Book of Common Prayer
अधिकारियों की अधीनता—एक मसीही गुण
13 तुम में से हरेक प्रशासनिक अधिकारियों के अधीन रहे. यह इसलिए कि परमेश्वर द्वारा ठहराए अधिकारी के अलावा अन्य कोई अधिकारी नहीं है. वर्तमान अधिकारी परमेश्वर के द्वारा ही ठहराए गए हैं. 2 इसलिए वह, जो अधिकारी का विरोध करता है, परमेश्वर के आदेश का विरोधी है और ऐसे विरोधी स्वयं अपने ऊपर दण्ड ले आएंगे. 3 राजा अच्छे काम के लिए नहीं परन्तु बुरे काम के लिए भय के कारण हैं. क्या तुम अधिकारियों से निर्भय रहना चाहते हो? तो वही करो, जो उचित है. इस पर तुम्हें अधिकारी की सराहना प्राप्त होगी 4 क्योंकि अधिकारी तुम्हारे ही हित में परमेश्वर का सेवक है किन्तु यदि तुम वह करते हो, जो बुरा है तो डरो क्योंकि उसके हाथ में तलवार व्यर्थ नहीं है. वह अधिकारी परमेश्वर द्वारा चुना हुआ सेवक है—कुकर्मियों के दण्ड के लिए प्रतिशोधी. 5 इसलिए यह सही है कि सिर्फ दण्ड के भय के कारण ही नहीं परन्तु अन्तरात्मा के हित में भी अधीन रहा जाए.
6 तुम इसी कारण राज्य-कर भी चुकाते हो कि राजा परमेश्वर-निधर्मी सेवक हैं और इसी काम के लिए समर्पित हैं. 7 जिसे जो कुछ दिया जाना निर्धारित है, उसे वह दो: जिसे कर देना है, उसे कर दो; जिसे शुल्क, उसे शुल्क; जिनसे डरना है, उनसे डरो तथा जो सम्मान के अधिकारी हैं, उनका सम्मान करो.
पारस्परिक प्रेम तथा व्यवस्था
8 आपसी प्रेम के अलावा किसी के कर्ज़दार न हो. वह जो अपने पड़ोसी से प्रेम करता है, उसने व्यवस्था का पालन कर लिया 9 क्योंकि: व्यभिचार मत करो, हत्या मत करो, चोरी मत करो, लोभ मत करो, तथा इसके अतिरिक्त यदि कोई भी अन्य आज्ञा हो तो उसका सार यही है: अपने पड़ोसी के लिए तुम्हारा प्रेम वैसा ही हो जैसा तुम्हारा स्वयं के लिए है. 10 प्रेम पड़ोसी का बुरा नहीं करता. इसलिए प्रेम व्यवस्था की पूर्ति है.
ज्योति की सन्तान
11 आवश्यक है कि तुम समय को पहचानो. तुम्हारा नींद से जाग जाने का समय आ चुका है. उस समय की तुलना में, जब हमने इस विश्वास को अपनाया था, हमारे उद्धार की पूर्ति पास है. 12 रात समाप्त होने पर है. दिन का आरम्भ हो रहा है. इसलिए हम अन्धकार के कामों को त्याग कर ज्योति के शस्त्र धारण कर लें. 13 हमारा स्वभाव समय के अनुसार—दिन के अनुकूल हो, न कि लीला-क्रीड़ा, पियक्कड़पन, व्यभिचार, लुचपन, झगड़ा तथा जलन से भरा, 14 परन्तु प्रभु मसीह येशु को धारण कर लो तथा शरीर की अभिलाषाओं को पूरा करने का उपाय न करो.
33 उन्होंने मसीह येशु को उत्तर दिया, “हम अब्राहाम के वंशज हैं और हम कभी भी किसी के दास नहीं हुए. तुम यह कैसे कहते हो ‘तुम स्वतन्त्र हो जाओगे’?”
34 मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “मैं तुम पर यह अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूँ: हर एक व्यक्ति, जो पाप करता है, वह पाप का दास है. 35 दास हमेशा घर में नहीं रहता; पुत्र हमेशा रहता है. 36 इसलिए यदि पुत्र तुम्हें स्वतन्त्र करे तो तुम वास्तव में स्वतन्त्र हो जाओगे. 37 मैं जानता हूँ कि तुम अब्राहाम के वंशज हो फिर भी तुम मेरी हत्या करने की ताक में हो; यह इसलिए कि तुमने मेरे सन्देश को ह्रदय में ग्रहण नहीं किया. 38 मैं वही कहता हूँ, जो मैंने साक्षात अपने पिता को करते हुए देखा है, परन्तु तुम वह करते हो, जो तुमने अपने पिता से सुना है.”
39 उन्होंने मसीह येशु से कहा, “हमारे पिता अब्राहाम हैं.”
मसीह येशु ने उनसे कहा, “यदि तुम अब्राहाम की सन्तान,” “हो तो अब्राहाम के समान व्यवहार भी करो. 40 तुम मेरी हत्या करना चाहते हो—मैं, जिसने परमेश्वर से प्राप्त सच तुम पर प्रकट किया है. अब्राहाम का व्यवहार ऐसा नहीं था. 41 तुम्हारा व्यवहार तुम्हारे ही पिता के समान है.”
इस पर उन्होंने विरोध किया, “हम अवैध सन्तान नहीं हैं,” “हमारा एक ही पिता है—परमेश्वर.”
इबलीस की सन्तान
42 मसीह येशु ने उनसे कहा, “यदि परमेश्वर तुम्हारे पिता होते तो तुम मुझसे प्रेम करते क्योंकि मैं परमेश्वर से हूँ. मैं अपनी इच्छा से नहीं आया; परमेश्वर ने मुझे भेजा है. 43 मेरी बातें तुम इसीलिए नहीं समझते कि तुम में मेरा सन्देश सुनने की क्षमता नहीं है. 44 तुम अपने पिता शैतान से हो और उसी पिता की इच्छाओं को पूरा करना चाहते हो. वह प्रारम्भ से ही हत्यारा है और सच उसका आधार कभी रहा ही नहीं क्योंकि सच उसमें है ही नहीं. जब वह कुछ भी कहता है, अपने स्वभाव के अनुसार झूठ ही कहता है, क्योंकि वह झूठा और झूठ का पिता है. 45 मैं सच कहता हूँ इसीलिए तुम मेरा विश्वास नहीं करते. 46 तुम में से कौन मुझे पापी प्रमाणित कर सकता है? तो जब मैं सच कहता हूँ तो तुम मेरा विश्वास क्यों नहीं करते? 47 वह, जो परमेश्वर का है, परमेश्वर के वचनों को सुनता है. ये वचन तुम इसीलिए नहीं सुनते कि तुम परमेश्वर के नहीं हो.”
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