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Old/New Testament

Each day includes a passage from both the Old Testament and New Testament.
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Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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1 कोरिन्थॉस 11:17-34

प्रभु भोज सम्बन्धी निर्देश

17 यह आज्ञा देते हुए मैं तुम्हारी कोई बड़ाई नहीं कर रहा: आराधना सभाओं में तुम्हारे इकट्ठा होने से भलाई नहीं परन्तु बुराई ही होती है. 18 सबसे पहिले तो यह: जब तुम कलीसिया के रूप में इकट्ठा होते हो, तो मेरे सुनने में यह आया है कि तुममें फूट पड़ी रहती है और मैं एक सीमा तक इसका विश्वास भी करता हूँ. 19 हाँ, यह सच है कि तुम्हारे बीच बँटवारा होना ज़रूरी भी है कि वे, जो परमेश्वर द्वारा चुने हुए हैं, प्रकाश में आ जाएँ. 20 जिस रीति से तुम भोजन के लिए इकट्ठा होते हो, उसे प्रभु भोज नहीं कहा जा सकता. 21 इस भोज में जब भोजन का समय आता है, तुम भोजन पर टूट पड़ते हो और किसी की प्रतीक्षा किए बिना अपना-अपना भोजन कर लेते हो. परिणामस्वरूप कोई तो भूखा ही रह जाता है और कोई मतवाला हो जाता है. 22 क्या खाने-पीने के लिए तुम्हारे अपने घर नहीं? या तुम परमेश्वर की कलीसिया का तिरस्कार करने तथा निर्धनों को लज्जित करने पर तुले हुए हो? अब मैं क्या कहूँ? क्या मैं इसके लिए तुम्हारी सराहना करूँ? नहीं! बिलकुल नहीं!

23 जो मैंने प्रभु से प्राप्त किया, वह मैंने तुम्हें भी सौंप दिया: प्रभु मसीह येशु ने, जिस रात उन्हें पकड़वाया जा रहा था, रोटी ली, 24 धन्यवाद देने के बाद उसे तोड़ा और कहा, “तुम्हारे लिए यह मेरा शरीर है. यह मेरी याद में किया करना.” 25 इसी प्रकार भोजन के बाद उन्होंने प्याला लेकर कहा, “यह प्याला मेरे लहू में स्थापित नई वाचा है. जब-जब तुम इसे पियो, यह मेरी याद में किया करना.” 26 इसलिए जब-जब तुम यह रोटी खाते हो और इस प्याले में से पीते हो, प्रभु के आगमन तक उनकी मृत्यु का प्रचार करते हो.

27 परिणामस्वरूप जो कोई अनुचित रीति से इस रोटी को खाता तथा प्रभु के प्याले में से पीता है, वह प्रभु के शरीर और उनके लहू के दूषित होने का दोषी होगा. 28 इसलिये मनुष्य इस रोटी को खाने तथा इस प्याले में से पीने के पहले अपने आप को जांच ले. 29 क्योंकि जो कोई इसे खाता और पीता है, यदि वह प्रभु की कलीसिया रूपी शरीर को पहिचाने बिना खाता और पीता है, अपने ही ऊपर दण्ड के लिए खाता और पीता है. 30 यही कारण है कि तुममें से अनेक दुर्बल और रोगी हैं तथा अनेक मृत्यु में सो गए. 31 यदि हम अपने विवेक को सही रीति से जांच लें तो हमारी ताड़ना नहीं की जाएगी 32 ताड़ना के द्वारा प्रभु हमें अनुशासित करते हैं कि हम संसार के लिए निर्धारित दण्ड के भागी न हों.

33 इसलिए प्रियजन, जब तुम भोजन के लिए इकट्ठा होते हो तो एक-दूसरे के लिए ठहरे रहो. 34 जो व्यक्ति अपनी भूख को नियन्त्रित न रख सके, वह अपने घर पर ही खाए कि तुम्हारा इकट्ठा होना तुम्हारे दण्ड का कारण न बने.

शेष विषयों का समाधान मैं वहाँ आने पर स्वयं करूँगा.

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