Book of Common Prayer
याजक मसीह द्वारा आराधना
8 बड़ी सच्चाई यह है: हमारे महायाजक वह हैं, जो स्वर्ग में महामहिम के दायें पक्ष में बैठे हैं, 2 जो वास्तविक मन्दिर में सेवारत हैं, जिसका निर्माण किसी मानव ने नहीं, स्वयं प्रभु ने किया है.
3 हर एक महायाजक का चुनाव भेंट तथा बलि-अर्पण के लिए किया जाता है. इसलिए आवश्यक हो गया कि इस महायाजक के पास भी अर्पण के लिए कुछ हो. 4 यदि मसीह येशु पृथ्वी पर होते, वह याजक हो ही नहीं सकते थे क्योंकि यहाँ व्यवस्था के अनुसार भेंट चढ़ाने के लिए याजक हैं. 5 ये वे याजक हैं, जो स्वर्गीय वस्तुओं के प्रतिरूप तथा प्रतिबिम्ब मात्र की आराधना करते हैं, क्योंकि मोशेह को, जब वह तम्बू का निर्माण करने पर थे, परमेश्वर के द्वारा यह चेतावनी दी गई थी: यह ध्यान रखना कि तुम तम्बू का निर्माण ठीक-ठीक वैसा ही करो, जैसा तुम्हें पर्वत पर दिखाया गया था, 6 किन्तु अब मसीह येशु ने अन्य याजकों की तुलना में कहीं अधिक अच्छी सेवकाई प्राप्त कर ली है: अब वह एक उत्तम वाचा के मध्यस्थ भी हैं, जिसका आदेश उत्तम प्रतिज्ञाओं पर हुआ है.
7 यदि वह पहिली वाचा निर्दोष होती तो दूसरी की ज़रूरत ही न होती. 8 स्वयं परमेश्वर ने उस पीढ़ी को दोषी पाकर यह कहा:
“वे दिन आ रहे हैं, जब मैं इस्राएल
और यहूदाह के गोत्रों के साथ
एक नई वाचा बांधूंगा;
यह प्रभु का कथन है.
9 वैसी नहीं, जैसी मैंने उनके पूर्वजों से उस समय की थी,
जब मैंने उनका हाथ पकड़ कर उन्हें मिस्र देश से बाहर निकाला था,
क्योंकि वे मेरी वाचा में स्थिर नहीं रहे,
इसलिए मैं उनसे दूर हो गया,
यह प्रभु का कहना है.
10 उन दिनों के बाद, इस्राएल के वंश के साथ
जो वाचा मैं स्थापित करूँगा, वह यह है,
यह प्रभु का कहना है.
मैं उनके मस्तिष्क में अपनी व्यवस्था भर दूँगा,
इसे मैं उनके हृदय पर लिख दूँगा.
मैं उनका परमेश्वर होऊँगा और वे सब मेरी प्रजा.
11 वे अपने नागरिकों को शिक्षा नहीं देंगे
और न अपने भाइयों से कहेंगे,
‘प्रभु को जानो,’ क्योंकि छोटे से लेकर बड़े
तक सभी मुझे जानेंगे.
12 उनके अपराधों के प्रति मैं दया से भरा रहूँगा तथा
मैं उनके पाप कभी भी याद न करूँगा.”
13 जब परमेश्वर एक नई वाचा का वर्णन कर रहे थे, तब उन्होंने पहिले को अनुपयोगी घोषित कर दिया. जो कुछ अनुपयोगी तथा जीर्ण हो रहा है, वह नष्ट होने पर है.
प्रचार का प्रारम्भ गलील प्रदेश से
(मत्ति 4:12-17; मारक 1:14-15; लूकॉ 4:14, 15)
43 दो दिन बाद मसीह येशु ने गलील प्रदेश की ओर प्रस्थान किया. 44 यद्यपि मसीह येशु स्वयं स्पष्ट कर चुके थे कि भविष्यद्वक्ता को अपने ही देश में सम्मान नहीं मिलता, 45 गलील प्रदेश पहुँचने पर गलीलवासियों ने उनका स्वागत किया क्योंकि वे फ़सह उत्सव के समय येरूशालेम में मसीह येशु द्वारा किए गए काम देख चुके थे.
46 मसीह येशु दोबारा गलील प्रदेश के काना नगर में आए, जहाँ उन्होंने जल को दाखरस में बदला था. कफ़रनहूम नगर में एक राजकर्मचारी था, जिसका पुत्र अस्वस्थ था. 47 यह सुन कर कि मसीह येशु यहूदिया प्रदेश से गलील में आए हुए हैं, उसने आ कर मसीह येशु से विनती की कि वह चल कर उसके पुत्र को स्वस्थ कर दें, जो मृत्यु-शय्या पर है.
48 इस पर मसीह येशु ने उसे झिड़की देते हुए कहा, “तुम लोग तो चिह्न और चमत्कार देखे बिना विश्वास ही नहीं करते!”
49 राजकर्मचारी ने उनसे दोबारा विनती की, “श्रीमन, इससे पूर्व कि मेरे बालक की मृत्यु हो, कृपया मेरे साथ चलें.”
50 मसीह येशु ने उससे कहा, “जाओ, तुम्हारा पुत्र जीवित रहेगा.” उस व्यक्ति ने मसीह येशु के वचन पर विश्वास किया और घर लौट गया. 51 जब वह मार्ग में ही था, उसके दास उसे मिल गए और उन्होंने उसे सूचना दी, “स्वामी, आपका पुत्र स्वस्थ हो गया है.” 52 “वह किस समय से स्वस्थ होने लगा था?” उसने उनसे पूछा. उन्होंने कहा, “कल लगभग सातवें घण्टे उसका ज्वर उतर गया.”
53 पिता समझ गया कि यह ठीक उसी समय हुआ जब मसीह येशु ने कहा था, “तुम्हारा पुत्र जीवित रहेगा.” इस पर उसने और उसके सारे परिवार ने मसीह येशु में विश्वास किया.
54 यह दूसरा अद्भुत चिह्न था, जो मसीह येशु ने यहूदिया प्रदेश से लौट कर गलील प्रदेश में किया.
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