Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
मरियम का स्तुति गान
46 इस पर मरियम के वचन ये थे:
“मेरा प्राण प्रभु की प्रशंसा करता है
47 और मेरी अन्तरात्मा परमेश्वर, मेरे उद्धारकर्ता में आनन्दित हुई है,
48 क्योंकि उन्होंने अपनी दासी की
दीनता की ओर दृष्टि की है.
अब से सभी पीढ़ियाँ मुझे धन्य कहेंगी,
49 क्योंकि सामर्थी ने मेरे लिए बड़े-बड़े काम किए हैं. पवित्र है उनका नाम.
50 उनकी दया उनके श्रद्धालुओं पर पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहती है.
51 अपने भुजबल से उन्होंने प्रतापी काम किए हैं और अभिमानियों को बिखरा दिया है.
52 परमेश्वर ने राजाओं को उनके सिंहासनों से नीचे उतार दिया
तथा विनम्रों को उठाया है.
53 उन्होंने भूखों को उत्तम पदार्थों से तृप्त किया
तथा सम्पन्नों को खाली लौटा दिया.
54-55 उन्होंने अपने सेवक इस्राएल की सहायता अपनी उस करूणा के स्मरण में की,
जिसकी प्रतिज्ञा उसने हमारे बाप-दादों से करी थी और जो अब्राहाम तथा उनके वंशजों पर सदा सर्वदा रहेगी”.
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