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M’Cheyne Bible Reading Plan

The classic M'Cheyne plan--read the Old Testament, New Testament, and Psalms or Gospels every day.
Duration: 365 days
New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी) (NCA)
Version
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मत्ती 23

सात ठन दुःख

(मरकुस 12:38-39; लूका 11:43, 46; 20:45-46)

23 तब यीसू ह भीड़ के मनखे अऊ अपन चेलामन ला कहिस, “मूसा के कानून के गुरू अऊ फरीसी मन मूसा के कानून ला सिखोथें। एकरसेति, ओमन जऊन कुछू कहिथें ओला मानव अऊ करव। पर ओमन सहीं काम झन करव, काबरकि ओमन जइसने कहिथें वइसने नइं करंय। ओमन कानून के भारी बोझा ला बनाथें अऊ ओला मनखेमन के खांधा ऊपर लदक देथें, पर ओमन ह खुदे ओला टारे बर अपन अंगरी घलो उठाय नइं चाहंय।

ओमन अपन जम्मो काम मनखेमन ला देखाय बर करथें। ओमन देखाय बर चाकर-चाकर ताबीज बनाके अपन बाहां अऊ माथा म पहिरथें अऊ अपन कपड़ा म लम्‍बा झालर लगवाथें[a]

भोज मन म आदर के ठऊर अऊ सभा घरमन म खास जगह म बईठना ओमन ला बने लगथे। बजार म जोहार झोंकना अऊ मनखेमन के दुवारा गुरूजी कहवई ओमन ला बने लगथे।

पर तुमन अपन ला गुरू झन कहावव, काबरकि तुम्‍हर सिरिप एक गुरू हवय, अऊ तुमन जम्मो झन भाई-भाई अव। धरती म कोनो ला अपन ददा झन कहव, काबरकि तुम्‍हर एके ददा हवय, जऊन ह स्‍वरग म हवय। 10 तुमन अपन ला मालिक घलो झन कहावव, काबरकि तुम्‍हर एके मालिक हवय याने कि ‘मसीह’। 11 जऊन ह तुमन जम्मो म बड़े अय, ओह तुम्‍हर सेवक बनय। 12 जऊन ह अपन-आप ला बड़े बनाही, ओला छोटे करे जाही, अऊ जऊन ह अपन-आप ला छोटे बनाही, ओला बड़े करे जाही।

13 हे ढोंगी, कानून के गुरू अऊ फरीसी मन, तुम्‍हर ऊपर हाय! तुमन मनखेमन बर स्‍वरग राज के दुवारी ला बंद कर देथव। न तो तुमन खुदे ओम जावव अऊ न ही ओमन ला जावन देवव, जऊन मन ओम जाय के कोसिस करथंय।

14 हे ढोंगी, कानून के गुरू अऊ फरीसी मन, तुम्‍हर ऊपर हाय! तुमन बिधवामन के घर ला लूटथव अऊ देखाय बर लम्‍बा-लम्‍बा पराथना करथव। एकरसेति, तुमन ला जादा कठोर सजा मिलही।

15 हे ढोंगी, कानून के गुरू अऊ फरीसी मन, तुम्‍हर ऊपर हाय! तुमन एक झन ला अपन बिसवास म लाने बर समुंदर अऊ धरती ऊपर फिरथव, अऊ जब ओह तुम्‍हर बिसवास म आ जाथे, त तुमन ओला अपन ले दू गुना नरक के लइका बना देथव।

16 हे अंधरा अगुवामन, तुम्‍हर ऊपर हाय! तुमन कहिथव, ‘यदि कोनो मंदिर के कसम खाथे, त ओकर कुछू मतलब नइं होवय, पर यदि कोनो मंदिर के सोना के कसम खाथे, त ओह अपन कसम म बंध जाथे।’ 17 हे अंधरा मुरुख मनखेमन! कते ह बड़े अय – सोना या फेर मंदिर जऊन ह ओ सोना ला पबितर बनाथे?[b] 18 तुमन ए घलो कहिथव, ‘यदि कोनो बेदी के कसम खाथे, त ओकर कुछू मतलब नइं होवय, पर यदि कोनो बेदी म चघाय भेंट के कसम खाथे, त ओह अपन कसम म बंध जाथे।’ 19 हे अंधरा मनखेमन! कते ह बड़े अय – भेंट या फेर बेदी जऊन ह ओ भेंट ला पबितर बनाथे? 20 एकरसेति जऊन ह बेदी के कसम खाथे, ओह ओकर अऊ ओकर ऊपर रखे जम्मो चीज के कसम खाथे। 21 अऊ जऊन ह मंदिर के कसम खाथे, ओह ओकर अऊ ओम रहइया के घलो कसम खाथे। 22 अऊ जऊन ह स्‍वरग के कसम खाथे, ओह परमेसर के सिंघासन अऊ ओकर ऊपर बइठइया के घलो कसम खाथे।

23 हे ढोंगी, कानून के गुरू अऊ फरीसी मन, तुम्‍हर ऊपर हाय! तुमन अपन मसाला जइसने कि पोदीना, सौंफ अऊ जीरा के दसवां भाग ला देथव,[c] पर तुमन मूसा के कानून के जादा महत्‍व के बात जइसने कि नियाय, दया अऊ बिसवास के अनदेखी करथव।[d] तुम्‍हर बर उचित अय कि ए काममन ला करव अऊ ओ दूसर काम के अनदेखी घलो झन करव। 24 हे अंधरा अगुवामन! तुमन उड़इया छोटे कीरा ला तो छान लेथव, पर ऊंट ला लील लेथव।[e]

25 हे ढोंगी, कानून के गुरू अऊ फरीसी मन, तुम्‍हर ऊपर हाय! तुमन कटोरा अऊ थारी के बाहिर ला तो मांजथव, पर भीतर ले, ओमन ह लोभ अऊ लूट-खसोट ले छीने गय चीजमन ले भरे हवंय। 26 हे अंधरा फरीसीमन हो! पहिली कटोरा अऊ थारी के भीतरी ला मांजव, तब ओमन के बाहिरी भाग घलो साफ होही।

27 हे ढोंगी, कानून के गुरू अऊ फरीसी मन, तुम्‍हर ऊपर हाय! तुमन चूना पोताय कबर के सहीं अव, जऊन ह बाहिर ले तो सुघर दिखथे, पर भीतर ह मुरदा मनखेमन के हाड़ा अऊ जम्मो असुध चीज ले भरे रहिथे। 28 ओही किसम ले, तुमन मनखेमन ला बाहिर ले धरमी दिखथव, पर भीतर ले तुमन ढोंग अऊ अधरम ले भरे हवव।

29 हे ढोंगी, कानून के गुरू अऊ फरीसी मन, तुम्‍हर ऊपर हाय! तुमन अगमजानीमन के कबर ला बनाथव अऊ धरमीमन के कबर ला सजाथव, 30 अऊ तुमन ए कहिथव, ‘यदि हमन अपन पुरखामन के जुग म होतेन, त हमन अगमजानीमन के हतिया करई म ओमन संग भागी नइं होतेन।’ 31 ए किसम ले, तुमन खुदे मान लेथव कि तुमन ओमन के संतान अव, जऊन मन अगमजानीमन ला मार डारिन। 32 तब तुमन अपन पुरखामन के छोंड़े पाप के घघरी ला भर देथव।

33 हे सांपमन हो! हे करैत सांप के लइकामन हो! तुमन नरक के सजा ले कइसने बचहू। 34 एकरसेति, मेंह तुम्‍हर करा अगमजानी, अऊ बुद्धिमान अऊ गुरूजी मन ला पठोवत हंव। ओम ले कतेक झन ला तुमन मार डारहू अऊ कुरुस ऊपर चघाहू; कतेक झन ला तुमन अपन सभा घर म कोर्रा म मारहू अऊ सहर-सहर म ओमन ला सताहू।[f] 35 ए किसम ले, जम्मो धरमीमन के लहू, जऊन ह धरती ऊपर बोहाय हवय – धरमी हाबिल के लहू ले लेके बिरिकियाह के बेटा जकरयाह के लहू तक, जऊन ला तुमन मंदिर अऊ बेदी के बीच म मार डारेव; ए जम्मो के दोस तुम्‍हर ऊपर आही। 36 मेंह तुमन ला सच कहत हंव – ए जम्मो बात, ए पीढ़ी के मनखेमन ऊपर होही।

37 हे यरूसलेम सहर! हे यरूसलेम सहर! तेंह अगमजानीमन ला मार डारथस अऊ जऊन मन ला तोर करा पठोय जाथे, ओमन ला तेंह पथरा ले मारथस। मेंह कतेक बार चाहेंव कि तोर लइकामन ला वइसने संकेलंव, जइसने कुकरी ह अपन चियांमन ला अपन डेना खाल्‍हे संकेलथे, पर तेंह ए नइं चाहय। 38 देख, तोर घर ह उजाड़ पड़े हवय। 39 मेंह तोला कहथंव कि तेंह मोला तब तक फेर नइं देख सकस, जब तक कि तेंह ए नइं कहस, ‘धइन ए ओह, जऊन ह परभू के नांव म आथे।’ ”

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प्रेरितमन के काम 23

23 पौलुस ह धरम-महासभा कोति एकटक देखिस अऊ कहिस, “हे भाईमन हो! मेंह आज तक परमेसर खातिर सही मन से काम करे हवंव।” अतकी म महा पुरोहित हनन्याह ह ओमन ला, जऊन मन पौलुस के लकठा म ठाढ़े रहंय, ओकर मुहूं म मारे के हुकूम दीस। तब पौलुस ह ओला कहिस, “हे चूना पोताय भिथी! परमेसर ह तोला मारही। तेंह उहां कानून के मुताबिक मोर नियाय करे बर बईठे हवस, पर कानून के उल्टा मोला मारे के हुकूम देवत हस[a]।”

पौलुस के लकठा म ठाढ़े मनखेमन ओला कहिन, “तेंह परमेसर के महा पुरोहित के बेजत्ती करत हस।”

पौलुस ह कहिस, “हे भाईमन हो! मेंह नइं जानत रहेंव कि एह महा पुरोहित ए, काबरकि परमेसर के बचन ह कहिथे, ‘अपन मनखेमन के हाकिम के बारे म खराप बात झन कह।’[b]

तब पौलुस ह ए जानके कि इहां कुछू सदूकी अऊ फरीसी मन घलो हवंय, ओह महासभा म कहिस, “हे मोर भाईमन! मेंह एक फरीसी अंव अऊ एक फरीसी के बेटा अंव। मुरदामन के फेर जी उठे के मोर आसा के बारे म मोर ऊपर मुकदमा चलत हवय।” जब पौलुस ह ए बात कहिस, त फरीसी अऊ सदूकी मन म झगरा होय लगिस अऊ सभा म फूट पड़ गे। (काबरकि सदूकीमन बिसवास करथें कि मुरदामन नइं जी उठंय अऊ न स्‍वरगदूत हवय, न आतमा; पर फरीसीमन ए जम्मो बात म बिसवास करथें)।

तब अब्‍बड़ हो-हल्‍ला होईस अऊ फरीसी दल के कानून के कुछू गुरूमन ठाढ़ होके जोरदार बहस करन लगिन अऊ कहिन, “हमन ए मनखे म कोनो खराप बात नइं पावत हवन। कहूं कोनो आतमा या स्‍वरगदूत एला कुछू कहे हवय, त का होईस?” 10 जब बहुंत झगरा होय लगिस, त सेनापति ह डर्रा गे कि कहूं ओमन पौलुस के कुटी-कुटी झन कर डारंय। एकरसेति, ओह सैनिकमन ला हुकूम दीस कि ओमन उतरके पौलुस ला मनखेमन के बीच ले निकार लें अऊ ओला किला म ले जावंय।

11 ओ रतिहा परभू ह पौलुस के लकठा म ठाढ़ होके कहिस, “हिम्मत रख। जइसने तेंह यरूसलेम म मोर गवाही दे हवस, वइसने तोला रोम म घलो मोर गवाही दे बर पड़ही।”

पौलुस के हतिया के सडयंत्र

12 ओकर दूसर दिन, बिहनियां, यहूदीमन एक सडयंत्र करिन अऊ ए कसम खाईन कि जब तक हमन पौलुस ला नइं मार डारबो, तब तक हमन न तो कुछू खाबो, न पीबो। 13 चालीस ले जादा मनखे ए सडयंत्र म सामिल रिहिन। 14 ओमन मुखिया पुरोहित अऊ अगुवामन करा गीन अऊ कहिन, “हमन कसम खाय हवन कि जब तक हमन पौलुस ला नइं मार डारन, तब तक हमन कुछू नइं खावन। 15 अब तुमन अऊ धरम महासभा के सदस्यमन सेनापति ला समझावव कि ओह पौलुस ला तुम्‍हर आघू म लानय, ए ढोंग करव कि तुमन ओकर बारे म अऊ सही-सही बात जाने चाहत हव। पर ओकर इहां आय के पहिली हमन ओला मार डारे बर तियार हवन।”

16 पर जब पौलुस के भांचा ह ए सडयंत्र के बारे सुनिस, त ओह किला म जाके पौलुस ला बताईस।

17 तब पौलुस ह एक अधिकारी ला बलाके कहिस, “ए जवान ला सेनापति करा ले जावव। एह ओला कुछू बताय चाहत हवय।”

18 ओ अधिकारी ह पौलुस के भांचा ला सेनापति करा ले जाके कहिस, “ओ कैदी पौलुस ह मोला बलाके कहिस कि ए जवान ला तोर करा ले आवंव। एह तोला कुछू बताय चाहत हवय।”

19 सेनापति ह जवान के हांथ ला धरके अलग ले गीस अऊ ओकर ले पुछिस, “तेंह मोला का बताय चाहत हस?”

20 ओह कहिस, “यहूदीमन एका करे हवंय कि ओमन तोर ले बिनती करहीं कि कल पौलुस ला धरम-महासभा म लाने जावय, मानो धरम-महासभा ह ओकर बारे म अऊ सही-सही बात जाने चाहत हवय। 21 पर तेंह ओमन के बात ला झन मानबे, काबरकि ओम ले चालीस ले जादा मनखेमन पौलुस के घात म हवंय। ओमन ए कसम खाय हवंय कि जब तक ओमन पौलुस ला नइं मार डारहीं, तब तक ओमन न तो खाहीं अऊ न पीहीं। ओमन अभी तियार हवंय अऊ तोर हुकूम के बाट जोहत हवंय।”

22 तब सेनापति ह पौलुस के भांचा ला बिदा करिस पर ओला चेताके कहिस, “कोनो ला झन कहिबे कि तेंह मोला ए बात बताय हवस।”

पौलुस ला कैसरिया पठोय जाथे

23 तब सेनापति अपन दू झन अधिकारीमन ला बलाके हुकूम दीस, “दू सौ सैनिक, सत्तर घुड़सवार अऊ दू सौ बरछीधारी मनखेमन ला आज रतिहा लगभग नौ बजे कैसरिया जाय बर तियार रखव। 24 पौलुस के सवारी बर घोड़ा रखव कि ओला राजपाल फेलिक्स करा सही-सलामत पहुंचा दिये जावय।”

25 ओह ए चिट्ठी घलो लिखिस:

26 “महा परतापी,

राजपाल फेलिक्स ला क्लौदियुस लुसियास के जोहार।

27 ए मनखे ला यहूदीमन धरके के मार डारे चाहत रिहिन। पर जब मोला पता चलिस कि एह रोमी नागरिक ए, त मेंह सेना ले जाके एला छुड़ाके ले आएंव। 28 मेंह ए जाने बर चाहत रहेंव कि ओमन एकर ऊपर काबर दोस लगावत रिहिन। एकरसेति एला ओमन के धरम-महासभा म ले गेंव। 29 तब मोला पता चलिस कि ओमन अपन कानून के बारे म कतको ठन सवाल ला लेके ओकर ऊपर दोस लगावत हवंय। पर मार डारे जावय या जेल म डारे जावय लइक ओम कोनो दोस नइं ए। 30 जब मोला ए बताय गीस कि कुछू यहूदीमन ओकर बिरोध म एक सडयंत्र रचे हवंय, त मेंह तुरते ओला तोर करा पठो देंव। मेंह ओकर ऊपर दोस लगइयामन ला घलो हुकूम दे हवंव कि ओमन तोर आघू म एकर ऊपर नालिस करंय।”

31 सैनिकमन ला जइसने हुकूम दिये गे रिहिस, ओमन वइसने करिन। ओमन पौलुस ला रातों-रात अन्तिपतरिस सहर ले आईन। 32 ओकर आने दिन, ओमन घुड़सवारमन ला पौलुस के संग जाय बर छोंड़के, खुद किला म लहुंट गीन। 33 घुड़सवारमन कैसरिया पहुंचके राजपाल फेलिक्स ला चिट्ठी दीन अऊ पौलुस ला घलो ओला सऊंप दीन।

34 राजपाल ह चिट्ठी ला पढ़के पुछिस, “ओह कोन प्रदेस के अय?” जब ओह जानिस कि पौलुस ह किलिकिया के अय, 35 त राजपाल ह ओला कहिस, “जब तोर ऊपर दोस लगइयामन इहां आहीं, तब मेंह तोर मामला ला सुनहूं।” तब ओह हुकूम दीस कि पौलुस ला हेरोदेस के महल म पहरा म रखे जावय।

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