Book of Common Prayer
12 अपने विश्वास का कठिन संघर्ष करो, उस अनन्त जीवन को थामे रखो, जिसके लिए परमेश्वर ने तुम्हे बुलाया और जिसे तुमने अनेक गवाहों के सामने अंगीकार किया है. 13 सारी सृष्टि के पिता तथा मसीह येशु को, जो पोन्तियॉस पिलातॉस के सामने अच्छे गवाह साबित हुए, उपस्थित जान कर मैं तुम्हें निर्देश देता हूँ: 14 हमारे प्रभु मसीह येशु के दोबारा आगमन तक इस आज्ञा को निष्कलंक और निर्दोष बनाए रखो: 15 जो ठीक समय पर परमेश्वर के द्वारा पूरा होगा—परमेश्वर, जो धन्य व एकमात्र अधिपति, राजाओं के राजा और प्रभुओं के प्रभु हैं. 16 सिर्फ वही अमर्त्य हैं, जिनका वास अपार ज्योति में है. जिन्हें किसी ने न तो कभी देखा है और न ही देख सकता है. उनकी महिमा और प्रभुता निरन्तर रहे. आमेन.
41 जब वह येरूशालेम नगर के पास आए तो नगर को देख वह यह कहते हुए रो पड़े, 42 “यदि तुम, हाँ तुम, आज इतना ही समझ लेते कि शान्ति का मतलब क्या है! किन्तु यह तुमसे छिपाकर रखा गया है. 43 वे दिन आ रहे हैं जब शत्रु सेना तुम्हारे चारों ओर घेराबन्दी करके तुम्हारे निकलने का रास्ता बन्द कर देगी. 44 वे तुम्हें तथा तुम्हारी सन्तानों को धूल में मिला देंगे. वे तुम्हारे घरों का एक भी पत्थर दूसरे पत्थर पर न छोड़ेंगे क्योंकि तुमने तुम्हें दिए गए सुअवसर को नहीं पहचाना.”
दूसरी बार मसीह येशु द्वारा मन्दिर की शुद्धि
(मत्ति 21:12-17; मारक 11:15-19)
45 मन्दिर में प्रवेश करने पर मसीह येशु ने सभी विक्रेताओं को यह कहते हुए वहाँ से बाहर करना प्रारम्भ कर दिया, 46 “लिखा है: मेरा घर प्रार्थना का घर होगा किन्तु तुमने तो इसे डाकुओं की गुफ़ा बना रखी है!”
47 मसीह येशु हर रोज़ मन्दिर में शिक्षा दिया करते थे. प्रधान याजक, शास्त्री तथा जनसाधारण में से प्रधान नागरिक उनकी हत्या की योजना कर रहे थे, 48 किन्तु उनकी कोई भी योजना सफल नहीं हो रही थी क्योंकि लोग मसीह येशु के प्रवचनों से अत्यन्त प्रभावित थे.
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