Book of Common Prayer
16 इसलिए हम हतोत्साहित नहीं होते. हमारा बाहरी मनुष्यत्व तो कमज़ोर होता जा रहा है किन्तु भीतरी मनुष्यत्व दिन-प्रतिदिन नया होता जा रहा है. 17 हमारा यह छोटा सा क्षण भर का कष्ट हमारे लिए ऐसी अनन्त और अत्याधिक महिमा को उत्पन्न कर रहा है, जिसकी तुलना नहीं कर सकते 18 क्योंकि हमने अपना ध्यान उस पर केन्द्रित नहीं किया, जो दिखाई देता है परन्तु उस पर, जो दिखाई नहीं देता है. जो कुछ दिखाई देता है, वह क्षण भर का है किन्तु जो दिखाई नहीं देता वह अनन्त काल का.
हमारा स्वर्गीय घर
5 हमें यह मालूम है कि जब हमारे घर—हमारी शारीरिक देह—को गिरा दिया जाएगा तो हमारे लिए परमेश्वर की ओर से एक ऐसा घर तय किया गया है, जो मनुष्य के हाथ का बनाया हुआ नहीं परन्तु स्वर्गीय और अनन्त काल का है. 2 यह एक सच्चाई है कि हम कराहते हुए वर्तमान घर में उस स्वर्गीय घर को धारण करने की लालसा करते रहते हैं 3 क्योंकि उसे धारण करने के बाद हम नंगे न रह जाएँगे. 4 सच यह है कि इस घर में रहते हुए हम बोझ में दबे हुए कराहते रहते हैं क्योंकि हम चाहते हैं कि हम नंगे न रहें परन्तु वस्त्र धारण करें कि जो कुछ शारीरिक है, वह जीवन का निवाला बन जाए. 5 जिन्होंने हमें इस उद्धेश्य के लिए तैयार किया है, वह परमेश्वर हैं, जिन्होंने अपना आत्मा हमें बयाने के रूप में दे दिया.
6 यही अहसास हमें हमेशा प्रोत्साहित करता रहता है कि जब तक हम अपनी शारीरिक देह के इस घर में हैं, हम प्रभु—अपने घर—से दूर हैं 7 क्योंकि हम रूप को देखकर नहीं, विश्वास से जीवित हैं. 8 हम पूरी तरह आश्वस्त हैं तथा हमारी इच्छा है कि हम शरीर से अलग हो प्रभु के साथ अपने घर में निवास करें. 9 हमारी बड़ी इच्छा भी यही है कि चाहे हम घर में हों या उससे दूर, हम प्रभु को भाते रहें 10 क्योंकि यह अवश्य है कि हम सब मसीह के न्यायासन के सामने उपस्थित हों कि हर एक को शारीरिक देह में किए गए उचित या अनुचित के अनुसार फल प्राप्त हो.
मरे हुओं के जी उठने का प्रश्न
(मत्ति 22:23-33; लूकॉ 20:27-40)
18 कुछ सदूकी मसीह येशु के पास आए. सदूकियों की मान्यता है कि मृतक दोबारा जीवित नहीं होते. उन्होंने मसीह येशु से प्रश्न किया, 19 “गुरुवर, हमारे लिए मोशेह का आदेश है कि यदि किसी का भाई अपनी पत्नी पीछे छोड़ निस्सन्तान मर जाए, तो उसका भाई उस विधवा से विवाह करे और अपने भाई के लिए सन्तान उत्पन्न करे. 20 इसी सन्दर्भ में एक घटना इस प्रकार है: सात भाई थे. पहले ने विवाह किया और बिना सन्तान ही चल बसा. 21 दूसरे भाई ने उसकी पत्नी वे विवाह कर लिया, वह भी बिना सन्तान ही चल बसा. तीसरे भाई की भी यही स्थिति रही. 22 इस प्रकार सातों भाइयों की मृत्यु बिना सन्तान ही हो गई. इसके बाद उस स्त्री की भी मृत्यु हो गई. 23 पुनरुत्थान में दुबारा जी उठने पर वह किसकी पत्नी कहलाएगी—क्योंकि वह तो सातों भाइयों की पत्नी रह चुकी है?”
24 मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “क्या तुम्हारी इस भूल का कारण यह नहीं कि तुम न तो पवित्रशास्त्र का भेद समझते हो और न ही परमेश्वर के सामर्थ्य को? 25 पुनरुत्थान में लोग न तो विवाहित होते हैं और न ही वहाँ विवाह कराये जाते हैं—वहाँ वे स्वर्गदूतों के समान होंगे. 26 जहाँ तक मरे हुओं के दुबारा जी उठने का प्रश्न है, क्या तुमने मोशेह के ग्रन्थ में नहीं पढ़ा, जहाँ जलती हुई झाड़ी का वर्णन है? परमेश्वर ने मोशेह से कहा था, ‘मैं ही अब्राहाम का परमेश्वर, इसहाक का परमेश्वर तथा याक़ोब का परमेश्वर हूँ’? 27 आप लोग बड़ी गम्भीर भूल में पड़े हैं! वह मरे हुओं के नहीं परन्तु जीवितों के परमेश्वर हैं.”
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