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Revised Common Lectionary (Semicontinuous)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with sequential stories told across multiple weeks.
Duration: 1245 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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गलातिया 3:23-29

विश्वास का पदार्पण

23 मसीह येशु में विश्वास के प्रकाशन से पहले हम व्यवस्था के संरक्षण में रखे गए—उस विश्वास से अनजान, जो प्रकट होने पर था. 24 इसलिए व्यवस्था हमें मसीह तक पहुंचाने के लिए हमारा संरक्षक हुआ कि हम विश्वास द्वारा धर्मी ठहराए जाएँ 25 परन्तु अब, जब विश्वास आ चुका है, हम संरक्षक के अधीन नहीं रहे.

26 इसलिए तुम सब मसीह येशु में विश्वास द्वारा परमेश्वर की सन्तान हो. 27 तुम सबने, जो मसीह में बपतिस्मा लिए हो, मसीह को धारण कर लिया है. 28 इसलिए अब न कोई यहूदी है, न कोई यूनानी; न कोई स्वतन्त्र है, न कोई दास और न कोई पुरुष है, न कोई स्त्री क्योंकि तुम सब मसीह येशु में एक हो. 29 यदि तुम मसीह के हो, तो तुम अब्राहाम के वंशज हो—परमेश्वर की प्रतिज्ञा के वारिस.

लूकॉ 8:26-39

प्रेतों को सूअरों के झुण्ड में भेजना

(मत्ति 8:28-34; मारक 5:6-20)

26 इसके बाद वे गिरासेन प्रदेश में आए, जो गलील झील के दूसरी ओर है. 27 जब मसीह येशु तट पर उतरे, उनकी भेंट एक ऐसे व्यक्ति से हो गई, जिसमें अनेक प्रेत समाये हुए थे. प्रेतात्मा से पीड़ित व्यक्ति उनके पास आ गया. यह व्यक्ति लम्बे समय से कपड़े न पहनता था. वह मकान में नहीं परन्तु क़ब्रों की गुफ़ाओं में रहता था. 28 मसीह येशु पर दृष्टि पड़ते ही वह चिल्लाता हुआ उनके चरणों में जा गिरा और अत्यन्त ऊँचे शब्द में चिल्लाया, “येशु! परम प्रधान परमेश्वर के पुत्र! मेरा और आपका एक दूसरे से क्या लेना-देना? आप से मेरी विनती है कि आप मुझे कष्ट न दें,” 29 क्योंकि मसीह येशु दुष्टात्मा को उस व्यक्ति में से निकल जाने की आज्ञा दे चुके थे. समय-समय पर प्रेत उस व्यक्ति पर प्रबल हो जाया करता था तथा लोग उसे सांकलों और बेड़ियों में बान्ध कर पहरे में रखते थे, फिर भी वह प्रेत बेड़ियाँ तोड़ उसे सुनसान स्थान में ले जाता था.

30 मसीह येशु ने उससे प्रश्न किया, “क्या नाम है तुम्हारा?”

“विशाल सेना,” उसने उत्तर दिया क्योंकि अनेक प्रेत उसमें समाए हुए थे. 31 प्रेतगण मसीह येशु से निरन्तर विनती कर रहे थे कि वह उन्हें अथाह गड़हे में न भेजें.

32 वहीं पहाड़ी के ढाल पर सूअरों का एक विशाल समूह चर रहा था. प्रेतों ने मसीह येशु से विनती की कि वह उन्हें सूअरों में जाने की अनुमति दे दें. मसीह येशु ने उन्हें अनुमति दे दी. 33 जब प्रेत उस व्यक्ति में से बाहर आए, उन्होंने तुरन्त जा कर सूअरों में प्रवेश किया और सूअर ढाल से झपट कर दौड़ते हुए झील में जा डूबे.

34 इन सूअरों के चरवाहे यह देख दौड़ कर गए और नगर तथा उस प्रदेश में सब जगह इस घटना के विषय में बताने लगे. 35 लोग वहाँ यह देखने आने लगे कि क्या हुआ है. तब वे मसीह येशु के पास आए. वहाँ उन्होंने देखा कि वह व्यक्ति, जो पहले प्रेतात्मा से पीड़ित था, वस्त्र धारण किए हुए, पूरी तरह स्वस्थ और सचेत मसीह येशु के चरणों में बैठा हुआ है. यह देख वे हैरान रह गए. 36 जिन्होंने यह सब देखा, उन्होंने जा कर अन्यों को सूचित किया कि यह प्रेतात्मा से पीड़ित व्यक्ति किस प्रकार प्रेत से दूर हुआ है. 37 तब गिरासेन प्रदेश तथा पास के क्षेत्रों के सभी निवासियों ने मसीह येशु को वहाँ से दूर चले जाने को कहा क्योंकि वे अत्यन्त भयभीत हो गए थे. इसलिए मसीह येशु नाव द्वारा वहाँ से चले गए.

38 वह व्यक्ति जिसमें से प्रेत निकाला गया था उसने मसीह येशु से विनती की कि वह उसे अपने साथ ले लें किन्तु मसीह येशु ने उसे यह कहते हुए विदा किया, 39 “अपने परिजनों में लौट जाओ तथा इन बड़े बड़े कामों का वर्णन करो, जो परमेश्वर ने तुम्हारे लिए किए हैं.” इसलिए वह लौट कर सभी नगर में यह वर्णन करने लगा कि मसीह येशु ने उसके लिए कैसे बड़े बड़े काम किए हैं.

Saral Hindi Bible (SHB)

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