Old/New Testament
24 दूसरे दिन वे कयसरिया नगर पहुँचे. कॉरनेलियॉस उन्हीं की प्रतीक्षा कर रहे थे. उन्होंने अपने सम्बन्धियों और घनिष्ठ मित्रों को आमन्त्रित किया हुआ था. 25 जैसे ही पेतरॉस ने उनके निवास में प्रवेश किया, कॉरनेलियॉस ने उनके चरणों में गिर कर उनकी स्तुति की 26 किन्तु पेतरॉस ने उन्हें उठाते हुए कहा, “उठिए! मैं भी मात्र मनुष्य हूँ.”
27 उनसे बातचीत करते हुए पेतरॉस ने भीतर प्रवेश किया, जहाँ उन्होंने बड़ी संख्या में लोगों को इकट्ठा पाया. 28 उन्हें सम्बोधित करते हुए पेतरॉस ने कहा, “आप सब यह तो समझते ही हैं कि एक यहूदी के लिए किसी अन्यजाति के साथ सम्बन्ध रखना या उसके घर मिलने जाना यहूदी नियमों के विरुद्ध है किन्तु स्वयं परमेश्वर ने मुझ पर यह प्रकट किया है कि मैं किसी भी मनुष्य को अपवित्र या अशुद्ध न मानूँ. 29 यही कारण है कि जब आपने मुझे आमन्त्रित किया मैं यहाँ बिना किसी आपत्ति के चला आया. इसलिए अब मैं जानना चाहता हूँ कि आपने मुझे यहाँ आमन्त्रित क्यों किया है?”
30 कॉरनेलियॉस ने उन्हें उत्तर दिया, “चार दिन पूर्व नवें घण्टे मैं अपने घर में प्रार्थना कर रहा था कि मैंने देखा कि मेरे सामने उजले कपड़ों में एक व्यक्ति खड़ा हुआ है. 31 उसने मुझे सम्बोधित करके कहा, ‘कॉरनेलियॉस, तुम्हारी प्रार्थना सुन ली गई है और तुम्हारे द्वारा दिए गए दान परमेश्वर ने याद किए हैं. 32 इसलिए अब किसी को योप्पा नगर भेजकर समुद्र के किनारे पर शिमोन चमड़ेवाले के यहाँ ठहरे शिमोन को, जिन्हें पेतरॉस नाम से जाना जाता है, बुलवा लो.’ 33 मैंने तुरन्त आपको बुलवाने के लिए अपने सेवक भेजे और आपने यहाँ आने की कृपा की है. हम सब यहाँ इसलिए उपस्थित हैं कि आप से वह सब सुनें जिसे सुनाने की आज्ञा आपको प्रभु की ओर से प्राप्त हुई है.”
कॉरनेलियॉस परिवार से पेतरॉस का उपदेश
34 पेतरॉस ने उनसे कहा: “अब मैं यह अच्छी तरह से समझ गया हूँ कि परमेश्वर किसी के भी पक्षधर नहीं हैं. 35 हर एक राष्ट्र में उस व्यक्ति पर परमेश्वर की कृपादृष्टि होती है, जो परमेश्वर में श्रद्धा रखता तथा वैसा ही स्वभाव रखता है, जो उनकी दृष्टि में सही है. 36 इस्राएल राष्ट्र के लिए परमेश्वर द्वारा भेजे गए सन्देश के विषय में तो आपको मालूम ही है. परमेश्वर ने मसीह येशु के द्वारा—जो सबके प्रभु हैं—हमें इस्राएलियों में शान्ति के ईश्वरीय सुसमाचार का प्रचार करने भेजा. 37 आप सबको मालूम ही है कि गलील प्रदेश में योहन द्वारा बपतिस्मा की घोषणा से शुरु होकर सारे यहूदिया प्रदेश में क्या-क्या हुआ है, 38 कैसे परमेश्वर ने पवित्रात्मा तथा सामर्थ्य से नाज़रेथवासी मसीह येशु का अभिषेक किया, कैसे वह भलाई करते रहे और उन्हें स्वस्थ करते रहे, जो शैतान द्वारा सताए हुए थे क्योंकि परमेश्वर उनके साथ थे.
39 “चाहे यहूदिया प्रदेश में या येरूशालेम में जो कुछ वह करते रहे हम उसके प्रत्यक्ष साक्षी हैं. उन्हीं को उन्होंने काठ पर लटका कर मार डाला. 40 उन्हीं मसीह येशु को परमेश्वर ने तीसरे दिन मरे हुओं में से दोबारा जीवित कर दिया और उन्हें प्रकट भी किया. 41 सब पर नहीं परन्तु सिर्फ उन साक्ष्यों पर, जो इसके लिए परमेश्वर द्वारा ही पहले से तय थे अर्थात् हम, जिन्होंने उनके मरे हुओं में से जीवित होने के बाद उनके साथ भोजन और संगति की. 42 उन्होंने हमें आज्ञा दी कि हम हर जगह प्रचार करें और इस बात की सच्चाई से गवाही दें कि यही हैं वह, जिन्हें स्वयं परमेश्वर ने जीवितों और मरे हुओं का न्यायी ठहराया है. 43 उनके विषय में सभी भविष्यद्वक्ताओं की यह गवाही है कि उन्हीं के नाम के द्वारा हर एक व्यक्ति, जो उनमें विश्वास करता है, पाप-क्षमा प्राप्त करता है.”
अन्यजाति समूह का पहिला बपतिस्मा
44 जब पेतरॉस यह कह ही रहे थे, इस प्रवचन के हर एक सुननेवाले पर पवित्रात्मा उतर गए. 45 पेतरॉस के साथ यहाँ आए मसीह के ख़तना किए हुए विश्वासी यह देखकर चकित रह गए कि अन्यजातियों पर भी पवित्रात्मा उतरे हैं 46 क्योंकि वे उन्हें अन्य भाषाओं में भाषण करते और परमेश्वर का धन्यवाद करते सुन रहे थे. इस पर पेतरॉस ने प्रश्न किया, 47 “कौन इनके जल-बपतिस्मा पर आपत्ति उठा सकता है क्योंकि इन्होंने ठीक हमारे ही समान पवित्रात्मा प्राप्त किया है?” 48 तब पेतरॉस ने उन्हें आज्ञा दी कि वे मसीह येशु के नाम में बपतिस्मा लें. पेतरॉस से उन्होंने कुछ दिन और अपने साथ रहने की विनती की.
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