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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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Error: 'यशायाह 45:18-25' not found for the version: Saral Hindi Bible
फ़िलिप्पॉय 3:4-11

यद्यपि स्वयं मेरे पास शरीर पर भी निर्भर रहने का कारण हो सकता था.

यदि किसी की यह धारणा है कि उसके लिए शरीर पर भरोसा करने का कारण है तो मेरे पास तो कहीं अधिक है: आठवें दिन ख़तना, इस्राएली राष्ट्रीयता, बिन्यामीन का कुल, इब्रियों में से इब्री, व्यवस्था के अनुसार फ़रीसी, उन्माद [a]में कलीसिया का सतानेवाला और व्यवस्था में बताई गई धार्मिकता के मापदण्डों के अनुसार निष्कलंक!

जो कुछ मेरे लिए लाभदायक था, मैंने उसे मसीह के लिए अपनी हानि मान लिया है. 8-9 इससे कहीं अधिक बढ़कर मसीह येशु मेरे प्रभु को जानने के उत्तम महत्व के सामने मैंने सभी वस्तुओं को हानि मान लिया है—वास्तव में मैंने इन्हें कूड़ा मान लिया है कि मैं मसीह को प्राप्त कर सकूँ और मैं उनमें स्थिर हो जाऊँ, जिनके लिए मैंने सभी वस्तुएं खो दीं हैं. अब मेरी अपनी धार्मिकता वह नहीं जो व्यवस्था के पालन से प्राप्त होती है परन्तु वह है, जो मसीह में विश्वास द्वारा प्राप्त होती है—परमेश्वर की ओर से विश्वास की धार्मिकता 10 ताकि मैं उनकी मृत्यु की समानता में होकर उन्हें, उनके पुनरुत्थान की सामर्थ तथा उनकी पीड़ा की सहभागिता को जानूँ 11 कि मैं किसी रीति से मरे हुओं के पुनरुत्थान का भागी बन जाऊँ.

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प्रेरित 9:1-22

शाऊल का परिवर्तन

इस समय शाऊल पर प्रभु के शिष्यों को धमकाने तथा उनकी हत्या करने की धुन छायी हुई थी. वह महायाजक के पास गया और उनसे दमिश्क नगर के यहूदी सभागृहों के लिए इस उद्धेश्य के अधिकार पत्रों की विनती की कि यदि उसे इस मत के शिष्य—स्त्री या पुरुष—मिलें तो उन्हें बन्दी बना कर येरूशालेम ले आए.

जब वह दमिश्क नगर के पास पहुँचा, एकाएक उसके चारों ओर स्वर्ग से एक बिजली कौन्ध गई, वह भूमि पर गिर पड़ा और उसने स्वयं को सम्बोधित करता हुआ एक शब्द सुना: “शाऊल! शाऊल! तुम मुझे क्यों सता रहे हो?”

इसके उत्तर में उसने कहा, “प्रभु! आप कौन हैं?”

प्रभु ने उत्तर दिया, “मैं येशु हूँ, जिसे तुम सता रहे हो किन्तु अब उठो, नगर में जाओ और तुम्हें क्या करना है, तुम्हें बता दिया जाएगा.”

शाऊल के सहयात्री अवाक खड़े थे. उन्हें शब्द तो अवश्य सुनाई दे रहा था किन्तु कोई दिखाई नहीं दे रहा था. तब शाऊल भूमि पर से उठा. यद्यपि उसकी आँखें तो खुली थीं, वह कुछ भी देख नहीं पा रहा था. इसलिए उसका हाथ पकड़ कर वे उसे दमिश्क नगर में ले गए. तीन दिन तक वह अंधा रहा. उसने न कुछ खाया और न कुछ पिया.

10 दमिश्क में हननयाह नामक व्यक्ति मसीह येशु के एक शिष्य थे. उनसे प्रभु ने दर्शन में कहा.

“हननयाह!”

“क्या आज्ञा है, प्रभु?” उन्होंने उत्तर दिया.

11 प्रभु ने उनसे कहा, “सीधा नामक गली पर जा कर यहूदाह के घर में तारस्यॉसवासी शाऊल के विषय में पूछो, जो प्रार्थना कर रहा है. 12 उसने दर्शन में देखा है कि हननयाह नामक एक व्यक्ति ने आकर उस पर हाथ रखे कि वह दोबारा देखने लगें.”

13 हननयाह ने सन्देह व्यक्त किया, “किन्तु प्रभु! मैंने इस व्यक्ति के विषय में अनेकों से सुन रखा है कि उसने येरूशालेम में आपके पवित्र लोगों का कितना बुरा किया है 14 और यहाँ भी वह प्रधान पुरोहितों से यह अधिकार पत्र लेकर आया है कि उन सभी को बन्दी बनाकर ले जाए, जो आपके शिष्य हैं.”

15 किन्तु प्रभु ने हननयाह से कहा, “तुम जाओ! वह मेरा चुना हुआ जन है, जो अन्यजातियों, राजाओं तथा इस्राएलियों के सामने मेरे नाम का प्रचार करेगा. 16 मैं उसे यह अहसास दिलाऊँगा कि उसे मेरे लिए कितना कष्ट उठाना होगा.”

17 हननयाह ने उस घर में जाकर शाऊल पर अपने हाथ रखे और कहा, “भाई शाऊल, प्रभु मसीह येशु ने, जिन्होंने तुम्हें यहाँ आते हुए मार्ग में दर्शन दिया, मुझे तुम्हारे पास भेजा है कि तुम्हें दोबारा आँखों की रोशनी मिल जाए और तुम पवित्रात्मा से भर जाओ.” 18 तुरन्त ही उसकी आँखों पर से पपड़ी-जैसी गिरी और वह दोबारा देखने लगा, वह उठा और उसे बपतिस्मा दिया गया. 19 भोजन के बाद उसके शरीर में बल लौट आया. वह कुछ दिन दमिश्क नगर के शिष्यों के साथ ही रहा.

दमिश्क नगर में शाऊल का उद्सम्बोधन

20 शाऊल ने बिना देर किए यहूदी सभागृहों में यह शिक्षा देनी शुरु कर दी, “मसीह येशु ही परमेश्वर-पुत्र हैं.” 21 उनके सुननेवाले चकित हो यह विचार करते थे, “क्या यह वही नहीं जिसने येरूशालेम में उनका बुरा किया, जो मसीह येशु के विश्वासी थे और वह यहाँ भी इसी उद्देश्य से आया था कि उन्हें बन्दी बना कर प्रधान पुरोहितों के सामने प्रस्तुत करे?” 22 किन्तु शाऊल सामर्थी होते चले गए और दमिश्क के यहूदियों के सामने यह प्रमाणित करते हुए कि येशु ही मसीह हैं, उन्हें निरुत्तर करते रहे.

Saral Hindi Bible (SHB)

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