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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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1 योहन 4:7-21

सच्चा प्रेम

प्रियजन, हम में आपस में प्रेम रहे: प्रेम परमेश्वर से उत्पन्न हुआ है. हर एक, जिसमें प्रेम है, परमेश्वर से जन्मा है तथा उन्हें जानता है. वह जिसमें प्रेम नहीं, परमेश्वर से अनजान है क्योंकि परमेश्वर प्रेम हैं. हम में परमेश्वर का प्रेम इस प्रकार प्रकट हुआ: परमेश्वर ने अपने एकलौते पुत्र को संसार में भेजा कि हम उनके द्वारा जीवन प्राप्त करें. 10 प्रेम वस्तुत: यह है: परमेश्वर ने हमारे प्रति अपने प्रेम के कारण अपने पुत्र को हमारे पापों के लिए प्रायश्चित-बलि होने के लिए भेज दिया—यह नहीं कि हमने परमेश्वर से प्रेम किया है. 11 प्रियजन, यदि हमारे प्रति परमेश्वर का प्रेम इतना अधिक है तो सही है कि हम में भी आपस में प्रेम हो. 12 परमेश्वर को किसी ने कभी नहीं देखा. यदि हम में आपस में प्रेम है तो हमारे भीतर परमेश्वर का वास है तथा उनके प्रेम ने हम में पूरी सिद्धता प्राप्त कर ली है.

13 हमें यह अहसास होता है कि हमारा उनमें और उनका हम में वास है क्योंकि उन्होंने हमें अपना आत्मा दिया है. 14 हमने यह देखा है और हम इसके गवाह हैं कि पिता ने पुत्र को संसार का उद्धारकर्ता होने के लिए भेज दिया. 15 जो कोई यह स्वीकार करता है कि मसीह येशु परमेश्वर-पुत्र हैं, परमेश्वर का उसमें और उसका परमेश्वर में वास है. 16 हमने अपने प्रति परमेश्वर के प्रेम को जान लिया और उसमें विश्वास किया है. परमेश्वर प्रेम हैं. वह, जो प्रेम में स्थिर है, परमेश्वर में बना रहता है तथा स्वयं परमेश्वर उसमें बना रहता हैं. 17 तब हमें न्याय के दिन के सन्दर्भ में निर्भयता प्राप्त हो जाती है क्योंकि संसार में हमारा स्वभाव मसीह के स्वभाव के समान हो गया है, परिणामस्वरूप हमारा आपसी प्रेम सिद्धता की स्थिति में पहुँच जाता है.

18 इस प्रेम में भय का कोई भाग नहीं होता क्योंकि सिद्ध प्रेम भय को निकाल फेंकता है. भय का सम्बन्ध दण्ड से है और उसने, जो भयभीत है प्रेम में यथार्थ सम्पन्नता प्राप्त नहीं की.

19 हम में प्रेमभाव इसलिए है कि पहले उन्होंने हमसे प्रेम किया है. 20 यदि कोई दावा करे, “मैं परमेश्वर से प्रेम करता हूँ” परन्तु साथी विश्वासी से घृणा करे, वह झूठा है, क्योंकि जिसने साथी विश्वासी को देखा है और उससे प्रेम नहीं करता तो वह परमेश्वर से, जिन्हें उसने देखा ही नहीं, प्रेम कर ही नहीं सकता, 21 यह आज्ञा हमें उन्हीं से प्राप्त हुई है कि वह, जो परमेश्वर से प्रेम करता है, साथी विश्वासी से भी प्रेम करे.

योहन 11:30-44

30 मसीह येशु ने अब तक नगर में प्रवेश नहीं किया था. वह वहीं थे, जहाँ मार्था ने उनसे भेंट की थी. 31 जब वहाँ शान्ति देने आए यहूदियों ने मरियम को एकाएक उठ कर बाहर जाते हुए देखा तो वे भी उसके पीछे-पीछे यह समझ कर चले गए कि वह क़ब्र पर रोने के लिए जा रही है.

32 मसीह येशु के पास पहुँच मरियम उनके चरणों में गिर पड़ी और कहने लगी, “प्रभु, यदि आप यहाँ होते तो मेरे भाई की मृत्यु न होती.”

33 मसीह येशु ने उसे और उसके साथ आए यहूदियों को रोते हुए देखा तो उनका हृदय व्याकुल हो उठा. उन्होंने उदास शब्द में पूछा, 34 “तुमने उसे कहाँ रखा है?” उन्होंने उनसे कहा.

“आइए, प्रभु, देख लीजिए.”

35 मसीह येशु के आँसू बहने लगे.

36 यह देख यहूदी कहने लगे, “देखो वह इन्हें कितना प्रिय था!”

37 परन्तु उनमें से कुछ ने कहा, “क्या यह, जिन्होंने अंधे को आँखों की रोशनी दी, इस व्यक्ति को मृत्यु से बचा न सकते थे?”

मृत लाज़रॉस का उज्जीवन

38 दोबारा बहुत उदास हो मसीह येशु क़ब्र पर आए, जो वस्तुत: एक कन्दरा थी, जिसके प्रवेश द्वार पर एक पत्थर रखा हुआ था. 39 मसीह येशु ने वह पत्थर हटाने को कहा. मृतक की बहन मार्था ने आपत्ति प्रकट करते हुए उनसे कहा, “प्रभु, उसे मरे हुए चार दिन हो चुके हैं. अब तो उसमें से दुर्गन्ध आ रही होगी.”

40 मसीह येशु ने उससे कहा, “क्या मैंने तुमसे नहीं कहा था कि यदि तुम विश्वास करोगी तो परमेश्वर की महिमा को देखोगी?”

41 इसलिए उन्होंने पत्थर हटा दिया. मसीह येशु ने अपनी आँखें ऊपर उठाईं और कहा, “पिता, मैं आपका धन्यवाद करता हूँ कि आपने मेरी सुन ली. 42 मैं जानता हूँ कि आप हमेशा मेरी सुनते हैं किन्तु यहाँ उपस्थित भीड़ के कारण मैंने ऐसा कहा है कि वे सब विश्वास करें कि आप ने ही मुझे भेजा है.” 43 तब उन्होंने ऊँचे शब्द में पुकारा, “लाज़रॉस, बाहर आ जाओ!” 44 वह, जो चार दिन से मरा हुआ था, बाहर आ गया. उसका सारा शरीर पट्टियों में और उसका मुख कपड़े में लिपटा हुआ था. मसीह येशु ने उनसे कहा, “इसे खोल दो और जाने दो.”

Saral Hindi Bible (SHB)

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