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Old/New Testament

Each day includes a passage from both the Old Testament and New Testament.
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Saral Hindi Bible (SHB)
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1 कोरिन्थॉस 7:1-19

विवाह और कौमार्य

अब वे विषय जिनके सम्बन्ध में तुमने मुझसे लिख कर पूछा है: पुरुष के लिए उचित तो यही है कि वह स्त्री का स्पर्श ही न करे किन्तु व्यभिचार से बचने के लिए हर एक पुरुष की अपनी पत्नी तथा हर एक स्त्री का अपना पति हो. यह आवश्यक है कि पति अपनी पत्नी के प्रति अपना कर्तव्य पूरा करे तथा इसी प्रकार पत्नी भी अपने पति के प्रति. पत्नी ने अपने पति को अपने शरीर पर अधिकार दिया है, वैसे ही पति ने अपनी पत्नी को अपने शरीर पर अधिकार दिया है. पति पत्नी एक दूसरे को शारीरिक सम्बन्धों से दूर न रखें—सिवाय आपसी सहमति से प्रार्थना के उद्धेश्य से सीमित अवधि के लिए. इसके तुरन्त बाद वे दोबारा साथ हो जाएँ कि कहीं संयम टूटने के कारण शैतान उन्हें परीक्षा में न फँसा ले. यह मैं सुविधा-अनुमति के रूप में कह रहा हूँ—आज्ञा के रूप में नहीं. वैसे तो मेरी इच्छा तो यही है कि सभी पुरुष ऐसे होते जैसा स्वयं मैं हूँ किन्तु परमेश्वर ने तुममें से हर एक को भिन्न-भिन्न क्षमताएँ प्रदान की हैं.

अविवाहितों तथा विधवाओं से मेरा कहना है कि वे अकेले ही रहें—जैसा मैं हूँ किन्तु यदि उनके लिए संयम रखना सम्भव नहीं तो वे विवाह कर लें—कामातुर होकर जलते रहने की बजाय विवाह कर लेना ही उत्तम है.

10 विवाहितों के लिए मेरा निर्देश है—मेरा नहीं परन्तु प्रभु का: पत्नी अपने पति से सम्बन्ध न तोड़े. 11 यदि पत्नी का सम्बन्ध टूट ही जाता है तो वह दोबारा विवाह न करे या पति से मेल-मिलाप कर ले. पति अपनी पत्नी का त्याग न करे. 12 मगर बाकियों से मेरा कहना है कि यदि किसी साथी विश्वासी की पत्नी विश्वासी न हो और वह उसके साथ रहने के लिए सहमत हो तो पति उसका त्याग न करे. 13 यदि किसी स्त्री का पति विश्वासी न हो और वह उसके साथ रहने के लिए राज़ी हो तो पत्नी उसका त्याग न करे; 14 क्योंकि अविश्वासी पति अपनी विश्वासी पत्नी के कारण पवित्र ठहराया जाता है. इसी प्रकार अविश्वासी पत्नी अपने विश्वासी पति के कारण पवित्र ठहराई जाती है. यदि ऐसा न होता तो तुम्हारी सन्तान अशुद्ध रह जाती; किन्तु इस स्थिति में वह परमेश्वर के लिए अलग की गई है.

15 फिर भी यदि अविश्वासी दम्पति अलग होना चाहे तो उसे जाने दिया जाए. कोई भी विश्वासी भाई या विश्वासी बहन इस बन्धन में बँधे रहने के लिए बाध्य नहीं. परमेश्वर ने हमें शान्ति से भरे जीवन के लिए बुलाया है. 16 पत्नी यह सम्भावना कभी भुला न दे: पत्नी अपने पति के उद्धार का साधन हो सकती है, वैसे ही पति अपनी पत्नी के उद्धार का.

17 परमेश्वर ने जिसे जैसी स्थिति में रखा है तथा जिस रूप में उसे बुलाया है, वह उसी में बना रहे. सभी कलीसियाओं के लिए मेरा यही निर्देश है. 18 क्या किसी ऐसे व्यक्ति को बुलाया गया है, जिसका पहले से ही ख़तना हुआ था? वह अब खतनारहित न बने. क्या किसी ऐसे व्यक्ति को बुलाया गया है, जो ख़तनारहित है? वह अपना ख़तना न कराए. 19 न तो ख़तना कराने का कोई महत्व है और न ख़तनारहित होने का. महत्व है तो मात्र परमेश्वर की आज्ञा-पालन का.

Saral Hindi Bible (SHB)

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