प्रकार के प्रतीक की पूजा या सेवा न करो। क्यों? क्योंकि मैं यहोवा तुम्हारा परमेश्वर हूँ। मैं अपने लोगों द्वारा किसी अन्य देवता की पूजा से घृणा करता हूँ। ऐसे लोग जो मेरे विरुद्ध पाप करते हैं, मेरे शत्रु हो जाते हैं। मैं उन लोगों को दण्ड दूँगा और मैं उनके पुत्रों, पौत्रों और प्रपौत्रों को दण्ड दूँगा। 10 किन्तु मैं उन लोगों पर बहुत दयालु रहूँगा जो मुझसे प्रेम करते हैं। और मेरे आदेशों को मानते हैं। मैं उनकी सहस्र पीढ़ी तक उन पर दयालु रहूँगा!

11 “यहोवा, अपने परमेश्वर के नाम का उपयोग गलत ढ़ंग से न करो। यदि कोई व्यक्ति उसके नाम का उपयोग गलत ढ़ंग से करता हो तो वह दोषी है और यहोवा उसे निर्दोष नहीं बनाएगा।

12 “सब्त के दिन को विशेष महत्व देना याद रखो। यहोवा, तुम्हारे परमेश्वर ने आदेश दिया है कि तुम सब्त के दिन को सप्ताह के अन्य दिनों से भिन्न करो। 13 पहले छ: दिन तुम्हारे काम करने के लिए हैं। 14 किन्तु सातवाँ दिन यहोवा तुम्हारे परमेश्वर के सम्मान में आराम का दिन है। इसलिए सब्त के दिन कोई व्यक्ति काम न करे, अर्थात् तुम, तुम्हारे पुत्र, तुम्हारी पुत्रियाँ, तुम्हारे सेवक, दास स्त्रियाँ, तुम्हारी गायें, तुम्हारे गधे, अन्य जानवर, और तुम्हारे ही नगरों में रहने वाले विदेशी, कोई भी नहीं! तुम्हारे दास तुम्हारी ही तरह आराम करने की स्थिति में होने चाहिए। 15 यह मत भूलो कि तुम मिस्र में दास थे। यहोवा, तुम्हारा परमेश्वर महान शक्ति से तुम्हें मिस्र से बाहर लाया। उसने तुम्हें स्वतन्त्र किया। यही कारण है कि यहोवा तुम्हारा परमेश्वर आदेश देता है कि तुम सब्त के दिन को हमेशा विशेष दिन मानो।

16 “अपने माता—पिता का सम्मान करो। यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हें यह करने का आदेश दिया है। यदि तुम इस आदेश का पालन करते हो तो तुम्हारी उम्र लम्बी होगी और उस देश में जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुमको दे रहा है तुम्हारे साथ सब कुछ अच्छा होगा।

17 “किसी की हत्या न करो।

18 “व्यभिचार का पाप न करो।

19 “कोई चीज मत चुराओ।

20 “दूसरों ने जो कुछ किया है उसके बारे में झूठ मत बोलो।

21 “तुम दूसरों की चीजों को अपना बनाने की इच्छा न करो। दूसरे व्यक्ति की पत्नी, घर, खेत, पुरुष या स्त्री सेवक, गाये और गधे को लेने की इच्छा तुम्हें नहीं करनी चाहिए।”

लोगों का भय

22 मूसा ने कहा, “यहोवा ने ये आदेश तुम सभी को दिये जब तुम एक साथ पर्वत पर थे। यहोवा ने स्पष्ट शब्दों में बातें कीं और उसकी तेज आवाज आग, बादल और घने अन्धकार से सुनाई दे रही थी। जब उसने यह आदेश दे दिये तब और कुछ नहीं कहा। उसने अपने शब्दों को दो पत्थर की शिलाओं पर लिखा और उन्हें मुझे दे दिया।

23 “तुमने आवाज को अंधेरे में तब सुना जब पर्वत आग से जल रहा था। तब तुम मेरे पास आए, तुम्हारे परिवार समूह के सभी नेता और तुम्हारे सभी बुजुर्ग। 24 उन्होंने कहा, ‘यहोवा हमारे परमशेवर ने अपना गौरव और महानता दिखाई है। हमने उसे आग में से बोलते सुना है! आज हम लोगों ने देख लिया है कि किसी व्यक्ति का परमेश्वर से बात करने के बाद भी जीवित रह सकना, सम्भव है। 25 किन्तु यदि हमने यहोवा अपने परमेश्वर को दुबारा बात करते सुना तो हम जरूर मर जाएंगे! वह भयानक आग हमें नष्ट कर देगी। किन्तु हम मरना नहीं चाहते। 26 कोई ऐसा व्यक्ति नहीं जिसने हम लोगों की तरह कभी जीवित परमेश्वर को आग में से बात करते सुना हो और जीवित हो! 27 मूसा, तुम समीप जाओ और यहोवा हम लोगों का परमेश्वर, जो कहता है सुनो। तब वह सब बातें हमें बताओ जो यहोवा तुमसे कहता है, और हम लोग वह सब करेंगे जो तुम कहोगे।’

यहोवा मूसा से बात करता है

28 “यहोवा ने वे बातें सुने जो तुमने मुझसे कहीं। तब यहोवा न मुझसे कहा, ‘मैंने वे बातें सुनीं जो इन लोगों ने कहीं। जो कुछ उन्होंने कहा है, ठीक है। 29 मैं केवल यह चाहता हूँ कि वे हृदय से मेरा सम्मान करें और मेरे आदेशों को मानें। तब हर एक चीज उनके तथा उनके वंशजों के लिए सदैव अच्छी रहेगी।

30 “‘जाओ और लोगों से कहो कि अपने डेरों में लौट जायें। 31 किन्तु मूसा, तुम मेरे निकट खड़े रहो। मैं तुम्हें सारे आदेश, विधि और नियम दूँगा जिसकी शिक्षा तुम उन्हें दोगे। उन्हें ये सभी बातें उस देश में करनी चाहिए जिसे मैं उन्हें रहने के लिए दे रहा हूँ।’

32 “इसलिए तुम सभी लोगों को वह सब कुछ करने के लिए सावाधान रहना चाहिए जिसके लिए यहोवा का तुम्हें आदेश है। तुम्हें न दाहिने हाथ मुड़ना चाहिये और न ही बायें हाथ। सदैव उसकी आज्ञाओं का पालन करना चाहिये! 33 तुम्हें उसी तरह रहना चाहिए, जिस प्रकार रहने का आदेश यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने तुमको दिया है। तब तुम सदा जीवित रह सकते हो और हर चीज तुम्हारे लिए अच्छी होगी। उस देश में, जो तुम्हारा होगा, तुम्हारी आयु लम्बी हो जायेगी।

सदैव परमेश्वर से प्रेम करो तथा आज्ञा मानो!

“जिन आदेशों, विधियों और नियमों को यहोवा, तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हें सिखाने को मुझे कहा है, वे ये हैं। इनका पालन उस देश में करो जिसमे रहने के लिए तुम प्रवेश कर रहे हो। तुम और तुम्हारे वंशजों को जब तक जीवित रहो, यहोवा अपने परमेश्वर का सम्मान करना चाहिए। तुम्हें उन सभी नियमों और आदेशों का पालन करना चाहिए जिन्हें मैं तुम्हें दे रहा हूँ। यदि तुम ऐसा करोगे तो उस नये देश में लम्बी उम्र पाओगे। इस्राएल के लोगो, इसे ध्यान से सुनो और इन नियमों का पालन करो। तब सब कुछ तुम्हारे साथ अच्छा होगा और तुम एक महान राष्ट्र बनोगे। यहोवा, तुम्हारे पूर्वजों के परमेश्वर ने, इन सबके लिए वचन दिया है कि तुम बहुत सी अच्छी वस्तुओं से युक्त धरती को, जहाँ दूध और शहद बहता है, प्राप्त करोगे।

“इस्राएल के लोगो, ध्यान से सुनो! यहोवा हमारा परमेश्वर है, यहोवा एक है! और तुम्हें यहोवा, अपने परमेश्वर से अपने सम्पूर्ण हृदय, आत्मा और शक्ति से प्रेम करना चाहिए। इन आदेशों को सदा याद रखो जिन्हें मैं आज तुम्हें दे रहा हूँ। इनकी शिक्षा अपने बच्चों को देने के लिए सावधान रहो। इन आदेशों के बारे में तुम अपने घर में बैठे और सड़क पर घूमते बातें करो। जब तुम लेटो और जब जागो तब इनके बारे में बातें करो। इन आदेशों को लिखो और मेरे उपदेशों को याद रखने में सहायता के लिए अपने हाथों पर इसे बांधो तथा प्रतीक रूप मे अपने ललाट पर धारण करो। अपने घरों के दरवाजों, खम्भों और फाटकों पर इसे लिखो।

10 “यहोवा तुम्हरा परमेश्वर तुम्हें उस देश में ले जाएगा जिसके लिए उसने तुम्हारे पूर्वजों—इब्राहीम, इसहाक और याकूब को देने का वचन दिया था। तब वह तुम्हें बड़े और सम्पन्न नगर देगा जिनहें तुमने नहीं बनाया। 11 यहोवा तुम्हें अच्छी चीजों से भरे घर देगा जिन्हें तुमने वहाँ नहीं रखा। यहोवा तुम्हें कुएँ देगा जिन्हें तुमने नहीं खोदा है। यहोवा तुम्हें अंगूर और जैतून के बाग देगा जिन्हें तुमने नहीं लगाया। तुम्हारे खाने के लिए भरपूर होगा।

12 “किन्तु सावधान रहो। यहोवा को मत भूलो जो तुम्हें मिस्र से लाया, जहाँ तुम दास थे। 13 यहोवा अपने परमेश्वर का सम्मान करो और केवल उसी की सेवा करो। वचन देने के लिए तुम केवल उसी के नाम का उपयोग करोगे। 14 तुम्हें अन्य देवताओं का अनुसरण नहीं करना चाहिए। तुम्हें अपने चारों ओर रहने वाले लोगों के देवताओं का अनुसरण नहीं करना चाहिए। 15 यहोवा तुम्हारा परमेश्वर सदा तुम्हारे साथ है और यदि तुम दूसरे देवताओं का अनुसरण करोगे तो वह तुम पर बहुत क्रोधित होगा! वह धरती से तुम्हारा सफाया कर देगा। यहोवा अपने लोगों द्वारा अन्य देवताओं की पूजा से घृणा करता है।

16 “तुम्हें यहोवा अपने परमेश्वर का परीक्षण उस प्रकार नहीं करना चाहिए जिस प्रकार तुमने मस्सा में किया। 17 तुम्हें यहोवा अपने परमेश्वर के आदेशों के पालन के लिए दृढ़ निश्चय रखना चाहिए। तुम्हें उसके सभी उन उपदेशों और नियमों का पालन करना चाहिए जिन्हें उसने तुमको दिया है। 18 तुम्हें वे बातें करनी चाहिए जो ठीक और अच्छी अर्थात् यहोवा को प्रसन्न करने वाली हों। तब तुम्हारे लिये हर एक बात ठीक होगी और तुम उस अच्छे देश में जा सकते हो जिसके लिए यहोवा ने तुम्हारे पूर्वजों को वचन दिया था 19 और तुम अपने सभी शत्रुओं को बलपूर्वक बाहर निकाल सकोगे, जैसा यहोवा ने कहा है।

अपने बच्चों को परमेश्वर के कार्यों की शिक्षा दो

20 “भविष्य में, तुम्हारा पुत्र तुमसे यह पूछ सकता हे कि ‘यहोवा हमारे परमेश्वर ने हमें जो उपदेश, विधि और नियम दिये, उनका अर्थ क्या है?’ 21 तब तुम अपने पुत्र से कहोगे, ‘हम मिस्र में फिरौन के दास थे, किन्तु यहोवा हमें बड़ी शक्ति से मिस्र से बाहर लाया। 22 यहोवा ने हमें महान, भयंकर चिन्ह और चमत्कार दिखाए। हम लोगों ने उनके द्वारा इन घटनाओं को मिस्र के लोगों, फिरौन और फिरौन के महल के लोगों के साथ होते देखा 23 और यहोवा हम लोगों को मिस्र से इसलिए लाया कि वह वो देश हमें दे सके जिसके लिए उसने हमारे पूर्वजों को वचन दिया था। 24 यहोवा ने हमें इन सभी उपदेशों के पालन का आदेश दिया। इस प्रकार हम लोग यहोवा, अपने परमेश्वर का सम्मान करते हैं। तब यहोवा सदा हम लोगों को जीवित रखेगा और हम अच्छा जीवन बिताएंगे जैसा इस समय है। 25 यदि हम इन सारे नियमों का पालन परमेश्वर के निर्देशों के आधार पर करते हैं तो परमेश्वर हमें अच्छाईयों से भर देगा।’

इस्राएल, परमेश्वर के विशेष लोग

“यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें उस देश में ले जायेगा जिसे अपना बनाने के लिए तुम उसमें जा रहे हो। यहोवा तुम्हारे लिए बहुत से राष्ट्रों को बलपूर्वक हटाएगा—हित्ती, गिर्गाशी, एमोरी, कनानी, परिज्जी, हिब्बी और यबूसी, सात तुमसे बड़े और अधिक शक्तिशाली राष्ट्रों को। यहोवा, तुम्हारा परमेश्वर इन राष्ट्रों को तुम्हारे अधीन करेगा और तुम उन्हें हराओगे। तुम्हें उन्हें पूरी तरह नष्ट कर देना चाहिए। उनके साथ कोई सन्धि न करो। उन पर दया न करो। उन लोगों में से किसी के साथ विवाह न करो, और उन राष्ट्रों के किसी व्यक्ति के साथ अपने पुत्र और पुत्रियों का विवाह न करो। क्यों? क्योंकि वे लोग तुम्हें परमेश्वर से दूर ले जायेगें, इसलिये तुम्हारे बच्चे दूसरे देवताओं की सेवा करेंगे और यहोवा तुम पर बहुत क्रोधित होगा। वह शीघ्रता से तुम्हें नष्ट कर देगा।

बनावटी देवताओं को नष्ट करने का आदेश

“तुम्हें इन राष्ट्रों के साथ यह करना चाहिएः तुम्हें उनकी वेदियाँ नष्ट करनी चाहिए और विशेष पत्थरों को टुकड़ों मे तोड़ डालना चाहिए। उनके अशेरा स्तम्भों को काट डालो और उनकी मूतिर्यों को जला दो! क्यों? क्योंकि तुम यहोवा के अपने लोग हो। तुम योहवा की निज सम्पत्ति हो। संसार के सभी लोगों में से योहवा तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हें विशेष लोग, ऐसे लोग जो उसके अपने हैं, चुना। यहोवा तुमसे क्यों प्रेम करता है और तुम्हें उसने क्यों चुना? इसलिए नहीं कि अन्य लोगों की तुलना में तुम्हारी संख्या बहुत अधिक है। तुम सभी लोगों में सबसे कम थे। किन्तु यहोवा तुमको अपनी बड़ी शक्ति के द्वारा मिस्र के बाहर लाया। उसने तुम्हें दासता से मुक्त किया। उसने मिस्र के सम्राट फिरौन की अधीनता से तुम्हें स्वतन्त्र किया। क्यों? क्योंकि यहोवा तुमसे प्रेम करता है और तुम्हारे पूर्वजों को दिए गए वचन को पूरा करना चाहता था।

“इसलिए याद रखो कि यहोवा तुम्हारा परमेश्वर ही एकमात्र परमेश्वर है, और वही विश्वसनीय है! वह अपनी वाचा को पूरा करता है। वह उन सभी लोगों से प्रेम करता तथा उन पर दया करता है जो उससे प्रेम करते और उसके आदेशों का पालन करते हैं। वह हजारों पीढ़ीयों तक प्रेम और दया करता रहता है। 10 किन्तु यहोवा उन लोगों को दण्ड देता है जो उससे घृणा करते हैं। वह उनको नष्ट करेगा। वह उस व्यक्ति को दण्ड देने में देर नहीं करेगा जो उससे घृणा करता है। 11 इसलिए तुम्हें उन आदेशों, विधियों और नियमों के पालन में सावधान रहना चाहिए जिन्हें मैं आज तुम्हें दे रहा हूँ।

12 “यदि तुम मेरे इन नियमों पर ध्यान दोगे और उनके पालन में सावधान रहोगे तो यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुमसे प्रेम की वाचा का पालन करेगा। उसने यह वचन तुम्हारे पूर्वजों को दिया था। 13 वह तुमसे प्रेम करेगा और तुम्हें आशीर्वाद देगा। तुम्हारे राष्ट्र में लोग बराबर बढ़ते जाएंगे। वह तुम्हें बच्चे होने का आशीर्वाद देगा। वह तुम्हारे खेतों में अच्छी फसल का आशीर्वाद देगा वह तुम्हें अन्न, नई दाखमधु और तेल देगा। वह तुम्हारी गायों को बछड़े और तुम्हारी भेड़ों को मेमने पैदा करने का आशीर्वाद देगा। तुम वे सभी आशीर्वाद उस देश में पाओगे जिसे तुम्हें देने का वचन यहोवा ने तुम्हारे पूर्वजों को दिया था।

14 “तुम अन्य लोगों से अधिक आशीर्वाद पाओगे। हर एक पति—पत्नी बच्चे उत्पन्न करने योग्य होंगे। तुम्हारे पशु बछड़े उत्पन्न करने योग्य होंगे। 15 और यहोवा तुमसे सभी बीमारियों को दूर करेगा। यहोवा तुमको उन भयंकर बीमारियों से बचायेगा तथा उन भयंकर बीमारियों को उन सभी लोगों को देगा जो तुमसे घृणा करते हैं। 16 तुम्हें उन सभी लोगों को नष्ट करना चाहिए जिन्हें हराने में यहोवा तुम्हारा परमेश्वर सहायता करता है। उन पर दया न करो। उनके देवताओं की सेवा न करो! क्यों? क्योंकि यदि तुम उनके देवताओं की सेवा करोगे तो तुम्हें दण्ड भुगतना होगा।

यहोवा अपने लोगों को सहायता का वचन देता है

17 “अपने मन में यह न सोचो, ‘ये राष्ट्र हम लोगों से अधिक शक्तिशाली हैं। हम उन्हें बलपूर्वक कैसे भगा सकते हैं?’ 18 तुम्हें उनसे डरना नहीं चाहिए। तुम्हें वह याद रखना चाहिए जो परमेशवर, तुम्हारे यहोवा ने फिरौन और मिस्र के लोगों के साथ किया। 19 जो बड़ी विपत्तियाँ उसने दीं तुमने उन्हें देखा। तुमने उसके किये चमत्कार और आश्चर्यों को देखा। तुमने यहोवा की बड़ी शक्ति और दृढ़ता को, तुम्हें बाहर लाने में उपयोग करते देखा। यहोवा, तुम्हारा परमेश्वर उसी शक्ति का उपयोग उन लोगों के विरुद्ध करेगा जिनसे तुम डरते हो।

20 “यहोवा तुम्हारा परमेश्वर, बड़ी बर्रो को उन सभी लोगों का पता लगाने के लिए भेजेगा जो तुमसे भागे हैं और अपने को छिपाया है। यहोवा उन सभी लोगों को नष्ट करेगा। 21 तुम उनसे डरो नहीं क्योंकि यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हारे साथ है। वह महान और विस्मयकारी परमेश्वर है। 22 यहोवा तुम्हारा परमेश्वर उन राष्ट्रों को तुम्हारा देश थोड़ा—थोड़ा करके छोड़ने को विवश करेगा। तुम उन्हें एक ही बार में सभी को नष्ट नहीं कर पाओगे। यदि तुम ऐसा करोगे तो जंगली जानवरों की संख्या तुम्हारी तुलना में अधिक हो जाएगी। 23 किन्तु यहोवा तुम्हारा परमेश्वर उन राष्ट्रों को तुमको देगा। यहोवा उनको युद्ध में भ्रमित कर देगा, जब तक वे नष्ट नहीं होते। 24 यहोवा तुम्हें उनके राजाओं को हराने में सहायता करेगा। तुम उन्हें मार डालोगे और संसार भूल जाएगा कि वे कभी थे। कोई भी तुम लोगों को रोक नहीं सकेगा। तुम उन सभी को नष्ट करोगे!

25 “तुम्हें उनके देवताओं की मूर्तियों को जला देना चाहिए। तुम्हें उन मूर्तियों पर मढ़े सोने या चाँदी को लेने की इच्छा नहीं रखनी चाहीए। तुम्हें उस सोने और चाँदी को अपने लिए नहीं लेना चाहिए। यदि तुम उसे लोगे तो दण्ड पाओगे। क्यो? क्योंकि यहोवा तुम्हारा परमेश्वर उन मूर्तियों से घृणा करता है 26 और तुम्हें अपने घर मे उन मूर्तियों में से कोई लानी नहीं चाहिए जिनसे यहोवा घृणा करता है। यदि तुम उन मूर्तियों को अपने घर में लाते हो तो तुम मूर्तियों की तरह नष्ट हो जाओगे। तुम्हें उन मूर्तियों से घृणा करनी चाहिए। तुम्हें उनसे तीव्र घृणा करनी चाहिए! यहोवा ने उन मूर्तियों को नष्ट करने की प्रतिज्ञा की है!

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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