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Revised Common Lectionary (Semicontinuous)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with sequential stories told across multiple weeks.
Duration: 1245 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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गलातिया 3:15-22

व्यवस्था द्वारा प्रतिज्ञा अस्वीकार नहीं की गई

15 प्रियजन, मैं सामान्य जीवन से उदाहरण दे रहा हूँ: एक मानवीय वाचा की पुष्टि के बाद उसे न तो कोई अलग करता है और न ही उसमें कुछ जोड़ता है. 16 प्रतिज्ञाएँ अब्राहाम और उनके वंशज से की गई थीं. वहाँ यह नहीं कहा गया, वंशजों से, मानो अनेकों से परन्तु एक ही से अर्थात् वंशज से, अर्थात् मसीह से. 17 मेरे कहने का मतलब यह है: परमेश्वर ने अब्राहाम से एक वाचा स्थापित की तथा उसे पूरा करने की प्रतिज्ञा भी की. चार सौ तीस वर्ष बाद दी गई व्यवस्था न तो परमेश्वर की वाचा को मिटा सकती है और न परमेश्वर की प्रतिज्ञा को. 18 यदि मीरास का आधार व्यवस्था है तो मीरास प्रतिज्ञा पर आधारित हो ही नहीं सकती, किन्तु परमेश्वर ने अब्राहाम को यह मीरास प्रतिज्ञा द्वारा ही प्रदान की.

19 तब क्या उद्धेश्य है व्यवस्था का? अपराध का अहसास. उसे स्वर्गदूतों द्वारा एक मध्यस्थ के माध्यम से आधिकारिक रूप से उस वंशज के आने तक बनाये रखा गया जिसके विषय में प्रतिज्ञा की गई थी. 20 सिर्फ एक पक्ष के लिए मध्यस्थ आवश्यक नहीं होता, जबकि परमेश्वर सिर्फ एक हैं. 21 तो क्या व्यवस्था परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं के विपरीत है? बिलकुल नहीं! यदि कोई ऐसी व्यवस्था दी गई होती, जो जीवन प्रदान कर सकता थी, तब निश्चयत: उस व्यवस्था के पालन करने पर धार्मिकता प्राप्त हो जाती. 22 किन्तु पवित्रशास्त्र ने यह स्पष्ट किया कि पूरा विश्व पाप की अधीनता में है कि मसीह येशु में विश्वास करने के द्वारा प्रतिज्ञा उन्हें दी जा सके, जो विश्वास करते हैं.

Saral Hindi Bible (SHB)

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