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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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1 कोरिन्थॉस 14:1-19

14 इसलिए प्रेम का स्वभाव रखते हुए आत्मिक वरदानों की बड़ी इच्छा करते रहो—विशेष रूप से भविष्यवाणी करने के वर की.

भविष्यवाणी और अन्य भाषा क्षमताएँ

वह, जो अन्य भाषा में विचार प्रकट करता है, मनुष्यों से नहीं, परमेश्वर से बातें करता है. सच्चाई तो यह है कि कोई भी सुननेवाला उसकी भाषा नहीं समझता—वह पवित्रात्मा की अगुवाई के द्वारा गूढ़ सच्चाई प्रकट करता है. किन्तु वह, जो भविष्यवाणी करता है, आत्मिक उन्नति, प्रोत्साहन तथा धीरज के लिए मनुष्यों को सम्बोधित करता है; वह, जो अन्य भाषा में सन्देश सुनाता है, मात्र स्वयं को उन्नत करता है किन्तु वह, जो भविष्यवाणी करता है, कलीसिया को उन्नत करता है. मैं चाहता तो हूँ कि तुममें से हर एक को अन्य भाषाओं की क्षमता प्राप्त हो किन्तु इसकी बजाय बेहतर यह होगा कि तुम्हें भविष्यवाणी की क्षमता प्राप्त हो; क्योंकि वह, जो भविष्यवाणी करता है, उस अन्य भाषा बोलनेवाले से, जो अनुवाद किए बिना अन्य भाषा में बातें करता है, बेहतर है क्योंकि अनुवाद किए जाने पर ही कलीसिया की उन्नति सम्भव हो सकती है.

प्रियजन, यदि मैं तुमसे अन्य भाषाओं में बातें करूँ तो मैं इसमें तुम्हारा क्या भला करूँगा यदि इसमें तुम्हारे लिए कोई प्रकाशन या ज्ञान या भविष्यवाणी या शिक्षा न हो? निर्जीव वस्तुएं भी ध्वनि उत्पन्न करती हैं, चाहे बाँसुरी हो या कोई तार-वाद्य. यदि उनसे उत्पन्न स्वरों में भिन्नता न हो तो यह कैसे मालूम होगा कि कौन-सा वाद्य बजाया जा रहा है? यदि बिगुल का स्वर अस्पष्ट हो तो युद्ध के लिए तैयार कौन होगा? इसी प्रकार यदि अन्य भाषा में बातें करते हुए तुम्हारे बोले हुए शब्द साफ़ न हों तो कौन समझेगा कि क्या कहा जा रहा है? यह तो हवा से बातें करना हुआ. 10 विश्व में न जाने कितनी भाषाएँ हैं और उनमें से कोई भी व्यर्थ नहीं. 11 यदि मैं किसी की भाषा न समझ पाऊँ तो मैं उसके लिए और वह मेरे लिए विदेशी हुआ. 12 इसी प्रकार तुम भी, जो आत्मिक वरदानों के प्रति इतने उत्सुक हो, उन क्षमताओं के उपयोग के लिए ऐसे प्रयासरत रहो कि उनसे कलीसिया का पूरी तरह विकास हो.

13 इसलिए वह, जो अन्य भाषा में बातें करता है, प्रार्थना करे कि उसे उसका वर्णन तथा अनुवाद करने की क्षमता भी प्राप्त हो जाए. 14 जब मैं अन्य भाषा में प्रार्थना करता हूँ तो मेरी अन्तरात्मा तो प्रार्थना करती रहती है किन्तु मेरा मस्तिष्क काम करना बंद कर देता है, 15 तो सही क्या है? यही न कि मैं अन्तरात्मा से प्रार्थना करूँ और समझ से भी. मैं अन्तरात्मा से गाऊँगा और समझ से भी गाऊँगा. 16 यदि तुम सिर्फ अन्तरात्मा में स्तुति करते हो तो वहाँ उपस्थित अनजान व्यक्ति तुम्हारे धन्यवाद के अन्त में “आमेन” कैसे कहेगा क्योंकि उसे तो यह मालूम ही नहीं कि तुम कह क्या रहे हो? 17 निस्सन्देह तुमने तो सुन्दर रीति से धन्यवाद प्रकट किया किन्तु इससे उस व्यक्ति का कुछ भी भला नहीं हुआ.

18 मैं परमेश्वर का आभारी हूँ कि मैं तुम सबसे अधिक अन्य भाषाओं में बातें करता हूँ. 19 फिर भी कलीसिया सभा में शिक्षा देने के उद्धेश्य से मैं सोच-समझ कर मात्र पाँच शब्द ही कहना सही समझता हूँ इसकी बजाय कि मैं अन्य भाषा के दस हज़ार शब्द कहूँ.

मारक 9:30-41

30 वहाँ से निकल कर उन्होंने गलील प्रदेश का मार्ग लिया. मसीह येशु नहीं चाहते थे कि किसी को भी इस यात्रा के विषय में मालूम हो. 31 इसलिए कि मसीह येशु अपने शिष्यों को यह शिक्षा दे रहे थे, “मनुष्य का पुत्र मनुष्यों के हाथों पकड़वा दिया जाएगा. वे उसकी हत्या कर देंगे. तीन दिन बाद वह मरे हुओं में से जीवित हो जाएगा.” 32 किन्तु यह विषय शिष्यों की समझ से परे रहा तथा वे इसका अर्थ पूछने में डर भी रहे थे.

33 कफ़रनहूम नगर पहुँच कर जब उन्होंने घर में प्रवेश किया मसीह येशु ने शिष्यों से पूछा, “मार्ग में तुम किस विषय पर विचार-विमर्श कर रहे थे?” 34 शिष्य मौन बने रहे क्योंकि मार्ग में उनके विचार-विमर्श का विषय था उनमें बड़ा कौन है.

35 मसीह येशु ने बैठते हुए बारहों को अपने पास बुला कर उनसे कहा, “यदि किसी की इच्छा बड़ा बनने की है, वह छोटा हो जाए और सबका सेवक बने.”

36 उन्होंने एक बालक को उनके मध्य खड़ा किया और फिर उसे गोद में ले कर शिष्यों को सम्बोधित करते हुए कहा, 37 “जो कोई ऐसे बालक को मेरे नाम में स्वीकार करता है, मुझे स्वीकार करता है तथा जो कोई मुझे स्वीकार करता है, वह मुझे नहीं परन्तु मेरे भेजने वाले को स्वीकार करता है.”

शिष्यों द्वारा अन्य शिष्य के

मसीह येशु नाम के उपयोग पर आपत्ति

(लूकॉ 9:49, 50)

38 योहन ने मसीह येशु को सूचना दी, “गुरुवर, हमने एक व्यक्ति को आपके नाम में प्रेत निकालते हुए देखा है. हमने उसे रोकने का प्रयास किया क्योंकि वह हममें से नहीं है.”

39 “मत रोको उसे!” मसीह येशु ने उन्हें आज्ञा दी, “कोई भी, जो मेरे नाम में अद्भुत-काम करता है, दूसरे ही क्षण मेरी निन्दा नहीं कर सकता 40 क्योंकि वह व्यक्ति, जो हमारे विरुद्ध नहीं है, हमारे पक्ष में ही है.

41 “यदि कोई तुम्हें एक कटोरा जल इसलिए पिलाता है कि तुम मसीह के शिष्य हो तो मैं तुम पर एक अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूँ: वह अपना प्रतिफल न खोएगा.

Saral Hindi Bible (SHB)

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