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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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इब्री 4:1-13

परमेश्वर की प्रजा के लिए शब्बाथ-विश्राम

इसलिए हम इस विषय में विशेष सावधान रहें कि जब तक उनके विश्राम में प्रवेश की प्रतिज्ञा मान्य है, आप में से कोई भी उसमें प्रवेश से चूक न जाए. हमें भी ईश्वरीय सुसमाचार उसी प्रकार सुनाया गया था जैसे उन्हें, किन्तु सुना हुआ वह ईश्वरीय सुसमाचार उनके लिए लाभप्रद सिद्ध नहीं हुआ क्योंकि उन्होंने इसे विश्वास से ग्रहण नहीं किया था. हमने, जिन्होंने विश्वास किया, उस विश्राम में प्रवेश पाया, ठीक जैसा उनका कहना था:

जैसे मैंने अपने क्रोध में शपथ खाई,
    वे मेरे विश्राम में प्रवेश कभी न पाएँगे,

यद्यपि उनके काम सृष्टि के प्रारम्भ से ही पूरे हो चुके थे. उन्होंने सातवें दिन के सम्बन्ध में किसी स्थान पर इस प्रकार वर्णन किया था: तब सातवें दिन परमेश्वर ने अपने सभी कामों से विश्राम किया. एक बार फिर इसी भाग में, वे मेरे विश्राम में प्रवेश कभी न करेंगे.

इसलिए कि कुछ के लिए यह प्रवेश अब भी खुला आमन्त्रण है तथा उनके लिए भी, जिन्हें इसके पूर्व ईश्वरीय सुसमाचार सुनाया तो गया किन्तु वे अपनी अनाज्ञाकारिता के कारण प्रवेश न कर पाए, परमेश्वर ने एक दिन दोबारा तय किया: आज. इसी दिन के विषय में एक लम्बे समय के बाद उन्होंने दाविद के मुख से यह कहा था—ठीक जैसा कि पहले भी कहा था:

यदि आज तुम उनकी आवाज़ सुनो
    तो अपने हृदय कठोर न कर लेना.

यदि उन्हें यहोशू द्वारा विश्राम प्रदान किया गया होता तो परमेश्वर इसके बाद एक अन्य दिन का वर्णन न करते. इसलिए परमेश्वर की प्रजा के लिए अब भी एक शब्बाथ का विश्राम तय है. 10 क्योंकि वह, जो परमेश्वर के विश्राम में प्रवेश करता है, अपने कामों से भी विश्राम करता है, जिस प्रकार स्वयं परमेश्वर ने विश्राम किया था. 11 इसलिए हम उस विश्राम में प्रवेश का पूरे साहस से प्रयास करें, कि किसी को भी उसी प्रकार अनाज्ञाकारिता का दण्ड भोगना न पड़े.

परमेश्वर का वचन तथा याजक मसीह

12 परमेश्वर का वचन जीवित, सक्रिय तथा किसी भी दोधारी तलवार से कहीं अधिक धारदार है, जो हमारे भीतर में प्रवेश कर हमारी आत्मा, प्राण, जोड़ों तथा मज्जा को भेद देता है. यह हमारे हृदय के उद्धेश्यों तथा विचारों को पहचानने में सक्षम है. 13 जिन्हें हमें हिसाब देना है, उनकी दृष्टि से कोई भी प्राणी छिपा नहीं है—सभी वस्तुएं उनके सामने साफ़ और खुली हुई हैं.

योहन 2:13-22

येरूशालेम मन्दिर की शुद्धि

13 जब यहूदियों का फ़सह उत्सव पास आया तो मसीह येशु अपने शिष्यों के साथ येरूशालेम गए. 14 उन्होंने मन्दिर में बैल, भेड़ और कबूतर बेचने वालों तथा साहूकारों को व्यापार करते हुए पाया. 15 इसलिए उन्होंने रस्सियों का एक कोड़ा बनाया और उन सबको बैलों और भेड़ों सहित मन्दिर से बाहर निकाल दिया और साहूकारों के सिक्के बिखेर दिए, उनकी चौकियों को उलट दिया 16 और कबूतर बेचने वालों से कहा, “इन्हें यहाँ से ले जाओ. मेरे पिता के भवन को व्यापारिक केन्द्र मत बनाओ.”

17 यह सुन शिष्यों को पवित्रशास्त्र का यह लेख याद आया: “आपके भवन की धुन में जलते जलते मैं भस्म हुआ”.[a]

18 तब यहूदियों ने मसीह येशु से कहा, “इन कामों पर अपना अधिकार प्रमाणित करने के लिए तुम हमें क्या चिह्न दिखा सकते हो?”

19 मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “इस मन्दिर को ढाह दो, इसे मैं तीन दिन में दोबारा खड़ा कर दूँगा.”

20 इस पर यहूदियों ने कहा, “इस मन्दिर के निर्माण में छियालीस वर्ष लगे हैं, क्या तुम इसे तीन दिन में खड़ा कर सकते हो?” 21 परन्तु मसीह येशु यहाँ अपने शरीर रूपी मन्दिर का वर्णन कर रहे थे. 22 इसलिए मरे हुओं में से जी उठने के बाद शिष्यों को उनका यह कथन याद आया और उन्होंने पवित्रशास्त्र और मसीह येशु द्वारा कहे गए वचन में विश्वास किया.

Saral Hindi Bible (SHB)

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