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Revised Common Lectionary (Semicontinuous)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with sequential stories told across multiple weeks.
Duration: 1245 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
लूकॉ 1:46-55

मरियम का स्तुति गान

46 इस पर मरियम के वचन ये थे:

“मेरा प्राण प्रभु की प्रशंसा करता है
47     और मेरी अन्तरात्मा परमेश्वर, मेरे उद्धारकर्ता में आनन्दित हुई है,
48 क्योंकि उन्होंने अपनी दासी की
    दीनता की ओर दृष्टि की है.
अब से सभी पीढ़ियाँ मुझे धन्य कहेंगी,
49     क्योंकि सामर्थी ने मेरे लिए बड़े-बड़े काम किए हैं. पवित्र है उनका नाम.
50 उनकी दया उनके श्रद्धालुओं पर पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहती है.
51 अपने भुजबल से उन्होंने प्रतापी काम किए हैं और अभिमानियों को बिखरा दिया है.
52 परमेश्वर ने राजाओं को उनके सिंहासनों से नीचे उतार दिया
    तथा विनम्रों को उठाया है.
53 उन्होंने भूखों को उत्तम पदार्थों से तृप्त किया
    तथा सम्पन्नों को खाली लौटा दिया.
54-55 उन्होंने अपने सेवक इस्राएल की सहायता अपनी उस करूणा के स्मरण में की,
    जिसकी प्रतिज्ञा उसने हमारे बाप-दादों से करी थी और जो अब्राहाम तथा उनके वंशजों पर सदा सर्वदा रहेगी”.

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लूकॉ 1:67-80

ज़कर्याह का मंगल-गान

67 पवित्रात्मा से भरकर उनके पिता ज़कर्याह इस प्रकार भविष्यवाणियों का वर्णानुभाषण करना शुरू किया:

68 “धन्य हैं प्रभु, इस्राएल के परमेश्वर,
    क्योंकि उन्होंने अपनी प्रजा की सुधि ली और उसका उद्धार किया.
69 उन्होंने हमारे लिए अपने सेवक दाविद के वंश में
    एक उद्धारकर्ता उत्पन्न किया है,
70 (जैसा उन्होंने प्राचीन काल के अपने पवित्र भविष्यद्वक्ताओं के माध्यम से प्रकट किया)
71 शत्रुओं तथा उन सब से, जो हमसे घृणा करते हैं, बचाए रखा
72 कि वह हमारे पूर्वजों पर अपनी कृपादृष्टि प्रदर्शित करें
    तथा अपनी पवित्र वाचा को पूरा करें;
73 वही वाचा,
जो उन्होंने हमारे पूर्वज अब्राहाम से स्थापित की थी:
74-75 वह हमें हमारे शत्रुओं से छुड़ाएंगे कि हम पवित्रता और धार्मिकता में
    निर्भय हो जीवन भर उनकी सेवा कर सकें.

76 “और बालक तुम, मेरे पुत्र, परमप्रधान परमेश्वर के भविष्यद्वक्ता कहलाओगे;
    क्योंकि तुम उनका मार्ग तैयार करने के लिए प्रभु के आगे-आगे चलोगे,
77 तुम परमेश्वर की प्रजा को
    उसके पापों की क्षमा के द्वारा उद्धार का ज्ञान प्रदान करोगे.
78 हमारे परमेश्वर की अत्याधिक कृपा के कारण स्वर्ग से हम पर प्रकाश का उदय
79 होगा उन पर, जो अन्धकार और मृत्यु की छाया में हैं;
    कि इसके द्वारा शान्ति के मार्ग पर हमारा मार्गदर्शन हो.”

80 बालक योहन का विकास होता गया तथा वह आत्मिक रूप से भी बलवन्त होते गए. इस्राएल के सामने सार्वजनिक रूप से प्रकट होने के पहले वह जंगल में निवास करते रहे.

Saral Hindi Bible (SHB)

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