Book of Common Prayer
17 अपने अगुवों का आज्ञापालन करो, उनके अधीन रहो. वे तुम्हारी आत्माओं के पहरेदार हैं. उन्हें तुम्हारे विषय में हिसाब देना है. उनके लिए यह काम आनन्द का विषय बना रहे न कि एक कष्टदायी बोझ. यह तुम्हारे लिए भी लाभदायक होगा.
18 हमारे लिए निरन्तर प्रार्थना करते रहो क्योंकि हमें हमारे निर्मल विवेक का निश्चय है. हमारा लगातार प्रयास यही है कि हमारा जीवन हर एक बात में आदर-योग्य हो. 19 तुमसे मेरी विशेष विनती है कि प्रार्थना करो कि मैं तुमसे भेंट करने शीघ्र आ सकूँ.
आशीर्वचन तथा नमस्कार
20 शान्ति के परमेश्वर, जिन्होंने भेड़ों के महान चरवाहे अर्थात् मसीह येशु, हमारे प्रभु को अनन्त वाचा के लहू के द्वारा मरे हुओं में से जीवित किया, 21 तुम्हें हर एक भले काम में अपनी इच्छा की पूर्ति के लिए सुसज्जित करें तथा हमें मसीह येशु के द्वारा वह करने के लिए प्रेरित करें, जो उनकी दृष्टि में सुखद है. उन्हीं की महिमा हमेशा-हमेशा हो. आमेन.
22 प्रियजन, मेरी विनती है कि इस उपदेश-पत्र को धीरज से सहन करना क्योंकि यह मैंने संक्षेप में लिखा है.
23 याद रहे कि हमारे भाई तिमोथियॉस को छोड़ दिया गया है. यदि वह यहाँ शीघ्र आएँ तो उनके साथ आकर मैं तुमसे भेंट कर सकूँगा.
24 अपने सभी अगुवों तथा सभी पवित्र लोगों को मेरा नमस्कार. इतालिया वासियों का तुम्हें नमस्कार.
25 तुम सब पर अनुग्रह बना रहे.
53 वे सभी अपने-अपने घर लौट गए.
8 भोर को वह दोबारा मन्दिर में आए और लोगों के मध्य 2 बैठ कर उनको शिक्षा देने लगे.
व्यभिचारिणी का दोष से छुड़ाया जाना
3 उसी समय फ़रीसियों व शास्त्रियों ने व्यभिचार के कार्य में पकड़ी गई एक स्त्री को ला कर मध्य में खड़ा कर दिया 4 और मसीह येशु से प्रश्न किया, “गुरु, यह स्त्री व्यभिचार करते हुए पकड़ी गई है. 5 मोशेह ने व्यवस्था में हमें ऐसी स्त्रियों को पथराव द्वारा मार डालने की आज्ञा दी है; किन्तु आप क्या कहते हैं?” 6 उन्होंने मसीह येशु को परखने के लिए यह प्रश्न किया था कि उन पर आरोप लगाने के लिए उन्हें कोई आधार मिल जाए किन्तु मसीह येशु झुक कर भूमि पर उँगली से लिखने लगे.
7 जब वे मसीह येशु से बार-बार प्रश्न करते रहे, मसीह येशु ने सीधे खड़े हो कर उनसे कहा, “तुम में से जिस किसी ने कभी कोई पाप न किया हो, वही उसे सबसे पहला पत्थर मारे” 8 और वह दोबारा झुक कर भूमि पर लिखने लगे. 9 यह सुनकर वरिष्ठ से प्रारम्भ कर एक-एक करके सब वहाँ से चले गए—केवल वह स्त्री और मसीह येशु ही वहाँ रह गए. 10 मसीह येशु ने सीधे खड़े होते हुए स्त्री की ओर देखकर उससे पूछा, “हे स्त्री!, वे सब कहाँ हैं? क्या तुम्हें किसी ने भी दण्डित नहीं किया?” 11 उसने उत्तर दिया, “किसी ने भी नहीं, प्रभु.” मसीह येशु ने उससे कहा, “मैं भी तुम्हें दण्डित नहीं करता. जाओ, अब फिर पाप न करना.”
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