Book of Common Prayer
धर्मी घोषित किया जाना
16 ईश्वरीय सुसमाचार मेरे लिए लज्जा का विषय नहीं है. यह उन सभी के उद्धार के लिए परमेश्वर का सामर्थ्य है, जो इसमें विश्वास करते हैं. सबसे पहले यहूदियों के लिए और यूनानियों के लिए भी. 17 क्योंकि इसमें विश्वास से विश्वास के लिए परमेश्वर की धार्मिकता का प्रकाशन होता है, जैसा कि पवित्रशास्त्र का लेख है: वह, जो विश्वास द्वारा धर्मी है, जीवित रहेगा.
अन्यजातियों और यहूदियों पर परमेश्वर का क्रोध
18 स्वर्ग से परमेश्वर का क्रोध उन मनुष्यों की अभक्ति तथा दुराचरण पर प्रकट होता है, जो सच्चाई को अधर्म में दबाए रहते हैं 19 क्योंकि परमेश्वर के विषय में जो कुछ भी जाना जा सकता है, वह ज्ञान मनुष्यों पर प्रकट है—इसे स्वयं परमेश्वर ने उन पर प्रकट किया है. 20 सच यह है कि सृष्टि के प्रारम्भ ही से परमेश्वर के अनदेखे गुण, उनकी अनंत सामर्थ्य तथा उनका परमेश्वरत्व उनकी सृष्टि में स्पष्ट है और दिखाई देता है. इसलिए मनुष्य के पास अपने इस प्रकार के स्वभाव के बचाव में कोई भी तर्क शेष नहीं रह जाता.
21 परमेश्वर का ज्ञान होने पर भी उन्होंने न तो परमेश्वर को परमेश्वर के योग्य सम्मान दिया और न ही उनका आभार माना. इसके विपरीत उनकी विचार शक्ति व्यर्थ हो गई तथा उनके जड़ हृदयों पर अन्धकार छा गया. 22 उनका दावा था कि वे बुद्धिमान हैं किन्तु वे बिलकुल मूर्ख साबित हुए 23 क्योंकि उन्होंने अविनाशी परमेश्वर के प्रताप को बदलकर नाशमान मनुष्य, पक्षियों, पशुओं तथा रेंगते जन्तुओं में कर दिया.
24 इसलिए परमेश्वर ने भी उन्हें उनके हृदय की अभिलाषाओं की मलिनता के लिए छोड़ दिया कि वे आपस में बुरे कामों में अपने शरीर का अनादर करें. 25 ये वे हैं, जिन्होंने परमेश्वर के सच का बदलाव झूठ से किया. ये वे हैं, जिन्होंने सृष्टि की वन्दना-अर्चना की, न कि सृष्टिकर्ता की, जो सदा-सर्वदा वन्दनीय हैं. आमेन.
दुःखभोग और क्रूस की मृत्यु की दूसरी भविष्यवाणी
(मारक 9:30-32; लूकॉ 9:44-45)
22 जब वे गलील प्रदेश में इकट्ठा हो रहे थे, येशु ने उनसे कहा, “अब मनुष्य का पुत्र मनुष्यों के हाथों में पकड़वा दिए जाएगा. 23 वे उसकी हत्या कर देंगे. तीसरे दिन वह मरे हुओं में से जीवित किया जाएगा.” शिष्य अत्यन्त दुःखी हो गए.
मछली के मुँह में सिक्के का मिलना
24 जब वे कफ़रनहूम नगर पहुँचे, तब उन्होंने, जो मन्दिर के लिए निर्धारित कर इकट्ठा करते थे, पेतरॉस के पास आ कर पूछा, “क्या तुम्हारे गुरु निर्धारित कर नहीं देते?”
25 “देते हैं,” पेतरॉस ने उन्हें उत्तर दिया.
घर में प्रवेश करते हुए येशु ने ही पेतरॉस से प्रश्न किया, “शिमोन, मुझे यह बताओ, राजा किससे कर तथा शुल्क लेते हैं—अपनी सन्तान से या प्रजा से?” “प्रजा से,” पेतरॉस ने उत्तर दिया.
26 “अर्थात् सन्तान कर-मुक्त है”.
येशु ने पेतरॉस से कहा; 27 “फिर भी, ऐसा न हो कि वे हमसे क्रुद्ध हो जाएँ, झील में जाओ, जो पहिले मछली पकड़ में आए उसका मुख खोलना. वहाँ तुम्हें एक सिक्का प्राप्त होगा. वही सिक्का उन्हें अपनी तथा मेरी ओर से कर-स्वरूप दे देना.”
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