Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
4 पहिले समय के सभी अभिलेख हमें शिक्षा देने के उद्धेश्य से लिखे गए कि सतत प्रयास तथा पवित्रशास्त्र के प्रोत्साहन द्वारा हममें आशा का अनुभव हो.
5 परमेश्वर, जो धीरज और प्रोत्साहन के दाता है, तुम में मसीह येशु के अनुरूप आपस में एकता का भाव उत्पन्न करें 6 कि तुम एक मन और एक शब्द में परमेश्वर, हमारे प्रभु मसीह येशु के पिता का धन्यवाद और महिमा करो.
पारस्परिक एकता के लिए विनती
7 इसलिए एक दूसरे को स्वीकार करो—ठीक जिस प्रकार मसीह ने परमेश्वर की महिमा के लिए हमें स्वीकार किया है. 8 सुनो, परमेश्वर की सच्चाई की पुष्टि करने के लिए मसीह येशु ख़तना किए हुए लोगों के सेवक बन गए कि पूर्वजों से की गई प्रतिज्ञाओं की पुष्टि हो 9 तथा अन्यजाति परमेश्वर की कृपादृष्टि के लिए उनकी महिमा करें, जैसा कि पवित्रशास्त्र का लेख है:
इसलिए मैं अन्यजातियों के बीच आपका धन्यवाद करूँगा.
10 फिर लिखा है:
अन्यजातियों! परमेश्वर की प्रजा के साथ मिल कर आनन्द करो.
11 और यह भी:
सभी अन्यजातियों! तुम प्रभु का धन्यवाद करो—सभी मनुष्य उनका धन्यवाद करें.
12 भविष्यद्वक्ता यशायाह ने भी कहा:
यिश्शै की जड़ में कोपलें होंगी तथा वह, जो उठेगा,
अन्यजातियों पर शासन करेगा.
वह सभी अन्यजातियों की आशा होगा.
13 परमेश्वर, जो आशा के स्रोत हैं, तुम्हारे विश्वास करने में तुम्हें सारे आनन्द और शान्ति से भरकर करें कि तुम पवित्रात्मा के सामर्थ्य के द्वारा आशा में बढ़ते जाओ.
बपतिस्मा देने वाले योहन का उपदेश
(मारक 1:1-8; लूकॉ 3:1-17)
3 कालान्तर में यहूदिया प्रदेश के जंगल में बपतिस्मा देने वाला योहन आकर यह प्रचार करने लगे, 2 “मन फिराओ क्योंकि स्वर्ग-राज्य पास आ गया है.” 3 यह वही हैं जिनके विषय में भविष्यद्वक्ता यशायाह ने अपने अभिलेख में इस प्रकार संकेत दिया है:
“वह आवाज़, जो जंगल में पुकार-पुकार कर कह रही है,
‘प्रभु का रास्ता समतल-सीधा करो,
उनका मार्ग सरल बनाओ.’”
4 बपतिस्मा देने वाले योहन ऊँट के बालों से बने हुए वस्त्र तथा चमड़े का पटुका पहनते थे और उनका भोजन था टिड्डियाँ तथा वनमधु. 5 येरूशालेम नगर, सारे यहूदिया प्रदेश और यरदन नदी के नज़दीकी क्षेत्र से बड़ी संख्या में लोग उनके पास आने लगे. 6 पाप को मानने के बाद योहन उन्हें यरदन नदी में बपतिस्मा दिया करते थे.
7 जब योहन ने देखा कि अनेक फ़रीसी और सदूकी बपतिस्मा लेने आ रहे हैं, उन्होंने उनकी उल्लाहना करते हुए कहा, “विषैले साँपों की सन्तान! समीप आ रहे क्रोध से भागने की चेतावनी तुम्हें किसने दे दी? 8 अपने स्वभाव द्वारा अपने पश्चाताप की पुष्टि करो. 9 स्वयं को यह कहते हुए धीरज मत दो, ‘हम तो अब्राहाम के वंशज हैं.’ मैं तुम्हें सूचित करना चाहता हूँ कि परमेश्वर अब्राहाम के लिए इन पत्थरों से भी सन्तान उत्पन्न कर सकते हैं. 10 कुल्हाड़ी पहले ही वृक्षों की जड़ पर रखी हुई है. हर एक पेड़, जो उत्तम फल नहीं फलता, काटा जाता और आग में झोंक दिया जाता है.
11 “मैं तो तुम्हें पश्चाताप के लिए पानी से बपतिस्मा दे रहा हूँ किन्तु वह, जो मेरे बाद आ रहे हैं, मुझसे अधिक सामर्थी हैं. मैं तो इस योग्य भी नहीं कि उनकी जूतियाँ उठाऊँ. वह तुम्हें पवित्रात्मा और आग में बपतिस्मा देंगे. 12 सूप उनके हाथ में है. वह अपने खलिहान को अच्छी तरह साफ़ करेंगे, गेहूं को भण्डार में इकट्ठा करेंगे और भूसी को कभी न बुझनेवाली आग में भस्म कर देंगे.”
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