Book of Common Prayer
पौलॉस की प्रार्थना
14 यही कारण है कि मैं पिता के सामने घुटने टेकता हूँ, 15 जिनमें स्वर्ग और पृथ्वी के हर एक कुल का नाम रखा जाता है 16 कि वह अपनी अपार महिमा के अनुसार अपने पवित्रात्मा के द्वारा तुम्हारे जीवन की आत्मा को शक्ति-सम्पन्न करें, 17 कि विश्वास के द्वारा मसीह तुम्हारे हृदय में वास करें कि प्रेम में मजबूत व स्थिर होकर 18 तुम सभी पवित्र मसीह के प्रेम की लम्बाई, चौड़ाई, ऊँचाई व गहराई को भली-भांति समझ सको 19 और मसीह के उस प्रेम को जान सको, जो ज्ञान से परे है कि परमेश्वर की सारी भरपूरी तुममें स्थापित हो जाए.
20 अब उन्हें जो हम में कार्यशील सामर्थ्य के द्वारा हमारी विनती और सोच और समझ से अपार कहीं अधिक बढ़कर करने में सक्षम हैं, 21 हममें इस समय सक्रिय सामर्थ्य के द्वारा, कलीसिया और मसीह येशु में उनकी महिमा पीढ़ी से पीढ़ी, सदा-सर्वदा होती रहे, आमेन.
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