Print Page Options
Previous Prev Day Next DayNext

Old/New Testament

Each day includes a passage from both the Old Testament and New Testament.
Duration: 365 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
Error: 'भजन संहिता 51-53' not found for the version: Saral Hindi Bible
रोमियों 2

यहूदी परमेश्वर के क्रोध से अछूते नहीं

उपरोक्त के प्रकाश में तुममें से हरेक आरोपी के पास अपने बचाव के लिए कोई भी तर्क बाकी नहीं रह जाता क्योंकि जिस विषय को लेकर तुम उस अन्य को दोषी घोषित कर रहे हो, उस विषय में तुम स्वयं पर दण्ड की आज्ञा प्रसारित कर रहे हो क्योंकि जिस विषय के लिए तुम उसे दोषी घोषित कर रहे हो, तुम स्वयं वही करते हो. हमें यह मालूम है कि परमेश्वर अवश्य ही उन्हें दण्ड देंगे, जो इन बुरे कामों का पालन करते हैं और जबकि तुम स्वयं इनका पालन करते हो, उन पर उँगली उठा रहे हो, जो इनका पालन करते हैं! क्या तुम यह सोचते हो कि तुम परमेश्वर के दण्ड से बच जाओगे? या इस सच्चाई को पहचाने बिना कि परमेश्वर की कृपा ही तुम्हें पश्चाताप करना सिखाती है, तुमने परमेश्वर के अनुग्रह, धीरज और सहनशीलता रूपी धन को तुच्छ समझा है?

तुम अपने हठीले मनवाले तथा पश्चाताप विरोधी हृदय के कारण अपने ही लिए उस क्रोध के दिन पर परमेश्वर के सच्चे न्याय के प्रकाशन के अवसर के लिए क्रोध जमा कर रहे हो. परमेश्वर ही हरेक को उसके कामों के अनुसार प्रतिफल देंगे: जिन्होंने ऐश्वर्य, गौरव और अमरता को पाने के लिए अच्छे काम करते हुए बिना थके मेहनत की है, उन्हें अनंत जीवन और जो स्वार्थी हैं, सच का तिरस्कार तथा कुकाम का पालन करते हैं, उन्हें कोप और क्रोध. हरेक बुरा करने वाले के लिए दर्द और संकट तय किए गए हैं—सबसे पहिले यहूदी के लिए और फिर यूनानी के लिए भी 10 मगर हरेक अच्छे काम करने वाले के लिए महिमा, आदर और शान्ति तय हैं—सबसे पहिले यहूदी के लिए और फिर यूनानी के लिए भी. 11 पक्षपात परमेश्वर में है ही नहीं.

व्यवस्था द्वारा छुटकारा नहीं

12 वे सभी जिन्होंने व्यवस्था को बिना जाने पाप किया है, व्यवस्था को बिना जाने नाश भी होंगे किन्तु जिन्होंने व्यवस्था को जानकर पाप किया है, उनका न्याय भी व्यवस्था के अनुसार ही किया जाएगा. 13 परमेश्वर की दृष्टि में धर्मी वे नहीं, जो व्यवस्था के सुननेवाले हैं परन्तु धर्मी वे हैं, जो व्यवस्था का पालन करने वाले हैं. 14 व्यवस्था से पूरी तरह अनजान अन्यजाति अपनी मूलप्रवृत्ति के प्रभाव से व्यवस्था का पालन करते पाए जाते हैं. इसलिए व्यवस्था न होने पर भी वे स्वयं अपने लिए व्यवस्था हैं. 15 इसके द्वारा वे यह प्रदर्शित करते हैं कि उनके हृदयों पर व्यवस्था लिखी है. इसकी गवाह है उनकी अन्तरात्मा, जो उन पर दोष लगाने या उनके बचाव के द्वारा स्थिति का अनुमान लगाती है. 16 यह सब उस दिन स्पष्ट हो जाएगा जब परमेश्वर मसीह येशु के द्वारा मेरे माध्यम से प्रस्तुत ईश्वरीय सुसमाचार के अनुसार मनुष्य के गुप्त कामों का न्याय करेंगे.

व्यवस्था और यहूदी

17 किन्तु तुम—यदि तुम यहूदी हो तथा व्यवस्था का पालन करते हो; परमेश्वर से अपने सम्बन्ध का तुम्हें गर्व है; 18 तुम्हें परमेश्वर की इच्छा मालूम है, तुम अच्छी-अच्छी वस्तुओं के समर्थक हो क्योंकि तुम्हें इनके विषय में व्यवस्था से सिखाया गया है; 19 तुम्हें यह निश्चय है कि तुम दृष्टिहीनों के लिए सही पथप्रदर्शक हो; जो अन्धकार में हैं उनके लिए ज्योति हो; 20 मन्दबुद्धियों के गुरु तथा बालकों के शिक्षक हो क्योंकि तुमने व्यवस्था में उस ज्ञान तथा उस सच्चाई के नमूने को पहचान लिया है; 21 इसलिए तुम, जो अन्यों को शिक्षा देते हो, स्वयं को शिक्षा क्यों नहीं देते? तुम, जो यह उपदेश देते हो, “चोरी मत करो,” क्या तुम स्वयं ही चोरी नहीं करते! 22 तुम, जो यह सिखाते हो, “व्यभिचार अनुचित है,” क्या तुम स्वयं ही व्यभिचार में लीन नहीं हो! तुम, जो मूर्तियों से घृणा का दिखावा करते हो, स्वयं ही उनके मन्दिर नहीं लूटते! 23 तुम, जो व्यवस्था पर गर्व करते हो, क्या तुम स्वयं ही व्यवस्था भंग कर परमेश्वर की ही प्रतिष्ठा भंग नहीं करते! 24 जैसा कि पवित्रशास्त्र का ही लेख है: तुम अन्यजातियों के बीच परमेश्वर की निंदा के कारण हो.

ख़तना द्वारा छुड़ौती नहीं

25 इसमें सन्देह नहीं कि ख़तना का अपना महत्व है—उसी स्थिति में, जब तुम व्यवस्था का पालन करते हो; किन्तु यदि तुमने व्यवस्था भंग कर ही दी तो तुम्हारा ख़तना ख़तनारहित समान हो गया. 26 इसलिए यदि कोई बिना ख़तना का व्यक्ति व्यवस्था के आदेशों का पालन करता है, तब क्या उसका बिना ख़तना के होना ख़तना होने जैसा न हुआ? 27 तब शारीरिक रूप से बिना ख़तना के वह व्यक्ति, जो शारीरिक रूप से व्यवस्था का पालन करने वाला है, क्या तुम पर उँगली न उठाएगा—तुम, जो स्वयं पर व्यवस्था की छाप लगाए हुए तथा ख़तना किए हुए भी हो और फिर भी व्यवस्था भंग करते हो?

28 वास्तविक यहूदी वह नहीं, जिसका मात्र बाहरी स्वरूप यहूदियों-सा है और न वास्तविक ख़तना वह है, जो बाहरी रूप से मात्र शरीर में ही किया गया है; 29 यहूदी वह है, जो अपने मन में यहूदी है तथा ख़तना वह है, जो पवित्रात्मा के द्वारा हृदय का किया जाता है, न कि वह, जो मात्र व्यवस्था के अन्तर्गत किया जाता है. इस प्रकार के व्यक्ति की प्रशंसा मनुष्यों द्वारा नहीं, परन्तु परमेश्वर द्वारा की जाती है.

Saral Hindi Bible (SHB)

New Testament, Saral Hindi Bible (नए करार, सरल हिन्दी बाइबल) Copyright © 1978, 2009, 2016 by Biblica, Inc.® All rights reserved worldwide.