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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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1 योहन 3:1-10

परमेश्वर की सन्तान की जीवनशैली

विचार तो करो कि कैसा अथाह है हमारे प्रति परमेश्वर का प्रेम, कि हम परमेश्वर की सन्तान कहलाएं; जो वास्तव में हम हैं. संसार ने परमेश्वर को नहीं पहचाना इसलिए वह हमें भी नहीं पहचानता. प्रियजन, अब हम परमेश्वर की सन्तान हैं और अब तक यह प्रकट नहीं किया गया है कि भविष्य में हम क्या बन जाएँगे किन्तु हम यह अवश्य जानते हैं कि जब वह प्रकट होंगे तो हम उनके समान होंगे तथा उन्हें वैसा ही देखेंगे ठीक जैसे वह हैं. हर एक व्यक्ति, जिसने उनसे यह आशा रखी है, स्वयं को वैसा ही पवित्र रखता है, जैसे वह पवित्र हैं.

पाप में लीन हरेक व्यक्ति व्यवस्था भंग करने का दोषी है—वास्तव में व्यवस्था भंग करना ही पाप है. तुम जानते हो कि मसीह येशु का प्रकट होना इसीलिए हुआ कि वह पापों को हर ले जाएँ. उनमें पाप ज़रा-सा भी नहीं. कोई भी व्यक्ति, जो उनमें बना रहता है, पाप नहीं करता रहता; पाप में लीन व्यक्ति ने न तो उन्हें देखा है और न ही उन्हें जाना है.

परमेश्वर व शैतान की सन्तान में अन्तर

प्रियजन, कोई तुम्हें मार्ग से भटकाने न पाए. धर्मी वही है, जिसका चाल-चलन खरा है ठीक जैसे मसीह येशु धर्मी हैं. पाप में लीन हर एक व्यक्ति शैतान से है क्योंकि शैतान प्रारम्भ ही से पाप करता रहा है. परमेश्वर-पुत्र का प्रकट होना इसीलिए हुआ कि वह शैतान के कामों का नाश कर दें. परमेश्वर से उत्पन्न कोई भी व्यक्ति पाप में लीन नहीं रहता क्योंकि परमेश्वर का मूल तत्व उसमें बना रहता है. उसमें पाप करते रहने की क्षमता नहीं रह जाती क्योंकि वह परमेश्वर से उत्पन्न हुआ है.

10 परमेश्वर की सन्तान व शैतान की सन्तान की पहचान इसी से हो जाती है: कोई भी व्यक्ति, जिसका जीवन धर्मी नहीं है, परमेश्वर से नहीं है और न ही वह, जिसे अपने भाई से प्रेम नहीं है.

योहन 10:31-42

31 तब यहूदियों ने दोबारा उनका पथराव करने के लिए पत्थर उठा लिए. 32 मसीह येशु ने उनसे प्रश्न किया, “मैंने अपने पिता की ओर से तुम्हारे सामने अनेक भले काम किए. उनमें से किस काम के लिए तुम मेरा पथराव करना चाहते हो?”

33 यहूदियों ने उत्तर दिया, “भले काम के कारण नहीं, परन्तु परमेश्वर-निन्दा के कारण: तुम मनुष्य होते हुए स्वयं को परमेश्वर घोषित करते हो!” 34 मसीह येशु ने उनसे पूछा, “क्या तुम्हारे व्यवस्था में यह नहीं लिखा: मैंने कहा कि तुम ईश्वर हो? 35 जिन्हें परमेश्वर का सन्देश दिया गया था, उन्हें ईश्वर कह कर सम्बोधित किया गया—और पवित्रशास्त्र का लेख टल नहीं सकता, 36 तो जिसे परमेश्वर ने विशेष उद्धेश्य पूरा करने के लिए अलग कर संसार में भेज दिया है, उसके विषय में आप यह घोषणा कर रहे हैं: ‘तुम परमेश्वर-निन्दा कर रहे हो!’ क्या मात्र इसलिए कि मैंने यह दावा किया है, ‘मैं परमेश्वर-पुत्र हूँ’? 37 मत करो मुझमें विश्वास यदि मैं अपने पिता के काम नहीं कर रहा. 38 परन्तु यदि मैं ये काम कर ही रहा हूँ, तो भले ही तुम मुझमें विश्वास न करो, इन कामों में तो विश्वास करो कि तुम जान जाओ और समझ लो कि पिता परमेश्वर मुझ में हैं और मैं पिता परमेश्वर में.” 39 इस पर उन्होंने दोबारा मसीह येशु को बन्दी बनाने का प्रयास किया किन्तु वह उनके हाथ से बच कर निकल गए.

यरदन पार मसीह येशु की सेवा

40 इसके बाद मसीह येशु यरदन नदी के पार दोबारा उस स्थान को चले गए, जहाँ पहले योहन बपतिस्मा देते थे और वह वहीं ठहरे रहे. 41 वहाँ अनेक लोग उनके पास आने लगे. वे कह रहे थे, “यद्यपि योहन ने कोई अद्भुत चिह्न नहीं दिखाया, फिर भी जो कुछ उन्होंने इनके विषय में कहा था, वह सब सच है.” 42 वहाँ अनेक लोगों ने मसीह येशु में विश्वास किया.

Saral Hindi Bible (SHB)

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