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Revised Common Lectionary (Semicontinuous)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with sequential stories told across multiple weeks.
Duration: 1245 days
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-AWA)
Version
भजन संहिता 104:1-9

हे मोर आतिमा, यहोवा क स्तुति करा।
    हे यहोवा, हे मोरे परमेस्सर, तू अति महान अहा।
तू महिमा अउ आदर क ओढ़ना पहिरे अहा।
    जइसे कउनो मनई चोगा पहिरत ही वइसा ही उ प्रकास क पहिरत हीं।
पर्दा क नाईं उ आकासे क फइलावत ह।
    उ ओनके ऊपर आपन निवास स्थान बनाएस।
उ गहिर बादर क प्रयोग आपन रथ बनावइ मँ करत ह।
    उ पवन क पखना पइ चढ़िके अकास पार करत ह।
उ निज सरगदूतन क पवन क नाईं बनावत ह।
    उ निज सेवक क पवन क नाई बनाएस।
इ उहइ अहइ जउन धरती क ओकरी नेंव पइ निर्माण किहस।
    इ कबहुँ न गिरी।
उ जल क चादर स धरती क ढकेस।
    जल पहाड़न क ढाँकि लिहस।
तू आदेस दिहा अउर जल दूरि हट गवा।
    तू जल पइ गरज्या, अउर जल दूर भागा।
पहाड़न स खाले घाटियन मँ ओन सबइ ठउरन पइ
    जेका तू ओकरे बरे तइयार किहे रहा या जल बहा।
तू समुद्दर क चउहद्दी बाँध दिहा
    अउर फुन जल कबहुँ धरती क ढाँकइ नाहीं जाई।

भजन संहिता 104:24

24 हे यहोवा, तू अचरज भरा बहुतेरा काम किहा।
    धरती तोहरी वस्तुअन स भरी पड़ी अहइ।
    तू जउन कछू करत अहा, ओहमा आपन विवेक देखाँत ह।

भजन संहिता 104:35

35 धरती स पाप क लोप होइ जाइ।
    दुट्ठ लोग सदा बरे मिटि जाइँ।

हे मोर आतिमा,
    यहोवा क स्तुति करा।

अय्यूब 39

39 “अय्यूब का तू जानत अहा कि कब पहाड़ी बोकरियन बियात हीं?
    का तू कबहुँ लख्या जब हिरणी बियात ह
अय्यूब, का तू जानत ह पहाड़ी बोकरियन अउ महतारी हरिणियन केतँने महीने आपन बच्चन क गर्भ मँ राखत हीं?
    का तोहका पता अहइ कि ओनकर बियाइ क उचित समइ का अहइ?
का तू जानत ह क उ पचे बच्चा क जनम दइ बरे कब झुकत ह।
    का तू जानत ह कि उ पचे आपन बच्चन क कब जनम देत ह।
पहाड़ी बोकरियन अउर हरिणि महतारी क बच्चन खेतन मँ हट्टा कट्टा होइ जात हीं।
    फुन उ पचे आपन महतारी क तजि देत हीं, अउर फुन लउटिके वापस नाहीं अउतेन।

“अय्यूब, जंगली गदहन क कउन अजाद छोड़ देत ह?
    कउन ओनकर रस्सन क खोलेस अउर ओनका बन्धन स अजाद किहेस?
इ मइँ परमेस्सर हउँ जउन बनेर गदहा क घर क रुप मँ रेगिस्तान दिहेउँ।
    मइँ ओनका रहइ बरे उजाड़ धरती दिहेउँ।
बनेर गदहा सोर स भरा भवा सहरन क लगे नाहीं जात ह
    अउर कउनो भी मनई ओका काम करवावइ बरे नाहीं साधत ह।
बनेर गदहन पहाड़न मँ घूमत हीं
    अउर उ पचे हुअँइ घास चरत रहत हीं।
    उ पचे हुअँइ पर हरिअर घास चरइ क हेरत रहत हीं।

“अय्यूब, बतावा, का कउनो जंगली साँड़ तोहरी सेवा बरे राजी होइ?
    का उ तोहरे चरही मँ राति क रुकी?
10 अय्यूब, का तू जंगली बर्धा पइ जुआ रख पइ आपन खेत जोतँवाइ सकत ह?
    का घाटी क तोहरे वास्ते जोतँइ बरे उ पचन पइ जुआ रखइ जाब्या?
11 जंगली साँड़ बहोत मजबूत होत ह।
    मुला का तू आपन काम करइ बरे ओन पइ भरोसा कइ सकत ह?
12 का तू ओह पइ भरोसा कइ सकत ह कि उ तोहार अनाज बटोरइ
अउर ओका दाँवइ मँड़ाइ[a] क खरिहाने मँ लिआवइ।

13 “सुतुरमुर्ग जब खुस होत ह उ आपन पंख फड़फड़ावत ह।
    मुला ओकर पंख सारस क पंख जइसे नाहीं होतेन।
14 मादा सुतुरमुर्ग धरती पइ अण्डा देत ह।
    सबइ अण्डा रेत मँ गरम होइ जात ह।
15 मुला सुतुरमुर्ग बिसरि जात ह कि कउनो ओकरे अण्डन पइ चलिके कुचर सकत ह,
    या कउनो बनेर पसु ओनका तोड़ सकत ह।
16 मादा सुतुरमुर्ग आपन नान्ह बच्चन पइ कठोर होइ जात ह
    जइसे उ पचे ओकर बच्चन नाहीं अहइँ।
    अगर ओकर बच्चन मरि भी जाइँ तउ भी ओका चिन्ता नाहीं होतह, अउर ओकर सब काम अकारथ होत ह।
17 परमेस्सर सुतुरमुर्ग क विवेक नाहिं दिहेस,
    अउर उ ओका कउनो समझदारी नाहीं दिहस ह।
18 मुला जब सुतुरमुर्ग दउड़इ क उठत ह
    तब ध्धोड़न अउ ओकरे सवार पइ हँसत ह।

19 “अय्यूब, बतावा का तू ध्धोड़न क बल दिहा
    अउर का तू ही ओकर गटई पइ फहरती अयाल जमाया ह?
20 अय्यूब, बतावा जइसे टिड्डी कूद जात ह तू वइसे धोड़ा क कुदाया ह
    घोड़ा ऊँची अवाजे मँ हिनहिनात ह अउर लोग डेराइ जात हीं।
21 घोड़ा घुस अहइ कि उ बहोत बलवान बाटइ अउर आपन खुरे स धरती क खतन रहत ह।
    जुदध मँ जात भवा घोड़ा तेज दौड़ जात ह।
22 घोडा डरे क हँसी उड़ावत ह काहेकि उ कबहुँ नाहीं डेरात।
    घोड़ा कबहुँ भी जुदध स मुँह नाही मोड़त ह।
23 घोड़ा क बगल मँ तरकस थिरकत रहत हीं।
    घोड़सवारन क भलन अउ हथियार धूपे मँ चमचामत रहत हीं।
24 घोड़ा बहोत उत्तेजित अहइ, मैदान पइ उ तेज चाल स दउड़त ह।
    घोड़ा जब बिगुल क आवाज सुनत ह तब उ सान्त खड़ा नाहीं रहि सकत।
25 बिगुल क ध्वनी पइ घोड़ा हिन ‘हिनावत’ ह।
    उ बहोत ही दूर स जुद्ध क सूँघ लेत ह।
    उ सेना क सनापती क आदेस अउर जुध्या क हाहाकार अउ जयजयकार क सुन लेत ह।

26 “अय्यूब, का तू बाज क सिखाया आपन पखनन क फइलाउब अउर दक्खिन कइँती उड़ि जाब।
27 अय्यूब का तू उकाब क उड़इ क
    अउर ऊँच पहाड़न मँ आपन झोंझ बनावइ क आग्या देत ह।
28 उकाब चट्टाने पइ रहा करत ह।
    ओकर किला चट्टान होत ह।
29 उकाब किला स आपन सिकार पइ निगाह राखत ह।
    उ बहोत दूर स आपन सिकार क लखि लेत ह।
30 गिद्ध क बच्चन लहु चाटा करत हीं।
    जहाँ भी ल्हासन पड़ा होत हीं हुवाँ गिद्ध बटुर जात हीं।”

लूका 22:24-30

सेवक बना

24 फिन ओहमाँ इ बात भी उठी कि ओहमाँ स सब स बड़कवा केका समुझा जावइ 25 मुला ईसू ओनसे कहेस, “गैर यहूदियन क राजा ओन प रुतवा राखत हीं अउर उ सबइ जउन ओन प हुकुम चलावत हीं, खुद मनइयन क ‘उपकारी’ कहवावत हीं। 26 मुला तू वइसे नाहीं अहा तउ भी तोहमाँ स सब स बड़कावा सब ते छोटकवा जइसा होइ चाही अउर जउन राज करत ह ओका चाकर क नाईं होइ चाही। 27 काहेकि बड़कवा कउन अहइ: उ जउन खाइ क मेज प बइठा अहइ या उ जउन परसत ह का उहइ नाहीं जउन मेज प अहइँ मुला तोहरे बीच मइँ वइसा हउँ जउन परोसत ह!

28 “मुला तू उ सबइ अहा जउन मोरी परीच्छा मँ मोर साथ दिहा ह। 29 अउर मइँ तोहका वइसे ही एक राज्य देत अही जइसे मोर परमपिता ऍका मोका दिहे रहेन। 30 काहेकि मोरे राज्य मँ तू मोरे मेज प खा अउर पिआ अउर इस्राएल क बारहू जनजातिन क निआव करत भवा सिंहासने प बइठा।

Awadhi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-AWA)

Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.