Print Page Options
Previous Prev Day Next DayNext

Old/New Testament

Each day includes a passage from both the Old Testament and New Testament.
Duration: 365 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
Error: 'भजन संहिता 81-83' not found for the version: Saral Hindi Bible
रोमियों 11:19-36

19 तब तुम्हारा दूसरा तर्क होगा: “शाखाएँ तोड़ी गईं कि मुझे रोपा जा सके.” 20 ठीक है. किन्तु उन्हें तो उनके अविश्वास के कारण अलग किया गया किन्तु तुम स्थिर हो अपने विश्वास के कारण. इसके विषय में घमण्ड़ न भरते हुए श्रद्धाभाव को स्थान दो. 21 यदि परमेश्वर ने स्वाभाविक शाखाओं को भी न छोड़ा तो वह तुम पर भी कृपा नहीं करेंगे.

22 परमेश्वर की कृपा तथा उनकी कठोरता पर विचार करो: गिरे हुए लोगों के लिए कठोरता तथा तुम्हारे लिए कृपा—यदि तुम वास्तव में उनकी कृपा की सीमा में बने रहते हो नहीं तो तुम्हें भी काट कर अलग कर दिया जाएगा. 23 तब वे भी, यदि वे अपने अविश्वास के हठ में बने न रहें, रोपे जाएँगे क्योंकि परमेश्वर उन्हें रोपने में समर्थ हैं. 24 जब तुम्हें उस पेड़ से, जो प्राकृतिक रूप से जंगली ज़ैतून है, काट कर स्वभाव के विरुद्ध अच्छे तथा साटे हुए पेड़ में रोपा गया है, तब वे शाखाएँ, जो प्राकृतिक हैं, अपने ही मूल पेड़ में कितनी सरलतापूर्वक रोप ली जाएँगी!

पूरे इस्राएल का उद्धार

25 प्रियजन, मैं नहीं चाहता कि तुम इस भेद से अनजान रहो—ऐसा न हो कि तुम अपने ऊपर घमण्ड़ करने लगो—इस्राएलियों में यह कुछ भाग की कठोरता निर्धारित संख्या में अन्यजातियों के मसीह में आ जाने तक ही है. 26 इस प्रकार पूरा इस्राएल उद्धार प्राप्त करेगा—ठीक जिस प्रकार पवित्रशास्त्र का लेख है:

उद्धारकर्ता का आगमन त्सियोन से होगा.
    वह याक़ोब से अभक्ति को दूर करेगा.
27 जब मैं उनके पाप हर ले जाऊँगा,
    तब उनसे मेरी यही वाचा होगी.

28 ईश्वरीय सुसमाचार के दृष्टिकोण से तो वे तुम्हारे लिए परमेश्वर के शत्रु हैं किन्तु चुन लिए जाने के दृष्टिकोण से पूर्वजों के लिए प्रियजन. 29 परमेश्वर द्वारा दिया गया वरदान तथा उनकी बुलाहट अटल हैं. 30 ठीक जिस प्रकार तुमने, जो किसी समय परमेश्वर की आज्ञा न माननेवाले थे, अब उन यहूदियों की अनाज्ञाकारिता के कारण कृपादृष्टि प्राप्त की है. 31 वे अभी भी अनाज्ञाकारी हैं कि तुम पर दिखाई गई कृपादृष्टि के कारण उन पर भी कृपादृष्टि हो जाए. 32 इस समय परमेश्वर ने सभी को आज्ञा के उल्लंघन की सीमा में रख दिया है कि वह सभी पर कृपादृष्टि कर सकें.

परमेश्वर की करुणा और ज्ञान का स्तुति-गान

33 ओह! कैसा अपार है
    परमेश्वर की बुद्धि और ज्ञान का भण्ड़ार! कैसे अथाह हैं उनके निर्णय!
तथा कैसा रहस्यमयी है उनके काम करने का तरीका!
34 भला कौन जान सका है परमेश्वर के मन को?
    या कौन हुआ है उनका सलाहकार?
35 क्या किसी ने परमेश्वर को कभी कुछ दिया है
    कि परमेश्वर उसे वह लौटाएँ?
36 वही हैं सब कुछ के स्रोत, वही हैं सब कुछ के कारक,
    वही हैं सब कुछ की नियति—उन्हीं की महिमा सदा-सर्वदा हो, आमेन.

Saral Hindi Bible (SHB)

New Testament, Saral Hindi Bible (नए करार, सरल हिन्दी बाइबल) Copyright © 1978, 2009, 2016 by Biblica, Inc.® All rights reserved worldwide.